जिन बच्चों को प जो है उसकी मंत्र हो जाए पी गई और वो से मंत्र जो है प्रिजर्वेटिव वो हमारे जो फूड हैं प्रोसेस फूड है जो बच्चों को आजकल बहुत दिए जा रहे हैं चाहे वो मिल्क हो चाहे वो सीरियस हो बहुत तरह के हैं और पूरा मार्केट है बहुत बड़ा वह से चीज उसके अंदर भी है तो पंचकर्म के अंदर एक बस्ती ट्रीटमेंट होता है जिसको हम लैट्रिन के रास्ते पेट में डालते जो आपने सब बताया है ये कितना कॉस्ट इफेक्टिव है 100% मेरे तो बहुत बच्चे चल नहीं पाते थे चलने लगे बोल नहीं पाते बोलने लगे कम से कम एक चम्मच या दो चम्मच वेट के हिसाब से देसी गी 1 साल का बच्चा है तो उसे क्या दो चम्मच नमस्कार दोस्तों मैं हूं हिमांशु भट्ट दी हेल्थ शो में आज हम डॉक्टर विजय वर्मा जी से जानेंगे ऑटिज्म और स्पीच डिले के बड़े में क्योंकि बच्चों में ये प्रॉब्लम बहुत आम है और अक्सर पेरेंट्स से इग्नोर करते हैं और फिर ये बाद में जाके बच्चों के लिए बड़ी प्रॉब्लम बन जाति है सर आपको मेरा प्रणाम प्रणाम हिमांशु जी ये प्रॉब्लम होता क्या है यस और 30 जो है इसको अगर हिंदी का शब्द मैन तो आत्म केंद्रित जी आप केंद्रीय का मतलब है की वो जो बच्चा है वो बस अपना चुपचाप बैठे राहत है वो आपसे आंख से आंख मिला के बात भी नहीं करता वो आसपास की सराउंडिंग के अंदर कोई भी इंटरेस्ट नहीं दिखता जैसे लिस्ट और ऐसा हो जाता है की जैसे मिट्टी का लोढ़ा और उसके जो माइलस्टोन डेवलपमेंट है वह भी स्लो हो जाति है जैसे डर से बैठना चलने में बहुत डर यूनी कांसेपशियन उसको रहते ही राहत है लॉस ऑफ ऐपेटाइट होती है क्लियर होता है तो यह इस ट्रैक्टर में बहुत आम देखते हैं ऑटिज्म और स्पीच डिले अलग-अलग करता है चाहे वो स्पीच हो जो हम बोल रहे हैं चाहे हमारे सुनने का हो चाहे हमारे हाथ पर का हो तो सारे एक्शन प्रिंस अब जो बेबी है उसका डेवलपमेंट होना शुरू होता है तो उसका ब्रेन डेवलप होता है अब जब ब्रेन का कुछ हिस्सा अगर डेवलपमेंट नहीं हुआ उसका स्पीच सेंटर जो होता है जो न्यूरॉन्स है वो अगर नहीं हुए डेवलप तो हर चीज स्लो डॉ हो जाएगी खत्म हो जाएगा उसका जो मुश्किल एक्टिविटी वो कम होगी भारत में खत्म हो जाएगा तो ये सब एक दूसरे से मिलते मिलते एक तरह का सॉफ्टवेयर है हमारा ब्रेन जो बहुत सारे हैं वो एक दूसरे के साथ कनेक्ट होते हैं और यह कनेक्शन जैसे-जैसे बंता है आदमी की इंटेलिजेंस बढ़नी है सर आपके पास जो ऑटिज्म के बच्चे आते हैं उनको सबसे ज्यादा कौन सी सिम्टम्स देखने को मिलते हैं की पहले तो मैंने जैसे आज कृति केंद्रीय बताया तो उसमें लिस्टलेस होगा वो बच्चा वो आपसे आंख मिला के बात नहीं करेगा खिलौने भी रखें होंगे उससे नहीं खेलेगा एक तरफ कोनी में बैठा रहेगा और इस पीस तो डिले होगी क्योंकि वह हम बोलेंगे वो