प्रेजेक्ट और विषय का विषय क्या मतलब होता है क्या है विषय के विषय तो अब पहुंच करिए पहुंच करें कि यू वांट्स टू बाई एक आर आपको जो है एक पर पर्चेज करनी है या फिर यू वांट्स टू टेक एडमिशन इन यूजी और पेजी आप डिफरेंट डिफरेंट ब्रेंड्स को देखेंगे होंडा है मार्टी सुचकी है हुंडे है फिर उनकी अलग-अलग मॉडल्स है फिर उसकी क्या प्राइसिंग है क्या स्पेसिफिकेशन है क्या माइलेज देती है यह सारी चीजें आप देखेंगे यानि कि उसके बारे मे अलग-अलग इन्युवर्सिटीज को देखेंगे अपनी लोकेशन को देखेंगे यूनिवर्सिटीज में कौन से कॉलेज एफ्लीएटेड है वह देखेंगे फिर अलग-अलग कॉलेज की प्लेसमेंट क्या है फैकल्टीज कैसी है वहां के एलुमिनाई कैसे हैं वहां के फी स्ट्रक्चर क्या है वहां पर फैसलेटीज क्या है वह सार कंपेयर करते हैं कंपेयर करने के बाद फिर आप फाइनल डिस्टिवल लेता है कि आपको कौन से कॉलेज में अडमिशन लेना है तो यह क्या है यही आपने किया सर्च फॉर नॉलेज एंड इंफॉर्मेशन आपने क्या कि आपके सामने प्रॉब्लम थी कि आपको knowledge इकठा करते हो या फिर information इकठा करते हो तो वही चीज क्या कहलाता है research कहलाता है इसी तरीके से अगर आप organization में देखेंगे management में देखेंगे तो आए दिन बहुत सारे decisions जो है management में लेने होते हैं जैसे कि आप सबसे या पर एक startup श्टार्ट करना चाह रहे हैं तो सबसे पहला problem कि आपको कौन सा product बनाएं आप कौन सा product develop करें जैसे कि customers को purchase करेगा उसकी demand बढ़ेगे वहां से डाटा कलेट करना पड़ेगा उनकी क्या नीट से क्या वांट से क्या डिजायर्स है वह किस चीज को प्रेफरेंस करते हैं कौन से नीट जो फुल्फिल नहीं हो रही है तो यहां से आपको एक आइडिया है कि हां यह प्रोडक्ट बना जा सकता है तो यह किस पर है रिसर्च पर डिपेंड करता है इसी तरह के से आप जो है आपकी पैकेजिंग में आपकी प्राइसिंग में आप से फोर जी आया फोर जी से फाइड यह किस पर यह रिसर्च पर डिपेंड करता है रिसर्च किए गए इनोवेशन होते चले गए फाइनेस डिसिजन लेना है कि कहां पर कितना पैसा इनवेस्ट करना है कहां से पैसा लेना है किस बैंक से लेना है कब लोन लेना है कितना पैसा इनवेस्ट करना है कितना जो डिविडेंट्स डिस्ट्रिब्यूट करना है ह्यूमर सोस में कोई नॉलेज एकठा करते हैं कोई इनफॉर्मेशन सर्च करते हैं चाहे किसी फिनॉमना के बारे में जानने के लिए इनफॉर्मेशन सर्च करते हैं या फिर उसके बारे में कोई नई जानकारी कठा करने के लिए इनफॉर्मेशन सर्च कर अफिर नॉलेज सर्च कर रहे हैं या किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए तो चीज क्या कहलती है रिसर्च कहलाती है ठीक मिनिमम जो है वन यह लग गए एक साल लग गया उसको कोविड वैक्सिन को बनाने के लिए तो कोविड वैक्सिन बना कैसे तो वहाँ पर जब कोविड वैरस आया कोविड वैरस से जब सिम्टम्स के बेसिस पर सबको पता चला का चाहिए तो कोविड वैरस का सिम्टम है उसके बाद फिर उस कोविड वैरस के बारे में जो डिटेल्ड