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नेपोलियन बोनापार्ट का जीवन यात्रा

[संगीत] स्टडी आईक्यू आईएस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल द लाइफ ऑफ नेपोलियन बोनापार्ट वेलकम टू स्टडी आईक्यू मेरा नाम है आदेश सिंह मार्च 1796 फ्रांस की सेना इटली पर आक्रमण करने के लिए अपने न्यूली अपॉइंटेड जनरल का इंतजार कर रही थी यह सेना पिछले तीन सालों से इटली पर हमला कर रही थी लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिल रही थी बना निर्णायक सफलता के इतने दिनों से लड़ते हुए सेना का मनोबल टूट चुका था और संसाधनों की भी भारी कमी थी ऐसे में जब सैनिकों की अपने नए जनरल से पहली मुलाकात हुई तो 5 फुट दो इंच के आदमी को देखकर सैनिकों ने दबी जुबान से उनकी हाइट का बड़ा मजाक उड़ाया पर नए जनरल के जोशीले भाषण और हमले की फुल प्लानिंग को सुनते ही उन्हें जल्द ही यह समझ आ गया कि उनके सामने कोई साधारण व्यक्ति नहीं खड़ा है दोस्तों यह थे विश्व के सर्वश्रेष्ठ मिलिट्री कमांडरों में से एक नेपोलियन बोनापार्ट नेपोलियन द्वारा लड़े गए युद्धों और बैटल फील्ड में उसके बोल्ड मूवमेंट्स और अद्भुत मिलिट्री स्ट्रेटेजी को आज भी दुनिया भर की मिलिट्री अकेडमी में स्टडी किया जाता है अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष में एक समय ऐसा भी था जब इंग्लैंड को छोड़कर लगभग सारा यूरोप उनके अधीन था नेपोलियन ने इतालवी अभियान की कमान अपने हाथ में लेते ही अपने सैनिकों को हमले के लिए तैयार रहने के लिए कहा उन्होंने आने वाले एक महीने में ही दुर्गम समझे जाने वाले एल्प्स माउंटेन को पार किया और साडिया पीडम ऑस्ट्रिया और अन्य इतालवी राज्यों की जॉइंट आर्मीज को एक के बाद एक कई फ्रंट्स पर निर्णायक रूप से हराया इस अभियान के दौरान उन्होंने स्वयं जोखिम उठाकर रिवोली और अकोला के अविश्वसनीय युद्ध जीते इटली के राज्यों को जीतने के बाद उन्होंने वहां भी फ्रांस जैसा गणतंत्र स्थापित किया इतालवी सैन्य अभियान के बाद नेपोलियन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा फ्रांस लौटने पर फ्रांसीसी जनता ने उसका एक हीरो की तरह स्वागत किया एक के बाद एक चुनौतियों से जूझते और सफलता प्राप्त करते हुए वह आखिरकार 1804 में फ्रांस का एंपरर बन गया हालांकि दोस्तों जिस तरह दिन के बाद रात का आना शाश्वत है जन्म के बाद मृत्यु का आना शाश्वत है उसी तरह उत्थान के बाद पतन का होना प्रकृति का एक शाश्वत नियम है कोई भी अछूता नहीं रह सकता विश्व में एक योद्धा के रूप में प्रसिद्धि पाने वाले नेपोलियन बोनापार्ट भी इस नियम से अछूते नहीं रह सके एक सामान्य सैनिक से फ्रांस के राजा तक का नेपोलियन का सफर काबिले तारीफ था लेकिन उसके बाद का उनका सफर काफी कठिन रहा दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि उसकी इस सक्सेस का राज क्या था क्या उसकी सफलता के पीछे केवल उसका व्यक्तित्व