उसको रिस्पांस ही नहीं करेगा वहां बच्चे को बिठा के मुंह उधर कर दे आवाज लगाओ तो सुनेगा ही नहीं तो इस तरह का जो एक जैसे मिट्टी का लोटा हो जाता है ऐसा हो जाता हो मतलब कम अटेंशन और रिस्पांस रेट भी स्लो हो जाता है लेकिन कई बच्चे ऐसे देखें गए हैं ऑटिज्म वाले जो खेलने हैं तो केवल इस में ध्यान राहत है मां लीजिए आपके हाथ में पेपर है अगर ऐसे किसी बच्चे के हाथ में कोई पेपर हुआ और हमने उसको छन लिया तो सुनने में आया तो बहुत चिड़चिड़ा हो जाता है और अजीब बिहेवियर करने लगता है तो क्या वो भी ऑटिज्म है यूनिट ट्रैक मन हो जाता है जबकि हमारा मन तो मल्टी डाइमेंशन है लेकिन इसमें गजब बात ये है तेरे अभी बहुत सारे जो वेल नॉन परसंस हैं वर्ल्ड में जो एक के की बहुत बड़ी प्लेयर थे बॉबी फिशर वह आर्टिस्ट थे बिल गत भी और इससे बहुत बच्चे का ये मतलब नहीं है की वो मेंटली वो होगा ये है की उसकी जो एक ही फील्ड में वो कम कर रहा है इस में फिर सोच रहा है इस में आत्म केंद्रित हो गया तो इंटेलिजेंस कम है ऐसा नहीं है लेकिन उसका जो ब्रेन का कम्युनिकेशन है दूसरे जो हमारी फैकेल्टी हैं अब हम एक ही साइड में देख रहा हूं मैं बहुत ध्यान से देख रहा हूं ध्यान से देख रहा हूं और मैं आपकी बात नहीं सुन रहा हूं जस्ट लाइक दिस मैं और कहानी मेरा दिमाग नहीं है तो यह भी अच्छा है लेकिन जब हमारा सोशल डेवलपमेंट होता है उसके हिसाब से ठीक नहीं सर अगर कोई बच्चा है उसके पेरेंट्स उसे बार-बार किसी कम को करने के लिए का रहे हैं या उससे बार-बार बुला रहे हैं और वो उनकी बात को इग्नोर कर रहा है और अपने कम में ही लगा क्या ये भी ऑडिशन है अपने कम में ही वो लगा हुआ है तो सर अगर बचपन से ये सब देखते हैं और पहले होता नहीं था वो जिंदगी तो आम है बच्चे अपने कम में मगन रहते हैं बच्चे चंचल रहते हैं बच्चे सुबह-शाम खेलने पूछते रहते हैं इस चीज को कई सालों से लोग आम मानते आए हैं तो फिर मां-बाप कैसे पहने हैं क्योंकि आम तो मां लिया पहचान को तो क्या है जो और बच्चे हैं उनकी हिसाब से देखेंगे जो कंपनियां करेंगे देखेंगे हमारा बच्चा तो एक्टिव नहीं है दूसरे बच्चे एक्टिव हैं खेल रहे हैं आप उसको गार्डन में ले गए पता चला वो बेंच में बैठा हुआ है देख रहे हैं बाकी बच्चे खुला रहे हैं इधर से हम जा रहे हैं हंस रहे हैं खिलखिला रहे हैं वो चुप बैठा है तो उनको एकदम से डाउट हो जाता है की मेरे बच्चे में कुछ ना कुछ गड़बड़ी है फिर वो डॉक्टर को दिखाई हैं तो कहते हैं इसको लेकिन सर अगर बच्चे को बाहर ले गए वो बैठा हुआ है तो हो सकता है ऑटिज्म हो लेकिन अगर बच्चा ज्यादा एक्टिव भी निकाला तब भी डॉक्टर कहते हैं की नहीं ये तो हाइपर एक्टिव हो गया वो क्या है की दोनों चीज एक दूसरे से मिलती जलती क्योंकि