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सीए फाउंडेशन: बिजनेस साइकिल्स

हे गाइज वेलकम यू ऑल टू अल्टीमेट सीए प्लेटफॉर्म दोस्तों हम आज हमारे इस एक सेशन में करने वाले हैं सीए फाउंडेशन बिजनेस साइकिल का चैप्टर इसको हम पूरा कंप्लीट करेंगे आज के इस एक सेशन में सारे जो भी इंपोर्टेंट पॉइंट्स हैं उसको हम कवर करने वाले हैं तो इस वीडियो को जरूर एंड तक देखें जो लोग मुझे नहीं जानते उनको बता दूं कि आई एम मुनीश रा आई एम अ चार्ट अकाउंटेंट एंड दोस्तों मैं सीए फाउंडेशन बिजनेस इकोनॉमिक्स एंड सीए इंटर लेवल पे फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट का सब्जेक्ट आपको आगे पढ़ाऊंगा दोस्तों आप जो है हमारे ये सुपर चाट बुक जो मैं यूज करूंगा अभी आपको पढ़ाने के लिए ये आप अभी mb.in से ले सकते हैं अगर आपके एग्जाम्स को अब समय वैसे कम है तो आप ईबुक इसका ले सकते हैं तो ईबुक का एक्सेस जैसे ही आप ऑर्डर करते हैं तुरंत आपके मेल पे डिटेल्स आती है कि कैसे आप ईबुक को हमारे एक्सेस कर सकते हैं यस लेकिन अगर आपके एग्जाम को समझो अगर समय है आप आगे के एटम्स के लिए सेशन देख रहे हैं तो आप प्रिंटेड बुक भी ले सकते हैं एमवी से लिंक डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिया है इसमें माइक्रो मैक्रो दोनों के पूरे के पूरे टॉपिक्स इसमें कवर्ड है राइट अ दोस्तों आप हमारे बाकी हमने चैप्टर सिक्स चैप्टर सेवन के भी बुलेट रिवीजन हमारे इस youtube4 बुक हो या एमसीक्यू कंपाइलर हो जबरदस्त आपके प्रैक्टिस के लिए आप ये mb.in से ईबुक फॉर्म में ले सकते हैं तो आइए स्टार्ट करते हैं हमारे आज के इस सेशन को बिजनेस साइकल वाले चैप्टर को निपटाए मुझे जरूर कमेंट करके बताना कि आपको आज का सेशन कैसा लगा है ठीक है ना सो लेट्स गेट स्टार्टेड गाइस सीए फाउंडेशन इनम चैप्टर फ बिजनेस साइकल्स बिजनेस साइकल्स बोलते है जब भी मैं इस चैप्टर को पढ़ता हूं ना तो हम सबसे पहले याद करते हैं हमारे क्या बताओ हमारे जगा है ना हमारे अनिल कपूर जी को तो अनिल कपूर जी की मूवी है मिस्टर इंडिया उनके पास एक वच रती है व वच में जैसे ही वो टच करते है ना बटन को तो गायब हो जाते है उसको बोते मिस्टर इंडिया की वच करती ठीक है उसम गाना है कि जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है थोड़े आंसू है थोड़ीसी आज गम है तो कल है खुशी ओ जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है देखिए बोलते हैं जिंदगी की यही रीत है क्या बताइए हार के बाद ही जीत है बोलते जैसे हमारी जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं क्या कभी ऐसा होगा कि हमारे लाइफ में सब अच्छा ही अच्छा होते जाए अच्छा ही अच्छा होते जाए बोले नहीं उतार चढ़ाव तो लाइफ का क्या बताए इटस पार्ट एंड पार्सल ऑफ लाइफ वैसे ही बोलते हैं कंट्री के जीडीपी में भी क्या होता है एक कंट्री के जीडीपी में भी ऐसे उतार चढ़ाव आते रहते हैं कभी ऐसा होता नहीं कि कंडे का जीडीपी बस बढ़ते जाएगा बढ़ते जाएगा या गिरते जाएगा गिरते जाएगा ऐसा कभी नहीं होता है है ना तो इसमें ये जो उतार चढ़ाव है उतार चढ़ाव है ये चलते रहते हैं ठीक है सो अब हम बात करेंगे यहां पे क्या बताइए हम यहां पे बात करने वाले हैं क्या हम यहां पर बात करने वाले हैं किसकी बताइए हमारे बिजनेस साइकल की चलिए जल्दी से देखेंगे व्हाट इज बिजनेस साइकल बोलते द रिदमिक है ना एक रिदम में ऐसा चल रहा है ना द रिदमिक फ्लक्शनल फ्लुएड इकोनॉमिक एक्टिविटी दैट इकोनॉमिक एक्सपीरियंस ओवर पीरियड ऑफ टाइम इसे हम क्या बोलते हैं बिजनेस साइकल्स या ट्रेड साइकल्स है ना हम बिजनेस साइकल को ट्रेड साइकल भी बोल सकते हैं याद रखें नेक्स्ट स बोलते हैं ट्रेड साइकल्स बोलते कि हमारे बिजनेस में क्या ट्रेड साइकल्स में कुछ देर कैन बी पीरियड ऑफ गुड ट्रेड देर कैन बी पीरियड ऑफ बैड रेट्स पीरियड ऑफ़ गुड रेड क्या होता है इट इज कैरेक्ट इज्ड बाय राइजिंग प्राइसेस एंड लो अन एंप्लॉयमेंट परसेंटेज है ना पीरियड्स ऑफ बैड ट्रेड आर कैरक्टराइज्ड बाय फॉलिंग प्राइसेस एंड हाई अन एंप्लॉयमेंट परसेंटेजेस ठीक है तो है ना तो सुनेंगे ध्यान से अ बोलते हैं कि जब हमारा गुड ट्रेड का समय आता है ना इसको बोलते हैं एक्सपेंशन बैड ट्रेड का जो समय होता है उसको बोलते हैं कंट्रक्शन जिसमें सारी चीजें हमारी नेगेटिव वे में जाती है ठीक है ना ओके बोलते हैं बिजनेस साइकल ना ये बार-बार बार-बार होंगे लेकिन रेगुलर इंटरवल में होंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है हर बार सेम लेंथ होगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती ठीक है ना सो बोलते है इसमें चार फेजेस है टोटल एक्सपेंशन पीक कंट्रक्शन ट्रफ एक्सपेंशन को बूम या अप स्विंग भी बोल सकते हैं इंस्टेंट ना इसको भी बूम लिखा है ठीक है ना पर बूम ज्यादा सही है एक्सपेंशन के लिए तो बूम एक्सपेंशन के लिए यूज़ करें पीक को प्रोस्पेरिटी बोल सकते हैं कंट्रक्शन को डाउन स्विंग ए रिसेशन एंड ट्रफ को डिप्रेशन है ना तो जब हमारे कंट्री में जीडीपी ग्रॉस डोमेस्टिक प्र प्रोडक्ट मतलब हमारे कंट्री में जो टोटल वैल्यू ऑफ गुड्स एंड सर्विसेस बनती है उसे जीडीपी बोलते हैं ओके हमारे कंट्री में जब जीडीपी का वैल्यू बढ़ता है इकोनॉमी में इसे बोलते हैं एक एक्सपेंशन स्टेज बढ़ते बढ़ते बढ़ते बढ़ते एक पॉइंट के बाद जब एक स्टेबलाइजेशन एक स्टेबलाइज हो जाता है वैल्यू इसको बोलते है पीक स्टेज पहुंचना और फिर इसके बाद जब जीडीपी का वैल्यू गिरता है इसे बोलते हैं कंट्रक्शन स्टेज जब लोएस्ट पॉइंट टच होता है हमारा इकोनॉमी का हमारे जीडीपी का वैल्यू का लोएस्ट पॉइंट टच होता है इसे बोलते हैं ट्रफ है ना या डिप्रेशन और फिर यहां से वापस से क्या होती है रिकवरी होती है इकोनॉमी में और वापस से बेटा आता है एक्सपेंशन का स्टेज एमसीक्यू आता है कि यहां पे हम पीक्स को और ट्रफ को क्या बोलते हैं बोलते हैं पीक्स एंड ट्रफ को बेटा हम कलेक्टिवली बोलते हैं टर्निंग पॉइंट्स ऑफ बिजनेस साइकल क्या बोलते हैं इनको हम इनको कलेक्टिवली बोलते हैं टर्निंग पॉइंट्स इसपे एमसीक्यू आते हैं क्योंकि यहां से टर्न लेता है बिजनेस साइकल इसलिए है ना आगे बोलता है सर एक्सपेंशन स्टेज में क्या-क्या होता है बोलता है एक ऐसा स्टेज है जहां पे नेशनल आउटपुट बढ़ता है जहां पे ज्यादा गुड्स एंड सर्विसेस का प्रोडक्शन होता है प्रोडक्शन का वैल्यू बढ़ता है प्रोडक्शन ज्यादा होगा तो लोगों को जॉब ज्यादा मिलेगी क्योंकि जो ओनर है कंपनी के वो खुद तो प्रोडक्शन करेंगे नहीं तो लोगों को जॉब ज्यादा मिलेगी है ना तो लोगों को जॉब ज्यादा मिलेगी क्योंकि प्रोडक्शन ज्यादा कर ना है तो ज्यादा लोगों को हायर करना पड़ेगा तो ज्यादा