Study IQ IAS अब तयारी हुई अफोर्डबल Welcome to Study IQ मेरा नाम है आदेश सिंग We the people of India having solemnly resolved to constitute India into a sovereign socialist, secular democratic republic दोस्तों ये लाइन सुनकर आपको कुछ याद आया जी आँ ये वो पंक्ती है जिससे भारत के सम्विधान की अंतरात्मा या सोल कहे जाने वाले प्रियंबल की शुरुवात होती है। और यही वो पंक्ती है, जो भारत की प्रकृति को परिभाशत करती है। कि आखिर इंडिया एज़ ए नेशन का नेचर क्या है। इसमें हमारे कॉंस्टिटूशन का प्रियंबल ये बताता है, कि भारत एक सौवरिन यानि संप्रभु, सोशलिस्ट यानि समाजवादी, सेकुलर यानि धर्म निर्पेक्ष, डेमोक्राटिक यानि लूकतांत्रिक और रिपब्लिक यानि गनतंत्र देश है� लेकिन इसमें एक दिल्चस्प बात ये भी है कि ये प्रस्तावना अपने मूल रूप में ऐसी नहीं थी, बलकि कुछ अन्य शब्दों के साथ इसमें सेकुलर या धर्म निर्पेक्ष शब्द 42nd Constitutional Amendment Act के द्वारा 1976 में जोडा गया था। इमरजन्सी के दौरान भारत के सम्विधान में विवादित संशोधन भी किये थे। तो क्या ये सेकिलर शब्द भी उसी छेड़ छाड का नतीजा है। बलकि शायद उससे भी बड़ा प्रश्न ये है कि आखिर भारत के लिए इस सेकिलर शब्द के माइने क्या है। क्या वाकई इंडिया एक सेकिलर नेशन रहा है और रहा है तो कब से। तो चलिए आज हम इसी विशय पर चर्चा करते हैं कि क्या ये सेकिलर नेशन का तमगा भी 1976 के इस कंस्टिटूशनल आपके लिए जाना है। अमेंडमेंट द्वारा जबरदस्ती ही लगा दिया गया? सबसे पहले तो हम ये सपष्ट कर लेते हैं कि आखिर सेकुलर या धर्म निर्पेक्ष होने का मतलब क्या होता है? What is a secular stage? अगर हम इतिहास में थोड़ा पीछे जाएं, वेस्टरन वर्ल्ड के पुनर जागरण या रेनिसॉन्स के साथ ही हुई थी.
जब रिलिजिन और खासतार पर चर्च को राजनीती या स्टेट गवर्नन्स से दूर रखने के लिए एक सेकुलर स्टेट की परिकल्प ना की गई थी। जिसमें स्टेट और उसकी गवर्नमंट पूरी तरह से एरिलिजिस रहते हुए, रिलिजन से पूरी तरह डिसोसियेटेट रहेगी। ऐसे में वेस्टर्न सोसाइटी में ये माना गया कि रिलिजिन एक प्राइवेट अफेयर है, जबकि गवर्नमंट एक पब्लिक बॉडी। क्योंकि एक समय था जब चर्च के interference की वजह से ही समूचा यूरोप अंधकार युग में पहुँच गया था। ऐसे में ancient Greek और Roman philosophers जैसे Marcus Aurelius और Epicurus से प्रेरना लेते हुए government ने इस तरह के negative या dissociative secularism की उमीद की गई। लेकिन अगर हम इसके उलट भारत के इतिहास की बात करें तो इसमें governance हमेशा से religion से जुड़ा रहा है जिसमें राजधर्म के principles को define करने के लिए भी धर्म का सहारा लिया जाता है। ऐसे में अगर हम modern इंडिया के secular state की बात करें, तो हलांकि इसे constitution में कहीं भी define नहीं किया गया है, लेकिन इसका मतलब equal treatment या positive secularism से है, जिसमें state बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों को एक समान सहयोग देगा, हलांकि western society की तरह ही इंडिया में भी state का कोई official religion नहीं चुना गया, लेकिन अगर हम Indian constitution पर नज़ड डालें, तो वेस्टन और इंडियन सेकिलरिज्म के बीच का अंतर साफ दिख जाएगा। लेकिन अक्सर इंडिया के इस सो कॉल्ड पॉजिटिव सेकिलरिज्म पर भी सवालिया निशान