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Nationalism in India - Rapid Revision

क्लास 10थ रैपिड रिवीजन नेशनलिज्म इन इंडिया यह जो चैप्टर प्यारा चैप्टर इस चैप्टर को अगर आप समझेंगे तो ब्रॉडली ये बताया गया है कि इंडियन नेशनल मूवमेंट महात्मा गांधी के इंडिया आने के बाद यानी कि 1915 के बाद में कैसे इवॉल्व हुआ है दो ब्रॉड मूवमेंट्स इस चैप्टर में आपको देखने को मिलते हैं नॉन कॉपरेशन मूवमेंट और सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट दोनों ही मूवमेंट में किसने पार्टिसिपेट किया कैसे पार्टिसिपेट किया क्या लिमिटेशन रही ये सारी चीजें आपको इस चैप्टर में जानने को मिलती है साथ लड़ लेने से तो हम एकजुट हुए ही थे क्योंकि हमारे ऊपर भी ब्रिटिशर्स रूल कर रहे हैं इनके ऊपर भी ब्रिटिशर्स इनके ऊपर भी ब्रिटिशर्स तो सारे लोग एकजुट हुए नेशनलिज्म वाज द प्रोडक्ट ऑफ एंटी इंपीरियल मूवमेंट एंटी कॉलोनियल मूवमेंट उसके अलावा कल्चरल मूवमेंट्स ने भी कहीं ना कहीं लोगों को एकजुट किया सेंस ऑफ कलेक्टिव बिलोंग नेस डेवलप करी वो भी इस चैप्टर में बताया गया है हेलो एवरीबॉडी और उनका डिफेंस एक्सपेंडिचर बढ़ा उन्होंने हमारे ऊपर टैक्सेस बढ़ाए चीजों की कीमत बढ़ी आम जनता का जीना मुश्किल साथ ही साथ जो सोल्जर चाहिए थे तो इंडिया से फोर्ज रिक्रूटमेंट हो रहा था जबरन यहां से लोगों को ठूंस ठूंस के ले जाया जा रहा था कि आप लड़ाइयां लड़ो फसलों का खराब हो जाना बीमारियों का फैल जाना और इस पूरी सिचुएशन में ब्रिटिशर्स को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और सारे देश के नागरिक जो थे वो एकजुट हो रहे थे कि यही कारण है हमारे सारी परेशानियों का अब इस स्थिति में एक लीडर इमर्ज होते हैं हमारे सामने और जो एक नया मोड ऑफ स्ट्रगल लेके आते हैं महात्मा गांधी 1915 में साउथ अफ्रीका से इंडिया लौट कर आते हैं और सत्याग्रह का प्रिंसिपल अपने साथ लाते हैं जहां वो कहते हैं कि आप ट्रुथ और नॉन वायलेंस की मदद से जीत सकते हो अगर आप सत्य के लिए लड़ रहे हो और आप सही हो तो आपको वायलेंस की जरूरत नहीं है आपको जो आपके साथ गलत कर रहा है जो ऑपरेस है उसको ये एहसास दिलाना होगा देख भाई तू गलत कर रहा है और उसके अत आत्मा को जब ये एहसास हो जाएगा कि वो गलत कर रहा है तो द ट्रुथ इज बाउंड टू ट्राई मतलब सत्य की विजय होगी इसी प्रिंसिपल को उन्होंने 1917 में चंपारण में 1917 में खेदा में और 1918 में अहमदाबाद में इंप्लीमेंट किया इन रीजनल सक्सेस के बाद में महात्मा गांधी ने तय किया कि अब नेशन वाइड मूवमेंट लॉन्च करने का मौका आ चुका है चलो भाई देखो अब मैं क्या करता हूं रोलेट एक्ट के अगेंस्ट में मूवमेंट लॉन्च किया जाएगा सिक्स्थ ऑफ अप्रैल से रलेट एक्ट एक ऐसा लॉ पास किया ब्रिटिशर्स ने ब्रिटिश इंपीरियल लेजिसलेटिव