अब हम बात कर रहे हैं डबल एंट्री सिस्टम के उपर डबल एंट्री एक सिस्टम है जिसके उपर पूरी अकाउंटिंग क्या कर रही है बेस कर रही है डबल एंट्री के अंदर दो बेसिक टर्म्स हैं एक है डेबिट और एक है क्रेड़िट जिन लोगों ने पहले अकाउंटिंग नहीं पड़ी वो ये समझते हैं कि डेबिट का मतलब है प्लस क्रेड़िट का मतलब है माइनस जो के बिलकुल गलत है डेबिट और क्रेड़िट का मतलब to add or to subtract नहीं है आगे जाके हम एक और चीज़ पढ़ेंगे और वो होता है T-Account, T-Account को T-Account इसलिए कहते हैं क्योंकि वो T-Shape में बनता है, T-Account में जो left hand side होती है वो कहाती है हमारी Debit और जो right hand side होती है वो हमारी कहाती है Credit, तो Debit और Credit का मतलब plus और minus नहीं है, Debit का short form लिखा जाता है DR जैस अब हमने पहले पढ़ चुके हैं कि assets क्या होता है, liability क्या होता है और capital क्या होता है आज हमें ये समझना है कि जो asset है उसका nature होता है debit इसलिए मैंने इसको debit के column के नीचे लिखा है liability और capital का जो nature होता है वो होता है credit जब मैं कहता हूँ asset का nature debit है इसका क्या मतलब है इसका मतलब ये है यार कि जब भी asset बढ़ेगा तो asset को हम क्या करेंगे debit करेंगे एसेट का नेचर डेबिट होता है जब भी एसेट प्लस होगा तो एसेट अकाउंट को डेबिट करेंगे लेकिन जब भी लायबिलिटी और कैपिटल प्लस होगा तो लायबिलिटी और कैपिटल अकाउंट को क्रेडिट करेंगे एसेट डेबिट पे इंक्रीज होता है और लायबिलिटी और कैपिटल जो है वो क्रेडिट पे इंक्रीज होता है ऐसे ही अगर हम बात करें एसेट जब बढ़ता है तो उसको हम डेबिट करते हैं लेकिन जब एसेट को कम करना होता है तो हम debit के बजाए asset को क्या कर देते हैं credit कर देते हैं asset debit पर बढ़ रहा है लेकिन कम करने के लिए हम asset को क्या कर देंगे जी credit कर देंगे बिल्कुल इसी तरीके से liability और capital का nature credit है जब भी plus होगा तो credit होगा और अगर liability और capital को minus करना होगा तो हम nature के opposite जाएंगे liability और capital का nature credit है जब भी plus होगा तो credit होगा और जब minus होगा तो credit के बजाए क्या हो जाएगा जी debit हो जाएगा तो हमने ये पढ़ा जी asset debit पे बढ़ता है credit पे कम हो जाता है और liability capital का nature credit है वो credit पे increase होती है और debit पे क्या हो जाती है decrease हो जाती है तो यहाँ पे हमारी वो बात clear हो गई कि debit का मतलब plus नहीं होता और credit का मतलब minus नहीं होता asset के इलावा कोई और भी चीज़े हैं जो हम discuss करेंगे कोई और terms हैं एक है expense आपको बताये देखें बिजनस को चलाने के लिए जो खर्चा होता है जिसे रेंट हो गया, एलेक्ट्रिसिटी हो गया, स्टाफ को सैलरी दे रहे हैं, तो ये सब क्या होता है हमारे लिए एक्सपेंस, तो एक्सपेंस का नेचर भी होता है डेबिट, इसको आप ऐसे याद र� तो rent से भी हमें वोई benefit मिलेगा और हम उस वक्त भी घर में क्या कर सकते हैं रह सकते हैं तो expense का nature debit है electricity का bill भर रहे हैं electricity का bill हमारे लिए expense है लेकिन उससे फाइदा क्या होगा हम वो बिजली use करेंगे गर्मी में हम AC में बैठे हुए तो उससे हमें benefit भी मिल रहे हैं इसलिए expense का nature भी क्या होता है जी debit इसका मतलब जब भी expense बढ़ेगा तो वो debit होगा और कम होगा तो क्या होगा जी credit होगा ऐसी एक और चीज़े expense के बाद income income को profit भी कहते हैं, profit हमारे capital को क्या करेगा, बढ़ाएगा, ऐसे याद रखें कि capital का nature credit