हेलो एवरीवन आज हम पढ़ने वाले क्लास 10 साइंस का चैप्टर नंबर तू जिसका नाम है एसिड बेस और साल्ट्स तो इस चैप्टर में हम एसिड बेस और साल्ट की फिजिकल और केमिकल प्रॉपर्टीज उनकी रिएक्शंस उनके नेचर के बड़े में काफी अच्छे से डिटेल में समझना वाले हैं और उसके साथ में काफी साड़ी और भी एडिशनल इनफॉरमेशन लेने वाले हैं तो जनरली हम सिर्फ इतना जानते हैं की असेट्स खट्टी होते हैं विशेष कड़वे और सोल्स नमकीन होते हैं लेकिन जब हम इनको थोड़ा सा डिटेल में पढ़ने हैं तब हमें पता चला है की इनकी काफी साड़ी और भी प्रॉपर्टीज होती हैं तो चलिए समझते हैं उन प्रॉपर्टीज को और शुरुआत करते हैं इस चैप्टर की तो सबसे पहले हम समझते हैं एसिड के बड़े में तो एसिड सार्थक केमिकल सब्सटेंस विचार सोरेन टेस्ट ब्लू लिटमस तू रेड और गिव्स हा प्लस होते हैं जो की खट्टे होते हैं टेस्ट में और ये ब्लू लिटमस को रेड में कन्वर्ट कर देते हैं और साथ में जब इन्हें एक को सॉल्यूशन में डिसआर्वे किया जाता है तभी हाइड्रोजन पॉजिटिव आयन रिलीज करते हैं पर एग्जांपल कल यानी की हाइड्रोक्लोरिक एसिड और h2so4 मतलब की सल्फ्यूरिक एसिड इसके बाद हम समझते हैं केमिकल सब्सटेंस विच आर बटर इन टेस्ट टर्स रेड लिटमस इन ब्लू और दिस ओ नेगेटिव आयन इन डी सॉल्यूशन यानी की केमिकल सब्सटेंस होते हैं जो की कड़वे होते हैं टेस्ट में और जो रेड लिटमस को ब्लू में कन्वर्ट कर देते हैं और इसी के साथ रिलीज करते हैं पर एग्जांपल कहा जाता है तो अब हम देखते हैं टाइप्स ऑफ एसिड और बेस यानी की यह कितने टाइप्स होते हैं तो अलग-अलग क्राइटेरिया के लिए एसिड और बेस अलग-अलग टाइप्स की होते हैं तो पहले हम देखेंगे एसिड के टाइप अलग-अलग क्राइटेरिया के लिए तो पहले क्राइटेरिया ऑन डी बेसिस ऑफ अक्रेंस तो अक्रेंस की बेसिस पर असेट्स दो टाइप्स की होती है जो की है ऑर्गेनिक एसिड और इनॉर्गेनिक एसिड तो ऑर्गेनिक एसिड होते हैं जो की नेचरली इस अर्थ में प्रेजेंट होती हैं पर एग्जांपल साइट्रिक एसिड और इसी के साथ इनॉर्गेनिक एसिड बचाइल्ड होती है जो की नेचर में नेचरली प्रेजेंट नहीं होती यानी की इन्हें हमें खुद प्रिपेयर करना पड़ता है पर एग्जांपल कल यानी की हाइड्रोक्लोरिक एसिड इसके बाद हम देखते हैं टाइप्स ऑफ एसिड ऑन डी बेसिस ऑफ स्टूडेंट तो स्ट्रैंथ के बेसिस पर असेट्स को दो टाइप्स में डिवाइड किया गया है जो की यह स्ट्रांग एसिड और बी के एसिड तो स्ट्रांग एसिड बेस्ड होती है जो की कंपलीटली डिसोसिएट हो जाते हैं उसके एक्वा सॉल्यूशन में या फिर हम का सकते हैं की यह सॉल्यूशन में डिसोल्व होने पर जाना एस प्लस आयरन रिलीज करते हैं पर एग्जांपल सल और h2so4 और वहीं पर भी एसिड होती है जो की कंपलीटली डिसोल्व नहीं होती उसके एक्वा सॉल्यूशन में या फिर हम का सकते हैं की ये बी एसिड होती है जो की एक्स सॉल्यूशन में डिसोल्व होने पर कम हा प्लस आयन रिलीज करते हैं फूल एग्जांपल पर में कैसे और एसिडिक एसिड तो अब हम देखते हैं टाइप्स ऑफ एसिड ऑन डी बेसिस ऑफ कंसंट्रेशन तो कंसंट्रेशन के बेसिस पर असेट्स दो टाइप्स की होती हैं जो की ये कंसंट्रेटेड एसिड और डाइल्यूट एसिड तो कंसंट्रेटेड एसिड वो एसिड होती है जिम की किसी और सलूट या वाटर की बहुत ही कम क्वांटिटी प्रेजेंट होती है यानी की पूरे एसिड होते हैं पर एग्जांपल कंसंट्रेटेड हाइड्रोक्लोरिक एसिड और वहीं पर डाइल्यूट एसिड बेस्ड होते हैं जिम की सलूट या वाटर की क्वांटिटी थोड़ी सी ज्यादा होती है और ये नेचर में थोड़ी सी पतले होते हैं पर