16 डिसेंबर 2023 को MV RUEN जो एक शिप है बहुत छोटी से देश मॉल्टा की उसको अरेबियन सी में कई पारिट्स हाइजाक कर लेते हैं शिप में करीब 38,000 टन का कारगो था जिसकी वैल्यू थी 1 मिलियन डॉलर्स और उसके साथ 17 क्रू मेंबर्स भी थे इस शिप को हाइजाक करने के बाद पारिट्स शिप ओनर के साथ नेगोसिएशन स्टार्ट करते हैं वो मांग करते हैं 60 मिलियन डॉलर्स की क्रू और शिप को वापस करने के लिए नेगोसिएशन्स इतनी लंबी चलती कि तीन महिन्ने हो जाते हैं पर फिर भी कोई सलूशन नहीं करता पर फिर एक ट्विस्ट आता है कहानी में 16th March 2024 को इंडियन मिलिटरी एक ओपरेशन स्टार्ट करती है प्रूव को बचाने का गल्फ ओफ एडन में कार्गो वैसल्स की हाइजैकिंग होना बहुत समय से एक प्रॉब्लम थी इस जगे 2008 से इंडियन नेवी उदर डिप्लॉय कर दी गई थी क्योंकि इंडिया का एक भारी ट्रेड इसी रूट से आता है और इस मॉल्टा की हाईजाक शिप को लोकेट करने के लिए इंडियन नेवी ने एक मारेटाइम पट्रोल एरक्राफ्ट और वार्षिप भी डिप्रॉय करी इसके लावा उन्होंने एलीट मारकोस कमांडोस भी एरड्रॉप करे जो नेवी की एक स्पेशल फोर्स यूनिट है इंडियन मिलिटरी का ये ओपरेशन 40 घंटों तक चलता है इसके बाद 32 पाइरेट सरेंडर कर लेते हैं और जो 17 क्रू मेंबर्स से उनको बचा लिया जाता है इस मिशन के बाद इंडियन स्पेशल फोर्सेज को ग्लोबल मीडिया कवरिज मिलती है CNN तो ये तक लिखा अपने आर्टिकल में कि इंडियन नेवी का ड्रेमाटिक रेस्क्यू दुनिया को इंडियन मिलिटरी की स्पेशल फोर्सेस के बारे में बताता है, जो अब दुनिया की बेस्ट फोर्सेस में से एक है. पर आप सोच रहे होगे कि इंडियन स्पेशल फोर्सेस है क्या? ये फोर्सेस एक स्पेशलाइज मिलिटरी यूनिट है, जिनको बहुत यूनिक और कॉंपलेक्स मिशन्स कैरी आउट करने के लिए टेन किया जाता है. इंडियन आर्म फोर्सेस की हर ब्रांच के पास अपनी एक स्पेशल फोर्स है, जैसे इंडियन आर्मी में पैरा सफ है, नेवी में मार्कोस, एयरफोर्स में गरुड, और फिर एक स्पेशल फ्रंटिर फोर्स भी है जो डिरेक्टली PMO को रिपोर्ट करती है। इस वीडियो बनाने के लिए मैंने इन बुक्स को यूज़ किया है जिनके लिंक आपको डिस्क्रिप्शियों में मिल जाएगे। तो इस स्पेशल फोर्से करती क्या है और बला हमारी मिलिटरी को इनकी जरूरत पड़ी क्यूं? ओक्टोबर 1962 जब इंडिया बहुत ही मुश्किल में था अगर आपके 20 अप्टॉबर 1962 के लिए चानीज आर्मी इंडिया के लिए एक बच्चा अटैक पर लॉंच गया था लड़क और नौधीस्ट के लिए इंडिया आर्मी इस विश्वास के लिए नहीं प्रपेर्ट था इंडिया का इंटेलिजेंस ब्यूरो चानीज अटैक को प्रेडिक्ट करने में ही फेल हो गया था इस 1962 वार पर इंडियन गवर्न ने एक रिपोर्ट बनाई जिसने दोष डाला बी एंड मलिक पर जो उस समय इंटेलिजेंस ब्यूरो के हेड थे रिपोर्ट ने कहा कि बि.ए.न मलिक ने अपनी जिम्मिदारी क्रिटिकल पीरिट के दौरान ढंग से नहीं निभाई पर कोई आक्शन उनकी खिलास नहीं लिया गया ये रिपोर्ट कभी भी पब्लिक नहीं करी गई पर 2014 में इस रिपोर्ट का एक सेक्षिन एक जॉनरलिस्ट ने रिवील किया था कि चाइना बॉडर पे कर क्या रहा है करीब 1300 जवान शहीद होये थे, 1000 घायल होये थे और 4000 एक जंग में एक जंग कैप्चर हुए थे जो करीब एक महीने चली थी इस इंटेलिजेंस फीलियर के बाद प्रधानमंत्री नेहरू ने सोचा कि वो इस गलती को वापस धोराना नहीं चाहते इसलिए जंग के खतम होने के दो दिन पहले उन्होंने अमेरिकन प्रेसिडेंट को लेटर्स लिखे मदद मांगने के लिए C.I.A. ऑफिशियल्स की एक डेलिगेशन भीजी फिर ये डेलिगेशन बी एन मलिक जो डिरेक्टर थे इंडिया की इंटेलिजेंस ब्यूरो से उनसे मिले और CIA ने इंडिया को एक ओफर दिया अपने डिफेंसेज इंप्रूव करने के लिए चाइना के खिलाफ। अब भला USA क्यों करेगा?