और कुछ बड़ा कर गुजरने की महत्वाकांक्षा ही थी या फिर उस उसकी सफलता में फ्रेंच रेवोल्यूशन के कारण फ्रांस की तत्कालीन परिस्थितियों का भी हाथ था तो आइए अब हम देखते हैं कि एक सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि के असाधारण प्रतिभा के धनी युवा नेपोलियन ने फ्रांस का सम्राट बनने तक का सफर कैसे तय किया और आखिर ऐसे क्या कारण थे जिसकी वजह से नेपोलियन का साम्राज्य खत्म हो गया आज की इस वीडियो में हम बात करेंगे नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में अर्ली लाइफ एंड पर्सनालिटी ऑफ नेपोलियन दोस्तों नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्ट 1769 को कोर्सिका के अजेक्सियो में हुआ था उनके पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट और मां का नाम लिटिया रोलिन बोनापार्ट था दोस्तों यहां एक इंटरेस्टिंग फैक्ट यह है कि नेपोलियन के जन्म के कुछ समय पहले ही फ्रांस ने इटली के राज्य रिपब्लिक ऑफ जेनोवा से मेडिटरेनियन सी में स्थित कोर्सिका आइलैंड को खरीदा था यानी एक तरह से हम कह सकते हैं कि ो लियन इतालवी मूल का फ्रेंच सिटीजन था बचपन से ही नेपोलियन बोनापार्ट इंट्रोवर्ट नेचर का था शुरू से ही पढ़ने में उसकी रुचि थी वह हमेशा से जियोग्राफी हिस्ट्री मैथ्स और महापुरुषों की बायोग्राफी पढ़ा करता था वह जूलियस सीजर और एलेग्जेंडर द ग्रेट से काफी प्रभावित थे उन्हें अक्सर अकेले जमीन पर रेखाएं खींचते किले बनाते और तोड़ते देखा जाता था नेपोलियन के पिता पेश से एक वकील थे उनका परिवार आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं था इसलिए जब फ्रांस ने अधिग्रहित कोर्सिका के स्टूडेंट्स को फ्रांस में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देने का निर्णय किया तो नेपोलियन भी पढ़ने के लिए फ्रांस चले गए और फ्रांस के ब्रियन मिलिट्री अकेडमी में एडमिशन ले लिया यहां हमें नेपोलियन के व्यक्तित्व के एक अन्य पहलू का पता चलता है इस अकेडमी में प्रायः कुलीन सामंतों और अमीरों के लड़के पढ़ते थे जिनके सामने अपनी निम्न सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण नेपोलियन हीन भावना से ग्रस्त रहते थे उसके साथ ही कैडेट उसके छोटे कद का भी मजाक बनाया करते थे ऐसे में बहुत संभव है कि उसके मन में यूरोप के कुलीन और अरिस्टो क्रेसी के प्रति तिरस्कार और अवहेलना की जिस भावना का विकास हुआ था उसके बीज यहीं पड़े थे अकेडमी में पढ़ने के दौरान वह अक्सर कोर्सिका को फ्रेंच ऑक्यूपेशन से आजाद कराने के लिए मुखर होकर बोला करता था परंतु बाद में उन्होंने कोर्सिका को आजाद कराने का विचार छोड़ दिया फ्रेंच रेवोल्यूशन के शुरू होने पर वह फ्रेंच रेवोल्यूशन के रिपब्लिकन सिद्धांतों में रुचि लेने लगे और जैकोबिन दल के समर्थक बन गए अकेडमी में उसकी रुचि फ्रेंच नेवी में शामिल होने की थी लेकिन वह आर्टिलरी में सिलेक्ट हुए और 1785 एडी में