सो हेलो गैस आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है आज के इस वीडियो में और आज का ये जो वीडियो होगा यह हमारे 6th चैप्टर खाद्य संकलन से जिसका नाम है दासी ये उसे चैप्टर का लाइन टूर्नामेंट एक्सप्लेनेशन वीडियो होगा एंड ये जो चैप्टर है इसके बारे में मैं पहले ही आपको कुछ इनफॉरमेशन है जो की दे देना चाहता हूं क्योंकि उसके बिना इस चैप्टर को करने का कोई मतलब नहीं बनता है ओके सो सबसे पहला जो मेरा चीज है वो ये है की यह जो चैप्टर है ये सबसे लंबा चैप्टर है आपके सिलेबस का ये चैप्टर 16 17 पेज का है ओके तो इस चैप्टर को एक वीडियो में कर पाना पॉसिबल नहीं है है इसीलिए इस वीडियो को सॉरी इस चैप्टर को मैं दो-दो वीडियोस में कंप्लीट करूंगा जिसमें आप यह समझ सकते हैं की एक मतलब आप एक अनुमान लगाकर चलिए की एक वीडियो में पहले आठ से लेकर 9 पेज और बाकी के वीडियो में बाद के आठ पेज होंगे ओके तो इस टाइप से इस वीडियो को किया जाएगा तो अगर आप ये पहला वीडियो देख रहे हैं सो मेक सर की आप सेकंड पार्ट भी देख लें एंड ये जो स्टोरी है जिसका नाम है दासी ये हमारा मतलब सबसे लंबा स्टोरी तो है ही लेकिन इसमें सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन भी इसी स्टोरी में होता है एंड वो क्यों है वो सबसे पहला कन्फ्यूजन जो इसमें लेकर के होता है वो है इस चीज को लेकर की प्लेस जो है कहां पे ये सब चीज हो रही है उसको लेकर बहुत ज्यादा इसमें कन्फ्यूजन होता है की जब इवेंट्स जो हो रहे हैं वह कहां-कहां हो रहे हैं उसे चीज को लेकर बहुत ज्यादा इसमें कन्फ्यूजन रहता है और उसके बाद जो नेक्स्ट कन्फ्यूजन रहता है वो है की हमारा जो कैरक्टराइजेशन है इसमें जो अलग-अलग कैरेक्टर्स हैं वो कैसे हैं वो भी बहुत ज्यादा हमें यहां पे कंफ्यूज करते हैं ओके तो पहले हम क्या करेंगे सबसे पहले हमें ब्लूप्रिंट जान लेंगे एंड ब्लू प्रिंट जानने के बाद हम अपना जो स्टोरी है उसको शुरू करेंगे एंड अगर मैं आपको बताऊं तो अगर आप ये सिर्फ ब्लूप्रिंट जान के ही अगर आप स्टोरी को एक बार अगर रीड कर लेते हैं एक या दो बार तो आपको ये वीडियो देखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि यह चैप्टर हॉट नहीं है इसमें बस जो चीज समझना है वो ये है की इसमें जो कैरेक्टर्स है वो क्या है वो आपस में कैसे रिलेटेड है एंड यह जो स्टोरी है इसमें जो इवेंट्स हो रहे हैं वह कैसे कैसे हो रहे हैं ओके सो वही मैं आपको सबसे पहले समझा देता हूं तो यह जो स्टोरी है इसका नाम है दासी ओके स्टोरी का नाम दासी है जिसे लिखा है जय शंकर प्रसाद ने अगर मैं कनेक्ट हूं तो उनका नाम यही है एक सेकंड इसको थोड़ा सा पतला कर लेते हैं इसे लिखा है जयशंकर प्रसाद जी ने ओके अब यह जो स्टोरी है यह स्टोरी बेसिकली जैसी इसका नाम से हमें पता चलता है की ये दासी के बारे में यानी सर्वेंट के बारे में जो फीमेल सर्वेंट होती है ये उसके बारे में बता रहा है तो वही चीज यहां पर में इसका थीम है की यहां पे भी दासी प्रथा उसके बारे में बताया गया है आपको पता होगा की हमारे देश के ऊपर में बहुत सारे विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया हमारे देश के ऊपर में उन लोगों ने राज किया तो उन्हें में से एक जिसको हम लोग एक टाइप का लोग जो की द उन्हें हम तुर्क कहते हैं मतलब आज का जो लड़की है वहां के लोगों ने भी हमारे देश के ऊपर में राज किया हुआ है तो यह जो स्टोरी है यह उसी टाइम पर जो हमारे देश में पोजीशन था दासी का दासी प्रथा जो हमारे देश में थी यह उसी को लेकर के स्टोरी है इसका जो सबसे पहले मैं आपको इसका क्या प्राइस है इसमें कौन-कौन सी कैरेक्टर्स हैं तो अगर मैं सबसे पहले बात करूं तो इसका जो सबसे फर्स्ट कैरक्टर जो की सबसे इंपॉर्टेंट कैरक्टर है जो की में ही कैरक्टर है वो है बलराज बलराज जो है वो हमारा इसमें में कैरक्टर है ओके अब यह अब यह जो बलराज है इसका मतलब यह कौन है तो यह बलराज जो है जस्ट ए सेकंड यह बहुत दिनों बाद मैं इस पर कम कर रहा हूं तो सबसे पहले मुझे बलराज के भी पहले आपको एक बात बताना होगा की यहां पे सुल्तान के बारे में बोला गया है मतलब जो पहले जहां पहले जब हमारे देश पे तुर्की के लोगों का राज हुआ करता था तो उसे टाइम पे सबसे पहले मतलब उसे टाइम पे एक सुल्तान होता था जिसके अंदर में एक पार्टिकुलर देश होता था तो यहां पे जो सुल्तान है उसका नाम तो हमें खैर मुझे याद नहीं है और या फिर ठीक से बताया भी नहीं गया है तो सबसे में कैरक्टर जो की इसमें सेंटर पॉइंट है मतलब जिसके इर्द-गिर्द सभी कैरेक्टर्स घूमते हैं वह है यह सुल्तान यह सुल्तान जो है यह इसका सबसे मतलब पॉइंट है इसी के आसपास में बाकी सारे कैरेक्टर्स घूमते हैं अब जो हमारा में कैरक्टर है बलराज वो इस सुल्तान का एक नौकर है जिसे कह सकते हैं सुल्तान का नौकर है फिर इसी के साथ साथ एक और भी नौकर है जो की वहीं पर कम करता है जो जिसका नाम है तिलक ओके तिलक जो है बलराज को आप सिंपल मायने में एक नौकर कह सकते हैं एंड यह जो तिलक है यह सुल्तान का एक खास आदमी है ओके अब यहां पर जो हमारा थर्ड कैरक्टर आता है वो है रोजा अब ये फ़िरोज़ा कौन है ये एक फीमेल कैरक्टर है जो की यह जो तिलक है इसकी वह दासी है मतलब इसके यहां पर वह नौकरानी नहीं आप बोल सकते हैं पहले फ्लेवरी सिस्टम होता था तो उसी के मैंने तो उसी के यहां पे ये जो तिलक है इसके यहां पे बेसिकली एक फिरोजा नाम की लड़की इसकी दासी रहती है तो फिर रोजा जो है वो इसकी दासी है ओके ठीक है अब इसके अलावा