Coconote
AI notes
AI voice & video notes
Export note
Try for free
अजीद डोबाल: जीवन और कार्य
Sep 8, 2024
अजीद डोबाल की जीवनी और कार्य
प्रारंभिक जीवन
अजीद डोबाल का जन्म 28 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौडी गड़वाल में हुआ।
पिता आर्मी में मेजर थे, जिनका ट्रांसफर राजस्थान हुआ।
स्कूलिंग अजमेर के इंडियन मिलिटरी बोर्डिंग स्कूल से की।
कैरियर की शुरुआत
अजीद डोबाल ने कश्मीर में पीडीपी पार्टी बनाई।
अजीद डोबाल ने 1972 में केरल में दंगों को नियंत्रित करने का काम किया।
दंगों को नियंत्रित करने के लिए निडरता से काम किया और रिपोर्ट में उनकी रणनीति की तारीफ हुई।
कश्मीर और मिजोरम में कार्य
मिजोरम में लाल डेंगा की अगुवाई में MNF आंदोलन की शुरुआत हुई।
अजीद डोबाल को आईबी की लोकल यूनिट का हेड बनाकर भेजा गया।
डोबाल ने स्थानीय जनसंवाद स्थापित कर MNF के नेताओं के साथ पीस टॉक्स शुरू किए।
सिक्किम का विलय
सिक्किम के PM काजी डोर्जी ने भारत से मदद मांगी।
इंदिरा गांधी ने सैन्य उपायों से राजा को हटाने का आदेश दिया, जिससे सिक्किम 1975 में भारत का राज्य बना।
पाकिस्तान में कार्य
अजीद डोबाल पाकिस्तान में 6-7 साल रहे और वहां के नूक्लियर प्रोग्राम पर नजर रखी।
दो बार पकड़े गए लेकिन अलग-अलग ऑपरेशनों में सफल रहे।
आंतरिक सुरक्षा और प्रमुख ऑपरेशन्स
1988 में खालिस्तान आंदोलन के दौरान डोबाल ने गोल्डन टेम्पल के आसपास इंटेलिजेंस से जानकारी इकट्ठा की।
1999 में IC814 हाइजैकिंग के दौरान अजीद डोबाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बाद की गतिविधियाँ
2004 में आईबी के नए डाइरेक्टर बनने की प्रक्रिया में शामिल रहे।
2014 में NSA बने और इराक में 46 भारतीय नर्सों को बचाने के लिए योजना बनाई।
उन्होंने कई सुरक्षा ऑपरेशनों की योजना बनाई और उनकी निगरानी की।
आलोचनाएं और विवाद
अजीद डोबाल के बेटे विवेक डोबाल की कुछ विवादास्पद गतिविधियों के कारण आलोचना का सामना किया।
जैराम रमेश के साथ विवाद के कारण विवेक डोबाल को माफी मांगनी पड़ी।
निष्कर्ष
अजीद डोबाल को भारत में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा रणनीतिकार के रूप में देखा जाता है।
उन्हें 'चाणक्य' भी कहा जाता है।
उनकी कार्यशैली और निर्णयों ने उन्हें एक प्रभावशाली स्थान दिलाया है।
📄
Full transcript