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टाटा ग्रुप का अद्भुत सफर

आज से 150 साल पहले एक छोटे से कॉटन ट्रेडर ने भारत को बदलने का सपना देखा। इस बात से बिल्कुल अंजान कि एक दिन उनका यही सपना एक ऐसे बिजनस एमपायर को जन्म देगा जो ना केवल भारत को बदलेगा बलकि करोडो भारतियों के दिल को भी जीत लेगा। इयर 1839 जमशेद जी टाटा का जन्म होता है 1858 में जमशेद जी अपनी education complete करते हैं और अपने father के साथ मिलकर cotton trading का business करने लगते हैं अगले 10 सालों में कई मुश्किलों के बावजूद उनका business काफी बड़ा बन जाता है लेकिन जमशेद जी केवल cotton को trade करके satisfied नहीं थे वो खोद cotton से clothes manufacture करना चाहते थे इसलिए 1877 में उन्होंने नाक आगपुर में एंट्रेस मिल को सेट अप किया और मैनिफाक्चरिंग चालू की लेकिन एक प्रॉब्लम थी वहां के वर्कर्स अपने काम के लिए ज्यादा सीरियस नहीं थे ऑलमोस्ट हर दिन 20 परसेंट वर्कर्स एपसेंट हो जाते थे हफ्तों की छुट्टी लेते और फाइनली फैमिली डेज और स्पोर्ट्स डेज जैसे इवेंट्स औरगनाइस करवाए इनी इवेंट्स में अच्छा परफॉर्म करने वाले वरकर्स को सबके सामने रिवार्ड भी किया जाता था इन सबी इनिशेटिव से वरकर्स काफी वैल्यूड फील करने लगे किसी ने implement नहीं किया था 1880s में जमशेट जी ने देखा कि इंडिया में independence की demand बढ़ती जा रही है जमशेट जी का मानना था कि इंडिया को independent होने के लिए और independence को sustain करने के लिए economically self-sufficient बनना पड़ेगा और सभी essential products को इंडिया में ही बनाना होगा और भी Indian businesses बिल्ड करना चालू कर दिये strawberry farming की शुरुवात की जिसका impact ये हुआ कि आज भी फार्मिंग और जैम फैक्टरीज के लिए जाना जाता है। जमशेद जी ने ये भी उब्जर्व किया कि बैंगलोर और मैसोर का वेदर फ्रांस जैसा है। इसलिए वो फ्रांस में ब्रीट किये ज उन्होंने बैंगलोर और मैसोर में जमीने खरीदी, टाटा सिल्क फार्म ओरगनाइजेशन की शुरुवात की और लोकल फार्मर से सिल्क वर्म ब्रीडिंग करवाई उनके इसी इनिशेटिव से इंडिया को मैसोर सिल्क और बैंगलोर मैसोर सिल्क साडी जैसे पॉपुलर प्रॉड़ट्स मिले जमशेट जी अपने होमटाउन बॉंबे को बहुत पसंद करते थे और जानते थे कि शहर की डेवलप्मेंट के लिए वहाँ एक वर्ल्ड क्लास होटेल होना बहुत जरूरी है इसलिए उन्होंने 1898 में दा ताज महल होटेल बनाना चालू कर दिया उन्होंने परस्टनली कंस्ट्रक्शन और डिजाइन प्रॉसेस प्रोसेस में हिस्सा लिया उनका विजन था कि होटेल का हर रूम समुदर को फेस करें और गेस्ट को ऐसा फील हो जैसे वह पानी में फ्लोट कर रहे हो 1903 में होटेल को पहली बार पब्लिक के लिए ओपन किया गया और यह पूरे बॉंबे की था इंडिया में ही एक steel plant खोलना उन्होंने अपनी life के 17 साल इंडिया में जगा high quality iron ore ढूनने में लगा दिये क्योंकि steel बनाने के लिए iron सबसे important raw material होता है लेकिन sadly जमशेद जी को लगातार failures का सामना करना पड़ा फिर ultimately 1899 में उन्हें Bengal province में rich iron ore reserves मिल गए जिसके बाद उन्होंने तुरंथ iron ore mining और एक steel plant setup करना start कर दिया लेकिन