काउंसिल ने जहां पे वो किसी भी नेशनलिस्ट लीडर को अरेस्ट कर सकते थे बिना 2 साल तक के ट्रायल के इसे ब्लैक लॉ डिक्लेयर करते हुए तय किया गया कि हम नेशन वाइड पीसफुल प्रोटेस्ट कर करेंगे लेकिन जनता उतनी ट्रेन नहीं थी रैली वगैरह जो ऑर्गेनाइज होती थी उसमें झड़प हो जाती थी और 10 अप्रैल को जब एक पीसफुल प्रोसेशन के ऊपर पुलिस फायरिंग कर देती है तो लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन बिगड़ जाती है और मार्शल लॉ इंपोज कर दिया जाता है जनरल डायर को कमांड दे दी जाती है ताकि लोग इकट्ठे ना हो लेकिन 13 अप्रैल को बैसाखी का मैला था जलियावाला बाग में बहुत सारे लोग तो अनअवेयर थे कि क्या चल रहा है क्या नहीं मेले में घूमने आए थे और जनरल डायर उन लोगों के ऊपर गोलियां चलवा देता है अमृतसर में खून खराबा लोगों ने भी पत्थर उठा लिए थे स्ट्रीट्स प उतर आए थे और ब्रिटिशर्स भी उनका ब्रूटल रिप्रेशन कर रहे थे चारों तरफ आग जनी थी और इस चीज को देखते हुए महात्मा गांधी ने मूवमेंट को स्टॉप कर दिया रोलेट सत्याग्रह एक वाइड स्प्रेड मूवमेंट था लेकिन महात्मा गांधी और ब्रॉड बेज मूवमेंट लॉन्च करना चाहते थे जिसमें वो हिंदू मुस्लिम सभी को जोड़ना चाहते थे और तभी खिलाफत इशू उठ रहा था यानी कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद में जो ऑटोमन एंपायर की हार होती है ऑटोमन एंपायर के रूलर थे खलीफा खलीफा जो कि सारे मुस्लिम के स्पिरिचुअल हेड थे उनकी रिस्पेक्ट सारे मुस्लिम से बर्दाश्त नहीं हो रही थी और इसी के चलते खिलाफत कमिटीज भी बनाई जा रही थी महात्मा गांधी ने सोचा कि एक नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट जलियावाला रंगस जो हुए उन सबको खिलाफत इशू को जोड़ के एक बड़ा मूवमेंट लॉन्च किया जा सकता है सवाल ये था कि नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को मूवमेंट कैसा बनाया जाए महात्मा गांधी बताते हैं कि हम अपना कोऑपरेशन हटाएंगे सारे टाइटल्स वगैरह जो भी हमें ब्रिटिशर्स से मिले उन्हें रिटर्न कर देंगे और इस तरह से हम अपना कोऑपरेशन हटाएंगे तो एक साल के अंदर ब्रिटिश राज जो है वो धम से नीचे गिर जाएगा ये वो अपनी बुक हिंद स्वराज में लिखते हैं इस नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट के लिए प्रपोजल रखा जाता है सितंबर 1920 के कोलकाता सेशन में प्रपोजल एक्सेप्ट होता है दिसंबर 1920 नागपुर सेशन में और नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट लॉच किया जाता है 1921 जनवरी में नॉन कॉपरेशन मूवमेंट में हर व्यक्ति ने पार्टिसिपेट किया लेकिन अपनी-अपनी ढपली थी और अपना-अपना राग था मतलब सबकी अपनी अंडरस्टैंडिंग थी स्वराज को लेकर शहर में जो पार्टिसिपेशन था वो कांग्रेस की लाइंस पे ही था टीचर्स ने पढ़ाना छोड़ दिया बच्चों