लोगों को जॉब मिलेगी तो ज्यादा लोगों की इनकम बढ़ेगी इनकम बढ़ेंगी तो क्या करेंगे इनकम बढ़ेगी तो क्या करेंगे बताओ खर्चा करेंगे किस पे गुड्स सर्विसेस पे तो देयर विल बी एन इंक्रीज इन डिमांड ऑफ ऑल टाइप ऑफ गुड्स एंड सर्विसेस कहां होता है ये एक्सपेंशन में अच्छा जब एग्रीगेट डिमांड पूरे इकोनॉमी का बढ़ रहा है तो क्या होगा अब लोग जो है कंज्यूमर एक्सपेंडिचर बढ़ाएंगे मतलब कि जो हाउस सेक्टर वाले लोग होते हैं घरगुती लोग जो हैं वो अपने फाइनल कंसंट के लिए चीजें ज्यादा खरीदेंगे कैपिटल एक्सपेंडिचर भी बढ़ेगा मतलब मतलब कि हमारे बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन अपने बिजनेस में और इन्वेस्टमेंट करेंगे और कैपिटल गुड्स खरीदेंगे और मशीनरी खरीदेंगे ता की प्रोडक्शन और बढ़ा सके बोलते हैं इंक्रीज इन सेल्स प्रॉफिट राइजिंग स्टॉक प्राइसेस एंड बैंक क्रेडिट बोलते हैं कि सेल्स बढ़ता है प्रॉफिट बढ़ता है स्टॉक मार्केट में प्राइसेस बढ़ती है और बैंक से हम ज्यादा लोन लेते हैं क्योंकि हमें और एसेट्स खरीदने हैं और प्रोडक्शन बढ़ाना है और इससे क्या होगा वापस से प्रोडक्शन बढ़ेगा और ये पूरा चलते जाता है चलते जाता है चलते जाता है बोले कब तक कब तक चलते रहेगा ये एक्सपेंशन में बोले ये तब तक चलते रहता है जब तक हमारे इकोनॉमी के रिसोर्सेस का फुल एंप्लॉयमेंट नहीं हो जाता तब तक ठीक है आगे बढ़े अगली बात अब एक सवाल था बेटा हमारे पिछले एग्जाम में कि कौन से स्टेज में होता है इन वॉलंटरी अन एंप्लॉयमेंट ऑलमोस्ट जीरो याद रखेंगे कौन से स्टेज में हमारे हमारे कौन से स्टेज में इन वॉलंटरी अन एंप्लॉयमेंट इज ऑलमोस्ट जीरो मुझे बताइए बोलते हैं ये होता है कहां पे एक्सपेंशन स्टेज में तो दो प्रकार का अन एंप्लॉयमेंट होता है एक होता है वॉलंटरी एक होता है इनवोलू क्या होता है कि हमको जॉब मिल रही है लेकिन हमको करना नहीं है ये होता है वॉलंटरी अन एंप्लॉयमेंट एक होता है इवॉलेंट अन एंप्लॉयमेंट मतलब मतलब हमको जॉब करनी है पर मिल नहीं रही तो ये तो बहुत बुरी चीज होती है बोले ये चीज एक्सपेंशन में नहीं होती इन वॉलंटरी अन एंप्लॉयमेंट इज ऑलमोस्ट जीरो बोलते हैं फिर भी कुछ बेरोजगारी इकोनॉमी में हो सकती है एक्सपेंशन में जो या तो फ्रिक्शनल हो सकती है या स्ट्रक्चरल फ्रिक्शनल अनप्लड क्या होता है कि जब हम जॉब चेंज करते हैं समझो मैं कोई पुरानी कंपनी में था अब हम नई कंपनी में जब शिफ्ट होंगे तो बीच में दो-तीन महीने के लिए हम जॉब जब ढूंढते हैं तब कोई जॉब होती नहीं हमारे पास वो दो-तीन महीने के लिए जो हम अनप्लड है उसको बोलते हैं फ्रिक्शन अन एंप्लॉयमेंट बोलते हैं जब हमारे इकोनॉमी में स्किल्स का मिसमैच होता है जब हमारे इकोनॉमी में क्या होता है स्किल्स का मिसमैच मतलब कंपनी को जो स्किल्स चाहिए वो सामने वाले बंदे में है ही नहीं तो कंपनी जॉब देना चाहती है बस सामने वाले सामने वाला ढोकला उसको कुछ जम ही नहीं रहा तो उसको जॉब का को देंगे इसको बोते है स्ट्रक्चरल अनमल मेंट इसमें इकोनॉमिक की गलती नहीं है लोग ढोकले यहां पे इसलिए ऐसा हो रहा है नेक्स्ट ये होता है एक्सपेंशन स्टेज बोलता है एक्सपेंशन जो ग्रोथ रेट जो एक्सपेंशन में ग्रोथ होती है ना एक पॉइंट के बाद इवेंचर रीच होता है बग स्टेज बोलते है ग्रोथ रेट इन एक्स इली स्लो ए चे इट पक बो पक होता है टॉप या हा याद रखेंगे एमसी आ सकता है बोलते है सुनना न से क्या बोल रहा यह लिखा है पक के अंदर लेकिन यह जो लाइन है ना यह है एक्सपेंशन की बोलते है इन द लेटर स्टेस ऑफ एक्स मतलब मतलब य की बात कर रहा है यह है बेटा लेटर स्टेजेस ऑफ एक्सपेंशन बोलता है प्लीज ध्यान से सुनना मैं क्या बोल रहा हूं बोलता है एट द लेटेस्ट स्टेजेस ऑफ एक्स या इन द लेट स्टेज स्टेजेस ऑफ एक्सपेंशन क्या होता है ना बोलते है इनपुट्स आर इनपुट्स आर डिफिकल्ट टू फाइंड एज दे आर शॉर्ट ऑफ द डिमांड एंड देर फॉर इनपुट प्राइस इंक्रीज ये क्या बोलना चाह र है कुछ भी झेप नहीं रहा बोलते क्या होता है एक्सपेंशन में ना सबका सेल बढ़ रहा प्रॉफिट बढ़ रहा तो मार्केट में ना और नए सेलर्स आते हैं क्योंकि बाकी सबको देखते हैं अरे वाह इतना सेल हो रहा इतना प्रॉफिट चलो चलो हम भी बिजनेस करते हैं तो हर प्रोडक्ट को बनाने वाले र बहुत बढ़ जाते हैं जिससे इनपुट की डिमांड बढ़ जाती है समझो कपड़े का बिजनेस बहुत चल रहा है तो बहुत सारे लोग आ जाएंगे कपड़े के बिजनेस में अब कपड़ा बनाने के लिए जो इनपुट लगेगा उसका डिमांड एकदम से बढ़ जाएगा पर इतना कपड़ा बनना भी तो चाहिए ना इतना कप कपड़ा सप्लाई भी तो होना चाहिए है ना तो क्या हुआ कि इनपुट्स इतने ज्यादा सेलर बढ़ गए कि इनपुट्स आर डिफिकल्ट टू फाइंड एज देर शॉर्ट ऑफ द डिमांड एंड देयर फॉर इनपुट प्राइसेस धीरे-धीरे बढ़ना चालू हो जाती हैं अब अगर कपड़े ये जैसे शर्ट बनाने का जो क्लॉथ है अगर वही महंगा हो जाएगा तो ये शर्ट भी महंगा हो जाएगा तो अगर इनपुट महंगा होता है तो आउटपुट भी महंगा होगा हमारे इकोनॉमी में जो फिक्स्ड इनकम अर्नर्स होते हैं जैसे सैलरी वाले जो एक फिक्स्ड सैलरी कमाते हैं हर महीने वो उनका ना हर महीने सेट रहता कि देखो महीने का 0000 का क की तंकवा है हम इसमें 25000 खर्चा करेंगे और 5000 सेव करेंगे अब पता चला कि जब आउटपुट की प्राइसेस भी बढ़ गई मतलब धीरे-धीरे सारी चीजें महंगी हो रही है अब 0000 की तंकवा है और खर्चा हो रहा है 29000 का तो अब उनको डर लगना चालू हो जाता है कि यार हमारे ऊपर तो बहुत अब प्रेशर आ रहा है हम ज्यादा पैसों की सेविंग तो कर ही नहीं पा रहे चलो चलो एक काम करते हैं हम जो पहले इतना ज्यादा चीजें खरीद रहे थे हम जब पहले इतनी ज्यादा चीजें खरीद रहे थे सेल इतना बढ़ रहा था हमारे कंट्री में एक काम करो भैया अब चेक करो हम कहां-कहां पे पैसा बचा सकते हैं बोले हमारा कॉस्ट ऑफ लिविंग अब बढ़ चुका है चीजें बहुत महंगी हो गई है जिंदगी जीना महंगा हो गया है हैं क्योंकि अभी बेसिक चीजें खरीदने में भी बहुत खर्चा हो जा रहा है इसके इसके वजह से हमारे ऊपर बहुत ज्यादा स्ट्रेस आ गया कि इसके ऊपर फिक्स्ड इनकम अर्नर्स के ऊपर एंड अब क्या करेंगे वो रिव्यू करेंगे क्या करेंगे दे विल रिव्यू हम दे विल रिव्यू कंजू देयर कंसंट एक्सपेंडिचर ऑन हाउसिंग एंड ड्यूरेबल गुड्स वो रिव्यू करेंगे क्या रिव्यू करेंगे वो लोग बताओ वो रिव्यू करेंगे कि हम अब कौन सेकन से खर्चों को कम कर सकते हैं तो पहले जो दनादन दनादन अदा धूत खर्चा हो रहा था इकोनॉमी में अब वो धीरे-धीरे आके क्या हो जाएगा स्टेबलाइज हो जाएगा तो बोलता है यह कहां हो रहा है ये सारी चीजें इन द लेटर स्टेजेस ऑफ एक्सपेंशन तो क आपको एमसीक्यू आएगा इंक्रीजड कॉस्ट ऑफ लिविंग कहां होता है एक्सपेंशन स्टेज में आपको