unfortunately जमशेद जी खोद अपनी आखों से इंडिया में steel बनते नहीं नहीं देख पाए क्योंकि 1904 में 65 की एज में उन्होंने अपनी आखरी सासे ली जमशेद जी का विजन और उनके ड्रीम्स इतने ग्रैंड थे कि उनके जीते जी उन सब का पूरा होना पॉसिबल नहीं था इसीलिए उनके बाकी सभी ड्रीम्स को पूरा करने के डिस्पॉंसिबिलिटी ली ���नके बेटे तो राब जी टाटा ने जमशेद जी का मानना था कि इंडिया साइंटिफिक रिसर्च और एजुकेशन मे पीछे है वो इंडिया में एक ऐसा institution establish करना चाहते थे जो यहाँ world class researchers और scientists produce करे इसलिए दुराबजी टाटा ने मैसोर के महराजा की मदद ली और 1909 में बैंगलोर में Indian Institute of Sciences को establish किया. Nobel laureate C.V. Raman IASC के first director बने. आगे चलके IASC ने इंडिया के first supercomputer परम और इंडिया के first indigenous aircraft दा हन्सा के development में important contributions किये जिस तरह IISC ने ऐसे world class scientists और researchers को बनाया जिनोंने India को बदला उसी तरह India को आज ऐसे business leaders चाहिए जो businesses build करके देश की economy को next level पे ले जा सके और इनी business leaders को बनाने के लिए India में recently एक innovative business school खुला है एक ऐसा business school जहां students को ऐसे CXOs और business leaders पढ़ाएंगे जिनोंने खुद Uber और Mintra जैसी companies के लिए हजारों करोडों का business मैं बात कर रहा हूँ Scalar School of Business के 18 मन्त के Post Graduate Program in Management and टेक की यहाँ स्टूडेंट्स को ऐसे रियल वर्ल्ड प्रोजेक्ट में काम करना होगा जो खुद रियल कंपनी से सोर्स किए जाएंगे अपना खुद का बिजनस बिल्ड करना यहाँ करिकुलम का पार्ट होगा प्लस अपने बिजनस को वीसीज के सामने पिच करके फंड रे और 3 months की mandatory internship तो है ही Scalar ने अपने online programs में 96% placement rate achieve किया है और median CTC 25 lakhs का है Currently Scalar School of Business early September में start होने वाले अपने founding cohort के लिए केवल 75 students को handpick करने वाले हैं Best part is कि आपको अभी apply करने पर up to 100% की scholarship भी मिल सकती है तो अभी description या comment section में दिये हुए link से Scalar School of Business के लिए apply करें अब कहानी पे वापस आते हैं education के एलावा जमशेद जी ने एलेक्ट्रिसिटी जनरेट करने के लिए एक हाइड्रो एलेक्ट्रिक प्लांट का भी सपना देखा था। इस प्रोजेक्ट में गोआ महराष्ट बॉडर में पढ़ने वाले दूध सागर फॉल्स का यूज़ करके पावर जनरेशन किया जाना था। दुरा� शेद जी ने जो स्टील प्लांट का काम स्टार्ट किया था उसे पूरा करने की रिस्पॉंसिबिलिटी भी दुराब जी टाटा ने ली। 