तो अगली बार जब आप हॉलीवुड मूवी देख के ताली बजाना जिसमें एक महान ब्रिटिश हिटलर से शुरू हीरो की तरह लाड रहा है तो इस बात का जरूर ध्यान रखिएगा की उसे लड़ाई का जो खर्चा है वो आपके पूर्वजों की कमर तोड़ के निकाला गया था अगली बार आपके सामने अगर कोई वेस्ट कंट्रीज का महिमामंडन करें तो उससे ये जरूर पूछिएगा की एयर 1765 से लेक 1945 तक आगे चल के यही चीज इंडिया की हिस्ट्री को बादल के रख देती है कुछ बिजनेस हाउसेस की हिस्ट्री पढ़ोगे जो लंबी लंबी बातें करते हैं की हमारे ये बिजनेस मॉडल था हमने इस तरीके से अपना बिजनेस बनाया अल में सारे उसे टाइम पे अंग्रेजन की दलाली करते थे पूरा वेस्ट जो है ये फ्री ट्रेड की बहुत बात करता है लेकिन कैंब्रिज इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया में एक भी शब्द मां से नहीं किया है इन्होंने बहुत ही शॉकिंग है की एवं आज की डेट तक जिला एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को कलेक्टर बोला जाता है आज की डेट का पूरा ये जो मॉडर्न कैपिटल लिस्ट ग्लोबल सिस्टम है वो इसी ल पे बना हुआ है चोरी का पैसा मोरी से निकलता है इतना पैसा ल के ले गए लेकिन आज की डेट में इनकी इकोनामी देखिए जब भी हम 1947 से पहले की बात करते हैं तो हम कहते हैं की ब्रिटिशर्स ने इंडिया को कॉलोनाइजर किया गुलाम बना लिया जबकि एक्चुअल में इंडिया को गुलाम एक प्राइवेट कंपनी ने बनाया था लेकिन बात ये है की एक प्राइवेट कंपनी इतने बड़े देश को कैसे गुलाम बना शक्ति है ऐसी क्या सिचुएशन बनी होगी उसे टाइम पे की 125 लोगों की बनाई हुई कंपनी 70000 पाउंड लेकर एक पूरे देश को गुलाम बना देती है आप अपने आसपास लोगों से पूछ के देखिएगा बिट्स और पीस में अलग-अलग चीज सुनने को मिलेगी लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो एक्चुअल स्टोरी जानते हैं की कैसे इंडिया को एक प्लानिंग के तहत एक प्राइवेट कंपनी ने लूट और फिर इस कंपनी को एक इंडियन संजीव मेहता ने खरीद के बदला लिया आप इंडिया में हो या इंडिया के बाहर हमको कैसे गुलाम बनाया गया ये चीज किसी ना किसी डिस्कशन में हमारे सामने आई है इसलिए इस वीडियो को ऐसा बनाया गया की कोई छोटा हो या फिर बड़ा हो एक बार ये पुरी वीडियो देखने के बाद दुनिया के किसी भी कोनी में जाके किसी से भी एक रीजनेबल डिस्कशन कर सकते हैं तो देखिए इन सब चीजों की शुरुआत होती है और 1599 में जब स्पाइसेज यानी की मसाले बहुत ही हाय वैल्यू कम्युनिटी होते थे ये जो ब्लैक पेपर यानी की काली मिर्च वगैरा इनकी इतनी मारा मेरी थी की मर्चेंट इनको ब्लैक गोल्ड कहते थे गोल्ड से कंपेयर किया जाता था और उसे टाइम पे स्पाइस ट्रेड पे डक का ज्यादा कंट्रोल था और ब्रिटेन के अंदर भी डक ही सप्लाई करते थे इनकी मोनोपोली थी अब एयर 1599 के मिड में और डक ब्लैक पेपर यानी की काली मिर्च के ऊपर फाइव सेलिंग्स बड़ा देते हैं सीलिंग उसे टाइम की ई थी तो इस तरीके की मनमानी को लेकर बृजेश काफी नाराज हो जाते हैं और उसके एक महीने बाद यानी की 24th ऑफ सितंबर 1599 को 24 रिच मरचेंट्स सिटी ऑफ लंदन के हाल स्ट्रीट में दिन के टाइम में इकट्ठा होते हैं और डिसाइड करते हैं की डेथ जो है ये मनमानी कर रहे हैं हमें अपना खुद का स्पाइस ट्वीट करना होगा और फिर ये लोग 125 शेरहोल्डर्स को कन्वेंस करके 72000 पाउंड इकट्ठा करके एक कंपनी बनाते हैं जिसका नाम था गवर्नर और कंपनी ऑफ मरचेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन तू डी ईस्ट इंडीज तो कंपनी तो ये लोग बना लेते हैं उसके बाद इनको अप्रूवल लेना था क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट से क्योंकि ये लोग ऐसे ही डिसाइड करके दुनिया भर में ट्रेड नहीं स्टार्ट कर सकते थे तो इसके 3 महीने बाद यानी की 31 ऑफ दिसंबर 1599 को क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट इनको रॉयल चार्ट देती हैं की आप लोग जो और ये साड़ी चीज स्टार्ट करो रॉयल चार्ट का मतलब था की एक रिटर्न आदेश यानी की राजकीय आदेश इस रॉयल चार्ट के अप्रूवल का मतलब था की अब ईस्ट इंडिया कंपनी जो की इंग्लैंड के अंदर बनी है वो दुनिया के अलग-अलग जगह जाकर स्पाइस और बाकी कमोडिटी सस्ते में खरीद शक्ति थी और वापस आके यूरोप में बीच शक्ति थी एक तरह से ट्रेडिंग का लाइसेंस मिल गया था जैसे आज की डेट में आप इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए लाइसेंस लेते हो ठीक वैसे ये जो रॉयल चार्ट क्वीन ने दिया था ये 15 साल के लिए दिया था और एक स्पेसिफिक एरिया भी दिया था की इस पर्टिकुलर एरिया में जाकर आपको ट्रेट करना है और वो एरिया था कैप ऑफ गुड होप के ईस्ट में और स्टेटस ऑफ मैगलन के वेस्ट में ये है कैप ऑफ गुड हो और ये है स्ट्रैटस ऑफ अगेन इन यहां से लेक पूरा बस बीच का एरिया छोड़ दिया था क्योंकि यहां पे पहले से ही ब्रिटेन काफी एक्टिविटी करता था बेसिकली ईस्ट इंडिया में करना था तो इसीलिए आगे चल के इस कंपनी का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी पड़ा अब क्वीन पहले से ही पता था की बाकी देश भी ट्रेड कर रहे हैं इन एरिया में तो ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए ऑलरेडी कंपटीशन बहुत ज्यादा होगा तो क्वीन ने कहा की इंग्लैंड की तरफ से सिर्फ ईस्ट इंडिया कंपनी होगी जो यहां पे जाके ट्रेड करेगी इंग्लैंड की तरफ से बाकी कोई और कंपनी जाकर वहां पे नहीं करेगी इनके अगर वो करती है तो उसका जो समाज है वो जप्त कर लिया जाएगा क्योंकि ऑलरेडी इन एरियाज में कंपटीशन है और अलग से एक और कंपटीशन अपनी ही कंपनी का करना वो सही डिसीजन नहीं रहेगा इसलिए कोई नहीं है फैसला लिया अब ये ईस्ट इंडिया कंपनी थी जब ये ट्रेड करने उन इलाकों में जाएगी तो उसको