इसके दो लाइकली रीजन्स है। पहला है कि जवालदान नेरू ने खुद पर्सनली बदद मांगी थी अमेरिका से। और दूसरा है कि उस समय अमेरिका और सोविट यूनियन के बीच एक कोल्ड वार चल रही थी। दोनों ही अमेरिका और सोविट यूनियन दूसरे देशों से अप्पील कर रहे थे कि वो उनके कैम्प को जॉइन कर ले। और इसे लिए अमेरिका इंडिया की मदद करना चाहता था ताकि इंडिया अमेरिका के कैम्प में आ जाए इस पोल्ड वार में अब कारण चाहे कुछ भी हो पर CIA इंडिया की इंटेलिजेंस ब्यूरो को मदद करा था एक सीक्रेट फोर्स बनाने में उनको क्रेडिट भी मिलना चाहिए इंडिया की पहली स्पेशल फोर्स बनाने के लिए जो उन्होंने बनाई इंडिया के वार वेटरन बीजू पत्नायक के साथ इस फोर्स को बुलाये गया स्पेशल फरंटियर फोर्स या फिर इस्टाब्रिश्मेंट 2-2 इस स्पेशल फोर्स बनाने के बीचे मकसद ये था कि एक ऐसी गुरिला फोर्स बनाना जो चाइनीस टेरिटरी के अंदर जाके उनको अटाब कर सके इंडियन आर्मी के एक बहुत एक्स्पीरियंस्ट ओफिसर नेजर जेनरल सुजन सिंग उबान को इस फोर्स का पहला इंस्पेक्टर जेनरल बनाया गया था वो भी वो सोच समझ के सेलेक्ट किया गया था पूरा कार्डर धामपा कम्यूनिटी से ला जो टिबिट के खाम रीजन से बिलॉंग करते हैं जो चाइनीज रूल के अंदर आता है और ये लोग डलाई लामा के उरिजिनल बॉडी कार्ड्स इन लोगों को दो कारणों की वरी से रिक्रूट किया गया था पहली बात थी कि वो उस टेरिटरी और उस टेरेन को ढंग से जानते थे और हाई ओल्टिटूट कंडिशियंस में काम करना भी जानते थे दूसरा कारण था कि इस सभी लोग चाइना से नफरत करते थे क्योंकि 1951 में चाइना ने टिबिट को ओक्यॉपाय कर लिया था जैसे अनेमी टरेटरी में कैसे जंप करना है, रेडियो और वाइलेस सेट्स कैसे यूज़ करने हैं और एरप्लेइन को जमीन से कैसे सिग्नल्स देने हैं और इंडियन आर्मी में भी सभी लोग इस फोर्स से खुश नहीं थे आर्मी में भी पॉलिटिक्स चल रही थी 1962 में कई लोगों ने पूछा कि इस फोर्स की ज़रूरती क्या है और इस वज़े से इस स्पेशल फोर्स के चीफ ने 120 टिबिटन सोल्जर्स को एक आर्मी फील्ड एक्सरसाइज में भेजा कैप्टिन मनमोन सिंग् कोली ने एक इंटरव्यू में कहा कि SFF के आदमी बहुत टफ है। एक समय जब हम हेली पैट बना रहे थे तो एक बड़ा सा पत्तर हटाना था जिसके लिए 6-7 लोग चाहिए थे। पर एक SFF के आदमी ने कहा कि मेरी पीट पर डाल दो और वो अकेला सोल्जर 15 फीट उस पत्तर को लेकर गया उसको फेकने के लिए। इन फाक्ट इस किताब में लिखा है कि कैसे ये फोर्स आज भी बहुत सीकरिटिव है और कई इंडियन आर्मी ओफिशियल्स को इनके बारे में जानकारी नहीं है। पर अपनी formation के बाद, इस special force ने तई important operations करेंगे India के लिए और सबसे critical operation था India और Pakistan की war 1971 में जब Bangladesh आजाद हुआ इस war के दौरान, establishment 22 की battalions secretly deploy करी गई थी Chittagong Hill Tracks में जो एक hilly area है Bangladesh के southeast में उनका mission था Bangladesh में infiltrate करना और Pakistani soldiers और उनकी military infrastructure को attack करना लोजिस्टिकल लाइन्स, कम्युनिकेशन लाइन्स और वेपन सप्लाई के बेसिस 1962 में Special Frontier Force या फिर Establishment 22 इंडिया की पहली Special Force बनी कई सालों तक इंडियन गवर्नमेंट ने इस फोर्स को एक सीक्रेट रखा पर 1978 में एक प्राइम मिनिस्टर ने एक गलती कर दे 1965 में CIA ने इंडिया को एक Electronic Intelligence Machine दी थी इसको इंडिया