हमारा ब्रेन जो है सॉफ्टवेयर है और यह आपस में एक दूसरे से ब्रेन के इतने सारे हैं वो कम्युनिकेट करते रहते हैं हमेशा एक भी हमारे जैसे हम देख रहे हैं तो हमारा ब्रेन एक्टिव हो गया साथ-साथ हम देखो सुन भी रहे हैं उधर गंगा के लहरों की आवाज भी ए रही है और इधर ये घास वगैरा इधर स्मेल भी ए रही है तो साड़ी चीज एक साथ हमारे मन के अंदर जा रही है इनपुट डाटा आएगी हैं ये इनपुट डाटा अगर हम उसको रिसीव नहीं करेंगे उसके हिसाब से नहीं हम एक्ट करेंगे तो हम को खतरा भी है हां खतरा ये है की मैं सामने देख रहा हूं लेकिन पीछे से कोई जानवर ए रहा है अगर मेरा एक्टिव है मन एकदम से मैं देखूंगा क्या है कोई खतरे को तो यहां पे आर्टिस्ट जो है बहुत डेंजरस हो जाता है अब इसके जो है बहुत सारे करण करण की अब क्या करण है की अभी जो रिसर्च चल रही है इसके ऊपर वो उन्होंने देखा है की बहुत सारे कहते थे पहले के भाई ये जेनेटिक है फिर कहते थे कुछ जो जी समय बच्चा पैदा होता है जी समय उसकी डिलीवरी होती है उसे समय कुछ चेंज ए जाता है उसकी उसमें या फिर जो मां के पेट में होता है तो उसको ज्यादा एंटीबायोटिक वगैरा ये सब दी जाति है और एनवायरनमेंट दिया गया था उन बच्चों के अंदर जो था एक ऐसा अच्छा हां और उसका नाम था प यह शॉर्ट चेंज सैचुरेटेड बैक्टीरिया चेंज हो जाते हैं हमारे गत के अंदर भी लाइफ है और आप लोग सब देख सकते हैं एंटीबायोटिक वाली वीडियो में देखा की जिन बच्चों को आर्टिस्ट हैं उनके अंदर एक तत्व जो है उसकी मंत्र बहुत ज्यादा पी गई और वो से मंत्र जो है ऐसे प्रिजर्वेटिव वह हमारे जो फूड हैं प्रोसेस फूड है जो बच्चों को आजकल बहुत दिए जा रहे हैं चाहे वो मिल्क हो चाहे वो सीरियस हो बहुत तरह तरह के हैं और पूरा मार्केट है बहुत बड़ा वह से चीज उसके अंदर भी है तो वो हमारे अंदर की बैक्टीरिया को चेंज करते हैं और जब बैक्टीरिया चेंज होते हैं तो हमारे अंदर एक हार्मोन निकलते हैं जैसे मैंने बताया और किसके लिए की हमारा जो नॉर्मल डेवलपमेंट होता है वह एक दूसरे को कनेक्शन होता है लेकिन वह कनेक्शन करने के लिए इधर से उधर सिग्नल जान के लिए न्यूरो ट्रांसमीटर होते हैं जैसे बिजली का कनेक्शन जिसको डोपामिन कहते हैं सेरोटोनिन कहते हैं इस तरह के जो केमिकल्स हैं वह एक दूसरे से बातचीत करते हैं अब उन बच्चों में देखा गया की इनके गत बैक्टीरिया में चेंज होने की वजह से जो प फैक्ट्री थे तो उसमें बना तो यहां पर जिसको हैप्पी हार्मोन कहते हैं तो उसमें क्या हो गया की उनके ब्रेन का डेवलपमेंट हो गया अब उसमें कहते हैं की ऐसा क्यों क्योंकि ऐसे इसलिए हुआ क्योंकि विटामिन दी की कमी हो अब इसका संबंध हो गए गत में हमारा जो एनवायरनमेंट है जो लाइफ है वो चेंज हो गई और उसके करण से और हम सन में