ने पढ़ना छोड़ दिया मजे ही मजे कोर्ट्स वगैरह में लॉयर्स ने बॉयकॉट कर दिया हमने इकोनॉमिक गुड्स जो फॉरेन गुड्स आते थे वो खरीदना बंद कर दिया वैल्यू लगभग आधी हो गई लेकिन इन सारे चीजों की एक लिमिटेशन थी क्यों क्योंकि हमारे खुद के कोई इंस्टीट्यूट थे नहीं जहां लोग काम कर सकते तो पापी पेट का सवाल था बच्चे घर पे ही थे मार पड़ रही थी तो स्कूल ही चले गए इसके लिए दूसरी चीज खादी बहुत एक्सपेंसिव था तो एक बार जोश जोश में तो बॉयकॉट कर दिया लेकिन लोग खादी खरीद नहीं सकते थे तो वापस मशीन मेड क्लोथ्स खरीदना शुरू कर दिए गांव में लोगों के अलग ही जलवे थे एक तो मेन एक्सट्रीम विलेजेस में लोगों ने अलग तरह से मैसेज को इंटरप्रेट किया उन्हें ये लगता था हमारे परेशानी का कारण ये जमींदार और लैंडलॉर्ड है तो मूवमेंट उनके ही अगेंस्ट में था एक तरह से मतलब नाई धोबी बंद ऑर्गेनाइज करवा दिया ठीक है जमींदारों के बाल नहीं काटेंगे कपड़े नहीं धोएंगे और साथ ही साथ देखो कांग्रेस ने प्रयास किया जैसे अवध किसान सभा बनाई गई बाबा रामचंद्र और जवाहरलाल नेहरू के द्वारा भी लेकिन पीजेंट्स को ऐसा लगता था क्या कि महात्मा गांधी ने बोला है अब तो बस आजादी लेना है तो लैंडलॉर्ड्स वगैरह के घर पे हमले हो जाते थे वायलेंस का इस्तेमाल किया जाने लगा अब वहीं पर आप देखेंगे तो गांव में जो ट्राइबल क्षेत्र था वहां पर भी ब्रिटिशर समस्या थे क्योंकि फॉरेस्ट लॉज वगैरह सब कुछ चेंज कर दिए थे तो ब्रिटिशर्स को अपोज करने के लिए जैसे वहां प लोकल हीरोज के नाम में अगर आप देखेंगे तो अलरी सीताराम राजू का नाम आता है जो कि हमारी कहानी के हीरो है लोग बोलते थे भगवान का अवतार है गोली भी मारोगे तो भी कुछ नहीं होगा [संगीत] उन्हें लोगों को ठीक कर सकते हैं और वो महात्मा गांधी की रिस्पेक्ट भी करते थे लेकिन उनका मानना था आजादी बिना लड़े नहीं मिलेगी इसी के साथ-साथ जैसे प्लांटेशन फील्ड में लोगों का अलग पार्टिसिपेशन था नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट में इनलाइन इमीग्रेशन एक्ट के चलते उन्हें प्लांटेशन फील्ड छोड़ के जाने की आजादी नहीं थी मुझे अपने घर जाना है और जब महात्मा गांधी ने स्वराज का कॉल दिया नॉन कोऑपरेशन में पार्टिसिपेट करने को कहा उन्होंने बोला बस आजादी मिल गई है और वो प्लांटेशन फील्ड को छोड़ छोड़ के निकल पड़े इन सारे अलग-अलग लोगों के पर्सपेक्टिव के बावजूद भी कहीं ना कहीं एक वो पैन इंडिया इमेज जो है वो नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट से निकल के आ रही थी लेकिन लोग वायलेंस को रिजॉर्ट कर लेते थे और चौरी चौरा के इंसीडेंट के बाद में जब एक पुलिस स्टेशन जला दिया गया गोरखपुर उत्तर प्रदेश के पास में तब महात्मा गांधी ने नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को कॉल