फ्रेंच आर्मी में सेकंड लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर कमीशन हो गए यह संयोग की बात है कि फ्रेंच रेवोल्यूशन के समय जितनी भी बड़ी लड़ाइयां लड़ी गई वह सब भूमि पर ही लड़ी गई जहां नेपोलियन को अपनी मिलिट्री स्ट्र एबिलिटी दिखाने का भरपूर मौका मिला था दोस्तों युवा और महत्वाकांक्षी नेपोलियन के एक सैन्य अधिकारी के स्तर से फ्रांस के सम्राट बनने तक के सफर में हमारे लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि तत्कालीन फ्रांस की वह कौन सी परिस्थितियां थी जिन्होंने नेपोलियन को ऐसे अवसर प्रदान किए जिसका लाभ उठाते हुए वह फ्रांस का सर्वे सर्वा बना आइए हम बताते हैं राइज ऑफ नेपोलियन एस फ्रेंच किंग फ्रेंच रेवोल्यूशन की शुरुआत 1789 एडी में हुई थी जब थर्ड स्टेट के प्रतिनिधियों ने अपने आप को नेशनल असेंबली घोषित कर बर्बन वंश के शासक लुई सोव के राजतंत्र शासन की जगह स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व जैसे मॉडर्न रिपब्लिकन वैल्यूज पर नवीन राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना कर दी थी फ्रेंच रेवोल्यूशन के शुरुआती सालों में तो फ्रांस में लगातार अराजकता का माहौल बना रहा इस दौरान क्रांति के समर्थक रोन दिस्ट और जक गोविंद दल आपस में झगड़ रहे थे वहीं रॉयलिंग करने के लिए यूरोप अन्य देशों के साथ मिलकर षड्यंत्र कर रहे थे वास्तव में फ्रेंच रेवोल्यूशन के स्टार्ट होते ही ऑस्ट्रिया प्रशा और रूस के शासकों को यह भय सताने लगा कि फ्रेंच रेवोल्यूशन से उपजे व्यवस्था परिवर्तन के रिपब्लिकन थॉट्स कहीं उन तक ना पहुंच जाए इसीलिए वह फ्रांस में हर कीमत पर पुरानी व्यवस्था लागू करना चाहते थे से क्रांति के विचारों को फैलने से पहले ही रोका जा सके इसीलिए उन्होंने फ्रांस पर चारों तरफ से हमले करना और फ्रांस के बबन राजवंश के समर्थक रॉयलिंग फ्रांस के टलन नामक पोर्ट सिटी में मिला जहां रॉयलिंग की मदद से कब्जा कर लिया था नेपोलियन ने यहां स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विद्रोहियों पर गोली चलवा दी इसके फल स्वरूप विद्रोहियों के हौसले पस्त हो गए इसके साथ ही उन्होंने तोपखाने का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटिश नौसैनिक बेड़े को भी खदेड़ दिया उसकी सफलता के बाद उसे ब्रिगेडियर जनरल का पद दिया गया इस घटना के बाद से ही नेपोलियन फ्रांसीसी जनता में लोकप्रिय होने लगा था जनता का मानना था कि नेपोलियन ने उनकी रक्षा कर ना सिर्फ फ्रांसीसी टेरिटरी की रक्षा की बल्कि उन्होंने इन कठिन परिस्थितियों में फ्रांस का गौरव भी बढ़ाया इसके बाद अगस्ट 1795 में पेरिस में उसे एक बार फिर से अपनी कुशलता दिखाने का मौका मिला जब कन्वेंशन पर रॉय समर्थकों ने हमला कर दिया था यहां भी नेपोलियन ने कुछ ही घंटों में पेरिस की सड़कों से विद्रोहियों को साफ कर दिया और कन्वेंशन को सुरक्षित बचा लिया इस घटना के बाद से