Coconote
AI notes
AI voice & video notes
Export note
Try for free
आर्थिक विकास: उदारीकरण और वैश्वीकरण
Aug 2, 2024
आर्थिक विकास: उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण
अध्याय का परिचय
विषय: क्लास 2 में आर्थिक विकास के अध्याय का विवरण
मुख्य बिंदु: उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रारंभ: स्वतंत्रता के बाद मिक्स्ट इकोनॉमी का मॉडल
बाजारों को सुरक्षा देने हेतु व्यापार नीति:
आयात पर टैक्स लगाना
घरेलू उद्योगों की सुरक्षा
1991 का आर्थिक संकट
भारत में आर्थिक संकट का दौर:
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
आयात की सीमाएँ
एक माह के आयात की राशि भरने में कठिनाई
अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता:
विश्व बैंक और IMF से लोन प्राप्त करना
शर्तों के अंतर्गत लिबरलाइजेशन, निजीकरण और वैश्वीकरण को लागू करना
उदारीकरण (Liberalization)
सरकार द्वारा नियंत्रण को कम करना:
औद्योगिक नीति में बदलाव
लाइसेंस राज का समाप्त होना
बाजार में प्रतियोगिता को बढ़ावा देना
निजीकरण (Privatization)
सरकारी उद्योगों का निजी क्षेत्र को स्थानांतरण:
पूर्ण या आंशिक स्वामित्व का हस्तांतरण
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का प्रबंधन प्राइवेट कंपनियों को सौंपना
लाभ:
औद्योगिक दक्षता में वृद्धि
संसाधनों का बेहतर उपयोग
वैश्वीकरण (Globalization)
भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था से समन्वय:
विदेशी व्यापार में वृद्धि
विदेशी कंपनियों का प्रवेश
आउटसोर्सिंग बढ़ती जा रही है
लाभ:
बेहतर उत्पाद और सेवाओं की उपलब्धता
विदेशी निवेश में वृद्धि
सुधारों के प्रभाव
अर्थव्यवस्था की वृद्धि:
GDP वृद्धि
सेवा क्षेत्र में उन्नति
कृषि और उद्योग में स्थायी विकास की कमी
आलोचना और निष्कर्ष
आलोचना:
वृद्धि के बावजूद असमानता में वृद्धि
गांवों में विकास की कमी
निष्कर्ष:
सुधारों के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम हैं
आर्थिक विकास के लिए संतुलित नीति की आवश्यकता
अंत
छात्र इस विषय पर अधिक जानने के लिए अनुसंधान एवं अध्ययन कर सकते हैं।
📄
Full transcript