और जो कैरेक्टर्स हैं वह कुछ इस प्रकार हैं फिर यहां पर एक और कैरक्टर है जिसका नाम है अहमद निहाल तुगीन मैं सिर्फ अहमद ही लिख रहा हूं यहां पर कैरक्टर है जिसका नाम है अहमद अब यह अहमद कौन है यह जो अहमद है यह फ़िरोज़ा कप प्रेमी है ठीक है और एक कैरक्टर है जिसका नाम यहां पर मैं फिर से भूल गया हूं उसका नाम क्या था इरावती और यहां पर और एक कैरक्टर है जिसका नाम है इरावती ठीक है अब यह इरावती कौन है तो यह जो इरावती है यह बलराज की प्रेमिका है ओके तो बेसिकली हमारे यहां पे यही कैरेक्टर्स हैं सबसे ऊपर में सुल्तान है सुल्तान के नीचे में बलराज नाम का आदमी कम कर रहा है यह तिलक जो है वो सुल्तान का एक खास आदमी है जैसे अकबर के यहां पर मानसिंह था फिर फिरोजा जो है वह तिलक की एक दासी है और अहमद जो है वह फिरोजा का प्रेमी है और इरावती जो है वह बलराज की प्रेमिका है तो यह हमारा यहां पर में करैक्टेरिस्टिक कैसे होता है वह मैं आपको समझा देता हूं तो अगर इसके प्लॉट के बारे में बात की जाए तो यह जो कहानी है यह दो जगह पे इसका इवेंट होता है दिस टैक्स प्लेट्स आते तू प्लेसिस यहां पे दो जगह में इस कहानी को हम देखते हैं एक है गजनी अपने सुना होगा मत महमूद गजनी तो उसका जो देश था ये वहां पे होता है और दूसरा जो है ये भारत में होता है मतलब इसमें दो देशों का ये दिखाया गया है ठीक है तो ये जो कहानी का शुरुआत है ये गजनी में होता है जहां पे बलराज जो है वह क्या करता है की वह सुसाइड करने का कोशिश करता है अब वो सुसाइड क्यों करता है उसका रीजन यहां पे पूरी तरीके से क्लियर नहीं है लेकिन बस हम यह जानते हैं की वो सुसाइड करने का कोशिश करता है ओके तो बलराज जब सुसाइड करने का कोशिश करता है तो फिरोजा जो हमारे यहां पर है फिरोजा आकर उसे रुकते है और फिरोजा जब उसे रुकते है तो उसे यह पता चलता है की बलराज जो है बलराज अपनी जिंदगी से परेशान था क्यों क्योंकि बलराज गजनी में रहकर सुल्तान के यहां कम करता था और बलराज जो था जो की आपको नाम से ही पता चल रहा है की यह एक हिंदू था ही वैसे हिंदू तो हिंदू हो के किसी मुसलमान देश के राजा के अंदर में कम करना और अपने देश के साथ विश्वास घाट करना यह एक बहुत बड़ी बात थी तो शायद इसी को लेकर बलराज बहुत ज्यादा परेशान रहता है और वह सुसाइड करने का कोशिश करता है लेकिन जो फिरोजा है वो उसे सुसाइड करने से रोक लेती है फिर इसके बाद बलराज और फिरोजा में जब बातचीत होता है तो बलराज यह कहता है की भारत देश में उसकी एक प्रेमिका है जिसका नाम है इरावती और वो उससे बहुत प्रेम करता है तो जब उसे यह पता चलता है फिरोजा को की उसकी एक प्रेमिका है इरावती और बलराज बहुत ज्यादा परेशान है अपने जीवन को लेकर तो फ़िरोज़ा क्या करती है की बलराज को वह हिंदुस्तान भेजने के बारे में प्लान करती है की तुम अब हिंदुस्तान जाओ तन जाओ वहां पर जाकर अपनी प्रेमिका से मिलो और वहां पर मतलब वही पे लाइट फसल हो उसे इस चीज का एड एडवाइस देती है ठीक है तो उसी समय पे जो तिलक है वो भी गजनी में ही रहकर बलराज के जैसे ही वो भी वहां पे कम करता था सुल्तान के लिए तो वो जो तिलक है वो वहां पे ए जाता है मतलब उसी जगह पे जहां पे बलराज और फिरोजा आपस में बात कर रहे द तो वह जब यह सारी बातें सुन लेटा है तो तिलक था वह भी बलराज की तरह एक हिंदू था और उसे भी शायद बलराज के जैसे ही हिंदू होकर भी एक मुस्लिम के यहां कम करना और अपने देश के साथ विश्वास घाट करना इस चीज को लेकर उसे भी बहुत ज्यादा दुख था तो तिलक क्या करता है वह भी बलराज को बोलता है की तुम जाओ इरावती से भारत में मिलके आओ मतलब उसे इरावती नाम नहीं पता रहता लेकिन वह भी बलराज को बोलता है की तुम हिंदुस्तान जाओ और हिंदुस्तान में अपनी प्रेमिका से मिलो ओके अब यह जो फिरोजा है यह फिरोजा और तिलक में फिर बातचीत होती है तो वहां पे तिलक क्या करता है की वह भी फिरोजा को हिंदुस्तान जाने के लिए कहता है ओके फिर रोजा को भी वो हिंदुस्तान जाने के लिए कहता है और जैसे बलराज की जैसे बलराज की प्रेमिका इरावती हिंदुस्तान में थी उसी तरीके से फ़िरोज़ा का प्रेमी अहमद वह भी हिंदुस्तान में रहता था और बलराज और तिलक की तरह यह तुर्की के सुल्तान का एक आदमी था जो की हिंदुस्तान में रहकर सुल्तान के हिसाब से कम करता था तो यहां पर यह जो अहमद था वह सुल्तान के खिलाफ तो नहीं बल्ले किन वो कुछ ऐसे कम कर रहा था जो की सुल्तान के मतलब उनके रूलिंग के खिलाफ हो सकता था वो कुछ ऐसे कम कर रहा था जो की उसे नहीं करना चाहिए था जो की सुल्तान के लिए हानिकारक हो सकता था तो क्योंकि ये तिलक जो था वो सुल्तान का एक बहुत खास आदमी था तो तिलक क्या कहता है फिरोजा को की जैसे बलराज हिंदुस्तान गया है तुम भी हिंदुस्तान जाओ और अहमद को बोलो क्योंकि अहमद जो है वो तुम्हारा प्रेमी है तो तुम उसे बोलो की वह जो हिंदुस्तान में लूट पाठ मचा रहा है वह नहीं करने के लिए हिंदुस्तान चले जाता है और फिरोजा जो है वह भी हिंदुस्तान चले जाते हैं तो बलराज और फिरोज हिंदुस्तान चले जाते हैं फिर यह जो कहानी है वह पूरे तरीके से हिंदुस्तान में ए जाती है अब यहां पर मैं आज यहीं तक पढ़ाऊंगा की वह सब हिंदुस्तान में आते हैं और हिंदुस्तान में आकर उन सभी का जो जीवन है वह हिंदुस्तान में ही रहता है अब कुछ चीज हैं जो की मैं और एक्स्ट्रा आपको बता देना चाहता हूं वो ये है की फिरोजा जो है वह अहमद की प्रेमिका है या दोनों एक दूसरे से प्यार तो करते हैं लेकिन फिरोजा भी क्योंकि तिलक के यहां पे एक गद्दाफी थी