पूछेगा हम कहां रिव्यू करते हैं कंजमपट्टी चर को बताओ एक्सपेंशन स्टेज में अब बोलेगा एंड द एक्चुअल डिमांड स्टैग्नेट्स स्टैग्नेट मतलब थम जाना रुक जाना बोलते हैं कौन से कौन से स्टेज में कौन से फेज ऑफ बिजनेस साइकल में एक्चुअल डिमांड स्टैग्नेट हो जाती है याद रखेंगे पीक में बोलते है पीक इज द एंड ऑफ एक्सपेंशन एंड व्हेन इकोनॉमिक ग्रोथ हैज रिच्ड इ रीच द क्या बताइए वेर इट विल स्टेबलाइज उसके बाद पीक के बाद क्या होता है अब हमारा जीडीपी का वैलू गिरना चालू हो जाता है इकोनॉमी में समझ में आ रही बातें बताइए कम ऑन फास्ट डन है फिर बात आती है क्या बताइए कंट्रक्शन स्टेज कंट्रक्शन को हम डाउन स्विंग या रिसेशन भी बोल सकते हैं बोलते देखो बोलते देखो क्या हुआ कि जब एकदम से अब लोगों ने चीजों को खरीदना कम कर दिया ना बोलते हैं ये एकदम से ना प्रोड्यूसर को समझ में नहीं आता प्रोड्यूसर ना अभी भी जो सेलर्स है वो अभी भी अपने ये एक्सपेंशन वाले मूड में है अरे उनको कोई मैसेज थोड़ी ना आएगा मोदी जी मैसेज करेंगे मित्रों आपका अभी पीक एक्सपेंशन स्टेज खत्म हो चुका है अब ना कंट्रक्शन आने वाला है तो मित्रों अपने प्रोडक्शन को कम कीजिए ऐसा क्या मैसेज आएगा क्या कोई मुझे बताइए ऐसा कोई मैसेज तो आएगा नहीं तो फिर क्या होगा बोले बोले प्रोड्यूसर को समझ में नहीं आता है प्रोड्यूसर्स को समझ में नहीं आता कि डिमांड कम हो गई वो तो अपने ही मजे में वो दनादर दनादर प्रोडक्शन बढ़ाते जा रहे बढ़ाते जा रहे क्योंकि इतना सेल बढ़ रहा था पास्ट में पर धीरे-धीरे क्या होता है डिमांड और सप्लाई में मिसमैच देखने को मिलता है पता चलता है कि सप्लाई तो नाधन बढ़ता जा रहा है पर लोग तो उतने खरीदने आ ही नहीं रहे हैं अब उनको झ पता अरे यार अब तो गड़बड़ हो गई बोलते हैं प्रोड्यूसर्स नाउ बीइंग अवेयर ऑफ द अबब दे रेस्पों बाय होल्डिंग बैक फ्यूचर इन्वेस्टमेंट प्लान बोलते हैं काम करो अरे रुको रुको रुको रुको वो वो जो 10 मशीनरी एक्स्ट्रा मशीनरी का ऑर्डर दिया था ना यार पहले उसको कॉल करके कैंसल करवाओ यार हैं हमने जो वो हमने जो वो एक क्या बताइए एक्स्ट्रा लेबरर्स को बुलाने वाले थे रॉ मेटल आने वाले थे यार सारे ऑर्डर कैंसिल करो क्योंकि ऑलरेडी इतना ज्यादा माल एक्स्ट्रा का पड़ा हुआ है और प्रोडक्शन नहीं कर सकते भैया सारे ऑर्डर कैंसिल करो बोलते दिस अब अब देखो तुमने जहां से तुम मशीनरी खरीदने वाले थे तुमने मशीनरी वाले को कॉल किया भैया 10 मशीन का ऑर्डर कैंसिल अब मशीनरी वालो जो था उसको भी दिक्कत हो गई क्योंकि उसका सेल अब कैंसिल कर दिया ना आपने अब वो भी जहां से मशीनरी बना रहा होगा उसको बोलेगा अरे भैया अब तुमसे स्पेयर पार्ट नहीं चाहिए हम हम ऑर्डर कैंसिल मतलब धीरे-धीरे पूरे इकोनॉमी में दनादन दनादन दनादन दनादन सब लोग ऑर्डर कैंसिल कैंसिल कैंसिल कैंसिल कैंसिल करते जा रहे हैं डिमांड कम होते जा रही है सेल कम होते जा रही है दिस इज द बिगिनिंग ऑफ रिसेशन अब याद रखें बोलते है कंट्रक्शन और रिसेशन में फर्क क्या है अगर इंस्टिट्यूट पूछता है रुकिए अगर इंस्टिट्यूट रुक अगर इंस्टिट्यूट बेटा पूछता है क्या पूछता है कि डिक्लाइन ऑफ एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी यह क्या है बोलेंगे इसका मतलब होता है कंट्रक्शन लेकिन अगर आपको बोला डिक्लाइन इन एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम ऐसा बोला तो तो यह होता है रिसेशन याद रखेंगे तो मतलब अगर यह लाइन आया इसके साथ तो रिसेशन अगर ये लाइन नहीं दी है तो सिर्फ इतना बोला है डिक्लाइन इन एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी तो कंट्रक्शन अब इसका टेक्निकल या लॉजिकल बात ये होती है कि जब हमारा कंट्रक्शन स्टेज जब जीडीपी की वैल्यू गिरती है गिरती है गिरती है टू और मोर क्वार्टर के लिए क्वार्टर मतलब तीन महीने तो अगर कंट्रक्शन का स्टेज छ महीने या उससे ज्यादा है ना टू और मोर क्वार्टर्स मतलब छ महीने या उससे ज्यादा के लिए कंट्रक्शन स्टेज चलता है ना तो बोलते हैं कि इकोनॉमिक रिसेशन में आज आ गई है राइट तो अगर बोला डिक्लाइन ऑफ एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी कॉन्ट्रक्शन बोलेंगे डिक्लाइन ऑफ एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम तो बोलेंगे रिसेशन इसमें इंस्टिट्यूट ने बहुत गड़बड़ की है बहुत से लोग भी उसको गड़बड़ तरीके से पढ़ते हैं मैं जो बोल रहा हूं वो फॉलो करें ये बिल्कुल सही है ठीक है आगे नेक्स्ट बोलते हैं कि अब धीरे-धीरे क्या होगा इनपुट का डिमांड गिर जाएगा क्योंकि अब हमको प्रोडक्शन ज्यादा बनाना ही नहीं है हमको ज्यादा गुड्स सर्विस बनाना ही नहीं है तो इनपुट का डिमांड कम तो इनपुट प्राइसेस गिरना चालू हो जाएगी अच्छा लोगों को जॉब से निकालना चालू कर देंगे क्योंकि ऑलरेडी इतना एक्स्ट्रा का प्रोडक्शन हो के रखा है तो लोगों को जॉब से निकालेंगे लोगों की इनकम कम हो जाएगी इनकम कम होगी तो क्या होगा लोग जो है चीजों को खरीदेंगे ही नहीं अच्छा प्रोड्यूसर जो है ना सेलर है वो सेलर्स जो है बोलेंगे यार एक काम करो ना एक काम करो डिस्काउंट लेके आओ बोले 20 पर डिस्काउंट 30 पर डिस्काउंट कंज्यूमर बोलेंगे अच्छा बेटा अभी डिस्काउंट दे रहा है क्या तू रुक अभी भी नहीं लूंगा और डिस्काउंट और डिस्काउंट दे फिर सोचूंगा बोले बोले प्रोड्यूसर्स या सेलर्स इन विल लोअर दे प्राइस इन ऑर्डर टू डिस्पोज ऑफ देर इन्वेंटरी अरे भैया जो इतना माल पड़ा है कुछ तो बिके अरे कुछ तो पैसा आए भैया डिस्काउंट में बेचो पर कुछ तो बके लोग जो ये लोग जो है डिस्काउंट ऑफर दे रहे हैं कंज और बोलते हैं नहीं नहीं नहीं नहीं अभी नहीं अभी करो थोड़ा इंतजार ऐसे बोलते हैं कंज्यूमर एक्सपेक्ट फर्द डिक्रीज इन प्राइस बोलते हैं तुम प्राइस कम किया ना और होंगा हम तब लेंगे कोई जल्दी नहीं हमको करो करो आराम से करो करो बोलते हैं दे पोस्टपोन देर परचेस मतलब प्रोड्यूसर्स की जिंदगी और कठिन हो जाती है धीरे-धीरे एग्रीगेट डिमांड और गिरता है और गिरता है डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप बहुत बढ़ जाता है मतलब सप्लाई बहुत ज्यादा है अब डिमांड बहुत ही ज्यादा कम है क्योंकि डिमांड कम कम होते जा रहा है सप्लाई बढ़ नहीं रहा सप्लाई जितना है उतना ही है पर डिमांड कम कम कम कम होते जा रहा है जिस जिके वजह से दोनों के बीच में गैप बहुत बढ़ रहा है इससे रिसेशन और खतरनाक और सीवियर होता है बिजनेस फर्म्स पेसम मिस्टिक हो जाते हैं फ्यूचर के लिए नेगेटिव सोचते हैं कि यार अब तो सब अब जान दो यार इतना टाइम हो गया डिस्काउंट मिला रहे फिर भी नहीं बिक रहा यार अब तो सेल गिरेगा ही अब तो प्रॉफिट गिरेगा ही है ना यार एक काम करो इन्वेस्टमेंट कम करो