तो मैं एक बार फिर से आप सब लोगों का वेलकम करता हूँ एक बहुती आसान लेकिन बहुती इंपोर्टेंट चैप्टर इसके बिना इन ओर्गेनिक केमिस्टी में आप आगे नहीं बढ़ सकते इस चैप्टर को हम लोग एक बहुत शानदार तरीके से रिवाइ प्रेडिक्ट करवाओगी तो सबसे पहले बात आती है कि सर प्रियोडिक टेबल क्या होती है बहुत ही आसान से डेफिनेशन है प्रियोडिक टेबल का मतलब है और इस वाज़ सीरियस अटेम्ट फर्स्ट सीरियस अटेम्ट टू प्रेसिफाई ऑल दिनों एलिमेंट् टेबल डिजाइन करी थी और यह जी में इसका फेवरिट क्वेश्चन रहा है आज तक कि इस वाले आईस एलेक्ट्रोनिक स्पीसीज का जो रेडियस होता है उस पर वह धेर सारे क्वेश्चन पूछता है बढ़कर के क्वेश्चन पूछता है जाओगे किसी भी पीरियड में तो जट्ट एफेक्टिव क्या होगा इंक्रीज करेगा और जट्ट इंक्रीज करेगा मतलब जो साइज होगा वह अलग ये students क्या हाल चाल है बेटा आप लोगों के उम्मीद करता हूँ आप सब लोग बहुत ही बढ़िया होंगे तो मैं एक बार फिर से आप सब लोगों का welcome करता हूँ अर्जुना जैई बैच के summary lecture में और ये जो summary lecture है वो किसका है inorganic chemistry का पहला chapter है जिसका नाम है classification of elements and periodicity properties एक बहुत ही आसान लेकिन बहुत ही important chapter इसके बिना inorganic chemistry में आप आगे नहीं बढ़ सकते इस chapter को हम लोग एक बहुत शांदार तरीके से revise करने वाले हैं यस आज डिवेशन की बात करें तो लगभग मैं कोशिश करूंगा कि एक घंटे के आसपास इस सेशन को खत्म किया जाए और दूसरी चीज यह जो सेशन है कौन से बच्चे देख सकते हैं वह सारे स्टूडेंट जिन्होंने इस चैप्टर को एक बार बहुत बढ़िया से पढ़ लिया है और एक बार फास्ट रिविजन चाहते हैं ना लेकिन वह मोटिव नहीं है यह सेशन है इसका समरी तो अगर आप लोगों ने ये वाला चैप्टर आज से पहले कभी नहीं पढ़ा है, तो हाथ जोड़ के आपसे विनती है, पहले एक बार वो चैप्टर जाएं और पढ़ें, पूरा go through करें पूरे चैप्टर को, questions की practice करें, और फिर उसके बाद इस session में आएं, तब जाके आ� स्टार्ट करते थे, सबसे पहले, तोपिक सारे कवर होंगे, तोपिक कुछ भी नहीं छूटेगा, लेकिन स्पीड अपनी थोड़ी सी फास्ट है, अगर आपको ऐसा लगेगा कि 1.25x पे चल रहा हो जैसे तुम्हारा वीडियो, है ना, आओ जी, तो सबसे पहले बात आती है क और ये classification कुछ इस तरह का होता है कि एक ही vertical column जिसको आप लोग group बोलते हो इसमें जितने भी elements आते हैं इन सारे elements की properties same होती है so this type of classification of elements is known as periodic classification आपके दिमाग में question आएगा कि sir हमें elements को classify करने की ज़रूरत क्यों पड़ी तो इसका जवाब है कि elements को classify करने से उनकी जो study होती है वो systematic हो जाती है अगर मालनो आपके बहुत सारे elements अगर nature में known हो तो individual elements की properties को याद रखना possible नहीं है तो फिर हमने एक तरीका इजाद किया कि क्यों न हम लोग elements को इस तरह से classify कर दें कि जिस से उनकी studies systematic और आसान हो जाए तो ये वो तरीका है periodic classification कर देना elements को एक particular group में या फिर rows में दिवाइड कर देना, जिससे कि एक ये vertical column में आने वाले सारे elements की properties same हो, तो हमें individual elements की properties याद रखने की ज़रूरत नहीं है, इस group की आप property याद रखें, इस group के सारे elements की properties same रहने वाली है, yes, so that was the reason to classify all these elements, बात करते हैं कि ये जो आज आप modern periodic table देखते हो आपकी नजरों के सामने, वो एकदम से तो नहीं बन गई होगी, है न, उसके पीछे बहुत सारी मेनत लगी होगी, तो हम लोग सबसे पहले बात करेंगे Genesis of Periodic Classification, बोले तो, history of periodic classification इस system में सबसे पहले number आता है Lavoisier का कोई बहुत ज़्यादा important classification नहीं है यह वाला Lavoisier ने क्या किया elements को classify किया on the basis of their physical properties physical properties जैसे hardness हो गया, malleability हो गया, ductility हो गया इसके basis पर और उन्होंने कहा कि जो elements होते हैं वो दो तरह के होते हैं metals and non-metals metal की tendency electron लूस करने की होती है non-metal की tendency electron गेन करने की होती है कि यह कोई बहुत बढ़िया classification नहीं था इसने मेटलोड नाम की कोई चीज नहीं लिखी थी, यस, तो elements का classification ये बिलकुल इकदम से फेल हो गया, फिर आपके भाई साहब आये कौन, प्राउस्ट, है न, इसको unitary theory भी बोला जाता है, प्राउस्ट, प्राउस्ट ने क्या बोला, इन्होंने ये कहा कि जितने भी elements होते है और हर element का जो atomic mass होगा, वो hydrogen के atomic mass का एक multiple होगा, है ना, लेकिन ऐसा तो आप