फ्रांस के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लिए भी उसे इग्नोर करना लगभग असंभव हो गया था और जनता भी उसे एक कुशल और सख्त प्रशासक के रूप में देखने लगी थी इस इंसिडेंट के बाद से ही उसे इटली में फ्रांसीसी सैन्य अभियान की पूरी जिम्मेदारी दी गई जिसके उल्लेख के साथ हमने लेक्चर की शुरुआत की थी इस अभियान में उन्होंने ना सिर्फ जीत हासिल की बल्कि नीस और सेवई जैसे इटालियन प्रदेशों पर भी कब्जा कर लिया उन्होंने इस अभियान में ऑस्ट्रिया को हराने के बाद कंपो फॉर्मियो की ट्रीटी साइन की जिसके परिणाम स्वरूप राइन रिवर को फ्रांस की प्राकृतिक सीमा मान लिया गया दोस्तों यहां हम उनके सैन्य कौशल के साथ-साथ उन की फॉरेन पॉलिसी की समझ और स्ट्रेटेजिक अंडरस्टैंडिंग को भी देख सकते हैं इस संधि के माध्यम से उन्होंने ऑस्ट्रिया के हैब्सबर्ग राजवंश का रुख बाल्कन पेनिंस टर्की और रश साम्राज्य की ओर मोड़ दिया इससे ऑस्ट्रियन एंपायर का टर्की और रशियन साम्राज्य के साथ संघर्ष एक जरूरत बन गया और जिसकी वजह से आने वाले कई सालों में ऑस्ट्रिया कभी भी भवन से निकल नहीं सका और फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद ऑस्ट्रिया के हैप्सबर्ग साम्राज्य का अंत हो गया उन्होंने नए जीते गए प्रदेशों से ही उनके प्रशासन और सैन्य खर्च निकालने की नीति अपनाई इससे फ्रांसीसी जनता अतिरिक्त करों के बोझ से भी मुक्त रही इस दौरान उन्होंने इटली से बहुमूल्य कलाकृतियां फ्रांसीसी संग्रहालय में भेजी इटली के प्रदेशों में उसके द्वारा स्थापित सुनियोजित प्रशासन से लोगों का उसकी प्रशासनिक क्षमताओं में विश्वास बढ़ता जा रहा था उसके इन कामों से फ्रांसीसी जनता में उसके प्रति सम्मान बढ़ता जा रहा था जो पहले ही डायरेक्टरी के भ्रष्ट शासन से त्रस्त हो चुकी थी दरअसल फ्रेंच रेवोल्यूशन शुरू होने के बाद से ही फ्रांस में भ्रष्टाचार अराजकता के कारण दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें बढ़ने लगी थी और फ्रेंच मुद्रा की वैल्यू लगातार घटती जा रही थी ऐसे में फ्रांसीसी जनता अब क्रांति के आदर्शों को छोड़कर अर्थव्यवस्था में सुधार और स्टेबिलिटी चाहती थी लेकिन जहां एक तरफ पूंजीपति वर्ग अब अपनी उन्नति और संपत्ति की सुरक्षा के लिए नेपोलियन की ओर देख रहे थे वहीं गरीब जनता सामाजिक सुरक्षा के लिए उसकी ओर आस लगाए हुए थी ऐसे में डायरेक्टरी शासन भी उसकी इस लोकप्रियता से भयभीत था और जितना हो सके नेपोलियन को फ्रांस से दूर रखना चाहते थे इसके लिए उन्होंने नेपोलियन को इंग्लैंड के कोलोनियल ट्रेड को ब्लॉक करने के लिए इजिप्ट के सैन्य अभियान पर भेज दिया दोस्तों यहां हम उनके व्यक्तित्व की एक और विशेषता को देख सकते हैं और वो है धैर्य नेपोलियन हमेशा पॉजिटिव रहने वाले इंसान थे उन्हें मालूम था कि अभी भी फ्रांस में राजनीतिक परिस्थितियां उनके लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं हुई