ऑफ कर दिया फेब 1922 में कॉल ऑफ किया गया मूवमेंट अगला मूवमेंट आएगा 1930 में सिविल डिसब मूवमेंट इस बीच में क्या हो रहा था तो इस समय प जैसे आप देखेंगे तो सीआर दास और मोतीलाल नेहरू ने एक पार्टी बनाई जिसका नाम था स्वराज पार्टी उन्होंने कहा कि अब कोई मूवमेंट तो चल ही नहीं रहा इलेक्शन ही लड़ लेने दो हमें नाइस ठीक है इसके अलावा दो फैक्टर्स थे जो इंडियन पॉलिटिक्स को शेप दे रहे थे वो दो फैक्टर जो थे वो एक था कि इकोनॉमिक डिप्रेशन जिससे एग्रीकल्चरल प्राइसेस गिर रही थी पूरा का पूरा ग्रामीण क्षेत्र जो था वो घबराहट में था और कारण मान रहा था ब्रिटिशर्स को और दूसरी चीज जो थी वो यह थी कि हमारे यहां साइमन कमीशन आया था गो बैक साइमन के नारे के साथ स्वागत हुआ बेसिकली साइमन कमीशन एक कमीशन पहुंचाया गया सर जॉन साइमन की लीडरशिप के अंडर में जो इंडिया में कॉन्स्टिट्यूशन का काम करेगा ये तो अच्छी बात है लेकिन उसमें इंडियंस एक भी नहीं थे गद्दारी कर गद्दारी कर इंडियन लीडर्स ने अपोज किया वहां पे उस समय जो वायसराय थे लॉर्ड एर्विन उन्होंने सोचा कि इनको डोमिनियन स्टेटस दे देते हैं बोलते हैं कि तुम बना लो संविधान लेकिन रहोगे तुम ब्रिटेन के अंडर में ही क्राउन के अंडर में ही तब हमारे यंग लीडर्स ने बोला ना जी ना अब लेंगे तो पूरी आजादी लेंगे और 1929 का जो कांग्रेस सेशन था वहां पे पूर्ण स्वराज रेजोल्यूशन को पास किया गया और ये बोला गया कि आगे आने वाली 26 जनवरी को हम आजादी पा लेंगे लेकिन आजादी तब मिली नहीं तब महात्मा गांधी ने बोला चलो फ्रंट सीट प मुझे आने दो अब समय आ गया है कंट्री में बड़ा अगला ब्रॉड बेस्ड मूवमेंट लॉन्च करने का जो होगा सिविल डिसोडियम मूवमेंट जो शुरू होता है सॉल्ट मार्च के साथ में 31 जनवरी 1930 के दिन महात्मा गांधी 11 डिमांड्स लिखते हैं लॉर्ड इरविन को और उसमें से एक डिमांड होती है कि सॉल्ट के ऊपर से टैक्स हटाया जाए सॉल्ट के ऊपर टैक्स लगाते हो कितनी चिंदी चोरी करोगे ये तो नेचुरल सब्सटेंस है और बोला था अगर हमारी डिमांड्स नहीं मानी गई तो एक ब्रॉड बेस्ड मूवमेंट लॉन्च किया जाएगा 11 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया लॉर्ड इरविन ने हल्के में लिया डिमांड नहीं मानी और महात्मा गांधी ने फिर एक मार्च चालू करी साबरमती से लगा के डांडी कोस्ट तक 24 दिनों तक 240 माइल्स चलते हैं अपने 78 वॉलेट्स के साथ में कोस्टल टाउन ऑफ डांडी पे जाके वो सिक्स्थ अप्रैल को नमक उबाल के दिखाते हैं ठेंगा दिखाते हैं रविन को और बोलते हैं देखो नमक बना लिया और टैक्स भी नहीं दिया आज से कॉपरेशन भी हटाएंगे और डिस ओबे भी करेंगे दिस मार्क द बिगिनिंग ऑफ सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट जगह-जगह लोगों ने सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में