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पैसा और ऋण की समझ
Sep 15, 2024
कक्षा 10 अर्थशास्त्र - अध्याय 3: पैसा और ऋण
परिचय
इस अध्याय में हम पैसे का इतिहास और इसकी विभिन्न रूपों पर चर्चा करेंगे।
बैंकिंग प्रणाली और ऋण (क्रेडिट) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
ऋण लेने के फायदे और नुकसान पर भी चर्चा होगी।
पैसा एक माध्यम के रूप में
आज के समय में, दैनिक जीवन में पैसे का इस्तेमाल सामान खरीदने और बेचने के लिए होता है।
सभी लेन-देन पैसे के माध्यम से होते हैं।
पैसे का होना खरीदारी को सरल बनाता है।
प्रारंभिक समय में, लोग वस्तुओं का स्थानांतरण करते थे, जिसे
बाजार प्रणाली
(Barter System) कहा जाता है।
बाजार प्रणाली (Barter System)
बाजार प्रणाली
: वस्तुओं और सेवाओं का बिना पैसे के आदान-प्रदान करना।
उदाहरण: एक व्यक्ति के पास गेहूं है और दूसरे के पास चावल है।
इस प्रणाली में
Double Coincidence of Wants
होना आवश्यक है।
समस्या: जब दोनों पक्षों की इच्छाएं मेल नहीं खाती हैं, तो लेन-देन संभव नहीं होता।
पैसे का महत्व
पैसे ने बाजार प्रणाली की समस्याओं को हल किया है।
आज के समय में, पैसे को हर कोई स्वीकार करता है।
आधुनिक पैसे के रूप
प्राचीन भारत में लोग अनाज और पशुओं का उपयोग करते थे।
समय के साथ, धातु के सिक्के (गोल्ड, सिल्वर, कॉपर) का उपयोग शुरू हुआ।
आज, हम मुद्रा (Currency) का उपयोग करते हैं, जो पेपर नोट और सिक्कों से मिलकर बनी होती है।
मुद्रा का महत्व
मुद्रा का खुद का कोई उपयोग नहीं है लेकिन यह एक माध्यम के रूप में स्वीकृत है।
यह सरकारी प्राधिकृत होती है और इसके लिए लोगों का विश्वास होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुद्रा जारी करने का एकमात्र अधिकार रखता है।
बैंक में पैसे की जमा और निकासी
लोग अपनी आय का एक हिस्सा बैंक में जमा करते हैं, जिसे
Demand Deposit
कहा जाता है।
चेक
: बैंक को निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने के लिए एक कागजी निर्देश।
चेक के माध्यम से लेन-देन बिना नकद के किया जा सकता है।
बैंक की ऋण गतिविधियाँ
बैंक जमा की गई राशि का कुछ हिस्सा अपने पास रखते हैं और शेष राशि को उधार देते हैं।
बैंक उधारकर्ताओं से उच्च ब्याज दर पर ऋण लेते हैं।
उधार देने का यह तरीका बैंक के लिए लाभकारी होता है।
ऋण की स्थिति
ऋण का अर्थ होता है उधार लेना।
दो मामलों का अध्ययन:
सलीम की कहानी
: सफल ऋण का उपयोग।
सौपना की कहानी
: ऋण के जाल में फंसना।
ऋण की शर्तें
ऋण की शर्तों में ब्याज दर, सुरक्षा (Collateral), दस्तावेज़ीकरण आवश्यकताएँ, और चुकाने का तरीका शामिल होते हैं।
शर्तें उधारकर्ता और उधारदाता के आधार पर भिन्न हो सकती हैं।
औपचारिक और अनौपचारिक ऋण
औपचारिक ऋण
: बैंक और सहकारी समितियों से।
अनौपचारिक ऋण
: पैसे उधार देने वालों, व्यापारियों से।
ग्रामीण क्षेत्रों में, अनौपचारिक ऋण अधिक लिया जाता है।
आत्म-सहायता समूह (Self-Help Groups)
गरीबों के लिए छोटे समूह बनाना, जो एक-दूसरे की मदद करते हैं।
ये समूह बैंकों से ऋण प्राप्त करने के लिए योग्य होते हैं।
महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष
औपचारिक क्षेत्र के ऋण का विस्तार आवश्यक है।
गरीब households को सस्ते और सुलभ ऋण की आवश्यकता।
आत्म-सहायता समूहों के माध्यम से ऋण प्राप्त करना सरल।
प्रश्न और उत्तर
छात्रों के प्रश्नों का उत्तर देने पर जोर।
वीडियो में पाठकों की प्रतिक्रियाएँ पढ़ने का आश्वासन।
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