लेक्चर नोट्स: IPv4 हेडर और फ्रेग्मेंटेशन
परिचय
- IPv4 हेडर और फ्रेग्मेंटेशन के बारे में चर्चा।
- यह विषय एक साथ पढ़ना जरूरी है क्योंकि दोनों का संबंध है।
- हर साल से 2 मार्क्स का प्रश्न आता है।
लेक्चर की रूपरेखा
- 2 सेशन्स IPv4 हेडर पर।
- 1 सेशन फ्रेग्मेंटेशन पर।
- कुल 3 सेशन्स में पाठ पूरा करेंगे।
IPv4 हेडर की विशेषताएँ
- IPv4 हेडर में शामिल फील्ड्स:
- वर्जन
- हेडर लंबाई
- सर्विसेस
- कुल लंबाई
- पहचान संख्या
- फ्लैग्स
- फ्रेगमेंट ऑफ़सेट
- टाइम टू लाइव
- प्रोटोकॉल
- चेकसम
- स्रोत आईपी पता
- गंतव्य आईपी पता
बिट्स की संख्या
- वर्जन: 4 बिट्स
- हेडर लंबाई: 4 बिट्स
- सर्विसेस: 8 बिट्स
- पहचान संख्या: 16 बिट्स
- फ्लैग: 3 बिट्स
- फ्रेगमेंट ऑफ़सेट: 13 बिट्स
- चेकसम: 16 बिट्स
- स्रोत आईपी पता: 32 बिट्स
- गंतव्य आईपी पता: 32 बिट्स
हेडर की लंबाई
- न्यूनतम हेडर आकार: 20 बाइट।
- अधिकतम हेडर आकार: 60 बाइट।
- हेडर का आकार 20 बाइट के फिक्स्ड है और इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
फ्रेग्मेंटेशन
- पैकेट को छोटे टुकड़ों में विभाजित करना।
- प्रत्येक टुकड़े को एक पहचान संख्या दी जाती है।
- सभी टुकड़ों की पहचान संख्या समान होगी।
फ्लैग्स का उपयोग
- DF (Don’t Fragment):
- 1 का मतलब है कि पैकेट को विभाजित नहीं किया जा सकता।
- 0 का मतलब है कि पैकेट को विभाजित किया जा सकता है।
- MF (More Fragment):
- 1 का मतलब है कि यह अंतिम फ्रेगमेंट नहीं है।
- 0 का मतलब है कि यह अंतिम फ्रेगमेंट है।
प्रोटोकॉल और सेवाएँ
- TCP/IP में 5 लेयर्स होती हैं।
- हेडर में सर्विसेस के लिए 8 बिट्स होते हैं।
- प्रायोरिटी और प्रकार की सेवाओं के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रायोरिटी बिट्स
- प्रायोरिटी का उपयोग करते समय, यदि राउटर कंजेस्टेड है, तो सबसे कम प्रायोरिटी वाले पैकेट्स को पहले हटा दिया जाता है।
निष्कर्ष
- IPv4 हेडर और फ्रेग्मेंटेशन के बारे में समझना आवश्यक है।
- अगले सेशन्स में और अधिक जानकारी दी जाएगी।
- प्रत्येक विषय का पूरी तरह से अध्ययन करें।
अगला सेशन
- सोमवार को 7 बजे मिलेंगे।
- टीटीएल और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे।
यह नोट्स उस लेक्चर के आधार पर तैयार किए गए हैं जिसमें IPv4 हेडर और फ्रेग्मेंटेशन का गहन अध्ययन किया गया।