एग्जांपल डाइल्यूट कल और डाइल्यूट h2so4 एटीसी तो एसिड के टाइप्स को समझना के बाद अब हम समझते हैं टाइप्स ऑफ बेसिस तो पहले हम देखते हैं टाइप्स ऑफ बेसिक ऑन डी बेसिस ऑफ अक्रेंस तो को दो टाइप में डिवाइड किया तो ऑर्गेनिक बेस्ड होते हैं जो की नेचरली ही इस अर्थ में प्रेजेंट होती है पर एग्जांपल पिएरेडिन और इनॉर्गेनिक 20 होती हैं जो की नेचरली इस अर्थ में प्रेजेंट नहीं होती इन्हें हमें सिंथेटिक तरीके से बनाना पड़ता है पर एग्जांपल सोडियम हाइड्रोक्साइड इसके बाद हम समझते हैं टाइप्स ऑफ बेसिस ऑन डी बेसिस ऑफ स्ट्रैंथ तो स्ट्रैंथ के बीच इस पर बेसिस को तू टेस्ट में डिवाइड किया गया है जो की स्ट्रांग बेस और बी बेस तो स्ट्रांग बेस बी बेस होते हैं जो की कंपलीटली डिसोसिएट हो जाते हैं उसके एक्वा सॉल्यूशन में यहां पर हम का सकते हैं वो भेज जो आपको सॉल्यूशन में डिसोल्व होने पर जाना ओ नेगेटिव आयंस रिलीज करते हैं पर एग्जांपल सोडियम हाइड्रोक्साइड और वहीं पर होते हैं जो की कंपलीटली डिसोसिएट नहीं होती उसके एक्वा सॉल्यूशन में या फिर हम का सकते हैं जो की एक्वा सॉल्यूशन में कम आस नेगेटिव और प्रोड्यूस करते हैं पर एग्जांपल अमोनिया तो अब हम देखते हैं टाइप्स ऑफ बेसिस ऑन डी बेसिस ऑफ कंसंट्रेशन तो कंसंट्रेशन बेसिस पर भी होते हैं जो की कंसंट्रेटेड बेस और डाइल्यूट बेस तो कंसंट्रेशन बेस वो बेस होती है जिम की वाटर की या किसी और सलूट की बहुत कम क्वांटिटी प्रेजेंट होती है और ये थोड़ी सी गाड़ी बेस होते हैं पर एग्जांपल कंसंट्रेटेड नाह पर एग्जांपल कंसंट्रेटेड सोडियम हाइड्रोक्साइड और वहीं पर डाइल्यूट बेस बी बेस होते हैं जिम की वाटर या किसी और सलूट की क्वांटिटी काफी ज्यादा होती है और ये थोड़ी सी पतली होते हैं पर एग्जांपल डाइल्यूट सोडियम हाइड्रोक्साइड तो यहां तक हमने एसिड बेस की कुछ आम प्रॉपर्टीज और उनके टाइप्स को समझ लिया है लेकिन अब हम ये देखते हैं की हमें पता कैसे चला है की कोई कंपाउंड एसिड है या बेस है तो इसके लिए हमारे पास होते हैं इंडिकेटर तो आई समझते हैं इंडिकेटर के बड़े में तो डीज आर डी केमिकल सब्सटेंस विच चेंज देवर कलर और स्मेल इन डी प्रेजेंस ऑफ एन एसिड और बेस यानी की इंडिकेटर भी केमिकल कंपाउंड्स होते हैं जो की एसिड या बेस की प्रेजेंस में अपने कलर या स्मेल को चेंज कर देते हैं इसके बाद हम देखते हैं इंडिकेटर के टाइप यानी की सब इंडिकेटर तो बेसिकली इंडिकेटर तीन टाइप्स के होते हैं जो की नेचुरल इंडिकेटर सिंथेटिक इंडिकेटर और ओल्फेक्ट्री इंडिकेटर तो सबसे पहले हम समझते हैं नेचुरल इंडिकेटर को तो ये वो इंडिकेटर होते हैं जो की नेचर में डायरेक्टली प्रेजेंट होते हैं पर एग्जांपल लिटमस और टर्मरिक यानी की हल्दी तो जब लिटमस एसिड के कांटेक्ट में आता है तब ये रेड हो जाता है और जब ये 20 के कांटेक्ट में आता है तभी ब्लू हो जाता है और ऐसे ही जब टर्मरिक एसिड के कांटेक्ट में आई है तब इसके कलर में कोई चेंज नहीं आता वहीं पर जब ये बीच की कांटेक्ट में आई है तब ये रेड हो जाति है तो इसके बाद हमें समझना दूसरी टाइप के इंडिकेटर को झुकी है सिंथेटिक इंडे लाइट तो ये वो इंडिकेटर होते हैं जो की नेचर में नेचरली प्रेजेंट नहीं होते हैं इन्हें हमें कुछ सिंथेसिस करना पड़ता है पर एग्जांपल मिथाइल ऑरेंज एसिड के कांटेक्ट में आता है तब इसका कलर रेड हो जाता है वहीं पर जब ये 20 के कांटेक्ट में आता है तब ये येलो हो जाता है कलर में इसी तरह से जब फिनुठालिन एसिड के कांटेक्ट में आता है तभी कलर