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Lecture on Directive Principles of State Policy (DPSP) from Indian Polity by M. Laxmikanth

वेलकम टू स्टडी आईक्यू माय नेम इज अमित वरी द किलोर एंड वेल फॉर द स्टार्टर्स वीी आर डूइंग द इंडियन पॉलिटी एम लक्ष्मीकांत द सेवंथ एडिशन जो कि रिसेंटली रिलीज हुआ है आज हम डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी द चैप्टर वच कम्स आफ्टर फंडामेंटल राइट्स वो करेंगे पिछले आठ लेक्चर में हमने लक्ष्मीकांत जो कि 800 पेजेस की बुक है उसके पिछले आठ लेक्चर में हमने एप्रोक्सीमेटली 110 पेजेस कंप्लीट कर लिए अ वेल म दैट इज हाउ इट वर्क्स राइट अ आज का जो हमारा पर्पस है अ कांस्टीट्यूशन का जो पार्ट फोर है व्हिच इज ऑब् वियस टाइटल्ड एज द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी दैट वुड बी दी पर्पस ये वाला जो चैप्टर है हम लक्ष्मीकांत सेवेंथ एडिशन ठीक है नाउ फंडामेंटल राइट्स है जो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन के पार्ट थ्री में दिए गए हैं राइट फ्रॉम आर्टिकल नंबर 12 टू 35 आई थिंक दैट आर दैट वी आर वेरी मच अवेयर ऑफ इसके बाद फंडामेंटल राइट्स के बाद आता है पार्ट नंबर फोर पार्ट फोर्थ व्हिच इज कॉल्ड एज द डीपीएसपी डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी आईडिया यह है कि हमें बेसिकली इंडियन सिटीजंस को पॉलिटिकल इकोनॉमिक और सोशल जस्टिस प्रोवाइड करना है सोशल इक्वलिटी प्रोवाइड करनी है हाउ डू वी डू इट हमें पॉलिटिकल इक्वलिटी और पॉलिटिकल जस्टिस प्रोवाइड करने के लिए हमने कॉन्स्टिट्यूशन में फंडामेंटल राइट्स लिखे हुए हैं और इकोनॉमिक और सोशल इक्वलिटी को प्रोवाइड करने के लिए हमने कुछ डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी अपने कॉन्स्टिट्यूशन में ऐड किए हुए हैं पार्ट फोर्थ के अंदर नाउ द नेम रिमेंबर कि किसी भी चीज को अगर हम समझना चाहते हैं तो अगर हम उसके नाम को अगर उसके नाम का मीनिंग समझेंगे तो वी माइट एक्चुअली गेट एग्जैक्ट आईडिया अबाउट इट देखो इसको कहते हैं डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी यानी कि जो स्टेट है यानी कि जो गवर्नमेंट है उसकी जो पॉलिसी है उसको उसके लिए कुछ ऐसे प्रिंसिपल्स और जो डायरेक्शंस है मतलब स्टेट पॉलिसी किस डायरेक्शंस में जानी चाहिए उस चीज के प्रिंसिपल्स डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी यानी इसके अंदर कुछ ऐसी रिकमेंडेशंस होंगी जो कि गव मेंट को करनी चाहिए और उसको बहुत सिंपल सा लिस्ट कर दिया गया है इमेजिन योरसेल्फ टू बी अ मेंटर इमेजिन योरसेल्फ टू बी अ टीचर एंड नाउ आप एक स्टूडेंट को 10 प्रिंसिपल लिस्ट करके दो अगर उसको सक्सेसफुल होना है तो राइट दैट ही शुड बी लाइक उसको जल्दी उठना चाहिए डिसिप्लिन रहना चाहिए रेगुलर प्रैक्टिस करनी चाहिए सो ऑन एंड ऑन एगजैक्टली ऐसा ही कुछ कांस्टिट्यूशन के पार्ट फोर्थ के अंदर डीपीएस पीज करते हैं दे आर बेसिकली सर्टेन प्रिंसिपल्स जिनके बेसिस पे स्टेट को अपनी पॉलिसी की लेशंस बनानी चाहिए हमारे कांस्टीट्यूशंस के जो फ्रेमर्स हैं ओबवियसली द कांस्टीट्यूएंट असेंबली उन्होंने यह आईडिया आयरिश कांस्टीट्यूशन से लिया था और आयरिश कॉन्स्टिट्यूशन ने ये बेसिकली स्पेनिश कॉन्स्टिट्यूशन से लिया था ठीक है सो इफ समबीत फ्रॉम दी आयरिश कॉन्स्टिट्यूशन बट हां इसके पीछे अगर इन केस यूपीएससी डज आस्क यू कि आयरिश कॉन्स्टिट्यूशन ने कहां से लिया था तो स्पेनिश कॉन्स्टिट्यूशन से लिया था नाउ पैराडॉक्सिकली दिस इज अ सेक्शन जो कि बरोड है द आई इडिया हैज बीन बरोड उसके अंदर जो लिखा हुआ है वो बरोड नहीं है लेकिन ये डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने कहा था कि यह हमारे कांस्टिट्यूशन का वन ऑफ द मोस्ट नोवल फीचर्स है इट इज सच इज इंटरेस्टिंग वाला सेकंड जो ये फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी है ना इन दोनों को मिला के बेसिकली कांस्टिट्यूशन की सोल कहा जाता है या फिलोसोफी पार्ट ऑफ द कांस्टीट्यूशन कहा जाता है इसके अलावा जब भी आप कांस्टिट्यूशन में कुछ पढ़ोगे ना तो वो स्ट्रेट फॉरवर्ड ऑब्जेक्टिवली एडमिनिस्ट्रेशन के बारे में कुछ कह रहा होगा मतलब कि एक्सेप्ट पार्ट थ्री एंड पार्ट फोर एंड मैं दो चीज और ऐड कर कर देता हूं फंडामेंटल ड्यूटीज एंड द प्रीमल इन चारों चीजों को अगर आप छोड़ दें तो जब भी आप कांस्टीट्यूशन में पढ़ोगे ना तो उसके अंदर क्लियर इंस्ट्रक्शंस हैं प्राइम मिनिस्टर ऐसे बनना चाहिए काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ऐसे बनना चाहिए प्रेसिडेंट ऐसे बनेंगे डीपी क्या नाम है स्टेट गवर्नमेंट्स ऐसे होंगी हाई कोर्ट्स ऐसे मतलब दे आर जस्ट क्लियर कट रिकमेंडेशन एंड क्लियर कट डायरेक्शंस कि यह काम कैसे करना है उसके सारे के सारे क्या नाम है उसके अंदर कैटेगरी कल इंफॉर्मेशन है सिर्फ और सिर्फ फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी ये जो दो है इसके अंदर थोड़ी सी स्पिरिचुअल या काइंड ऑफ़ अ फिलोसॉफिकल कन्वर्सेशन भी होती है तो फंडामेंटल राइट्स प्लस डीपीएसपी हैज बीन कॉल्ड एज दी फिलोसॉफिकल पार्ट ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन एंड सम टाइम्स इट हैज बीन आल्सो बीन डिस्क्राइब्ड एज द सोल एंड द कंसांस ऑफ द कांस्टिट्यूशन सो डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स को कं साइंस ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन भी कहते हैं एंड इट हैज ल् ओबवियसली कॉल्ड एज दी सोल सोल ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन नाउ अ आई नो आई थिंक सम ऑफ यू वुड हैव प्रोबेबली सीन इट कि कल हमने जब आर्टिकल में सॉरी कल हमने जब फंडामेंटल राइट्स किए थे सो वी डिड दी आर्टिकल नंबर 32 अब आर्टिकल नंबर 32 को डॉ बी आर अंबेडकर ने कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली में ही मेड अ पर्टिकुलर फ्रेज ही यूज्ड अ फ्रेज फॉर दैट आर्टिकल कि आर्टिकल 32 हार्ट एंड सोल ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन है ठीक है हार्ट एंड सोल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन और यहां पर फिलॉसफी ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन में फंडामेंटल राइट्स प्लस डीपीएसपी को सोल ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन का है तो ये जो वर्ड है ये सारे के सारे मेटाफोरिकल वर्ड्स हैं इन मेटाफोरिकल वर्ड्स का अपने-अपने कॉन्टेक्स्ट में मीनिंग होता है मैं इसके ऊपर स्ट्रेस कर रहा हूं कि यूपीएससी कभी ना कभी इस वर्ड पे कुछ ना कुछ प्ले कर सकता है कि सोल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन क्या होता है लेट्स से इफ दे डू आस्क यू व्हाट आर यू गोइंग टू राइट अब सोल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन अगर पूछा जाए तो आप हमेशा कह सकते हो कि फंडामेंटल राइट प्लस डीपीएसपी सोल होते हैं बट देन अगर किसी ने स्पेसिफिकली नाम से पूछा कि डॉक्टर अंबेडकर ने किसको सोल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन कहा है वेल देन यू हैव टू पर्टिकुलर आइडेंटिफिकेशन नंबर 30 6 से लेके आर्टिकल नंबर 51 तक डीपीएसपी दिए हुए हैं डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी ठीक है अगर आप एक बार चाहते हो तो इसको मैं सिंपल तरीके से बता देता हूं एंड इफ वी कैन रीड दिस वन कंप्लीट तो हमारा पूरा चैप्टर कंप्लीट है मतलब कि इसके अंदर कॉम्प्लेक्शन नहीं है इस चैप्टर के अंदर बिल्कुल स्ट्रेट फॉरवर्ड सिंपल चीजें हैं सी इसके अंदर ना ऐसे नॉर्मल चीजें लिखी हुई है जैसे कि आर्टिकल 43 में लिखा हुआ है लिविंग वेज एट्स फॉर वर्कर्स सो इसका सिंपल मतलब है कि कांस्टिट्यूशन कह रहा है कि जो स्टेट है उसकी रिस्पांसिबिलिटी है कि जो वर्कर्स हैं उनके लिए लिविंग वेजेस उपलब्ध कराए एक सिंपल इंस्ट्रक्शन है दैट इज इट उसके बाद इट इज द ड्यूटी ऑफ द स्टेट टू रेज द लेवल ऑफ द न्यूट्रिशन एंड ऑफ पब्लिक हेल्थ मतलब की स्टेट की ड्यूटी होती है कि लोगों की लेवल ऑफ न्यूट्रिशन को बढ़ाया जाए और पब्लिक हेल्थ की रिस्पांसिबिलिटी ले एंड सो ऑन एंड ऑन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ विलेज पंचायत स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी होती है कि विलेजेस में पंचायत को ऑर्गेनाइज किया जाए सेपरेशन ऑफ द जुडिशरी फ्रॉम द एग्जीक्यूटिव स्टेट की रिस्पांसिबल है और उसकी पॉलिसी ऐसी होनी चाहिए कि जुडिशरी और एग्जीक्यूटिव के बीच में कंप्लीट सेपरेशन हो एक दूसरे से ओवरलैप ना करें यू गेट दी आईडिया कि आर्टिकल नंबर 36 से लेके आर्टिकल नंबर 51 के बीच में कुछ इंस्ट्रक्शंस हैं काइंड ऑफ इंस्ट्रक्शंस टू द स्टेट बेसिक इंस्ट्रक्शंस है और वो हमें बस बेसिकली सिंपल सिंपल उन इंस्ट्रक्शंस को पढ़ लेना होता है जिसको भी ये सारी की सारी इंस्ट्रक्शंस याद हो गई डीपीएसपी का पूरा का पूरा चैप्टर खत्म हो गया क्योंकि इसके अंदर कॉम्प्लेक्शन एग्जाम के अंदर वेरी सिंपल स्ट्रेट फॉरवर्ड चैप्टर है हमारा ठीक है अ इक्वल जस्टिस एंड द फ्री लीगल एड है ना स्टेट को कोशिश करनी चाहिए कि सबको बेसिकली न्याय मिल सके और अगर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता है तो उसको लीगल एड भी बेसिकली फ्रीली अवेलेबल कराई जा सके ये है अब हमें ये सारे के सारे जो आर्टिकल्स हैं एक-एक करके पढ़ने हैं ये जो अमेंडमेंट से ऐड किए गए थे उनकी अमेंडमेंट्स के बारे में पढ़ लेना है और फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी इस का रिलेशन क्या है उसके बारे में पढ़ना है एंड वी विल बी डन विद द चैप्टर इट इज़ अ संडे सो आई एक्चुअली चोज अ वेरी सिंपल चैप्टर ताकि हम उसको आसाम से कर सके डीपीएसपी के कितने फे सेट्स हैं सबसे पहले डीपीएसपी इस के फीचर्स है ना हर एक चीज के फीचर्स कॉन्स्टिट्यूशन के फीचर्स फंडामेंटल राइट्स के डीपीएसपी के फीचर्स करने हैं इनका क्रिटिसिज्म कुछ ना कुछ क्रिटिसिज्म और इनकी यूटिलिटी मतलब भाई क्रिटिसिज्म के बाद एक बात को एक्सप्लेन करना जरूरी होता है अगर हम किसी चीज की कमी बता देते हैं सो वी ओबवियसली हैव टू टेल देन व्हाई इट इज देयर राइट हमने डीपीएसपी इस का क्रिटिसिज्म कर दिया बट क्रिटिसिज्म करने के बाद हमें यह बात भी रियलाइफ होगी कि इट इज इन द कॉन्स्टिट्यूशन अगर क्रिटिसिज्म में जो पॉइंट्स उठाए हैं वो वैलिड है देन व्हाई इज इट इन द कॉन्स्टिट्यूशन वेल उसके बाद हमें उसकी यूटिलिटी भी बतानी पड़ेगी डीपीएसपी इस के साथ एक इंटरेस्टिंग बात है दे आर नॉन जस्टिसिएबल क्या है नॉन जस्टिसिएबल अ इन कॉन्टेक्स्ट ऑफ द लाइक इन रिलेटिव इन अ क्या कहते हैं कंपैरिजन विद द फंडामेंटल राइट्स फंडामेंटल राइट्स जस्टिसिएबल होते हैं एंड डीपीएसपी नॉन जस्टिसिएबल होते हैं व्हिच जस्ट मींस कि अगर फंडामेंटल राइट्स वायलेट हो तो हम कोर्ट जा सकते हैं वेयर एज अगर डीपीएसपी वायलेट हो या पूरे ना हो तो हम कोर्ट नहीं जा सकते हैं देयर आर अदर वेज टू मेक इट इंप्लीमेंट बट यू कैन नॉट गो टू द कोर्ट दैट इज व्हाट द वर्ड जस्टिस एबिलिटी मींस तो अगर ये चीज नॉन जस्टिसिएबल है डीपीएसपी को इंप्लीमेंट कराने के लिए आप कोर्ट नहीं जा सकते हैं तो फिर इनको सैंक्शन कहां से मिलती है व्हाट एगजैक्टली इज द सक्शन फंडामेंटल राइट्स को तो सैंक्शन कॉन्स्टिट्यूशन दे रहा है राइट