ने नंदा देवी पर रखा था ये मशीन चाइलीज मिसायल टेस्ट को ट्राक कर रही थी पर 1978 में ये मशीन गायब हो गई पर डर बस इस मशीन के बारे में नहीं था डर इसके बारे में भी था कि मशीन पावर हो रही थी एक प्रोटोनियम जेनरेटर से क्योंकि इस जेनरेटर की देखबाल कर रही है Special Frontier Force गलती से पार्लिमेंड में उन्होंने इस फोर्ट का नाम बोल दिया इस फोर्स का प्रेजेंट स्टेटिस क्या है, यह मैं आपको थोड़ी देर में बताऊंगा वीडियो में अभी कहानी में आगे बढ़ते हैं Special Frontier Force बनने के 3 साल बाद, इंडियन आर्मी में एक आदमी Major Megh Singh ने र���लाइज किया कि इंडियन आर्मी को भी ऐसी Special Force की जरूरत है Major Megh Singh एक Mid-Level Staff Officer थे Brigade of Guards में जो इंडियन आर्मी के Western Commandic Infantry Regiment है Infantry Regiment मतलब किसी भी आर्मी के Foot Soldiers मेजर मेग सिंग एक स्टाफ ओफिसर थे ऐसी एक रेजिमेंड में जो वेस्टरन कमांड में थी पर वेस्टरन कमांड इंडियन आर्मी का सबसे बड़ा कमांड एरिया है जो राजस्तान के रेगिस्तान से जम्मून कश्मीर के पहाडों तक जाता है 1965 में मेजर मेग सिंग ने रिजाइन कर दिया था क्योंकि उनको प्रमोशन नहीं मिली थी पर जब उनको ये खबर मिली कि पाकिस्तान जम्मून कश्मीर में आ गया तब वो वापस आ गया 1965 की एक सुबह मेजर मेग सिंग को एक आइडिया आया कि वो इंडिया की जो वेस्टरन कमांड है उसको और तगड़ा बनाना चाहते हैं कमांडो फोर्सेस को यूज़ करके उनका आइडिया था कि वो एक छोटी सी टीम बनाएंगे और उनको स्ट्रेटीजिकली पोजिशन करेंगे एनेमी की टेरिटरी में और ना कि इंडिया की टेरिटरी में उन्होंने कहा कि इस टीम का मिशन होगा दुश्मन के प्लांस को तहसनस कर देना उनके बारे में इंटेलिजन्स कलेक्ट करना उनके की टार्गेट्स को डिस्ट्रॉय करना मेजर मेग सिंग का मानना था कि ये टीम चाहे छोटी होंगी के पर उनको इतनी स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग मिलेगी कि किसी भी जंग में उनका बहुत बड़ा एफेक्ट हो सकता है। सेकेंड वर्ल वार के दौरान उन्होंने ऐसे ही ओपरेशन्स बुर्मा में करे थे जापनीज लाइन्स के पीछे इस आइडिया को लेकर मेजर मेग सिंग इंडियन आर्मी के वेस्टरन कमांड के हेड लेफ्टिनन जेनरल हरबक सिंग के पास गए। लेफ्टिनन जेनरल हरबक सिंग एक ऐसे लीडर थे जिनकी रेपुटेशन थी कि उनसे बात करना बहुत आसान था। और वो नए आइडियास को बहुत गौर से सुनते थे चाहे वो आइडियास उनके जूनियर सोल्जर्स क्यों ना ला रहे हो। लेफ्टिनन जेनरल हरबक सिंग ने मेजर मेग सिंग की प्रेजेंटेशन को बहुत ध्यान से सुना। इस प्रेजेंटेशन में मेजर मेग सिंग ने प्रपोज किया कि इंडियन आर्मी का बहुत फाइदा हुआ स्पेशल ओपरेशन से और इस चीज के लिए वे कमांडो बटालियन बनाना चाहते हैं। इस प्रेजेंटेशन के बाद हरबक सिंग ने उनकी बात मान ली और उन्होंने मेजर मेग सिंग को कहा कि आप प्रेपरेशन स्टार्ट करो। उन्होंने मेग सिंग् को ये भी बोला कि अगर आप काम्याब होए अपने मिशन में तो आपको एक प्रमोशन दी जाएगी। इसलिए मेजर मेक सिंह को फुल फ्रीडम दिया गया एक ऐसा यूनिट बनाने के लिए जो इंडियन आर्मी में कभी बनाई नहीं। इस यूनिट में सभी लोगों को उन्होंने ही चूज किया और क्योंकि ये फोर्स उनका ही आइडिया था उसको नाम दिया गया मेगदूत फोर्स रिक्रूट्मेंट के बाद इस मेगदूत फोर्स की ट्रेनिंग साट हुई और ट्रेनिंग थी जमोन कश्मीर में वो रेगुलर मिलिटरी से बहुत जादा थे क्योंकि वो एक challenging environment था इस unit के लिए जहाँ weather बहुत खराब था, कई ढलाने थी और ground भी