स्टेडी की गई साइंटिस्ट ने क्या किया साइंटिफिक और स कोविड वैक्सीन जो हो डेवलप कर पाए इसी तरह के साथ कोई भी मेडिसिन डेवलप हो कि कल यह जो भी मेडिसिन डेवलप होता है पहले उस बीमारी को उस जो सिम्टम से उसके बेसिस पर इसको स्टेडी किया जाता है फिर उसके बेसिस पर जो है मेडिसिस डेवलप की जाती है तो कोई भी प्रॉब्लम यहां पर जो आज के टाइम और इनफॉरमेशन रिसेच को हम इंदिया क्या कहते हैं रिसेच में अनुसंधान तो जो वेन साइंटिफिक एंड सिस्टेमेटिक पर पर्टिनेट इंफॉरमेशन ऑन इस विशेष टॉपिक इस दन तो देट इस कॉल्ड रिसेच जब आप जो है एक सिस्टेमेटिक तरीके हैं तो वही चीज रिसेर्च कहलाती है अब रिसेर्च में देखिए दो चीजें है जिससे चमिया तो हो सकता है कि उस इंफॉर्मेशन को यूज करके जो है आप कोई नया मेथड कोई नया अंडर्स्टेंडिंग कोई प्रॉब्लम को सॉल्व करते तो वह प्रॉब्लम को सॉल्व कि उस इनफॉर्मेशन को यूज करके तो वह भी जिससे लाया तो अलग-अलग और थे ने जिससे को डिफाइन किया सके तो वही चीज करता है रिसर्च कहलाता है तो रेडमैन एंड मोरी ने दिया इसी तरीके से आप देखेंगे तो क्लिफॉर्ड उड्डी ने जो है रिसर्च को डिफाइन करते हैं तो उन्होंने क्या कहा रिसर्च जो है कुछ अलग-अलग स्टिप्स कंप्राइज करता है जब वह प्रॉब्लम कोई भी इंफॉर्मेशन इकठा करने जा रहे तो आपके सामने कोई ना कोई प्रॉब्लम होगी प्रॉब्लम होगी कोई ऑब्जेक्टिव होगा प्रॉब्लम के अनिक ऑब्जेक्टिव रिसर्च ऑब्जेक्टिव तो ऑब्जेक्टिव होगा तभी तो आप उसके हैं यहां पर फाइनल सोल्यूशन यह गेस करते हैं कि हां यह सोल्यूशन हो सकता है उसके बाद फिर अब एवाल्यूट करने के बाद आप क्या करेंगे एक डिडक्शन बनाएंगे कंक्लूजन पर आप एक कंक्लूजन पर पहुंचेंगे उस कंक्लूजन पर उस कंक्लूजन के बेसिस पर ही जो है आप जो है फाइनल डिसिजन मेकिंग लेंगे कि हां यह चीज करनी चाहिए फिर collecting, organizing and evaluating data, making deduction and reaching conclusion and last carefully testing the conclusion to determine whether they fit the formulating hypothesis or not. तो जब आप ये सब करते हैं तो ये चीज research कहलाता है, तो अगर आप simply कहें तो research means क्या हो गया कि systematized effort to गेन न्यू नॉलेज टू गेन न्यू इंफॉर्मेशन वह रिसेच कहलाता है सर्च फॉर नॉलेज और गए साइंटिफिक तरीके से करें तो साइंटिफिक तरीके से डिफाइनिंग एंड डिफाइनिंग प्रॉब्लम फॉर्मेटिंग हाइपोथेसिस देन डेटा कलेक्शन ऑर्ग्नाइजिंग एंड वेलुवेटिंग देन डिडक्शन देन रिचिंग कंक्रूजर एंड थे आइपोथेसिस टेस्टिंग तो यह इनफॉर्मेशन गेंड करने के लिए नॉलेज के लिए नॉलेज गेंड करने के लिए कोई चीज सर्च करते हैं तो वह चीज रिसर्च करता है देखिए रिसर्च में क्या होता है कोई भी चीज हेंडर परसेंट नहीं होते रिसर्च कहीं न कहीं बटन होता है तो रिसर्च सर्चिंग अगेन एंड अगेन टू गेन न्यू नॉलेज रिसर्च रिसर्च क्यों होता है तो जिससे जो है रिसर्च किया गया रिसर्च करने पर उसके बाद