हेलो एवरीवन दिस इस सिद्धार्थ पटेल वेलकम तू मैग्नेट बेंज मैग्नेट बींस एक कंप्लीट फ्री एजुकेशन प्लेटफार्म है और आज का ये वीडियो में हम लोग जो आपका चैप्टर है इंडियन फॉरेन पॉलिसी उसका 20 मिनिट्स में रिवीजन करेंगे 20 मैक्सिमम लिया है हम 15 मिनट में ही मैं आपको पूरा ये चैप्टर बहुत ही अच्छे से समझा दूंगा हर एक कॉन्सेप्ट को बहुत अच्छे से क्लेरिटी हो जाएगी अगर आपको इन चैप्टर के डिटेल एक्सप्लेनेशन पे जाना है तो वो वीडियो भी मैग्नेट्स पर अवेलेबल है ये एक रिवीजन टाइप में वीडियो है जिसे की आप एक बार देख के सारी चीज रिवाइज कर लें बहुत सारी चीज अगर कोई इधर-उधर मिस हो रही है तो आप डिटेल वाला डिटेल वाला चैप्टर भी आप लोग वहां से देख सकते हैं तो बेसिकली यहां पे बात हो रही है इंडियाज फॉरेन पॉलिसी की तो स्टार्ट करते हैं हम लोग वर्ल्ड वॉर तू से ठीक है वर्ल्ड वॉर 2 के बाद से वर्ल्ड कैसे रहा है दुनिया कैसे रही है तो आपको ही पता है की जब भी युद्ध होता है तो आर्थिक स्थिति इकोनॉमिक्स कंडीशन हर कंट्री की ज्यादा खराब हो जाती क्यों हो जाती है डिस्ट्रक्शन होता है फिर से इकोनॉमी का डेवलपमेंट करना और जो कंट्री के पास में रुपए रहते हैं वो गोलीबारी बंदूक इन सबको खरीदने में चले जाते हैं ठीक प्लस जो लोगों को और जो डेवलपमेंट अटल प्रोजेक्ट्स को जो नुकसान होता है वो अलग तो एक तरीके से क्या करता है वर्ल्ड वॉर तू ने क्या किया एक इकोनॉमिक स्थिति एक इकोनॉमिक क्राइसिस पूरे वर्ल्ड में लेके ए गया साथ ही साथ में जो वर्ल्ड वॉर 2 का जो एंड होने का पीरियड है वहां से अगर आप ध्यान से देखोगे तो बहुत सारी कंट्रीज को आजादी मिलना शुरू हो गई थी एशिया और अफ्रीका की जो कंट्रीज थी उनको धीरे-धीरे आजादी मिलना शुरू हो गई थी कोलोनियल पावर से ठीक है अब ये जो नई कंट्रीज थी जिनको आजादी मिली जैसे उनमें से इंडिया भी एक है जैसे इंडिया को आजादी मिली तो इंडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या होगी इंडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती योग ये होगी की मेरे देश को अंग्रेजों ने बहुत लूटा है मुझे जो मेरे देश में जो गरीबी है जो एजुकेशन के मामले में जो हम लोग पीछे हैं जो जो इंडिया एक समय पर सोने की चिड़िया कहा जाता था आज उसकी स्थिति बहुत ज्यादा खराब है तो हमारे लीडर का यह दायित्व होगा की हम इस देश को डिवेलप करें हम इस देश को आगे लेके जाएं तो जैसे इंडिया का ये दायित्व वैसे हर कंट्रीज जिस जिस को आजादी मिल रही थी जैसे चीन हो गया अफ्रीका की कंट्रीज हो गई उन सब का एक ही मकसद था की अपनी कंट्री का डेवलपमेंट करना अब इसी बीच में यहां पे हम लोग क्या देख रहे द यहां पे इंडिया को आजादी मिल गई तो इंडिया ने अपना इंटरनल अफेयर्स बहुत अच्छे से कम करने पे शुरू कर दिए डेवलपमेंट तक प्रोजेक्ट लेकिन एक दिन से टाइम आप इंडिया एक आजाद देश है आजाद देश दूसरे देश से कैसे संबंध