हैं इसलिए उन्होंने खुशी-खुशी इजिप्ट अभियान पर जाना स्वीकार कर लिया उन्होंने 1798 एडी में इजिप्ट पर हमला किया और अलेजया होते हुए काहिरा के पास पिरामिड्स के युद्ध में मलूक सेनाओं को हरा दिया लेकिन इसके थोड़े समय बाद ही नेलसन की कमांड में ब्रिटिश नेवी ने नाइल या नील रिवर के युद्ध में फ्रेंच नेवी को बुरी तरह से हरा दिया इजिप्ट से मिली हार से नेपोलियन निराश बिल्कुल नहीं हुए बल्कि उन्होंने एक विवादास्पद किंतु साहसिक निर्णय लेते हुए अपनी सेना को वहीं छोड़कर अपने विश्वस्त साथियों के साथ फ्रांस वापस लौटने का फैसला किया उनके फ्रांस वापस आने तक डायरेक्टरी के भ्रष्ट शासन से फ्रांस की जनता इस कदर त्रस्त हो चुकी थी कि किसी ने भी उनसे यह नहीं पूछा कि इजिप्ट अभियान में क्या हुआ उनके वापस आने से जनता प्रसन्न थी उन्हें देखकर नेपोलियन का खुद यह कहना था कि लगता है सभी मेरी राह देख रहे थे यदि मैं कुछ समय पहले आता तो जल्दबाजी हो जाती और यदि मैं थोड़ी देर बाद आता तो देर हो जाती मैं बिल्कुल ठीक समय पर आया हूं नेपोलियन जानते थे कि यह सत्ता पाने का सबसे स्वर्णिम अवसर है उन्होंने अपने समर्थकों के साथ डायरेक्टरी शासन का तख्ता पलट दिया तख्ता पलट की इस घटना के बाद फ्रांस में काउंसिल व्यवस्था लागू की गई संपूर्ण कार्यपालिका की शक्ति को काउंसिल में निहित कर दिया गया इस काउंसिल के तीन सदस्य थे जिसमें फर्स्ट काउंसिल नेपोलियन खुद था नए संविधान के तहत चुनाव कराए गए जिसमें 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मत देने का अधिकार मिला चुनाव में जनता ने नवीन व्यवस्था को अपनी सहमति दे दी इस प्रकार नवंबर 1799 को फर्स्ट काउंसिल के रूप में नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस की सत्ता का सर्वे सर्वा बन बैठा नेपोलियन ने शासक बनते ही कई तरह के सुधार किए अपने सुधारों से नेपोलियन का आत्मविश्वास चरम सीमा पर था लोग उन्हें और उनकी बातों को हाथों हाथ लेते थे इन्हीं सब कारणों से 4 साल बाद 1804 में नेपोलियन ने फर्स्ट काउंसिल का चोला भी उतार कर फेंक दिया और विधिवत फ्रांस के सम्राट बन गए इस घटना से पूरे यूरोप में खलबली मच गई और यहीं से उनके पतन की शुरुआत भी हुई द डाउनफॉल साल 1800 के दशक की शुरुआत में फ्रांस में व्यवस्था बहाल करने में नेपोलियन बोनापार्ट की शुरुआती सफलताओं के बावजूद सम्राट बनने के बाद के 10 साल असफलताओं से भरे रहे जो अंततः उनके पतन का कारण बने नेपोलियन ने शुरू में पूरे यूरोप में शांति बनाए रखी लेकिन अब वह सारे यूरोप पर फ्रांस का आधिपत्य देखना चाहता था नेपोलियन की साम्राज्यवादी सोच की भनक इंग्लैंड को लग चुकी थी उसे डर था कि नेपोलियन को जल्द ही नहीं रोका गया तो यह पूरे यूरोप का डिक्टेटर बन जाएगा इसलिए इंग्लैंड ने ऑस्ट्रिया और रूस आदी राष्ट्रों को मिलाकर एक तीसरा गुट फ्रांस के विरुद्ध बना लिया हुआ वही जिसका सबको अंदेशा था नेपोलियन