उसकी वेक्शन डेवलप की गई गॉर्नमेंट पॉलिसीज बहुत सारी होती जो कि अलग-अलग रिसर्च करके जो है अलग-अलग कटेगरी के लोगों के लिए बनाई जाती है ठीक इसी तरह के से जो है तो डिसीजन में कि किसकी बेसिस होता है रिसर्स के बेसिस पर अब कस्टमर को क्या पसंद है हम सब्सक्राइब कोई प्रोडक्ट बनाना चाहते हैं तो कौन सा प्रोडक्ट बनाएं तो यह किस पर डिपेंट करता है रिसर्च पर कि जब वह मार्केट में कस्टमर की न अब प्रोडक्ट बनाएंगे तो जब नीड और बांच को कैसे पता चलेगा जब आप जो है जिससे कंडेक्ट करेंगे तो इंटरव्यू कर लिया कोशिशन कर यूज कर लिया या फिर डिफरेंट डिफरेंट मेथड जो है उनका यूज करके जाओ डाटा कलेट करते डिमांड कस्टमर के बीच में है तो यह जिससे पता चलता है ऑब्जेक्टिव ऑफ रिसर्च रिसर्च का क्या ऑब्जेक्टिव होता कि वह कुछ भी जो आप अचीव करने की कोशिश करते हो आपको एग्जामिनेशन पास करना आपको फर्स्ट डिविजियन लाना आपको यूनिवर्सिटी में रैंक लेकर आना है आपको आईटीएफ आयम में एडमिशन पाना है आपको आईएस पीस बनना है तो कुछ तो रिसर्च का ऑब्जेक्टिव क्या होता है कि हम रिसर्च कंडेट करते हैं तो क्यों करते हैं तो बट आपसी बात है आपने रिसर्च की डिफिनेशन पढ़ी है कि रिसर्च में क्या होता है कि हम टू सर्च न्यू इनफॉर्मेशन यानि कि हमारे सामने कोई प्रॉब्लम ह करते हैं तो ही चीज करता है आपका रिसर्च का ऑब्जेक्टिव करता है ऑब्जेक्टिव आफ रिसर्च आने कि आपने क्या किया रिसर्च का यूज करके आंसर को फाइंड आउट किया तो रिसर्च का पर्पर्च क्या हुआ रिसर्च का ऑब्जेक्टिव क्या हुआ तो फाइंड आउट दी आंसर आ� विच इज एडिन एंड विच हैस नॉट बिन डिस्कवर्ड यानि कि या तो हिड़न है उसको आप फाइंड आउट करने की कोशिश करते हैं या फिर आप डिस्कवर करने की कोशिश पता ही नहीं था तो आप पहली बाद को डिस्कवर कर रहे तो डिस्कवर करने की कोशिश करते हैं तो रिसर्च का मेन यही होता है कि जो हिड़न प्रूफ होता है या फिर जो अनॉन चीजें होती के सोल्यूशन को फाइंड आउट करने के लिए इसी तरह के से बहुत सारे इसे फिनॉमिना होते हैं ठीक है जिसके बारे में हमें पता नहीं होता तो रिसर्च के थ्रू हम क्या करते हैं उस फिनॉमिना के बारे में फैमिलियर्टी पाते हैं गेन करते हैं तो टू गेन फैमिलियर्टी विद फिनॉमिना और टू अचिव न्यू इनसाइट इंटू इट इनसाइट है फिर उसके बारे में एक डिप अंडर्स्टेंडिंग जो है गेन करने का मुझे मोटिव भी होता है अ रिसर्च का ऑब्जेक्टिव होता है कि रिसर्च के तू आप क्या कर सकते हैं किसी फिनॉमना के बारे में डिटेल्ड इनफॉर्मेशन जान सकते हैं फिर न्यू इनसाइट उसके बारे में जान सकते हैं तो इस टाइप के रिसर्च को क्या करते हैं एक्सप्लोरेटरी वीडियो नो वाइट में लगा हमारी से डिक्रीज हो रही है कोई कंपनी का ओनर आप ऑग्नेशन है वह कहते हैं कि हमारी कि क्यों हो रहा है आपका सेल डिक्रीज तो आप क्या करोगे रिसर्च करोगे किस टाइप का एक्सप्लूरेट रिसर्च करोगे क्लियर इसी तरीके से आपको किसी पर्टिकुलर इंडिविजुअल के बारे में