uneven था physical fitness और weapon training के लाभा उनको बहुत पढ़ाई भी करनी थी जैसे उनको Pakistani military के setup और maps को ढंग से पढ़ना था उनके बारे में जानने के लिए इसको कहा जाता है order of battle या फिर or bat यहाँ details provide करी जाती हैं कि enemy soldiers कहा station है उनके पास कौन सा equipment है और वो कैसे organized है और मेजर मेग सिंग का जो डिसिजन था मेग बूर्च फोर्स को बनाने का वो काम आया क्योंकि इस फोर्स को बहुत जल्दी डिप्रॉय करना पड़ा ओगर्स 1965 में इंडिया और पाकिस्तान में एक जंग हुई ओपरेशन जिब्राल्टर जब ये जंग स्टार्ट हुई तो लेफ्टिनन जेनरल हरबक सिंग्ने सीक्रिटली मेगदूद फोर्स को लाइन आफ कंट्रोल के उस पार भेज जाता है। ये ओपरेशन था हाजी पीर पास को ब्लॉक करने का। ताकि पाकिसान की आर्मी ऐसी एंट्री करी न पाए इसलिए से मेगदूच फोर्स देर रात को पाकिसान की सप्लाई लाइन्स के पीसे जाती। और उनको अटाक करके कुछी गंटों में एलोसी के इस पार आया थी। फर्स्ट सेप्टेंबर 1965 की रात को मेगदूद फोर्स ने पाकिसान की बॉर्डर के 10 किलोमेटर अंदर जाकर एक टनल डिस्ट्रॉय कर जया था। इसलिए 1965 की बॉर के बाद मेगदूद फोर्स को रिया औरगनाइज किया गया और वो इंडियन आर्मी की पहली कमांडो बटालियन बने। जैसे सीकरिट ओपरेशन करने हो एनिमी लाइन्स के पीछे रेड करनी हो, या फिर कोई भी ऐसा मिशन हो, जहां स्टेल्थ, अजिरिटी और अडवांस कॉम्बाट स्किल्स चाहिए होते हैं। यानि की वो ओपरेशन्स जहाँ एक यूनिट को कॉमबाट जोन में पैरेशूट से ड्रॉप किया जाता है। अब जैसे इस एलीट यूनिट की खबर इंडियन आर्मी में पहल रही थी वैसे कई यंग ओफिसर्स इंडियन आर्मी के डिफरेंट भागों से इस बटालियन को जॉइन करना चाहते थे अब उस समय इंडियन आर्मी में कई पारिशूट बटालियन से और अगर कोई ओफिसर एक पारिशूट बटालियन से इस एलीट कमांडो बटालियन को जॉइन करना चाहते था पर कुछ समय बाद मेजर मेग सिंग को प्रमोशन मिल गई थी और उनको इस एलीट यूनिट का हेड बना दिया गया था और उन्होंने कहा था कि इस कमांडो बटालियन में बस वही लोग आएंगे जिनको special training मिलेगी इसलिए वो अपने team members को मद्दे प्रदेश के महू में एक military center में भेजने लग गए जहां उनको specialised training दी गए और इस समय entry होती है एक ऐसे आदमी की जो Indian special forces को और specialised बनाना चाहते है 1967 में Major Bhawani Singh को 9th बटालियन में second in command appoint किया गया था Lieutenant Colonel Meg Singh के under प्रमोशन के बाद मेग सिंग् मेजर से लेटरनर कर्नल बन गए थे और उनके नीचे थे मेजर भवानी सिंग् मेजर भवानी सिंग् राजसान के रॉयल परिवार से थे और वो एक स्पेशल यूनिट बनाना चाहते थे रेगिस्तान में ओपरेशन्स के लिए जिस तरह नाइंथ बटालियन बनी थी जुलाय 1967 में उनका आइडिया एक्सेप्ट कर लिया गया था और नाइंथ बटालियन को दो भागों में डिवाइड कर दिया गया था और इस यूनिट को उधमपुर भेजा गया था जहाँ उनका फोकस है special operations करना पर पहाड़ों में जबकि जो दूसरा यूनिट था उसको 10th Battalion या फिर 10th Para Commando बुलाया गया और इस यूनिट को राजिस्थान भेजा गया ताकि वो Commando Raids रेगिस्थान के environment में सीख सके पर 4 साल बाद इन दोनों यूनिट का एक अच्छा test हुआ था 1971 war के दुरा 9th Para Commando ने एक बहुत important role play किया था northern region में जहां उन्होंने पूंच जैसे important positions को defend किया था जबकि 10th Para Commando ने कई raids करी थी सिंद में Pakistani