तो अहमद ने तिलक से यह वादा किया था की वह क्या करेगा वह अपनी फ़िरोज़ा को तिलक के चंगुल से छुड़ाकर ले जाएगा अहमद तिलक को बोलता है की मैं तुझे 1000 दिरहम जो की उसे टाइम की करेंसी थी तो वो करेंसी में तुझे दूंगा और तू फ़िरोज़ा को छोड़ देना ये एक फैक्ट है जो की आपको दिमाग में बिठा लेना है तो आज का जो स्टोरी है वो कुछ ऐसे ही चलेगा की बलराज पहले सुसाइड करने का कोशिश करेगा तिलक जो की लरज का महाराज है बेसिकली सबसे हेड में ऊपर में सुल्तान था सुल्तान के बाद तिलक था और तिलक के बाद बलराज था और और बलराज को जब उसका महाराज कहता है की तुम हिंदुस्तान चले जाओ तो वो महाराज की बात मां के हिंदुस्तान चला जाता है फिर उसी समय तिलक फिरोजा को भी हिंदुस्तान जाने के लिए कहता है ताकि वह अपने प्रेमी अहमद को रोक सके और फिर ये दोनों हिंदुस्तान चले जाते हैं और हिंदुस्तान जाने के बाद जो बलराज है वह इरावती को ढूंढता है और फिरोजा जो है वह अहमद के साथ जीवन व्यतीत करती है तो आज का बस यही तक रहेगा तो होप आपको यह जो कहानी का जो सेटिंग है वह आपको समझ में ए गया होगा ओके अब मैं जैसे-जैसे मैं आपको समझाऊंगा वैसे वैसे तो मैं आपको बताता ही रहूंगा की यह चीज अभी हिंदुस्तान में हो रही है यह चीज अभी भारत में हो रही है यह चीज अभी हो रही है तो आपको उसकी टेंशन लेने की जरूरत नहीं है ओके तो सबसे पहले जो हम लोग देखते हैं वो है हमारा स्टोरी का लाइन तू लाइन एक्सप्लैनेशन तो ये जो स्टोरी है इसे लिखा है कहानी अभी गजनी में चल रहा है यह खेल किसको दिखा रहे हो बलराज कहते हुए फिरोजा ने युवक की कलाई कर ली युवक की मुट्ठी में एक भयानक छुड़ा चमक रहा था उसने जुंझला कर फिरोजा की तरफ देखा वकील खिलाकर हंस पड़ी फ़िरोज़ा युवती से अधिक बालिका थी अल्लाह पैन चंचलता और हंसी से बनी हुई वक्त तुर्क वाला सब हृदयों के स्नेह के समीप थी नीली नसों से जकड़ी हुई बलराज की पुष्ट कलाई उन कोमल उंगलियों के बीच में स्थित हो गई उसने कहा फ़िरोज़ा तुम मेरे सुख में बढ़ा दे रही हो अब जैसे की मैंने आपको कहा था की हमारा बलराज जो है वह सुसाइड करने का कोशिश करता है वह अपने आप को चाकू भोके सुसाइड करने का कोशिश करता है लेकिन फिरोजा आकर उसे रोक लेती है है तो उसी पेट जो हमारा बलराज है वह सुल्तान वह फिरोजा को यह कहता है की तुम मेरे सुख में बढ़ा बन रही है मतलब मैं सुसाइड करके मैं जब स्वर्ग में चला जाऊंगा तो वहां पे मुझे सुख मिलेगा लेकिन तुम उसे सुख को रोक दे रही हो तो इसी पर मतलब सब फ़िरोज़ा जा कर उसे देखती है तो वहां पे वह छोरा अपने आप को पढ़ा होता है तो उसी समय पे इस बात को देखकर फिरोजा हंस पड़ती है अब फिरोजा जो ठीक हुआ दोस्त थी बलराज की तो फिरोजा आपके प्रति बर्दाश्त का स्नेह बहुत ज्यादा था और जब फिरोजा उसे कहती है की तुम मतलब उसे रोक लेती है वैसे खाली उसे रोकने जाती है तो उसे पर बलराज कह देता है की तुम मेरे सुख को रोक रही हो सुख जीने में है बलराज ऐसी हरि भारी दुनिया फूल बैलों से सजे हुए नदियों सुंदर किनारे सुनहावला सवेरा चांदी की रेट इन सबों से मुंह मोड कर आंखें बंद कर लेना कभी नहीं सबसे बढ़कर तो हम लोगों की उछाल कूद काट मासा है मैं तुम्हें मरने नहीं दूंगी अब फ़िरोज़ा कहती है की सुख तो जीने में है बलराज ऐसी हरि भारी दुनिया को छोड़कर तुम आंखें बंद कर लेना चाहते हो कभी नहीं कभी नहीं मैं तुम्हें मरने नहीं दूंगी क्यों यूं ही बेकार यूं ही बेकार मर जाना वह ऐसा नहीं हो सकता जी उनके किनारे तुर्कों से लड़े हुए मर जाना दूसरी बात थी तब मैं तुम्हारी कब्र बनाती उसे पर फूल चढ़ती पर इस गजनी नदी के किनारे अपना छुड़ा अपने में कलेजे में भोंक कर मर जाना बचपन भी तो नहीं है अब यही पर फिरोजा उससे जब उससे पूछा जाता है की तुम मुझे क्यों नहीं मरने देना चाहती है तो उसी पर फिरो कहती है की ऐसे बेकार मर जाने में कोई मजा है अगर तुम अपने देश के लिए लड़ते लड़ते क्योंकि मैं हम जानते हैं की जो बलराज था वह हिंदू था तो उसी पे फिरोजा कहती है की तुम हिंदू हो और तुम यहां पे एक मुसलमान राजा के लिए लड़ रहे हो तो तुम अगर तो तुम अगर अपने देश के लिए अपने समुदाय के लिए लड़ते लड़ते मरते तो मैं तुम्हारी कब्र बनाती उसके ऊपर में फूल चढ़ती लेकिन ऐसी जो तुम चाह रहे हो या बचपन ही तो है बलराज ने देखा सुल्तान मसूद के शिल्प कला प्रेम के गंभीर प्रतिमा गजनी नदी पर एक कमानी वाला पुल अपनी उदास छाया जलधारा पर डाल रहा है उसने कहा वही तो ना जाने क्यों मैं उसे दिन नहीं मारा जिस दिन मेरे इतने वीर साथी कतर से लिपटकर इस गजनी की गोद में सोने चले गए फिरोजा उन वीर आत्माओं का सोचनीय अंत तुम उसे अपमान को नहीं समझ सकती हो अब यहां पर बलराज फिरोजा को यह कहता है की तुम अगर तुम तो कह रही हो की अगर मैं युद्ध में मारा जाता क्योंकि बेसिकली ये जो बलराज था ये हिंदुस्तान से शायद युद्ध करने के लिए यहां पे आया हुआ था तो उसी में इसके सभी साथी मर गए लेकिन इसने सरेंडर कर दिया तो उसी पे बलराज कहता है की मैं अगर उसे दिन माना जाता तो बहुत अच्छे होते मेरे सभी साथी जो है वो इस गजनी मतलब इस नदी के नींद में खोटे चले गए फ़िरोज़ा उन वीर आत्माओं का वो सोचनी है अंत तुम उसे अपमान को समझ नहीं सकती हो मतलब अपने साथी को खोने का बहुत ज्यादा दुख था बलराज को सुल्तान ने सिलजुको से हरे हुए तुर्क और हिंदू को ही नौकरी से अलग कर दिया पर तुर्को अपने तो मरने की बात नहीं सोची अब सुल्तान जो यहां पर था मतलब यह कहानी जो है वह अभी विदेश में चल रही