उसकी करेक्टरिस्टिक के बारे में जानना है ठीक है उसके करेक्टर को डिपेक्ट करना है सिच्वेशन के बारे में फिर किसी ग्रूप के बारे में पोर्टरी का मतलब क्या होता है डिपेक्ट करना ठीक है तो जब आपके वह किसी कर्च किसी परसन के बारे में किसी इंडिविजिबल के बारे में किसी ग्रूप के बारे में किसी सिस्ट्रीशन के बारे में उसको डिस्क्राइब करना होता है तो भी आपके अकरण रिसर्च करते हो और उस टाइप को रिसर्च को क्या कहते हैं डिस्क्रिप्टिव रिसर्च कहते विक्तिश के बारे में बता रहे हो जैसे वाट काइंड ऑफ पीपल आर बाइंग और प्रोडक्ट अ तो आप यहाँ पर क्या करो डिस्क्राइब करोगे इस टाइप की रिसर्च में व्हाट काइंड ऑफ परसन आर बाइंग प्रोडक्ट यानि कि किस टाइप के लोग हमारे प्रोडक्ट प्रचेज कर रहे हैं तो आप प्रोडक्ट काइंड ऑफ क्या करने के बारे में जानना चाहते हैं जो नेक्स्ट ऑब्जेक्टिव हो सकता है जो नेक्स्ट ऑब्जेक्टिव हो सकता है यानि कि कोई चीज कितने तरीके कितनी फ्रेक्वेंसी से जो है किसी दूसरे से रिलेट है या फिर किस फ्रेक्वेंसी से वह चीज आपकर करती है इस चीज को भी हेल्प करता है रिसर्च ठीक इस टाइप को रिसर्च को क्या कहते हैं डिएग्नोस्टिक रिसर्च कहते हैं क्य कौन सा जो वेरिएबल है वह दूसरे से कितना रिलेटेड है उस टाइप के अगर आपको जानना है किसी चीज के बारे में तो डिग्नोस्टिक रिसर्च करते हैं इसी तरह से कॉजर रिसर्च आता है टू टेस्ट ए हाइपोथेसिस ऑफ एक कॉजर रिलेशन बिट्विन वेरिएबल यह भी जो है ऑब्जेक ना चाहते है कि क्या होगा इफेक्ट विल बायर पर चेज मोर आफ आवर प्रोडक्ट इन न्यू पैकेज यह क्या है कॉजल रिसेक्शन का एक ऑब्जेक्टिव हो गया कि क्या अगर हम अपनी पैकेजिंग को चेंज करते हैं तो क्या कस्टमर हमारी प्रोडक्ट को ज्यादा पर्चेज करेगा तो हम प्रोडक्ट की पैकेजिंग और पर्चेजिंग दोनों पर हम रिलेशनसिफ को तो हमने पैकेजिंग चेंज करने की बात कही तो उसका इफेक्ट जो है पर्चेजिंग पर क्या होगा क्या ज्यादा पर्चेजिंग होगी या फिर कम पर्चेजिंग होगी तो कॉजर तीए अलग-अलग ऑब्जेक्टिव होते हैं रिसर्च के तो अगर आ� कि आप जो है नए क्वेश्चन क्वेश्चन के आंसर को डिसकवर करने की कोशिश करते प्रॉब्लम के सोलूशन को फाइंड आउट करने की कोशिश करते हैं इडेंट रूप को आइडेंटिफाइड करने की कोशिश करते हैं समझ जो कि डिस्कवर नहीं उसको जानने की कोशिश करते हैं और वहीं पर कॉज एंड इफेक्ट रिलेशनसिप को भी आइडेंटिफाई करने की कोशिश करते हैं उसको as it is describe कर देता है, यानि कि क्या चल रहा है, या क्या हुआ था, इस चीज को describe कर देता है, तो उस type की research को हम क्या कहते है, descriptive research कहते है, description of the state of affairs as it exists at present, यानि researcher report what has happened or what is happening, अब suppose करें कि कोई घटना घटी है, कोई event हुआ, तो वो event कब से start हुआ, क्या क्या event में हुआ, किसी event को या किसी happening को, तो वो चीज