बोनापार्ट ने पूरे यूरोप को जीतने के लिए अपना सैन्य अभियान शुरू कर दिया उसने साल 1805 में अपने 40000 सैनिकों के साथ ऑस्ट्रिया पर हमला कर दिया और एक बार फिर नेपोलियन ने अपनी कुशल सेना की मदद से ऑस्ट्रिया को हरा दिया इस दौरान शायद ही कोई ऐसा देश था जो उसके रास्ते में खड़ा हो सके उनकी सैन्य रणनीतियां इतनी अनोखी थी थी कि विरोधियों को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि नेपोलियन और उसकी सेनाएं युद्ध के मैदान में इतनी तेजी से कैसे आगे बढ़ने में सक्षम है ऑस्ट्रिया को हराने के बाद जल्द ही उसने ब्रिटेन से जंग शुरू कर दी इसमें कोई दोराय नहीं थी कि इंग्लैंड की रॉयल नेवी उस समय की सबसे मजबूत और स्ट्रेटेजिक जल सेना थी जिसे हराना किसी के बस की बात नहीं थी और नेपोलियन यह बात भली प्रकार से जानता था लेकिन फिर भी बिना कुछ सोचे समझे नेपोलियन ने स्पेन के पास अटलांटिक ओशन में केप ट्रफा गर में इंग्लैंड की सेना को घेर लिया और यहां पर इंग्लैंड की रॉयल नेवल फोर्स और फ्रेंच कोलिशन फोर्स के बीच घमासान युद्ध लड़ा गया लेकिन इस युद्ध में नेपोलियन की बुरी तरह हार हुई और रॉयल नेवी यानी इंग्लैंड की जीत होती है इस युद्ध को वॉर ऑफ द थर्ड कोलिशन नाम दिया गया इस युद्ध की हार ने नेपोलियन को कुछ पीछे धकेला और उन्होंने ब्रिटेन पर हमला करने की अपनी योजना को कुछ वक्त के लिए फिलहाल स्थगित कर कर दिया जब नेपोलियन इंग्लैंड से युद्ध में उलझा हुआ था तब फायदा उठाते हुए 1805 में ही रशियन और ऑस्ट्रियन एंपायर ने भी फ्रांस पर एक साथ हमला बोल दिया उनको लगा था कि नेपोलियन इस युद्ध में हार जाएगा लेकिन यह उनकी गलत फहमी थी नेपोलियन ने सबसे पहले जर्मनी का रुख किया वहां पर जर्मनी को हराकर राइन की संधि की इसके बाद उसने अपनी सेना की मदद से रशियन और ऑस्ट्रियन एंपायर का मुकाबला किया इस बैटल ऑफ ऑस्ट्रेलिस में नेपोलियन ने रशियन और ऑस्ट्रियन एंपायर दोनों को एक साथ हरा दिया ऑस्ट्रिया को हराकर नेपोलियन ने एक बार फिर यूरोप पर अपना सिक्का जमा लिया वह अपने दौर का सबसे महान सैन्य कमांडर बन चुका था युद्ध में हार के बाद ऑस्ट्रिया ने तुरंत ही ट्रीटी ऑफ प्रेस बर्ग साइन करके शांति समझौता कर लिया और विएना को नेपोलियन को सौंप दिया उन दिनों ऑस्ट्रियन एंपायर यूरोप के सबसे पावरफुल एंपायर में गिना जाता था साल 1807 में नेपोलियन ने रूस पर हमला कर दिया और उसके भी कई भागों को अपने कब्जे में ले लिया जिसके बाद रूस को मजबूरन टिल सिट की संधि करनी पड़ी नेपोलियन ने अब तक छोटे बड़े कई देशों को अपने में मिलाकर लगभग पूरे यूरोप पर कब्जा जमा लिया 1810 तक आते-आते नेपोलियन ने बाकी देश जैसे रूस बेल्जियम नेदर स्पेन जर्मनी आधुनिक पोलैंड बाल्कन को अपनी मुट्ठी में कर लिया था लगभग सारे यूरोप का स्वामी बन जाने के बाद भी एक देश नेपोलियन की आंखों में बहुत खटक रहा था और वो था इंग्लैंड दोस्तों नेपोलियन और इंग्लैंड