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जैनिज़्म का इतिहास और प्रभाव
Sep 7, 2024
जैनिज़्म की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
परिचय
भारतीय प्राचीन इतिहास का महत्वपूर्ण दौर
धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक संरचना में बदलाव
गांधी जी की नॉन वायलेंस की प्रेरणा जैनिज़्म से
6th और 5th सेंचुरी BC का संदर्भ
वैदिक संस्कृति अपने चरम पर
पुरोहित वर्ग और रिच्वल्स के खिलाफ उठती आवाज़
प्रमुख क्षेत्र: पांचाल और विदेहा
जनपदाजों का उदय: ख्षत्रिय शासक और युद्ध के नए उद्देश्य
धार्मिक संप्रदायों का उदय
62 धार्मिक संप्रदायों का उदय
जैनिज़्म और बुद्धिज़्म प्रमुख रूप से उभरे
जैनिज़्म के उदय के कारण
वैदिक समाज में चार वर्णों का कठोर विभाजन
क्षत्रिय वर्ग का ब्राह्मणों के खिलाफ उठता विरोध
उत्तर-पूर्व भारत में कृषि अर्थव्यवस्था का विकास
प्रमुख शहरों का उदय: कोशाम्बी, कुशी नगर आदि
वर्धमान महावीर
महावीर जैनिज़्म के वास्तविक संस्थापक
तीर्थंकरों की परंपरा: 24 तीर्थंकर, पहले रिशब देव
महावीर का जन्म वैशाली में 540 BC
30 साल की आयु में तपस्वी जीवन की ओर अग्रसर
जैनिज़्म के सिद्धांत
पांच प्रमुख सिद्धांत:
हिंसा मत करो
झूठ मत बोलो
चोरी मत करो
संचय मत करो
ब्रह्मचर्य का पालन करो
अहिंसा का महत्व
जैनिज़्म का कर्मा सिद्धांत
जैनिज़्म का प्रसार
महावीर ने प्राकृत भाषा में उपदेश दिए
जैनिज़्म का धीरे-धीरे दक्षिण और पश्चिम भारत में फैलाव
चंद्रगुप्त मौर्य और भद्र बाहू जैसे नेताओं का योगदान
जैनिज़्म का समाज पर प्रभाव
वर्ण व्यवस्था और वैदिक धर्म का विरोध
प्राकृत भाषा का उपयोग और संस्कृत का परित्याग
रचनात्मकता: जैन मंदिर और वास्तुकला
जैनिज़्म का पतन
धार्मिक विरोध का सामना
कठोर सिद्धांतों के कारण आम जन का अस्वीकार
राजनीतिक संरक्षण का अभाव
दो संप्रदायों में विभाजन का प्रभाव
निष्कर्ष
जैनिज़्म का सामाजिक और धार्मिक परिदृश्य पर प्रभाव
जैनिज़्म की पहचान और उसकी स्थिति
जैनिज़्म के विकास और पतन की कहानी
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