Rangers के headquarters में तो बहुत clear हो गया था कि ये दोनों special forces हमारे देश के लिए बहुत ही जरूरी है पर इन special forces के सामने एक बहुत बड़ी problem आ रही थी जिसने हमें पहली बार दिखाया कि Special Forces को भी Support की जरूरत है ये प्रॉब्लम थी क्या? पंजाब में Insurgency 1970s पंजाब में Political Violence बहुत आम बात हो गई खालिस्तान Movement पर मैंने एक फुल वीडियो बनाया है जो आप इस वीडियो के बाद देख सकते हो इसी माहौल के दौरान जर्नेल सिंह भिंड्रा वाले Sikh Community को Radicalize करने की कोशिश कर रहा था हर दिन खबरें आती की कैसे पंजाब में Minority हिंदूस को अटाक किया जा रहे है और कई Political Leaders को मारा जा रहे है इस Violence को Counter करने के लिए Special Forces की जरूरत थी पर वो इस mission के लिए तैयार नहीं थी पंजाब की insurgency से पहले ही Indian Army को पता चल गया था कि उनको ऐसी force बनानी पड़ेगी जो हमारी देश की internal security challenges का भी सामना कर सकती है इस force को बनाने के लिए Army ने decide कि वो एक special unit बनाएंगे British Special Air Service की तरह British SAS एक highly skilled special force unit है जो दुनिया भर मशूर है ये unit इतना skilled है कि उनको कई situations में deploy किया जा सकता है जैसे एक strategic role में जहां उनको कोई area secure करना हो या पर counter-terrorism role में जहां उनको hostages secure करने हो अब Indian Army के पास para-commando units तो थे ही जैसे 9th Para-Commando नौधन कमांड में था और 10th Para-Commando इंडियन आर्मी के western command में पर Indian Army ने कहा कि हम ऐसा एक नया strategic unit बनाना चाहते हैं योग किसी एक area में assigned ना हो बलकि उसको हम कहीं भी deploy कर सके इस चीज के लिए इंडियन आर्मी ने 9 पैरा कमांडो का एक यूनिट लिया और उसको बुलाया एक्सपेरिमेंटल कमांडो विंग पर एक इंडियन आर्मी ओफिसर ने अपनी आवाज उठायो ये थी लेफ्टिनन जेनरल इंदर सिंग गिल जिनने वर्ल्ड वार 2 के धरान कई कमांडो ओपरेशन्स करे थे उल्टे उन्होंने कहा कि क्यों ना हम पैराशूट रेजिमेंट की पहली बटालियन जिनको वन पैरा कहा जाता है उनको कनवर्ट कर दे और ऐसा ही हुआ 1979 में कनवर्जन स्टार्ट हुई और 1982 में ट्रायल्स रखे गए जिसके बाद इस यूनिट को बलाये गया पैरा कमांडोस पर ये पैरा कमांडोस एक एलीट यूनिट बन नहीं पाए इसके पीछे कई कारण थे कि सालों भर आर्मी चोटे-चोटे मुद्धों पर ध्यान देती रहे जबकि उनको focus करना चाहिए था कि उनको ढंका equipment और missions दिये जाए। जैसे para commandos कई पुराने weapons, जैसे 7.62mm self-loading rifles या पर sterling submachine guns यूज़ कर रही थी। जो special operations के लिए सही नहीं है और ये दिक्कते बहुत clear हो गई 1984 में, जब army को बुला गया था अमरिच्छर में एक operation blue star के लिए। जून 1984 में, जर्नेल सिंग भिंडरावाले के साथ कई armed militants ने अमरित्सर के गोल्डन टेंपल में रिफ्यूज ले ली थी मिलिटन्स के पास कई हत्यार थे और उनने गोल्डन टेंपल के अंदर अपना बेस बना लिया था इंदरा गांधी की सरकार ने उनके साथ नेगोसियेशन करने की कोशिश करी फर्स जून को टेररिस के हाथों काई CRPF जवान शहीद होगी और अगले दिन 2nd जून को इंडियन आर्मी को बोला गया कि वो गोल्डन टेंपल में एंट्री करें और इधर deployment हुई para commandos की पर problems पहले से ही clear हो गई थी जैसे para commandos के पास कोई intelligence