बिजनेस प्रोडक्शन कम करो यार और जितने भी है ना एंप्लॉई यार जितना कम कर सकते करो यार है ना बैंक्स बैंक वाले बोलेंगे ए सुनना ए ऑर्गेनाइजेशन सुनना रे लोन लेता क्या अरे देखो कम रेट में देते लोन अरे लोन लेना है लोन ले ले अरे ढोकले लोन होना ही नहीं मेरे को प्रोडक्शन करना ही नहीं है मशीनरी होना है हमको एसेट ही नहीं करने काको लोन ले तुमसे हैं बैंक लोन भी डिक्रीज इन्वेस्टर कॉन्फिडेंस इज एट इट्स लोएस्ट एंड स्टॉक प्राइसेस फॉल है ना मार्केट में कंपनी का स्टॉक प्राइसेस गिरना चलगा क्यों अरे भैया माल ही नहीं बिगा है मतलब देखो माल नहीं बिगा इसका मतलब ये नहीं कि एकदम जीरो हो गया पहले के कंपैरिजन में बहुत कम सेल हो रहा है ऐसा समझो आप कभी भी कंट्रक्शन में ऐसा नहीं होता कि सेल जीरो हो गया सेल जीरो नहीं होता है मतलब यहां पे पहले के कंपैरिजन में बहुत कम हो जाता है सेल ऐसा समझो आप ठीक है ना तो धीरे-धीरे मार्केट में भी लोग बोलते हैं कि यार अब तो कंपनी ज्यादा काम कर ही नहीं रही है ज्यादा पैसा नहीं कमा पा रही है तो भैया शेयर बेचो निकल लो तो बहुत सारे लोग स्टॉक मार्केट में शेयर बेचना चालू कर देते हैं जिससे प्राइसेस गिरना चालू हो जाती है शेयर्स की ठीक है ये सब कहां होता है कॉन्ट्रक्शन में फिर सीवियर कंट्रक्शन जब कंट्रक्शन स्टेज बहुत ज्यादा सीवियर हो जाता है तो हमारी इकोनॉमी कहां जाती है ट्रफ में या डिप्रेशन में ये होता है लोएस्ट पॉइंट ऑफ द इकॉनमी ऑफ द बिजनेस साइकल बोलते हैं कि एमसीक्यू आता है ये एमसीक्यू आया ठीक है ना कौन से स्टेज में ग्रोथ रेट जो है ना नेगेटिव हो जाता है कौन से स्टेज में ग्रोथ रेट जो है ना वो नेगेटिव हो जाता है ठीक है बोलते हैं ट्रफ में होता है डिप्रेशन में ऐसा होता है तो एमसीक्यू आ है इन व्हिच स्टेट द ग्रोथ रेट बिकम नेगेटिव नेशनल इनकम एक्सपेंडिचर डिक्लाइंस रैपिड बताइए कहां पे यस हमारे डिप्रेशन स्टेज में बोलते हैं एग्रीगेट डिमांड एग्रीगेट डिमांड डिक्रीजस प्राइसेस आर एट इट्स लोएस्ट प्राइसेस बहुत कम हो गई चीजों के फिर भी लोग नहीं ले रहे तो बहुत सारे कंपनीज को तो शट डाउन करना पड़ता है कि भैया आप तो कंपनी बंदी कर देते क्योंकि अब तो सेल ही नहीं हो रहा इट लीड्स टू माउंटिंग माउंटिंग मतलब बढ़ते जा रहा है माउंटिंग मतलब बढ़ते जा रहा है बेरोजगारी बढ़ते जा रही है है ना च लीव्स कंज्यूमर्स विद वेरी लिटल इनकम एमसीक्यू आता है अगेन अ टिपिकल फीचर ऑफ डिप्रेशन इज व्ट फॉल इन द इंटरेस्ट ट्स टिपिकल फीचर ऑफ डिप्रेशन इज व्ट इ फॉल इन इंटरेस्ट्स बोलते ये एमसी आता है टिपिकल फीचर ऑफ डिप्रेशन इज डैश इन इंटरेस्ट रेट्स इ फॉल इन इंटरेस्ट रेट बोलते ब बैंक वाले इंटरेस्ट रेट कम कर देते हैं कि यार आ जाओ यार आ जाओ लोन लेकर चले जाओ पर बैंक वाले जब इंटरेस्ट कम करते हैं ना देखो अगर बैंक वाला लोन प इंटरेस्ट कम देगा तो जो लोगों ने पैसा डिपॉजिट किया है बैंक में उनको भी तो ये अब कम रेट प देगा मतलब जैसे समझो तुमने पहले एफडी बनाई थी 6 पर पे अब अगर नया एफडी बनाओगे ना तो 3 ही पर देगा बैंक अब समझो बात कि अगर बैंक वाले जब लोन बांट रहे हैं तो सामने लोन वालों से अगर रेट कम लेंगे इंटरेस्ट तो फिर तुमको भी जो डिपॉजिटर होंगे उनको भी इंटरेस्ट कम मिलेगा तो धीरे-धीरे बैंक में पैसा डिपॉजिट करना करने का कोई फायदा ही नहीं बचेगा क्योंकि बैंक वाले ज्यादा इंटरेस्ट हमको देंगे च नहीं सो पीपल्स डिमांड फॉर होल्डिंग लिक्विड मनी विल इंक्रीज लोग बोलेंगे छोड़ो बैंक को यार पैसा हाथ में ही रखो कैश को मैं काको बैंक में इन्वेस्ट करना है बैंक वाले तो कुछ ज्यादा हमको दे ही नहीं रहे रेट भैया कैश में रखो पैसा डिस्पाइना कम इंटरेस्ट रेट लिया है फिर भी लोग जो है पैसा नहीं उठा रहे बैंक से बिजनेस में पैसा नहीं लगा रहे क्यों क्योंकि सब लोग बहुत पेसिम मिस्टिक हो गए इन्वेस्टर्स कॉन्फिडेंस हैज फॉलन है ना बैंकिंग या फाइनेंशियल क्राइसिस हो सकता है इस केस में ये क्या होता है बोलते हैं कि हमने जिन लोगों को लोन बांटा बैंक ने जिन लोगों को लोन बांटा वो पैसा वापस दे नहीं रहे और डिपॉजिटर्स आ रहे हैं सब लोग कि हमारा पैसा वापस करो हमारा पैसा वापस करो बैंक बैंक बोल रहा है अरे भैया अरे आपका पैसा ही तो लोन प दिया था वो लोग वापस नहीं दे रहे तो आपको कहां से वापस दूंगा इसको बोलते है बैंकिंग क्राइसिस बताओ आगे बोलते इंडस्ट्रीज स्पेशली कैपिटल एंड कंज्यूमर ल गुड्स इंडस्ट्री सफर फ्रॉम एक्सेस कैपेसिटी मतलब मतलब कि हमारी कैपेसिटी है 5000 मशीनरी बनाने की पर हम बना रहे हैं सिर्फ सिर्फ 500 मशीनरी क्योंकि मशीनरी खरीदने के लिए कोई आ ही नहीं रहा है बहुत ज्यादा एक्सेस कैपेसिटी पड़ी है आइडल कैपेसिटी पड़ी है और बहुत सारी कंपनीज बेटा बैंकर हो जाती है या लिक्विडेट एसेट वासेट बेचकर कंपनी को बंद कर डालते हैं कहां पे इस डिप्रेशन स्टेज में लेकिन सारी कंपनीज नहीं होती ऐसी कुछ कुछ कंपनीज जो बिल्कुल नहीं सहन कर पाती डिप्रेशन स्टेज को बंद हो जाती है लेकिन बहुत स चालू भी रहती है ठीक है ना ओके लेकिन बेटा देखो जिंदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है तो अगर हार आई है तो जीत भी होनी है अगर दुख का समय आया तो खुशी का समय भी आना ही है बोलते दुख भरे दिन भी तेरे भैया अब सुख आयो रे है ना रंग जीवन में नया लायो रे यह होता है रिकवरी स्टेज में मतलब मतलब रिकवरी स्टेज बोलते देखो यार ट्रफ स्टेज आता है डिप्रेशन आता है पर कभी ना कभी जिंदगी में कभी ना कभी रिकवरी तो होनी ही होनी है बोलते हैं कभी भी इकोनॉमी एक्संड नहीं हो सकती एंडलेसली कभी भी इकोनॉमिक कांट्रैक्ट नहीं हो सकती एंडलेसली बोलते हैं ट्रफ लास्ट फॉर सम टाइम एंड मार्क्स द एंड ऑफ पेसिम जम एंड बिगिनिंग ऑफ ऑप्टिमिस बोलते है दिस रिवर्सेज द प्रोसेस ये प्रोसेस को रिवर्स कर देता है बोल रहा है क्या बोल रहा है बोलते है दिस रिवर्सेज द प्रोसेस है ना बोलते हैं क्या होता है प्रोसेस ऑफ रिवर्सल बोलते हैं कि लोगों को जॉब से निकाल दिया था अब जो लेबरर्स है ना वो बहुत टाइम से जॉब पे गए ही नहीं है पहले उनको महीने का 0000 मिलता था अब लेबरर्स बोलते हैं सर जी प्लीज कुछ काम दे दो मैं 3000 में भी काम करने को रेडी कुछ तो भी काम दे दो आप समझ रहे हो क्या बात क्योंकि आप सोचो ना जब घर पे कुछ पैसा ही नहीं आ रहा है खाना भी नहीं खरीद पा रहे हैं क्योंकि इतने टाइम से कोई इनकम नहीं हो रही है हम पहले ₹1000000 में काम करते थे अब बोलते हैं भैया 3000 दे दो उसमें भी चलेगा पर बस कुछ काम दे दो बोलते हैं परवेज परवेज मतलब हर जगह इतनी बेरोजगारी थी इट फोर्सेस द वर्कर टू एक्सेप्ट लोअर वेजेस वर्कर जो है ना लोअर वेजेस में काम करना चालू कर देते