राहत है और जब यह कांटेक्ट में आता तब यह वैलिड या डार्क पिंक कलर शो करता है और तीसरी टाइप के इंडिकेटर जो की हमें समझना है वो है और फैक्ट्री इंडिकेटर तो ये वो सब्सटेंस होती है जो की डिफरेंट डिफरेंट स्मेल देते हैं एसिड और बेस की प्रेजेंस में पर एग्जांपल वनीला एसेंस और ग्लोबल तेल तो बेलीला एसेंस जिसे की आइसक्रीम फैक्टरीज में उसे किया जाता है आइसक्रीम को फ्लेवर देने के लिए जब ये एसिड के कांटेक्ट में आता है तब इसकी स्मेल बहुत ही तेजी से इंक्रीज होती है और जब यही वनीला एसेंस बेसिस के कांटेक्ट में आता है तब इसमें से कोई इसमें नहीं आई है और दूसरा तेल फैक्ट्री इंडिकेटर है क्लॉयल यानी की लौंग का तेल जब एक लोग तेल एसिड के कांटेक्ट में आता है तब इसकी स्मेल इंक्रीज होती है वहीं पर जब ये ग्लोबल बेसिस के कांटेक्ट में आता तब इसकी जो स्मेल है वो डिक्रीज होती है तो यहां पर हमारे जो इंडिकेटर हैं वो खत्म होते हैं और अब हमें समझना केमिकल प्रॉपर्टीज ऑफ एसिड और बेसिस यानी की एसिड और बेसिस की केमिकल प्रॉपर्टीज तो पहले हम देखते हैं रिएक्शन विद मेटल यानी की एसिड और बेस की रिएक्शन मेटल के साथ तो जब ऐसे मेटल के साथ रिएक्ट करता है तो साल्ट फॉर्म होता है और साथ में हाइड्रोजन गैस रिलीज होती है पर एग्जांपल 2 कल प्लस जैन गिव्स zncl2 + h2 यानी की जब हाइड्रोक्लोरिक एसिड जिंक के साथ रिएक्ट करता है तब जिंक क्लोराइड फॉर्म होता है और हाइड्रोजन गैस रिलीज होती है और वहीं पर जब कोई 20 मेटल के साथ रिएक्ट करता है तब भी साल्ट फॉर्म होता है और साथ में हाइड्रोजन गैस रिलीज होती है पर एग्जांपल 2 नाह + जैन गिव्स na2 जैन o2 + h2 यानी की जब सोडियम हाइड्रोक्साइड जिंक के साथ रिएक्शन करता है तो सोडियम जिनके जो की एक साल्ट होता है वो फॉर्म होता है और साथ में हाइड्रोजन गैस रिलीज होती है तो आपने देखा की जब मेटल एसिड या बेस के साथ रिएक्ट करता है तो वो दोनों के साथ इस साल्ट फॉर्म करता है और साथ में हाइड्रोजन गैस रिलीज होती है तो अब हमें ये देखना है की ये जो हाइड्रोजन गैस हमें मिल रही है इसे हम कैसे टेस्ट कर सकते हैं उसे हम टेस्ट कर सकते हैं बर्निंग कैंडल को गैस बबल विश्वास लकी तो जब बर्निंग कैंडल को हाइड्रोजन गैस के बबल के पास लाया जाता है तो वह पॉप साउंड के साथ फैट जाएगी और इससे हमें हाइड्रोजन का पता चल जाएगा उसके बाद हम देखते हैं दूसरी केमिकल रिएक्शन को जो की ये रिएक्शन विद मेटल कार्बोनेटेड और मेटल हाइड्रोजन कार्बोनेट तो जब असेट्स मेटल कार्बोनेटेड से मेटल हाइड्रोजन कार्बोनेटेड के साथ रिएक्ट करते हैं तब साल्ट कार्बन डाइऑक्साइड और वाटर फॉर्म होता है पर एग्जांपल 2 कल + na2co3 गिव्स तू नल + co2 + h2 यानी की जब हाइड्रोक्लोरिक एसिड और सोडियम कार्बोनेट जो की एक मेटल कार्बोनेट होता है उसकी रिएक्शन होती है तब सोडियम क्लोराइड कार्बन डाइऑक्साइड और वाटर फ्रेम होता है और ऐसे ही हम देखते हैं असेट्स की रिएक्शन मेटल हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ तो कल + nahco3 गिव्स नल + co2 + h2 तो जब हाइड्रोक्लोरिक एसिड रिएक्ट करता है सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ तब सोडियम क्लोराइड कार्बन डाइऑक्साइड और बैटरी फॉर्म होता है वहीं पर अगर हम बात करें बेसिस की तो जो बेसिस होते हैं वो मेटल कार्बोनेटेड और मेटल हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ नहीं करते तो अब हमें देखना है की इन दोनों कंडीशन में जो co2 रिलीज हो रही