है, जो चीज capital को बढ़ाएगी वो भी credit होगी, चोके profit या income से हमारा capital बढ़ जाता है, अगर हमारे business में profit हो, तो एक खुशी की बात है हमारे लिए, उससे हमारा capital क्या होगा, increase होगा, अग तो अगर दुकान में बहुत बड़ा खर्चा आ गया तो उससे हम परिशान होंगे तो हमारा क्या होगा उससे capital कम हो जाएगा तो जो चीज capital को बढ़ाती है profit या income वो credit होती है जो चीज capital को कम करती है expense या loss वो क्या होगा debit एक आखरी बात है इसके अंदर और वो एक आखरी term है और वो है drawings क्या होती है जी ये वो drawing नहीं है जो बच्चे करते हैं drawing का मतलब यह है कि जब हम अपने business में से कोई चीज निकालें घर के इस्तेमाल के लिए तो वो क्या कहलाएगी drawing हमने business में से cash निकाला और हम घर ले गए घर के लिए हमने जो है वो कोई groceries बाई की या अपने बच्चों की school की fees पे की business में से पैसे निकाल के तो वो business का expense नहीं है वो business के लिए क्या किलाईगी drawing के लिए business में से चाहे आप cash निकालें चाहे आप check के तुरू bank से पैसे निकालें या ATM के तुरू या आप business में से goods निकालें हमारी दुकान है for example mobile phones की हमने अपने लिए एक iPhone जो है वो pro निकाल लिया iPhone 11 और वो जितने का हमने खरीदा था वो हमारे लिए क्या कहलेगी ड्रॉइंग्स कहलेगी तो ड्रॉइंग का नेचर भी डेबिट होता है ड्रॉइंग डेबिट क्यों होता है बई क्योंकि ड्रॉइंग से हमारा कैपिटल क्या होता है कम होता है तो जी हमने ये बात की कि asset expense or drawing AED इसको आप ऐसे आद रख सकते हैं Arab Emirates Dirham, मैंने एक mnemonic इसके लिए बना है AED UAE की जो आपकी currency है AED Arab Emirates Dirham, AED जब भी बड़ेगा वो debit होगा और दूसरा है LIC, LIC stand for Life Insurance Company, जब भी liability, income या capital बढ़ता है तो वो credit होता है, जब भी AED, asset, expense या drawing बढ़ता है तो वो debit होता है, बस यहाँ रख लें, AED का nature debit है, जब भी बढ़ेगा debit और कम करने के लिए क्या कर देंगे credit, ऐसे ही LIC का nature credit है, जब भी बढ़ेगा तो credit, और अगर एक और बहुत important हमारे पास asset है और उसका नाम है inventory inventory को goods भी कहते हैं, stock भी कहते हैं, जो नई terminology हम use करते हैं वो है inventory हमारी जिस चीज की shop है, जो goods हमने खरीदी हैं with the intention of resale, वो क्या कहलाती है हमारी inventory अगर कपड़े की दुकान हैं तो कपड़ा inventory हैं, अगर जूतों की दुकान हैं, बाटा service तो जूते क्या inventory हैं अगर computer की shop हैं तो computer, laptop, gadgets वो है inventory अगर furniture का showroom हैं तो furniture क्या हमारी inventory हैं और अगर हमारा गाड़ियों का शुरूम है तो गाड़ियों हमारे लिए क्या है inventory और अगर हम barrier town है तो हमारे पाँट्स हैं और जो flats हैं वो हमारे लिए क्या है inventory अगर जो चीज़ हमने बेचने की नियत से खरीदी वो क्या हमारे लिए inventory अब जो inventory है उसकी जो movement है वो दो तरह की हो सकती है या तो inventory increase होगी या तो inventory क्या होगी जी decrease होगी inventory increase कहां से होती है दो तरीके से inventory increase हो सकती है सबसे पहले हम inventory buy कर रहे हैं from suppliers अगर हम inventory supplier से bot कर रहे हैं तो उसके लिए हम account use करेंगे और उसका नाम है purchase पहली बात आप यह याद रखें कि normal terms में हम कभी भी inventory का account