लोग जानती हो, कि हर element hydrogen से मिलके नहीं बनता, यास, और element का जो atomic mass होता है, वो hydrogen का multiple भी नहीं होता, तो ये theory बिल्कुल इकदम से मैं कहूँ कि किसी काम की नहीं थी, फिर आया आपके भाई साब को on Dovenier's Triads, Dovenier ने क्या किया, तीन element का set बनाया और इन तीन element को उनके तीन elements कौन से थे? ऐसे elements जिनकी properties लगबग same हो और उनका atomic mass increase कर रहा हो, तो उसने check किया कि तो बीच वाला element है, उसका जो atomic mass होता है, first और third के atomic mass का arithmetic mean होता है या फिर average होता है, और इन तीन elements के group को नाम दिया गया trides, तो ऐसे कितने trides थे तो आपके dobinier ने बनाए, वो आपके सा chlorine, bromine और iodine, ये वो तीन trides हैं, जो आपके NCRT में भी दिये हैं, other trides में आप sulfur, selenium, tellurium को भी लिख सकते हो, yes, सर कैसे पता लगता है कि dobinator's tride है, अगर माललो यहाँ पर atomic number का जो gap है, अगर वही atomic number का gap यहाँ आता है, इसका मतलब वो tride हो सकता है, डोबिनियर का, अगर नहीं होता है, तो इ���का मतलब वो dobinator's tride कभी भी नहीं होगा, कि यह सिर्फ और सिर्फ कुछ एक element को ही एक particular pride की form में classify कर पाया था उस समय जितने known elements थे सारे के सारे elements को pride की form में classify नहीं कर पाया तो यहां जाके dominar fail हो गया फिर कौन आया? फिर आया Newland और उसने दिया Newland's Law of Octave. उसका ये कहना था कि जब आप element को उनके atomic mass के increasing order में arrange करते हो, तो हर एक आठवा element अपनी properties को repeat करता है, जैसे कि music में हर एक आठवा node वापस repeat होता है, वैसे ही हर एक आठवा element अपनी properties को repeat करता है, और इसी वज़े से इसका दिक्कत यह थी कि यह जो Newland का law था, यह सिर्फ और सिर्फ calcium तक ही applicable था, atomic number 20 तक ही applicable था, उसके बाद यह Newland का law आपका valid नहीं था, yes, दूसरी चीज यह भी थी, उस समय 56 elements known थे जब Newland अपना law design किया था, इसने अपनी periodic table में कोई जगए नहीं छोड़ी, तो जब नए element की discovery हु� तो इसने क्या किया एक इस लोट में दो एलिमेंट को रख दिया है ना होना तो एक एलिमेंट चाहिए जब आप एलिमेंट को अटॉमिक मास्क इंक्रीजिंग ओर्डर में अरेंज कर रहे हो तो बिटा जी एक इस लोट पर एक एलिमेंट होना चाहिए लेकिन नहीं था एक ज plot design किया किस-किस के बीच, एक graph design किया atomic weight और atomic volume के बीच, और यह जो plot था, कुछ ऐसा था, graph जो था, वो कुछ ऐसा था, इसने कहा कि जिन elements की property same होती है, वो इस graph में same position को occupy करेंगे. जैसे अल्कली मेटल जितनी भी अल्कली मेटल सोती उनकी पोजीशन सेम उनकी प्रॉपर्टी सेम होती है तो अल्कली मेटल कहां पर आएंगे पीक पोजीशन पर आएंगे जो ग्राफ है इसकी पीक पोजीशन पर आएंगे अल्कलाइन अर्थ मेटल जो ग्रूप 2 के एलिमें तो ये जो position है, क्या हमें position याद रखनी पड़ेगी, बिल्कुल याद रखनी पड़ेगी, इसके बिना इसका कोई लाज नहीं है, ठीक है सर, यहां तक भी समझ में आ गया, लेकिन इसके साथ दिक्कत ये थी, Luther Mayer के साथ, कि ऐसा क्यों हुआ, ऐसा कोई classification Luther Mayer के पास नहीं था फिर उसके बाद एक बहुत जबरदस भाई साब आये, उनका नाम था मेंडलीव, और उन्होंने एक बहुत शानदार periodic table design करी, जिससे modern periodic table की तरफ जाने का रास्ता बहुत आसान हो गया, and this was a serious attempt, first serious attempt to classify all the known elements, उस समय 63 elements known थे जब initially मेंडलीव ने अपनी periodic table design करी थी, इन्होंने क्या किया, अपनी periodic table में total कितने group रखे थे, जब initially group बनाए, तो 1 से लेके 8 थक group थे, और हर एक group को 2 sub group में divide कर रखा था, first A और B, फर्स्ट A, first B, second A, second B, लेकिन 8th group जो था, उसमें ऐसा कोई classification नहीं था, फिर उसके बाद जब noble gases की discovery हुई, तो noble gases को एक अलग से group में रखा गया था, जिसका नाम रखा गया zero group, yes, एक ग्रूप में जितने भी elements होते हैं, उनके hydride और oxide का formula same होता है, वो भी आपके ग्रुप में यहाँ सबसे पहली चीज इनिशली 8 ग्रूप थे और ऐसे कितनी रोज थी सर ऐसी 7 रोज थी मतलब 7 periods and 8 groups और जब modified periodic table आई मैं लीफ की तो उसमें एक नया ग्रूप आ गया कौन सा 0 group जो 8th group था उसमें सबसे बढ़िया चीज यह थी कि 8th group में 3-3 के 3 set थे बिटा है ना टोटल कितने element मेंडलीव की periodic table में, yes, और यही से मेंडलीव ने अपना एक periodic law भी