के बीच की राइवल्री अभी खत्म नहीं हुई थी नेपोलियन का अगला कदम महाद्वीपीय प्रणाली के साथ आया नेपोलियन द्वारा लागू किया गया यह फरमान इंग्लैंड को कमजोर करने के लिए था नेपोलियन ने इंग्लैंड को हराने के लिए एक आर्थिक युद्ध छेड़ा उन्होंने ब्रिटेन के साथ हर तरह के कारोबार पर रोक लगाने की कोशिश की ब्रिटेन आने जाने वाले हर जहाज को लूटने की पूरी छूट दे दी गई नेपोलियन को उम्मीद थी कि दबाव में आने पर ब्रिटेन समझौते के लिए राजी हो जाएगा मगर पोर्च ने नेपोलियन का फरमान मानने से इंकार कर दिया अब विडंबना यह हुई कि जो देश कमजोर हुआ वह खुद फ्रांस था नेपोलियन ने स्पेन और पोर्टकल पर कब्जा कर लिया दोनों देशों में नेपोलियन के खिलाफ बगावत हो गई ब्रिटेन ने आथ वेल्स की अगुवाई में एक सैन्य टुकड़ी पोर्च गल और स्पेन की मदद के लिए भेज दी इससे ब्रिटेन को यूरोपीय महाद्वीप पर पैर जमाने का मौका मिल गया इसके अतिरिक्त नेपोलियन की महाद्वीपीय नाकाबंदी के परिणाम स्वरूप ब्रिटिश वस्तुओं का मूल्य काफी बढ़ गया क्योंकि इनकी काला बाजारी शुरू हो गई थी यूरोप की आर्थिक स्थिति अब बिगड़ रही थी इंग्लैंड के व्यापार पर रोक लगाने की वजह से यूरोप में वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे थे जिससे अब वहां के लोगों में विद्रोह के बीज फूटने लगे थे और साथ ही जन्म रहा था राष्ट्रवाद नेपोलियन के लिए इतने बड़े साम्राज्य को संभाल पाना कोई आसान बात नहीं थी थी धीरे-धीरे छोटे-छोटे राष्ट्रों ने विद्रोह छेड़ दिया पहले स्पेन में फिर ऑस्ट्रिया में फिर प्रशिया और रूस में हर तरफ विद्रोह की आवाज बुलंद हो रही थी नेपोलियन ने इन आवाजों को दबाने के लिए अपनी ताकत लगानी शुरू कर दी स्पेन और पोर्ग में नाकामी के बावजूद नेपोलियन की ताकत में कमी नहीं आई उनका साम्राज्य हॉलैंड इटली और जर्मनी के एक बड़े हिस्से तक फैल चुका था अब नेपोलियन को जरूरत थी अपने वारिस की उसने 1800 10 में जोसेफिन को तलाक दे दिया इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रिया के राजा फ्रांसिस प्रथम की बेटी मैरी लुई से शादी कर ली जल्द ही नेपोलियन को बेटा हुआ उनके बेटे का नाम भी उनके ही नाम पर रखा गया नेपोलियन ने रोम के राजा की उपाधि भी ले रखी थी साल 1812 में ब्रिटेन की आर्थिक नाकेबंदी को कामयाब बनाने के लिए फ्रांस ने रूस की सीमा पर 6 लाख सैनिक जमा कर दिए उसका मकसद ब्रिटेन की आर्थिक नाकेबंदी के लिए रूस को राजी करना था इधर स्पेन में ब्रिटेन के कमांडर ड्यूक वेलिंगटन ने नेपोलियन की सेना को शिकस्त दे दी रूस के मोर्चे पर भी नेपोलियन को कुछ खास कामयाबी नहीं मिल रही थी कोई भी जंग जीतता नहीं दिख रहा था 1812 में नेपोलियन ने मॉस्को पर कब्जा कर लिया लेकिन सर्दियां आ रही थी मजबूरी में नेपोलियन को पीछे हटना पड़ा लेकिन मॉस्को को जीतना नेपोलियन के लिए भारी पड़ गया जैसे ही नेपोलियन आर्मी मॉस्को पर जीत हासिल करके निकली उसी