जाते नहीं अभी बच्चे जो है अधिकांश जो है घर में रहते हैं सभी लोग घर में रहते हैं स्कूल भी जाएगा तो और कंडीशन बस में जाएगा स्कूल के अंदर भी एटमॉस्फेयर हुआ होगा बच्चा के रखते हैं हम नेचर से जबकि हम इस मिट्टी में देखेंगे तो यहां से अब इसे अगर हमारा मिलन नहीं होगा यह हमारे अंदर नहीं जाएंगे हमारे एक नॉर्मल जो बैक्टीरिया फ्लोर है वो नहीं बनेगा तो हम इससे अलग हो जाएंगे हमारा जो बच्चे का डेवलपमेंट का जो पैटर्न है वो चेंज हो गया वैसे सर किस आगे में ऑटिज्म की शुरुआत हो जाति है शुरुआत तो जी दिन पैदा हुआ बच्चा उसके बाद जैसी ग्रोथ करने लगा इस समय हो जाति है लेकिन दिखता कब है अब जैसे ये पौधा है इसके अंदर कीड़ा तो अभी ग गया और हमें दिखाई नहीं दे रहा लेकिन जब इसकी पट्टी बन्नी शुरू हुई हां और जब उसमें आपने छेद दी शुरू कर दिए जब देखा पट्टी इसकी मुर्गा ही मुरझा रही है ग्रोथ नहीं हो रही है तब आपको समझ आया की भाई कुछ चीज लगी हुई है इसके अंदर तो इसका मतलब इसके जड़ के अंदर कोई चीज है वो जड़ के अंदर कोई बैक्टीरिया या फंगस या वायरस और इंफेक्शन हो गया तो हमारी जड़ जो है हमारी इंटेस्टाइन तो इस टाइम में जब यह चीज आने शुरू हो जाता है और ये भी पता है की दुनिया की बहुत बड़ी बड़ी सेलिब्रिटीज और एंटिटीज को भी ऑटिज्म था लेकिन वो आज इतने सक्सेसफुल हैं लेकिन फिर भी अगर ऑटिज्म को समय रहते ट्वीट नहीं किया गया तो कितना बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट कर सकता है बहुत बड़ी प्रॉब्लम सबसे पहले तो वो कुछ कर ही नहीं पाएगा जीवन में स्ट्रेस को भी फ्रेश नहीं कर पाएगा उसकी ग्रोथ और डेवलपमेंट भी स्लो डॉ हो जाएगी तो यह तो पर्सनालिटी डिफेक्ट में भी ए जाएगा और वो इनसिकरेड भी रहेगा क्योंकि अगर हम एक दूसरे से कम्युनिकेट नहीं करेंगे आपसे मैं बात कर रहा हूं आंखों में आंखें दाल के बात कर रहा हूं आप मैं जो बोल रहा हूं आप सुन रहे हो सुनने के बाद आप चिंतन कर रहे हो उसके बाद आप क्वेश्चन पूछ रहे हो तो ये पूरा का पूरा प्रोसेस तो खत्म तो पूरा आइसोलेटर भी जाएगा वो जरूरी है की कुछ लोग ऐसे थियोरेटिस निकाला और उन्होंने देखा लेकिन अधिकांश तो नहीं है रेयर ऑफ दी दे रहे हैं ये तो हां ये तो बहुत है ना तो लेकिन अधिकांश लोग क्या हो गए वो एंटी स्पेशल एक्टिविटी में ए जाए वो अपराधी भी बन सकते हैं उनके परिवार के लिए भी और उनके अपने लिए भी एक बहुत बड़ा घटक बीमारी है सर ऐसा भी हो सकता है की अगर ऑटिज्म या ऑटिज्म को समय रहते ट्वीट नहीं किया गया तो यह बाद में निकाला प्रॉब्लम तो बनेगा इंसान किसी और की बात सुनता ही नहीं है बिल्कुल भी मुझे ऐसा लगता है की जो मैं कर रहा हूं वही सही यही तो हो रहा है आजकल क्योंकि आप कम देखिए नॉलेज जो