पार्टिसिपेट किया नमक उबाल उबाल के दिखाया नाच नाच के दिखाया कि टैक्स नहीं दे रहे हैं लो चौकीदारी टैक्स देने से रिफ्यूज कर दिया ब्रिटिश सिस्टम जो था डर गया था उन्होंने लीडर्स को अरेस्ट करना शुरू कर दिया और महात्मा गांधी खुद अरेस्ट हो चुके थे लोगों ने भी अपना आप खो दिया मूवमेंट वायलेंट टर्न आउट हो गया और इसी कारण से गांधी इरविन पैक्ट साइन होता है फिफ्थ ऑफ मार्च 1931 को जिसके चलते मूवमेंट को कॉल ऑफ किया गया महात्मा गांधी ने बोला कि चलो लॉर्ड इरविन लंदन चलके बैठ के बात करते हैं सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में जाते हैं पर शर्त ये कि तुम्हें सारे लोगों को छोड़ना पड़ेगा पर लोगों को छोड़ा नहीं जाता है और मूवमेंट उतना कुछ हाथ में देके नहीं जाता है सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट के जो पार्ट पार्टिसिपेंट ग्रुप्स थे वो एक दूसरे के अपोजिट थे जैसे रिच पीजेंट्स ने पार्टिसिपेट किया पहला सेक्शन वो ये चाहते थे कि उन्हें लैंड रेवेन्यू ना पे करना पड़े और इस चाहा में उन्होंने सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट कांग्रेस को सपोर्ट कर दिया वहीं पे रिच पीजेंट जो थे उन्होंने भी पार्टिसिपेट किया लेकिन वो ये चाहते थे कि उन्हें जो रेंट पे करना पड़ता था रिच पीजेंट्स को वो रेंट उन्हें माफ कर दिया जाए रेवेन्यू भी रिड्यूस कर दिया जाए तो अपोजिट ग्रुप्स थे कांग्रेस बड़ी विडंबना में रहती थी इसको चूज करूं कि इसको सिमिलरली इंडस्ट्रियल ओनर्स जो थे उन्होंने पार्टिसिपेट किया देखो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के टाइम प पीरियड में इंडस्ट्रियल ओनर्स ने खूब प्रॉफिट बनाया अब वो चाहते थे कि वो अपना बिजनेस एक्सपेंड करें ब्रिटिशर्स बिजनेस एक्सपेंड करना नहीं देना चाह रहे थे तो कांग्रेस मेंबर्स के सपोर्ट करके इंडियन इंडस्ट्रियलिस्ट जो ओनर्स थे वो ये सोचते थे कि वो ग्रो कर जाएंगे भाई पैसा हो तो क्या कुछ नहीं हो सकता लेकिन वहीं पे आप वर्कर्स देखोगे तो जो वर्कर्स चौथा ग्रुप था जिन्होंने पार्टिसिपेट किया वो ये नहीं चाहते थे कि हम पार्टिसिपेट करें क्यों क्योंकि जहां इंडस्ट्रियल ओनर्स थे तो वर्कर्स की हमेशा डिमांड ये होती थी कि हमारी सैलरी बढ़े वर्किंग आवर्स रिड्यूस हो अच्छा ठीक है सरी कुछ गांधियन वर्कर्स ने जरूर पार्टिसिपेट किया था सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में अगली कैटेगरी जो पार्टिसिपेंट्स की वो थी वो वुमेन की थी वमन ने बड़ चढ़ के पार्टिसिपेट किया सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में गांव शहर से सभी जगह से निकल के आई महात्मा गांधी के कॉल पे महिलाएं अपनी सैक्रेड ड्यूटी की तरह सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट को मानने