थी उसे टेस्ट कैसे किया जाता है यानी की टेस्टिंग ऑफ co2 गैस तो co2 को टेस्ट किया जाता है उसको लाइम वाटर से पास करके यानी की पासिंग इस ट्रू डी लाइन वाटर तो जब co2 को कैल्शियम हाइड्रोक्साइड जिसे की लाइम वाटर भी कहा जाता है उससे पास करते हैं तो लाइम वाटर मिल्की हो जाता है और सु थ्री फॉर्म करता है और साथ में h2o भी फॉर्म होती है और जब इस caco3 और h2o से co2 गैस पास की जाति है तब ये कैल्शियम हाइड्रोकार्बन फॉर्म करती है जो की कलरलेस सॉल्यूशन होता है तो जब भी कोई गैस अगर लाइम वाटर को मिल ही कर दे और उसे दोबारा फिर से कलर ली कर दे तो हम का सकते हैं की वो गर्ल्स कार्बन डाइऑक्साइड ही है तो ये था हमारा कार्बन डाइऑक्साइड का टेस्ट इसके बाद हम आगे बढ़ते हैं और समझते हैं रिएक्शन ऑफ एसिड और बेस विद इ अदर यानी की एसिड और बेस की आपस में रिएक्शन तो जब एसिड और बेस आपस में रिएक्ट करते हैं तो सॉर्ट फ्रॉम होता है और साथ में वाटर भी रिलीज होता है फूल एग्जांपल जब क्लोरिक एसिड और सोडियम हाइड्रोक्साइड आपस में रिएक्शन करते हैं तब नल जो की एक साल्ट होता है वह फॉर्म होता है और साथ में वाटर भी फॉर्म होता है और जब एसिड और बेस आपस में रिएक्शन करते हैं तो उसे रिएक्शन को हम न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन कहते हैं तो ये आपको याद रखना है की एसिड और बेस की आपस में जो रिएक्शन होती है इस न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन कहा जाता है तो हम यहां से इसकी डेफिनेशन लिख सकते हैं तो व्हेन एसिड और बेस रिएक्ट तू फॉर्म एन साल्ट और वाटर इसे कॉल्ड न्यूटीलाइजेशन रिएक्शन और इस रिएक्शन में h+ और ओ नेगेटिव होते हैं वाटर को जेनरेट करने के लिए इसके बाद हम देखते हैं एसिड और बेस की अगली केमिकल रिएक्शन जो की ये रिएक्शन ऑफ मैटेलिक ऑक्साइड विद एसिड यानी की एसिड की रिएक्शन मैटेलिक ऑक्सीडेस के साथ तो जो मेटल के ऑक्साइड होते हैं वो बेसिक होती है नेचर में जैसे की कैल्शियम ऑक्साइड मैग्नीशियम ऑक्साइड ईटीसी तो जब एसिड मैटेलिक ऑक्सीडेस के साथ रिएक्ट करता है तब सोल्ड और वाटर फॉर्म होता है पर एग्जांपल जब हाइड्रोक्लोरिक एसिड रिएक्ट करता है कैल्शियम ऑक्साइड के साथ तो कैल्शियम क्लोराइड जो की एक साल्ट होता है वो फॉर्म होता है और साथ में बॉर्डर भी फॉर्म होता है इसके बाद रिएक्शन ऑफ नॉन मेटल लाइक ऑक्साइड विद बेसिस यानी की बेसिस की रिएक्शन नॉन मैटेलिक ऑक्सीडेस के साथ तो जो बेसिस होती है वो मुस्लिम नॉन मैटेलिक ऑक्सीडेस के साथ ही रिएक्ट करते हैं तो जब बेसिस नॉन मैटेलिक ऑक्सीडेस के साथ रिएक्ट करते हैं तब सॉर्ट और वाटर फॉर्म होता है पर एग्जांपल कैल्शियम हाइड्रोक्साइड जब रिएक्ट करता है कार्बन डाइऑक्साइड से जो की एक बेस होता है तब कैल्शियम कार्बोनेट जो की एक साल्ट होता है वो फॉर्म होता है और साथ में वाटर भी रिलीज होता है तो अब हमें देखना है व्हाट डू जो एसिड और बेसिस हैव इन आम यानी की सभी एसिड और सभी बेसिस में आपस में क्या आम होता है तो पहले हम देखते हैं सभी एसिड में क्या आम होता है तो जो एसिड हैव h+ आएं यानी की जितने भी एसिड होते हैं सब में h+ आयंस होते हैं लेकिन इन h+ साइंस की क्वांटिटी अलग-अलग होती है अलग-अलग एसिड में और ये जो एस प्लस इरोंस होते हैं यही रिस्पांसिबल होती है एसिड में एसिडिक प्रॉपर्टीज के लिए इसके बाद हम देखते हैं बेसिस के अंदर क्या आम होता है तो जो बेसिस है आस उन सब में ओ नेगेटिव आयन होते हैं और अलग-अलग बेसिस में