design किया, इन्होंने कहा कि जो elements की properties होती हैं, वो उनके atomic mass का periodic function होती है, मतलब elements की properties किस पर depend करती है, atomic mass पर depend करती है, that was the Mendeleev's periodic law, तो उसके बाद हम लोग बात करते हैं कि merits क्या थी periodic law, Mendeleev's periodic table की, बहुत अच्� और इसने जो सबसे जबरदस्त काम किया था वो था prediction of new elements इन्होंने अपनी periodic table में कुछ जगए को खाली छोड़ा और कहा गया कि future में यहाँ पर एक element discover होगा और जो element discover होगा उसकी properties भी नोंने पहले से define कर दी थी वो कौन-कौन से elements थे वो चार elements आपके सामने रगे तो चार जगए छोड़ी थी एका एलुमिनियम, एका सिलिकन, एका बोरोन और एका मेकनीस और आज एका एलुमिनियम को गैलियम बोलते हो एका सिलिकन को जर्मिनियम बोलते हो बोरोन को एका बोरोन को स्केंडियम और एका मेगनीज को टेकनीशम बोला जाता है, ये नाम आपको याद रखने है, बहुत इंबॉर्डेंट है, इस पर डिरेक्ट पुछा जा सकता है, मेंडलीव ने जब अपनी प्रियोडिक टेबल डिजाइन करी थी, उससे पहले बहुत सारे एलमेंट की जो अटॉमिक मास कुछ examples आपके सामने है gold, beryllium and platinum, तो इनके atomic masses में, मेंडलीव की periodic table के बास, बाद changes आये, फिर उसके बाद हम लोग बात करते हैं, इसकी demerits क्या थी, कौन सी चीज़ें ऐसी थी, जिसको यह नहीं समझा पाया था, उसमें सबसे पहली चीज़ है, position of hydrogen, hydrogen की जो properties होती है, group 1, और halogens, first A और 7A, दो जो group होते हैं, उन elements के properties के similar होती है, लेकिन उसको उसने रखा था, first A में, नहीं था है ना तो यहां जाके fail हो गया isotopes जो होते हैं किसी भी element के उनके atomic mass अलग होते हैं तो mandalive की periodic table में उनको अलग जगए मिलनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं था तो position of isotope जो था वो हमेशा इसके लिए सरदर्धी कुछ like elements ऐसे थे जैसे platinum और gold इनकी properties काफी हद तक same होती है लेकिन फिर भी ये दोनो element mandalive की periodic table में अलग एकी group में चीज़े था क्यों क्योंकि हमने बोला है कि एक group के elements की property same होती है तो इनको same group में होना चीज़े था लेकिन मेंडलीव ने इनको अलग group में रखा था दूसरी चीज़ कुछ जगह ऐसे थे कुछ group कुछ combinations ऐसे थे elements के जहाँ पर atomic mass का increasing order strictly follow नहीं किया गया था मतलब जिस element का atomic mass ज्यादा था उसको पहले रख दिया जिस element का atomic mass कम था और ऐसे कितने ग्रूप्स थे वो आपको याद रखने है देखो ये रहे कोबाल्ट निकल आरगन पुटैशियम जो चार ग्रूप है इनको आपको याद रखना है ये इस पे question direct पुछा जा सकता है इनको anomalous pairs भी बोला जाता है इस पे direct question आता है दूसरी चीज ये थी सबसे लास्ट कि कुछ elements ऐसे थे जिनकी properties अलग-अलग थी अलग-अलग properties थी लेकिन फिर भी उनको कहां रखा हुआ था एक ही ग्रूप में रखा हुआ था यस उनके example आपके सामने रखे हैं, जैसे copper, ag, au were placed in first group with sodium and potassium, भाई ये बहुत कम reactive metals होती हैं, group 1 elements बहुत ज़्यादा reactive होते हैं, properties में काफी ज़्यादा difference है, but still mandalive ने उनको एकी group में रखा, ऐसा क्यों था, इसका जवाब mandalive के पास नहीं था, और इसी वज़े से, जो mandalive की periodic table थी modern periodic table design की गई थी, yes, Mosley ने क्या किया था इन्होंने क्या किया, एक metal थी, एक metal का target है और उसके उपर high speed से electron का bombardment करवाया जैसे electron high speed से जाके इसको hit करता है, यहाँ से x radius produce होती है, और यह जो x rays थी, इनकी frequency को इसने क्या किया study किया, और इन्होंने यह कहा यह जो target है इसका atomic number के, मतलब जो properties है x-rays की वो किस पर depend कर रही थी, atomic number पर depend कर रही थी, atomic mass पर depend नहीं कर रही थी, yes, तो यही से फिर इसको आप अगर पूरा लिखना चाहो, तो यह था a into z-b, और भाई यह जो हमारा a और b है, यह क्या होते है, a and b are the constraints, यस, और यही मोजले से फिर डिजाइन हुई modern periodic table, जहां लोगों को पता लगा कि यार elements की properties atomic mass पे depend ना करके किस पे depend करती है, atomic number पे depend करती है, फिर आया मेंडली modern periodic law जो यह कहता है कि the properties of elements are a periodic function of their atomic numbers, यस, फिर element को atomic number की increasing order में arrange किया गया, और उसको नाम दिया गया modern periodic table.