दिक्कत ना हो इसके लिए क्वीन ने इसको जरूर से ज्यादा ही पावर दे दी थी जैसे खुद के पैसे छापना जी एरिया में जाके लोग ट्रेड करेंगे वहां पे खुद की डॉ बना सकते थे वहां पे खुद की फॉरेन पॉलिसी रख सकते थे कोर्ट चला सकते थे पनिशमेंट दे सकते थे आर्मी रख सकते थे क्लेम कर सकते थे एग्जांपल के तोर पे आप इसको इस तरीके से समझ लीजिए की एक दिन मुकेश अंबानी मोदी जी के पास जैन और कहे की मसाले की बहुत जरूर है इंडिया को मसाले बहुत ही महंगे होते जा रहे हैं और ऑस्ट्रेलिया का जो एरिया वहां पे मसाले बहुत ही अच्छे हैं और सस्ते हैं तुम्हें कम करता हूं की मैं कुछ लोगों के साथ एक कंपनी बना के वहां पे जाता हूं और ट्रेड स्टार्ट करता हूं इससे देश का काफी फायदा होगा और आपको कोई पैसा वगैरा नहीं लगाना आप बस ये जो कंपनी हमने बनाई है इसको अप्रूवल दे दो अब मोदी जी परमिशन तो दे दें उसके साथ-साथ ये भी का रहे हैं की ये देश के लिए काफी अच्छा रहेगा इसलिए उसे एरिया में इंडिया से तुम्हारी कंपनी के अलावा कोई और कंपनी नहीं जाएगी ताकि कंपटीशन आपस में ही ना हो साथ में मोदी जी ये भी कहते हैं की वहां पे तुम लोग जब जाओगे तो इतने बड़े लेवल पे ट्रेड करोगे आपको समाज वगैरा रखना होगा और उसे एरिया में आप जा के अगर ट्रेड वगैरा करोगे तो अपने हिसाब से आप कोर्ट के डॉ वगैरा भी बना सकते हो इतने ज्यादा लोग एक साथ कम करेंगे गलतियां होगी तो पनिशमेंट वगैरा भी आप दे सकते हो और जरूर पड़े तो ऑस्ट्रेलिया की जमीन जो है उसको भी उसे कर लेना और उनकी कंट्री का क्या लॉक कहता है इसके बड़े में ज्यादा मत सोचना जो होगा वो देख लिया जाएगा बस जाके हमारे इंडिया का फायदा करवाओ तो कुछ इसी तरीके से बहुत साड़ी पावर ईस्ट इंडिया कंपनी को भी दे दी गई थी अब ईस्ट इंडिया कंपनी को उसे एरिया में जाके ट्रेड करना था उसमें पैसा बहुत ज्यादा लगा था और रिस्क बहुत ज्यादा था और ब्रिटिशर्स उसे पर्टिकुलर टाइम पे इतने ज्यादा पैसे वाले नहीं थे तो उन्होंने कम किया उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को एक जॉइंट स्टॉक कंपनी की तरह बनाया मतलब की आपको कंपनी में कम करने की जरूर नहीं है आप बस कंपनी में पैसा लगाइए उसके स्टॉक ले जब कंपनी को प्रॉफिट होगा तो आप कोई प्रॉफिट मिलेगा ठीक इस तरीके से जी तरीके से अभी आप शेयर्स खरीदने हैं ठीक वही चीज ईस्ट इंडिया कंपनी का सिर्फ एक ही ऑब्जेक्टिव था की अपना मुनाफा करना और जिन शेर होल्डर ने इस पे पैसा लगाया था उनको प्रॉफिट बना के देना चाहे उसके लिए रूल टूटे हैं या किसी का नुकसान हो या ह्यूमैनिटी का नुकसान हो इससे उनको कोई मतलब नहीं था और ये लोग रूल वगैरा तोड़ने में भी झींझक नहीं रहे थे क्योंकि क्वीन का सपोर्ट था इन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी जो करने वाली थी इसमें काफी रिस्क था इसलिए इनको वर्कर्स भी नहीं मिल रहे थे तो इन्होंने शुरू में लंदन में जो न्यू गेट की जय थी वहां से लोगों को उठाया और कुछ लोगों के लंदन के बेड लैंप लुनेटिक एसाइलम से उठाया अब ये साड़ी चीज होने के बाद ये लोग शिव लेक इंडोनेशिया के पास मल्लू को आयरलैंड की तरफ निकलते हैं और शुरू में इनका इंडिया के अंदर जान का कोई प्लेन नहीं था मा को आयरलैंड पे स्पाइस स्टेट काफी होता था लेकिन जब ये लोग यहां पहुंचने हैं तो इस एरिया में स्पेनिश पुर्तगीज और बेस्ट स्टेटस पहले से ही ट्रेड कर रहे थे दुष्ट रडर की यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी उसे इंडिया की बहुत ही बड़ी कंपनी दी इनकी आर्मी बहुत बड़ी थी तो ईस्ट इंडिया कंपनी जब यहां पहुंचती है तो इनकी दाल गाल नहीं पाती है ऑलरेडी ये पर कम कर रहे थे उनको भाग दिया जाता है और ये लोग वहां से फिर वापस इंग्लैंड ए जाते हैं अब इसके बाद दोबारा से ये प्लेन बनाते हैं उसे एरिया में जान का लेकिन इस बार ये ट्राई करते हैं की इंडिया में जाएंगे अब इंडिया के अंदर जो पहुंच चुकी है वो एयर 1498 से ट्रेड कर रहे थे लेकिन उसके बाद भी ये डिसाइड करते हैं की इंडिया के अंदर जा के लोग ट्रेड करेंगे तो एयर 1608 को विलियम हॉकिंस जो ईस्ट इंडिया कंपनी की डेवलपमेंट बने थे उनको एक शिव दे दी जाति है जिसका नाम था हेक्टर और इस शिव को लेक 24 तक अगस्त 1608 को ये पहले बार इंडिया के सूरत में पहुंचने हैं अच्छा इससे पहले की मैं स्टोरी आगे कंटिन्यू करूं इंडिया की क्या सिचुएशन थी उसे टाइम पे थोड़ा सा वो बता देता हूं फिर कहानी पे वापस आएंगे उसे टाइम पे अगर साम्राज्य की बात करें इंडिया के अंदर तो मुग़ल का साम्राज्य था और मुग़ल पिक पे थे मैक्सिमम जगह पे इंडिया के अंदर मुगल स्काई रूल था ये उसे टाइम पे इंडिया था और ये जो ग्रीन वाला पार्ट है ये पूरा मुगल अंपायर था मैक्सिमम एरिया पे मुगलसरस कर रहे थे और नीचे जो कुछ एरिया था वहां पे बाकी राजा रूल कर रहे थे अभी तो पूरा मुगल अंपायर था इसको जो हेड करता था उसको बादशाह कहते थे और ये पूरा मुगल अंपायर 12 सबों में डिवाइडेड था जिसको प्रॉबिंस कहते थे जैसे आज की डेट में स्टेटस होते हैं दोस्तों इसी तरीके से वो डिवाइडेड था प्रॉमिस जो थे इनको सूबेदार यानी की गवर्नर हेड करते थे और गवर्नर का ये कम था जो लोकल पब्लिक वगैरा थी उनसे टैक्स वगैरा वो लेती थी और जो मुगल एंपरर था तो उसको देती थी तो इस तरीके से मुगल अंपायर की जो आर्मी वगैरा थी वो मेंटेन होती थी और जो ब्रिटेन था उसे टाइम पे इंडिया के कंपेरटिवली एक गरीब देश था उसे टाइम पे इंडिया को एक इंडस्ट्रियल पावर हाउस माना जाता था और एक दो एरिया की बात नहीं थी उसे टाइम पे पुरी दुनिया में टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर था इंडिया अभी जैसे चीन पुरी दुनिया की मैन्युफैक्चरिंग का 