ओ नेगेटिव का जो अमाउंट है वो अलग-अलग होता है और ये जो ओ नेगेटिव आयन होते हैं यही रिस्पांसिबल होते हैं बेसिस में बेसिक नेचर के लिए तो एसिड और बेसिस में आम चाहिए समझना के बाद अब हमें समझना असेट्स और बेसिस और वाटर सॉल्यूशन यानी की जब असेट्स और बेसिस को वाटर सॉल्यूशन में डाला जाता है तब क्या होता है तो सबसे पहले हम देखते हैं एसिड को तो हम जानते हैं की असेट्स के अंदर हाइड्रोजन पॉजिटिव आयस होते हैं तो जब हाइड्रोजन पॉजिटिव आयस वाटर के साथ रिएक्ट करते हैं तो s3 पॉजिटिव आयन फॉर्म होता है और इस s3 को पॉजिटिव आयन को हाइड्रोनियम आयन भी कहा जाता है तो अब इसे हम एक एसिड को वाटर करके समझते हैं तो हम एसिड ले लेते हैं कल यानी की हाइड्रोक्लोरिक एसिड तो जब कल को वाटर में डिसआर्वे किया जाएगा तो s3 पॉजिटिव आयन यानी की हाइड्रोनियम आयन फॉर्म होगा और साथ में कल नेगेटिव आयन भी फॉर्म होगा तो यहां पर सोने वाली बात ये है की असेट्स का हा पॉजिटिव आयन में कन्वर्ट क्यों होता है तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह जो हा पॉजिटिव आयन होता है वो अकेला एक्जिस्ट नहीं कर सकता और इसीलिए ये हाइड्रोनियम आयन फॉर्म कर लेट है और एसिड की वाटर में रिएक्शन को देखने के बाद अब हम देखते हैं बेसिक इन वाटर सॉल्यूशन तो जब बेसिस को वाटर सॉल्यूशन में डिसोल्व किया जाता है तो वो हाइड्रोक्साइड आयन यानी की ओ नेगेटिव आयस देते हैं तो अब हम एक बेस को वाटर में डिसआर्वे करके देखते हैं तो हम एक बेस ले लेते हैं नाह यानी की सोडियम हाइड्रोक्साइड तो जब सोडियम हाइड्रोक्साइड को वाटर में डिसोल्व किया जाता है तो वो सोडियम पॉजिटिव और ओ नेगेटिव आयंस में ब्रेक हो जाता है इसके बाद हमें समझना है एक और काफी इंपॉर्टेंट टॉपिक को जो की ये यूनिवर्सल इंडिकेटर तो आई समझते हैं की ये यूनिवर्सल इंडिकेटर क्या होते हैं तो बेसिकली आईटी इस एन मिक्सर ऑफ सेवरल इंडिकेटर विश्व डिफरेंट कलर्स आते डी डिफरेंट कंसंट्रेशन ऑफ h+ आयंस इन डी सॉल्यूशन यानी की यह जो है वो काफी इंडिकेटर का मिक्सर होता है जो की अलग-अलग कलर शो करते हैं h+ आयरन की अलग-अलग कंसंट्रेशन पर किसी भी सॉल्यूशन में और यूनिवर्सल इंडिकेटर कहा जाता है फ को जिसका फूल फॉर्म होता है पावर ऑफ हाइड्रोजन या पोटेंशियल ऑफ हाइड्रोजन तो ये जो आप देख रहे हैं ये है फ स्केल जिसमें की 12 14 तक नंबर होते हैं तो अब हमें इस फ स्केल को अच्छे से समझना है तो अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू 7 से कम है तो वो सब्सटेंस एसिडिक होता है और वहीं पर अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू सेवन से ज्यादा होती है तो उसे बेसिक कंसीडर किया जाता है और अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू एग्जैक्ट सेवन होती है तो उसे न्यूट्रल कंसीडर किया जाता है जिसे हम साल्ट भी कहते हैं तो यहां पर याद रखना वाली बात ये है की किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू जितनी ज्यादा कम होगी वो उतना ज्यादा एसिडिक होगा और वो उतना ही ज्यादा रेड कलर शुरू करेगा इसका मतलब किसी भी सब्सटेंस की फ वैल्यू जितनी कम होगी वो सब्सटेंस उतना ही स्ट्रांग एसिड होगा और ऐसे ही किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू जितनी ज्यादा होगी उतनी ज्यादा बेसिक होगा और वो ज्यादा ब्लू डार्क कलर शो करेगा इसका मतलब किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू जितनी ज्यादा होगी वो उतना ही ज्यादा