कांस्टिट्यूशन सैंक्टिफाई कि दीज आर फंडामेंटल राइट्स दे नीड्स टू बी प्रोटेक्टेड व्ट्स विद द डीपीएसपी जब उसको वो जस्टिसिएबल है ही नहीं ठीक है दूसरा क्लासिफिकेशन जैसे फंडामेंटल राइट्स की क्लासिफिकेशन है इक्वलिटी उसके बाद फ्रीडम वाली फंडामेंटल राइट फिर अगेंस्ट एक्सप्लोइटेशन फिर फ्रीडम ऑफ रिलीजन फिर माइनॉरिटी के कल्चरल और एजुकेशनल राइट्स और फिर कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज छह फंडामेंटल राइट्स हैं उसी प्रकार से डीपीएसपी की क्लासिफिकेशन और नए डीपीएसपी यानी कि जो डीपीएसपी बाद में अमेंडमेंट के द्वारा जोड़े गए हैं फिर डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स के बीच में अगर कोई कॉन्फ्लेट होता है तो हाउ दैट हैज बीन सोल्ड एंड व्हाट एगजैक्टली इज द रिलेशनशिप बिटवीन द डीपीएसपी एंड द फंडामेंटल राइट्स लाइक हु इज सुपीरियर क्या डीपीएसपी ज्यादा इंपॉर्टेंट है या फिर बेसिकली फंडामेंटल राइट्स ज्यादा इंपॉर्टेंट है नाउ दैट वुड बी आंसर्ड एट द एंड ऑफ द क्लास यू टेल मी राइट नाउ इन द कमेंट्स व्हाट डू यू थिंक हु इज मोर सुपीरियर हु इज बेटर हु इज मोर इंपॉर्टेंट फंडामेंटल राइट्स और डीपीएस पीज अगर सही बताया तो फॉलो बैक मिलेगा ा पे राइट फीचर्स ऑफ़ द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स सो किसी भी चीज को समझने से पहले हम एक बार उसके फीचर्स पढ़ लेने चाहिए हमने कॉन्स्टिट्यूशन को पढ़ने से पहले ही उसके फीचर्स पढ़े थे सिमिलरली हैपन विद द फंडामेंटल राइट्स आल्सो सो सारे के सारे डीपीएसपी को अगर एक जगह पे रख दिया जाए तो अब अगर हम उनके बारे में पढ़ेंगे तो डीपीएसपी होता क्या है देखो ये जो डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी ये जो फ्रेज हमने यूज़ किया गया है ये वो आइडियल वो प्रिंसिपल्स हैं है ना वो पॉइंट्स हैं बेसिकली जो कभी भी स्टेट को यानी कि पार्लियामेंट को या फिर बेसिकली गवर्नमेंट को अपने दिमाग में रखने चाहिए जब भी वह लॉज बनाए या पॉलिसीज बनाएं इट लिटरली मींस द डायरेक्शंस द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स राइट जिस डायरेक्शन में उनको अपने लॉज बनाने हैं देश को जिस डायरेक्शन में ले जाना चाहते हो जब भी गवर्नमेंट किसी डायरेक्शन में कुछ सोचे कुछ लॉज बनाए किसी के लिए कोई पॉलिसी बनाए तो उनके दिमाग में बेसिकली यह सारे के सारे प्रिंसिपल्स एक्चुअली में होने चाहिए दे आर काइंड ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन इंस्ट्रक्शंस एग्जैक्ट अगर वर्ड के बारे में बात करें दे आर काइंड ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन इंस्ट्रक्शंस और रिकमेंडेशंस आल्सो व्हाई वी आर सेइंग इट रिकमेंडेशन बिकॉज़ दे आर नॉन जस्टिसिएबल लाइक फंडामेंटल राइट इज नॉट अ रिकमेंडेशन दैट इज अ लॉ दैट हैज टू बी फॉलो द फ्रीडम ऑफ़ स्पीच ऑफ एक्सप्रेशन इज प्रोटेक्टेड कॉन्स्टिट्यूशन इट्स नॉट अ रिकमेंडेशन टू द स्टेट इट इज देयर बट दीज आर रिकमेंडेशन क्योंकि नॉन जस्टिसिएबल है और टू दी स्टेट इन लेजिसलेटिव एग्जीक्यूटिव एंड द एडमिनिस्ट्रेटिव मैटर्स तो जो स्टेट है गवर्नमेंट्स जो होती है वो लेजिस्लेटिव जो काम करें एडमिनिस्ट्रेशन में एग्जीक्यूटिव में किसी भी तरीके से कोई भी काम करें दे आर एक्सपेक्टेड कि वह इन स्टेट य जो डीपीएसपी है इनको अपने दिमाग में रख के काम करें अब आर्टिकल 36 द टर्म स्टेट हैज द सेम मीनिंग जो कि पार्ट थ्री में है आई थिंक ये मैंने आपको बताया था हमने जब फंडामेंटल राइट्स किया था तो आर्टिकल नंबर 12 के अंदर डिफाइन किया गया है व्हाट इज अ स्टेट एंड आई आल्सो टोल्ड यू कि आर्टिकल 12 के अंदर जो स्टेट की डेफिनेशन है जो स्टेट की डेफिनेशन है दैट इज बेसिकली अ एप्लीकेबल ओनली टू पार्ट थ्री एंड पार्ट फोर ठीक है इस चीज को रिइटरेट करते हैं आर्टिकल नंबर 36 में आर्टिकल 36 सिर्फ ये कहता है कि स्टेट जब भी कहीं पे डीपीएसपी में लिखा हो ना वर्ड लिखा हो स्टेट उसका मतलब वही है जो कि आर्टिकल नंबर 12 में दिया हुआ है तो लेजिस्लेटिव एंड द एग्जीक्यूटिव ऑर्गन्स ऑफ द सेंट्रल स्टेट ऑल अदर पब्लिक अथॉरिटीज इन दी कंट्री वो हमने कर ही लिया था आर्टिकल 12 क्या कहता है स्टेट क्या होता है भाई पार्लियामेंट इज़ अ पार्ट ऑफ़ द स्टेट द गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया द एग्जीक्यूटिव इज़ अ स्टेट सारे के सारे स्टेट लेजिस्लेटर सारी की सारी स्टेट गवर्नमेंट इज़ पार्ट ऑफ़ द स्टेट लोकल बॉडीज जो है लोकल अथॉरिटीज जो हैं वो सारी की सारी स्टेट के पार्ट अंदर होती है एनी इंस्ट्रूमेंटालिटी ऑफ़ द स्टेट एनीथिंग दैट वर्क्स फॉर द स्टेट जिसको वो स्टेट फाइनेंस कर रही हो ऐसी कोई बॉडी वो भी स्टेट होती है द प्राइवेट बॉडीज व्हिच हैव पब्लिक फंक्शंस आल्सो कुड बी स्टेट राइट डिपेंडिंग ऑन द क्राइटेरिया वो फुलफिल करती है या नहीं करती है ऑल दीज थिंग्स आर स्टेट इन द कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ द डीपीएसपी आल्सो तो जब किसी डीपीएसपी आर्टिकल में यह लिखा हो कि स्टेट शैल डू दिस सो बेसिकली वह एक्सपेक्ट कर रहा है आर्टिकल 12 में जिस-जिस के स्टेट कहा गया था उन सबको वो करने के लिए एक्सपेक्टशंस है रेकमेंडेड है ओके द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स रिजेंस द इंस्ट्रूमेंट्स ऑफ द इंस्ट्रक्शंस तो थोड़ा सा हिस्टोरिकल पर्सपेक्टिव गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट जो था 1935 में जो बनाया गया था उस गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में एक सेक्शन था जिसको कहते हैं इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शन ध्यान से पढ़िए इस शब्द को एक बार दोबारा से जोर से बोलिए दिमाग में इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस है ना इंस्ट्रक्शंस इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शन नाउ बिलीव मी ट्राई टू इमेजिन इट इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस इज अ सिनोनिम फॉर डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी राइट इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शन का मतलब एक लिस्ट है जिसके अंदर इंस्ट्रक्शंस दीी हैं डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ स्टेट पॉलिसी यानी कि स्टेट पॉलिसी के लिए इंस्ट्रक्शंस दी हुई है एगजैक्टली तो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 में जो इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस था उसी को बेसिकली हमने अडॉप्ट कर लिया इन द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन एज द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ द स्टेट पॉलिसी एंड डॉक्टर बी आर अंबेडकर क्लीयर्ड इट कि डीपीएसपी जो है दे आर लाइक इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस व्हिच वर इश्यूड टू दी गवर्नर जनरल एंड द गवर्नर्स ऑफ दी कॉलोनी ऑफ इंडिया बाय दी ब्रिटिश गवर्नमेंट राइट गेट अंडर द गवर्नमेंट ऑफ इंडिया 1935 अब 19 37 में जो गवर्नमेंट जो इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस थे वो गवर्नर जनरल के लिए थे मतलब देयर वर सम लिस्ट इंस्ट्रक्शंस थी जो कि गवर्नर जनरल और जो उस समय जो प्रोविंसेस थे उनके गवर्नर्स को फॉलो करनी पड़ती थी बट दीज आर जनरली फॉर द स्टेट सिर्फ और सिर्फ हमने नाम बदल दिया है ओनली डिफरेंस इज दैट दे आर टू द लेजिसलेच्योर क्श वरर मेंट फॉर द गवर्नर्स एंड द गवर्नर जनरल्स हमारे यहां पे पार्लियामेंट और गवर्नमेंट के लिए बेसिकली ये इंस्ट्रक्शंस है ठीक ठीक है डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स कांस्टीट्यूट अ कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक सोशल एंड द पॉलिटिकल प्रोग्राम फॉर द मॉडर्न डेमोक्रेटिक स्टेट ठीक है आइडिया यही है कि अगर हम सारे के सारे डीपीएसपी को पढ़ेंगे सो उनका जो एंड गेम है जो एंड पर्पस है वो इकोनॉमिक सोशल और पॉलिटिकल तीनों के तीनों फेसट्स को फिल करता है कि किसी भी मॉडर्न डेमोक्रेटिक स्टेट के अंदर यह सारी की सारी चीजें गवर्नमेंट की रिस्पांसिबिलिटी होती है सोशली इकोनॉमिकली एंड सो ऑन एंड ऑन चलिए इन प्रीमल दे एमडी दी कांसेप्ट ऑफ दी वेलफेयर स्टेट नॉट ऑफ दी पुलिस स्टेट वेलफेयर स्टेट क्या होती है वेलफेयर स्टेट अ वेयर द स्टेट द गवर्नमेंट एज सच अ पार्टिसिपेट एंड एक्टिवली प्रोएक्टिवली अ डू एक्शंस जिससे बेसिकली लोगों का वेलफेयर बढ़े समथिंग जो कि गवर्नमेंट जो है अ इंडिविजुअल्स की ह्यूमन अ जो सिटीजंस होती है उनकी सोशल और इकोनॉमिक वेल बीइंग को प्रमोट करें दैट इज कॉल्ड एज अ वेलफेयर स्टेट हमारे डीपीएस पी जो हैं वो सारे के सारे जो डीपीएसपी हैं वो कुछ ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं दे प्लान टू दे इंटेंड टू एस्टेब्लिश इकोनॉमिक एंड द सोशल डेमोक्रेसी दे प्लान टू इंटेंड टू डू दी इकोनॉमिक एंड द सोशल डेमोक्रेसी डीपीएसपी आर नॉन जस्टिसिएबल यह बात हम पहले ही कर चुके हैं मतलब कि ये लीगली एनफोर्सेबल नहीं है कोर्ट्स के द्वारा तो सेंट्रल स्टेट गवर्नमेंट कैन नॉट बी कंपेय इंप्लीमेंट देम फंडामेंटल राइट्स कैन एक्चुअली बी कंपल टू बी इंप्लीमेंटेड बाय ऑल द सेंट्रल स्टेट एंड दी लोकल गवर्नमेंट नेवर द लेस आर्टिकल 37 तो 36 वाला तो बोलता है कि स्टेट की डेफिनेशन वही है जो कि आर्टिकल 12 में है और आर्टिकल 37 सिर्फ और सिर्फ एक बेसिक इंफॉर्मेशन देता है कि दो ये नॉन जस्टिसिएबल है ओके फाइन बट दे आर फंडामेंटल इन दी गवर्नेंस ऑफ दी कंट्री एंड स्टेट की ड्यूटी होती है कि लॉज बनाते वक्त इन प्रिंसिपल को अप्लाई किया जाए देखो ये जो नॉन जस्टिसिएबल वाला है आ विल गिव यू एन एग्जांपल स्टेट की रिस्पांसिबल एक एक हमने डीपीएसपी देखा जहां पर दिखा हुआ था कि स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी है पब्लिक हेल्थ को बढ़ावा दे और लोगों में न्यूट्रिशन बढ़ाए नाउ द गवर्नमेंट हैज मेड सेवरल लॉज रिलेटेड टू दैट ठीक है तो गवर्नमेंट ने उस प्रिंसिपल को फॉलो किया है एज अ स्टेट पॉलिसी उसके ऊपर लॉ बनाए हैं एंड द एग्जीक्यूटिव हैज इंप्लीमेंटेड दोज लॉज बट देन एक डीपीएसपी आर्टिकल 44 कहता है कि देश के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए अब यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए यह फंडामेंटल राइट नहीं है ये डीपीएसपी है मतलब कि ये इंप्लीमेंट नहीं हुआ है पिछले 70-75 सालों में बट उसके बावजूद भी इस के लिए कोई कोर्ट नहीं गया है इसके लिए कोई कोर्ट जा नहीं सकता है गवर्नमेंट के अगेंस्ट कि गवर्नमेंट की ये रिस्पांसिबिलिटी थी उन्होंने पूरी नहीं की गवर्नमेंट की रिस्पांसिबिलिटी है बट ये रिकमेंडेशन है कि गवर्नमेंट को कोशिश करनी चाहिए कि देश के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड हो रिकमेंडेशन है अगर वो चाहे तो कर सकते हैं अगर उनके पास कंसेंसस हो अगर उनका मन हो तो वो कर सकते हैं हाउ एवर बट डीपीएसपी होने की वजह से व और एनीबडी एल्स इन द कंट्री कांट कंपल देम टू डू इट मतलब कि वी कैन नॉट मेक देम फोर्स देम नहीं कर कर सकते हैं हम उनको कोर्ट जाके दैट इज व्हाट द डिफरेंस बिटवीन द जस्टिस एबिलिटी एंड द नॉन जस्टिस एबिलिटी इज एंड डायरेक्टिव है नॉन जस्टिसिएबल नो डाउट्स अबाउट इट बट जरूरत पड़ने पर कोर्ट्स इनको यूज कर सकती है किसी की लॉ की