थी ही नहीं militants के बारे में आप lieutenant general PC Katoch का ये interview सुन लो जो खुद एक team lead कर रहे थे Golden Temple के अंदर इसके लावा वो outdated weapons भी use कर रहे थे ऐसे operations में special forces blast करके entry करती किसी भी structure में पर Indian Army को यह permission नहीं दी गए थी इसी वर्षे से अपरेशन के बाद कई कैजूल्टीज हुई। इन फाक्ट इस अपरेशन के कमांडिंग ओफिसर ने खुद कहा कि हमें इस अपरेशन में भेजा गया था पर हमारे हाथ बंदे वे थे। अपरेशन ब्लू स्टार के फेलियर के बाद सरकार को रिलाइज हुआ कि उनको एक ऐसी स्पेशल फोर्स की जरूरत है इसका में मकसद टेररिस्म को काउंटर करने का होगा। इस फोर्स को बुलाया गया National Security Guard जून 1984 में Director of NSG की post create हुई और दो साल बाद, August 1986 में एक bill पास हुआ NSG के लिए पैरा कमांडोस की तरह, NSG का inspiration भी United Kingdom की SAS से आया पर NSG Army के पैरा कमांडोस से अलग थी क्योंकि NSG Ministry of Defense को नहीं, बलकि Home Ministry को रिपोर्ट कर रही थी आज भी NSG के ऑफिसर्स से आते हैं और ना कि इंडियन आर्मी से और NSG बनाने का रिजल्ट बहुत जल्दी देखने को मिला 1988 में Operation Black Thunder 2 में 1984 के Operation Blue Star के बाद कई सीक इंडरा गांधी से बहुत गुस्सा थे Operation Blue Star के बाद इंडरा गांधी असासिनेट हुई और फिर कई सीक टेररियस ने पुलिटिकल वाइलेंस किया देश में May 1988 में पंजाब में ऐसे 30 ग्रूप से जो उस समय अक्टिव थे और उन्होंने Golden Temple के कई कमरों पर कबजा कर लिया था 11th May 1988 को फिर कई NSG कमांडोस अमरित सर भेजे गए NSG Commandos के आने से पहले Golden Temple के आसपास CRPF के जवान थे। जैसे ही Commandos आये उन्होंने इन पोजिशियों को सेक्यॉर कर लिया और वो वेट कर रहे थे कब वो Golden Temple में अंटेर करेंगे। Golden Temple के बाहर डिफरेंट लोकेशन्स में NSG ने कई स्नाइपर्स भी पोजिशियन कर रहे। इसलिए टेंपल में इमीज़िटली घुसने की बजाय उन्होंने एक वेटिंग गेम खेली उन्होंने समय लिया बिल्डिंग को पूरी तरह सेक्योर करने का और अंदर क्या हो रहा है उसकी इंटेलिजन्स गैधर करने का जैसे उन्होंने पूरा एरिया सेक्योर कर लिया एनेसजी कमांडोस गोल्डिन टेंपल के अंदर घुसे और उन्होंने कंटिनूसली मशीन गर्न की फाइरिंग करी गई कि टेररिस भी बॉकला गए एनेजी कमांडोस की स्टार्टर जी थी कि वो लगातार फाइरिंग करते फिर कुछ समय के लिए रोक देते उस समय वो अनाउंस करते कि अगर कोई भी सरेंडर करना चाते वो कर ले और इसी वज़े से साथ दिन के ओपरेशन के दौरान कई टेररिस और सिविलियन्स आराम से भार आ गए थे इसी वज़े से 18 मे को ओपरेशन स्टार्ट होने के बस साथ दिन बाद जो लास्ट टेररिस थे वो गोल्डन टेंपल के बाहर निकल गये पूरे ओपरेशन के दौरान बस तीन NSG कमांडोस घायल होए ये NSG के लिए एक बहुत बड़ी विक्ति थी और पूरा इंडियन सिक्योरिटी सिस्टम समझ गया था कि काउंटेड टेररिजम के लिए एक स्पेशल फोर्स एफेक्टिव हो सकती है तो इंडियन आर्मीयों में पैरा कमांडोस से और होम मिनिस्ट्री के अंडर NSG तार्गिल वार जब 2001 में दो टेररिस अटाक्स हुए इंडियन एयरफोर्स बेसिस पर जमूवन कश्मीर में जिन्होंने दिखाये कि इंडियन एयरफोर्स के बेसिस इतने सेक्यॉर नहीं है और इसलिए उनको एक स्पेशलाइज फोर्स की जरूरत है फिर 2002 में एक स्पेशल फोर्स बनाई गई इसका उरिजिनली नाम रखा टाइगर फोर्स इसको बाद में बदल के गरुट फोर्स कर दिया गया सेप्टेंबर 2003 में इंडियन सरकार ने