हैं पहले जो लोग 10000 ले रहे थे वो 3000 4000 में काम करने को रेडी हो गए प्रोड्यूसर्स अब क्या सोचते हैं अरे वाह पहले जिन लेबरर को 10000 देने थे उनको 3 चज देने हैं हमारा तो कॉस्ट कितना कम हो गया अच्छा इनपुट भी मार्केट में सस्ता मिल रहा है चलो यार एक काम करते हैं करते हैं वापस से बिजनेस है ना बोलते हैं प्रोड्यूसर्स एंटीसिपेट लोअर कॉस्ट कि यार चलो कॉस्ट कम रहेगा और अभी ना धीरे-धीरे जब कॉस्ट कम रहेगा ना हम और प्राइसेस कम कर पाएंगे कुछ ना कुछ तो लोग लेंगे यार धीरे-धीरे बोलते हैं स्लोली स्लोली बिजनेस कॉन्फिडेंस टेक्स ऑफ एंड फर्म स्टार्ट टू इन्वेस्ट अगेन इन द बिजनेस है ना धीरे-धीरे स्टॉक बढ़ाना चालू करते हैं अब बोलता है टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स बोलते देखो क्या होता है ना कि जब जब लोग इतने खाली बैठे रहते है ना घर पे तब एकदम खुराफाती दिमाग चलता कि बोले चलो कुछ नया करते हैं कोई ऐसी मशीनरी बनाते हैं जो और कम कॉस्ट में हमारा प्रोडक्ट बना के दे तो ऐसे टाइमों में ना टेक्नोलॉजी का एडवांसमेंट बहुत होते हैं व्हिच रिक्वायर्स फ्रेश इन्वेस्टमेंट अब नया टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना है तो पैसा लगेगा पैसा कहां से ल तो लोग बैंक से पैसा लेके आएंगे बैंक से पैसा लाएंगे मशीनरी लाएंगे नई टेक्नोलॉजी वाली इसको चलाने के लिए एंप्लॉयज को लेके आएंगे एंप्लॉयज आएंगे तो उनको कम होगी सैलरी मिलेगी सैलरी मिलेगी तो अब ये लोग धीरे-धीरे चीजें खरीदना चालू करेंगे तो एग्रीगेट डिमांड वापस से बढ़ना चालू होंगी धीरे-धीरे चीजों का प्राइसेस बढ़ेगा धीरे-धीरे अपने आप इकोनॉमी में क्या होगा बोलते हैं प्राइस मैकेनिज्म एक्ट्स एज अ सेल्फ करेक्टिंग प्रोसेस इन द फ्री मार्केट इकोनॉमी अपने आप डिमांड सप्लाई के फुर्सत से अब क्या होगा वापस से इकोनॉमी हमारी अब एक्सपेंशन स्टेज में आ जाएगी एमसीक्यू आता है डैश डैश कॉसेस रिकवरी ऑफ द इकोनॉमी याद रखेंगे स्परिंग ऑफ इन्वेस्टमेंट स्परिंग मतलब इन्वेस्टमेंट बढ़ना हमारे इकोनॉमी में जब सारे फर्म्स मिलके इन्वेस्ट करेंगे पैसा अपने बिजनेस में और कैपिटल गुड्स खरीदेंगे स्परिंग ऑफ इन्वेस्टमेंट लीड्स टू रिकवरी इन द इकोनॉमी और जिससे हम वापस से अब एक्सपेंशन स्टेज में आएंगे और फिर से ये कहानी चालू हो जाएंगी ये फिर से कहानी चालू हो जाएंगी यस बस डन है बात आगे बढ़े अब अगली बात आती है अगली बात आती है बेटा फीचर्स ऑफ बिजनेस साइकल व्हाट आर द फीचर्स ऑफ बिजनेस साइकल पहले देखेंगे बोलते हैं फीचर्स ऑफ बिजनेस साइकल बिजनेस साइकल डू नॉट एबिट द सेम रेगुलेरिटी ऑलवेज है ना मतलब बोलते हैं कि देखो ये ऐसा नहीं तो कि हर दो-दो महीने में पहले दो महीने एक्सपेंशन दो महीना पीक दो महीना कंट्रक्शन दो महीना ट्रफ दो महीना एक्सपेंशन दो महीना ऐसा नहीं होता बोले कि ये देखो ये फेजेस ऐसे-ऐसे ये फेजस आने तो है लेकिन हर बार इनका ड्यूरेशन अलग हो सकता है पिछली बार 3 महीने तक एक्सपेंशन चला था इस बार 1 साल तक एक्सपेंशन चला पिछली बार एक्सपेंशन में इंटेंसिटी पिछली बार एक्सपेंशन में 5 पर जीडीपी बढी थी इस बार एक्सपेंशन में एक ही पर जीडीपी बढी तो इसका इंटेंसिटी इसका ड्यूरेशन हमेशा वेरी कर सकता है बोलते हैं द फेजेस सेल्डम सेल्डम मतलब कभी-कभार डिस्प्ले स्मूदनेस रेगुलेरिटी बोलते जनरली अब बहुत इंपोर्टेंट पॉइंट है कि याद आ रहा है चैप्टर वन में बताया था कि जनरली बेटा बिजनेस साइकल जो है ना फ्री मार्केट इकोनॉमी में ही देखने को मिलते हैं यह सोशलिस्टिक इकोनॉमी में देखने को नहीं मिलते और जैसे ही एक सेक्टर में एक्सपेंशन आता है ना धीरे-धीरे बाकी सेक्टर में भी वो ट्रांसमिट हो जाता है ऐसा एमसीक्यू आएगा कौन सी इंडस्ट्री ज्यादा अफेक्ट होती है बिजनेस साइकल से बोलते हैं कैपिटल गुड्स एंड ड्यूरेबल गुड्स इंडस्ट्री आर डिस प्रोपोर्शनली ये ज्यादा अफेक्ट होती है किसके वजह से हमारे बिजनेस साइकल की वजह से इंडस्ट्रियल सेक्टर इज मोर प्रोन कंपेयर्ड टू एग्रीकल्चर सेक्टर कौन सा सेक्टर ज्यादा प्रोन है मतलब कौन से सेक्टर में ज्यादा इफेक्ट होगा बिजनेस साइकल का इंडस्ट्रियल सेक्टर को एमसीक्यू आता है व्हिच सेक्टर इज मोर मोर प्रोन टू बिजनेस सेकल इंडस्ट्रियल सेक्टर इज मोर प्रोन है ना जहां पे गुड सर्विसेस हम मैन्युफैक्चर कर रहे है ना मतलब जहां पे गुड्स मैन्युफैक्चर की बात हो रही है वो तो इंडस्ट्रियल सेक्टर इज मोर प्रोन वहां पे ज्यादा दिक्कत होगी ज्यादा इफेक्ट होगा बिजनेस साइकल का नेक्स्ट बिजनेस साइकल इज अ कॉम्प्लेक्शन मिन कॉम्प्लेक्शन है एमसीक्यू आएगा क्या हर बार हर बार एक्सपेंशन पीक कंट्रक्शन इनका हर बार क्या सेम कैरेक्टरिस्टिक होंगे हर बार हर बार एक्सपेंशन में जो पिछली बार हुआ था एगजैक्टली वही चीजें होगी अगली बार ऐसा जरूरी है नहीं बोलते हैं दे डू नॉट हैव दे बिजनेस साइकल डू नॉट हैव यूनिफॉर्म कैरेक्टरिस्टिक एंड कसेस एमसीक्यू आता है चच ऑफ द फॉलोइंग इज इनकरेक्ट बोलेंगे बिजनेस साइकल हैव यूनिफॉर्म कैरेक्टरिस्टिक सही है नहीं बिजनेस साइकल डू नॉट हैव यूनिफॉर्म कैरेक्टरिस्टिक ओके आगे बोलते है रेपर कशन ऑफ बिजनेस साइकिल ये बिजनेस साइकल है ठीक है ना ऑ ब साइकल गेट साइमल असली फेल्ट ये एमसीक्यू पूछा था आप सोचो यह शब्द पे कि बिजनेस साइकल के जो रेपर कशन है ना बिजनेस साइकल के जो रिपर कशन है ना वो सारे इकोनॉमिक वेरिएबल प एक साथ देखने को मिलता है ऐसा तो इस ये डैश था ये था डैश बोलते बिजनेस साइकल के जो इफेक्ट्स है वो सारे इकोनॉमिक वेरिएबल प एक साथ देखने को मिलते हैं है ना अच्छा क्या सिर्फ प्रोडक्शन के बढ़ने से आता है क्या एक्सपेंशन क्या सिर्फ प्रोडक्शन के गिरने से कंट्रक्शन आता है आंसर है नहीं याद रखना एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी सिर्फ प्रोडक्शन के वजह से एक्सपेंशन नहीं आता प्रोडक्शन के साथ-साथ एंप्लॉयमेंट बढ़ेगा इनकम बढ़ेगा सेल बढ़ेगा प्रॉफिट बढ़ेगा स्टॉक मार्केट प्राइसेस बढ़ेंगी बैंक वाले ज्यादा लोन देंगे सारी एग्रीगेट इकोनॉमिक एक्टिविटी के चेंजेज के वजह से बिजनेस सकर आते हैं याद रखेंगे ठीक है बोलते हैं बिजनेस से कंटे जिस होते हैं एक सेक्टर में होता है बिजनेस सेक्टर तो एक सेक्टर में एक्सपेंशन हुआ तो बाकी जगह पे फैलता है एक कंट्री में एक्सपेंशन हो रहा है तो उसके इफेक्ट बाकी जगहो प भी देखने को मिलते हैं बाकी कंट्रीज में देखने को मिलते हैं जिनके साथ हम एक्सपोर्ट इंपोर्ट के ट्रांजैक्शन करते हो बोलते बिजनेस साइकल हैव सीरियस कंसीक्वेंसेस ऑन द वेल बीइंग ऑफ द सोसाइटी मैंने आपको बताया था ग्रेट डिप्रेशन के बारे में कि बहुत से लोगों ने सुसाइड तक कर लिया था ग्रेट डिप्रेशन में इतना