descriptive research कहलाती है, normally used in social science and business research, तो normally, यह जो डिस्क्रिप्टिव रिसर्च होता है कहां पर होता है सोशल साइंस रिसर्च में फिर बिजनेस रिसर्च में खासकर होता है जैसे मैनेजमेंट में होता है मैनेजमेंट रिसर्च में खासकर तो जैसे कि फ्रीक्वेंसी ऑफ शॉपिंग यानि कि लोग कितने बार शॉ� डिस्क्रिप्टिव क्या है वॉट डिस्क्रिप्टिव रिसेस में वॉट इज हैपनिंग और एनालिटिकल में वाइट इज हैपनिंग यानी कि क्यों कि वह इसकी देट क्यों वाकिस की गलती थी क्या वजह थी जो इस टेंट हुआ था इस टाइप के रिसर्स को क्या कहते हैं एनलेटिकल वाइए एक्सप्लेनिंग वाइए एंड हाउ यूअर स्टेट बैलेंस मूव इन ए पर्टिकुलर वे ओवर टाइम इज एन एग्जांपल आफ एनलेटिकल रिसर्च वाइए एंड हाउ कैसे और क्यों तो यह एनलेटिकल होता है वाट इज डिस्क्रिप्टिव होता है नेक् या फिर जनरलाइजेशन के लिए कोई कॉन्सेप्ट या थ्यूरी बनाने के लिए आप जो है ये रिसर्च करते हैं उसका कोई यूज नहीं होता, ऐसा प्रैक्टिकल यूज नहीं होता, यूज होता लेकिन तो फंडामेंटल ए बेसिक प्यूरिसर्च क्या हो जाएगा कंसर्ट विद जेनरलाइजेशन एंड विद दी फॉर्मिलेशन आफ ए थ्यूरी गैथरिंग नॉलेज फॉर नॉलेज शेक यानि कि आप नॉर्मली देखते होंगे बहु फैक्स फिगर्स आते रहते हैं लेकिन वह सबके नॉलेज का कोई इमीडिएट प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए नहीं होते हैं बस नॉलेज इंक्रीज करने के लिए होता है तो इस टाइप के लिए क्योंकि कहते हैं फंडामेंटल रिसर्च जैसे कि एस्टेडी ऑफ फै तो इस टाइप के रिसर्च को क्या कहता है फंडामेंटल है बेसिक रिसर्च वहीं पर दूसरा है एप्लाइड यानि कि एक्सर्स यहां पर नाम से क्लियर एप्लाइड यानि कि उस रिसर्� आपने जो भी research किया उससे जो finding आई उसका use करके हम problem को solve करेंगे तो aims at finding a solution for an immediate problem facing a society or an industrial business organization यानि कोई भी industry या कोई business organization कोई problem face कर रहा होता है तो उस problem को solve करने के लिए जो research किया जाता है that is applied or action research तो example के तोर पर देख सकते हैं कि investigating if background music in a work environment can contribute to greater productivity यानि कि किसी organization में लगता है कि productivity employee की कम है या फिर उसको बढ़ानी चाहिए तो वो उस पर research करना चाहते है कि क्या अगर हम background में music चलाएं तो working environment में तो क्या इससे productivity बढ़ेगी या नहीं बढ़ेगी और अगर finding आती है बढ़ती है तो बट अब ऐसी बात है कि उसको implement किया जाएगा तो इस type की research को क्या कहते है applied research next जो type है that is qualitative and quantitative research इससे सभी लोग जाहिर होंगे quantitative यानि कि वो research जहांपे quantitative terms में