है तो उसी पर फिरोजा यह कहती है की सुल्तान से हरे हुए तुर्क और हिंदू दोनों को ही नौकरी से अलग कर दिया पर तुर्कों ने तो मरने की बात नहीं सोची तो यहां पर वह कहती है की सुल्तान ने तो अपने सी में से मतलब जो भी सी में से लोग हर गए द तो उसमें से तो तुर्की को भी निकल दिया और हिंदू को भी निकल दिया तो तुम जो सुल्तान के लिए लड़ने के लिए यहां पे आए द मैं गलत बोल गया था वक्त सुल्तान के लिए लड़ने के लिए यहां पे आया हुआ था तो सुल्तान के लिए जो लोग हिंदुस्तान से लड़ने के लिए आए द उसमें से बलराज भी था और बलराज के सभी साथी मारे गए लेकिन बलराज जिंदा रह गया तो उसे इस बात का दुख था की काश वह भी उसके साथ मर जाता तो उसी पर फिरोजशाह उसे कहती है की तुम ही नहीं हो मतलब सिर्फ तुमने ही जंग नहीं हरि है हिंदू तुम जैसे हिंदू मतलब तुम जैसे हिंदू सेन तुम जैसे हिंदू सैनिकों ने तो हरि ही है लेकिन इसके साथ-साथ जो तू तुर्की के जो अपने सुल्तान के जो सिपाही द उन्होंने भी जंग हरि थी और जंग हर जाने के बाद सुल्तान ने सभी को नौकरी से निकल दिया हिंदुओं को भी नौकरी से निकाला और जो तुर्क के अपने सिपाही द उनको भी निकाला लेकिन उन्होंने तो मरने की बात नहीं सोची मतलब हरे तो सिर्फ हिंदू ही द ऐसा नहीं था हरा तो तुर्की के लोग भी द लेकिन तुर्की के सिपाहियों ने तो सुसाइड करने के बारे में नहीं सोचा कुछ भी कहो तुर्क सुल्तान के अपने लोग में हैं और हिंदू बेगाने ही हैं फ़िरोज़ा यह अपमान मरने से बढ़कर है तो यहां पे जब उसे फिरोजा कहती है की निकल तो निकले तो तुर्की सिपाही भी गए द तो उन्होंने तो सुसाइड करने के बारे में नहीं सोचा तो उसी पे बलराज कहता है की यह जो तुर्की के सिपाही है यह तो सुल्तान के अपने हैं तो इनको कुछ नहीं होगा लेकिन हम हिंदू हैं और हिंदू होकर ऐसी मतलब अपमानजनक लगना बहुत गंभीर बात है क्योंकि वो हिंदू था तो उसने पहली बात उसे कहीं ना कहीं इस बात का दुख जरूर था की उसके साथी शाहिद हुए भी तो इसके लिए एक मुसलमान लीडर के लिए लड़ते हुए और आज किस लिए मरने जा रहे द और आप उससे फ़िरोज़ा पूछती है की वह तो समझ में आया की उसे टाइम पे तुम मरने जा रहे द तो उसे टाइम पर तुम्हें मरने का मां था लेकिन आज तुम क्यों मरने जा रहे द वह सुनकर क्या करोगी कहकर बलराज छुड़ा फेंक कर एक लंबी सांस लेकर चुप हो रहा है फ़िरोज़ा ने उसका कंधा पकड़ कर हिलाते हुए कहा और उसे पे बलराज कहता है की वह जानकर तुम क्या करोगी और बलराज छुड़ा फेंक देता है और एक लंबी सांस लेकर बैठता है और फिरोजा उसे थोड़ा सा कंफर्ट देने की कोशिश करती है सुनूंगी क्यों नहीं अपनी हां उसी के लिए कौन है ऐसी है बलराज गोरी सी है मेरी तरह वह भी दुबली पतली है ना कानो में कुछ पहनती है और गले में अब यहां पर फिरोजा समझ गई थी की जैसे बाबू जैसे बाबू भैया को कहा जाता है की औरत का चक्कर बाबू भैया औरत का चक्कर बाबू भैया तो यहां पे भी औरत का ही चक्कर ए गया था यहां पे फिरोजा समझ गई थी की आज जो यह सुसाइड करने जा रहा है ये इसकी प्रेमिका के कारण है तो वो उसे पूछती है की तुम्हारी प्रेमिका को कौन है जिसके लिए तुम आज सुसाइड करने जा रहे द वक्त कैसी दिखती है क्या वो गोरी सी है या फिर मेरी तरह दुबली पतली है कानों में वह क्या पहनती है गले में क्या पहनती है ये तरह-तरह की बातें थी जो की जो की फ़िरोज़ा उससे पूछ रही थी कुछ नहीं फिरोज आप मेरी ही तरह वह भी कंगाल है मैंने उससे कहा था की लड़ाई पर जाऊंगा और सुल्तान की लूट में मुझे भी चांदी सोने के देरी मिलेगी जब अमीर हो जाऊंगा तब आकर तुमसे प्यार करूंगा और वह कहती है की वैसा कुछ खास नहीं है वह भी मेरी तरह करीब ही है और जब मैं उसे छोड़कर आया था तो मैंने उसे कहा था की मैं सुल्तान के लिए लड़ने जा रहा हूं तो वहां से जो कुछ भी मिलेगा उससे मैं अमीर जब हो जाऊंगा तो आकर उससे ब्याह करूंगा मतलब यह चीज बलराज ने इरावती को कहा था जब वह सुल्तान के लिए लड़ने के लिए भारत छोड़कर ए रहा था तब भी मरने जा रहे द खाली हाथ ही लौट कर उससे भेंट करने की उसे एक बार देख लेने की तुम्हारी इच्छा ना हुई तुम बड़े पाजी हो जाओ मेरा ही मारो या जिओ मैं तुमसे नहीं बोलूंगी और जब बलराज या कहता है की उसे अपनी प्रेमिका की याद ए रही थी तो उसी पे वह कहती है की उसे की तुम्हें उसकी याद ए रही है तो भी तुम मरने जा रहे हो खाली हाथ ही लौटकर उसने भेंट करने की उसे एक बार देख लेने की तुम्हारी इच्छा नहीं हुई मतलब मरने से पहले क्या तुमने एक बार भी नहीं सोचा की मैं खाली हाथ ही सही भले ही मैं उसके पास धन दौलत लेकर नहीं जा पाया लेकिन फिर भी उसे एक बार देख तो लूं तुम बड़े अजीब हो जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती सचमुच फिरोजा ने मुंह फेर लिया और जैसे रूथ गई थी बलराज को उसके भोलेपन पर हंसी ना ए सके वह सोचने लगा फ़िरोज़ा के हृदय में कितना स्नेह कितना उल्लास है उसने पूछा रोजा तुम भी तो लड़ाई में पकड़ी हुई गुलामी भगत रही हो क्या तुमने कभी अपने जीवन पर विचार किया है किस बात का उल्लास है तुम्हें और फिरोजा जब मुंह फेर लेती है तो उसी पे बलराज उससे पूछता है की तुम भी तो मेरी ही तरफ यहां पे युद्ध में हरि हुई एक दासी हो जो की बेसिक काली वही हुआ था की जब तिलक वहां पे आया था तो तिलक ने उसे खरीद लिया था तो उसी पर्वत कहती है की तुम भी तो लड़ाई में पकड़ी हुई गुलामी भगत रही हो तुम भी तो मेरी ही तरह यहां पे गुलामी भगत रही हो तो तुमने क्या अपने जीवन पर विचार किया है तुम्हारे जीवन