होगा तो अब मैं इसे आपको एक और सिंपल तरीके से समझने वाला हूं तो आपको यह याद रखना है की अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू एक से तीन के बीच में आई है तो वो स्ट्रांग एसिड होगा और उसका कलर एकदम रेड होगा और वहीं पर अगर किसी सब्सटेंस की भी वैल्यू थ्री से सिक्स के बीच में होगी तो वो सब्सटेंस वीक वैसे होगा और वो थोड़ा सा ऑरेंज और येलोज होगा कलर में इसी के साथ अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू एग्जैक्ट सेवन होगी तो इसका मतलब की वो सब्सटेंस न्यूट्रल है और उसका कलर ग्रीन होगा वहीं पर अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू आते से 11 के बीच में होगी तो वो सबसे वीक विजिट कंसीडर किया जाता है और उसका कलर नॉर्मल ब्लू होगा और अगर किसी सब्सटेंस की फ वैल्यू 11 से 14 के बीच में होगी तो वो सब्सटेंस स्ट्रांग बेस कंसीडर किया जाएगा और उसका कलर वैलिड या फिर इंडिगो होगा तो फ स्केल को अच्छे से समझना के बाद अब हम समझते हैं इंर्पोटेंस ऑफ फ नोट डेली लाइफ यानी की फ की हमें अपनी डेली लाइफ में क्या जरूर पड़ती है तो इसमें की पहले है और बॉडीबक्स इफेक्टिवली बिटवीन डी फ 727.8 मतलब की जो ह्यूमन बॉडी होती है वह इफेक्टिवली क करती है जब बॉडी की फ 7 से लेकर 7.8 के बीच में होती है और अगर इस फ में कुछ चेंज आता है तो हमारी जो बॉडी अभी फैक्ट्री कम नहीं करती इसके बाद नेक्स्ट है फ ऑफ रेन ली दें 5.6 कॉल्ड एसिड रेन यानी की जो रेन वाटर का फ 5.6 से कम होता है तो उसे हम एसिड रेन कहते हैं तो फ के हा से हमें पता चल जाता है की पर्टिकुलर वाटर कॉन्टैमिनेटेड यानी की खराब है या नहीं इसके बाद फ की तीसरी इंपॉर्टेंट है की टूथ दे के तारा व्हेन फ ऑफ माउथ विकम < 5.5 यानी की जब हमारे माउथ की फ 5.5 से कम हो जाति है तो हमारे जो दांत होते हैं वो डीके होने लगता हैं यानी की खराब होने लगता हैं तो फ की हेल्प से अब हम हमारे दातों को दी के होने से प्रीवेंट कर सकते हैं इसके बाद फ की चौथी इंपॉर्टेंट है की प्लांट नीड स्पेसिफिक फ फोर दिया हेल्दी ग्रोथ यानी की हर एक जो प्लांट होता है उसको स्पेसिफिक फ चाहिए होती है गो करने के लिए तो हम पर्टिकुलर प्लांट की सॉइल या फ का पता लगाकर हम पर्टिकुलर प्लांट की अच्छी ग्रोथ करवा सकते हैं तो एसिड बेसिस और फ को अच्छी तरह से समझना के बाद अब हम समझते हैं इस चैप्टर के तीसरी पार्ट को जो की यह साल्ट्स तो आई समझते हैं की सोल्ड्स क्या होती है तो साल्ट इस एन आयनिक कंपाउंड फाउंड बाय डी न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन मतलब की साल्ट एक आयनिक कंपाउंड होता है जो की न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन से फॉर्म होता है और न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन के बड़े में हम पहले ही पढ़ चुके हैं चलिए एक बार इसे और देख लेते हैं तो जब एसिड और बेस की आपस में रिएक्शन होती है तो साल्ट और वाटर फॉर्म होता है पर एग्जांपल कल प्लस नाह गिवास नल + h2 तो यहां पर जब एसिड और बेस की रिएक्शन हुई तो नल जो की एक साल्ट है और वाटर फॉर्म हुआ और ये जो नल होता है इसी को आम साल्ट कहा जाता है जो की किचन में उसे किया जाता है जैसे ही काफी सारे और भी सॉल्व होते हैं जैसे की पोटेशियम क्लोराइड कैल्शियम क्लोराइड इसके बाद हमें समझना है केमिकल फॉर्म साल्ट यानी की साल्ट्स के केमिकल तो ये जो आपको लिस्ट दिखे रही है ये है जिसमें की ये सोडियम हाइड्रोक्साइड ब्लीचिंग पाउडर