कांस्टीट्यूशनल वैलिडिटी को चेक करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कभी-कभी कहा है कि अगर कोई ऐसा लॉ हो जो कि बेसिकली किसी डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए हो तो हम उसको एक रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन मान सकते हैं आर्टिकल 14 और आर्टिकल 9 अगेंस्ट 19 के अगेंस्ट नॉट नाना आर्टिकल 19 के अगेंस्ट व्हाट ट मीस टू से देखो आर्टिकल 13 क्या कहता है आर्टिकल 13 कहता है कि एनी लॉ जो कि फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करेगा वुड बी डिक्लेयर्ड ए अनकंस्टीट्यूशनल फाइन सेकंड डीपीएसपी जो है वो अन नॉन जस्टिसिएबल है बट सुप्रीम कोर्ट है सेड कि कोई लॉ अगर डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए बनाया गया है एंड इन दैट परस्यूट अगर हाइपोथेटिकली वो आर्टिकल 14 को या आर्टिकल 19 को वायलेट कर करता है तो हम उसको रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन मान के उस लॉ को कॉन्स्टिट्यूशन बोल देंगे दैट वुड बी कंसीडर्ड अ कॉन्स्टिट्यूशन लॉ अभी आगे आएगा आ क्या नाम है 39 बी और 39 सी के कांसेप्ट में बट यू गेट दी आइडिया फ्रॉम हियर ऑनवर्ड चलिए क्लासिफिकेशन अ फंडामेंटल राइट्स की जो क्लासिफिकेशन है छह प्रकार के फंडामेंटल राइट्स होते हैं दैट इज गिवन इन द कॉन्स्टिट्यूशन नाउ हमारे संविधान में डीपीएसपी की क्लासिफिकेशन नहीं है म लाइक इट इज नॉट क्लासिफाइड बस रैंडम ला लाइनस लिखे हुए हैं 39 से लेके 51 तक बस आर्टिकल लिखे हुए हैं ठीक है एकेडमिकली उसकी कुछ क्लासिफिकेशन हुई है ऑन द बेसिस ऑफ द नेचर ठीक है द कांस्टिट्यूशन डजन कंटेन एनी क्लासिफिकेशन ऑफ दैट बट उनके कंटेंट के बेसिस पर अ उनको क्लासिफाई कर दिया गया है तीन तरीके से तो किसी भी किताब में पढ़ोगे तो एकेडमिकली तीन क्लासिफिकेशंस दी जाती है एक तो होती है सोशलिस्टिक एक होती है गांधियन और एक होती है लिबरल इंटेलेक्चुअल नाउ रिमेंबर कुछ बुक्स के अंदर कभी-कभी चौथी क्लासिफिकेशन भी होती है मिसलेनियस कुछ बुक के अंदर अ एक क्लासिफिकेशन होती है इंटरनेशनल ठीक है यू डोंट हैव टू वरी अबाउट एनी ऑफ दैट लक्ष्मीकांत में तीन दी हुई है तीन याद करो कभी गलती से कहीं पे आपने किसी दूसरे फ्रेंड की बुक में कि आपने देखा कि पियरसन की बुक में तो सर पांच दे रखे थे चार दे रखे थे तो पैनिक मत करना और ये मत सोचना फोमो मत ले आना दिमाग में कि ओ माय गॉड वो वाली किताब में ज्यादा लिखा हुआ है भाई उसको पढ़ना जरूरी है डजन मैटर यूपीएससी और द पीपल हु आर सेटिंग द एग्जाम नोज दैट दिस इज नॉट अ कंसर्न इसकी कोई खास चिंता की कोई आवश्यकता है नहीं तो आराम से आप बिना चिंता के सिर्फ तीन याद करेंगे सो हमारे डीपीएसपी आर्टिकल नंबर 39 से 38 से लेके 51 तक टोटल तीन भागों में डिवाइडेड है ठीक है एक तो ऐसे प्रिंसिपल जो कि सोशलिस्टिक प्रिंसिपल्स है और एक ऐसे प्रिंसिपल्स जो कि गांधियन आइडियाज से हैं और देन देयर आर सम लिबरल इंटेलेक्चुअल प्रिंसिपल्स एग्जांपल के तौर पे बताता हूं देखो अ सोशलिस्टिक प्रिंसिपल्स वो होंगे जो कि सोशलिज्म की आइडियो जीी को रिफ्लेक्ट करते होंगे द आइडियो जीी ऑफ द सोशलिज्म सोशलिज्म क्या होता है सोशलिज्म इज समथिंग वेयर द स्टेट द गवर्नमेंट एज सच अ टेक्स सर्टेन स्टेप्स फॉर द वेलफेयर ऑफ द पीपल दैट इज द फर्स्ट मीनिंग ऑफ दी सोशलिज्म ठीक है मतलब कि स्टेट जो है इन सर्टेन मैनर्स इकॉनमी को कंट्रोल करती है इकॉनमी के एक पार्ट को कंट्रोल करती है और स्टेप्स लेती है अ जो डाउन टॉड है जो अंडर प्रिविलेज्ड है उनको बेसिकली हेल्प करने की इन चीजों को कहा जाता है जनरल सोशलिस्टिक ये इससे आइडिया इससे एसोसिएटेड जो आइडियाज होंगे दो दोज वुड बी कॉल्ड एज द सोशलिस्टिक आइडियाज तो अभी हम जब यह डीपीएसपी देखेंगे ये आर्टिकल 38 39 39a 41 42 43 और 43a एंड 47 का फर्स्ट पार्ट ये जो सारे के सारे डीपीएसपी हैं ये ऐसे डीपीएसपी है जो कि सोशलिस्टिक आइडियो जीी से इन्फ्लुएंस है एक एग्जांपल देते हैं आर्टिकल नंबर 38 का आर्टिकल नंबर 38 कहता है कि स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी है या पॉलिसी होनी चाहिए टू प्रमोट द वेलफेयर ऑफ द पीपल बाय सिक्योरिंग अ सोशल ऑर्डर परमीटेड बाय जहां पर उनको न्याय मिल सके सोशल इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल एंड टू मिनिमाइज इक्वालिटीज इन इक्वालिटीज इन इनकम स्टेटस फैसिलिटी एंड द अपॉर्चुनिटी सोशलिज्म का मतलब कि समाज की जो जो समाज की दौलत है वो सबको बेसिकली इक्वली बिलोंग करती है एंड द स्टेट अकॉर्डिंग टू आर्टिकल नंबर 38 शैल एक्चुअली ट्राई कि बेसिकली हर एक इंसान को न्याय मिल सके तीनों प्रकार का बेसिकली सोशल इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल और जो इन इक्वालिटीज होती हैं इनकम में या स्टेटस में फैसिलिटी में अपॉर्चुनिटी में उनको बेसिकली मिनिमाइज करें स्टेट शुड टेक सम सर्टेन स्टेप्स टू मिनिमाइज दैट राइट सोशलिस्टिक आइडियो का ये प्रिंसिपल है और इसी को बेसिकली हमारे डीपीएसपी में पहला डीपीएसपी है आर्टिकल 38 का देन आर्टिकल नंबर 39 टू सिक्योर द राइट टू द एडिक्ट मींस ऑफ द लाइवलीहुड फॉर ऑल सिटीजंस है ना सारे हर एक नागरिक को बेसिकली लाइवलीहुड बनाने का अधिकार हो और मिले उनके पास तो पहले एक बार आगे पढ़ने से पहले डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स ऑफ़ द स्टेट पॉलिसी के ये तीन डिफरेंशियल एंड द लिबरल इंटेलेक्चुअल नाउ यू डोंट हैव टू स्ट्रेस अबाउट इट आपको पूरा स्ट्रेस नहीं लेना है कि सर मुझे याद करने पड़ेंगे कि गांधियन कौन से हैं लिबरल इंटेलेक्चुअल कौन से हैं सोशलिस्टिक कौन से हैं यू विल बी एबल टू डू इट अ इन तीनों की जो क्लासिफिकेशन है इफ यू अंडरस्टैंड दिस थ्री कॉन्सेप्ट्स ऑफ गांधियन सोशलिज्म एंड द लिबरल इंटेलेक्चुअल तो ये ऑटोमेटिक याद हो जाएंगे याद नहीं होने पे देखो गांधियन वाले सबसे आसान है ठीक है पता चल जाएगा विलेज पंचायत से रिलेटेड होंगे अल्कोहल से रिलेटेड होंगे कॉटेज इंडस्ट्री से रिलेटेड होंगे गांधियन जो आइडियाज हैं वो बहुत ही बेसिक है कॉमन है तो वो आसानी से निकल जाएंगे उसके बाद सोशलिज्म भी इजली आइडेंटिफिकेशन नंबर 39 के अंदर 39 के कई सारे सेक्शंस है आर्टिकल 39a 39 बी 39c 39d 39e तो आर्टिकल नंबर 39 जो पूरा का पूरा है वो एक सोशलिस्टिक डीपीएसपी है सोशलिस्टिक डीपीएसपी में अ जैसे कि सबसे पहले हम पॉइंट ए देखेंगे तो पॉइंट ए है द राइट टू एडिक्ट मींस ऑफ लाइवलीहुड ऑफ ऑल सिटीजंस ठीक है लोगों को एडिक्ट मींस देना चाहिए इक्विटेबल डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ मटेरियल रिसोर्सेस कम्युनिटी के जो कॉमन गुड्स हैं उनको इक्वली डिस्ट्रीब्यूटर चाहिए गवर्नमेंट को ऐसी पॉलिसीज बनानी चाहिए कंसंट्रेशन ऑफ वेल्थ को और मींस ऑफ प्रोडक्शन को बेसिकली कंसंट्रेट करने से रोकना चाहिए इन दोनों को ध्यान से देखो ये इंपॉर्टेंट है अगर कोई दो डीपीएसपी सबसे इंपॉर्टेंट है तो कौन से हैं दीज आर द वन 39 बी एंड 39 सी ये दोनों के दोनों सबसे महत्त्वपूर्ण और सबसे इंपॉर्टेंट डीपीएसपी है इनको थोड़ा ध्यान से इवन इफ यू आर नॉट एबल टू अंडरस्टैंड ट्राई टू शाउट देम लाउड इन योर माइंड 39 बी और 39 सी यह कहता है कि गवर्नमेंट को ऐसे स्टेप्स लेने का रिस्पांसिबिलिटी है दे शुड डू इट ताकि जो कॉमन गुड है वो इक्वली डिस्ट्रीब्यूटर हो सोसाइटी के अंदर द फर्स्ट वन द सेकंड वन इज दैट कि किसी भी मतलब गवर्नमेंट को रोकना चाहिए कि जो वेल्थ है वो कुछ सिंगल हैंडेड में क्या नाम है कंसंट्रेट ना हो मींस ऑफ प्रोडक्शन कुछ ही हैंडेड में कंसंट्रेट ना हो नाउ यू वुड एक्चुअली सी कि जनरली आजकल जो कंसंट्रेशन ऑफ वेल्थ है वो होती जा रही है मींस ऑफ प्रोडक्शन जो है वो कंसंट्रेटेड है सो इज गवर्नमेंट फॉलोइंग दिस पर्टिकुलर डीपीएसपी नाउ रिमेंबर दिस इज नॉन जस्टिसिएबल सो इट कैन नॉट बी कंपल टू बी फॉलो एंड ओवर द पीरियड ऑफ द टाइम जब कांस्टिट्यूशन बना था तो 1950 से लेकर 1990 तक इंडिया डिड हैड व्हेन इट कम्स टू इकॉनमी एंड पॉलिटिकल हमारा थोड़ा सा जो इंक्लिनेशन था वह सोशलिज्म की तरफ था लेकिन 1991 के बाद व्हेन वीी अशड इन द न्यू इकोनॉमिक रिफॉर्म्स व्हिच इज कॉल्ड एज द एलपीजी राइट अ प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन ये जो वाले रिफॉर्म्स थे उसके बाद हमारा जो इंक्लिनेशन सोशलिज्म की तरफ था वह हमने वहां से लेके अब हम थोड़ा सा कैपिटल ज्म की तरफ बेसिकली क्या नाम है इंक्लाइंड कर चुके हैं हमारी जो प्रोक्लीविटी है वो कैपिटल िक आइडियाज की तरफ ज्यादा है सो दीज टू आर इन द कॉन्स्टिट्यूशन लेकिन इनकी रेलीवेंस आती है फंडामेंटल राइट्स के कॉन्टेक्स्ट में फंडामेंटल राइट्स के कॉन्टेक्स्ट में अ वैसे अभी के लिए पॉइंट को ध्यान रखना कि ये फंडामेंटल राइट्स से के रिलेशन में भी इंपॉर्टेंट है बाकी हम बाद में बात करते हैं ठीक है सो 39 डी में कुछ-कुछ 39 में ऐसे लिखा हुआ इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क फॉर मेन और वमन अगर महिलाएं और पुरुष जो है इक्वल काम करें तो उनको बेसिकली पैसे भी इक्वल मिलने चाहिए प्रिजर्वेशन ऑफ हेल्थ ऑफ वर्कर एंड चिल्ड्रन अपॉर्चुनिटी फॉर हेल्दी डेवलपमेंट ऑफ चिल्ड्रन एंड सो ऑन एंड ऑन ये आर्टिकल नंबर 39 के अंदर कुछ पॉइंट्स दिए गए हैं जो कि बेसिकली सोशलिस्टिक प्रिंसिपल्स हैं एंड द स्टेट शुड एक्चुअली फॉलो देम उसके बाद आर्टिकल नंबर 39 ए में लिखा गया है कि गवर्नमेंट की रिस्पांसिबिलिटी है कि इक्वल जस्टिस को प्रमोट करें और अगर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता है तो उसको फ्री लीगल एड प्रोवाइड कराई जाए ये डीपीएसपी है ये नॉन जस्टिसिएबल है ठीक है लेकिन गवर्नमेंट ने एक लॉ बनाया है इस प्रिंसिपल की वजह से इस प्रिंसिपल को दिमाग में रख के गवर्नमेंट ने एक लॉ बनाया है फॉर द पीपल हु कैन नॉट अफोर्ड एनी लीगल एड द गवर्नमेंट प्रोवाइड्स देम अ लीगल एड यही इन डीपीएसपी की इंपॉर्टेंस है वन ऑफ द मोस्ट इंपॉर्टेंस कि जरूरी नहीं है ये नॉन जस्टिसिएबल हो लेकिन इनको दिमाग में रख के लेजिसलेशन की जाती है और ऑलमोस्ट हर एक डीपीएसपी इस पे कर भी रखी है सब पे कर रखी है एंड टू सिक्योर द राइट टू वर्क आर्टिकल 41 कहता है कि स्टेट की रिस्पांसिबिलिटी है कि राइट टू वर्क सिक्योर किया जाए हर एक इंडिविजुअल को जॉब मिल सके टू एजुकेशन किया जाए टू पब्लिक असिस्टेंसिया गवर्नमेंट की कुछ स्कीम्स के बारे में सुना होगा अन एंप्लॉयड लोगों को क्या नाम है बेरोजगारी भत्ता मिलता है ओल्ड एज पेंशंस देती है गवर्नमेंट जो स्कीम्स देती है सिकनेस में गवर्नमेंट कुछ सपोर्ट करती है अगर इंडिविजुअल डिसेबल हो जाता है फिजिकली डिसेबल मेंट हो जाती है सो गवर्नमेंट प्रोवाइड्स सम मनी और सम काइंड ऑफ अ हेल्प और एड व्हाई व्हाई डू दे डू इट बिकॉज़ दिस इज अ डीपीएस पीज और गवर्नमेंट टेक्स रिस्पांसिबिलिटी क्योंकि ये ऐसा हमारे कांस्टिट्यूशन में लिखा हुआ है सो ऑन एंड ऑन एंड देन देयर आर अ दिस वन आर्टिकल 42 आर्टिकल 42 में लिखा हुआ है कि गवर्मेंट की रिस्पांसिबिलिटी है कि ह्यूमन वर्क कंडीशंस एस्टेब्लिश करें और मैटरनिटी रिलीफ दिया जाए राइट राइट एंड अपने अब सोच के देखोगे कि तुम्हें पता चलेगा हां सर इससे रिलेटेड लॉज एजिस्ट करते हैं मैटरनिटी रिलीफ से मैटरनिटी बेनिफिट्स मिलते हैं मैटरनिटी क्या नाम है पेड लीव्स