ओथराइजेशन दिदी थी इस गरुट फोर्स की और कुछ महीने बाद 2004 में पहले बैच की ट्रेनिंग भी कम्प्लीट करती गए इन गरुट कमांडोस नहीं एनेसजी के साथ उन टेररिस को मार गिराया जिनने 2016 में इंडियन एरफोर्स का पठान कोट एरबेस अटाक किया था 31 डिसेंबर 2015 को इकागर सिंग एक टाक्सी ड्राइवर अपनी गाड़ी चला रहे थे पर रात को 9 बजे उनको कई टेररिस ने रुप दिया टेररिस के पास एके 47 थी और वो उसकी गाड़ी हाइजाक करना चाते थे 35 साल के इकगर ने बहुत लड़ाई करी और टेररिस ने उनको मार गिराया फिर इन आतंगवादियों ने एक और गाड़ी हाइजाक करी इसके बाद वो पठानकोट एरबेस गए उदर जाकर ये आतंगवादी एरबेस की जगली घास के पीछे छुप गए और फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने इंडियन सोल्जेस पर अटाक किया साथ सोल्जेस शहीद हुए जैसे गरुट फोर्स के कॉर्परल गुर्सेवक सिंग इंडिया को एविडेंस मिल गया था कि ये अटाक जैशे मुहमबद ने करवा है। आप जो नोटिस देख रहे हो वो स्क्रीन पर वो Ministry of External Affairs ने इशू किया था जहां ये क्लियरली लिखा है कि इसका सबूद एक पाकिस्तानी टीम के साथ शेयर कर दिया गया था पर नौ महीने बाद इंडियन गवर्मेंट को रिलाइज हुआ कि एक पाकिस्तानी टीम को इंवाइड करना इतनी बड़ी गलती थी 8 सेप्टेंबर 2016 को चार लशकरे तौइबा के टेररिस ने इंडियन आर्मी ब्रिगेड हेड़कॉर्टर्स को अटाक किया जो जम्मू और कश्मीर के उरी शहर के पास था हमारे देश के 19 जवान शहीद हुए बहुत क्लियर था कि एक जवाब देना पड़ेगा और ये जवाब देंगी इंडियन स्पेशल फोर्सेस इंडियन आर्मी की पैरा स्पेशल फोर्स की दो बटालियन्स नाइन पैरा सेफ और फोर पैरा सेफ को अटाक के बाद उधंपुर में नौर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टन और जनरल डीएस हुड़ा बहुत दुखी थे उन्होंने कहा कि वो जिम्मेदार थे उन सोल्जर की जिंदगीयों के लिए जो शहीद होए और उनके मन में साफ था कि अगला स उनके साथ आर्मी चीफ ऑफ स्टाफ जनरल दलभीर सिंह और प्रायम मिनिस्टर ऑफ इंडिया नरेंद्र मोदी सब जानते थे कि अगले स्टेप्स होंगे क्या। एक साल पहले ही लेटरन जनरल हुडा ने मियनमार में एक ओपरेशन हॉट परसूट करवाए था जिसकी वरिसे सभी के दिमाग में सर्जिकल स्ट्राइक का आईडिया आया था। इस ओपरेशन में इंडियन आर्मी का पैरा-सफ यूनिट योर नौर्धीस्ट में बेस था उसने एनेस-सी-एन-के कैम को लुकेट किया था जो मियनमार के अंदर था और साठ टेररिस को मार गिराये था। लेफ्टन एंड जनरल हुड़ा जानते थे कि उरी का जवाब भी ऐसा ही होगा इन फाक उरी अटाक के काही महीने पहले लेफ्टन एंड जनरल हुड़ा ने अपने दो कर्नल्स कर्नल एच और कर्नल के को बोला था कि वो एलोसी के उस पार काई टार्गेट्स ढूंडे फिर 2015 की सर्दी के दौरान पैरा सेफ की दो बटालियस पैरा 4 और पैरा 10 टेन करती हैं ऐसे अटाक के लिए सब्टेंबर 2016 में समय आ जाता है वो ओपरेशन एग्जिक्यूट करने का जिसके लिए ये बटालियन्स प्रेइन कर रही थी पिछले सार करनल H और करनल K अपने बेस पर वापस जाते हैं और इन दो बटालियन्स से उन लोगों को पिक करते हैं जिनको COB कहा जाता है उनको बुलाय जाता है और कहा जाता है कि इस मिशन के दो उब्जेक्टिव्स हैं डर पैदा करना और रिवेंज लेना करनल इच कहते हैं कि आइडिया था ये बताने के उनको कि हम जानते हैं कि तुम कहां बेस्ट हो और सबसे ज़ाधा ज़रूरी है कि हम जानते हैं कि तुम्हें मारना कैसे है। 