लगाय जाते रहे हैं। तो चलिए अब हम इन सवालों पर भी जरा गौर कर लेते हैं। नौट सो सेकिलर। जब ये प्रश्न पूछा जाता रहा है कि क्या वाकई भारत एक सेकिलर स्टेट है। या फिर उसके दो दशक बाद उठा शहबानों का मुद्धा, कभी सरकारों पर धर्म के नाम पर अपीजमेंट पॉलिटिक्स खेलने का आरोप लगाया जाता है, तो कभी रिलिजिन के बेसिस पर डाइवर्जनरी पॉलिटिक्स का. बदलती सरकारुं द्वारा इस ओर कोई प्रयास नजर नहीं आते. यही नहीं. तो भी हिंदुत्व और माइनोरिटी रिलिजिस ग्रूप्स के एक्स्प्लोइटेशन का मुद्धा उठता रहा है। फिर चाहे वो बाबरी मस्जिद के वर्डिक्ट का मामला हूँ या फिर हिजाब बैन का। गवर्नमंट और उसके रेप्रेजेंट साथ ही भारत के सोशल फैब्रिक में भी जहां एक ओर रिलिजिस टॉलरेंस की बात होती है, तो वहीं दूसरी ओर मॉब लिंचिंग और रिलिजिन के चलते ओनर किलिंग के मामले भी देखने को मिलते हैं, जहां सदियों से साथ रहते आए रिलिजिन्स आज भी एक साथ खड� एक डील ब्रेकर साबित हो सकता है। लेकिन अगर हम इन सब से अलग हट कर, लॉव द लैंड, यानि इंडियन कॉंस्टिटूशन या इंडियन गवर्नन्ट सिस्टम की बात करें, तो इसमें भी कुछ ऐसे बिंदू देखे जाते हैं, उधारन के तोर पर, भारतिय सम्विधान में ही, अगर हम आर्टिकल 25 पर गौर करें, तो हम पाएंगे कि जहां एक ओर राइट ट्रू रिलिजन को इंशौर करता है, वहीं ये बुद्धिज्म, जैनिज्म, सिखिज्म जैसे रिलिजन को भी एक हिंदू religious groups का ही हिस्सा मानता है। जबकि इन तीनो religions का अपना एक अलग इतिहास और एक अलग philosophy रही है। तो क्या ये सच में positive secular state को दर्शाता है?
या फिर ये उनकी distinctive identity के लिए एक negative step है। इसी तरह, अगर हम Indian Constitution के article 16 पर गौर करें, तो हम पाएंगे कि हाला कि ये public employment में right to equality को ensure करता है। लेकिन दूसरी ओर, यह दलितों को उनके धार्मिक स्वच्छंदता के अधिकार से भी वंचित कर देता है। और ऐसा इसलिए क्योंकि 1950 और 1956 के presidential orders के अनुसार scheduled caste reservation के beneficiaries केवल हिंदु, सिख और बुधिस्ट ही हो सकते हैं। ऐसे में दलितों के Christian या Muslim धर्म को अपना लेने पर, उनके caste-based reservation को भी null and void घोशित कर दिये जाने का प्रावधान है। वहीं यदि एक बार convert हुआ दलित, यदि फिर से अपने असल धर्म में रीकनवर्ट हो जाए, तो उसे फिर से कास्ट बेस्ट रेजवेशन के लिए पात्र मान लिये जाने का प्रावधान है. ऐसे में कुछ लोग इसे हिंदूइजम का फेवर करने तो अब प्रश्न ये उठता है, कि क्या सच में सेकिलरिजम एक वेस्ट से लिया हुआ कॉंसेप्ट ही है? जिसे 1976 में हमारे सम्विधान में copy-paste कर दिया गया अब जैसा हमने आपको बताया कि 42nd Amendment Act एक mixed bag की तरह था जो एक और अपने विस्तरत रूप के लिए जाना जाता है तो दूसरी और अपने गलत intentions के लिए भी इसलिए 1977 में Congress की हार के बाद जब जनता पार्टी ने अपनी सरकार बनाई तो उन्होंने अपने election campaign का promise पूरा करते हुए एमर्जन्सी के पहले के इंडियन कॉंस्टिटूशन को रिस्टोर करने के लिए 44th Amendment Act पास किया और इस एक्ट के जरिये उन्होंने 42nd Amendment Act से जुड़ी कई त्रुटियों को सुधारा यही नहीं, बहुत से बदलाव के लिए उन्होंने Article 368 को फॉलू करते हुए State