है कम्युनिकेशंस आई है आपने मेरे साथ कम्युनिकेट किया हमने आपकी बात सनी मैंने जवाब दिया मैं आपके साथ कम्युनिकेट कर रहा हूं आप हमारी बात समझ रहे हैं तभी तो आप मेरे को नहीं इतना फॉलो किया की डेटेड मिलियन तक आपने पहुंच दिया और इतने कल आए क्योंकि जब हम ट्रुथ बोलते हैं तो उनके दूसरा समझना है और दूसरी चीज नॉलेज उसके पास है उसके हिसाब से उसका ब्रेन प्रोसेस कर रहा है हां तो वो सोचता है की ये आदमी सही है की गलत है यह जो सही और गलत की पहचान है या ओटिस में कैसे आएगी हां यह भी है बच्चा जब ग्रोथ होगा उसको यह नहीं समझ में आएगा की सही क्या है और गलत क्या है तो वो गलत गलत कम करता रहेगा आप उसे समझने की कोशिश करोगे उसको समझ में नहीं ए रहा है तो फिर और इतना आम भी है तो फिर इसका सॉल्यूशन क्या है मेडिकल साइंस में देखिए मैं तो एलोपैथी में चाइल्ड स्पेशलिस्ट हूं आपको पता ही है और हमारा जीप की हेल्प चंद्रमा से ठीक करता है पंचकर्म से ऑटिज्म का इलाज करते हैं और ये प्रूफेड हो चुका है क्योंकि जो गत बैक्टीरिया हैं तो पंचकर्म के अंदर एक बस्ती ट्रीटमेंट होता है जिसको हम लैटिन के रास्ते पेट में डालते हैं मेरी अगर अपनी मेरी वेबसाइट पर आप जाएंगे जीपी हेल्थ परत में तो उसमें बहुत सारे बच्चों को आप टेस्टिमोनियल्स की तरह से देखेंगे जो बच्चे ठीक है तो उससे क्या होगा इसको हमने नाम दिया पढ़ रिएक्टर न्यूट्रिशन और ये पर्याप्त न्यूट्रिशन क्या है कुछ नहीं है एक छोटी सी नाली से लैट्रिन के रास्ते दवाई दाल देते हैं और उससे अंदर का बैक्टीरिया चेंज हो जाता है जिसके अंदर गी भी है जिसके अंदर दूध भी हो सकता है जिसके अंदर तेल भी हो सकता है उसके अंदर बहुत साड़ी आयुर्वेदिक मेडिसिन होती हैं वह अंदर जाकर बॉडी में फेल जाति है और हमारा अंतर का सिस्टम चेंज होने लगता है उसके साथ हम दूसरा कम करते हैं जाते हैं जो सुरगी चीज है वह बिल्कुल बैंड होने चाहिए बच्चों में चॉकलेट बहुत खिलाया आइसक्रीम पास्ता ये दुनिया भर की जो है डेरी प्रोडक्ट्स और वाइट प्रोडक्ट्स प्रिजर्व्ड मीत प्रोसेस फास्ट फूड चिप्स क्रंचेज की सारे के सारे मतलब जो भी नेचुरल है वो खाया जाए बस नेचुरल खाया जाए दूसरा बना तीसरा सबसे और दूसरा करण क्या है उसका जो हम फटी एसिड ले रहे हैं वो फैलती है इसके आते हैं जो प्रोसेस और आपके रिफाइंड तेल से जी बात को मैं लगातार कहते हैं ये साड़ी चीज मिल्क हाय फैट हाय शुगर हाय कार्बोनेट और प्रोसेस तो उसकी वजह से भी मारे होते अब आपने जैसे सॉल्यूशन ढूंढा तो मैंने एक सॉल्यूशन नंबर वन बताया बस पांच करना बस दूसरा सॉल्यूशन है डायट चेंज डायट चेंज के अंदर आपने शुगर बैंड कर दी बिल्कुल शुगर है तो वैसी ड्रॉप फार्मा है जो गुड ले लिया या आपने खजूर ले लिया