1907 में उन्होंने एक लिमिटेट कंपनी स्टैबलिश की और स्टील प्लांट के लिए 23 करोड का IPO अनॉंस किया। उस समय स्वदेशी आंदोलन के चलते केवल दो हफतों में करीब 8000 लोगों ने इसमें इन्वेस्ट किया। कंपनी का नाम टाटा स्टील और आइरन कंपनी यानि टिसको रखा गया। और फाइनली 1912 में टिसको से पहला स्टील प्रडूस होके निकला। इसके दो साल बाद ही 1914 में वर्ल्ड वार वन चलते हैं। चालू हो गई और बृतेन की स्टील डिमांड इकदम से शॉट अप हो गई उन्हें टैंक्स ट्रक्स रेलवे इन सब के लिए स्टील चाहिए था टिसको के प्लांड ने दिन रात काम किया और इस डिमांड को पूरा किया वार के खत्म होने के बाद उस समय के वाइसरोय ने टिसको के कॉंट्रिब्यूशन को एक्नॉलेज किया और जिस टाउन में टिसको का प्लांड था उस टाउन का नाम जमशेद जी के नाम के ऊपर जमशेद पुर रख दिया और रेलवे स्टेशन का नाम टाटा नगर रख दिया दुराब जी की लीडर� डेथ हो गई और जाने से पहले उन्होंने टाटा ग्रुप को स्टील, पावर, कंजूमर प्रोड़क्स, बैंकिंग और इंशौरेंस जैसे बिजनसेस में डाइवर्सीफाई कर दिया था दोराब जी टाटा के बाद 1938 में टाटा ग्रुप के चेर्मेन बने फैमिली के एक यंग मेंबर जियार्डी टाटा जियार्डी टाटा ने 1925 में ही बिजनस में काम सीख रहे थे वो हमेशा इसलिए 1932 में उन्होंने और कार्गो ट्रांसपोर्ट सर्विसेस प्रोवाइड करने वाली इंडिया की पहली एरलाइन बनी इसकी पहली फ्लाइट खुद जियाडी टाटा ने उड़ाई थी जिसके बाद वो इंडिया के फर्स्ट एवर कमर्शियल पाइलेट बन गए थे चेर्मिन बनने के बाद जियाडी टाटा ने देखा कि इंडिया को सोडा एश और कॉस्टिक सोडा जैसे एसेंशल केमिकल्स बाहर से इंपोर्ट करने पड़ते हैं इसलिए 1939 में उन्होंने गुजरात के मीठापोर टाउन में एक chemical plant build किया और ऐसे ही शुरुआत हुई Tata Chemicals की वही Tata Chemicals जो आज Tata Salt को भी manufacture करता है Chemicals business अच्छा चलने लगा लेकिन JRD का dream अभी भी airline business को grow करने का था World War II के दोरान British Government ने सभी planes को seize कर लिया जिसकारण Tata Aviation Services रात और रात बंद हो गई लेकिन जैसे ही war खत्म हुई वैसे ही JRD ने वापस airline business में entry करने का फैसला किया और इस तरह 1946 में शुरुवात हुई Air India की Air India की crew को उनकी warm और attentive services के लिए जाना जाता था उनकी flight का food, cleanliness और in-flight entertainment सब कुछ top class था Even इनका mascot एक महराजा था जो airline की Indian hospitality और royal standards को दर्शाता था साती साथ Air India हमेशा time schedule के हिसाब से चलती थी इन सब के कारण ना केवल India में बलकि internationally भी Air India को one of the best airline के तौर पे जाना जाता था Air India को JRD अपने child की तरह grow कर रहे थे फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने इसी Air India को उनसे एक जटके में छीन लिया। Independence के बाद Indian Government ने Socialist Economic Model को अपनाया था। जिसका मारना था कि देश की Important Industries जैसे Transportation गवर्मेंट के कंट्रोल में होनी चाहिए। ताकि ये Industries प्रॉफिट से जादा Public की Service पे Focus करें। और इसलिए 1953 में Air India को Nationalize यानि गवर्मेंट के कंट्रोल में ले लिया गया नैशनलाइजेशन के बाद Air India का एक ट्रैजिक डिक्लाइन चालू हो गया सर्वेस, पंक्चुअलिटी और सेफ्टी नेगेटिवली इंपैक्ट हुई जिससे अल्टिमिटली Air India ने अपना एक वर्ल्ड क्लास एरलाइन लेकिन Air India के सेटबैक के बाद भी GRD Tata ने Tata Group को ग्रोव करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने देखा कि Independence के बाद भी देश में कोई भी Indian Cosmetics ब्रैंड नहीं है। इसलिए उन्होंने LACME की शुरुवात की। LACME एक French word है जिसका मतलब Hindi, इंदी में लक्ष्मी होता है जेआडी ने डेलिबरेटली इस ब्रैंड को एक इंडियन नाम नहीं दिया उन्हें पता था कि इंडियन वुमिन फॉरेंड ब्रैंड से ऑप्सेस्ट थी और फॉरेंड ब्रैंड्स को ही हाई क्वालिटी मानती थी इसीलिए लैकमे देकर उन्होंने इस कॉस्मेटिक्स ब्रैंड को इंटरनेशनल लेवल की एस्पिरेशनल वैल्यू दी लेकिन रियालिटी में लैकमे का मतलब अभी भी इंडिया से डीपली कनेक्टेड था इसके अलावा जेआडी ने जमशेतपुर में एक रेल्वे इंजन्स बनाने वाली जिसे बाद में टेलको कर दिया गया इनिशिली टेलको केवल रेलवेज के लिए स्टीम इंजन्स बनाती थी लेकिन जे आडी ने जल्द ही ट्रक मिनिफाक्चरिंग में एक्सपैंड कर दिया उन्होंने टाटा 407 ट्रक लाउंच किया इसने 70% मार्केट शेयर कैप्चर कर लिया इंजन्स और ट्रक्स बनाने वाली इसी टेलको कंपनी को आज हम सब टाटा मोटर्स के नाम से जानते हैं बिजनस के अलावा जियारडी टाटा ने इंडिया को उसके सबसे कठिन वक्त में हेल्प की 1962 की इंडो चाइना वार और 1965 की इंडो पाक वार के दौरान उन्होंने गवर्मेंट को हर तरह के सपोर्ट का अशौरेंस दिया उन्होंने अपने Air India का experience यूज़ किया और Indian Air Force के लिए एक टेन येर डिफेंस प्रेपेर्डनेस प्लान भी बनाया इस रिपोर्ट में सिग्नलिंग एक्विक्टमेंट रेडार और स्पेयर पार्ट्स की रिक्वायमेंट्स इंक्लूडेड थी गवर्नमेंट और इंडियन एयर फोर्स को इस रिपोर्ट से बहुत मदद मिली लेकिन अब 87 की एज में समय आ चुका था कि वो टाटा ग्रुप की कमान किसी और को सौप दे। इसलिए जेरडी टाटा ने नए चेर्मेन के तौर पे टाटा फैमिली के एक प्रॉमिसिंग मेंबर को चुना। और ये नए चेर्मेन थे सर्रतन टाटा। चेर्मेन बनने से करीब 30 साल पहले 1962 तक सर रतन टाटा USA में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे कि तब ही उन्हें JRD टाटा का लेटर आया जिसमें उन्हें इंडिया आके बिजनस जॉइन करने को कहा गया था रतन टाटा ने इंडिया आके टाटा स्टील को जॉइन किया टेलको में एक मेजर लेबर लेबर अंड्रेस्ट को सक्सेसफुली रिजॉल्व किया था और टाटा की नेलको कंपनी जो रेडियो और टेलीविजिन वगैरह बनाती थी उसका रेवेन्यू 3 करोड़ से बढ़ाकर 200 करोड़ किया था जब 1991 में सर रतन टाटा चेयरमैन बने तो उन्हें पता के लिए कुछ revolutionary करना चाहते थे इसी mindset के साथ उन्होंने देखा कि इंडिया के पास ऐसी कोई भी car नहीं थी जिसका design से लेकर production तक सब कुछ इंडिया में हुआ हो इसलिए 1995 में रतन टाटा ने एक 100% इंडियन car बनाने की ठान ली एक ऐसी car जो spacious, futuristic, affordable और high mileage देती हो लेकिन एक problem थी एक नया manufacturing plant setup करने की cost around 2 billion dollars थी जो समेग बहुत बड़ा amount था लगाया और आस्ट्रेलिया में निसान का एक पुराना प्लांट वन फिफ्ट कॉस्ट में खरीद लिया इस पूरे प्लांट को डिस्मेंटल करके इंडिया लाया गया और पूने में री बिल्ड किया गया रतन टाटा ने खुद कार को डिजाइन करने में एक इंपोर्टेंट रूल निभाया और फाइनली 1998 में कार को लॉंच किया ये