बेकिंग सोडा वाशिंग सोडा और प्लास्टर ऑफ पेरिस तो चलिए अब हम एक-एक करके इनको अच्छे से समझ लेते हैं तो शुरुआत करते हैं सोडियम हाइड्रोक्साइड से तो जो सोडियम हाइड्रोक्साइड होता है इसे कास्टिक सोडा भी कहा जाता है और इसका केमिकल फॉर्मूला होता है नाह तो जब नल की एक्वा सॉल्यूशन से इलेक्ट्रिसिटी को पास किया जाता है तो वो डीकंपोज होता है सोडियम ऑक्साइड या कास्टिक सोडा को फॉर्म करने के लिए तो ये जो आपको दिखे रही है यह कास्टिक सोडा की फॉर्मेशन भी एक्शन है तो जब सोडियम क्लोराइड और वाटर में से इलेक्ट्रिसिटी पास की जाति है तब कास्टिक सोडा फॉर्म होता है और साथ में कल भी बंता है तो कास्टिक सोडा की फॉर्मेशन को समझना के बाद अब हम समझते हैं क्वेश्चन उठाके उसे इसको तो इसका उसे सॉफ्ट और डिटर्जेंट बनाने में किया जाता है पेपर को मैन्युफैक्चरर करने में किया जाता है तेल की रिफायनिंग में किया जाता है और पीवीसी मैन्युफैक्चरर में भी इसका उसे किया जाता है और इसी के साथ-साथ इसको आगे एन पेस्टिसाइड भी उसे किया जाता है ब्लीचिंग पाउडर के बड़े में तो इसका केमिकल फॉर्मूला होता है cocl2 तो जब क्लोरीन को ग्लास लेट लाइम जिसे की कैल्शियम हाइड्रोक्साइड कहा जाता है उसके ऊपर से पास किया जाता है तो ब्लीचिंग पाउडर फॉर्म होता है तो कैल्शियम हाइड्रोक्साइड प्लस क्लोरीन गिव्स caocl2 जिसे की ब्लीचिंग पाउडर कहा जाता है प्लस वाटर तो ब्लीचिंग पाउडर की फॉर्मेशन को समझना के बाद अब हम देखते हैं इसकी उसे को तो इसको क्लॉथ फैक्टरीज में कॉटन और लाइनर को ब्लीच करने के लिए उसे किया जाता है पेपर फैक्टरीज में इसका उसे किया जाता है बुधपाल को ब्लीच करने में इसका उसे किया जाता है इसको ऐसा ऑक्सिडाइजिंग एजेंट भी उसे किया जाता है केमिकल इंडस्ट्रीज में और इसको ऐसा डिसइनफेक्टेंट भी उसे किया जाता है ड्रिंकिंग वाटर में क्योंकि यह ड्रिंकिंग वाटर को इनफैक्ट होने से प्रीवेंट करता है इसके बाद हमें समझना सॉल्व तीसरी कंपाउंड को जिसका नाम है बेकिंग सोडा जिसका केमिकल फॉर्मूला होता है नसू थ्री यानी की सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट तो अब हम देखते हैं की ये फॉर्म कैसे होता है तो जब साल्ट वाटर और कार्बन डाइऑक्साइड की रिएक्शन होती है अमोनिया के साथ तब सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट फॉर्म होता है और साथ में अमोनियम क्लोराइड फॉर्म होता है तो चलिए अब हम इस रिएक्शन को देख लेते हैं तो नल + h2o + co2 + nh4 गिव्स nh4cl+ nahco3 तो अब हम देखते हैं बेकिंग सोडा की कुछ प्रॉपर्टीज को तो ये जो है वो काफी सॉफ्ट होता है और इसका मेल्टिंग पॉइंट होता है 50°c और ये बेसिक होता है नेचर में इसी के साथ ये नॉन क्यूरोसिटी होता है यानी की यह काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता और जब इसे कुकिंग के टाइम पर हिट किया जाता है तब ये सोडियम कार्बोनेट वाटर और co2 में डीकंपोज हो जाता है तो ये तो थी बेकिंग सोडा की कुछ प्रॉपर्टीज तो अब हम नजर डालते हैं इसकी कुछ उसे पर तो आईटी इस यूज्ड इन मेकिंग कोल्ड ड्रिंक यानी की इसे कोल्ड ड्रिंक बनाने में उसे किया जाता है और इनका दूसरा उसे है आईटी इस यूज्ड इन डी मैन्युफैक्चरिंग ऑफ फायर एक्सटिंग्विशर यानी की फायर एक्सटिंगिस बनाने में भी इसका उसे किया जाता है इसका तीसरा उसे है आईटी इसे यूज्ड आगे और ऐसेट तो हम जानते हैं की बेकिंग सोडा बेसिक नेचर का होता है तो इसीलिए इसको एसिड के इफेक्ट को नट डिवाइस करने के