में ऐसा क्या है की तुम इतनी खुश रहती हो तो उसे पर फिरोजा कहती है मैं अब गुलामी में नहीं रह सकूंगी अहमद जब हिंदुस्तान जाने लगा था तभी उसने राजा साहब से कहा था की मैं 1000 सोने के सिक्के भेजूंगा भाई तिलक तुम उसे लेकर फ़िरोज़ा को छोड़ देना और वह हिंदुस्तान आना चाहे तो उसे भेज देना अब वह थैली आती ही होगी मैं छुटकारा का जाऊंगी और गुलाम ही रहने पर रोने की कौन सी बात है मर जाने की इतनी जल्दी क्यों तुम देख नहीं रहे हो की तुर्कों में एक नई लहर आई है दुनिया ने उनके लिए जैसे छाती खोल दी है जो आज गुलाम है वही कल सुल्तान हो सकता है फिर रोना किस बात का जितनी देर हंस सकती हूं उसे समय को रोने में क्यों बिताऊ अब यहां पर फिरोजा उससे कहती है की मैं हमेशा गुलाम नहीं रहूंगी क्योंकि फिरोजा का जो प्रेमी था अहमद वह जब हिंदुस्तान जा रहा था सुल्तान के कम से वसुल्तान का कामकाज हिंदुस्तान में संभालता था तो उसने तिलक को यह कहा था की मैं बाद में 1000 सिक्के भेजूंगा और तुम फ़िरोज़ा को छोड़ देना मतलब यहां पे बेसिक खाली जब फ़िरोज़ा दासी बन के तिलक के पास जा रही थी तो उसे समय पे अहमद ने एक वादा किया था की वह एक समय पे जैसे यहां पे बलराज ने बलराज ने यहां पे इरावती से वादा किया था की वह बाद में जाकर उससे शादी करेगा ठीक वैसा ही वादा अहमद ने यहां पर क्या नाम है इसका फिरोजा से किया था की मैं तुम्हें बाद में चुरा कर ले जाऊंगा तो उसी की के लिए वह अब बहुत जल्दी अपना जो वादा है वो पूरा करने वाला है और वह देसी दिनों तक गुलाम है वह नहीं रहेगी और वह भी कहती है की तुम देख रहे हो ना की तुर्कों में एक अजीब लहर है मतलब विद्रोह की लहर उसी टाइप का एक लहर वहां पे चल रहा था जो की बहुत राजा महाराजाओं के यहां पे होता था की एक ही परिवार के लोग अपने ही परिवार के लोगों को मार दिया करते द और बाद में राजपथ अपने ले लिया करते हैं तो इसी पर्वत कहती है की ऐसा हो सकता है और आज जो गुलाम है आज मैं गुलाम हूं यहां पे सुल्तान के लेकिन मैं कल यहां के रानी भी हो सकती हूं तो जब इतना कुछ है की मैं कुछ ही दिनों में अहमद मुझे छुरा के लिए जाएगा हो ही सकता है की मैं यहां की रानी बन जाऊं तो फिर हंसने तो फिर मैं तो फिर इसमें रोने का क्या बात है तुम सुख में जीवन और भी तुम्हारा सुख में जीवन और भी लंबा हो फिरोजा किंतु आज तुमने जो मुझे मरने से रोक दिया यह अच्छा नहीं किया अब इस पे बलराज कहता है की तुम्हें सुख की अनुभूति हो तुम्हारा जीवन और भी सुखमय हो लेकिन आज जो तुमने किया यह अच्छा नहीं किया मतलब मुझे तुमने मरने से रोक लिया आपने यह अच्छा तुमने यह अच्छा नहीं किया तुमने कहती तो हूं बेकार ना मारो क्या तुम्हारे मरने के लिए कोई अब यहां पर फिरोजा कहते की मैं तो कह ही रहे की बेकार में मत मारो मरने के लिए कोई रीजन तो रखो और क्या तुम्हारे जीवन में मरने के लिए कोई मतलब कुछ पूछती है तो उसे पर बलराज कहता है कुछ भी नहीं फिरोज हर धार्मिक भावनाएं फटी हुई है सामाजिक जीवनदाम से और राजनीतिक क्षेत्र कला और स्वार्थ से झगड़ा हुआ है शक्तियां हैं पर उनका कोई केंद्र नहीं है किस पर अभिमान हो उसके लिए प्राण दूर अब यहीं पर जो है वह बहुत ऑनेस्ट वुमेन थी और जानते क्या तुम्हारे मरने के लिए कोई मतलब वो उससे बेसिकली पूछती है की क्या तुम लोग जो यह प्लान मतलब क्या तुम लोग कुछ सोच रहे हो की सुल्तान के खिलाफ विद्रोह होगा तो उसी पे फिरोजा को वक्त बलराज कहता है कुछ भी नहीं फिरोज आप हमारी धार्मिक भावनाएं फटी हुई है सामाजिक जीवनदाम से और राजनीतिक क्षेत्र कला और स्वार्थ से झगड़ा हुआ है मतलब यहां पे तो रहकर मैं कभी भी सुल्तान के खिलाफ विद्रोह नहीं कर सकता हूं मतलब फ़िरोज़ा भी कहीं ना कहीं या चाहती थी की सुल्तान के खिलाफ विद्रोह हो तो उसी पर उसे एक हिंट देते हुए कहती है लेकिन बलराज यहां पर कह देता है की यहां पे कुछ भी वैसा नहीं जाओ हिंदुस्तान में मरने के लिए कुछ खोजो मिल ही जाएगा जाओ ना कहीं वह तुम्हारी मिल जाए तो किसी झोपड़ी में ही काट लेना ना ही ना सही अमीरी किसी तरह तो घटेगा जितनी दिन जीने के हो उन पर भरोसा रखना और अब फिरोजा उसे कहती है की जाओ हिंदुस्तान चले जाओ वहीं पे हम मरने का कोई मतलब वहीं पे विद्रोह की बात कुछ सोच लो की यहां पर तो रहकर तुम विद्रोह नहीं कर सकते हो क्योंकि यहां पे तुर्की है और तुम हिंदू हो और वो अंबु मुसलमान है तो तुम्हारे मतभेदों के कारण कभी भी यहां पे जो विद्रोह है वो नहीं हो पाएगा लेकिन यहां पर तुम एक कम कर सकते हो की तुम हिंदुस्तान जाओ वहां पे जाके विद्रोह के बारे में सोचो अगर और अगर कुछ ना मिले तो अपनी प्रेमिका के साथ एक कुटिया में ही रह लो बलराज ना जाने क्यों मैं तुम्हें मरने देना नहीं चाहती वह तुम्हारी रह देखती हुई कहीं जी रही हो तब कभी उसे देख पाती तो उसका मुंह ही चूम लेती कितना प्यार होगा उसके छोटे से हृदय में लो यह पंच दिन हम मुझे कल राजा साहब ने इनाम के दिए हैं इन्हें लेते जाओ देखो उसे जाकर भेंट करना अब यहां पर फ़िरोज़ा बलराज से कहती है की तुम जानती हो बलराज मैं तुम्हें मरने नहीं देना चाहती हूं वह तुम्हारी रह देखती हुई कहीं जी रही हो तब उसे उसकी प्रेमिका की याद आती है और उसी पर्वत कहती है की मैं तुम्हें मरने नहीं देना चाहती क्या पता होगा तुम्हारी अभी भी रह देख रही हो काश वह तुमसे मिल पाती और अगर मैं उससे मिलती तो मैं तो उसका मुंह चूम लेती उसी पर फिरोजा बलराज को कुछ पैसे देती है की जाओ हिंदुस्तान जाओ वहां पर जाकर