यानि कि quantity या amount में research को conduct किया था, measurement जो होता है quantity या amount में होता है, applicable to facts situation that can be expressed in terms of quantity, ये normally कहाँ पे होता है वैसे facts में या ऐसे situation पे applicable होता है, जहाँ पे quantity के terms में उसको हम define कर सकते हैं, express कर सकते हैं जैसे कि आप कोई research कर रहे हैं amount of time a doctor takes to attend to a patient when the patient walks into the hospital, जब कोई patient hospital में आता है तो कितना time लगता है doctor को उस पेशंट को डिल करने में तो इस तो इस टाइम को कितना टाइम लगा टाइम यानि क्वांटिटी यह इसको अब जो मिजर कर सकते होती क्वांटिटेटिव रिसर्च होता है वहीं पर दूसरा है क्वालिटेटिव रिसर्च तो क्वालिटेटिव रिसर्च क्वालिटी को है क्वालिटी का इंडिया फिर आप समझ करें कि मोटिवेशन पर्सनैलिटी आप जो है टेस्ट एटिट्यूड इन सबसे चीजें तो अब इसमें आप quantify तो नहीं कर सकते ना कि हम जो है बहुत पसंद था इसलिए हमने खाईदा मन कर रहा था इसलिए खाईदा था यहाँ पे आप quantify नहीं कर सकते यह क्या है qualitative quality है तो इस type की research को हम क्या कहते है qualitative research कहते है next जो type of research है that is conceptual and empirical research तो conceptual और empirical दोनों में difference है जो है डिस्क्राइब किया जाता है फैट्स वह या और जो है आपने इससे पहले देखा था फंडामेंटल फंडामेंटल में क्या है जनरलाइजेशन यानि की कॉन्सेप्ट बनाते तो वही चीज है कॉन्सेप्ट यानि की क्या हो गया यहां पर आप न्यू कॉन्सेप्ट या वन यानि की जो आलरेडी कॉन्सेप्स बने हुए हैं उसको दुबारा से री इंटरब्रेट करना या फिर कोई नया फिलोसपी कोई नया कॉन्सेप्स डेबलब करना इस कॉन्सेप्स जो रिसर्च का काम होता है रिसर्च इस कंडेक्टर वाइ अब्जर्विंग एंड एनलाइजिंग आलरेडी प्रेजेंट इंफॉर्मेशन आउने गिवन टॉपिक यानि की कोई भी टॉपिक है तो उस पे आलरेडी जो इंवार्मेंट में इंफॉर्मेशन एबलेबल होगी उसको अब्जर्व करके जो नहीं होता है जैसे कि आप देखा होगा सर इसाक न्यूटन ने थ्यूरी दी थी ग्रेविटेशन और मोशन की थ्यूरी दी थी तो यहाँ पे क तो यह जो है इन्होंने अपने सराउंडिंग को जो है एनालाइज किया और उसको कॉन्सेप्टुलाइज कर दिया जैसे मॉटिवेशन के थिवरी थ्यौसाई थ्यौसाई थ् सराउंडिंग में जो इनवार्मेंट में अवेलेबल चीजें है उसको यूज करके कॉनसेप्ट थ्यूरी बनाई जाती है इंपेरिकल में एक्सपेरिमेंट किया जाते हैं इसको हम एक्सपेरिमेंटल टाइप आफ रिसर्च भी कहते हैं इफ लिस्टिंग टू हैपी मूजिक वाइल वर्किंग में प्रमोट क्रिएटिविटी एंड कि क्या अगर हम काम करते हो तो म्यूजिक सुनते हैं तो क्या से हमारी तो अब ये क्या है ये एक तरीके का empirical research है आप जो है इस पे research conduct करोगे investigation करोगे ठीक है तो इस पे क्या है empirical