मिलती हैं देन आर्टिकल 4 थू कहता है टू सिक्योर अ लिविंग वेज अ डिसेंट स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ सोशल एंड कल्चरल अपॉर्चुनिटी फॉर ऑल वर्कर्स गवर्नमेंट को रिस्पांसिबिलिटी होनी चाहिए जनरली जब भी वर्ड वर्कर देखो तो समझ लेना कि वो सोशलिस्टिक प्रिंसिपल से रिलेटेड होगा एनीथिंग दैट इज रिलेटेड टू दी बेनिफिट और वेलफेयर जहां पे गवर्नमेंट को बेसिकली कुछ करना पड़े सोसाइटी के लिए दैट वुड बी अ सोशलिस्टिक प्रिंसिपल गवर्नमेंट को एक आर्टिकल 43a में लिखा हुआ है कि गवर्नमेंट स्टेट द वर्ड स्टेट मैं यूजुअली स्टेट के साथ वर्ड गवर्नमेंट यूज़ कर देता हूं स्टेट एक्चुअली में एब्स्ट्रेक्ट कांसेप्ट है अब स्टेट खुद आके कुछ नहीं करता है एक्चुअली में तो गवर्नमेंट या फिर लेजिस्लेटर या फिर पार्लियामेंट करता है सो ये तीनों चीजें सिनोनिम की तरफ चलते हैं आई होप यू अंडरस्टैंड द कॉन्टेक्स्ट व्हेन आई यूज दिस वर्ड टू टेक स्टेप्स टू सिक्योर द पार्टिसिपेशंस ऑफ वर्कर्स इन दी मैनेजमेंट ऑफ दी इंडस्ट एंड टू रेज द लेवल ऑफ द न्यूट्रिशन एंड द स्टैंडर्ड एंड टू इंप्रूव द पब्लिक हेल्थ आर्टिकल 47 यह सारे के सारे जो आर्टिकल्स हैं दज आर्टिकल्स बेसिकली आर द सोशलिस्टिक डीपीएसपी अब मैं पहले से फिर से याद दिलाता हूं जो भी बच्चे इस समय बैठे हुए हैं लाइव मेरे सामने देखो क्या है सिस्टम बेटा यही है इतना ही है यह चैप्टर खोलना है और आर्टिकल 43a पढ़ लेना है और उसमें कोई डिबेट और कोई ज्यादा संभावनाएं नहीं है उसके अंदर सिंपल ये स्टेटमेंट लिखी हुई है कि गवर्नमेंट को स्टेप्स लेने चाहिए टू सिक्योर द पार्टिस पशन ऑफ वर्कर्स इन द मैनेजमेंट ऑफ द इंडस्ट्रीज और फिर आप नोटिस करोगे कि गवर्नमेंट ने पिछले 70 सालों में ऐसे कुछ लॉज बनाए होंगे जिससे वर्कर्स बेसिकली इंडस्ट्रीज की मैनेजमेंट में पार्टिसिपेट कर सके दैट इज हाउ इट इज उसके बाद देन देयर आर सर्टेन गांधियन प्रिंसिपल्स जो कि आप नोटिस करोगे तो वो जनरली गांधी के आइडिया से रिलेटेड है गांधी के आईडिया से कौन-कौन सी चीजें रिलेटेड है ऑर्गेनाइज विलेज पंचायत आर्टिकल नंबर 40 में लिखा गया है कि भाई कोशिश करनी चाहिए विलेज के अंदर पंचायत बनाए इसके लिए अब ये वाला डीपीएसपी था यह 1950 में ऐड कर दिया था कांस्टिट्यूशन के अंदर 1950 में ऐड था 1992 में और 1993 में जाके हमने कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट करके विलेज पंचायत को कांस्टीट्यूशनल बॉडीज बना दिया इसी डीपीएसपी के चलते देन प्रमोट कॉटेज इंडस्ट्रीज ऑन एन इंडिविजुअल और कोऑपरेशन बेसिस इन द रूरल एरियाज आर्टिकल 43 अब गवर्नमेंट प्रमोट करती है कॉटेज इंडस्ट्रीज को एंड देन प्रमोट द कोऑपरेटिव्स मैनेजमेंट ऑफ द कोप सोसाइटीज आर्टिकल नंबर 43 बी 4043 बी ठीक है सो ये कोऑपरेटिव सोसाइटीज अ कॉटेज इंडस्ट्रीज विलेज पंचायतस ये आईडिया किसके हैं महात्मा गांधी से एसोसिएटेड है ट प्रमोट द एजुकेशनल एंड इकोनॉमिक इंटरेस्ट ऑफ एससी एसटी एंड अदर वीकर सेक्शंस ऑफ द सोसाइटी आर्टिकल नंबर 46 टू प्रोहिबिट द कंजमपट्टी ड्रग्स को बैन करना तो मैं भी सपोर्ट करता हूं बैन करने भी चाहिए य शुड प्रोहिबिट द कजम ऑफ एवरी काइंड ऑफ ड्रग्स एक्सेप्ट फ्यू ड्रग्स ी शुड न ल फ फ्यू ड्रग शुड बन शुड वी शुड नॉट शुड नॉट अलाउ देम बट व शुड नॉट बन देम ल् बट कंजमेटिंग ड्रिंक्स को ही बैन कर देना आ लवेज हैड प्रॉब्लम वि दिस डीपीएस पी आ टेल यू वई रीजन बी आई कीप न इमेजिनिंग की आप में से कोई ना कोई लड़का या लड़की किसी ना किसी दिन आईएएस आईपीएस एग्जाम क्लियर करेंगे ल आई एम सेइंग इजट हाउ आर यू गोइंग टू सेलिब्रेट नट डे ओके फाइन यू डोंट कंज्यूम इंटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स आई गिव य आई रिस्पेक्ट यू फॉर द ओके बट व्ट अबाउट योर फ्रेंड्स हा आर यू गोइंग टू मेक देम सेलिब्रेट विद यू नाउ गांधी जी का मैं बहुत रिस्पेक्ट करता हूं सो गांधी जी वाज 100% राइट वन ही सेड दैट कि वी शुड प्रोहिबिटेड द कजम ऑफ द इंटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स एंड ड्रग्स चच आर इंजुन जवाहरलाल नेहरू जी ही यूज टू कंज्यूम सम इंटॉक्सिकेटिंग ड्रक्स आई डोंट नो आईम जस्ट अजूम दैट कि महात्मा गांधी जी वाज अ बिग सपोर्टर ऑफ ऑफ प्रोहिबिशन ऑफ इंटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स बट जवाहरलाल नेहरू इज द पर्सन आई वुड गो विद दिस एंड टू प्रोहिबिट द स्लॉटर ऑफ द काउस कव्स अदर मिल्क एंड द मिल्क एंड द ड्रॉट कैटल टू इंप्रूव देयर ब्रीड्स ऑफ द आर्टिकल नंबर 48 में ये गांधियन प्रिंसिपल्स है एंड इनके अगेंस्ट सारे के सारे बेसिकली कुछ इस प्रकार के लॉज बने भी हुए हैं ऑल रिलेटेड टू दिस एंड दैट इज वई इन गुजरात द कंजमपट्टी इज बेसिकली प्रोहिबिटेड बिकॉज़ दैट इज दी लैंड ऑफ दी महात्मा गांधी महात्मा गांधी जी का जन्म कहां हुआ था पोरबंदर गुजरात में प्रेसा इजली एंड देन देयर आर सर्टेन लिबरल इंटेलेक्चुअल प्रिंसिपल्स सिंपल है लिबरल इंटेलेक्चुअल प्रिंसिपल्स में आर्टिकल नंबर 44 ऑल सिटीजंस एक यूनिफॉर्म सिविल कोड बनना चाहिए थ्रू आउट द कंट्री फॉर द पीपल हु डू नॉट नो देश के अंदर जो क्रिमिनल लॉज हैं वो सबके लिए कॉमन है एवरी सिंगल पर्सन सबके ऊपर सेम काइंड ऑफ क्रिमिनल लॉ लगता है परंतु जो सिविल लॉज होते हैं वो बेसिकली अलग-अलग होते हैं कभी-कभी मतलब देयर आर सम डिफरेंसेस सो मुस्लिम्स के ऊपर मुस्लिम सिविल लॉ लगता है हिंदू के ऊपर हिंदू सिविल लॉ लगता है क्रिश्चन के ऊपर क्रिश्चन सिविल लॉ डिफरेंसेस के साथ लगता है सो मतलब सिविल लॉ अलग-अलग कम्युनिटीज का डिफरेंस है क्रिमिनल लॉ बेसिकली पूरे के पूरे सारे के सारे भारतीय नागरिकों का सेम है सो द कांस्टिट्यूशन सेज दैट द गवर्नमेंट शैल ट्राई इफ पॉसिबल देर शैल बी अ यूनिफॉर्म सिविल कोड एज देयर इज अ यूनिफॉर्म क्रिमिनल कोड सिमिलरली पैरेलली देर शल बी यूनिफॉर्म सिविल कोड टू बट यह डीपीएसपी नॉन जस्टिसिएबल है हेंस इट हैज नॉट बीन इंप्लीमेंटेड यट एंड इट नोबडी कैन कंपल एनीबडी टू डू इट बट हां राइट नाउ आई थिंक आपने रिसेंटली कुछ कंट्रोवर्सीज या फिर कुछ न्यूज़ सुनी होगी वेयर द गवर्नमेंट माइट एक्चुअली हैव स्टार्टेड द डिस्कशन कि पूरे देश के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड होना चाहिए या नहीं होना चाहिए ये एक्चुअली में डिस्कशन स्टार्ट हो चुकी है आर्टिकल 45 टू प्रोवाइड अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड द एजुकेशन इसके बारे में मैं चलो अभी बता देता हूं पहले आर्टिकल नंबर 45 एक डीपीएसपी था और इसके अंदर लिखा हुआ था कि 6 से 14 साल के बच्चों की जो एजुकेशन है उसकी रिस्पांसिबिलिटी लेनी चाहिए स्टेट को बट देन इन द 2002 86 86 वा 86 जो कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट हुआ उसमें क्या किया गया उसमें इस डीपीएसपी को बना इसको एक फंडामेंटल राइट में कन्वर्ट कर दिया सो 6 से 14 साल के बच्चे की प्राइमरी एजुकेशन अब एक फंडामेंटल राइट है सो यह खाली हो गया था पूरा का पूरा तो यहां पे छह से नीचे के लिए लिख दिया गया कि अब 6 साल से नीचे के बच्चे की एजुकेशन और उसकी अर्ली चाइल्डहुड केयर की रिस्पांसिबिलिटी स्टेट को लेनी चाहिए सो नाउ रिमेंबर जस्ट वेरी सिंपल न्यू एंस कि जीरो से 6 साल के बच्चे की जो एजुकेशन है दैट इज नॉट अ फंडामेंटल राइट 14 साल से ऊपर के जो बच्चे की एजुकेशन है वो भी फंडामेंटल राइट नहीं है 6 से 14 साल के बच्चे की जो प्राइमरी एजुकेशन है अब दैट इज अ फंडामेंटल राइट यह बात ध्यान रखेंगे आप ठीक है ऑर्गेनाइज एग्रीकल्चर एंड एनिमल हसबेंडरी ऑन द मॉडर्न एंड द साइंटिफिक लाइंस जैसे ही मॉडर्न और साइंटिफिक लाइंस की बात आ जाए तो बेसिकली लिबरल और इंटेलेक्चुअल हो जाएगा अ फॉरेस्ट को वाइल्ड लाइफ को सेफगार्ड कीजिए 48a प्रोटेक्ट मॉन्यूमेंट्स एंड द हिस्टोरिकल ऑब्जेक्ट्स इंटरेस्ट के लिए 49 जुडिशरी और एग्जीक्यूटिव को सेपरेट करेंगे आर्टिकल 50 एंड इंटरनेशनल पीस बना के रखनी चाहिए स्टेट को ये है हमारा आर्टिकल नंबर 51 वेरी सिंपल आर्टिकल कोई कंफ्यूजन वाला नहीं है आर्टिकल 51 टू प्रमोट इंटरनेशनल पीस एंड सिक्योरिटी मेंटेन जस्ट एंड द नरेल रिलेशंस बिटवीन द नेशंस ट एंड दू फास्टर रिस्पेक्ट फॉर द इंटरनेशनल लॉज एंड ट्रीटी एंड ऑब्लिगेशंस टू इंक्रीज सेटलमेंट ऑफ द इंटरनेशनल डिस्प्यूट्स बाय द आर्बिट्रेशन राद दन एक्चुअली कॉन्फ्लेट्स एंड द वर्स राइट ऐसे लिखा नहीं बट मोस्ट प्रब उसका मतलब यही है ठीक है ये सारे के सारे इंटेलेक्चुअल वाले प्रिंसिपल्स है नाउ ये पहले से थे हमने सारे कर लिए हैं लेकिन इसमें सिर्फ एक सिंपल क्लासिफिकेशन दे देते कि कुछ बाद में अमेंडमेंट के बाद ऐड हुए हैं ठीक है 1950 में जो डीपीएसपी थे वो थे टोटल सेवन वो अमेंडमेंट से ऐड हुए हैं हमने कर लिए अभी लेकिन अभी बस ध्यान से एक नई क्लास ध्यान रखने के लिए तो पहले आ 42 अमेंडमेंट था मतलब कि 1950 से लेके 1976 तक तो कोई भी डीपीएसपी में कोई चेंज नहीं हुआ नन व्ट सो एवर ठीक है कोई चेंज नहीं हुआ लेकिन उसके बाद से लेके आज तक टोटल सेवन नए डीपीएसपी ऐड किए गए हैं सिंपल ऑब्जेक्टिव फैक्ट है 1976 में 42 व संशोधन 42 अमेंडमेंट वन ऑफ द मोस्ट इंपोर्टेंट कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट सम टाइम्स कॉल्ड एज द मिनी कॉन्स्टिट्यूशन आल्सो इसने टोटल चार डीपीएस एसपी ऐड किए थे इसने बेसिकली पूरे कॉन्स्टिट्यूशन में हर जगह पे चेंजेज किए थे तो डीपीएसपी में भी किए थे टू सिक्योर अपॉर्चुनिटी फॉर हेल्दी डेवलपमेंट ऑफ चिल्ड्रन आर्टिकल 39 में ये ऐड किया था आर्टिकल 39 ए ऐड कर दिया था टू प्रमोट इक्वल जस्टिस एंड द फ्री लीगल एड टू द पुअर काफी अच्छा है ये तो मैं इसके मेरे को ये बड़ा अच्छा लगता है ये वाला क्या नाम है डीपीएसपी जो है फ्री लीगल एड टू द पुअर वाला बहुत अच्छा है ये टू टेक स्टेप्स टू सिक्योर द पार्टिसिपेशंस ऑफ वर्कर इन द मैनेजमेंट ऑफ द इंडस्ट्रीज आर्टिकल नंबर 43a सोशलिस्टिक प्रिंसिपल था मैंने बताया ना कि पहले 30 साल से 40 साल तक सोशलिज्म की तरफ इंक्लाइंड थे हम और जो यह डेकेट था 1970 से लेकर 1980 का तो इसमें तो हम और यूएसएसआर के साथ इंक्लाइंड हो गए थे एसोसिएट हो गए थे राइट उस समय हमने 1974 में न्यूक्लियर अ टेस्ट कर दिया था तो जो ये वेस्टर्न कंट्रीज थी अमेरिकन कंट्रीज थी ये हमने उस समय काफी एंटाई इंडिया हो रखे थे तो उस समय सपोर्ट कौन करते थे हमको हमको यूएसएसआर सपोर्ट करते थे और हमारी जो इकॉनमी थी उसके अंदर एक इंक्लिनेशन था सोशलिस्ट की तरफ सॉर्ट ऑफ राइट ये मिक्स्ड इकॉनमी तो 1991 के बाद बनना स्टार्ट हुई है तो हम क्लोजर रिलेशन में चले गए थे तो उस समय हमारी जो पॉलिटिक्स हैं उनके अंदर सोशलिस्टिक आइडियाज का बेसिकली थोड़ा सा ज्यादा सपोर्ट या ज्यादा इन्फ्लुएंस हुआ करता था सो हेंस ये वर्कर्स का मैनेजमेंट ऑफ इंडस्ट्रीज में प्रमोट करना आर्टिकल 43 भी ए में ऐड कर दिया गया एंड देन आर्टिकल 48a टू प्रोटेक्ट एंड इंप्रूव दी एनवायरमेंट एंड टू सेफगार्ड फॉरेस्ट एंड द वाइल्ड लाइफ जितनी भी एनवायरमेंटल मूवमेंट्स हैं ग्लोबल वार्मिंग की जो मूवमेंट्स हैं यूनाइटेड नेशंस की वो जो बड़ी-बड़ी ऑर्गेनाइजेशंस है जो कि एनवायरमेंट से रिलेटेड है यू वुड रियलाइफ कि इन सब का जो जेनेसिस है वो 1960 से 1980 के बीच में हुआ है यू वुड आल्सो रियलाइफ एनवायरमेंट के स्टेप्स हैं ला जैसे कि प्रोजेक्ट टाइगर