28% हिस्सा पैदा करता है उसे टाइम पे इंडिया अकेले 25% करता था अगर अभी भी आप ध्यान डॉग तो कई सारे क्लॉथिंग के जो नाम थे शॉल पैजामा खाकीज कमरबंद ये सब दुनिया भर में इस टाइम पर फेमस हुए थे और पूरे यूरोप की भी इकोनामी को आप जोड़ दो उससे भी बड़ी इकोनामी थी इंडिया की आज के स्टैंडर्ड से अगर हम कंपेयर करें तो 21 ट्रिलियन डॉलर के बराबर थी तो उसे टाइम पे इकोनामिक पावर तो था ही इंडिया इसके साथ-साथ मुगल जो थे वो भी बहुत पावरफुल थे तो इंडिया पूरे वर्ल्ड में उसे टाइम पे एक सुपर पावर की तरह था अब देखिए इंडिया ने पिछले 75 सालों में अपने आप को टेक्नोलॉजी में काफी आगे बड़ा करती है और हर चीज ऑनलाइन है जैसे की आधार कार्ड पान कार्ड और हजारों फायदेमंद गवर्नमेंट स्कीम्स अगर आप इन सब के बड़े में और जानना चाहते हैं तो अभी डाउनलोड करें सीखो अप सीखो एक ऐसा अप है जहां पर आधार और पेन जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट के साथ-साथ शेर मार्केट मोबाइल ट्रेक्स फोटोग्राफी ऑनलाइन बिज़नेस इंग्लिश स्पीकिंग यहां तक की ऑनलाइन लर्निंग और सोशल मीडिया पे गो करने से जुड़ी बहुत साड़ी बातें भी जान सकते हैं आज 50 लाख से भी ज्यादा यूजर्स सीखो अप से रोज कुछ नया सिख रहे हैं तो आप भी इसे इंस्टॉल करके सीखना शुरू कीजिए सीखो आपका पूरा फायदा उठाने के लिए आप सीखो प्लस मेंबर बन सकते हैं और उसके लिए आपको पूरे पैसे देने की जरूर नहीं है आप उसे कर सकते हैं मेरा स्पेशल कूपन कोड नर 49 जिससे आपको सीखो अप 199 की जगह सिर्फ 49 रुपए में मिल जाएगा आज ही डाउनलोड करें सीखो यार और रहे टेक्नोलॉजी की रेस में सबसे आगे तो टॉपिक पे वापस आते हैं 24th ऑफ अगस्त 1608 को विलियम हैकिंग इंडिया के सूरत में पहुंचने हैं सूरत में पहुंचने के बाद विलियम को समझ में ए गया था की यहां पे ऑलरेडी स्टेटस है इनकी मुगल से अंडरस्टैंडिंग काफी ज्यादा है और ये काफी टाइम से ट्रेड कर रहे हैं और विलियम को यह भी समझ में ए गया की अगर यहां भी ट्रेड करना है तो मुगल जो है उनको इंप्रेस करना होगा उनकी परमिशन लेनी होगी और उसे टाइम पे आगरा जो था वो कैपिटल था इंडिया का और वही से सारे अप्रूवल वगैरा मिलते थे तो विलियम सूरत से उठ के सीधे आगरा पहुंचने हैं और जैसे तैसे करके जहांगीर से बात करने की कोशिश करते हैं और जहांगीर को इंप्रेस करने के लिए काफी चापलूसी भी करते हैं जैसे ये थे गोरे लेकिन ये अफगान ड्रेस पहन के गए वहां पे और टूटी-फूटी तुर्किश लैंग्वेज में बात करने की कोशिश कर रहे थे और कई तरीके के गिफ्ट्स भी लेकर गए थे अब पहले चीज जो मुगल थे वो ब्रिटिश है उसके साथ कम करके पहुंच चुकी है स्टेटस को नाराज नहीं करना चाहते थे और दूसरी चीज मुगल टीचर्स को काफी गवार और असर भी समझते थे तो इनको बिल्कुल भी एंटरटेन नहीं किया बस जब ये जा रहे थे विलियम तो इनको एक आर्मेनिया क्रिश्चियन वाइफ को गिफ्ट कर दिया था इसके बाद एक बार और ये लोग शिव लेक सूरत आते हैं लेकिन लोकल ऑफिशल जो थे सूरत के उन्होंने पुर्तगाल स्ट्रेडर के डर से इनको वापस भेज दिया इधर ईस्ट इंडिया कंपनी की जो ऑफिशल थे वो ट्राई कर रहे थे की कुछ बात बन जाए मुगल से और उधर डिटेल में 24th ऑफ मार्च 16 03 क्वीन एलिजाबेथ फर्स्ट की डेथ हो जाति है और से दे ब्रिटेन के नए किंग बनते हैं किंग जेम्स इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के जो डायरेक्टर थे वो किंग जेम से मिलते हैं और उनसे रिक्वेस्ट करते हैं की अगर वो ऑफिशल डिप्लोमेट भेजेंगे तो उनकी बात ज्यादा सीरियसली ली जाएगी और हो सकता है उनका कम बन जाए किंग जेम्स जो थे वो इस बात को मां जाते हैं और 18 टॉप सितंबर 16 15 को अपना एक ऑफिशल एम्बेसडर सर थॉमस रो को शिव से सूरत बेचते हैं सर थॉमस एक स्मार्ट आदमी था उसने विलियम हॉकिंस की तरह गलतियां नहीं की वो जहांगीर से जाके मिला और उसने जहांगीर को इंग्लैंड से ट्रेड करने के फायदे समझे उसने समझाया की जब ईस्ट इंडिया कंपनी यहां पे आके ट्रेड करेगी तो सालाना आपको पैसा देगी ट्रेड करने का इससे आपका भी फायदा होगा जहांगीर को थॉमस की बात समझ में आई है और 3 साल लगातार ट्राई करने के बाद जहांगीर एक शाही फरमान जारी करते हैं जिसमें लिमिटेड एरिया में ईस्ट इंडिया कंपनी को ट्रेड करने के लिए अलाउ किया जाता है और इसके बदले में ईस्ट इंडिया कंपनी साल का पैसा देगी तो सबसे पहले सूरत में फैक्ट्री खोलना को अलाउ करते हैं विद लिमिटेड ट्रेडिंग राइट्स अब इसके बाद सर थॉमस इंग्लैंड वापस आने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी डायरेक्टर थे इनको समझते हैं की मुगल काफी स्ट्रांग है इसे लड़ाई करना कोई ऑप्शन नहीं है इसलिए तुम अंदर लैंड में घुसने की बजे जितने भी सी पोर्ट्स हैं उनकी थ्रू अपना ट्रेड करो और इंडिया से सस्ते में समाज खरीद के यूरोप में महंगे में बीछो तो ईस्ट इंडिया का कम जो था वो इंडिया के अंदर स्टार्ट तो हो गया था लेकिन इनके एंबिशियस बहुत बड़े-बड़े थे तो इन्होंने गोलकुंडा के सुल्तान से बात करके आंध्र प्रदेश के मछली पटना में परमिशन लेकर दूसरी फैक्ट्री खोल ली इसके बाद यह 1620 में पटना में तीसरी कंपनी कोली लेकिन वो चली नहीं तो 1 साल में बैंड करना पड़ा उसको ईस्ट इंडिया कंपनी को शुरू में इंडिया के अंदर ऑप्शंस कब मिल रहे थे लेकिन आने वाले 20 साल तक इनको जहां-जहां भी मौके मिले इन्होंने अपना जो ट्रेडिंग का वॉल्यूम था वो बहुत तेजी से बड़ा है और जी एरिया में थे वहां पे अपनी पकड़ बहुत मजबूत कर रहे थे क्योंकि जहां जहां पे ये लोग ट्रेड स्टार्ट कर रहे थे वहां पे डेवलपमेंट भी हो रहा था तो लोग भी उसे एरिया में ज्यादा सेटल हो रहे थे इसके बाद साल आता है 1640 और तब तक ही अपने पर काफी