Modern periodic table में आप सब जानते हो 18 group थे और 7 period थे. एक ग्रूप में जितने भी elements आते हैं, उन सब की property same थी. क्यों थी?
क्योंकि उन सारे elements का, outermost shell का जो electronic configuration होता है, वो same होता है. यह reason होता है एक ग्रूप में आने वाले elements की properties same होने का. जो period होता है वो क्या बताता है कि वो जो आपका element है.
उसमें कितने number of shells हैं let's say अगर कोई second period के element है इसका मतलब उसके पास 2 shell है fourth period के element है मतलब उसके पास 4 shell होंगे yes यह जो आपकी periodic table है वो दिखने में कुछ ऐसी होती है दिख रहा आपको group 1 से लेके group 18 तक 18 तो group होते हैं और total 7 periods होते हैं दो elements की series अलग से होती है जिनको एक को आप lengthenoid बोलते हो और एक को आप actenoid बोलते हो group 1 और group 2 को आप लोग s block elements बोलते हो group 3 से लेके 12 तक D block element आता है, 13 से लेके 18 तक P block element आता है, और यह जो नीचे दो अलग-अलग series बनी हुई हैं, इनको आप लोग actinoids बोलते हो, lengthenoid and actinoids बोलते हो, and these are F block elements. D block elements को generally transition element भी बोला जाता है, zinc, cadmium और mercury को छोड़के, और यह जो lengthenoid और actinoid होते हैं, इनको आप लोग inner transition elements कहते हो, तो यह है मोटा-मोटा elements का classification in modern periodic table. एक चोटा सा question यह भी पूछा जाता है कि अगर मान लो किसी भी element का atomic number 100 से ज्यादा है तो आप उसका nomenclature कैसे करोगे है ना?
उसका नाम कैसे लिखा जाता है तो उसके लिए आपको जो digit होती है उनका नाम याद रखना ज़रूरी होता है जैसे 0 को nil बोला जाता है, 1 को n बोल लेट से मैं आप से पूछूं, 104 का नाम क्या होगा, atomic number 104 का, तो आप बोलोगे sir, 1 को बोला जाता है un, 0 को बोला जाता है nil, 4 को बोला जाता है quad, और सबसे last में आपको क्या लिखना होता है, i, u, m लिखना होता है, अगर आप इसके symbol की बात करोगे, तो n का पहला letter u, nil का पहल and q, so that was the nomenclature of elements with atomic number greater than 100 जो की बहुत important है, आपको as it is याद रखना है फिर हम लोग बात कर रहते हैं, electronic configuration की elements के, तो मैंने जैसे भी आपको बताया, कि एक group में जिते लिए elements आते हैं, उन सारे elements का, outermost shell का जो electronic configuration होता है, वो हमेशा same होता है, और इसी वज़े से उनकी properties भी same होती है, अगर outermost shell का electronic configuration same है, इसका मतलब उनके valence shell में number of electrons भी same होंगे, उनकी valency भी same होती है, yes, यहाँ पर अगर मैं period की बात करूँ, है ना, yes, अगर मैं बोलू, first period, yes, यह थोड़ा सा important चीज है, इसको आप लोग ध्यान में रखेंगे, first period अगर है, इसका मतलब first period में element वो आएंगे, second period के element की अगर मैं बात करूँ, जिसमें electron 2S और 2P में फिल हो रहा हो, अगर मैं थर्ड पीरियोड के एलिमेंट्स की बात करूँ, तो यहाँ पर वो एलिमेंट्स आएंगे, जहाँ पर एलेक्ट्रोन 3S यस, अगर मैं 4th period elements की बात करूँ, तो यहाँ पर वो elements आएंगे, जिसमें electron 4s और 4p के बीच फिल हो रहा हो, 4s और 4p इनके बीच में आता है 3d, यस, because 3d के energy 4p से कम होती है, तो अगर electron आपका 3d में फिल हो रहा है, तब भी वो 4th period का element होगा, आपका 4D में फिल हो रहा है, तब भी वो कौन से period का element होगा, fifth period का element होगा, yes, अगर मैं बात करूँ sixth period की, तो यहाँ पर आपको द्यान रखना है, 6S और 6P, इसके बीच में कौन-कौन आएगा, एक आएगा sir, 4F, एक आएगा 5D, और सबसे last में आता है seventh period, और seventh period में electron कहा-कहा फिल होंगे, 7S और 7P के बीच, और 7S और 7P के बीच आएगा 5F and 60, तो अगर आप लोग देखेंगे, तो यहाँ पर 1s में total कितने electron आ सकते हैं? 2, यहाँ 2 और 6, total 8 electron आ सकते हैं, यहाँ पर भी 2 और 6, total 8 electron आ सकते हैं, यहाँ पर भी 2, 10 और 6, कितने होगे? 18 होगे, यहाँ पर भी कितने होगे?