हो गया या वाइल्ड लाइफ एक्ट हो गया ये भी 1970 से लेकर 1980 के बीच में इनिशिएटिव जो कॉन्शियस निस थी वो बेसिकली गेन कर रही थी अ राइज कर रही थी हेंस ये दोनों के दोनों नो टाइम की रिफ्लेक्शन है टाइम की रिफ्लेक्शन इंडिया के उस समय के टाइम की ये हम पॉलिटिक्स में सोशलिस्टिक प्रिंसिपल्स थे एंड एनवायरमेंट वाज आल्सो गेनिंग द करेंसी ठीक है और उसके बाद दो और बता देता हूं ये एक ये हो गया और एक ये वाला हो गया और एक ये वाला हो गया ठीक है 44th अमेंडमेंट ने एक और डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऐड किया व्हिच रिक्वायर्स स्टेस टू मिनिमाइज इक्वलिटी इन इनकम स्टेटस फैसिलिटी एंड द अपॉर्चुनिटी जो कि आर्टिकल नंबर 38 में ऐड किया गया है फिर उसके बाद कई सालों तक कुछ चेंज नहीं हुआ 2002 में आर्टिकल 45 जो था उसको तो हमने एग्जैक्ट उसमें जो वर्डिक थी ना 6 से 14 साल के बच्चों को एजुकेशन देनी है वो एग्जैक्ट उसको तो हमने फंडामेंटल राइट कर दिया तो यह बढ़ गया खाली अब बिल्कुल तो यहां पे 6 से साल के बिलो के लिए सो अ आर्टिकल 45 वाज एलिमेंट्री एजुकेशन फंडामेंटल राइट बन गई आर्टिकल 21a के अंदर और जो अमेंडेड डायरेक्टिव था स्टेट को कर दिया हमने मतलब नया डायरेक्टिव प्रिंसिपल बनाया अमेंड करके स्टेट अर्ली चाइल्डहुड केयर और एजुकेशन फॉर ऑल चिल्ड्रन अंट्स इयर्स अब स्टेट क्या करती है कि 6 साल से नीचे के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की कोशिश करती है जितनी उसकी कैपेसिटी में हो पर हम कोर्ट नहीं जा सकते अगर उनसे मिस हो जाए तो गलती से गलती से मिस हो जाए तो एंड द 97 अमेंडमेंट एक्ट 2011 में इन्होंने एड किया आर्टिकल 43 बी एट नहीं है बी आर्टिकल 43 बी जो है वॉलंटरी फॉर्मेशन कोऑपरेटिव बॉडी से रिलेटेड है कोऑपरेटिव सोसाइटी से रिलेटेड है दैट इज इट बस इतना ही हमारा ये छोटा सा डीपीएसपी है दैट इज इट सवाल ये है कि ये जितने भी हमारे डीपीएस पीज हैं इनके पीछे सैंक्शन कहां से आता है अ ये मतलब कुछ पढ़ने बढ़ने की जरूरत नहीं है इसका सिंपल सा कहने का मतलब है कि देखो नॉन जस्टिसिएबल है तो इनकी वैल्यू क्या हुई वेल इसके ऊपर सैंक्शंस आता है पॉलिटिकली एज द अकडम एक्चुअली से कि अगर जो स्टेट है या जो पॉलिटिशियन है वो इन डीपीएसपी प्रिंसिपल्स को फॉलो नहीं करेंगे तो प्रोबेबली दे बूटेड आउट इन द इलेक्शंस एंड दैट इज व्हाई द डीपीएसपी गेट सक्शन फ्रॉम द पीपल यह बात है बेसिकली जो कि हमारे इस पैराग्राफ के अंदर लिखी गई है बी एन राव जो कि कांस्टीट्यूशनल एडवाइजर थे कांस्टीट्यूएंट असेंबली के उन्होंने कहा कि इंडिविजुअल्स के जो राइट है दो भागों में डिवाइड कर दो लॉजिकली एक जस्टिसिएबल और एक नॉन जस्टिसिएबल द आइडिया इज वेरी सिंपल देखो कुछ चीजें तो हम इमीडिएट कर सकते हैं और कुछ चीजें बेसिकली करने में थोड़ी सी मेहनत लगती है एंड आ यू कैन इमेजिन इट बाय अ सिंपल एनालॉजी लेट्स से कि इफ यू आर अ पेरेंट ऑ इफ यू आर अ पेरेंट इफ यू आर नॉट राइट नाउ वन डे यू विल बी इफ यू आर अ पेरेंट एंड इफ यू हैव अ किड तो उसकी ना दो प्रकार की डिमांड्स हो सकती हैं एक जो कि कंपलसरी पूरी करनी है एक जो कि इफ पॉसिबल पूरी करनी है सो उसको स्कूल जाना है और स्कूल बुक्स और बैग चाहिए ये कंपलसरी है राइट ये तो चाहिए ही चाहिए और उसको i चाहिए या आईपैड चाहिए ये अगर हमारे पास पैसे हैं तो हम दे सकते हैं अगर नहीं होंगे तो वी विल प्रोबेबली बाय ए चीपर फोन फॉर द पर्सन और फॉर द किड राइट सिमिलरली बीएन राव सेड कि राइट्स जो हैं इंडिविजुअल्स के इनको दो भागों में बांट दो एक तो जस्टिसिएबल जो हमारे कैपेसिटी है देने की वो तो दे दो इमीडिएट एंड देन जो राइट्स एक्चुअली में और देने चाहिए पर हमारी कैपेसिटी अभी देने की नहीं है उनको लिख तो दो कम से कम सो दैट इज व्हाट हैपेंड कि फंडामेंटल राइट्स थे पार्ट थ्री में ये वो वाले राइट्स हैं जो कि बेसिकली कंपलसरी कर दिए इमीडिएट जस्टिसिएबल एंड देन पार्ट फोर के अंदर बेसिकली सिटीजंस के वो वाले राइट्स हैं जो कि हैं उनके राइट्स बट टेक्निकली कंपलसरी नहीं कर पाए हैं बिकॉज़ दे डिपेंड कि गवर्नमेंट के पास कितने पैसे हैं कितने रिसोर्सेस हैं उनको पूरा करने के लिए दे आर नॉन जस्टिसिएबल बट दे आर फंडामेंटल इन दी गवर्नेंस ऑफ़ दी कंट्री और यूजुअली इट शैल बी द ड्यूटी ऑफ़ द स्टेट टू अप्लाई दीज प्रिंसिपल्स इन मेकिंग द लॉज तो दे इंपोज अ मोरल ऑब्लिगेशन नॉट अ लीगल फंडामेंटल राइट्स आर लीगल ऑब्लिगेशन बट द डीपीएसपी आर बेसिकली अ मोरल ऑब्लिगेशन ऑन द स्टेट अथॉरिटीज फॉर देयर एप्लीकेशन सो इनके पीछे जो सैंक्शन है जो फोर्स है वो है पॉलिटिकल पब्लिक ओपिनियन पब्लिक ओपिनियन का पॉलिटिकल लॉ से नहीं है लीगल नहीं है पब्लिक ओपिनियन और पॉलिटिकल इनके ऊपर सैंक्शन है अलादी कृष्ण स्वामी ईयर कहता है कि नो मिनिस्ट्री रिस्पांसिबल टू पीपल कैन अफोर्ड लाय हार्टडली टू इग्नोर द प्रोविजंस इन द पार्ट फोर ऑफ दी कांस्टीट्यूशन बी आर अंबेडकर भी कहते हैं ऐसी कोई भी गवर्नमेंट जो कि पॉपुलर वोट के ऊपर डिपेंड कर है वो डीपीएसपी को इग्नोर कर ही नहीं सकती है कोई भी इग्नोर करेगी तो बेसिकली इंडिविजुअल्स वुड बी क्वेश्चनेबल इन दी कोर्ट ऑफ द पीपल नॉट कोर्ट ऑफ द लॉ लोगों की पीपल में सो या अब लॉजिकली देखो ये तो अगर तुम खुद जज कर लोगे इस चीज को कॉमन वाली बात है इमेजिन मतलब योर फादर पेड अ द फीज फॉर योर स्कूल एंड द कॉलेज आपके पिताजी है आपके पेरेंट्स है आपकी फीस थी स्कूल की या कॉलेजेस की ठीक जितना कैपेसिटी था उतके हिसाब से वो स्कूल्स की फीस तो दे देते थे बट अब ब अब आपके लिए जब आप 18 या 20 साल के लिए आपके लिए इंप्लीमेंट देम तो जब 1950 में स्टार्ट हुआ कांस्टिट्यूशन तो कंट्री के पास रिस्पांसिबिलिटी नहीं थी कि हर 6 से 14 साल के बच्चों को एक्चुअली में एलिमेंट्री एजुकेशन दे दे बाय द ईयर 2000 वी फिगर्स सेस सो लेट्स डू इट तो हमने उसको फंडामेंटल राइट बना दिया एंड सो ऑन एंड ऑन वास डाइवर्सिटी एंड बैकवर्ड वुड स्टैंड इन द वे ऑफ देयर इंप्लीमेंटेशन कई जगह पे जैसे कुछ ऐसे ना पॉलिटिकली सेंसिटिव भी है जैसे कि यूनिफॉर्म सिविल कोड 1950 में उसको इंप्लीमेंट करने की कोशिश करते तो हमारे देश में डा इतनी थी कि वुड नॉट हैव बीन एक्चुअली वेरी मच इजली पॉसिबल द न्यूली बोर्न इंडिपेंडेंट इंडिया प्र कई सारे प्रीऑक्यूपेशंस थे तो हम बर्डन पर लखना नहीं चाहते थे हमने सोचा कि टाइम आने दो समय आने दो पैसे होने दो रिसोर्सेस होने दो वी विल एक्चुअली डू इट सो थोड़ा सा प्रगमेटिक व्यू रखा था एंड हेंस इनको लीगली एनफोर्सेबल नहीं बनाया गया दे बिलीव्ड कि पब्लिक ओपिनियन जो होगा वो इनको धीरे-धीरे इंप्लीमेंट करा देगा व्च दे वर करेक्ट अबाउट ऑलमोस्ट एवरी डीपीएसपी हैज कस्प लॉ टू इट हर एक डीपीएसपी से रिलेटेड लॉ एजिस्ट करता है एक दो छोटा मोटी छोड़ दो जैसे कि एक तो आर्टिकल 44 वाला छोड़ देते हैं ठीक आर्टिकल 44 यूनिफॉर्म सिविल कोड है तो आउट एंड राइट हमें पता है उससे रिलेटेड कुछ है नहीं ठीक है दूसरा 39 बी और सी जो कि सोशलिस्टिक प्रिंसिपल्स है अब वह सोशलिज्म ना एस एन आइडियो ही मोर और लेस साइडलाइन हो गई है अबन हो गई है इसके अलावा और 38 भी सोशलिज्म वाला ही है 38 और 39 बी और 39c और 44 इसको छोड़ दोगे तो हर डीपीएसपी के ऊपर एक लॉ एजिस्ट करता है उसको इंप्लीमेंट करने के लिए सो दे वर काइंड ऑफ राइट कि ठीक है टाइम आने दो हो जाएगा जिस जिसका भी जब जैसे-जैसे जरूरत पड़ेगी ठीक है एंड जस्ट इन केस इन अगर आपको अभी तक नहीं समझ में आया तो फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी के बीच में कुछ-कुछ डिस्टिंक्शन कर लेते हैं देखो फंडामेंटल राइट्स होते हैं नेगेटिव अब ये वर्ड नेगेटिव ना मुझे बड़ा अजीब लगता है नेगेटिव थोड़ी ना मतलब वो तो बहुत अच्छी चीज है यार अच्छी चीज को तो नेगेटिव का मतलब यह होता है कि वो स्टेट की पावर को कटेल करते हैं तो यह कांसेप्ट ना अजीब सा है मतलब टेक्निकली तो फंडामेंटल राइट कितनी पॉजिटिविटी वाले यू हैव अ फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन यू हैव अ फ्रीडम ऑफ रिलिजन यू हैव राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी दे तो दिस इज गुड राइट वी वांट दैट टू हैपन सो व्हाई आर वी कॉलिंग इट नेगेटिव वेल दे आर नेगेटिव फॉर द स्टेट इट इज द स्टेट हु कैन नॉट कटेल योर फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन तुम्हारे लिए तो स्टेट दुखी है इस बात से य बहुत नेगेटिव है सो स्टेट के लिए नेगेटिव होते हैं फंडामेंटल राइट बट स्टेट के लिए पॉजिटिव है डीपीएसपी दे वांट स्टेट टू डू समथिंग तो स्टेट के पास ऑप्शन है ये करने का यूनिफॉर्म सिविल कोड लगा दूंगा मैं मैं एनवायरमेंट की रक्षा कर दूंगा मैं एग्जीक्यूटिव और जुडिशरी को अ सेपरेट करके रखूंगा दैट इज मीन दे दे आर प्रोएक्टिवली अ फंडामेंटल राइट्स आर जस्टिसिएबल द डीपीएसपी आर ओबवियसली नॉन जस्टिस एबल अ फंडामेंटल राइट्स का मेन पर्पस क्या है पॉलिटिकल इक्वलिटी और पॉलिटिकल डेमोक्रेसी को क्रिएट करना राइट यू जस्ट अबॉलिश द अनटचेबिलिटी एंड पॉलिटिकली एवरी बडी इज इक्वल एवरीबॉडी हैज वन वोट ग्रेट बट द डीपीएसपी हैज अ स्लाइटली मच मोर यूटोपिया पर्पस ऑफ द सोशल एंड इकोनॉमिक डेमोक्रेसी है ना तो इसमें थोड़ा सा समय लगेगा टाइम लगता है फंडामेंटल राइट्स के ऊपर लीगल सैंक्शंस है नो डाउट अबाउट इट दे ओबवियसली हैव मोरल एंड पॉलिटिकल सैंक्शंस नो लीगल सक्श है दे प्रमोट द वेलफेयर ऑफ द इंडिविजुअल है ना फ्रीडम ऑफ स्पीच ऑफ एक्सप्रेशन इंडिविजुअल का प्रमोट किया जाता है यहां पे सोशली भाई वर्कर्स सोशल लीगल एड एक इंडिविजुअल को लीगल एड नहीं देना पूरे सोसाइटी में जिसको भी जरूरत है उसको देना है सो दे आर वेलफेयर ऑफ द कम्युनिटी सोसाइटी टेरियन और सोशलिस्टिक पर्पस ज्यादा है इसके लिए कोई अलग से लॉ नहीं बनाना पड़ता ये ऑटोमेटिक इंप्लीमेंट है डीपीएसपी भी इंप्लीमेंट किए जाते हैं पर इनके लिए अलग से एक लॉ बनाना पड़ता है ऑटोमेट मतलब बनाए गए हैं सारे के सारे लॉ एंड कोर्ट ऐसा कोई भी लॉ जो कि डीपीएसपी जो कि फंडामेंटल राइट से वायलेट करता हो उसको बेसिकली क्या कहते हैं इमीडिएट नॉन कॉन्स्टिट्यूशन डिक्लेयर कर देंगे डीपीएसपी को वायलेट अगर कोई लॉ करता हो तो इस बेसिस पर वह लॉ अनकंस्टीट्यूशनल नहीं हो पाता है ट इ इट तो डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स के बारे में जो लोग ले से कि आप में से कोई ना कोई इतनी बातें सुनके डायरेक्ट प्रिंसिपल्स के बारे में सम बडी माइट एक्चुअली से टू मी कि सर हे कन से कोई लीगल फोर्स तो है नहीं क कि डीपीएसपी सुपर फ्लू टीसी सर कुछ भी लिख दो इट्स अ चेक ऑन अ बैंक पेबल ओनली वन द रिसोर्सेस ऑफ द बैंक परमिट है ना मैंने आपको ₹ लाख का चेक दिया आप बैंक गए लेके एंड बैंक भी ला कि मेरे पास जिस दिन 10 लाख होंगे उस दिन दूंगा कभी भी हो सकते चाहे दो साल बाद चाहे 10 15 20 40 मतलब दे इज नो टाइम लिमिट टू इट कोई लीगल इसके ऊपर कोई कोई तो क्राइटेरिया होना चाहिए था इसको अप्लाई करने का टीटी कृष्ण मचारी दे आर अ वेरिबिग सेंटीमेंटल आदमी था ये लड़का देखो तो सही क्या बोल रहा है गुस्से गुस्सा देखो इसका इतना बरादर इससे पहले देख लेते हैं कौन है ये एक सेकंड इसको कौन बोल रहा है ये सो नसीरुद्दीन कंटेंटेड दैट दिस दज प्रिंसिपल्स आर नो बेटर देन द न्यू ईयर्स रेजोल्यूशन व्हिच आर ब्रोकन ऑन द सेकंड