28 सेप्टमबर 2016 को लेफ्टरन जनरल हुडा ने ओपरेशन एक्स लाउंच किया। उन्होंने करनल एक्स और करनल के को कॉल किया और गुड लग विश किया। ओपरेशन एक्स को एक्स करने वाली टीम शाम को एलोसी गई पर वो अंदेरा का इंतजार करे थे ताकि वो एलोसी पार कर पाए। दिल्ली में आर्मी चीफ ओफ स्टाफ जेनरल दलबीर सिंग् ने ब्रीफ किया था नाशनल सिक्यूरिटी अडवाइजर अजीद दोवल को और उनको शेयर कर दिया गया था कि मिशन का प्लान है क्या और जब एक बार रात हो गई तब कर्नल H और कर्नल K की टीम्स अकेली थी क्योंकि उन्होंने LOC पार कर ली थी उनका मिशन था कि पीर पंजल रेंज के पास कई टेररिस्ट कैम्स हैं जिनको उनको अटाक करना है उनका मिशन था कि उनको पाकिसानी आर्मी के काई आउटमोस्ट क्रॉस करने पड़े पर एक injury के अलावा operation X successful था टेररिस इस strike से surprise हो गए और अगले दिन September 29th को internally सब को पता था कि ये surgical strike एक success है और धीरे धीरे पूरे देश को पता चल गया कि special forces कितनी ज़रूरी है ऐसे specialized missions की वज़े से कई बार special forces को दाड़ी वाली फोज भी का जाता है क्योंकि terrorist के साथ blend in होने के लिए को कई बार दाड़ी रखते हैं ऐसे Major Mohit Sharma जो Para 1 special force है उनको अशोक चक्र दिया गया था उन्होंने बहुत बड़ी दाड़ी रखी और वो टेररिस के साथ गुल मिल गये थे हफ्तो तक उन्होंने इंटेलिजिन्स कलेक्ट करी जो बस एक एग्जाम्पल है कि स्पेशल फोर्सेस कैसे 24 घंटे काम करती है आज हमारे देश में कई स्पेशल फोर्सेस हैं पर चार मेन हैं नेवी की मारकॉस, एरफोर्स की गरुड तभी candidates को CDS exam देना पड़ता है जो UPSC conduct करती है जिसके बाद उनको service selection board का interview करना पड़ता है और physical test पास करना पड़ता है और उसी के बाद आप special forces के लिए apply कर सकते हो Colonel Kaushal Kashyap ने एक interview में बताया था कि special forces के soldiers वो होते हैं जिनके मन में कोई डर ही ना हो मकसद यह है कि आप ऐसे बंदे select करना चाहते हो जो घवराया नहीं मैं घबराता नहीं हूँ, मैं डरता नहीं हूँ सेलेक्शन के बाद भी आप परमिनेंट तब ही होते हो जब आप 90 दिन का प्रोबेशनरी पीरिट पास करते हो प्रोबेशन होती है तीन मेने का सेलेक्शन प्रोसेस है जिसमें आपको फिजिकल, मेंटली टेस्ट किया जाएगा कि दरवाजे किस तरह होता है तो उनको कैसे हटाना है और रात बर जगे कैसे रहना है एक और special force है, special frontier force, जो army तक को report नहीं करती, वो report करती है PMO को directly. जब ये force बनाई गई थी, तब इस force में बस Tibetans हैं, पर आज Tibetans और Gorkhas दोनों हैं.
SSF का training center, Dehradun के 100 km दूर चकराता में है, और training army के अंडर नीब, बलकि training होती है इंडिया की external intelligence agency, RAW के अंडर. आज भी China के खिलाफ इंडिया के border areas में SSF ही तैनात होती है. ससफ इन फाक्ट इतनी जरूरी है इंडिया के लिए कि नेवेंबर 2020 में इंडिया ने एक बहुत कड़ा मेसेज भेजा था चाइना को जब बीजेपी के जनरल सेकरिटी राम मादव एक फ्यूनरल के लिए गए थे सुमेदा नीमा टेंजिन के लिए जो स्पेशल फ्रंटियर ये फोर्स कितनी बड़ी है और उन्होंने किन ओपरेशियों से भाग लिया है ये पब्लिक नहीं कह रहा था आज इस फोर्स से कई रिटाइट सोल्जर्स दिल्ली के मजनू का टिला एरिया या फिर धर्मशाला में दुकाने चला रहे हैं 1973 में वो जोदपुर के पास अपने गाउ में सेटल हो गया वो राजसान किसान यूनियन के प्रेजिडन थे कई सालों के लिए और उन्होंने अपना समय दिया किसानों की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए उनको वीड चक्रा अवार्ट किया गया और 2010 में वो स्वर्गवासी हो गया