research इसे एक example और होता है कि जैसे if finding of DNA testing यानि कि finding अगर आप DNA testing करते है तो उसकी जो finding आती है वो empirical research है DNA testing आप observe करके नहीं देखते है तो उसमें आपको testing करने बड़े की investigation experiment क एंपेरिकल रिसेस्ट इसके लिए कुछ और भी रिसेस्ट टाइप है जैसे कि आप देखें वन टाइम और लॉंगिटूडियनल वन टाइम और लॉंगिटूडियनल वन टाइम ऐसे जो कम एक बार कंडेट किया जाता है वहीं पर लॉंगिटूडियनल रिसेस्ट वह रि जो है सब हर छह महीने पर कंडेक्ट कर दो इसको लांग टूटर रिसर्च करेंगे और वह जो एक बार कंडेक्ट कर जाते हैं उसको हम यह कॉज आफ थिंग्स और इवेंट को फाइंड आउट करने क कि जो रिजन था उसको फाइंड आउट करने की कोशिश करते हैं तो उसको क्लिनिकाल डाइग्नोस्टिक जैसे कि आपने देखोगा फीवर तो लगातार फीवर आ रहा है तो क्यों आ रहा है तो आपका ब्लड का सैंपल लिया जाता है और सैंपल पर इंवेस्टिगेशन कि तो इस तरीके से फिल्ड सेटिंग और लेबरोटरी और साइमुलेशन रिसर्च तो फिल्ड सेटिंग जाने की ऐसा जहां पर आपको फिल्ड में जाना पड़ता है जैसे साइंटिस्ट लोग क्या करते हैं जंगलों में जाते हैं वहाँ पर रिसर्च करें तो फिल्ड सेटिंग रिसेज है विवेड दूसरा है कि लैबोरोटरी और सैमुलेशन रिसेज आने की आप वैसा इन्वार्मेंट एक जगह कहीं ऑफिस में कहीं जगह पर सेट अप कर लेते हैं लैब के अंदर वहां पर रिसेज करते हैं तो वो लैबोरोटरी या सैमुलेश importance of research तो research की meaning और objective आप पढ़कर समझी गए होगे कि क्या importance हो सकता है तो सबसे पहले है helps to know or understand the key problem यानि कि actually में problem है क्या उसको जो है identify करने में उसको समझने में जो है ये research help करता है क्योंकि research को conduct करने से पहले आपको अपनी problem को क्या करना पड़ता है research problem को formulate करना पड़ता है और hypothesis बनाना पड़ता है तो ये जो है आपको problem को समझने में प्रोब्लम प्रोब्लम प् तो देट इस रिकॉनिज पोटेंशल अपॉचिटीज एंड थ्रेड जैसे कि आप मेडिसीन के लिए रिसर्च होता है तो मेडिसीन में जो भी रिसर्च होता है तो उसमें उसके क्या क्या जो है सिम्टम्स हो सकते हैं वो भी चीजें बताई जाती है यानि कि अगर आप कोई क्या जो है उसके थ्रेस हो सकते हैं वह सारी चीजें जो है पता चलती है इसी तरह की सेलेक्शन आप द बेस्ट अल्टरनेटिव यानि कि जब रिसर्च किया जाता है तो आपके किसी एक सोलूशन नहीं पहुंचा जाता है वहां पर या फिर आप सब्सक्राइब करें तो मार्केट में होंडे की भी कार है टाटा की कार है या फिर आप जो महिंद्रा की कार है ठीक है अब कौन से अर्मारूती की कार है तो कौन सी कार लें तो उसके लिए क्या प्रति रिसर्च करते हैं तो अब उन दो या तीन कार्समेंट से भी आपको जो बेस्ट को चूज करना है तो यानि कि अ सेलेक्शन आप बेस्ट अल्टरनेटिव में आपको जो है वह हेल्प करता है पहले पर