ऑफ जनवरी यार दो साल से मेरा न्यू ईयर रेजोल्यूशन है कि जिम जाऊंगा जिम जाऊंगा और बात सच कह रहे हो सच कह रहे एक हफ्ता मैं अभी तो इस इस बार तो दो या तीन दिन ही स दे आर राइट न्यू ईयर रेजोल्यूशन है एक तारीख को बनाना दो तारीख को तोड़ देना है यही डीपीएसपी है और टीटी कृष्णमाचारी तो मतलब अथालय आर वेटेबल डस्टबिन ऑफ सेंटीमेंट्स मतलब इतना ज्यादा वो है कि उसको मतलब वेरीटेक लिखना पड़ा मतलब ही कुड हैव सेड समथिंग एल्स वेटेबल का मतलब चेक करेंगे होता क्या है मब वेरि टेबल का कोई मतलब भी नहीं है बस ऐसे मतलब स्ट्रेस डालने के लिए है वेटेबल डस्टबिन मतलब की एमफसिस के लिए लिखा हुआ है दे आर जस्ट पायस एस्पिरेशंस ये है यार तुम्हारा मतलब डीपीएस पीस एंड देन दे आर लॉजिकली अरेंज कोई सेंस बनती है कभी सोशलिस्टिक वाला फिर कभी गांधियन वाला फिर कभी लिबरल मतलब दे हैव लिटरली नॉट थॉट अबाउट इट जो उनके दिमाग में 15 पॉइंट आए उन्होंने लिख डाले रैंडम लिख डाले कुछ भी बिना मतलब अगर आप अगर यूपीएससी में ऐसा आंसर लिखो जिसमें कहीं पर भी ऊट पटांग पॉइंट ऊपर नीचे हो तो आपके मार्क्स कट जाएंगे और यह है कांस्टिट्यूशन दे जस्ट लॉजिकली अरेंज कोई प्रॉपर क्लासिफिकेशन नहीं है मतलब प्लान नहीं था ऐसा कोई पर्टिकुलर प् नहीं किया कांस्टिट्यूशन मेकर्स ने कि यार हमें यह करना चाहिए यह करना चाहिए नहीं लीगल एड दे दो वर्कर्स को मैनेजमेंट लिख दो हाउ अबाउट विलेज पंचायत राइट इट फिर पीछे से किसी ने बोल दिया की काव स्लॉटर वो भी लिख दो एनवायरमेंट हां हां एग्जीक्यूटिव वाला लिख रैंडम लॉजिकली अरेंज द डिक्लेरेशन मिक्सेस अप रिलेटिवली अन इंपोर्टेंट इश्यूज विद द वाइटल इकोनॉमिक एंड द सोशल तो कुछ कुछ मतलब है देर इज प्रॉब्लम ठीक है कोई ओल्ड प्रोविजन कुछ साइंस वाले हैं कुछ रीजन वाले हैं कुछ सेंटीमेंट प बेसिस है कभी कहते हैं कि वो क्या नाम है कुछ फॉर एंप फर फॉर एग्जांपल लाइक बैनिंग द इंटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स स्लाइटली कंजरवेटिव इमोशनल इशू एंड देन लाइक की मॉडर्न एनिमल हसबेंडरी होनी चाहिए साइंटिफिक बेसिस पेस दे आर लॉजिकली अरेंज लेट्स बी वेरी ऑनेस्ट अबाउट इट देर प्र प्री लॉजिकल दे कुड हैव प्रोबेबली गिवन इट स्लाइटली मोर थॉट एंड एटलीस्ट हैव मतलब दे दे शुड हैव बीन पर्पस कि हम डीपीएसपी दे रहे हमारा यह पर्पस है एंड देन देर कंजरवेटिव अकॉर्डिंग टू सर आईवर जेनिंग्स दे आर बेस्ड ऑन द पॉलिटिकल फिलोसोफी ऑफ द 19th सेंचुरी इंग्लैंड ओके तो उसने ऐसे डायलॉग मारा है सुनो ध्यान से द घोस्ट ऑफ सिडनी वेब एंड द बटस वेब स्टॉक थ्रू द पेजेस ऑफ द टेक्स्ट यह क्या है मैं बताता हूं यह जो सिडनी वेब और जो ये बटिस वेब है एक हस्बैंड वाइफ हुआ करते थे इंग्लैंड में ठीक है इंग्लैंड में समझ लीजिए कि 1890 के समय 1890 के समय 1890 के समय में तो यह हस्बैंड वाइफ है ठीक है हस्बैंड वाइफ इकॉनमिको मिस्ट और यह इकॉनमिको मिस्ट आपने एक शब्द सुना होगा फेबियन सोशलिज्म न सोशलिज्म तो यह सिडनी वेब और बीट्री स वेब ना उसके प्रमोटर थे और यह क्या टाइमिंग्स क्या है इनके जिंदा रहने की सीब 1890 तो अब आपको कॉन्टेक्स्ट मिला कि आइवर जेनिस कह रहा है कि दे आर बेस्ड ऑन द पॉलिटिकल फिलोसोफी ऑफ 19th सेंचुरी इंग्लैंड ठीक है तो वो 19 सेंचुरी इंग्लैंड में इनका थोड़ा सा दबाव था सिडनी वेब और बटस वेब का और इनके जो इकोनॉमिक आइडियाज थे वो बेसिकली इन्फ्लुएंस थे फेबियन सोशलिज्म से फेबियन सोशलिज्म क्या होता है फेबियन सोशलिज्म जो यह चाहता है कि इकोनॉमिक इकॉनमी जो है वो सोशलिस्ट हो जाए विदाउट वायलेंस स्लोली स्लोली करके धीरे-धीरे धीरे धीरे धीरे-धीरे सोशलिज्म हो जाए देश के अंदर बिना वायलेंस के जनरली जो सोशलिज्म और कम्युनिज्म है वो रेवोल्यूशन प डिपेंडेंट होते हैं और वो वायलेंस से बेसिकली सारी चीजों को बदल के सोशलिज्म और कम्युनिज्म को एस्टेब्लिश करते हैं फेबियन सोशलिज्म में एक क्या बात है कि वो सोशलिज्म को एस्टेब्लिश करवाना चाहते हैं विदाउट द वायलेंस सो ना यू थिंक अबाउट इट कि जो डीपीएसपी है वो बेसिकली सोशलिज्म को प्रमोट कर रहे हैं सो दे आर सेइंग कि यहां पर जो ये सिडनी वेब और बटस वेब के जो आइडियाज हैं कि बिना वायलेंस के धीरे-धीरे धीरे धीरे सोशलिज्म को प्रमोट करा दो वही तो दिख रहे हैं पूरे के पूरे डीपीएसपी में सो कांस्टिट्यूशन एक्सप्रेसेस फेबियन सोशलिज्म विदाउट द सोशलिज्म एक इसका और क्रिटिसिजम है कि वैसे तो फेबियन सोशलिज्म प्रमोट कर रहा है ये लेकिन इसमें सोशलिज्म भी नहीं है कुछ दे आर डीम टू बी इन द सूटेबल इन इंडिया इन द मिडल ऑफ द 20 सेंचुरी समय नहीं है मतलब दे आर आउट ऑफ टाइम दे आर आउट ऑफ टाइम देर आर सम आइडियाज जो कि आउट ऑफ टाइम है राजा आप कभी आपने देखा देखो एक समय में राजा लोग अ इमेजिन अकबर इमेजिन अकबर अकबर की ड्रेस को इमेजिन करो और ऐसे वो कुछ ऐसे दुपट्टा लेके जो ऐसे वाइब करते हुए चलता था राइट वाइब करता था जूती बती पहन के वाइप करते हुए चलता था इमेजिन करो सी दोस दैट ड्रेस हैड अ टाइम अब एक टाइम उसको परर पहना करता था बट अगर तुम अभी पहन के चलोगे यू वुड नॉट एगजैक्टली बी वेरी मच लव्ड इन दी कॉलेज सो एवरीथिंग एज द टाइम द डीपीएसपी दे डोंट हैव अब टाइम चला गया इनका यार कॉन्स्टिट्यूशन कॉन्फ्लेट नाउ दिस इज इंपोर्टेंट बाकी सब तो ऐसे मजाक में था कि डीपीएसपी है ना एक्चुअली में कॉन्फ्लेट क्रिएट करा सकते हैं व्हाई डिंट द कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स एक्चुअली थॉट अबाउट इट कि जो डीपीएसपी हैं वो कॉन्फ्लेट क्रिएट करा सकते हैं किसके बीच में सेंटर और स्टेट के बीच में प्राइम मिनिस्टर और प्रेसिडेंट के बीच में एंड सिमिलरली चीफ मिनिस्टर और गवर्नर के बीच में व्हिच मींस लॉजिकल देखो डीपीएसपी कुछ ऐसी चीजें हैं जो कि इंप्लीमेंट करनी चाहिए ठीक है इंप्लीमेंट करनी चाहिए नाउ सेंटर कैन यूज़ डीपीएसपी टू प्रेशर स्टेट टू इंप्लीमेंट देम और जब वह इंस्ट्रक्शन जाएगी स्टेट को तो स्टेट वुड बी फोर्सड टू डू इट अकॉर्डिंग टू हिम सेंटर कैन गिव डायरेक्शंस टू स्टेट विद रिगार्ड टू इंप्लीमेंटेशन ऑफ़ दिस प्रिंसिपल्स और अगर नॉन कंप्लायंस हुआ स्टेट नहीं कर पाती है तो बेसिकली स्टेट गवर्नमेंट को को सस्पेंड कर देगी स्टेट सेंटर इट क्रिएट्स अ सिचुएशन वेयर द कॉन्फ्लेट इज सिमिलरली प्राइम मिनिस्टर और प्रेसिडेंट सपोज करो व्हेन द प्राइम मिनिस्टर गेट्स अ बिल ठीक है जो कि डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स को वायलेट करता हो पास्ड बाय द पार्लियामेंट ठीक है जो प्राइम मिनिस्टर बेसिकली इज द पर्सन जो कि पार्लियामेंट में है वो गवर्नमेंट है उन्होंने बेसिकली पार्लियामेंट के अंदर एक बिल इंट्रोड्यूस किया अब वो जो बिल इंट्रोड्यूस किया है उससे डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स वायलेट हो रहा है अलाउड है डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स नॉन जस्टिसिएबल है अगर कोई ऐसा बिल है वो वायलेट कर सकता है बट प्रेसिडेंट के पास जब वो बिल जाएगा प्रेसिडेंट कैन एक्चुअली रिफ्यूज टू साइन इट बाय सेइंग कि इट इज वायलेट डीपीएसपी सो यहां पर प्रेसिडेंट जो प्राइम मिनिस्टर था वो भी सही था और यहां पर जो प्रेसिडेंट है वो भी सही है दोनों के दोनों सही हो ग कॉन्फ्लेट हेंस दे क्रिएट कॉन्स्टिट्यूशन कॉन्फ्लेट नेचर ऑफ डीपीएसपी है डीपीएसपी की नेचर है कि वो कॉन्स्टिट्यूशन कॉन्फ्लेट क्रिएट करवा रहा है या करवा सकता है होता नहीं है बट करवा सकता है प्राइम मिनिस्टर बिल पास करा सकते हैं जो कि डीपीएसपी को वायलेट करे लीगल अलाउड है ये करवा देंगे कोई प्रॉब्लम नहीं है नोबडी इज गोइंग टू स्टॉप हिम इट्स अलाउड बट देन सेम बिल कैन एक्चुअली बी नॉट साइंड बाय द प्रेसिडेंट ऑन द बेसिस कि इट वायलेट्स द डीपीएसपी हेंस आई विल नॉट साइन इट प्रेसिडेंट मे रिजेक्ट द बिल ऑन द ग्राउंड दीज प्रिंसिपल आर फंडामेंटल टू द गवर्नेंस एंड हेंस द मिनिस्ट्री हैज नो राइट टू इग्नोर देम सिमिलरली सेम चीज सीएम और गवर्नर के कंटेस्ट में भी हो सकती है सो द डीपीएसपी डज क्रिएट अ कॉन्स्टिट्यूशन कॉन्ट और कैन म देर इज अ पॉसिबिलिटी ट इट कैन एक्चुअली हैपन सर अगर इतनी ही खराब है तो हमने कॉन्स्टिट्यूशन में लिख रखे हैं एब्सलूट लेट मी टेल यू वई देखो क्रिटिसिजम तो होता ही हर चीज का वैलिड होती है कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है मतलब एक्सेप्ट मी यू कैन ओबवियसली क्रिटिसाइज अ लॉट ऑफ थिंग्स आई एम ओबवियसली ल होलिस्टिक लव बट डीपीएसपी के कांटेस्ट बात करें एल एम सिंह भी कहते हैं जूरिस्ट और डिप्लोमेट है दे आर लाइफ गिविंग प्रोविजंस टू द कांस्टिट्यूशन सोशल जस्टिस का सामाजिक न्याय का कोई सेक्शन ना हो ना कांस्टिट्यूशन में तो कांस्टिट्यूशन बेसिकली सिर्फ और सिर्फ एक एडमिनिस्ट्रेटिव रूल बुक हो जाएगी जस्ट बेसिक रूल्स हाउ द एडमिनिस्ट्रेशन शुड रन इट वुड लिटरली हैव नो लाइफ लाइक हमारे कांस्टिट्यूशन का या फिर किसी और कांस्टिट्यूशन का क्या पर्पस होना चाहिए सिर्फ और सिर्फ यह बताना कि प्राइम मिनिस्टर को चुनना कैसे है और पार्लियामेंट में वोटिंग कैसे होगी और इलेक्शन कमीशन में की इंडिपेंडेंस कैसे मेंटेन किया जाए और सुप्रीम कोर्ट में कितने जज हो लाइक कंपलीटली नीरस व्हाट अबाउट द सोशल जस्टिस देर हैज टू बी समथिंग इन द कांस्टिट्यूशन दैट गिव्स इट एक्चुअल लाइफ ट सोशल जस्टिस दैट विजन दैट पर्पस दैट यूटोपिया ऑफ द सोसाइटी दैट इज बा द डीपीएस ओके दे आर लॉजिकली अरेंज च इ फाइन ओके बट दे स्टिल मीन समथिंग राइट व्ट इज द प्रॉब्लम विद द इलॉजिकलिटी ऑफ देर अरेंजमेंट एवरी ऑफ दैट डीपीएसपी डज ट्राई टू अटन समथिंग इन कांटेक्ट ऑफ द सोशल जस्टिस डू दे र नॉट दे डू इफ ल दिस प्रिंसिपल्स आर फुली कैड आउट आवर कंट्री वड इनडीड बी न ऑन द अर्थ अब यहां पर हमारे जो जस्टिस थे इंडिया के वह थोड़े से भावनाओं में बह गए बट यू गेट द स्पिरिट यू गेट द ड्रिफ्ट राइट वैसे तो वो कह रहे हैं हमारे क्या नाम है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एम सी चांगला फॉर्मर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कहते हैं कि अगर डीपीएसपी इस को बेसिकली कैरी आउट कर दे सबको तो हमारा जो देश है इनडीड वुड बी अ हेवन ऑन द अर्थ इंडिया वुड देन बी नॉट ओनली डेमोक्रेसी इन द पॉलिटिकल सेंस बट आल्सो अ वेलफेयर स्टेट लुकिंग आफ्टर द वेलफेयर सिटीजन देखो इसमें कोई शक की बात नहीं है कि चांगला अंकल थोड़े सा बह गए थे इमोशंस में और मतलब हेवन वेवन तक चले गए थे बट इफ यू रिल थिंक हार्ड अबाउट इट इट डज मेक सेंस लाइक अ गुड कंट्री अ व्हाट इज अ गुड कंट्री व्हाट इज अ गुड सोसाइटी वयर वी कैन टेक केयर ऑफ द पीपल वेयर द सोशल जस्टिस एजिस्ट सामाजिक न्याय होना चाहिए सिर्फ और सिर्फ पॉलिटिकल इक्वलिटी का क्या करेंगे यार पॉलिटिकल इक्वलिटी की कोई खास वैल्यू है ही नहीं जब तक सोशल और इकॉनमी इक्वलिटी और अपॉर्चुनिटी अवेलेबल नाउ यस यू हैव अ राइट टू वोट यस यू हैव अ फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन बट व्हाट इफ यू आर नॉट अ इक्वल इकोनॉमिकली एंड सोशली विद द वर्ल्ड दोज आर इक्वली दैट कैन बी डन बाय द डीपीएसपी व वो फंडामेंटल राइट्स नहीं कर सकते दे कांट दे आर इनकेपेन ऑफ डूइंग इट डॉटर बी आर अंबेडकर ने कहा था कि डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स हैव ग्रेट वैल्यू क्यों क्योंकि दे