18, यहाँ total होगे 32 electron, और यहाँ होगे 32 electron, तो यहाँ से आप एक चीज़ नोटिस कीज फर्स्ट पीरिड में दो एलमेंट, सेकिन पीरिड में आठ एलमेंट, तीसरे पीरिड में आठ, फिर अठारा, फिर बत्तिस और बत्तिस, ये वो एलमेंट्स हैं जो आप एक इंडिविजुअल पीरिड में फिल कर सकते हो, और ये जो नमबर होते हैं, इनको आ ठीक है, बहुत बढ़िया सर, अगर मैं elements को sp, d and f block में classify कर दूँ, तो देखिए s block मैं आपको बता चुका हूँ, group number 1 और group 2 के जो elements होते हैं, उनको s block बोलते हैं, 3 से 12 तक d block, 13 से 18 आपका p block, और ये जो नीचे दो अलग से series हैं, ये है f block के elements, अगर मैं S-Block elements की बात करूँ, तो यहाँ पर सबसे important चीज़ यह होती है कि इनका जो Outermost Shell का Electronic Configuration होता है, वो NS1 से 2 होता है, yes, अगर मैं Group 1 की बात करूँ, तो यह सर NS1 होता है, अगर मैं Group 2 की बात करूँ, तो NS2 होता है, Group 1 की elements को Alkali Metals भी बोला जाता है, yes, और जो Group 2 की elements होते हैं, उनक उनका melting और boiling point कम होता है metals की reactivity down the group जाने पर increase करती है obvious है because metal की tendency होती है electron lose करने की और down the group जाने पर electron lose करना असान होता है तो आप कहोगे metals की reactivity down the group increase करती है यह बहुत अच्छे conductors होते हैं heat और electricity के और इनका जो ionization enthalpy होता है वो कम होता है because इनकी size अपने period में सबसे बड़ी होती है तो यह एक extra data है जो आपको याद रखना है पी ब्लोक एलिमेंट के अगर हम लोग बात करें तो इनका जनर एलेक्ट्रोनिक कॉन्फिगरेशन एनेस टू एनपी वन से सिक्स होता है यस आउटर मोशल का अगर वो ग्रूप थर्टीन है तो एनेस टू एनपी वन फोटीन है तो एनेस टू एनपी टू फिफ्टीन है तो यह कुछ properties लिखी हैं आपके सामने, एक P-block group एक ऐसा block है, जिसमें metal, non-metal और metalloid तीनों आते हैं, generally यह covalent compound का formation करते हैं, और इनकी जो ionization energy होती है, वो S-block से ज्यादा होती है, because इनकी size S-block के comparison में छोटी होती है, और सबसे last में एक point लिखा है, कि S-block और P-block के जो elements होते हैं, इनको मिला के, क्या बोला जाता है, representative element, या फिर main group elements भी इनको आप लोग कह सकते हों. जो D block elements होते हैं, इसमें important चीज होता है, इनका outer most shell का general electronic configuration, और वो मैंने लिखा है, N-1D, 1 to 10, Ns 0 to 2, this is the electronic configuration, जो आपको याद रखना है, और इनकी जो normal properties होती हैं, वो भी आपके सामने लिखी है, इनको generally transition elements बोला जाता है, लेकिन zinc, cadmium और mercury को transition element consider नहीं किया जाता, transition element ऐसे elements को बोलते हो, जिनके पास, जो D orbital है वो completely filled ना हो उनकी ground state या फिर उनकी किसी excited state में उसकी किसी normal oxidation state में अगर ऐसा है तो वो transition element है अगर ऐसा नहीं है अगर उसके पास fully filled D orbital configuration है उसकी ground state में भी और उसकी किसी oxidation state में भी तो उसको मैं transition element consider नहीं करूँगा और zinc, cadmium, mercury का पास जो configuration होता है वो एन माइनस वन डी कॉन्फिग्रेशन होता है हमेशा डी टेन कॉन्फिग्रेशन होता है इस वजह से यह कभी भी ट्रांजिशन एलमेंट की कंसिडर की सिर्फ की गिंति में नहीं गिने जाते हैं फिर उसके बाद आता है हमारा एफ ब्लॉक एलमेंट और जो uranium होते हैं उसके जो बाद वाले elements होते हैं उनको हम लोग trans uranium elements या फिर trans uranic elements भी बोला जाता है यह कई बार नाम बोल देता है आपके सामने तो यह चीज भी आपको बता होनी जरूरी है लेकिन ज़्यादा important कौन सा है इनका general electronic configuration कुछ additional information है जो आपके सामने लिखी है आप अगर चाहें तो इसको याद रख सकते हैं कि जो liquid element standard temperature pressure पर होता है वो कौन-कौन होता है ब्रोमीन और मरकरी और कुछ elements ऐसे होते हैं, जो room temperature पे liquid