Government से Ratification भी प्राप्त किये लेकिन इन सब के बाद भी उन्होंने 42nd Amendment द्वारा और ऐसा इसलिए क्योंकि न केवल जनता Government बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 1974 में की गई अपनी टिपणी में ये माना था कि हाला कि ओरिजिनल कॉंस्टिटूशन में सेकिलर शब्द का जिक्र कहीं भी नहीं है। लेकिन अगर हम इंडियन कॉंस्टिटूशन में जहांक कर देखें, तो उसमें छुपे पॉजिटिव सेकिलरिजम की कॉंसिप्ट को साफ देखा जा सकता है। माइनॉरिटीज के राइट्स की रक्षा के लिए फंडमेंटल राइट्स में ही आर्टिकल 29 और आर्टिकल 30 के रूप में पॉजिटिव डिस्क्रिमिनेशन का भी प्रावधान दिया गया है। बल्कि ये सदियों से हमारे देश की कण-कण में व्याप्त है। या यूँ कहें कि भारत में सिविलाइजेशन की शुरुवात से ही इसे देखा जा सकता है। इसी के चलते अगर हम भारत के इतिहास पर नज़र डालें, तो हम पाएंगे कि वैदिक युग से लेकर मुगल पीरियर तक, भारत में कई तरह के अलग-अलग डिनिस्टीज और एमपरोर्ज ने शासन किया, जिसके चलते इंडियन सुसाइटी में रिलिजिन एक डाइनामिक एकम सत्वेप्राब्भुदावेदान्ति के भाव देखने को मिलता है। जिसका मतलब है कि गौड इस वन दी इनलाइटेंड और दी वाइज कॉल हिम बा यही भाव हमें अशोका 12th Rock Edict में देखने को मिलता है, जिसमें वो अपनी जनता से Religious Tolerance और Mutual Respect की बात करते हैं। यही नहीं फिर वो चाहे अकबर का दीन एलाही हो या फिर भक्ती और सूफी Movement। अगर हम भारत का इतिहास खंगा लें, तो हम पाएंगे कि वो Indian Brand of Secularism से पट आज हम दरजनों धर्मों को मानने वाले भारतिये साथ रह रहे हैं, साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिसके चलते देश विदेश में भारत की गंगा जमुनी तहजीब की मिसालें दी जाती हैं, क्योंकि भारत के अलावा दुनिया में शायद ही कोई और ऐसा देश हो, जहां इतन बकरीद और बुद्धपूर्णिमा, बिर्यानी और जैन थाली साथ-साथ देखने को मिलती हैं. ये भारत का secular nature ही है, जिसके चलते जहां एक ओर पूरा यौरप केवल भाषा के आधार पर ही अलग-अलग देशों में बटा दिखाई देता है.
वही भारत भाषाओं और इतने सारे religions, cultures और sects के बाद भी हमेशा से एक जुट होकर खड़ा है. इसके बाद भी अगर हमारे देश के secular fabric पर प्रश्न चिन्न लगाया जाता है, तो ये गलती नहीं है. हमारे देश या फिर उसके सम्विधान की नहीं बलकि हमारी है। क्योंकि जब भारत जैसे देश में इतने सारे धर्मों को मानने वाले लोग शर्बत में मिली शक्कर की तरह घुलमिल कर रह रहे हैं, तो ये हमारी जिम्मेदारी हो जाती है कि हम इसे अपने धर्मांदता के जहर से कड़वान ना कर दें। कंक्लूजन, अगर आप प्रियांबल की उनहीं पंक्तियों पर गौर करें, जिससे हमने आज के अपने वीडियो की शुरुवात की, तो आप पाएंगे कि We the People of India का ये फ्रेज ही, यह बात स्पष्ट कर देता है कि हमारा संविधान अपनी अथॉरिटी भारत की जनता से ही डिराइव करता है। यानि हम ही हैं जो हमारे देश को बनाते हैं और हम ही हैं जो इसको चलाने वाले संविधान को मजबूत करते हैं। तो ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि वो भी हम ही हैं जो इस देश को धर्म निर्पेक्ष या धार्मिक कटरवादी बनाते हैं। क्योंकि जैसे हम होंगे वैसा ही हमारा देश होगा। तो आप ही बताईए, Are we truly secular? Study IQ IAS अब तयारी हुई Affordable