ले डाउन दैट द गोल ऑफ इंडियन पॉलिटी इज इकोनॉमिक डेमोक्रेसी एज डिस्टिंग फ्रॉम पॉलिटिकल डेमोक्रेसी पॉलिटिकल डेमोक्रेसी तो हम कर ही सकते हैं अची को कोई खास बड़ी बात नहीं हर कांस्टिट्यूशन बनाकर पॉलिटिकल डेमोक्रेसी अचीव किया जा सकता है कोई भी कांस्टिट्यूशन मैं और आप कांस्टिट्यूशन बना के पॉलिटिकल डेमोक्रेसी अचीव कर पाएंगे बट द एक्चुअल चैलेंज इ टू अचीव इकोनॉमिक डेमोक्रेसी इट इज वैल्यू वर्थ फाइटिंग फॉर ग्रैन विल ऑस्टिन ने कहा सोशल रेवोल्यूशन के अचीवमेंट के गोल्स ल्स को करना दे आर इंटेंडेड ए द मोरल प्री ऑफ द अथॉरिटीज ऑफ़ द स्टेट दे हैव एन एजुकेटिव वैल्यू आर ए नहीं है बीएन राव है ठीक है एमसी तल बाद कहते हैं कि द डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स दो नो लीगल राइट्स क्रिएट नो लीगल टीज बट दे आर सिग्निफिकेंट दे आर ओबवियसली इंस्ट्रूमेंट ऑफ इंस्ट्रक्शंस जनरल रिकमेंडेशंस हैं जो कि हम इंडियन यूनियन को एड्रेस करते हैं तो हमारा पार्लियामेंट और हमारी गवर्नमेंट इन रिकमेंडेशंस को दिमाग में ध्यान रख के हमारे देश की पॉलिसी डिसाइड करती है दे सर्ड एज यूज दे हैव सर्व्ड एज अ यूज़फुल बीकन लाइट्स टू द कोर्ट दे आर नॉन जस्टिसिएबल यस बट कोर्ट्स कैन यूज देम टू जज द क कांस्टीट्यूशनलिटी ऑफ द लॉज कोर्ट सोच सकती है उनके बारे में कोर्ट उनको यूज भी कर सकती है किसी भी लॉ की वैल्यू को जज करने में ग्रेट दे फॉर्म द डोमिनेटिंग बैकग्राउंड टू ऑल स्टेट एक्शन लेजिस्लेटिव और एग्जीक्यूटिव एमप्लीफाई द प्रीमल ठीक है द डायरेक्टिव आल्सो प्लेज फॉलोइंग रूल्स दे फैसिलिटेट स्टेबिलिटी एंड कंटिन्यूटी देर सप्लीमेंटरी टू द फंडामेंटल राइट्स देर इंटेंडेड टू फिल द वैक्यूम जो फंडामेंटल राइट चीज कंप्लीट नहीं कर पा रही वो बेसिकली हमारे डीपीएसपी करते हैं इनकी इंपोर्टेंस य है कि एक फेवरेबल एटमॉस्फेयर बनाते हैं ठीक है बहुत सारे बहुत ज्यादा हो गई मैं तो चार सोच रहा था आई वास होपिन कि चार पांच क्रिटिसिजम थे तो चार पांच वैल्यू हो जाएगी तो ठीक है बट यहां पर तो लोग इमोशनली हो गए मतलब इधर आई थिंक फोर आर नफ लेट्स बी नेस्ट यर डीपीएसपी की जितनी खुशी हमने जितनी हमने प्रशंसा कर दी है इंपोर्टेंट लग भी नहीं रहे मेरे को तो देखो सीधी सधी सी बात मतलब अब बोलने लगे तो इन्होंने 50 पॉइंट लिख डाले चार क्रिटिसिजम थे तो चार अगर सपोर्ट में पॉइंट दे देते तो मेरे हिसाब से आंसर पूरा हो जाता और हम भी मान लेते लेकिन अब ये मतलब नाउ दे हैव क्रॉस द पाथ अब इन्होंने इतने लिख दिए कि अब हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि इतने इंपोर्टेंट भी हो सकते हैं डीपीएसपी आई डोंट बिलीव इट एनीमोर टिल दिस यहां तक आई वाज इन सपोर्ट ऑफ डीपीएसपी क्रिटिसिजम किया है बट हां वैल्यू भी है बट नाउ आई एम लाइक की ये तो ऐसे तो अब तो तुम पाछ खत्म ही नहीं हो रहे फर तो थैंक गड फाइनली इंपॉर्टेंट है बट इतने भी नहीं लग रहे थे मेरे को अब कैच आता है दिस इंपोर्टेंट पॉ ध्यान से सुनना ओ लिन कफ्ट बिटवीन फंडामेंटल राइट एंड डीपीएसपी एंड इट हैपन क्या होता है पहले ही बता देता हूं एक्सप्लेन किताब नहीं करती मैं करता हूं देखो आर्टिकल नंबर 39 बी और आर्टिकल नंबर 39 सी यह दो आर्टिकल है और फंडामेंटल राइट 14 और फंडामेंटल राइट 19 यह दो फंडामेंटल राइट्स है जिनके बीच में जनरली कॉन्फ्लेट होता है ऐसा नहीं है कि हर एक के साथ होता है ऐसा नहीं फ्रीडम ऑफ रिलीजन के साथ डीपीएसपी का कोई कॉन्फ्लेट है कोई नहीं है वेल यूनिफॉर्म सिविल कोड का होगा उसके साथ तो अभी तक नहीं है बट हा यूनिफॉर्म सिविल कोड का होगा मतलब अलग-अलग से अलग-अलग हो सकता है अब जैसे प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट है एनवायरमेंट है उससे बेसिकली जरूरी नहीं है फंडामेंटल राइट्स का कॉन्फ्लेट हो ठीक है लेकिन 39 बी और 39 सी जो डीपीएसपी है इनको इंप्लीमेंट करते हैं तो दो चीज प्रॉब्लम आ सकती है एक तो इक्वलिटी और दूसरी फ्रीडम मतलब जनरली 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए किसी को अनइक्वल ट्रीट करना पड़ता है एंड सम टाइम्स किसी की फ्रीडम को रिस्ट्रिक्टर पड़ता है फंडामेंटल फ्रीडम को रिस्ट्रिक्टर पड़ता है सो देर इज अ कॉन्फ्लेट बिटवीन फंडामेंटल राइट्स एंड द प्रिंसिपल अब फंडामेंटल राइट जस्टिसिएबल होते हैं डीपीएसपी नॉन जस्टिसिएबल होते हैं उसके बावजूद भी कॉन्फ्लेट हो जाता है है नॉन जस्टिसिएबल लेकिन मोरल ऑब्लिगेशन है डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स को इंप्लीमेंट करने की सो व्हाट हैपेंस इज दैट देखो क्या होता है और इसको बेसिकली याद कर लेना आपका पूरा का पूरा यह जो हम जो आगे चैप्टर करने वाले हैं वो हो जाएगा चंपा कम दोराई राजन गोलकनाथ केस 24th एंड 25th कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट एक्ट केशव नंद भारती केस 42 अमेंडमेंट एक्ट एंड द मिनर्वा मिल्क केस चंपा कम दोराई राजन केस मैंने ये बेसिकली वो क्रोनोलॉजी है जो कि बेसिकली फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी के कॉन्फ्लेट को अंडरस्टैंड करती है एकएक करके हम इसको सारे के सारे करते हैं ठीक है आइए सबसे पहले क्या हुआ चंपा कम दोराई राजन केस 1951 में जो हुआ था सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्लेरिटी से कि फंडामेंटल राइट्स आर इंपॉर्टेंट और डीपीएसपी उसके सबोर्डिनेट है मतलब इन दोनों में अगर कभी कॉन्फ्लेट हुआ तो फंडामेंटल राइट्स इंपॉर्टेंट है तो उनको प्राइमस मिलेगी और डीपीएसपी कैंसिल कर दिए जाएंगे बेसिक आईडिया आ गया 191 में 1951 में सुप्रीम कोर्ट सेज फंडामेंटल राइट्स आर सुपीरियर देन डीपीएसपी कॉन्फ्लेट हुआ तो फंडामेंटल राइट जीत जाएंगे एनी कॉन्फ्लेट फंडामेंटल राइट्स द फॉर्मर वुड प्रीवेल तो मतलब कि फंडामेंटल राइट्स प्रीवेल करेंगे मतलब डीपीएसपी को कंफर्म करना पड़ेगा फंडामेंटल राइट से लेकिन एक और इंपॉर्टेंट बात है यहां पे इस वाले केस में चंपा क्या नाम है चंपकम दोराई राजन केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कह दिया था कि फंडामेंटल राइट्स कैन बी अमेंडेड जरूरत पड़ने पर इट आल्सो सेड दैट द फंडामेंटल राइट्स कुड बी अमेंडेड बाय पार्लियामेंट बाय एनेक्टिंग कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट एक्ट ठीक है बाय एनेक्टिंग कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट नाउ इसी चक्कर में जब पार्लियामेंट को मौका मिला कि अमेंडमेंट कर सकते हैं तो पार्लियामेंट ने फोर्थ अमेंडमेंट 17 अमेंडमेंट एक्ट की थी इन्हीं कुछ डायरेक्टिव्स को इंप्लीमेंट करने के लिए लेकिन यह सिचुएशन में एक और इंपॉर्टेंट चेंज आया गोलकनाथ केस के अंदर गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फंडामेंटल राइट्स अमेंड नहीं किए जा सकते देखो हमें फंडामेंटल राइट्स एंड डीपीएस पीस के बीच में कॉन्फ्लेट को अंडरस्टैंड करना है नाउ दिस वाज अ केस जो कि 1951 में सुप्रीम कोर्ट के पास गया बात क्या है कि 1951 में जब हमारा सुप्रीम कोर्ट सॉरी क्या कहते हैं जब हमारा कॉन्स्टिट्यूशन बनक तैयार हो गया ना तो उस समय जो गवर्नमेंट थी जो पार्लियामेंट वो क्या कोशिश करता है वो कुछ सोशलिस्टिक एक्शंस लेने की कोशिश करता है उन्होंने पूरे इंडियन नेशनल मूवमेंट के समय में लैंड रिफॉर्म्स की प्रॉमिस कीए थी कि बड़े-बड़े जमींदारों से जमीन लेके बेसिकली गरीबों में बांट दी जाएगी नाउ रिमेंबर हाउ दिस प्रॉब्लम व्हाट द प्रॉब्लम विल क्रिएट देखो जमीदारों की जमीन लेके हमें लैंड रिफॉर्म्स करने हैं जब भी हम लैंड रिफॉर्म्स के लिए कोई लॉ बनाएंगे ना तो लैंड रिफॉर्म के लिए लॉ बनाना किसी के फंडामेंटल राइट्स को वायलेट करेगा एंड याद रखो कि 1950 में राइट टू प्रॉपर्टी इज अ फंडामेंटल राइट तो यह पहली प्रॉब्लम आई कांस्टिट्यूशन बनने के बाद अ जो उस समय पॉलिटी थी वो लॉ बनाती थी लैंड रिफॉर्म्स के लिए कोई भी लॉ था वो चैलेंज हो जाता था सुप्रीम कोर्ट में जाके कि ये तो फंडामेंटल राइट्स को वायलेट कर रहा है एंड सुप्रीम कोर्ट भी लाइक कि हां वायलेट कर रहा है कैंसिल करो इस लॉ को सो चंपा कम दोराई राजन केस में ऐसा ही कुछ केस चल रहा है फंडामेंटल राइट्स और डीपीएस भी वायलेट हो गए गवर्नमेंट ने बोला होगा कि मैं ये डीपीएसपी को इंप्लीमेंट कर रहा हूं ठीक है एंड जो बंदा केस लेके आया होगा वो बोला होगा कि इससे मेरा फंडामेंटल राइट्स वायलेट हो रहा है ठीक है तो जजमेंट दिया सुप्रीम कोर्ट ने कि सुनो फंडामेंटल राइट्स है सुपीरियर डीपीएसपी उसको वायलेट नहीं कर सकते सो अगर यह दोनों क्लैश करते हैं तो फंडामेंटल राइट जीतेगा और डीपीएसपी को कंफर्म करना पड़ेगा ठीक है क्लेरिटी है यहां पे फंडामेंटल राइट्स आर ग्रेटर देन डीपीएस पीस ग्रेट बट यहां पे इन्होंने एक और दे दिया यहां पे सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही गवर्नमेंट को रास्ता निकाल दिया बाहर का कि फंडामेंटल राइट्स अमेंड करे जा सकते हैं व्हाई उन्होंने कहा कि आर्टिकल 368 में सिस्टम दे रखा है क्या कहते हैं अमेंडमेंट का तो अमेंडमेंट का दे रखा है तो इसका मतलब शायद फंडामेंटल राइट्स को भी अमेंड कर ही सकते होंगे सो आर्टिकल 368 इज वैलिड टू पार्ट थ्री आल्सो सब खुश है फंडामेंटल राइट्स सुपीरियर है गवर्नमेंट को जब भी डीपीएसपी इंप्लीमेंट करना था जाके कॉन्स्टिट्यूशन अमेंड कराती थी सिंपल खेम हो गया अब लेकिन मुद्दा बदला 1967 में गोलकनाथ केस के साथ 1967 में यहां पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पुरानी जजमेंट बदल दी पुरानी जजमेंट बदल दी एंड दे सेड कि फंडामेंटल राइट्स कैन नॉट बी अमेंडेड दे आर सक्रो सक्ट फंडामेंटल राइट्स वर्ल्ड की इतनी इंपोर्टेंट चीज है कि उसको टच नहीं किया जा सकता लेजिस्लेटर के द्वारा दे कैन नॉट बी अमेंडेड फंडामेंटल राइट्स आर सैक्रोस गवर्नमेंट के हाथ में कुछ नहीं बचा फ राइट बदल नहीं सकते फंडामेंटल राइट डीपीएसपी से सुपीरियर है दैट इ इट तुम डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करते रहो लेकिन फंडामेंटल राइट को वायलेट नहीं कर सकते गवर्नमेंट ने इस चीज को चेंज करने के लिए दो अमेंडमेंट पास की 24 और 25 जिसका क्रक्स यह है कि दे इंक्लूडेड सर्टेन प्रोविजन इन द कांस्टिट्यूशन जिससे वह फंडामेंटल राइट्स को अमेंड कर सकते थे सो गोलकनाथ केस में उन्होंने कहा कि सक्रो सेंट है भाई फंडामेंटल राइट उनको चेंज नहीं किया जा सकता ठीक है बिल्कुल नहीं चेंज किया जा सकता सो पार्लियामेंट ने क्या किया पार्लियामेंट रिएक्टेड टू द सुप्रीम कोर्ट जो कि गोलकनाथ केस में जजमेंट थी बाय नेक्ट दी 24th अमेंडमेंट एक्ट और 25th अमेंडमेंट एक्ट 24 अमेंडमेंट एक्ट क्या कहता है इसने कहा कि पार्लियामेंट हैज द पावर टू अब्रिज और टेक अवे एनी ऑफ द फंडामेंटल राइट्स बाय एनेक्टिंग कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट और 25th आर्टिकल में 25 फिथ अमेंडमेंट ने आर्टिकल नंबर 31 सी ऐड कर दिया जिसके अंदर दो प्रोविजन थे क्या हुआ कैन अमेंड फंडामेंटल राइट कांस्टिट्यूशन में जाक ही लिख दिया कि कांस्टिट्यूशन पार्लिमेंट कॉन्स्टिट्यूशन अमेंड कर सकता है और उसके बाद एक आर्टिकल नंबर 31 सी भी ऐड किया और इसमें दो प्रोविजन ऐड कर दिए दो कौन-कौन से प्रोविजन ऐड किए हैं नो लॉ व्हिच सीक्स टू इंप्लीमेंट 39 बी और सी कैन बी चैलेंज्ड अगर वो आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करता