बनाना है कैसे रिलेशन रखना है वो भी देखता है तो इंडिया ने वहां से अपनी फॉरेन पॉलिसी बनाना भी शुरुआत कर दी और जो इंडिया के फर्स्ट प्राइम मिनिस्टर द पंडित जवाहरलाल नेहरू वही इंडिया के फर्स्ट एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर द वही इंडिया के फर्स्ट फॉरेन अफेयर्स मिनिस्टर द पंडित जवाहरलाल नेहरू ही तो इंडिया ने अपनी इंटरनल पॉलिसीज बनाना शुरुआत की साथ ही साथ इंडिया ने यह भी तय किया की इंडिया की फॉरेन पॉलिसी कैसे होगी इंडिया दूसरी कंटीन्यूअस के साथ में वर्ल्ड की जितनी भी कंट्रीज हैं उनके साथ में वह कैसे अपने रिश्ते रखेगा यहां पर हमें एक चीज और समझनी है की वर्ल्ड वॉर 2 के खत्म होने के बाद में जो पूरा जो वर्ल्ड है वो वर्ल्ड दो हसन में बढ़ जाता है दो हसन में एक आईडियोलॉजिकल कनफ्लिक्ट में बढ़ जाता है वो क्या होता है आईडियोलॉजी कल कनफ्लिक्ट एक था उस के द्वारा केपीटलाइज्म को उस के द्वारा केपीटलाइज्म और दूसरा था यूएसएसआर के द्वारा कम्युनिज्म उस शहर के द्वारा कम्युनिज्म यह दो आईडियोलॉजी में पूरा वर्ल्ड बढ़ जाता है उस और जो उस की जो एलॉयज कंट्री थी उनका मानना था की डेवलपमेंट केपीटलाइज्म के अकॉर्डिंग होना चाहिए मेजर जो चीज है वो प्राइवेट प्लेयर के साथ में होना चाहिए सरकार को सिर्फ लाइन ऑर्डर को मेंटेन करना है कम्युनिज्म में क्या हो रहा था जो मेजर जो चीज हैं जो इंडस्ट्रीज वगैरा सारे कम गवर्नमेंट के पास में होने चाहिए और प्राइवेट प्लेयर को थोड़ा सा कम इंपॉर्टेंट दी जाए तो अब हर कंट्री कहीं ना कहीं या तो केपीटलाइज्म को ज्वाइन कर रही थी या कहीं ना कहीं कम्युनलिज्म को ज्वाइन कर रही थी कम्युनिस्ट ब्लॉक को ज्वाइन कारी थी मतलब या तो हम उस के साथ में चले जाएं या हम यूएसएसआर के साथ में चले जाएं तो यह हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज ए रहा था अब हमारे लीडर्स ने ऐसा सोचा की हम दोनों ब्लॉक में नहीं जाते हैं हम हमारा नॉन एलाइनमेंट का एक हम एक प्रिंसिपल लेकर आए नॉन एलाइनमेंट मतलब क्या है की हम दोनों ब्लॉक से बहुत डिस्टेंस में और हम दोनों ब्लॉक को एक तरीके से सपोर्ट भी करो दोनों से हम दूर भी हैं हमें हमारे डेवलपमेंट करना है हम किसी पार्टिकुलर आईडियोलॉजी को सपोर्ट नहीं करते तो इंडिया का एक यह बहुत एक मैन लो की वर्ल्ड में एक बहुत अच्छा ऐसे मैसेज गया की इंडिया रीजनल पावर बनने के उसमें है क्योंकि हमने कुछ डिफरेंस सोचा हमारे साथ में कुछ अफ्रीकन नेशंस वगैरा ये भी द हमने कुछ डिफरेंट सोचा है यहां पे और हम दोनों ब्लॉक को ज्वाइन नहीं करेंगे तो इंडिया ने कौन सी पॉलिसी अपने इंडिया ने पॉलिसी अपनी नॉन एलाइनमेंट की नॉन एलाइनमेंट की इंडिया ने यहां पे पॉलिसी अपनी यहां तक क्लियर हो गया बीच-बीच में अगर आपको स्क्रीनशॉट लेना है तो आप लेते रहिएगा मैं आपको कहानी की तरह समझा रहा हूं ये जो कंटेंट है ये आपको लास्ट मोमेंट