मतलब इनडायरेक्टली तो उसने यही दिया था की जहां वहां पर जाकर विद्रोह शुरू करो और अपनी प्रेमिका से भी मिल लो फिरोजा की आंखों में आंसू भरे द तब भी वह जैसे हंस रही थी सहसा वह पंच धातु के टुकड़ों को बलराज के हाथ पर रखकर झाड़ियां में घुस गई बलराज चुपचाप अपने हाथ पर उनके चमकीले टुकड़ों को देख रहा था हाथ को झुक रहा था धीरे-धीरे टुकड़े उसके हाथ से खिसक पड़े वह बैठ गया सामने एक पुरुष खड़ा मुस्कुरा रहा था अब यहां पर फ़िरोज़ा जो है वह जब उसे पैसे दे देती है तो वो इमोशनल हो जाती है अब वो इमोशनल क्यों होती है कुछ खास यहां पर बताया गया नहीं है लेकिन जहां तक मेरा अनुमान है वह भी शायद फ़िरोज़ा जो है वह यह सोच रही होगी की जो बलराज की प्रेमिका है वह कैसे रह रही होगी तो इसी को लेकर वही इमोशनल हो गई होगी तो वह उसे पैसे देकर पीछे चली जाती है मतलब शायद उसने देख लिया था की सामने से कोई ए रहा है और ऐसा था भी तो वह पीछे चली जाती है बलराज राजा साहब जैसे आंखें खोलते हुए बलराज ने कहा और उठकर खड़ा हो गया अब वहां पर राजा साहब का मतलब जो में राजा तो हुआ वहां का सुल्तान ही था लेकिन जो मैंने आपको तिलक के बारे में बताया वह वहां पर ए जाता है उसी पर बलराज चौक जाता है राजा साहब वह थोड़ा सा चौक कहता है मैं सब सुन रहा था तुम हिंदुस्तान चले जाओ मैं मैं भी तुमको यही सलाह दूंगा किंतु एक बात है अब राजा साहब भी आकर तिलक भी आकर उसे यही सलाह देते हैं की तुम भी हिंदुस्तान चले जाओ वह क्या राजा साहब और वह उसे एक सलाह देने की बात करते हैं मैं तुम्हारे दुख का अनुभव कर रहा हूं जो बातें तुमने अभी फिरोजा से कही है उन्हें सुनकर मेरा हृदय विचलित हो उठा है किंतु क्या करूं आकांक्षा का नशा पी लिया है वही मुझे बेबस किए हैं जिस दुख से मनुष्य छाती फाड़ कर लाने लगता हो सिर्फ पीटने लगता हो वैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मैं केवल सर नीचा कर चुप रहना अच्छा समझता हूं क्या ही अच्छा होता की जिस सुख में की जिस सुख में आनंद आनंद तेरी रेख से मनुष्य उन्मत्त हो जाता है उसे भी मुस्कुरा कर ताल दिया करो सो नहीं होता एक साधारण स्थिति में मैं सुल्तान के सलाहकारों के पद तक तो पहुंच गया हूं मैं भी हिंदुस्तान का ही एक कंगाल था प्रतिदिन की मर्यादा वृद्धि राजकीय विश्वास और उसमें सुख के अनुभूति मेरे जीवन को पहली बनाकर जाने दो अब यहां पर जो वहां का जो मतलब जो महाराज था वह महाराज भी बहते सुन लेटा है वह भी समझ जाता है की फिरोजा कहीं ना कहीं बलराज को यह बोल रही है की तुम जाओ और हिंदुस्तान में जाकर जो सुल्तान है उसके खिलाफ विद्रोह शुरू करो तो वह जब इस बात को समझ लेटा है तो उसे भी बलराज के ऊपर में विश्वास रहता है क्योंकि आखिरकार वह भी तो हिंदुस्तान का ही था ना उसकी मजबूरी थी की वह एक एक विदेशी के अंदर में कम कर रहा था लेकिन तिलक भी चाहता था की उसका भारत देश आजाद हो इन सभी के इन सभी से इसीलिए वह बलराज की बातें जब फिरोजा के साथ सुन लेटा है तो उसे विश्वास था की फिरोजा ने जैसे बलराज को कहा है तो वैसे ही बलराज जाकर हिंदुस्तान में कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर करेगा जो की विद्रोह ला सकता है तो उसी पर वह बलराज को कहता है की मैंने तुम्हारी बातें सुन और मैं भी चाहता हूं की तुम हिंदुस्तान चले जाओ क्योंकि मैं यहां पर कुछ नहीं कर सकता हूं आकांक्षा का नशा पी लिया है बाजी वही मुझे बेबस किया है मतलब मैं भी बेबस हूं जिस दुख से मनुष्य छाती फाड़ कर चिल्लाने लगता है वो सिर्फ पीटने लगता हो वैसी प्रति कूल परिस्थितियों में भी मैं केवल सर नीचा करके चुप रहना अच्छा समझता मतलब वो बेसिकली अपना जो मजबूरी है वही आप बताता है की उसका भी मां करता है की वह भी सुल्तान के खिलाफ विद्रोह करें लेकिन वह विद्रोह नहीं कर पता है तो इसीलिए वह बलराज को जाने के लिए कहता है मैंने सुल्तान के दरबार में जितना सिखा है वही मेरे लिए बहुत है एक बनावटी गंभीरता चल पूर्ण विनायक कितना भीषण है वह विचार मैं धीरे धीरे इतना बन गया हूं की मेरी दया तक घूंघट पलटने नहीं पाती लोगों को मेरी छाती में हृदय के होने का संदेह चला है फिर भी मैं तुमसे अपनी देवता क्यों कट करूं तब भी आज तुमने मेरे स्वभाव की धारा का बंद तोड़ दिया है और मैं अब यहां पर जो महाराज है वह कहता है की यहां पर रहते रहते मैंने यहां की सब कुछ चीज सिख ली है मैंने जो चीज सीखी हुई है वही बहुत है मतलब एक बनावटी गंभीरता मतलब हुआ खाता है की वह लॉयल है सुल्तान की तरफ लेकिन वैसा कुछ भी नहीं थलपूल विनय और वह भी छलकटने का सोचता है लेकिन यह कुछ करने पर मतलब हमारा जो महाराज था वो बहुत ज्यादा हेल्पलेस था इस केस में की वह कुछ भी नहीं कर का रहा था की वह सुल्तान के खिलाफ विद्रोह कर सके तो इसीलिए वह बलराज को चाहता था की वहां पर जाए और आज जब उसने सुन लिया था फिरोजा और बलराज की बातें तो वह चाहता तो क्योंकि वह वहां का महाराष्ट्र तो दोनों को सजा मौत दिलवा सकता था लेकिन वह कहीं ना कहीं अपने देश से प्यार करता था और वह चाहता था की उसका देश इन विदेशियों से आजाद हो इसीलिए वह बाल राज को बार-बार बताता है की तुमने आज मेरे सब्र का बंद तोड़ दिया है मतलब हूं मैं भी बहुत दिनों से अपने में आप अपने अंदर में ही समय हुए था की कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर होगा की मैं यहां पर बलराज मतलब मैं अपने देश के लिए कुछ कर पाऊंगा लेकिन मैं वैसा नहीं कर का रहा था लेकिन आज मुझे यह मौका मिल