जमा चुके थे इनको रिलाइज हुआ की विजयनगर अंपायर्स जो है वो काफी कमजोर हो रहा है तो ये लोग अभी तक तो कहानी भी लड़ाई वगैरा नहीं करते थे बस एरिया देख के राजा को अलग-अलग तरीके से लालच देते थे और ट्रेड करने का ऑप्शन देखते हैं तो से इन्होंने विजयनगर के राजा के साथ भी कोई लड़ाई झगड़ा नहीं किया उनको कन्वेंस कर की उनका कैसे फायदा हो सकता है और उसे एरिया में जाके ट्रेड करने की बात कारी और फायदे की बात सुनकर राजा ने इनको तीन माइल्स लौंग एक एरिया दे दिया और ये जो एरिया था एक फिशिंग विलेज था जिसको मद्रास पटनम कहते थे देखिए राजा एरिया इसलिए देते थे क्योंकि इतने सारे आदमी इंवॉल्व होते थे ट्रेड करने में तो एक एरिया डिसाइड करके उनके रहने वगैरा जो इंतजाम होता था उसे सेपरेट कर दिया जाता था ताकि आम जनता को इशू ना हो तो जब इनको यहां पे एक एरिया मिला तो इन्होंने केले वगैरा भी बना लिए थे और उसके पीछे रीजन ये दिया था की इतना समाज वगैरा यहां पे राहत है तो उसकी सिक्योरिटी के लिए किला बनाना बहुत जरूरी है और इस एरिया में जो फोल्ड बनाया था उसको ब्रिटिश से नाम दिया था फोर्ट सेंट जॉर्ज और फिर इसी एरिया में कुछ पार्ट और जुड़ा और आगे चल के इसका नाम मद्रास पड़ा तो कई सालों तक यहां ट्रेड किया इन्होंने उसके बाद एयर आता है 1662 और उसे टाइम के इंग्लैंड के राजा थे कर सेकंड उन्होंने पुर्तगाल क्वीन कैथरीन से शादी की तो दहेज में एक आयरलैंड मिलता है इनको इंडिया के अंदर जी पर पहुंच चुकी है इसका कब्जा था इस आयरलैंड को मुंबई बोला जाता था जैसे आज मार्केट में हम लोग मुंबई बोलते हैं और जब यह एरिया ब्रिटेन को दहेज में मिलता है तो ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए बड़ा आसन था यहां पे ट्रेड करना तो इस तरीके से मुंबई भी ईस्ट इंडिया कंपनी के पास ए जाता है अब ब्रिटिश जो थे वो ट्रेड करके काम तो रहे थे लेकिन सब सी पोर्ट पे ही ट्रेड कर रहे थे क्योंकि मुगलसिन को घुसने नहीं दे रहे थे सही से टाइम पे बंगाल का जो एरिया था इंडिया के अंदर उसमें आज के टाइम का उड़ीसा बंगाल बांग्लादेश और बिहार आता था ये एरिया उसे टाइम पे इंडिया में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे प्रॉस्परस इलाकों में आता था फसल बहुत ही अच्छी पैदा होती थी और ढाका की टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग तूफान पे थी उसे टाइम पे तो यही रीजन था की ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से ही बंगाल में ट्रेड करने के सपना देखते थी और आगे चल के यही चीज इंडिया की हिस्ट्री को बादल के रख देती है तो उसे टाइम पे बंगाल सुबह का जो गवर्नर था शाइस्ता खान जो की मुगल एंपरर औरंगज़ेब का मामा था और ईस्ट इंडिया कंपनी को ज्यादा पसंद नहीं करता था तो स्पेशली इनको मनाने के लिए बंगाल के अंदर अच्छे से ट्रेड कर पे ईस्ट इंडिया कंपनी विलियम हेगर्स को भेजती है और विलियम काफी हद तक कामयाब भी होते हैं इस चीज में और एग्रीमेंट वगैरा करके छोटे लेवल पे ट्रेड भी स्टार्ट हो जाता है ईस्ट इंडिया का बंगाल के अंदर अब होता क्या है की एयर 1681 में ईस्ट इंडिया कंपनी का डायरेक्टर चेंज होता है जिसका नाम था जोशीय चाइल्ड तो ये जोशी चाइल्ड थोड़ा अर्जेंट था तो इससे पहले विलियम ने जो एग्रीमेंट वगैरा कर रहे थे ट्रेड शुरू करवाया था बंगाल के अंदर उसको ये सही से फॉलो नहीं करता था और इस चीज को लेकर बंगाल का जो गवर्नर था वो काफी खुश नहीं था तो उसने टैक्स को 2% से बड़ा के 3.5% कर दिया था जोशी या चाइल्ड थोड़ा अकडू किम का था उसने इसको माने से माना कर दिया और धमकी भी दी की अगर इस तरीके से आप टैक्स वगैरा बढ़ाओगे तो हम टैक्स भी नहीं देंगे और चिता गांव को भी कैप्चर कर लेंगे लेकिन जो गवर्नर था वो इनकी सुनता नहीं है और टैक्स अप्लाई कर देता है और ये साड़ी चीज एयर 1686 में चल रही है और जोश या इतना ज्यादा गुस्सा हो जाते हैं की इस चीज को लेक वो अटैक करने की सोचते हैं और लंदन से 19 वरशिप 200 कैनंस और 600 बुला के मुग़ल के ऊपर अटैक कर देते हैं ये पहले बार हुआ था जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने लालच या फिर धोखाधड़ी के अलावा डायरेक्ट वार कारी थी लेकिन मुगल बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग थे उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी को बुरी तरीके से हर दिया और इनके जो लोग कम करते थे उनको सूरत ढाका में कैदी बना दिया था और जो इनकी फैक्टरीज थे हुगली पटना का सिंबाजार मसूलिपटनम और विशाखापट्टनम में इन साड़ी फैक्टरीज को अपने कब्जे में कर लिया और सूरत की फैक्ट्री को बैंड कर दिया और बॉम्बे में ये जो ट्रेड कर रहे थे उसे पे कब्ज कर लिया और ये वो टाइम था जब ईस्ट इंडिया कंपनी को समझ में ए गया था की उन्होंने बहुत ही भारी गलती कर दी है इतने सालों की मेहनत उनकी सब पानी में चली गई थी लेकिन बहुत शातिर थे इन्होंने एगो नहीं दिखाए बल्कि माफी मांगना चालू किया यहां तक की पैरों तक में पद गए कई सालों तक माफी मांगी ये उसे टाइम की फ्रेंच पेंटिंग बनी थी जिसमें औरंगज़ेब से माफी मांग रहे हैं अब मुग़ल को भी जो ट्रेड से टैक्स का पैसा आता था उसकी आदत ग चुकी थी और फिर इसके कुछ साल बाद यह 1690 में इनको माफ कर दिया जाता है लेकिन 1.5 लाख का जुर्माना लगा दिया जाता है और इस पर्टिकुलर टाइम के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी चुपचाप कई सालों तक ट्रेड करती रहती है और सही टाइम का वेट करती है अब साल आता है 1707 और इस साल औरंगज़ेब की जो है वो डेथ हो जाति है अब इनकी डेथ के बाद मुगल एंपरर जो था वो बहुत वीक बाढ़ जाता है और बैक तू बैक एंपरर चेंज हो रहे थे औरंगज़ेब के