फेडरलिज़्म के नोट्स

Jul 25, 2024

नोट्स: फेडरलिज़्म

परिचय

  • शुभं पाठक, SST के शिक्षिका, चैनल पर बहुत सारे विषयों पर चर्चा।
  • सिविक्स का दूसरा अध्याय: फेडरलिज्म

पिछले अध्याय का संक्षिप्त सारांश

  • पावर शेयरिंग अध्याय में बेल्जियम और श्रीलंका की कहानियों का अध्ययन।
    • बेल्जियम: 1993 में पावर को विभाजित किया गया, जिससे सिविल वॉर को टाला गया।
    • श्रीलंका: केंद्रीय सरकार ने पावर को नहीं बांटा, जिससे संघर्ष बढ़ा।

फेडरलिज़्म के मूल तत्व

  • डेमोक्रेटिक राज्यों के प्रकार:
    • यूनिटरी सिस्टम: केवल एक केंद्रीय सरकार होती है।
    • फेडरल सिस्टम: पावर कम से कम दो स्तरों में विभाजित होती है।
      • भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया: फेडरल राज्य।
      • ब्रिटेन, फ्रांस: यूनिटरी राज्य।

फेडरलिज़्म के विशेषताएँ

  1. कम से कम दो स्तर की सरकारें
  2. स्वतंत्र कानूनी अधिकार क्षेत्र: केंद्र और राज्यों के पास अपने-अपने अधिकार होते हैं।
  3. संविधान में पारिभाषा: पावर और जिम्मेदारियों का विवरण संविधान में होता है।
  4. संसदीय प्रणाली: पावर को बिना सहमति के नहीं बदला जा सकता।
  5. उदाहरण: भारत का संवैधानिक ढांचा।

भारतीय फेडरलिज़्म

  • भारत में फेडरलिज़्म की पहचान:
    • केंद्र सरकार और राज्य सरकारें
    • स्थानीय शासन की भूमिका।
  • राज्य सूचियाँ: यूनियन लिस्ट, राज्य लिस्ट, समवर्ती लिस्ट।

राज्य सूचियाँ

  • यूनियन लिस्ट: संघीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में विषय।
  • राज्य लिस्ट: राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में विषय।
  • समवर्ती लिस्ट: दोनों सरकारों के अधिकार।
  • अधिशेष विषय: जो न तो राज्य न संघ की लिस्ट में हैं।

फ़ेडरल फर्मेशन के तरीके

  • कमिंग टुगेदर: स्वतंत्र राज्यों का एक संघ बनाना।
  • होल्डिंग टुगेदर: पहले से बने संगठनों का निर्माण।

भारत में राजनीतिक पार्टियाँ

  • 1990 के दशक से फ़ेडरल सिस्टम मजबूत हुआ।
    • संघीय राजनीतिक पार्टियों की भूमिका बढ़ी है।
    • संविधान में कोई स्पष्ट फेडरल नहीं लिखा लेकिन ऐतिहासिक बदलाव दिखते हैं।

स्थानीय सरकार

  • पंचायती राज और नगर पालिका की संरचनाएँ।
    • ग्राम पंचायत: गाँव स्तर पर और ग्राम सभा बैठकें।
    • नगरपालिका: शहर स्तर की सरकारें।

निष्कर्ष

  • फ़ेडरलिज़्म को लागू करने के कारण स्थानीय सरकारों को उनका सही अधिकार और जिम्मेदारी मिली।
  • लोकतंत्र की मजबूती और लोगों की प्राथमिकताओं के आधार पर योजनाएँ।