हो सकते हैं, जिनका melting point काफी high होता है, वो होते हैं cesium, rubidium, francium and gallium, यह एक additional information है, जो कई बार आपसे exam में पूछी जा सकती है, इसको आप लोग याद रख सकते हैं, अगर मैं elements के classification की बात करो, तो metal, non-metal और metalloid की form में मैं elements को classify कर सकता हूँ, metal की properties मेरे साथ से आप सब लोगों को बता होती है, S block, D block, F block elements metal होते हैं, और usually solid होते हैं room temperature पे, लेकिन कुछ exceptions हैं जो आपके सामने लिखे हैं, इनका melting और boiling point high होता है, अच्छे conductors होते हैं heat and electricity के, और अबी मैंने जैसे आप से कहा, down the group जाने पर metallic character जो होता है, वो increase करता है, आपके सामने लिखें कि जनरली सॉलीड या फिर गैस होते हैं रूम टेपरेचर पर इनका मैं टिगोर बॉयलिंग पॉइंट कम होता है लेकिन कुछ एक्सेप्शन भी है बोरोन और कारबन वह आपके सामने हैं यह पूर कंडक्टर होते हैं हीट एंड एलेक्ट्रिसिटी के फिर उसके बाद, मेटलोइड की बात करते हैं, मेटलोइड ऐसे elements होते हैं, जो borderline पे आते हैं, metal और non-metal के, मेटलोइड में बड़ा लपड़ा है, कौन-कौन से elements मेटलोइड होते हैं, तो यह वाले जो elements होते हैं, आपके NCRT के हिसाब से, यह वाले elements, मेटलोइड होते हैं, आ यस, यह वो elements हैं, जो non-metallic, metalloids की category में मैं इनको रखूँगा, बहुत बढ़िया, फिर एक और बहुत बढ़िया question आता है, और बहुत important question आता है, कि अगर मालो आपको यह predict करना हो, कि जो given element है, वो कौन से group का, कौन से block का, या फिर कौन से period का है, तो यह बहुत important चीज होती ह N की जो highest value होती है, yes, किसकी? Highest value of principal quantum number, वो आपको क्या देती है? Period number देती है, yes, किसकी क्या देती है? Period number देती है, फिर उसके बाद, last electron, जिस sub-shell में जाता है, yes, last electron जिस sub-shell में फिल होता है, उससे क्या बता लगता है?
उसका block का बता लगता है, let's say आपने electronic configuration लिखा, और last electron s sub-shell में गया, इसका मतलब वो s block element है, लास्ट एलेक्ट्रोन अगर P सब्शेल में गया, इसका मतलब वो P ब्लोक का एलिमेंट है, D सब्शेल में गया, मतलब वो D ब्लोक का एलिमेंट है, तो उसके बाद ग्रूप रेमबर कैसे डिसाइड होता है, ग्रूप डिसाइड करने के लिए S ब्लोक अगर वो है, S ब्लोक क 10 plus, उसके पास जितने valence electron है, उसमें 10 add कर दू, आपको क्या मिल जाएगा, उसका group number मिल जाएगा, एक valence electron है, तो 3 valence electron है, तो group number 13 हो जाएगा, 4 है तो 14 हो जाएगा, 5 है तो 15 हो जाएगा, और अगर मालो वो D block का element है, तो उस case में जो group number आएगा, आपको क्या करना पड़ेगा, number of electrons in N-1D, और number of electrons in NS, इसको add करना पड़ेगा, आपको group number मिल जाएगा, अगर हम लोग बात करें F block elements की, तो generally उनके लिए group number, और period number as such define नहीं होता, कौन से group के member है, third group के member है, फिर उसके बाद हम लोग आगे चलते हैं और इस chapter के second portion की बात करते हैं, एक छोटे से concept को मैं आपको समझाओंगा जिसका नाम है shielding effect, क्या होता है shielding effect, माल लीजिये ये वाला आपका nucleus है और ये n is equal to 1 में 2 electron है, एक electron आपका n is equal to 2 में है, ये आपका outermost electron है, इस outermost electron पे ये जो इस electron पे अगर मैं net force of attraction की बात करूँ तो वो decrease कर जाएगा because अंदर की तरफ attraction तो लगी रहा है इन दोनों electrons का बाहर की तरफ repulsion भी लग रहा है और इसी वज़े से इस outermost electron पे nucleus का जो net attraction है वो decrease कर जाता है inner shell के electrons की बज़े से outermost shell के electrons में nucleus का force of attraction decrease करना this effect is known as shielding effect और इसको screening effect भी आप लोग बोलते हो ऐसा लगता है जैसे कि inner shell के electrons हैं वो outer shell वाले electron के लिए