बाद आज हम मुगल अंपायर बने वह फिर कुछ टाइम फिर वह मुगल एंपरर बने फिर झंडेर शाह और उसके बाद फिर फारुख सियार एंपरर बने अगले 10 साल तक यही सब चला राहत है और मुगल अंपायर बहुत ही ज्यादा वीक हो गया होता है अब इसके बाद ये राहत है 17 17 और उसे टाइम पे मुगल एंपरर थे फारूक अब जैसे की मैंने बताया था की ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से ही बंगाल के अंदर ट्रेड करना चाहती थी क्योंकि यहां से ट्रेड करके लोग बहुत ज्यादा कमाते थे अब इस चीज के लिए इन्होंने एंपरर फारुख को बैक तू बैक गिफ्ट भिजवाना चालू किया और एक विलियम हैमिल्टन ईस्ट इंडिया कंपनी का एक सजन था उसने फारुख की कोई बीमारी भी सही कर दी थी अब इस चीज से फारुख जो था वो बहुत ही इंप्रेस हुआ और ईस्ट इंडिया कंपनी की रिक्वेस्ट पे फारुख ने बंगाल के सूबेदार यानी गवर्नर को फरमान भेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी फ्री ट्रेड करेगी मतलब की जो इंपोर्ट और एक्सपोर्ट होंगे उसके ऊपर अलग से टैक्स नहीं जाएगा जो सालाना टैक्स ज्यादा था वो जाएगा मतलब की जो इंपोर्ट एक्सपोर्ट समाज इधर से उधर जो जाता है उसे पे टैक्स नहीं लगेगा अब वो फ्री में करेंगे लेकिन जो एनुअल टैक्स ज्यादा था उसकी पेमेंट जो 3000 रुपए थी वो ही देते रहेंगे इसको 10 तक भी कहा जाता था उसे टाइम पे तो ईस्ट इंडिया कंपनी के ऑफ फैक्ट्री थे उनको यह भी परमिशन मिल गई थी की बिना किसी चेकिंग के इधर से उधर समाज ट्रांसफर कर सकते थे बंगाल के जो गवर्नर थे उनको ये साड़ी चीज ठीक नहीं ग रही थी लेकिन वो मुगल अंपायर से जुड़े हुए थे तो उनको मानना पड़ा अब देखिए जैसे मैंने शुरू में बताया था की पूरा मुगल अंपायर जो था वो सुबह में बताता यानी की प्रॉब्लम्स में बता हुआ था और हर सुबह यानी प्रोविंस को गवर्नर संभालते थे तो जब मुगल अंपायर वीक पढ़ने लगा और राजा टिकते नहीं थे तो इनमें से कई सारे सुबे थे वो मुगल अंपायर से अलग हो गए यानी की इंडिपेंडेंस होके ऐसा किंगडम ऑपरेट करने लगे और जो गवर्नर थे वो अपने आप को नवाब बना लिया था उन्होंने अब ऐसे ही बंगाल के जो गवर्नर थे उन्होंने भी खुद को इंडिपेंडेंस कर दिया था नवाब घोषित कर दिया था लेकिन उसके बाद भी वो मुगल अंपायर जो था पूरा उसको टैक्स देते थे जैसे बाकी कुछ थे सुबह उन्होंने टैक्स देना तक बैंड कर दिया था तो टैक्स बैंड होने की वजह से जो मुगल अंपायर था वो फाइनेंशली वीक हो रहा था और इसी बीच में जो मराठा सिख थे उन्होंने भी मुग़ल के ऊपर अटैक किया और काफी सर एरिया जो था वो अपने पास रख लिया था और इसके साथ-साथ डेली के आसपास मुगल आर्मी के पस्तूं मर्सिडीज़ रूही लास्ट है उन्होंने अपनी खुद का किंगडम बना लिया था ऐसे कर करके सारे छोटे-छोटे किंगडम गए थे यह 1707 में औरंगज़ेब की जब डेथ हुई थी तो उससे पहले ये मैप था और करने के बाद आगे चल के इतने मुगल रूल एरिया बच्चे थे मुगल का पूरा खजाना खाली हो गया था मुगल अंपायर के पास रिवेन्यू का एक ही सोर्स बच्चा था वो था बंगाल सिर्फ बंगाल से ही टैक्स रिवेन्यू हुआ था बाकी सब जगह से बैंड हो गया था और वो सब इंडिपेंडेंट कम कर रहे थे अपना अब इसके बाद होता क्या है की एयर 1756 में बंगाल के जो नवाब थे आ अली वर्दी खान इनकी डेथ हो जाति है और बंगाल के नए नवाब बनते हैं सिराजुद्दौला ये काफी स्ट्रीक रोलर थे इनको ब्रिटिशर्स की एक्टिविटीज से बहुत ज्यादा दिक्कत थी इनकी में तीन दिक्कतें थी पहले तो ये थी की ये ईस्ट इंडिया कंपनी है ये बंगाल के अंदर अपने मां मुताबिक ट्रेड के नाम पे जगह-जगह पे केले बना रही थी दूसरी दिक्कत ये थी की मुगल एंपरर को ईस्ट इंडिया कंपनी खोज कर करके गिफ्ट पहुंच पहुंच के पॉलिसीज का गलत उसे कर रही थी और तीसरी दिक्कत ये देखिए जो पूरा बंगाल अंपायर था उसके अंदर जो ऑफिशल थे जिनको सिराज भाग देते थे या फिर जो बागी हो जाते थे उनको ईस्ट इंडिया कंपनी अपने पास रख लेती थी अब इन सब चीजों को लेकर सिराज ने ईस्ट इंडिया कंपनी को कई बार समझाया है लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी नहीं मानती है तो एक दिन सिराज क्या करते हैं ये 30000 सोल्जर की आर्मी को लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी की जो फैक्ट्री थी कोलकाता के अंदर उसे पे कब्जा कर लेते हैं और उनके जो वर्कर थे उनको एक कल कोठरी जहां पे अंधेरा था बिल्कुल वहां पे बैंड कर देते हैं और नेक्स्ट दे उनकी डेथ हो जाति है और इसके साथ-साथ ये जो फोर्स वगैरा बनाए थे ब्रिटिशर्स ने उनको ये सब अपने कंट्रोल में ले लेते हैं अब बंगाल जो था वो ईस्ट इंडिया कंपनी शुरू से अपने कंट्रोल में रखना चाहती थी और सिराज ने जो झटका ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था वो पहले बार ईस्ट इंडिया कंपनी को मिला था इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी कभी लालच डीके कभी चापलूसी करके कुछ गिफ्ट भिजवा के पैसे का उसे करके अपना कम निकाल लेती थी लेकिन यहां पे पहले बार ऐसा हुआ था जब ईस्ट इंडिया कंपनी को डायरेक्ट लड़ाई में उतारना पड़ा तो साउथ में जो ईस्ट इंडिया कंपनी जहां पे वासी हुई थी वहां से रॉबर्ट क्लाइव जो थे उनको भेजती है की ये जो सिराज ने किया है इसको वहां पे जाके आप सही करके आओ क्योंकि ये बहुत ही मुनाफे वाली जगह है तो इसको हम छोड़ नहीं सकते और यहां पे भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने डायरेक्ट लड़ाई करने की बजे काफी पॉलिटिक्स खली मीर जफर जो सिराज के आर्मी कमांडर थे वो खुद राजा बन्ना चाहते थे अब दूसरी चीज वहां पे एक जगह सेट करके एक आदमी था वो बहुत ही रिश्ता स्टोन वगैरा देता था तो जिसको डर था की सिराज शायद उसपे हमला कर देगा तो इन दोनों से रॉबर्ट