गया है बस रहजा साहब और कुछ ना कहिए मैं जाता हूं मैं समझ गया की और बलराज समझ जाता है की यह मुझे विद्रोह करने के लिए भेजना चाहते हैं ठहरो मुझे अधिक अवकाश नहीं है कल यहां से कुछ विद्रोही गुलाम अहमद निहालतागीन के पास लाहौर जाने वाले हैं उन्हें के साथ तुम चले जाओ यह लो कहते हुए सुल्तान के विश्वास जी राजा तिलक ने बलराज के हाथों में थैली रख दी बलराज वहां से चुपचाप चल पड़ा और अब यहां पर जो विद्रोह था वह सिर्फ ऐसा नहीं था की सिर्फ हिंदू ही विद्रोह कर रहे द वह भी विद्रोह करना चाहता था तो इसीलिए यहां पर वह कहता की कल यहां से कुछ विद्रोही गुलाम अहमद निहाल तकिन के पास मतलब यहां से भी कुछ ऐसे गुलाम तो है ही जो की सुल्तान को मार देना चाहते क्योंकि दो तरीके का दुश्मनी होता है एक इंटरनल एक एक्सटर्नल तो यह जो की यहां की जो गुलाम द वो लोग इंटरनल द मतलब निहालता की वो सुल्तान को मार के खुद सुल्तान बंजर इसीलिए यहां पर कहती है की अगर जो आज गुलाम है आज अहमद गुलाम है तो वह हो ही सकता है की वह सुल्तान को मार के कल राजा बन जाए तो इसी पे सुल्तान को मरने का जो निहाल तखिन का था प्लान था तो उसी के लिए यहां से कुछ विद्रोही जा रहे द और वह जो विद्रोही जा रहे द वह निहाल्टेंजिन के पास जा रहे द ताकि निहाल तकिन भी विद्रोह कर सके तो उसी के साथ यहां पे बलराज भी जा रहा था और उसे टाइम पे क्योंकि ये जो कहानी जिस समय की है उसे समय पे लाहौर भी भारत में ही था क्योंकि ये बहुत पुरानी कहानी है मुगल से भी पहले की कहानी है मतलब अगर बात की जाए तो यही करीब 111200 ई की तो उसे समय पर लाहौर भी हमारे ही भारत में था तो इसीलिए लाहौर जब वो लोग मतलब लाहौर जा रहे द निहाल तकिन के पास और लाहौर उसे टाइम पंजाब में था और पंजाब ही था जो की इनके अंदर में था तो निहाल के पास वह लोग जा रहे द की नहीं जो है वह विद्रोह कर सके तो उन्हें विद्रोहियों के साथ यह भी चला जाएगा और वह सुल्तान और वहां पर वह जो महाराज रहता है वह कुछ पैसे देता है और बलराज वहां से चला जाता है तिलक सुल्तान महमूद का अत्यंत विश्वासपात्र हिंदू कर्मचारी था अपने बुद्धि बाल से कट्टर यवनों के बीच अपनी के कारण सुल्तान मसूद के शासनकाल में भी वह उपेक्षा का पत्र नहीं था फिर भी वक्त अपने को हिंदू ही समझता था चाहे अन्य लोग उसे जो भी समझते रहे हो बलराज की बातें वी सुन चुका था आज उसकी मनोवृतियों में भी भयानक हलचल थी सहसा उसने पुकारा रोजा और यहां पर जो तिलक था वह सुल्तान की यहां एक हिंदू कर्मचारी बहुत खास आदमी बन गया था लेकिन हिंदू होने के बावजूद कोई भी उसके ऊपर में शक नहीं करता था की यह हिंदू है और सुल्तान मुसलमान है तो यह सुल्तान के खिलाफ यह कर सकता है लेकिन अंदर ही अंदर उसके अंदर में विरोध की ज्वाला जल रही थी और आज जब उसने उन दोनों की बातें सुन ली तो उसके अंदर में हलचल हुई और उसने बलराज को भेज दिया हिंदुस्तान से ऐसा उसने पुकारा फिरोज़ और वह फिरोजा को बाद में बुलाता है झाड़ियां से निकलकर फ़िरोज़ा ने उसके सामने सर झुका लिया तिलक ने उसके सर पर हाथ रखते हुए कोमल स्वर में पूछा फिरोजा तुम अहमद के पास हिंदुस्तान जाना चाहती हो और फिरोजा को जब वह बुलाता है तो फिर तो फिर होता सिर्फ पूछता है की क्या तुम हिंदुस्तान जाना चाहती हो तो फिरोजा के हृदय में कंपन होने लगा अब कुछ ना बोलिए तिलक ने कहा डरो मत साफ-साफ कहो और वह यहां पर मतलब यहां पर भी एक इशारे में ही बात हो रहा था की महाराज जो था वह फ़िरोज़ा को बेसिकली यही बोलना चाहता था की तुम हिंदुस्तान जाओ वहां पर जाके यहां तकिन को भी तुम वहां पर यह कह रहा था की फिरोजा वहां पर जाए और जाकर निहाल को विद्रोह के बारे में बताएं लेकिन फ़िरोज़ा इस बात को समझ चुकी थी तो इसीलिए वह कहां पड़ी थी क्योंकि जो महाराज था वो उसका मलिक था है तो उसके सामने में ऐसी बातें खुले आम करना वह उसे ठीक नहीं लग रहा था तो उसी पर वह उसे कहता है की तुम डरो मत साफ-साफ क्या अहमद ने आपके पास दिनारे भेज दी कहकर फ़िरोज़ा ने अपनी उत्कंठा भारी आंखें उठा तिलक ने हंस कर कहा सो तो उसने नहीं भेजी तब भी तुम जाना चाहती हो तो मुझसे कहो और अब फिरोजा को यह लगता है की शायद वो अगर उसे भेजने की बात कर रहा है तो शायद अहमद ने भेज दिया हो पैसा लेकिन वो कहता है की नहीं पैसा तो नहीं भेजा है लेकिन फिर भी अगर तुम चाहती हो तो मैं तुम्हें वहां पर भेज सकता हूं तो वह कहती मैं क्या कह सकती हूं जैसी मेरी कहते कहते उसकी आंखों में आंसू चल चला उठे तिलक ने कहा फिरोजा तुम जा सकती हो कुछ सोने के टुकड़ों के लिए मैं तुम्हारा हृदय नहीं कुचलना चाहता और वह फिरोज को कहता है की तुम जा सकती हो और तुम मतलब मैं कुछ सोने के टुकड़ों के कारण मैं कुछ कहना नहीं चाहता हूं की मतलब कुछ पैसों के मोह में आकर मैं तुम्हें वहां पे नहीं जाने डन ऐसा मैं नहीं करना चाहता हूं सच आश्चर्य भारी कृतज्ञ से उसकी वाणी में थी तो वह भी चौक गए की आज यह क्या हो गया है सच फिरोज अहमद मेरा मित्र है और भी एक कम के लिए तुमको भेज रहा हूं उसे जाकर समझो की वह अपनी सी लेकर पंजाब के बाहर इधर उधर हिंदुस्तान में लूट मारना या करेक्ट मैं कुछ ही दिनों में सुल्तान से कहकर खजाने और मल गुजरी का अधिकारी भी उसी को दिला दूंगा थोड़ा समझ कर धीरे-धीरे कम करने से सब हो जाएगा समझी ना दरबार में इस पर गर्म गर्मी है की अहमद की नियत खराब है कहीं ऐसा ना हो की मुझे को सुल्तान इस कम के लिए भेजें है तो वहां पर रोजा को कहती है की मैं तुम्हें वहां पर