screen की तरह behave कर रहे हैं, एक shield की तरह behave कर रहे हैं, जो इस electron को इस nucleus से बचाना चाहते हैं, अगर आप लोग shielding effect की बात करें, तो S का shielding effect सबसे ज़्यादा, फिर P, फिर D, और फिर F होता है, D electrons का shielding effect poor होता है, और ये जो F electrons है, इनका shielding effect बहुत ही ज़्यादा poor होता है, very poor होता है, poor shielding of D and F electrons, periodic properties की बात करेंगे. effective nuclear charge की बात करें, तो अभी जैसा हमने कहा, इस electron पे nucleus का force of attraction कम हो जाएगा, अब, अगर मैं attraction और repulsion दोनों को consider करनू, तो दोनों को consider करने के बाद, इस electron पे जो net force of attraction बसता है, उसको बुला जाता है effective nuclear charge, और वो किस के बराबर होता है, जो atomic number के equal होता है, यस, इसको क्या बोलते हो आप लोग nuclear charge बोलते हो और सर ये जो sigma है this is known as screening constant या फिर shielding constant सर ये जो shielding constant है क्या आप इसकी value भी calculate कर सकते हो क्या बिलकुल कर सकते हैं और इसकी value calculate होती है किस से slater's rule से अब इस letter ने जो बोला है, हमें as it is वही ध्यान रखना होता है, इसका ये कहना है कि जब भी आपको किसी भी element के लिए sigma का value निकालना हो, किसी भी electron के लिए sigma निकालना हो, तो आपको उस element के electronic configuration को इस तरह से group में divide करना है. जो उसने बोला है, हमें as it is वही करना है, सबसे पहले इस तरह से आपको element को classify करना है, इस तरह से उसका electronic configuration लिखना है और group में तोड़ देना है. अगर माल लो वो आपका electron S या फिर P sub shell में present है, तो ये कहता है कि ऐसा electron जो ऐसा group है न, the electrons present in the right side of the group, अगर माल लो इस group का कोई electron है और उसके लिए आप sigma निकालना चाहते हो, तो इस group से right side में आने वाले जितने भी groups हैं, उन सब का sigma में contribution negligible होता है, zero contribution होता है, उनको consider नहीं करत जिस group में present है, उससे पहले वाले जो group के elements हैं, या फिर उस same group के electrons हैं, उनका sigma में contribution 0.35 होगा, इससे जो just पहले वाले group के electrons हैं, उनका contribution n-1 वालों का contribution 0.85 होगा, और उससे भी जो पहले वाले हैं, n-2 या फिर उससे भी जो अंदर वाले हैं, उन सब का contribution sigma में कितना होगा, 1 होग जिस electron के लिए आप sigma calculate करना चाहते हो, वो S या फिर P sub shell में present है, लेकिन अगर माल लो जिस electron का sigma calculate करना है, अगर वो D और F sub shell में है, तो जो first point है, वो आज भी same रहेगा, कि जिस group में आपका electron present है, उस group के right side वाले जितने भी electrons होते हैं, उन सब का contribution zero होता है, yes, जो next आता है, वो आता है कि same group के जो elements होते हैं, same group के जो electrons होते हैं, उनका contribution sigma में 0.85 होगा, और same group से पहले वाले, या फिर उससे left side में आने वाले जितने भी electrons हैं, उन सब का contribution sigma में कितना consider किया जाता है, one consider किया जाता है, तो आपको सबसे पहले तो ये check करना होता है कि जिस electron का sigma निकालना है, वो आपका S sub shell में है, P sub shell में है, तो अलग rule लगेंगे, अगर वो electron D या फिर F sub shell में है, तो उसके लिए rules अलग होंगे, यह दोनों के rule हम लोगों ने देख लिये, जैसा मैंने आप से कहा, इसमें questions की practice नहीं होगी, because यह ऐसा chapter है, जिसमें बहुत सारी theory है, बहुत सारी चीज़ें हैं, जो आपको बतानी है, त बहुत बढ़िया सर. Pletros rule के बाद हम लोग बात करते हैं किसकी?
Periodicity in properties की. सर सबसे पहली चीज तो बात यह आती कि what is the meaning of periodicity? Periodicity का मतलब यह होता है कि अगर मालों किसी भी एक group में या फिर किसी भी period में आप यह बता पाओ कि यह नीचे जाने पर increase हो रहा है उदर जाने पर decrease हो रहा है यह property की value.