लगी थी लार्ज स्केल पार्टिसिपेशन के बावजूद भी सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में लिमिटेशन थी जैसे कास्ट के बेसिस पे और रिलीजन के बेसिस पे कास्ट के बेसिस पे आप देखेंगे तो कांग्रेस वाज डोमिनेटेड बाय अपर कास्ट हिंदू और उस समय पे अनटचेबिलिटी भी प्रिवेंट थी उस कारण से दलित अपने आप को एसोसिएटेड फील नहीं कर रहे थे सिविल डिस ओबेडिएंस मूवमेंट में बहुत ज्यादा अपने ग्रुप्स बना के बैठे थे दो महात्मा गांधी ने ये कहा था कि हमें ये सब छोड़ना पड़ेगा तभी तो आजादी मिलेगी तभी तो यूनाइटेड हो पाएंगे लेकिन उसके बावजूद भी आप देखेंगे बीआर अंबेडकर और महात्मा गांधी में कंफ्लेक्स थे और जो पुना पैक्ट के बाद में रिजॉल्व होते सिमिलरली रिलीजन के बेसिस पे आप देखोगे तो हिंदू मुस्लिम्स के बीच में कंफ्लेक्स इंटेंस हो गए थे आप देखेंगे तो ऑर्गेनाइजेशन जैसे हिंदू महासभा हो गया जैसे मुस्लिम लीग हो गया इस कारण से कन्वर्जेंस बहुत कम देखने को मिल रहा था एमआर जयकर और मोहम्मद अली जन्ना के बीच में कंट्रोवर्सीज भी आपको देखने को मिली और मुस्लिम्स जो है तो वो एक्टिवली इंडियन नेशनल मूवमेंट में उतना खुल के पार्टिसिपेट नहीं कर पा रहे थे क्योंकि उनको मुस्लिम लीग लीड कर रही थी अलग तरह से यही सारे टॉपिक्स ब्रॉडली चैप्टर में कवर किए गए हैं लेकिन एक एस्पेक्ट जो चैप्टर का कहता है कि साथ लड़ने से तो कलेक्टिव बिलोंग आ रही थी लेकिन कल्चरल प्रोसेसेस ने भी एक इंपॉर्टेंट रोल प्ले किया फॉर एजाम एग्जांपल फोक टेल्स सोंग्स पोएम्स हिस्ट्री इन सारी चीजों की मदद ली गई बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने जैसे वंदे मातरम लिखा अभिनेंद्र नाथ टैगोर ने भारत माता की पेंटिंग बनाई साथ ही साथ फोक कल्चर की अगर बात करें तो खुद रविंद्रनाथ टैगोर जो थे तो वो गांव-गांव जाके उन्होंने क्या किया नर्सरी राइम्स और पोयम्स को कलेक्ट किया नतिशा शास्त्री ने फोक टेल्स ऑफ सदल इंडिया जो है तो पूरी फोर वॉल्यूम बुक में कलेक्ट करी उसके अलावा आप देखेंगे फ्लैग्स का इस्तेमाल होता है सेंस ऑफ कलेक्टिव बिलोंग डेवलप करने में तो स्वराज फ्लैग महात्मा गांधी ने बनाया नॉन कोऑपरेशन के टाइम में स्वदेशी मूवमेंट के समय में बंगाल में स्वदेशी फ्लैग बनाया गया इन सारी चीजों के अलावा हिस्ट्री पे भी फोकस किया गया कि हमने हमारे इतिहास को लोगों को बाद में बताया कि हमारा इतिहास गौरवशाली रहा है ऐसा नहीं कि ब्रिटिशर्स ने आके बोल दिया कि हम इनकैपेबल थे और हमें वो मान लेना है चल देख आराम से देख आम से आराम आराम से इंटरप्रिटेशन ऑफ हिस्ट्री वास मेजर पार्ट दिस वाज द होल चैप्टर पूरा चैप्टर का एक्सप्लेनेशन आपको चैनल पर मिल जाएगा आई होप यू गाइस एंजॉयड इट साइनिंग ऑफ विद दिस टुगेदर वी कैन वी विल थैंक यू थैंक यू वेरी मच