पे रिवाइज करने के लिए हेल्प हेल्प में रहेगा ठीक है तो यहां पे नाम वगैरा ये सारी चीज हुई यहां पे बांडुंग कॉन्फ्रेंस हुआ था जिसमें की नेहरू मतलब कॉन्फ्रेंस में नॉन एलाइनमेंट का हम लोग ने एक तरीके से क्या कर रहा था शुरुआत एक नव वहां पे रख दी गई थी अब बारी आता है की इंडिया कैसे डील करता है उसमें हम सबसे पहले बात करते हैं तिब्बत पे इंडिया और तिब्बत पे जो का जो एरिया है वह इंडिया और चीन वहां से लगा ने तिब्बत में एवं कर दिया 1950 में अब इंडिया और चीन के इनिशियली बहुत अच्छे रिश्ते द इंडिया को आजादी मेरी 1947 में चाइनीस रिवॉल्यूशन हुआ 1949 में चीन को आजाद नहीं मिली और इंडिया ने कम्युनिस्ट गवर्नमेंट को रिकॉग्नाइज्ड भी क्या और इंडिया और चीन के बहुत अच्छे रिश्ते भी द इनिशियली देखो अब क्या होता है चीन तिब्बत में इनवाइट कर देता है चीन तिब्बत में इनवाइट कर देता है तो ये चीज इंडिया को पसंद नहीं आती है तिब्बत के सारे लोग प्रोटेस्ट करते हैं इंडिया जो है वो चीन से बोलता है की नहीं ये चीज गलत है ऐसा नहीं करना है उन लोगों के भी कुछ राइट्स वगैरा हैं ठीक है अब लेकिन क्या होता है 1958 में हम लोग देखते की जो चीन ने अपनी आर्मी वो तिब्बत में भेज देता है और चीन तिब्बत को अपना पार्ट अपना कंट्रोल वहां जमाने लगता है अब जो उसे समय जो तिब्बत के जो लीडर द लाइन वो पॉलिटिकल असाइन है वो वहां से भाग के इंडिया आते हैं शरण मांगते हुए इंडिया से और इंडिया में शरण दे देता है यह चीन को अच्छी नहीं लगती है चीन बोलता है की आप हमारे मैटर में बताइए हमारा और तिब्बत का क्या लेना देना उसमें इंडिया का कुछ लेना देना नहीं है और यहां से हमारे रिश्ते बिगड़ना शुरू हो जाते हैं और ये कहीं ना कहीं यहां से हम लोग देखते हैं फिर जो हमारा जो वॉर होता है वो वॉर यहां पे हमारा बाद में हम इंडिया चीन का देखने को मिलता है इंडिया जब दलाई लामा को जब इंडिया यहां पे शरण दे देता है तो यहां पे क्या होता है यहां पे हमारे कहीं ना कहीं थोड़े से रिश्ते बिगड़ने लगते हैं फिर यहां पे इंडिया ने और चीन ने पंचशील एग्रीमेंट साइन किया होता है जिसमें की बात होती नॉन इंटरफ्रेंस हम दोनों एक दूसरे की घंटी में नहीं करेंगे तो इन तो चीन का कहना है की इंडिया ने पंचशील एग्रीमेंट का वायलेशन वगैरा किया है अब इसी को देखते हैं फिर चाहे ना बोलता है की जो इंडिया का जो एक्साइड चीन वाला अक्साई चीन वाला एरिया है वो किसका हो गया वो चीन बोलता है की हमारा पार्ट है और यहां पे हम लोग अरुणाचल प्रदेश में भी हम लोग कुछ एरिया देखते हैं जो की रीजन ऑफ अरुणाचल प्रदेश का भी वो कुछ मांगता है चीन बोलता है की इट इस अन पार्ट ऑफ चीन ये चीन शुरू करने लगता है चीन कहीं ना कहीं अपनी फिर वो करने लगता है और इसी के चलते फिर हम देखते हैं की हमारा वॉर होता है 1964 में और उसमें ना चाहते हो भी हमारा थोड़ा सा जो रीजन है कश्मीर वॉलेट साइड