क्लाइव मिलते हैं और दोनों से मिल के लालच वगैरा दे के अपनी तरफ कर लेते हैं जैसे मीर जफर को कहा की ये लड़ाई खत्म होने के बाद उनको राजा बना दिया जाएगा और जगत से जो थे वो इस पुरी लड़ाई में जितना भी पैसा ग रहा था वो साड़ी फंडिंग की जगह सेट कर रहे थे और इसके बाद डेट आई है 23rd ऑफ जूम 1757 और अवार्ड शुरू होती है पुरी लड़ाई में सिराज के कमांडर मीर जफर बैकफुट पे थे और एक दिन लड़ाई के टाइम पे बारिश हो जाति है ब्रिटिशर्स तो अपने वेपंस को कर कर लेते हैं लेकिन सिराज के वेपन जो थे वो भीगी जाते हैं जिसकी वजह से वो कम नहीं करते हैं और यही मौका देखकर मीर जफर जो थे वो फौजी को पीछे खींच लेते हैं और ईस्ट इंडिया कंपनी जीत जाति है और अपने वादे के हिसाब से मीर जफर को ईस्ट इंडिया कंपनी नवाब बना देती है बंगाल का अब देखिए लेकिन मीर जफर को नवाब इसलिए नहीं बनाया था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने वादे की बहुत पक्की थी क्योंकि वादे तो उन्होंने हजारों बार तोड़े थे ये चीज वो इसलिए करते थे क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी की एक पॉलिसी थी की कहानी पे भी खुद रूल नहीं करते थे बल्कि अपना एक पपेट राजा बनके बैठा देते थे और उसे पपेट राजा के थ्रू ये लोग अपने ट्रेड की पॉलिसीज वगैरा चेंज करते थे और जितना भी रिवेन्यू सिस्टम राहत था वह सब ले लेते थे कल मिलकर साड़ी रिसोर्सेस और पैसे पे इनका कंट्रोल राहत था और लोगों को संभालने के लिए लोग राजा रख देते थे क्योंकि अगर यह खुद राज करते थे उनको पूरे राज्य का एडमिनिस्ट्रेशन संभालना पड़ता है जिसमें बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं थे आज इसने चोरी कर दी कल को उसने इसको मार दिया और वैसे भी अगर रातों रात को एक गोरा अगर राजा बैंक बैठ जाएगा तो ये भी हो सकता है जो वहां की लोकल जनता है वो रिवॉल्ट भी कर शक्ति है तो इन साड़ी चीजों से बचाने के लिए हमेशा ही लोग अपना पपेट राजा बैठे थे खुद रूल नहीं करते थे डिटर्जेंट अपना सर पैसा और फॉक्स उसे पर्टिकुलर एरिया का जो रिसोर्सेस थे और जो पैसा था और जो टैक्स था उसको ल के अपनी तरफ लाने में रखते थे ल ये जो शब्द है जो अभी आप डिक्शनरी में पढ़ने हो ये इस टाइम पे आजाद हुआ था दे टीचर्स की वजह से अब इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी है बंगाल पे फाइन लगाया तीन करोड़ अभी के हिसाब से आप देखोगे तो 3000 करोड़ के करीब होगा ईस्ट इंडिया कंपनी जहां भी लड़ाई करती थी या फिर लड़ाई में इंवॉल्व होती थी तो उसे पे फाइन लगती थी उनका ये कहना था की तुम्हारी बेवकूफी की वजह से लड़ाई करनी पड़ी है और इस लड़ाई में हमारा इतना खर्चा हुआ है तो ये जो पैसा है ये आपको देना पड़ेगा ये सर पैसा ही ख़ज़ाने से या फिर टैक्स रिवेन्यू सिस्टम नहीं होता उसमें से निकलते थे ईस्ट इंडिया कंपनी कई तरीके से एग्रीमेंट करवाती थी और एग्रीमेंट ना पूरा होने पर टैक्स के ऊपर पूरा कंट्रोल ले लेती थी इस पुरी लड़ाई को बैटल ऑफ प्लासी कहा जाता है और इस लड़ाई के बाद ब्रिटिर्स को समझ में ए गया था की असली कमाई तभी हो पाती जब पॉलीटिकल कंट्रोल होता है क्योंकि जब इनके पास पॉलीटिकल कंट्रोल आया तो पूरा का पूरा टैक्स इनके पास ए रहा था और जी तरीके से ट्रेड करना चाहते थे उसे तरीके से कर रहे थे तो इसके बाद ब्रिटिशर्स ने पैसे वगैरा देखिए लोकल लोगों को भी अपनी आर्मी में रखा और इंग्लैंड से और आर्मी भी मंगवा और पैसे उनके पास जरूर से ज्यादा हो गया था तो जहां पे जरूर पड़ती थी वहां पे राजा वगैरा को पैसे देकर अपनी तरफ कर लेते थे बैटल ऑफ प्लासी के बाद ये सर जो एरिया था ये ब्रीडर्स के कंट्रोल में ए गया था अब इसके बाद एयर आता है 1764 और उसे टाइम पे जो ब्रिटिशर्स ने बंगाल का नवाब बना के रखा था उनके ऊपर भी आम जनता से बहुत प्रेशर आने लगा था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी बहुत ज्यादा पैसे और रिसोर्सेस ले रही थी बंगाल का तो इससे लोगों का भी बहुत प्रेशर बन रहा था तो इन साड़ी चीजों की वजह से बंगाल के जो नवाब थे वो अवध के नवाब और मुगल एंपरर ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई शुरू कर देते हैं इसको बैटल ऑफ बक्सर भी बोला जाता है लेकिन उम्मीद कर रही थी इन्होंने बिहार उड़ीसा और बंगाल से इतना ज्यादा टैक्स कलेक्ट किया की कुछ बच्चा ही नहीं और 1770 में बिहार और बंगाल में काल पद गया था 70 लाख से 1 करोड़ लोगों की डेथ हो गई थी अब आप बोल सकते हो की काल तो नेचर की वजह से होता है लेकिन इसका में रीजन जो था उसके पीछे ईस्ट इंडिया कंपनी की एग्रेसिव पॉलिसी थी और जब इस भुखमरी से लोग मा गए थे तो जो मारे हुए लोग थे उनका जो टैक्स बंता था वो जिंदा लोग जो थे उनसे कलेक्ट किया गया और जो गेहूं वगैरा भी बच्चा था उन सबको भी अपने पास रख लिया लोग भुखमरी से मारे हैं उसे एरिया में बंगाल जो था वो इतना प्रॉस्परस रीजन था इन्होंने ल ल के वहां पे भुखमरी फैला दी थी और लूटने के बाद ये सर पैसा जो ईस्ट इंडिया कंपनी थी आराम से ब्रिटेन में पहुंच देती थी और खुद और स्ट्रांग डिबेट होते जा रही थी बैटल ऑफ बक्सर के बाद ये सब एरिया ब्रिटिश के कंट्रोल में ए गया था नॉर्थ इंडिया में पुरी तरीके से बीड्स का कब्जा हो चुका था लेकिन इनकी ग्रेट जो थी वो खत्म नहीं हो रही थी बाकी जो साउथ का एरिया था वहां पे भी कैसे कब्ज किया जाए वहां का जो ट्रेड है उसको भी अपने कंट्रोल में कैसे लिया जाए इन सब चीजों में इनका दिमाग चल रहा था तो देखिए ये जो है ये है मैसूर और ये जो सी इसको मालाबार कास्ट कहते हैं और यहां से ट्रेड होता था और मैसूर के जो राजा थे वो इस पे कंट्रोल करते थे और इस एरिया पे और ये जो पोर्ट