लिए भी ऐसा इंटसेट उसे किया जाता है और इसका चौथ उसे है आईटी इस यूज्ड पर मेकिंग बेकिंग पाउडर यानी की जो बेकिंग सोडा होता है उसका उसे बेकिंग पाउडर बनाने के लिए होता है तो अब हम ये देखते हैं की बेकिंग सोडा बेकिंग पाउडर में कैसे कन्वर्ट होता है तो जब बेकिंग सोडा में टारटरिक एसिड को एड किया जाता है तो बेकिंग पाउडर में कन्वर्ट हो जाता है और ये जो बेकिंग पाउडर होता है वो ब्रीड्स और केक्स को सॉफ्ट और सोंगी बनाने के लिए उसे होता है तो इसके बाद हमें समझना शॉर्ट्स के चौथ केमिकल को जो की है बहुत ही सोडा तो इसका केमिकल फॉर्मूला होता है ना तू सी थ्री टेन h2 यानी की सोडियम कार्बोनेट विद टेन मॉलेक्युलिस ऑफ वाटर तो चलिए अब हम इसकी फॉर्मेशन को समझ लेते हैं तो इसके लिए आपको थोड़ा सा पीछे जाना पड़ेगा तो अभी हमने पढ़ा था जब बेकिंग सोडा को हिट किया जाता है कुकिंग के टाइम पर तो सोडियम कार्बोनेट वाटर और co2 फॉर्म होता है तो ये जो वाचिंग सोडा होता है वो इसी प्रोसेस को फरदर कंटिन्यू करने से फॉर्म होता है तो ये जो सोडियम कार्बोनेट यहां पर बना है इसमें वाटर कीटोन मॉलेक्युलिस एड कर दिए जाते हैं तब जाकर वाशिंग सोडा फॉर्म होता है तो इसके बाद हमें देखना है बहुत ही सोडा की कुछ यूजेस को तो आईटी इसे यूज्ड इन ग्लास शॉप और पेपर इंडस्ट्रीज यानी की इसका इस्तेमाल ग्लास शॉप और पेपर इंडस्ट्रीज में किया जाता है उन्हें मैन्युफैक्चरर करने के लिए आईटी इस अलसो यूज्ड डेट क्लीनिंग एजेंट इन डी हाउस यानी की घरों की साफ सफाई करने में भी इसका उसे किया जाता है और इसका सबसे इंपॉर्टेंट रोल है आईटी इसे यूज्ड पर रिमूविंग हार्डनेस ऑफ वाटर यानी की ये जो है वो वाटर की हार्डनेस को रिमूव करता है और उसे सॉफ्ट बनाता है इसके बाद हमें समझना है पांचवें स्वार्थ को हम केमिकल और इस चैप्टर के आखिरी कंपाउंड को जो की ये प्लास्टर ऑफ पेरिस जिससे की आम लैंग्वेज में पॉप भी कहा जाता है तो चलिए अब हम इसकी प्रिपरेशन को देख लेते हैं तो जब हम जिप्सम को 100 डिग्री सेल्सियस पर हिट करते हैं तो वो अपने वाटर मॉलेक्युलिस को लूज कर देता है और प्लास्टर ऑफ पेरिस में कन्वर्ट हो जाता है आप यहां पर देखिए caso4 2h2 जो की जिप्सम होता है जब इसे 100 डिग्री सेल्सियस पर हिट किया जाता है तो ये अपना वन और हाफ h2 मॉलिक्यूल उसे कर देता है और पॉप में कन्वर्ट हो जाता है और अगर इसी पॉप में जब हम वाटर एड कर देते तो ये हमारा जिप्सम में कन्वर्ट हो जाता है तो यह तो थी पॉप की फॉर्मेशन तो हम देखते हैं इसकी कुछ उसे को तो इसका पहले उसे पर मेकिंग सरफेस इसे मूड तो इसका इस्तेमाल करोगे जो सरफेस होती है उसे स्मूथ बनाने के लिए किया जाता है तो आपने कई घरों में देखा हुआ की ग्रहण की दीवारों को स्मूथ बनाने के लिए इसका उसे किया जाता है इसका दूसरा उसे है वो मेकिंग टॉयज और डेकोरेशन मैटेरियल्स यानी की खिलौने बनाने के लिए और डेकोरेशन का समाज बनाने के लिए भी इसका उसे किया जाता है और इसका तीसरा उसे इन हॉस्पिटल तू सपोर्ट फै्रक्चर्ड बोन तो आपने कई बार देखा होगा जब किसी का हाथ पर या कुछ और फ्रैक्चर हो जाता है तो डॉक्टर उसे फ्रैक्चर बोन को पॉप की हेल्प से ही सेटल करता है तो इसी के साथ हमारा जो चैप्टर है वो खत्म होता है और होप आपको चीज समझ में आया होगा अगर वीडियो पसंद आई है तो आप इसे लाइक कर सकते हैं और क्लास 10th साइंस की ऐसी वीडियो के लिए चैनल को सब्सक्राइब भी कर सकते हैं तब तक के लिए थैंक्स पर वाचिंग टेक केयर बाय बाय [संगीत]