ज्यादा अफेक्ट करता है बिजनेस साइकल लोगों को है ना आगे फिर बात आती है इंडिकेटर्स बोलते हैं की सुनना ध्यान से अभी सुनेंगे यस कम चलिए बोलते इंडिकेटर बोते इंडिकेटर होते हैं ऐसे संकेत इंडिकेटर्स इंडिकेटर होते बेटा ऐसे संकेत च आर वट च आर डिफिकल्ट टू प्रेक्ट तोसे संकेत च आर डिफिकल्ट टू प्रिडिक्ट सॉरी बोलते हैं ऐसे संकेत होते हैं जो बताते हैं हमें बिजनेस साइकल के बारे में बोलते हैं कि बिजनेस साइकिल में कौन सा स्टेज आएगा ये प्रिडिक्ट करना बहुत ज्यादा डिफिकल्ट है कब टर्निंग पॉइंट आएगा ये प्रिडिक्ट करना बहुत डिफिकल्ट है इसीलिए इकोनॉमिस्ट क्या करते हैं इकोनॉमी के कुछ संकेतों को यूज करते हैं कि अगर इकोनॉमी में ऐसा हो रहा है ना अच्छा अगर ये हो रहा है तो एक्सपेंशन आएगा अच्छा ये हो रहा है तो कंट्रक्शन आएगा तो इकोनॉमिस्ट क्या करते हैं हमको पहले से तो पता नहीं चलेगा कब कंट्रक्शन आने वाला है कब एक्सपेंशन आने वाला है तो इन इस्ट क्या करते हैं इकोनॉमी के कुछ इंडिकेटर्स को देख के बताते हैं कि अगर ऐसा होगा तो एक्सपेंशन आएगा अगर ऐसा होगा तो कंट्रक्शन आएगा ऐसा सो इकोनॉमिस यूस चेंस इन वरायटी ऑफ एक्टिविटीज टू मेजर बिजनेस साइकल एंड टू प्रिडिक्ट वेर द इकोनॉमी इ हेडेड टुवर्ड्स है ना इसको क्या बोलते है इंडिकेटर तो आपको यह पूछता है यह किस चीज का डेफिनेशन है तो ये जनरल डेफिनेशन दिया है याद रखेंगे दिस इज अ जनरल डेफिनेशन ऑफ व्ट इंडिकेटर नेक्स्ट अब तीन प्रकार के हैं एक होता है लीडिंग इंडिकेटर एक होता है लगिंग इंडिकेटर एक होता है कोइंसिडेंटल कॉन्करेंट इंडिकेटर ध्यान देंगे व्हाट इज लीडिंग इंडिकेटर बोलते हैं कि पहले ही पता चल गया कि क्या होने वाला है यह होता है लीडिंग इंडिकेटर बोलते इकोनॉमी में कुछ होने से पहले इकोनॉमी में एक्सपेंशन होने से पहले पता चल गया कि एक्सपेंशन आने वाला है इंडिकेटर दैट चेंजेज बिफोर या इंडिकेटर दैट चेंजेज प्रायर टू इकोनॉमी स्टार्टस टू फॉलो अ पर्टिकुलर पैटर्न इसे बोलते हैं लीडिंग इंडिकेटर जैसे एमसीक्यू आएगा चेंजेज इन स्टॉक प्राइस वैल्यू ऑफ न्यू ऑर्डर्स फॉर कंज्यूमर गुड्स है ना बिल्डिंग परमिट्स फॉर प्राइवेट हाउसे डिले डिलीवरी ये सब क्या है ये सब है इंडिकेटर्स क्या लीडिंग इंडिकेटर इसका मतलब मैं रेगुलर क्लासेस बताता हूं अभी मैराथन इसलिए आगे बढ़ते हैं नेक्स्ट लगिंग इंडिकेटर क्या है कुछ होने के बाद पता चल रहा है इकोनॉमी में एक्सपेंशन स्टेज हो चुका है फिर पता चला अच्छा पास्ट में एक्सपेंशन था क्या बोलते लगिंग इंडिकेटर दे रिफ्लेक्ट द इकोनॉमी हिस्टोरिकल परफॉर्मेंस कि पास्ट में क्या हुआ था दे आर ऑब्जर्वेटरी अकड तो लीडिंग इंडिकेटर बताते हैं लीडिंग यह बताते हैं कि क्या होने वाला है ये बताते हैं कि क्या हो चुका है तो लीडिंग इंडिकेटर बताते हैं ऑनसेट ये ऑनसेट बताते कि क्या कौन सा स्टेज चालू होने वाला है तो लीडिंग इंडिकेटर सिग्नल द ऑनसेट ऑफ बिजनेस साइकल लग लगिंग इंडिकेटर कंफर्म करते हैं पहले समझो लीडिंग ने बोला था कि एक्सपेंशन आने वाला है देखना फिर बाद में कुछ समय गुजर गया फिर हमने लगिंग इंडिकेटर चेक किया तो पता चला अरे हां पास्ट में एक्सपेंशन ही आया था तो लीडिंग इंडिकेटर सिग्नल द ऑनसेट ऑफ बिजनेस साइकल लगिंग कंफर्म्स दस ट्रेंड्स इसपे एमसीक्यू आ सकता है मैं एक्सपेक्ट कर रहा हूं इंस्टिट पूछेगा आपको बोलेगा अन एंप्लॉयमेंट बोलेगा अन एंप्लॉयमेंट कॉर्पोरेट प्रॉफिट्स लेबर कॉस्ट पर यूनिट प्राइम रेट है ना तो मार्केट में जब आप लोन लेने जाते हैं तो जिस रेट जो कम से कम रेट में आपको लोन मिलता है उसको प्राइम रेट बोलते हैं तो याद रखेंगे ये सब क्या है ये सब एग्जांपल है लगिंग इंडिकेटर के एंड आखिरी है कोइंसिडेंटल या कॉन्करेंट इंडिकेटर बोलते हैं ऐसे संकेत ऐसे इंडिकेटर जो इकोनॉमी के संगसंग चलते हो बोलते हैं दीज आर द इंडिकेटर्स दैट को इंसाइड और अकर साइमल नियस विद द बिजनेस साइकल मूवमेंट दे डिस्क्राइब द करंट स्टेट ऑफ अफेयर्स ये हमारे करंट स्टेट ऑफ अफेयर्स को डिस्क्राइब करते हैं कि अभी अभी कौन सा फेज चल रहा है बिजनेस साइकल में वो बताते हैं लोग तो जीडीपी का लेवल अगर बढ़ रहा होगा मतलब एक्सपेंशन चल रहा है प्रोडक्शन बढ़ रहा होगा मतलब एक्सपेंशन चल रहा है है ना लोगों की इनकम बढ़ रही है मतलब एक्सपेंशन चल रहा है ऐसा तो कोइंसिडेंटल है ना सं सं याद आ रहा ऐसा सं सं तो ये इंडिकेटर्स होते हैं जो बताते हैं करंट स्टेट स्टेट ऑफ अफेयर्स के बारे में कि करेंटली अभी इकोनॉमी में क्या चल रहा है ये सब क्या है एग्जांपल्स ऑफ को इंसीडेंटल इंडिकेटर बस आगे ब नेक्स्ट बात आती है कॉसेस ऑफ बिज साइकल एक होते है बेटा आपके इंटरनल कॉसेस है ना अच्छा मैंने ना मेरे अब एक तो सवाल ऐसा आएगा आपको आपको चार ऑप्शन दिए रहेंगे बताओ इसमें से एक्सटर्नल कॉज क्या नहीं है बताओ ऐसा तो आपको चार ऑप्शन देंगे जैसे आपको बोला ऑप्शन ए बी सी और ये है डी बताओ इसमें से चार ऑप्शन में से एक्सटर्नल वाला क्या नहीं है ऐसा तो बोलेंगे ऑप्शन डी समझ में आ रहा क्या क्या बो चलिए अब बात आती है सर इंटरनल या एंडोजीनस में क्या आएगा आपका एंडोजीनस मतलब इंटरनल कॉसेस इट इकोनॉमी के इंटरनल कॉसेस के वजह से बिजनेस साइकल आया ऐसा बोलते है अगर इफेक्टिव डिमांड डिंड बढ़ता है तो एक्सपेंशन आता है डिमांड गिरता है तो कंट्रक्शन आता है अगर बिजनेस में हम इन्वेस्टमेंट ज्यादा करेंगे ज्यादा कैपिटल गुड्स खरीदेंगे तो ज्यादा मशीनरी ज्यादा प्रोडक्शन होगा एक्सपेंशन इन्वेस्टमेंट कम प्रोडक्शन कम कंट्रक्शन वेरिएशन इन गवर्नमेंट स्पेंडिंग के वजह से भी क्या होगा बताइए हमारा एग्रीगेट डिमांड अफेक्ट होता है जिसके वजह से बिजनेस साइकल अफेक्ट होता है तो एग्रीगेट डिमांड बढ़ेगा तो बिजनेस साइकल बढ़ेगा एग्रीगेट डिमांड गिरेगा तो बिजनेस साइकल गिरेगा ऐसा है ना आपने बचपन में पढ़ा होगा एग्रीगेट डिमांड इज कंजमपट्टी चर प्लस इन्वेस्टमेंट एक्सपेंडिचर प्लस गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर प्लस एक्सपोर्ट मान इपोर्ट ऐसा कुछ याद रहा गया आपको ऐसा कुछ पढ़ा होगा आपने जो गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर है यह भी तो एग्र डिमांड को अफेक्ट करता है तो पहला पॉइंट इसकी बात कर रहा है दूसरा पॉइंट इसकी बात कर रहा है और यह वाला पॉइंट इसकी बात कर रहा है यह सब चीज एग्रीगेट डिमांड को कर रही है चलो जान जिसको यज नहीं पता कोई बात नहीं जितना मैं बता रहा उना याद रखें कोई बात नहीं आगे फिर बात करते हैं मैक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी भी हमें अफेक्ट करती है है ना तो इसमें देखो एक होती है एक्सपेंशनरी पॉलिसी एक होती है एंटी इन्फ्लेशनरी पॉलिसी ठीक है ना तो