है दूसरा नो लॉ कंटेनिंग अ डिक्लेरेशन कि ये लॉ 39 बी और सी को वायलेट करता है उसको चैलेंज नहीं कर सकते इफेक्ट टू शल बी क्वेश्चन इन एनी कोड ऑन द ग्राउंड दैट इट डज नॉट गिव इफेक्ट टू सच अ पॉलिसी देखो यह वाला पॉइंट है इसको और इन दोनों को समझो 25वीं अमेंडमेंट से आर्टिकल नंबर 31c ऐड किया है और 31c में दो पॉइंट लिखे हुए हैं पहला यह कि 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करेगा कोई लॉ और अगर वह लॉ आर्टिकल 14 और 19 को वायलेट करता है तो उसको अनकंस्टीट्यूशनल घोषित ना किया जाए डन दूसरा पॉइंट यह कहता है कि जिस लॉ को हम बोल रहे हैं कि आर्टिकल 39 बी को को बी और सी को इंप्लीमेंट कर रहा है इस बात पर ही क्वेश्चन नहीं होना चाहिए कि क्या वो सच में कर रहा है मतलब कि मैं किसी भी लॉ पे अगर ये लिख दूं ना कि ये 39 बी और सी को इंप्लीमेंट कर रहा है तो वो तुमको मानना पड़ेगा तुम चैलेंज नहीं कर सकते उसको ये लिखा ना सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया उन्होंने बोला कि ये तो चलो ठीक है ये मान लेते हैं हम मान लेते हैं कि 39 बी और 39 सी को इंप्लीमेंट करते हो और आर्टिकल 14 और 19 वायलेट होता है तो हम कुछ नहीं करेंगे ठीक है इतना अलाउड है सोशल समाज के लिए सामाजिक न्याय के लिए इतना ठीक है इक्वलिटी कभी-कभी कुछ लोगों को इल ट्रीट करना पड़ता है सामाजिक न्याय के लिए कभी-कभी कुछ फ्रीडम को कटेल करना पड़ता है सामाजिक न्याय के लिए वी आर अलाउ वी आ अलाव यू फाइन पर ये क्या बात ई इस बात का क्या मतलब हुआ यह बकवास है तो सुप्रीम कोर्ट ने इसको वैलिड कर दिया तो आर्टिकल नंबर 31 सी में यह लिखा हुआ है अभी भी यह वैलिड है यह काट दिया सुप्रीम कोर्ट ने बोला कि यह नहीं चलेगा हम लॉ देखेंगे अगर लॉ सच में ही 39 बी और सी को इंप्लीमेंट कर रहा है तो ठीक है तब हम अलाव कर देंगे तो फिर कोई प्रॉब्लम नहीं है बट ऐसे नहीं है कि तुम जिसको हो गया हम उसको मान लेंगे जुडिशियस है वी विल चेक कि 39 बी और सी को इंप्लीमेंट कर रहा है या नहीं कर रहा है कर रहा होगा तो वी आर अलांग इट सो केशव नंद भारतीय केस में सुप्रीम कोर्ट डिक्लेयर्ड कि ये जो दूसरे वाला पॉइंट है यह वाला जो पॉइंट है यह इनवैलिड है भाई इसको हटा दो यह अनकंस्टीट्यूशनल है यह वाला वैलिड है इसको छोड़ देते हैं फाइन दैट इज अलाउड दैट द जुडिशल रिव्यू इज अ बेसिक फीचर तो उसको हटा नहीं सकते हो हां बट जो पहला प्रोविजन था उसको कांस्टिट्यूशन और वैलिड होल्ड कर दिया गया फिर सुप्रीम अब पार्लियामेंट फिर दोबारा से पार्लियामेंट ने 1976 में 42 अमेंडमेंट पास किया अब उन्होंने कहा कि 31 सी में सिर्फ ये दो नहीं बोलते कि कोई भी डीपीएसपी जो डीपीएसपी हो उसको इंप्लीमेंट करे वो चैलेंजेबल नहीं हो जाएगा वेल नेवर दस 42 अमेंडमेंट एक्ट ने टेक्निकली स्पीकिंग लीगल प्राइमसील राइट्स से ऊपर है ना चैलेंज नहीं हो सकते पर थैंक गॉड ये जो एक्सटेंशन थी इट वाज डिक्लेयर्ड अनकंस्टीट्यूशनल एंड इनवैलिड बाय दी मिनर मिल केस इट मींस दैट द डायरेक्टिव प्रिंसिपल वंस अगेन मेड सबोर्डिनेट टू दी फंडामेंटल राइट पर फंडामेंटल राइट बाय आर्टिकल 14 एंड 19 वर सबोर्डिनेट टू 39 बी एंड सी और आर्टिकल 31 को बेसिकली डिलीट कर दिया था आई विल रिपीट अगर समझ में नहीं आया तो मैं रिपीट कर देता हूं देखो फंडामेंटल राइट्स और डीपीएसपी इस के बीच में कॉन्फ्लेट है चंपा कम दोराई राजन केस के अंदर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फंडामेंटल राइट्स आर सुपीरियर डीपी डीपीएसपी आर सबोर्डिनेट अगर ये दोनों में क्लैश होगा तो ये जीतेंगे फंडामेंटल राइट्स डीपीएसपी को कंफर्म करना पड़ेगा जो फंडामेंटल राइट कह रहा होगा लेकिन इन्होंने यह भी अलाव किया कि फंडामेंटल राइट्स को अमेंड ही कर दो तो हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है यू कैन अमेंड इट देन दी पार्लियामेंट डिड इट पार्लियामेंट फिर करने लग गया फोर्थ कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट फर्स्ट कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट 17th कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट ये सब के सब डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए थे और ये फंडामेंटल राइट्स को वायलेट किया करते थे कर दिया लेकिन जो ये 177th कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट एक्ट हुआ ये चैलेंज कर दिया गया गोलकनाथ केस में और गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराने वाला जजमेंट बदल दिया दे सेड कि नो होल्ड ऑन फॉर सेक फंडामेंटल राइट्स को मत अमेंड करो कर सेक्र सट दे आर इंपोर्टेंट कांट अमेंड कांट अमेंड ठीक है तो अब फिर अब इस इस केस में फंडामेंटल राइट सुपीरियर हो गए डीपीएसपी ऑफिशियल इनफीरियर हो गए कि चेंज ही नहीं कर सकते फंडामेंटल राइट को खत्म सो गवर्नमेंट पार्लियामेंट सॉरी नॉट गवर्नमेंट पार्लियामेंट पार्लियामेंट ने 24th और 25th अमेंडमेंट एक्ट पास किया 24th में एक्चुअली में आर्टिकल नंबर 13 हमने फंडामेंटल राइट पॉइंट में डिस्कस कि थे 13 के नीचे एक ऐड कर दिया पं 4 13.4 और 368 के अंदर आर्टिकल 368 में ऐड कर दिया कि भाई जरूरत पड़ने पर हम पूरे के पूरे कॉन्स्टिट्यूशन में कुछ भी बदल सकते हैं आर्टिकल 13.4 में ऐड कर दिया कि कोई भी अमेंडमेंट जो पार्ट थ्री में हो उसको लॉ मत मानो राइट आर्टिकल 25 से 31 सी ऐड कर दिया और 31 सी में ये लिख दिया कि 39 बी और 39 सी वाले डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करते हैं तो आर्टिकल 14 और 19 अगर वायलेट होते हैं तो ठीक है अलाउड करो उसको अलाउ करो दैट शल नॉट बी क अनकंस्टीट्यूशनल यह दोनों के दोनों चैलेंज हो गए केशव नंद भारती केस में केशव नंद भारती केस ने मुद्दे सारे सेटल कर दिए थे ठीक है इन्होंने पहले बोला कि ठीक है ये भी अलाउड है 24 अमेंडमेंट को भी अलाउ किया इन्होंने कोई प्रॉब्लम नहीं है 25th को भी अलाउ किया कि यह भी अलाव है दो पॉइंट थे 31 सी में दो में से दूसरे वाले को हटा दिया बोले कि ठीक है 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करना है 14 और 19 अगर वायलेट हो रहे होंगे तो भी हम उसको अलाउ कर देंगे लेकिन जुडिशरी रिव्यू तो देखो सारे के सारे लॉ होंगे ही होंगे एंड देन अमेंडमेंट करने का भी उन्होंने प्रोसेस बता दिया देन 4 सेकंड अमेंडमेंट में फिर से पार्लियामेंट ने पावर करने की कोशिश की और 31 सी में अमेंडमेंट की और अमेंडमेंट यह थी कि कोई भी डीपीएसपी इंप्लीमेंट करो तो 14 98 लेट हो तो चैलेंज मत चैलेंज नहीं कर सकते मतलब कि 42 अमेंडमेंट अगर परमानेंट रहती तो डीपीएसपी हमेशा के लिए सुपीरियर फंडामेंटल राइट इनफीरियर लेकिन इस चीज को मिनर्वा मिल केस में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया बोले कि ऐसे नहीं चलेगा रोज-रोज का हो गया तुम्हारा चलो बहुत हो गया एंड देन दे सेड कि नो फंडामेंटल राइट्स मतलब डीपीएसपी को इन्होंने वापस सबोर्डिनेट कर दिया लेकिन क्योंकि 31 सी वाला पॉइंट जादू था तो 39 बी और 39 सी वाले जो डीपीएसपी है दे आर सुपीरियर टू आर्टिकल 14 एंड आर्टिकल 19 क्योंकि अभी भी अभी इस समय क्या एजिस्ट करता है इस समय 31 सी एजिस्ट करता है 31 सी का यह वाला पॉइंट भी एजिस्ट करता है यह वाला पॉइंट भी कांस्टिट्यूशन में है यानी कि 39 बी और सी को इंप्लीमेंट करने के लिए अगर आर्टिकल 14 और 19 वायलेट होते हैं तो बेसिकली लीगल माने जाते हैं नॉट अ प्रॉब्लम विद दैट दैट इज इट सो हां लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर जज बातों में ऐसे ही कह दिया उन्होंने कहा कि देखो सुनो दोनों के दोनों ना फंडामेंटल राइट और डीपीएसपी सब इंपॉर्टेंट है किसी एक को एक दूसरे के ऊपर एब्सलूट प्राइवेसी देने से बेसिकली हार्मनी बिगड़ जाएगी कांस्टिट्यूशन की और हार्मनी बहुत ज्यादा जरूरी है कांस्टिट्यूशन के लिए तो अगर कुछ करना है पार्लियामेंट को तो ऐसे किया करो प्रेजेंट पोजीशन कि फंडामेंटल राइट्स एंजॉय सुप्रीमेसी ओवर डीपीएसपी यस बट इसका यह मतलब नहीं है कि डीपीएसपी को इंप्लीमेंट नहीं किया जा सकता पार्लियामेंट चाहे तो फंडामेंटल राइट्स को अमेंड करके डीपीएसपी को इंप्लीमेंट कर सकता है पर बेसिक स्ट्रक्चर बेसिकली चेंज नहीं होना चाहिए और 14 और 19 फंडामेंटल राइट आर सबोर्डिनेट टू 39 बी एंड 39 सी डीपीएसपी जो है उनसे सबोर्डिनेट है इंप्लीमेंटेशन ऑफ द प्रिंसिपल्स अब ये सिर्फ लिस्ट लग हुई है इसका बेसिकली आपको कुछ करना नहीं है बट यू हैव टू रीड इट मैं बता देता हूं जैसे इसमें क्या है कि जैसे जैसे ये मिनिमम वेजेस एक्ट है पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट अबोलिशन चाइल्ड लेबर रेगुलेशन एक्ट ये क्या है ये डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने वाले लॉज हैं बॉन्डेड लेबर दे हैव बीन एनेक्टेड टू प्रोटेक्ट द इंटरेस्ट ऑफ द लेबर सेक्शंस ये मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट अ द इक्वल नमरे एक्ट हैव बीन मेड टू प्रोटेक्ट द इंटरेस्ट ऑफ द वमन वर्कर्स क्योंकि ये एक डीपीएसपी है सो अब ये सारे के सारे लॉज हैं जो कि डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए हैं एक डिफिकल्ट क्वेश्चन जो कि यूपीएससी पूछ सकता है मतलब व्हाट दे कैन डू इज दैट कि दे कैन आस्क कि ये जो मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट है यह कौन से डीपीएसपी को इंप्लीमेंट करने के लिए बनाया गया था तो ऐसे पैनिक करने की जरूरत नहीं है पढ़ो इसको व ऑटोमेटिक हो जाएंगी ये लीगल सर्विसेस अथॉरिटीज एक्ट 1987 में पास किया गया था आर्टिकल 39a को इंप्लीमेंट करने के लिए सो ऑन एंड ऑन सो ऑन एंड ऑन ठीक है सो ऑन एंड ऑन है ये दैट इज इट दैट इज इट दैट इज इट दैट इज इट दैट इज इट बहुत सारे हैं पढ़ने ही पड़ेंगे बेटा बहुत सारे हैं एंड देन यह तो डायरेक्टिव स्टेट ऑफ प्रिंसिपल्स है फिर कांस्टिट्यूशन के पार्ट फोर्थ से बाहर कुछ डायरेक्टिव्स है कौन कौन से हैं यह वन यह टू और यह थ्री द फर्स्ट वन इज दी क्लेम ऑफ द एससी एंड एसटी टू दी सर्विसेस द क्लेम ऑफ द मेंबर्स ऑफ द शेड्यूल्ड कास्ट एंड द शेड्यूल ट्राइब शल बी टेकन टू कंसीडरेशन विद दी मेंटेनेंस ऑफ द एफिशिएंसी ऑफ़ द एडमिनिस्ट्रेशन इन मेकिंग टू दी अपॉइंटमेंट टू द सर्विसेस एक ये हो गया इंस्ट्रक्शंस इन द मदर टंग गवर्नमेंट की पॉसिबिलिटी होनी चाहिए लोकल अथॉरिटी को कि जरूरत पड़ने पर हर एक बच्चे को अपनी मदर टंग में इंस्ट्रक्शंस की पॉसिबिलिटीज एजिस्ट करती हो एंड डेवलपमेंट ऑफ द हिंदी लैंग्वेज इट इज द ड्यूटी ऑफ द यूनियन टू प्रमोट द स्प्रेड ऑफ द हिंदी लैंग्वेज एंड टू डेवलप कि ये मीडियम ऑफ एक्सप्रेशन बन सके इंडिया की कंपोजिट कल्चर का ये तीन डायरेक्टिव्स हैं जो कि कांस्टिट्यूशन में पार्ट फोर्थ के बाहर है दैट इज इट दे आर अगेन नॉन जस्टिसिएबल दे आर आल्सो नॉन जस्टिसिएबल इन नेचर हाउ एवर दे आर आल्सो गिवन इक्वल इंपोर्टेंस एंड अटेंशन ठीक है इतना ही है यार बस बाकी सिंपल बाकी प्रभु की माया टुमारो वी विल डू फंडामेंटल ड्यूटीज व्हिच लॉजिकली स्पीकिंग इज वन ऑफ द शॉर्टेस्ट टॉपिक सो होप फुली वी विल जस्ट हैव टू स्पेंड हाफ एन आर स्टडिंग टुमारो बट दैट एक्चुअली विल गिव अस एन अपॉर्चुनिटी टू रिवाइज एवरीथिंग एल्स दैट वी हैव डन फंडामेंटल ड्यूटीज टुमारो ऑल राइट सी यू टुमारो सेम टाइम 6 ओ क्लॉक