से एक्सरसाइज इन वाले साइड से वहां से वो चीन के पास में मतलब चैनल से इलीगली ऑक्युपी कर लेता है इंडिया यहां पे मिलिट्री असिस्टेंट मांगता है जब हमारा युद्ध होता है चीन के साथ में तो उस से मांगता है और यूके और जो यूएसएसआर था वो न्यूट्रल था ठीक है तो ये सारी चीज उसकी थी अब बारी आती है इंडिया और पाकिस्तान के वॉर की यहां पे पहला वॉर जो कश्मीर को लेकर हमारा ओपन ओपन वॉर दिस एम कहते हैं एक पहले भी हो चुका था लेकिन एक ओपन वॉइस जिसे हम कहते हैं 1965 में हुआ इकोनॉमिक कंडीशन बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी लेकिन 1965 के वॉर में भी इंडिया जीता ही जी इंडिया जीत जाता है फिर 1971 का वॉर हुआ 1971 के वॉर में जो इस पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान मतलब आज का बांग्लादेश इन दोनों के बीच में ये सारी चीज हो रही थी जो आज का जो पाकिस्तान है और आज का जो बांग्लादेश है आज का जो पाकिस्तान है वो यहां पे इन बांग्लादेश के लोगों को क्या करता है वो बहुत ज्यादा एट्रोसिटी उनके साथ कम करता अपना रिलिजन अपनी सारी चीज वहां पे इंपोज करने लग जाता है ये तमाम तरीके की चीज करता है बहुत सारी एट्रोसिटी का मीत करता है तो वो जो बांग्लादेश वाले जो लोग हैं वो इंडिया में भाग के आने लग जाते हैं तो इंडिया में ये जो इलीगल इमीग्रेंट वाली प्रॉब्लम है ये वाली चीज शुरू हो जाती है इंडिया देखता है की कोई मदद करें लेकिन किसी ने कुछ किया नहीं तो इंडिया सोचता है की नहीं हमें तो उतरना ही पड़ेगा और इंडिया को भी अपने आप में के रीजनल पावर बन्ना था इंडिया वहां पे इंटरव्यू करता है इंडिया ने बांग्लादेश को अलग कंट्री वहां पे बना दिया और क्या हुआ पाकिस्तान युद्ध में हर गया उसे युद्ध की शांति होती है शिमला एग्रीमेंट से जो की जुलाई 3 1972 में होता है जिसमें की बहुत सारे हमने पाकिस्तान के जो प्रेसिडेंट ऑफ वॉर द उनको हमने छोड़ा प्लस ये एग्रीमेंट हुआ की इंडिया और चीन का जितने भी मैटर्स है वो आपस में suljhaenge इसमें वर्ल्ड के किसी भी लीडर किसी भी ऑर्गेनाइजेशन का कोई रोल नहीं है फिर कारगिल वॉर होता है 1999 में यहां पे हम लोग देखते हैं की पाकिस्तान ने पाकिस्तान के मुजाहिदीन स्नेक हमारी लाइन ऑफ कंट्रोल है वहां पर कश्मीर में लोक उसको क्रॉस कर देता है वो उसको क्रॉस करके बहुत सारे लोग भेजते हैं इंडिया अपने यहां पे इंडियन फोर्सेस भेजता है और हमारे आर्मी अच्छे से लड़के उन सारे जो मुजाहिद वगैरा उन सबको बाहर निकल देती है अगेन इसमें फिर इंडिया जितना है यहां पे पूरा वर्ल्ड की नज़र इंडिया और पाकिस्तान पर थी क्योंकि दोनों कंट्री न्यूक्लियर वेपन डिवेलप कर चुकी थी तो यहां पे दोनों को यहां पे सभी को ऐसा था की कहीं यहां पे क्या कहीं यहां पे न्यूक्लियर युद्ध ना हो जाए लेकिन असेट्स कुछ हुआ नहीं फिर से इंडिया जीत गया तो हर बार हमने देखा हर बार हम जीत के चले गए