मुनक्का ले लिया इस तरह की चीज और व्हाइट शुगर तो बिल्कुल दूर बिल्कुल बैंड कर दिया और इस नेक्स्ट में आपने बहुत सारे बी हैं तिल है आलसी है तरबूज के बी हैं या खरबूजे के बी हैं या चिरौंजी है पिस्ता है बादाम है इनके साथ प्रोटीन भी जाएगी और तेल भी जाएगा इनको बनके दे दो किसी चीज है कोई भी तेल का बढ़िया से मालिश करो और उसको धूप में उसके अंदर अंतर आने लगे क्योंकि हमारी बॉडी जो है वो संत से कनेक्ट हनी बहुत जरूरी है उसमें मैंने बताया की विटामिन दी की कमी होती है और हमारा जो ये रंग फटी एसिड पी है वो अंदर होता है अब विटामिन दी की कमी पूरा करने के लिए हम सन में बैठने हैं लेकिन समय बैठने से पहले हमारी बॉडी में गुड क्वालिटी का फैट जाना चाहिए इसलिए हम सुबह को कम से कम एक चम्मच या दो चम्मच वेट के हिसाब से देसी गी उसकी वेट के हिसाब सपोज 10 किलो का बेबी है तो आधा चम्मच दीजिए तो उसको एक चम्मच दीजिए तो यह फैट जो है ना यह कोलेस्ट्रॉल जो बंता है यह विटामिन दी का पीकर सर मैन जैसे एक रा मटेरियल है तो धूप पढ़ने पर विटामिन दी बन्ना शुरू हो जाएगा और जो विटामिन दी बनेगा तब हमारा सिर टूर्नामेंट बन्ना शुरू हो जाएगा तो यह कैसी साइकिल है इधर गी पिया मालिश किया धूप की सिकाई कारी और उधर हमारा सिगरेट नहीं बन्ना शुरू कर दिया उधर ब्रेन के अंदर पहुंच गया प्रॉब्लम सॉल्व हनी शुरू हो गई साथ में थोड़ी बहुत आयुर्वेदिक दवाई हां थोड़ी बहुत जरूरी भी है सर कई डॉक्टर कहते हैं मतलब कई जगह बच्चों के ऑटिज्म के ट्रीटमेंट में ना लाखों रुपए भी खर्च हो जाते हैं जो आपने सब बताया है ये कितना कॉस्ट इफेक्टिव है 100% मेरे तो बहुत बच्चे चल नहीं पाते थे चलने लगे बोल नहीं पाते बोलने लगे इसमें तो मैं हैरत हूं की इतना अच्छा रिस्पांस हमारे आयुर्वेदिक के बस्ती पंचकर्म में बस्ती मैंने बड़ी इस्तेमाल किया है जो की और यह तो अभी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में भी बोलो ये कर रहे हैं लेकिन बस्ती नहीं कर रहे हैं वो आयुर्वेद नहीं अभी अपना रहा है ना उनको अभी इसको पता है वो डायट चेंज कर के उन्होंने ये चीज मिला देते हैं दूसरे का फिशियल मटर जो है लास्ट वीडियो में बताया था क्योंकि जो एक्सपेरिमेंट किया गया उन्होंने देखा की जो आर्टिस्ट के बच्चों का फ्रीकल निकाल के उसका गोल बना के और चौहान को दिया गया तो चौहान में भी आर्टिस्ट जैसे लक्षण हो तो बैक्टीरिया की वजह से लक्षण ए जाए की हमारी अगर गड़बड़ी है हमारे अंदर विटामिन दी वगैरा अच्छे बन रहे हैं हम सन से कनेक्ट है और डायट अच्छी है [संगीत] करते हैं जो हम लोग उसको देते सबसे में बात सर हर कोई जानना चाहता है यह क्या ऑटिज्म घर पर ठीक हो सकता है बच्चे का ठीक हो सकता है अब हम हमारे पास जैसे