नहीं बनाते inventory का account बहुत special terms में use होता है और वो year end पर use होता है जब भी हम stock buy करेंगे तो हम stock के inventory के account में नहीं डालेंगे बलके उसको हम डालेंगे purchase के account में सही जी जब भी purchase बढ़ती है तो हम purchase को debit करते हैं अच्छा जी purchase debit की होती है, अभी हमने बात की कि asset का nature debit होता है, inventory एक बहुत important current asset है, हमने बात की current asset है क्योंकि इसकी value क्या होती रहती है, fluctuate होती रहती है, तो purchase हमेशा debit होगा क्योंकि business के अंदर goods क्या हो रही हैं, आ रही हैं, उसके बाद अगर हम inventory sell करें to customers, जब भी हम inventory बेचे पर्चेस डेबिट इसलिए हो रहा था क्योंकि दुकान में स्टॉक आ रहा है जब भी स्टॉक बढ़ता है तो उसको हम डेबिट करते हैं सेल्स क्रेडिट इसलिए हो रहा है क्योंकि दुकान में स्टॉक जा रहा है अगर स्टॉक जा रहा है बिजनस में से तो सेल्स अकाउंट क्या होगा क्रेडिट होगा एक और जगह से स्टॉक आ सकता है अगर हमने कुछ गुड़्ज बेची थी जो के फॉल्टी थी और कस्टम और यहाँ पे हम return inward या sale return का account खोलेंगे, और return invert का account जो है वो debit होगा, return invert debit क्यों हो रहा है बई, क्योंकि दुकान में stock आ रहा है, हमारा एक asset बढ़ रहा है, और इसलिए return invert का account हम क्या करेंगे, debit करेंगे, और जब भी हम goods बेचेंगे, sorry, जब भी हम goods return करेंगे अपने supplier को, या वो faulty हैं, तो हम goods return करेंगे अपने supplier को, यह कहलाएगा return outward, return outward को purchase return भी कहते हैं लेकिन हम use करेंगे यहाँ पर return inward और outward वाली terminology return outward का account क्या होगा credit होगा क्योंकि दुकान में से goods जा रही है अब देखें बहुत असान है अगर inventory बढ़ रही है तो कैसे बढ़ रही है या तो purchase हो रही है तो purchase का account debit या customer से goods वापस आ रही हैं तो return inward debit और stock कम कब होगा जब हमने stock बेश दिया तो sales का account credit और जब हमने क्या किया supplier को goods return कर दी तो return outward का account credit तो बजाय इसके कि हम inventory account को plus minus करें हम ये 4 account अलग बनाते हैं इससे हमें क्या फायदा होता है जी इससे हमें ये पता लगता है कि हमने पूरे महीने में या पूरे साल में कितनी sales की थी जितनी sales की थी उसमें से कितनी goods वापस आ गई ऐसी पूरे साल में हमने कितनी purchase की और जब हम inventory या goods के इलावा कोई चीज़ खरीद रहे हैं तो कभी भी हम sale, purchase, return inward, return outward का account यूज़ नहीं करेंगे for example हमने गाड़ी खरीदी तो बजाए इसके कि हम purchase account को debit करें हम motor vehicle के account को debit करेंगे अगर हमने पुराना furniture बेचा तो बजाए इसके कि हम sales को credit करें हम furniture account को credit करेंगे हमने जो है वो for example गाड़ी खरीदी थी अब हम वो गाड़ी return कर रहे हैं क्योंकि वो खराब है तो हम return outward यूज़ नहीं करेंगे बलके गाड़ी का account credit करेंगे ऐसे ही जो हमने furniture पुराना बेचा था, वो हमारे पास वापस आ गया, वो जिसको दिया था हमने दोस को, वो कह रहा है या ये सही नहीं है, मुझे नहीं चाहिए, तो अब हम return inward के बजाए furniture का account debit कर देंगे, तो याद रखें, sale, purchase, return inward, return outward, ये चार account सिर्फ goods या stock के लिए use होते