एक होती है एक्सपेंशनरी पॉलिसी एक होती है एंटी इन्फ्लेशनरी पॉलिसी बेटा इसका नाम स् श ले लेंगे बेटा एक होता है मोनेटरी पॉलिसी जो आरबीआई बनाता है एक होता है फिस्कल पॉलिसी जो गवर्नमेंट बनाता है करेक्ट राइट ध्यान दीजिए प्लीज तो बोलते हैं कंट्रक्शन पॉलिसी क्या होती है जब इकोनॉमी में इंफ्लेशन चल रहा हो और हम इन्फ्लेशन को कंट्रोल करना चाहते हैं ये होता है कंट्रक्शन मोनेटरी पॉलिसी हम मॉनेटरी पॉलिसी में इंटरेस्ट रेट को कम ज्यादा करते हम फिस्कल पॉलिसी में गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर टैक्सेस को कम ज्यादा करते हैं ठीक है सो कंट्रक्शन मॉनेटरी पॉलिसी मतलब इकोनॉमी में इन्फ्लेशन है उसको कंट्रोल करना है तो कंट्रक्शन मोनेटरी पॉलिसी लगाओ कैसे बोले इंटरेस्ट ट बढ़ दो इंटरेस्ट ट बढ़ दोगे तो बैंक से लोन कम ले पाएंगे लोन कम होगा तो लोगों के पास पैसा कम आएगा इंफ्लेशन कंट्रोल में आएगा डिमांड कंट्रोल में आएगी कंट्रक्शन फिस्कल पॉलिसी मतलब जब इकोनॉमी में इन्फ्लेशन है अगेन तो या तो य यूज करो या तो ये यूज करो या दोनों कर सकते हैं कांट्रेक्शनरी फिस्कल पॉलिसी मतलब ऐसी चीजें करो जिससे इंफ्लेशन कंट्रोल में आए लोगों के पास ज्यादा का पैसा आ जाता है ना तो वो एक्सेस डिमांड करते हैं जिससे इंफ्लेशन आता है तो लोगों के पास पैसा कम कैसे करें बोले टैक्सेस बढ़ा दो गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर कम कर दो गवर्नमेंट सिक्योरिटीज और इशू करो लोगों को तो लोगों को सिक्योरिटी मिलेगी वो हमको पैसा दे देंगे ऐसा तो इससे हमारी इंफ्लेशन कटर में आ जाएगा वैसे ही होता है एक्सपेंशनरी मोनेटरी पॉलिसी एक्सपेंशनरी फिस्कल पॉलिसी है ना अ हमने बेटा ये कॉन्ट्रक्शन को एंटी इन्फ्लेशनरी भी बोलते हैं हम इसको एंटी इन्फ्लेशनरी पॉलिसी भी बोल सकते हैं ठीक है ना एक्सपेंशनरी मॉनेटरी एक्सपेंशनरी फिस्कल पॉलिसी एक्सपेंशनरी मॉनेटरी पॉलिसी क्या है बोलते हैं जब इकोनॉमी में रिसेशन चल रहा है हम चाहते हैं कि एक्सपेंशन आए तब ये लगता है बोलते हैं कि हम इंटरेस्ट रेट को कम कर देंगे ताकि लोग ज्यादा लोन ले सके ज्यादा प्रोडक्शन करें ज्यादा चीजों को डिमांड करें एक्सपेंशन बढ़ेगा ठीक है एक्सपेंशन आएगा मतलब ठीक है एक्सपेंशनरी फिस्कल पॉलिसी कब लगाएंगे जब इकोनॉमी में रिसेशन हो तो हम रिसेशन है इकोनॉमी में इकोनॉमी को रिसेशन से बाहर निकालना है तो ये करो या ये करो एक्सपेंशनरी फिस्कल पॉलिसी में क्या होगा बताइए यहां पे हम टैक्सेस को कम कर देंगे गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर को बढ़ाएंगे इससे क्या होगा लोगों के पास ज्यादा इनकम बचेगी डिमांड बढ़ाएंगे एक्सपेंशन आ जाएगा ठीक है ये मैंने क्लासेस में बताया था बहुत अच्छे से ठीक है ना ओके क्या डन है के बात ओके तो एक बार जल्दी से री करें माइक्रो इकोनॉमिक पॉलिसी नेक्स्ट आता है मनी सप्लाई बोलता है किसने बोला था कि मनी सप्लाई के वजह से बिजनेस साइकल आते हैं किसने बोला था कि बिजनेस साइकल इज अ मॉनेटरी फेनोमेन बोलते हैं हॉट ट्री मोनेटरी अरे हॉट ट्री मोनेटरी हॉट ट्री मोनेटरी अरे हॉट ट्री मोनेटरी तो याद रखेंगे किसने बोला था कि बिजनेस साइकल इज अ मॉनेटरी फिनोम मनी सप्लाई के चेंजेज के वजह से बिजनेस साइकल आता है किसने बोला था हॉ ट्री मॉनेटरी अरे हॉट ट्री देन बात आती है साइकोलॉजिकल फैक्टर्स बोलते हैं कि बिजनेस में एंटीसिपेशन की वजह से है ना पेसिम ज्म ऑप्टिमिस के वजह से आता हैं बोलते अगर हमारे इकोनॉमी में लोग बड़े ही ऑप्टिमिस्ट है पिटि सोच रहे फ्यूचर के बारे में सेल बढ़ेगा प्रॉफिट बढ़ेगा तो आज ज्यादा इन्वेस्टमेंट करेंगे ज्यादा प्रोडक्शन करेंगे फ्यूचर में एक्सपेंशन आएगा लेकिन अगर लोग बहुत पेसिम है फ्यूचर के लिए अरे यार सेल तो गिरने वाला है छोड़ो यार इन्वेस्टमेंट कम करते है न दो यार तो समझ में नहीं आ रहा तो बोलते है फ्यूचर में कंट्रक्शन आएगा ऐसा किसने बोला था ये बोला था एसी पिग ने एसी पिग ने बोला था कि यह साइकोलॉजिकल फैक्टर्स के वजह से भी बिजनेस साइकल आ सकते है ये इंटरनल फैक्टर नेक्स्ट क्या है आपका एक्सटर्नल फैक्टर में आता है वर पोस्ट वर र कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजिकल शॉक नेचर फैक्टर पॉपुलेशन ग्रोथ याद रखेंगे पॉपुलेशन ग्रोथ में एक पॉइंट आता है कि अगर हमारे इकोनॉमी का ग्रोथ रेट ऑफ पॉपुलेशन हमारे इकोनॉमी के ग्रोथ रेट से ज्यादा है हमारे इकोनॉमी में लोग ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं एज कंपेरर टू द रेट ऑफ इकोनॉमी इकोनॉमी ग्रोथ तो ये क्या होता है इससे हमारे इकोनॉमी में क्या आएगा इससे हमारे इकोनॉमी में यस कंट्रक्शन आता है याद रखेंगे कैसे अगर हमारे इकोनॉमी में ग्रोथ रेट ज्यादा होगा पॉपुलेशन का मतलब पॉपुलेशन ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है एज कंपेयर टू इकोनॉमी तो लोगों को ज्यादा पैसा लगेगा लोग पैसा यूज करेंगे खुद के लिए तो सेविंग कम करेंगे और अगर सेविंग कम करेंगे तो क्या होगा बताइए सेविंग कम करेंगे तो इन्वेस्टमेंट कम होगा फ्यूचर में प्रोडक्शन कम होगा जिससे कंट्रक्शन आएगा तो इफ द ग्रोथ रेट ऑफ पॉपुलेशन इज हायर देन द इकोनॉमिक ग्रोथ रेट तो इकोनॉमी में कंट्रक्शन या रिसेशन आता है याद रखेंगे वॉर के वजह से आता है बेटा क्या कंट्रक्शन या रिसेशन लेकिन पोस्ट वॉर वॉर खत्म होने के बाद जब हम चीजों को वापस से बिल्ड अप करेंगे तो हमारे इकोनॉमी में अब रिसेशन आता है रिकवरी होती है इकोनॉमी में धन्यवाद ठीक है तो बस इसमें इतना काम का था आगे बढ़े अब ये टेबल याद रखें बहुत इंपोर्टेंट हैय टेबल याद रखें आपको पूछा कि एग्रीगेट इफेक्टिव डिमांड के वजह से बिजनेस साइल आते किसने बोला था ये बोला था बेटा कि भाई साहब ने इसमें से एक मार्क का सवाल आने है फिक्स है फिक्स है आप मुझे कमेंट करके बताना 100% इसमें से एक मार्क का सवाल आना है नेक्स्ट आपको पूछा फ्लकचुएशन इन इन्वेस्टमेंट के वजह से जो है की वजह से बिजनेस साइकल आते किसने बोला था अब आपके बुक में लिखा है एस पर सम इकोनॉमिस्ट बोलते हैं कुछ इकोनॉमिस्ट ने बोलते हैं कि कुछ इकोनॉमिस्ट ने बोला था ऐसा कि फ्लक्शनल साइकल आते हैं लेकिन तो बुक में कुछ लिखा नहीं है नाम लेकिन इंस्टिट्यूट ने मॉक टेस्ट पेपर में पूछा था कि फ्लक्ट एशन इन इन्वेस्टमेंट के व से बिजनेस साइक आते किसने बोला था तो वहां पर उन्होंने किंस को टिक मारा है तो इन्वेस्टमेंट वाला पॉइंट हो या एग्रीगेट इफेक्टिव डिमांड वाला पॉइंट हो किसको टिक मारेंगे जे एम किंस जॉन मेनार्ड किंस इनका नाम है नेक्स्ट बोलते हैं एसी बिकने क्या बोला था इन्होंने बोला था कि बिजनेस साकल आते हैं एंटीसिपेशन के वजह से