भेजना चाहता हूं क्योंकि अहमद जो है वह मेरा मित्र है और भी मेरा एक कम है जो की तुम्हें करना है की अहमद जो है वह बहुत ज्यादा कुछ ऐसे कम कर रहा है जो की सुल्तान को पसंद नहीं ए रहे हैं इसीलिए मैं चाहता हूं की तुम वहां पे जाओ और उसे समझो की ऐसा कम ना करें क्योंकि उसका यह जो कम जो की सुल्तान यहां पे सुन रहे हैं सुल्तान इस कम से खुश नहीं है और अगर वह ठीक से कम करता है तो मैं सुल्तान से कहकर खजाने और मल गुजरी का अधिकारी भी उसी को दिला दूंगा मतलब मैं भी सुल्तान से कहकर उसी को कुछ बेनिफिट पहुंचा दूंगा लेकिन तुम जाओ और उसे समझो की वह वहां पर जाकर कुछ भी ऐसा ना करे जो की उसके लिए हानिकारक हो अब यह भी कहता है की अगर तुम नहीं जाओगे तो अभी दरबार में इतनी गर्म गर्मी है की मुझे ही वहां पर जाना होगा फ़िरोज़ा मैं हिंदुस्तान नहीं जाना चाहता मेरी एक छोटी बहन थी वह कहां है क्या दुख उसने पाया मेरी मारिया जीती है इन कई बरसों से मैंने उसे इसे जानने की भी चेष्टा नहीं की और भी मैं हिंदू हूं फिरोजा आज तक अपनी आकांक्षा में भुला हुआ अपने आराम में मस्त अपनी उन्नति में विस्मृति गजनी में बैठा हुआ हिंदुस्तान को अपनी जन्म भूमि और उसके दुख दर्द को भूल गया हूं अब यहां पे जो महाराज है वह अपना कंडीशन बताता है की वह हिंदुस्तान नहीं जाना चाहता था वहां पे उसकी एक वहां पर उसकी एक बहन थी जिसका कोई भी खबर उसके पास नहीं था की वह जीबी रही है या फिर मर गई है और वह कहते की मैं हिंदू हूं फिरोज मतलब वो यहां पे बात बता ही देता है की वह हिंदू था और इसी के कारण वो चाहता था की वह भी सुल्तान के खिलाफ विद्रोह करें लेकिन ऐसा नहीं हो का रहा था की वह अपने ऐसो आरंभ में और सब कुछ भूल गया था सुल्तान महमूद के लूटो की गिनती करना उसे रक्त रंजीत धन की तालिका बनाना हिंदुस्तान के ही शोषण के लिए सुल्तान के नई को नई-नई तरकीब बताना यही तो मेरा कम था जिससे आज मेरी इतनी प्रतिष्ठा है दूर रहकर मैं वहां कुछ कर सकता था पर हिंदुस्तान कहीं मुझे जाना पड़ा उसकी गोद में फिर रहना पड़ा तो मैं क्या करूंगा फ़िरोज़ा मैं वहां जाकर पागल हो जाऊंगा वह कितने कासन में जीती होगी और मर गई हो तो फिरोजा अहमद से कहना मेरी मित्रता के नाते मुझे इस दुख से बचा ले मतलब यहां पर वह महाराज वह बेसिकली अपना जो कंडीशन है वह बताते हुए कहता है यह उतना ज्यादा इंपॉर्टेंट नहीं है वह बेसिकली यही कहता है की उसने यहां पे अपने देश के साथ दाढ़ी की उसने यहां पे महमूद के लूट हुए पैसों की गिनती करना जो खून को बहाकर जो पैसे लिए गए हैं उन पैसों को संभालना हिंदुस्तान के खिलाफ ही अपने देश के खिलाफ ही अपने सुल्तान को बोलना यही इसका कम है जिसकी वजह से उसका इतना प्रतिष्ठा मतलब उसे जो इतनी स्वाद से जो इतना स्वाभिमान वहां मिला है वो इसीलिए मिला है क्योंकि वह अपने देश से गद्दारी कर रहा था लेकिन अब उसे इस बात का एहसास हो गया की अपने देश से गद्दारी करके उसने ठीक नहीं किया है और इसी कारण वह अपने देश नहीं जाना चाहता है है तो उसी पर्वत फिरोजा को कहता है की तुम चली जाओ और अहमद को कहना की मेरी मित्रता के नाते मुझे इस दुख से बचा ले मतलब मुझे इस दुख से बचा ले की मैं अपने देश के लिए कुछ नहीं कर पाया मतलब वह कुछ ऐसा हर एक जिसकी वजह से मुझे इस दुख में हमेशा ना रहना पड़े की मैं हमेशा अपने देश के खिलाफ रहा मैं जाऊंगी और इरावती को खोज निकलूंगी राजा साहब आपके हृदय में इतनी टीस है आज तक मैं ना जानती थी मुझे यही मालूम था की अन्य तुर्क सरदारों के समान आप भी रंगरेलियां में समय बिता रहे हैं किंतु बर्फ से ढकी हुई चोटियों के नीचे भी ज्वालामुखी होता है और अब वहां पर फिरोजा कहती है की मैं नहीं जानती थी की आपके अंदर में इतना दुख है मैं वहां पर जरूर जाऊंगी और आपकी बहन इरावती को निकल लाऊंगी मुझे यह नहीं पता था की आपके अंदर में इतनी भावना है तो जाओ फ़िरोज़ा मुझे बचाने के लिए उसे भयानक आग से जिससे मेरा हृदय जल उठाता है मेरी रक्षा करो कहते हुए राजा तिलक उसी जगह बैठ गए फ़िरोज़ा खड़ी रही धीरे-धीरे राजा के मुख पर एक निधा आज चली अब अंधकार हो चलन गजनी के लहरों पर से शीतल पवन उन झाड़ियां में भरने लगा था सामने ही राजा साहब का महल था उसका शुभ गुंबद उसे अंधकार में अभी अपनी उज्जवलता से सर ऊंचा किए था तिलक ने कहा फ़िरोज़ा जाने के पहले अपना वह गाना सुनाती जाओ और वह दोनों वहीं पर जो नदी था नदी का नाम था तो वहीं पर दोनों बैठे कर सकते हैं और शाम का समय हो जाता है ठंडी हवा बहाने लग जाती है जो महल था वह अति सुंदर लगने लग जाता है और इसी पे जो महाराज हैं वह उसे कहते हैं की मुझे तुम वह गाना सुना दो मतलब मैं जो गाना मतलब तुम जो मुझे गाना रोज सुनाती थी वह गाना तुम मुझे सुना दो फिर गाने लगी उसकी गीत की ध्वनि थी मैं जलती हुई दीप सिखा हूं और तुम मेरे हृदय रंजन प्रभात हो जब तक देखती नहीं चला करती हूं और जब तुम्हें देख लेती हूं तभी मेरे अस्तित्व का अंत हो जाता है मेरे प्रियतम संध्या की अंधेरी झाड़ियां में गीत की गूंजर घूमने लगी और यहां पे फिरोजा जो है वो गाना गाने लग जाती है और यह गाना इंपॉर्टेंट नहीं है अब जो है अब हम हिंदुस्तान में ए जाते हैं और यह मैं आपको कल अगले पाठ में पढ़ाऊंगा मैंने कहा था की मैं आठ पेज लूंगा लेकिन यहां पर सिर्फ जैसी हो पाए हैं कोई बात नहीं एक सिस्टमैटिक तरीके से समझना ज्यादा अच्छा होता है इस बात के एक ही दिन में सब एक ही बार में समझ लिया जाए ओके सो मिलते हैं अगले वीडियो में तब तक के लिए