बच्चे आते हैं तो बहुत सारे बच्चे तो यहां नहीं र सकते 10 दिन 15 दिन तो हम उनकी मदर को शिखा देते की तुम इस तरह से ट्रीटमेंट पंचकर्म अपने घर पे कर लो कैसे दवाई डालनी है पेट में बहुत आराम से प्रोसेस है उसमें हम उसको ट्यूब उसको सिरिंज उसको दवाइयां जो उसे बच्चे के लिए एप्रुपरिएट है क्योंकि हर एक के लिए अलग-अलग चिल्ड्रन में बहुत ही कम लोग कर रहे हैं और खासकर मेरी नॉलेज में ऐसे एलोपैथिक मेडिएशन के अंदर में तो मुझे अभी मुश्किल है की ऑटिज्म ठीक हो सकता है लेकिन मैं गूगल पर सर्च कर रहा था तो वहां पर मुझे शायद कहानी भी लिखा हुआ नहीं दिखाओ ऑडिशन ठीक हो सकता है गूगल पर हर जगह यही लिखा हुआ है की लाइफ़लोंग रहेगा मैं कैसे का डन उसको क्योंकि कई बार लोग सर्च भी करते हैं किसी से पूछते भी है ना तो हमारे पास सर डॉक्यूमेंटेशन है हमारी वेबसाइट पे कुछ केसेस भी मिल जाएंगे आपको जो ठीक हो गई चलने लगे तो मैं तो नहीं समझना हूं की ऐसा है और यह ट्रीटमेंट अभी बाहर निकाल के आएगा हां जो हमारे पास और ज्यादा एविडेंस डेवलप हो जाएंगे जैसे कोरोना के टाइम पे आयुर्वेद कितना जरूरी है वो सामने आया बिल्कुल है तो ऐसी उसकी आपको वीडियो बनाएंगे तो उसमें भी हम बताएंगे किस तरह से हम ठीक कर रहे हैं तो सर आपके जो अब तक का एक्सपीरियंस है उसके बेस पर आप ऑटिज्म के जो बच्चे हैं जैसे जूझ रहे हैं उनके मां-बाप को क्या सजेशन देना चाहेंगे उनके लिए तो पहले हॉपलेस बिल्कुल खत्म कर हो फूल हो जो इसको डरूंगा उसके बड़े में और स्टडी करो और जो ये मैंने बताया कर चीज आपको की सुबह उठकर कितना गी देना है वेट के हिसाब से देना है मालिश करके धूप में ना और टाइट में अगर हो सकता आप लोग पंचकर्म करो आप देखोगे की एक ही महीने के अंदर उसने चेंज आना शुरू हो जाएगा 15 20 दिन के अंदर अब जैसे आगे अगर कम होगी सपोज एक साल का बच्चा मेरे पास आया है लेकिन 5 साल का बच्चा आता है तो रिकवरी लेकिन रिकवरी 100% होती है 100% रिकवरी होती है जितना लेट करेंगे रिकवरी का टाइम है ज्यादा खराब है तो उसको ज्यादा समय लगेगा ठीक होने में वो जल्दी हो जाएगा लेकिन ओटी कोई भी बीमारी हमारे सामने नहीं है हम नहीं का सकते किसी भी हालात में जो मेरे पास रिजल्ट्स हैं की इसका कोई इलाज नहीं है इसका 100% इलाज है आयुर्वेद में है पंचकर्म में है और बस्ती में विद डाइट्स क्योंकि आयुर्वेद कोई एक दवाई नहीं है की एक हम शंखपुष्पी अब्राहम्मी और यह देश और होल सिस्टम अब जब हम यहां बैठे हैं गंगा पीछे बा रही है इतना अच्छा एनवायरनमेंट है आज आपने कहा की गंगा के किनारे एक दूसरे से जुड़ी हुई है की इस पेट को निकाल के ये आयुर्वेदिक नहीं इसमें पृथ्वी भी ए गई इसमें जल भी ए गया इसमें ये जो पेड़ पक्ष है ये भी ए गया ये पशु