लोग मार अगर इकोनॉमी में लोग पॉजिटिव सोचेंगे फ्यूचर के लिए ऑप्टिमिस्टिक रहेंगे तो एक्सपेंशन आएगा लोग अगर पेसिम मिस्टिक रहेंगे इकोनॉमी में नेगेटिव सोचेंगे फ्यूचर के बारे में तो कंट्रक्शन आएगा नेक्स्ट बोलते हैं स्कम पीटर ओहो कितना इनोवेटिव नाम है स्कम पीटर ओहो कितना इनोवेटिव नाम है बोलते हैं कि इकोनॉमी में अगर इनोवेशन ज्यादा होगा तो एक्सपेंशन आएगा इनोवेशन कम होगा तो कांट्रेक्शन आएगा ये बोला था स्कम पीटर तो याद रखेंगे स्कम पीटर ओहो कितना नाम तो इनोवेशन थरी किसने दी थी कंप्यूटर ने नेक्स्ट निकोलास कडर ने बेटा दिया था कब वे थरी याद रखेंगे बस कब थरी कब थ किसने दिया निकोलस कल्ड य पर बोला जाता है द प्रेजेंट प्राइस इलस द प्रोडक्शन एट सम फ्यूचर ट तो हमारे प्र की अभी प्राइस है व हमारे फ्यूचर के प्रोडक्शन को अफेक्ट करने वाली ऐसा इनका मानना इसमें पूरा व डायग्राम होता हमारा कोई काम का नहीं इतना आपको याद रखना है किसने दिया निकोलस कडर ने हमारा बिजनेस साइकल मॉनेटरी फेनोमेन है किसने बोला मनी सप्लाई के चेंजेज के वजह से बिजनेस साइकल आता है अरे हॉ ट्री मॉनेटरी अरे हॉट ट्री मॉनेटरी हॉट ट्री मने तो हॉट ट्री ने बोला था ये चीज आगे बोलते हैं कुछ ऐसे बेटा बिजनेसेस होते हैं जिनके फॉर्च्यून जिनका सक्सेस फॉर्चस मतलब जिनका सक्सेस इज क्लोज लिंक्ड टू द रेट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ ऐसे बिजनेसेस जिनका सक्सेस इज क्लोजल लिंक्ड टू द रेट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ इकोनॉमी ग्रो करेंगी तो ही ये बिजनेसेस अच्छा करें इनको बोलते हैं बेटा साइक्लिकल बिजनेस क्या बोलते हैं साइक याद रखेंगे एमसीक्यू आता है आपको बोलेंगे फैशन रिटेलर इलेक्ट्रिकल गुड्स हाउस बिल्डर रेस्टोरेंट बोलते हैं ये सारी चीजें कब ज्यादा चलेगी जब इकोनॉमी का इकोनॉमी ज्यादा तेजी से ग्रो करेगी लोगों के पास पैसा ज्यादा होगा तो बाहर शॉपिंग करने जाएंगे तो इलेक्ट्रिकल गुड्स खरीदेंगे मोबाइल लैपटॉप खरीदेंगे नया-नया घर बनाएंगे बाहर रेस्टोरेंट्स में जाएंगे खाना खाने के लिए तो ऐसे बिजनेसेस जिनका सक्सेस इज लिंक्ड टू द रेट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ इसको क्या बोलते हैं साइक्लिकल बिजनेस पर मुझे बताओ वाशिंग पाउडर वाशिंग डिटर्जेंट क्या यह साइक्लिकल बिजनेस है वाशिंग डिटर्जेंट का बिजनेस नहीं क्यों अरे भैया जब एक्सपेंशन रहेगा तभी कपड़े धोते क्या तुम क्या कंट्रक्शन में कपड़े नहीं धोते क्या ढोक लो हैं तो वाशिंग डिटर्जेंट ये एमसीक्यू आया था क्या ये साइक्लिकल है यह साइक्लिकल नहीं है इसका सक्सेस इकोनॉमी के ग्रोथ रेट से कनेक्टेड नहीं है बोलते हैं मार्केट में डिमांड पुल इंफ्लेशन कब आता है तो मार्केट में जब किसी प्रोडक्ट का डिमांड उसके सप्लाई से ज्यादा हो जाता है ना तो सेलर होशियारी मारते हैं कस्टमर को बोलते हैं तुम्हारे जैसे पाइली के 50 कस्टमर है प्राइस ज्यादा देते क्या तो बेचूंगा वरना नहीं बेचूंगा तो न द डिमांड इज मोर देन सप्लाई इन द मार्केट तब जो प्राइसेस पर अपवर्ड प्रेशर आता है तब जो महंगाई होती है उसे बोलते हैं डिमांड पुल इंफ्लेशन क्या बोलते हैं डिमांड पुल इन्फ्लेशन लास्ट चीज देखेंगे एग्जांपल्स ऑफ बिस साइकल ठीक है ना खत्म हो रहा है ध्यान दीजिए बोलते ग्रेट डिप्रेशन ऑफ 193 तो आपको एमसी आएगा डैश वास रिगार्डेड एस द लांगेस्ट एंड द डिपस्टार है कि किंस भाई साहब के हिसाब से यूएसए में जो ग्रेड डिप्रेशन आया था 1930 में ये क्यों आया था किंस ने क्या बोला था एग्रीगेट डिमांड की बात है एग्रीगेट डिमांड कैसे आएगा एग्रीगेट एक्सपेंडिचर से अरे जितना ज्यादा खर्चा करोगे उतना डिमांड ज्यादा है ना मतलब तो किंस का मानना था कि ओवरऑल इकोनॉमी में एग्रीगेट एक्सपेंडिचर कम हो रहे थे एग्रीगेट डिमांड कम थी चीजों की इसलिए ये ग्रेड डिप्रेशन आया था ऐसा किंस का मानना था नेक्स्ट अगला आपको आ सकता है कि आईटी बबल बस्ट ये कब हुआ था कौन से साल में तो याद रखेंगे आईटी बबल बस्ट जो है ये सन 2000 में हुआ था इसको हम डॉट कॉ बबल भी बोलते हैं इसमें क्या हुआ था ना कि इस समय पर बहुत सारी नई नई इंटरनेट बेस्ड कंपनी चालू हुई थी और सब लोग पागल हो गए थे क्योंकि उस समय प इंटरनेट एक बहुत ही नई चीज चालू हुई थी तो हर एक कंपनी क्या बो अपने नाम के आगे ना ड कॉ लगा देती थी अपने नाम के आगे डट इ लगा देंगी है ना अपने नाम के आगे ई लगा देंगी ई मतलब क्या इलेक्ट्रॉनिक सिर्फ नाम को इतना सा ट्विक करके स्टॉक मार्केट में शेयर्स को लिस्ट करेंगे और दनादन दनादन लोग ऐसे स्टॉक मार्केट में लोग जो है ऐसे कंपनी के शेस खरीदते जा रहे थे क्योंकि लोगों लोग पगला गए थे लोग को लग रहा भाई साहब बस इंटरनेट ही नेक्स्ट चीज है इंटरनेट ने सब लोग परे पागल हो इंटरनेट के लिए है ना हा और ये जो कंपनी है ना ये बहुत फ्री सर्विसेस त प्रोवाइड कर रही थी दनादन लोगों ने लोगों को मजा आ रहा था लेकिन जैसे ही यह कंपनी ने पैसा चार्ज करना चालू किया ऐसी कंपनी ने इनका सेल हो गया दन नने से खत्म लोगों ने इनके सर्विसेस को सब्सक्राइब ही नहीं किया अब जो कंपनी का इतना ज्यादा शेयर प्राइस बढ़ गया था उसका सेल ही नहीं हो पा रहा प्रॉफिट ही नहीं कमा पा रहा अरे भाई साहब पता चला कि क्या बताइए यह पूरा बबल ब बबल बबल मतलब क्या बबल क्या होता है वो दिखता बड़ा है पर अंदर कुछ होता नहीं वैसा तो शेयर प्राइस जो र होनी चाहिए थी शेर की वह हो गई है 500 अब यह जो 490 की जो प्राइस बड़ी है यह दिख रही है बड़ी हुई पर इसके अंदर कुछ वैल्यू नहीं है एक्चुअली है ना तो ये बबल हो गया बस्ट और दन से प्राइस सारे ऐसी कंपनी का दनादन दनादन गिरना चालू हो गए ये हुआ था आईटी बबल बस 2000 में या इसे ड कॉ बबल भी बोलते हैं आगे बढ़े लास्ट आता है ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस जो 2008 या 9 में आता है हुआ था इसको हम सबप्राइम क्राइसिस भी बोलते हैं इसमें लेहमन ब्रदर्स का एक एक केस स्टडी था मैंने आपको क्लासेस में बताया था यहां पे बस आप इतना याद रखें ये 2008 में आया था ये रिसेशन था ठीक है और यहां पे ये हाउसिंग बबल बस्ट हम इसको बोलते हैं क्या बोलते हैं इसको इसको हाउसिंग बबल बस्ट बोलते हैं तो आईटी बबल बस्ट कब आया 2000 में हाउसिंग बबल बस्ट कब आया 2008 में बस इतना इसमें याद रखें ठीक है ना सो मैंने जो आपको बोला था वो हो चुका है तो आप हमारे इस चैनल को जरूर सब्सक्राइब करके रखें बहुत सारी नई नई चीज आपके लिए आ रही है और सीए फाउंडेशन के बाद भी आएंगे आई होप कि आप बहुत अच्छे मार्क से पास हो जाएंगे हमारे सी फाउंडेशन एग्जाम्स में राइट एंड टेग चैनल की लिंक 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