पाकिस्तान से यहां पे अगर हम लोग न्यूक्लियर पॉलिसी की बात करें तो जो पंडित जवाहरलाल नेहरू द वो कभी भी न्यूक्लियर वेपंस के फीवर में फीवर में नहीं द लेकिन हमें एनर्जी रिटायरमेंट बिजली और एनर्जी रिक्वायरमेंट के पर्पस से हमें न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बहुत ज्यादा आवश्यकता थी इंडिया ने अपना पहला न्यूक्लियर टेस्ट किया वो इन सक्सेसफुल रहा फिर हमने दूसरा न्यूक्लियर टेस्ट किया हमारे ऊपर सेक्शंस भी लगे लेकिन वह जरूरी था हमने जैसे फर्स्ट न्यूक्लियर टेस्ट किया पाकिस्तान को दर लगा उन्होंने हमें देख के उन्होंने भी टेस्ट कर लिया इंडिया पे सैंक्शंस लगी उसे समय वर्ल्ड में इन्फ्लेशन्स वगैरा और भी बहुत सारे मिडिल ईस्ट और इसराइल वगैरा यहां कॉन्फिडेंस चल रहे द इसी बीच में इंडिया का टेस्ट करना हुआ हम लोग नॉन-ploriculation ट एनपीटी के अगेंस्ट द इसमें क्या हो रहा था की जो न्यूक्लियर वेपन कंट्रीज हैं वो अर्जुन नॉन न्यूक्लियर वेपन कंट्रीज हैं मतलब जिसके पास न्यूक्लियर वेपन नहीं है जिसके पास न्यूक्लियर वेपन है इन दोनों के बीच में डिस्क्रिमिनेशन किया गया और ऐसा बोला गया की जो नॉन न्यूक्लियर वेपन कंट्रीज है वो कभी भी न्यूक्लियर वेपंस को टेस्ट नहीं करेगी तो ये चीज इंडिया को बहुत डिस्क्रिमिनेटरी लग रही थी और अपनी एनर्जी रिटायरमेंट और इन सब के लिए इंडिया को था की हमें न्यूक्लियर टेस्ट तो करना होगा और एक मैन में दर के लिए भी तो आज की जो इंडिया की जो न्यूक्लियर पॉलिसी है वो नो फर्स्ट है हम बिल्कुल ऐसा नहीं बोलते की हम न्यूक्लियर वेपन चला देंगे कुछ नहीं हम बोलते हैं हमने सिर्फ एनर्जी रिटायरमेंट के लिए हमें चाहिए और हम सामने से किसी कंट्री को न्यूक्लियर वेपन से नहीं कुछ करेंगे लेकिन अगर उन्होंने हमारी छेद ली तो हम जरूर करेंगे मतलब ये हमारा मेरा की कहना नो फर्स्ट उसे हम सामने से कभी नहीं करेंगे ये आॅटुगेदर इंडिया की न्यूक्लियर पॉलिसी है आई होप ये वाली चीज भी आपको क्लियर हो गई होगी और मात्रा हमने देखा की 10 से 15 मिनट के अंदर अंदर ये वाला चैप्टर भी आपको समझ में ए गया कहानी के पर्पस में मैग्नेट बेस पर सारे इन सब्जेक्ट के सारे वीडियो यहां पर 100% फ्री ऑफ कॉस्ट एक्यूप्रेशर इंग्लिश हिंदी मीडियम होगी सिटी स्पोकन इंग्लिश तमाम तरीके की चीज मैग्नेट बेस पर एकदम फ्री है मैग्नेट में इंस्पेक्टर आपको वीडियो यूट्यूब पे नहीं मिल रहे हैं तो आप माइग्रेट बेस की वेबसाइट जो की आप गूगल से www.com सारे वीडियो को एक्सेस कर सकते हैं मैग्नेट पे इस पर बहुत सारा स्टडी मटेरियल भी उपलब्ध है तो अगर उसके बारे में अगर आपको जानकारी चाहिए तो इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिंक है आप वहां से जानकारी हासिल कर सकते हैं मैग्नेट में इसको आप लोग फॉलो भी कर सकते हैं मैग्नेट में इसके 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