है जो मैंने मालाबार कास्ट बताया इस पर ब्रिटिश की नजर थी मैसूर के राजा थे हैदर अली और उनके बेटे थे टीपू सुल्तान ये लोग ईस्ट इंडिया कंपनी की कोई भी एक्टिविटी मैसूर के एरिया में नहीं चलने देते थे और इन साड़ी चीजों की वजह से जो ईस्ट इंडिया कंपनी थी वो मालाबार कास्ट से ट्रेड नहीं कर का रही थी अब इसके पीछे एक तो रीजन ये था की जो मैसूर का किंग था उसको ईस्ट इंडिया कंपनी की हरकतों के बड़े में पता था और दूसरी चीज ये थी की इस कास्ट से जो मालाबार कास्ट था यहां से राजा फ्रेंच कंपनी के साथ ट्रेड करता था तो वहां पे कनफ्लिक्ट होता इसलिए ब्रिटिशर्स को ये लोग दूर रखते थे और यही साड़ी चीजों की वजह से 1761 में वार हुई मैसूर किंगडम में और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में इसमें हैदर अली ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बुरी तरीके से हर दिया फिर 17-18 में फिर से वो इसमें फ्रेंच ने भी मदद की थी तो हैदर अली उनके बेटे थे टीपू सुल्तान और इस वार के बीच में हैदर अली की डेथ हो जाति है तो उसके बाद टीपू सुल्तान राजा बनते हैं और एयर होता है 1783 अब क्योंकि ये सर लड़ाई के बीच में हुआ था तो पर्टिकुलर लड़ाई में टीपू सुल्तान के हाथ से काफी एरिया निकाल जाता है जो की ईस्ट इंडिया कंपनी को चला जाता है उसके बाद एग्रीमेंट हो जाता है लेकिन टीपू सुल्तान को पता था की ये लड़ाई जो ईस्ट इंडिया कंपनी से है ये दोबारा फिर से होगी और इस बार वो तैयारी करना शुरू कर देते हैं टीपू सुल्तान एक मॉडर्नाइज टेक्नोक्रेट थे वो फ्रेंड्स से नए-नए वेपन इंपोर्ट करने लगे और अपनी आर्मी को काफी मॉडर्नाइज किया और इधर ईस्ट इंडिया कंपनी भी प्लेन कर रही थी टीपू सुल्तान के ऊपर अटैक करने का और इस बार जब अटैक करती है ईस्ट इंडिया कंपनी मराठा और हैदराबाद के निजाम थे उनसे सपोर्ट लेती है और उसके बाद हमला करती है मैसूर किंगडम की जो सबसे बड़ी सिटी थी उसे पे कब्जा कर लेती है और टीपू सुल्तान की जो दोनों बच्चे थे उनको अपने पास रख लेती है और उसके बाद इस इंडिया कंपनी कहती है की जब तक टीपू सुल्तान आधा साम्राज्य ईस्ट इंडिया कंपनी को नहीं दे देंगे और यह जो बार-बार इनको लड़ाई करनी पद रही है इसका जो फाइन है 3 करोड़ रुपए यानी की आज के हिसाब से ₹3.5 हजार करोड़ होगा जितना फाइन अगर नहीं दे देती है तब तक बच्चों को वो नहीं छोड़ेंगे लेकिन टीपू सुल्तान इन साड़ी बटन में से कोई सी भी बात नहीं मानते हैं और मदद वगैरा के लिए कई जगह पे बात भी करते हैं अपने आसपास के किंगडम में लेकिन नहीं बंटी है और इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी फाइनल अटैक करती है और उनकी डेथ हो जाति है ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान के ख़ज़ाने से लगभग 2 मिलियन यूरो आज की डेट का अगर हम हिसाब लगाया तो 1800 करोड़ का गोल्ड होगा ये लिया था ज्वेलरी बाकी वैल्युएबल आइटम ल है इसके बाद और 18 03 में ईस्ट इंडिया कंपनी है मुगल कैपिटल दिल्ली पे भी कब्ज कर लिया और तब तक मुगल सल्तनत एकदम खत्म भी हो चुका था बादशाह के पास अब कोई इनकम नहीं बच्ची थी क्योंकि पूरा रिवेन्यू जो था वो ईस्ट इंडिया कंपनी के पास जाता था और दिल्ली पे भी अपना कंट्रोल लेने के बाद मराठा जिनकी मदद लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान को हराया था उनके ऊपर भी अटैक कर देती है और मल्टीपल वार होती है मराठा किंगडम और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच में और फाइनली ईस्ट इंडिया कंपनी मराठा किंगडम पे भी कब्ज कर लेती है इसके बाद आगे चल के सिख अंपायर में भी कब्जा कर लेती है कई साड़ी लड़ाई यहां पे भी होती है एयर 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स इंट्रोड्यूस किया की इस डॉक्टर इन के मुताबिक अगर कोई इंडियन रोलर की डेथ हो जाति है तो वो ऑटोमेटिक के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी कंट्रोल में ए जाएगा अगर उसका कोई मेल वारिस नहीं है तो और इस रूल की वजह से उदयपुर झांसी और अवध जैसे किंगडम जो थे वो भी कंपनी के कंट्रोल में ए गए थे और ऐसे कर करके ईस्ट इंडिया कंपनी ने पूरे इंडिया पे कंट्रोल ले लिया था और ऐसा भी नहीं था की ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिर्फ इंडिया में ही गड़बड़ कारी थी ये लोग अपने देश ब्रिटेन में भी गड़बड़ कर रहे थे ईस्ट इंडिया कंपनी के बाद इतना ज्यादा पैसा ए गया था की इन्होंने ब्रिटिश पार्लियामेंट के अंदर भी काफी नजदीकियां बधाई रॉबर्ट क्लाइव जैसे लोगों ने इंडिया से पैसा ल ल के ब्रिटिश का जो पार्लियामेंट था वहां की सीट है और वहां के एनपीएस दोनों को खरीदना शुरू किया और पैसा मिला के इन्होंने गवर्नमेंट के साथ मिल्क कई सारे प्रोजेक्ट अपने हिसाब से चलवाए लेकिन धीरे-धीरे ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी यह चीज समझ में आने लगी और कुछ टाइम के बाद कंपनी के ऊपर पार्लियामेंट्री इन्वेस्टिगेशन बैठ जाति है और कंपनी के ऊपर इनसाइड ट्रेडिंग और ब्रेवरी के कैसे लगता हैं और इस कंपनी को हटा दिया जाता है अब इसके बाद और 1858 में ब्रिटिश गवर्नमेंट गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट लेक आई है जिसके बाद इंडिया जो था जिसको ईस्ट इंडिया कंपनी इधर-उधर तरीके से ट्रेड कर रही थी इंडिया को ब्रिटिश अंपायर का पार्ट बना देती है अब इस एक्ट के आने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की जो पावर थी उनको खत्म कर दिया गया अब डायरेक्टली जो ब्रिटिश गवर्नमेंट थी वो इंडिया को कंट्रोल कर रही थी और ब्रिटिश क्राउन ने इंडिया के पूरे एडमिनिस्ट्रेशन को टेकओवर कर लिया और इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की जितनी भी टेरिटरी थी रिवेन्यू पोसेशंस सब कुछ ब्रिटिश काउंट के अंदर में ए गया था देखिए अगर शॉर्ट में समझाऊं तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक प्लेन तरीके से ढाका डाला था इन्होंने जितनी भी जीत हासिल कारी सब धोखेबाजी रिश्वत और फर्जी डॉक्यूमेंट बनके करें जिनके साथ भी एलियंस किया इन्होंने उनको खुद ही बाद में जाके मारा पहले ईस्ट इंडिया कंपनी आई जब पूरा प्लेटफॉर्म तैयार हो गया तो ईस्ट इंडिया कंपनी को हटा दिया गया और ब्रिटिश गवर्नमेंट पिक्चर में ए जाति है और वो फिर इंडिया के ऊपर कंट्रोल करती है इंडियन इकोनॉमिस्ट उस्ताद पटनायक की एनालिसिस के हिसाब से ईस्ट इंडिया कंपनी और उसके बाद ब्रिटिश सरकार ने इंडिया की वेल्थ से 45 ट्रिलियन लगभग 200 साल में लूट अगर इसको आज के कॉन्टेक्स्ट में देखा जाए तो ब्रिटेन की अब की जीडीपी जो है वो तीन ट्रेलर की है ईस्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश गवर्नमेंट ने इंडिया की वेल्थ को तो लुटे साथ में इंडिया की जो फॉरेन एक्सपोर्ट अर्निंग आई थी उनको भी लंदन भेजना चालू कर दिया था अब इन साड़ी वजह से इंडिया के पास मशीनरी कोई टेक्नोलॉजी इंपोर्ट करनी हो इन सब के लिए ₹1 भी नहीं बचता इंडिया अपने आप को प्राइस नहीं कर पाया ब्रिटिशर्स ने बहुत ही भारी ल मचाई इंडिया के अंदर ये अपने आप में बहुत ही शॉकिंग है की एवं आज की डेट तक जिला एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को कलेक्टर बोला जाता है ये ब्रिटिशर्स के टाइम पे कलेक्टर शब्द उसे होता था जिन्होंने टेक्स्ट ले लेकर भुखमरी पर लाकर खड़ा कर दिया था ईस्ट इंडिया कंपनी ने खली ल की लेकिन एक बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से पहले इन्होंने आम जनता का टैक्स बढ़कर तीन गुना कर दिया फिर उनके ही टैक्स के पैसे से उनका ही समाज खरीदा और फिर आगे चल के ब्रिटेन में एक्सपोर्ट कर दिया मतलब की इतने सालों में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जो भी इंग्लैंड में भेजो वो सब फ्री में भेजो हमसे पैसे लेकर हमसे ही खरीदा और फिर उसको उठा के अपने देश भेज दिया अब एक आम किसान और आम जनता इस चीज को समझ ना पे उसे टाइम पे इसलिए इन्होंने दो डिपार्मेंट बनाए थे टैक्स कलेक्ट करने के लिए अलग से ऑफिस था अलग डिपार्मेंट था और एक आम जनता से और किसान से समाज खरीदने के लिए अलग डिपार्मेंट था वो इसे समाज खरीदना था ताकि ये साड़ी चीज़ आजकल अलग है आज भी अगर आप देखोगे तो इसको अलग-अलग बिजनेस मॉडल से रिलेट करके इसको समझने की कोशिश करते हैं लेकिन अल बात ये है ये खली ल चल रही थी इंडिया के रिसोर्सेस की सिर्फ कुछ ही इंडियन से जिनको फायदा हुआ वो बस वही इंडियन जैसे जिन्होंने इनकी ल में दलाली की और इनके सामने झुक गए एवं आज की डेट में अगर आप कुछ बिजनेस हाउसेस की हिस्ट्री पढ़ोगे जो लंबी लंबी बातें करते हैं की हमारे ये बिजनेस मॉडल था हमने इस तरीके से अपना बिजनेस बनाया अल में सारे उसे टाइम पर अंग्रेजन की दलाली करते थे आज की डेट का पूरा ये जो मॉडर्न कैप्टन लिस्ट ग्लोबल सिस्टम है वो इसी ल पे बना हुआ है इंडिया से पैसा ल ल के ब्रिटेन ने नॉर्थ अमेरिका और यूरोप में इन्वेस्ट किया वहां पे रेलवे रोड फैक्टरीज बनवाई कॉलोनियलिज्म के टाइम पे जितनी भी वार ब्रिटेन ने लड़ी चाहे वो फर्स्ट वर्ल्ड वार हो चाहे वो सेकंड वर्ल्ड वार हो इन सब का खर्चा उन्होंने इंडिया के ऊपर दाल दिया और फिर उसको कर्ज दिखा के साल तक यहां से रिवेन्यू और इंटरेस्ट लेट रहा तो अगली बार जब आप हॉलीवुड मूवी देख के ताली बजाना जिसमें एक महान ब्रिटिश हिटलर से शुरू हीरो की तरह लाड रहा है तो इस बात का जरूर ध्यान रखिएगा की उसे लड़ाई का जो खर्चा है वो आपके पूर्वजों की कमर तोड़ के निकाला गया था आज की डेट में सबको सिखाया जाता है की यूरोप और अमेरिका के देश इसलिए एडवांस बने क्योंकि बहुत ही इन्नोवेटिव थे हमारे यहां से भी जो लोग बाहर पढ़ने जाते हैं या बाहर के राइटर को पढ़ने हैं वो इस चीज को बड़ी आसानी से मां लेते हैं की ये हमसे ज्यादा इन्नोवेटिव में लेकिन देखिए जो असली हिस्ट्री है ना वो ना तो इंडियन स्टूडेंट को पढ़ाई जाति है और ना ही ब्रिटिशर्स के बच्चों को पढ़ाई जाति है आज की डेट में पूरा वेस्ट जो है ये फ्री ट्रेड की बहुत बात करता है लेकिन कैंब्रिज इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया में एक भी शब्द मेंशन नहीं किया है इन्होंने की एयर 1700 से 1846 के बीच में एशिया टेक्सटाइल के खिलाफ इन्होंने कितनी कड़ी पॉलिसी अपना राखी थी अगली बार आपके सामने अगर कोई वेस्ट कंट्रीज का महिमामंडन करें तो उससे ये जरूर पूछिएगा की एयर 1765 से लेक 1945 तक इंडिया की जो एक्सपोर्ट सरफेस अर्निंग थी उसका क्या किया इन्होंने ये साड़ी चीज ये लोग लिखने क्यों नहीं है अपनी बुक्स में आजादी के बाद एवं आज की डेट तक इंडिया जिन दिक्कतों में फंसा हुआ उनमें से ज्यादातर का जो सेंटर है वो ब्रिटिश राज ही है चाहे वो हमारा करप्ट सिस्टम हो इन इफेक्टिव जुडिशल सिस्टम हो पुलिस का अत्याचार हो या फिर रिलिजन का इशू हो एक कहावत है की चोरी का पैसा मोरी से निकलता है ब्रीडर्स इतना पैसा ल के ले गए लेकिन आज की डेट में इनकी इकोनामी फतेहयाल हो गई है वहीं इंडिया इतना पैसा लौट के बाद भी दोबारा से ट्रैक पे ए रहा है और रही बात ईस्ट इंडिया कंपनी की तो आज की डेट में एक इंडियन संजीव मेहता ने इसको खरीद लिया है और आज की डेट में ये कंपनी लग्जरी टी कॉफी वगैरा ये सब बनती है लास्ट में एक बार फिर से आपको बता डन सीखो है आपका लिंक मैंने डिस्क्रिप्शन में दे दिया है वहां से आप इंस्टॉल कर सकते हैं थैंक यू