पक्षी का सब चीज ए गए तो अगर हम आयुर्वेद को देखेंगे तो उसका प्राण एक आयुर्वेदिक तो का सकते हैं कांबिनेशन ऑफ नेचर कांबिनेशन नहीं है इंटरकनेक्टिव कनेक्टिविटी और उसका एक प्राण है जिसको आप सूर्य से कनेक्ट होते हो सूर्य को एक प्राण है इसलिए उसको देवता माना गया है इसी को तो कहते एक ओंकार एक ओंकार है क्या एक ही चीज से साड़ी चीज जुड़ी हुई है और इस प्रकृति के अंदर शक्तियां हैं और शक्ति क्या है जैसे आज सामने देख रहे हैं चंडीगढ़ पहाड़ के ऊपर क्यों बनाई उधर मानसा देवी पहाड़ पे क्यों बनाई क्योंकि एकांत में जाकर और जितने भी मंदिर मिलेंगे या तो नदी के किनारे मिलते हैं नेचर में मिलते हैं वह हमको यह सीखने हैं की इस नेचर के अंदर शक्तियां हैं इस पावर है और वह पावर हम बुद्धि विवेक से जान जाते हैं ये साइंस है यही विज्ञान है और उन्होंने अब यहां पर यह इतनी साड़ी जड़ी बूटी लगे है देखिए टीसीएस इसका जो तेल है अभी कनाडा में इस में रिसर्च हुई इससे एक्सीलेंट पर थे ब्रेन ग्रोथ और खासकर क्लिप्स के लिए और अटेंशन डिफिशिएंसी के लिए बहुत बढ़िया है नहीं जानता है तो मैं तो उसकी ठीक ले आगे यहां सर आपको बहुत-बहुत धन्यवाद की आपने ऑटिज्म जैसी प्रॉब्लम क्या सॉल्यूशन देने की कोशिश की ताकि लोगों को फायदा पहुंच सके इससे नहीं और मैं पूरे उनको एक तो आपको धन्यवाद डन आपने बहुत अच्छी वीडियो और हमको तो आपने बहुत इधर-उधर फैला दिया तो मेरा तो यह है खाने की बात की आप हर सब्जेक्ट को अच्छी तरह से रिसर्च कीजिए और उसको देखिए और इसको समझिए और यू आर मोस्ट वेलकम आप व्हाट्सएप कीजिए तो मैं आपको जवाब भी दूंगा और ये जो ट्रीटमेंट कर रहा है या बस्ती में कहता हूं डर निकाल और समझो साथ में गंगा जी है आशीर्वाद और नेचर से जूडो ठीक होता जाए मैं तो उसको यह कहता हूं पेड़ लगा दो अब हमें बचाना है तो नेचर से नेचर से जोड़ना पड़ेगा तो सर आपका धन्यवाद तो उम्मीद करते हैं सर की बताई इनफॉरमेशन आपको ऑटिज्म का ट्रीटमेंट करने में बहुत मदद देगी और शायद आप घर पे ही समझ पे की आपका बच्चा इस प्रॉब्लम से जूझ रहा है और जैसा की साइड ने बताया है की नेचर के करीब रहो प्रकृति से जुड़े रहो और जो भी नेचुरल डायट है उसका ही सेवन करो और पैकेट वाली चीजों को बिल्कुल छोड़ दो तो हो सकता है आपकी ऑटिज्म क्या शायद कोई भी प्रॉब्लम आपकी लाइफ में नहीं आएगी हेल्प से जुड़ी हुई अगर आपकी कोई क्वेश्चन है तो नीचे कमेंट क्षेत्र में पूछ सकते हैं हम कोशिश करेंगे आपकी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन आपको देने का ताकि आप फिट और फाइन र सके और अगर आप सर से भी कांटेक्ट करना चाहते तो हर वीडियो की तरह डिस्क्रिप्शन और पी कमेंट में आपको कांटेक्ट नंबर और एड्रेस मिल जाएगा धन्यवाद