दौरान रशियन आर्मी ने उन पर हमला कर दिया नेपोलियन के आधे से ज्यादा सैनिक बर्फ और सर्दी में मारे जा चुके थे और जो बचे व बेहद कमजोर और थके हुए थे ऐसे समय में रशियन आर्मी नेपोलियन की सेना पर भारी पड़ी मॉस्को की भयानक ठंड में फ्रेंच आर्मी का सरवाइव कर पाना नामुमकिन साबित हो गया और जब तक वह अपने वतन लौट पाते उनकी सेना में महज 10000 सैनिक ही युद्ध के लायक बच रहे थे रूस में नाकामी और स्पेन में हार के बाद ऑस्ट्रिया और और प्रशिया एक बार फिर से नेपोलियन को हराने की फिराक में थे साल 1813 में जर्मन स्टेट्स ने ऑस्ट्रिया प्रश रूस और स्वीडन के साथ मिलकर हमला कर दिया इस युद्ध को बैटल ऑफ लीब सग और जर्मन कैंपेन ऑफ 1813 का नाम दिया गया नेपोलियन रूस की हार से उभरा भी नहीं था कि उसे एक और हार का सामना करना पड़ा उसकी बात शहद बिखर रही थी 1814 के मार्च महीने में दुश्मनों ने राजधानी पेरिस को घेर लिया नेपोलियन को गद्दी छोड़नी पड़ी उन्हें एल्बा नाम के एक जजीरे पर कैद करके रखा गया फ्रांस की गद्दी पर कैद से भी नेपोलियन की निगाह फ्रांस के हालात पर थी 1815 में वह कैद से भाग निकला और पेरिस पहुंच गया पेरिस पहुंचने के बाद नेपोलियन ने संविधान में तेजी से बदलाव किए इससे कई विरोधी नेपोलियन के पाले में आ गए 1815 में मार्च महीने तक यूरोप के कई देशों ने मिलकर नेपोलियन के खिलाफ मोर्चा बना लिया था जून में नेपोलियन ने बेल्जियम पर हमला कर दिया लेकिन 18 जून को वाटल की लड़ाई में ड्यूक ऑफ वेलिंगटन ने उन्हें शिकस्त दे दी ब्रिटेन ने नेपोलियन को कैद करके दक्षिणी अटलांटिक स्थित सेंट हेलेना नाम के द्वीप पर रखा यह अफ्रीका के तट से दूर अटलांटिक में एक सुदूर द्वीप है नेपोलियन ने विरोध किया लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था उन्हें ना तो परिवार से मिलने दिया गया ना ही उनकी कोई खबर दी गई अगले 6 साल नेपोलियन ने तन्हाई में बिताए वह खाते थे ताश खेलते थे और लिखते थे उन्होंने बोलकर अपना जिंदगी नामा भी लिखवाया 1821 में पेट के कैंसर से नेपोलियन की मौत हो गई मगर दुनिया को अलविदा कहने से पहले नेपोलियन ने यूरोप के नक्शे पर कभी ना मिटने वाली इबारत लिख डाली कंक्लूजन तो दोस्तों यह थे नेपोलियन बोनापार्ट इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है नेपोलिन ने अपने सुधारों और पक्के इरादों की वजह से अव्यवस्थित फ्रांस को व्यवस्थित किया और राजनैतिक व्यवस्था को और मजबूत किया वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे उनके सामने कोई टिक नहीं पाता था युद्ध के मैदान में वह अकेले ही 40000 योद्धाओं के बराबर थे उनके अनुसार जिंदगी में मुसीबतें चाय के कप में जमी मलाई की तरह हैं और कामयाब वह लोग होते हैं जो फूंक मारकर मलाई को अलग कर देते हैं और आराम से चाय को पीते हैं हालांकि अहंकार और दुनिया जीतने की जिद ने आखिरकार नेपोलियन और उसके साम्राज्य का भी अंत कर दिया