एक इंडियन कार थी इसलिए इसका नाम रखने के लिए इंडियन से इंडी लिया गया और कार से का और इन्हें जोड़ कर बनी इंडिका टाटा इंडिका औटो मुबील के बाद रतन टाटा ने उन्होंने देखा कि TCS का focus इंडियन companies को administrative services जैसे data entry और bookkeeping देने में था, जो बहुती basic level का काम था, इसलिए रतन टाटा ने TCS का focus administrative services से shift करके software services पे ले आया, जिसके बाद TCS ने इंडिया की और even world की biggest organizations के लिए customized softwares बनाना चालू कर दिये, रतन टाटा ने TCS का IPO भी लाया, जि और इनी स्टेप्स से आज भी TCS इंडिया की बिगेस्ट IT कमपणी है TCS की सक्सेस के बाद सर रतन टाटा ने वापस टाटा मोटर्स पे फोकस किया उन्होंने देखा कि इंडिया की मेजॉरिटी मिडल क्लास पॉपुलेशन एक कार अफोर्ड नहीं कर सकती इसलिए पूरी फैमिली को मजबूरी में एक स्कूटर में कंजेस्टेड होके जाना पड़ता है जो बहुत अनकमफ़र्टेबल और अनसेफ था सर रतन टाटा का ड्रीम था इंडियन मिडल क्लास को एक स्कूटर से कार में ट्रांजिशन करवाना इसलिए उन्होंने अनाउंस कर दिया कि वो एक ऐसी कार लॉंच करेंगे जिसका प्राइस केवल एक लाख रुपे होगा 2009 में अपने प्रॉमिस को रखते हुए उन्होंने एक लाग के प्राइस पॉइंट पे लॉच की टाटा नैनो लेकिन अनफॉर्चुनेटली नैनो एक फेलियर साबित हुई नैनो का सबसे बड़ा एडवांटेज था उसका सस्ता प्राइस पर यही उसका सबसे बड़ा डिस एडवांटेज बन गया जिसके पास एक कार होती है उसे सक्सेसफुल माना जाता है Matchbox और even covered auto rickshaw की तरह ब्रैंड कर दिया जहाँ दूसरे car owners अपनी car के कारण proud feel करते थे वही nano के owners अपनी car के कारण embarrassed feel करते थे और इसलिए nano एक failure साबित हुई लेकिन Tata Motors ने इस failure से consumer behavior के बारे में बहुत कुछ सीखा जो आज उनकी line up में देखा भी जा सकता है आज टाटा मोटर्स टाटा गुरुप की सबसे ज्यादा रेविन्यू कमाने वाली कंपनी बन चुकी है फाइनली सर रतन टाटा डीपली चाहते थे कि इंडिया की कंपनी इसको केवल इंडिया नहीं बलकि पूरे वर्ल्ड में बिजनस करना चाहिए और इसलिए फॉरेन मार्केट्स में एक्सपैंड करने के लिए उन्ह जैसे टाटा मोटर्स को ग्लोबल लगजरी मार्केट में एक्सपैंड करने के लिए उन्होंने जैकवार और लैंड रोवर को अक्वायर कर लिया सिमिलरली टाटा की हर मेजर कंपनी जैसे टाटा स्टील, टी सी एस, टाटा केमिकल्स और आई एट सी एल ने भी एक्विजिशन्स किये बहुत लंबी है चाहे वो Titan द्वारा वर्ल्ड की Slimest Watch बनाना हो TCS का वर्ल्ड का One of the Most Powerful Super Computer बनाना हो या फिर Tata Sky को लॉँच करके Television Market को Disrupt करना हो Almost हर एरिया में Tata Group ने Success हासिल की सर रतन टाटा का कहना है कि अगर तेज चलना है तो अकेले चलो लेकिन अगर दूर तक चलना है तो सब को साथ लेके चलो टाटा ग्रूप ने हमेशा इसी फिलोसफी के साथ बिजनस किया है एक तरफ बड़ी कंपनीज बनाई है तो वही दूसरी तरफ अपने देश को साथ लेकर चला है सक्सस मिली है उससे कई गुना ज्यादा लोगों की रिस्पेक्ट मिलती है ये कहानी थी टाटा ग्रुप की अगर आपको ये वीडियो अच्छा लगा तो मैं रिकमेंट करूँगा कि आप नेक्स्ट इस