जो है वह हेल्प करता है मार्केट एनालिसिस में मार्केट आइस की कहने क्यों नहीं है तो मतलब कि आपको जो है मार्केट एनाल्सिस में भी यह हेल्प करता है साथ ही साथ प्रोडक्ट यानि कि कौन सा प्रोडक्ट बनाया जाए कौन सा प्रोडक्ट बना जाए जिससे कि कस्टमर की नेट को फुल्फिल किया जा सकता है उस कॉमपीटीट अनाल्सिस आपका कॉमपीटीटर क्या कर रहा है वह क्या प्रोडक्ट बेचा है वह क्या प्राइसिंग रख रहा है उसकी क्या इस टेटीज है प्रोमोशनल स्टेट इसका यूज कर रहा है वह सारी चीजें अगर आपको जाननी हो तो रिसर्च जो है उसमें आइडेंटिफाई कर सकते हैं उसकी एनाल्सिस कर सकते हैं तो यानि कि जो है वह हर फिल्ड में है आप कोई भी फिल्ड हो हर फिल्ड में जो है जो इससे का यूज करते हैं आप छोटी से छोटी चीज खोज रहे हैं तो वह क्या है वह रिसर्च है तो हर सेक्टर में जो रिसर्च आपको हेल्प करता है बात कर लें क्वालिटी ऑफ रिसर् और एंड ऑब्जेक्टिव यानि कि जब भी आप कोई रिसर्च करने जाते हो तो उसका ऑब्जेक्टिव क्या है क्यों रिसर्च कर रहे हो पर्पज क्या है वह जो है क्लियरली डिफाइंड होता है पहले क्वालिटी तो यह होगी दूसरी क्वालिटी सिस्टेमेटिक है आपको यह नहीं पता कि कौन से इसमें से डाटा करना है ऐसा नहीं आप जो है इस टेब बाय स्टेप जो है यहां पर जिससे को कंडेक्ट करते हैं कि सबसे पहले आप जो है प्रॉब्लम को आइटेंटिफाई करते हो प्रॉब्लम को फॉर्मलेट करते हो उसके बाद रिसेस डिजाइन बनाते हो कि कौन अपने लगाते हो तो यह साइड चीजें क्या होते हैं सिस्टेमाटिक तरीके से होती है दिन आता है एथिकली कंडक्टेड यानि कि यहां पर यह नहीं कि आप जो है गलत तरीके से जरिश को कंडक्ट किया जा रहा है यहां पर जो है सही तरीके जो ज्यादा बेटर रहेगा तो आप जो है वहां पर ऑब्जेवेशन मेथड के जरिए जो है डाटा कलेक्ट कर सकते तो फ्लेक्सिबल चैनल कर सकते हो फ्लेक्सिबल टी रिलायबिल टी मैंने कि ट्रस्टेबल है यानि कि देखिए रिलायबल कोई यानि कि वह रिलायबल है इंस्ट्रूमेंट रिलायबल है तीरी जो होता है यह कहा तो रिलायबल होता है नहीं कि रिसर्च करके जो भी चीजें फाइंड आउट की जाती है जो भी सोलूशन आता है उस पर आप भरोसा कर सकते हैं क्लियर वैलिडिटी आने की एप्लीकेबिलिटी आप उसको यूज कर सकते हो एक्वेश्ची डेटा क्या होगा यहां पर एक्वेश्ची होगा क्योंकि यहां पर जो रिसर्च होते हैं वह अंदाजा नहीं लगाते हैं बल्कि क्या करते हो डेटा को एक्चुली यूज करते तो एक्वेश्ची डेटा यहां पर जो है नेरली आपको मिलेगा यहां पर अजंशन नहीं होते हैं यहां पर जनरलाइज बिल्टी यानि कि यहां पर क्या है कि जो रिजल्ट्स होते हैं जो फाइंडिंग्स होते हैं जिससे आप उसको जनरलाइज कर सकते हैं ने कि लार्ज नंबर पब्लिक पर जो है उसको आप जो एप्लाई कर सकते हो ऐसा नहीं कि जो है जिसके लिए बनाए गई तो अब वह टाइप की बीमारी किसी को भी होगी तो मेडिसीन वहां पर एफेक्ट करेगी तो यह जनरलाइज बिल्टी हो गया क्लियर तो रिसर्च करके जो है आप चीजों को जो भी फाइंडिंग आते हैं उसको जनरलाइज क