एक अगर कोई regular variation शो करती हो regular trend शो करती हो regular increase या फिर decrease शो करती हो तो उसको बुला जाएगा periodicity है yes, जैसे हम लोग कहते हैं down the group जाने पर size increase करता है that is periodicity in size down the group जाने पर ionization energy decrease करती है that is periodicity in ionization energy मेरी बात शायद आपको समझ में आ रही है yes तो सर हमें periodicity in physical properties देखनी है और periodicity in chemical properties देखनी है प्रिविडिसिटी प्रापर्टीज में हमें चार प्रापर्टीज देखनी है atomic radius फिर उसके बाद ionization enthalpy फिर उसके बाद electron gain enthalpy और सबसे लास्ट में electron negativity ये चार प्रापर्टीज हैं जो हमें यहाँ consider करनी होती है सबसे पहले हम लोग बात करते हैं atomic radius क्या होता है atomic radius अगर मैं theoretical definition की बात करूँ तो ये आपका nucleus है ये outer most shell है इसका जो electron है इसकी nucleus से दूरी इसको बुला जाता है atomic radius लेकिन आप इस atomic radius की exact value calculate कभी नहीं कर सकते, because जैसा हमने कहा atomic radius define कब होती है, isolated state में, जब आपका atom अकेला हो, isolated atom का जो electron है outermost, उसकी nucleus से distance इसको बुला जाता है atomic radius, अब हमने यह कहा कि हमें isolated atom मिल पाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि atoms जो होते हैं, noble gases के atoms को छोड़ के, generally atoms independent existence नहीं show करते हैं. ये तो isolated state में नहीं रहते हैं, तो इस वज़े से atomic radius की exact value calculate कर पाना मुश्किल होता है, तो इस वज़े से जो atomic radius होती है, वो किस state में calculate की गई थी, bonding state में calculate की गई, और bonding state में हम लोग बात करते हैं, covalent radius की, metallic radius की, van der Waals radius की, और सबसे लास्ट में ionic radius की, तो सबसे पहले बात होग जैसे मालों दो आटम हैं, एक दूसरे के साथ covalent bond बना रखा है, covalent bond electron की sharing से बनता है, दो covalently bonded atom हैं, इनके nucleus के बीच की distance, अगर मैं इस distance को this represent करूँ, तो जो covalent radius होती है, वो d by 2 हो जाएगी, half of the inter nuclear distance between two covalently bonded atoms को बोला जाता है covalent radius, वैसे एक और term होती है, जिसका नाम है metallic radius जैसे माल लो आपके दो आटम है, मेटालिक लैटिस में, दो मेटल के आटम है, इन दोनों मेटल के आटम के नूकलियस की बीच की डिस्टेंस, वापस से अगर मैं इसको D कह दूं, तो सर जो मेटालिक डिस्टेंस होगी, वो क्या हो जाएगी, D by 2 हो जाएगी, यहाँ से आप वेंडर वोल रेडियस दो अलग-अलग केसिस में डिफाइन आप लोग कर सकते हो, जैसे माल लो आपका एक नोबल गैस है, नोबल गैस किसी के साथ बॉंड नहीं बनाता, तो एक नोबल गैस का आटम यह रहा, इन दोनों नोबल गैस के आ� इंटर नूकलिय डिस्टेंस, दो जो आपकी नोबल गैसेज हैं, उनके नूकलियस के बीच की डिस्टेंस, दो आटम्स के नूकलियस के बीच की डिस्टेंस, उसका हाफ कर दीजिए, इसको बोला जाता है क्या वेंडर बोल रेडियस, वेंडर बोल रेडियस एक और तरीके से दो chlorine के molecule है, दो chlorine के covalently bonded molecule है, एक chlorine का molecule यह रहा, एक chlorine का molecule यह रहा. यह दो covalently bonded molecule में, यह जो पास-पास वाले दो atom हैं न, पास-पास वाले जो दो atom हैं, दो अलग-अलग molecule के, इनके nucleus के बीच की distance को अगर मैं D बोल दू, तो जो vendor wall radius होगा ज़दा, वो क्या हो जाएगा, D by 2 हो जाएगा. यहां से आपको पता लग रहा है कि जो vendor wall radius होती है, वो metallic radius से भी ज्यादा होती है और covalent से भी ज्यादा होती है.
जो आपकी noble gases होती हैं, उनके लिए generally vendible radius define होती है, इसी वज़े से हम लोग यह कहते हैं कि generally एक particular period में सबसे बड़ी size किसी होती है, noble gases की होती है, हलांकि यह चीज हर जगह applicable नहीं है, second or third period में ही applicable है. Yes, मेरे साप से radius का जो फंडा है वो आपको समझ में आ गया होगा, फिर मैं बात कर लेता हूँ ionic radius की. हम सब लोग जानते हैं कि जो ionic bond होता है, वो एक cation और एक anion से बनता है.
यस एक केटाइन और एक एनाइन से बनता है तो माल लेते हैं एनाइन का नूकलियस है और ये एनाइन का आउटरमोस शेल है इसके बीच की जो डिस्टेंस है तो ये एनाइन का आउटरमोस शेल है मतलब इस केस में अलग डिफाइन होता है radius of केटाइन, radius of एनाइन अलग define होगा because ionic bond जब बनता है तो उसके लिए हमें एक cation चीज़े होता है और एक anion चीज़े होता है ठीक है? चलिए सर एक बहुत important point है जो आपको ध्यान में रखना होता है कि जो cation की size होती है वो हमेशा अपने parent atom से छोटी होती है जैसे अगर मैं Na plus की बात करूँ तो उसकी size Na से छोटी होगी अगर मैं A plus की बात करूँ ऐसा क्यों होता है? because जब आप cation की बात करूँ तो cation तब बनता है जब आपने एक electron remove कर दिया और किसी आटम से अगर आप एक एलेक्ट्रोन रिमूव कर दो, तो positive charge तो same है, लेकिन negative charge से कम हो गया, electron-electron repulsion कम हो गया, nuclear charge जो था वो same रहा, effective nuclear charge बढ़ गया, effective nuclear charge बढ़ने की वज़े से, केटाइन की size अपने parent atom से छोटी होती, वैसे just opposite होता है anion की case में, एड होता है और जब एलेक्ट्रोन एड होगा न्यूक्लियर चार्ज सेम है एलेक्ट्रोन एड हो गया एलेक्ट्रोन डिट्रोन रिपल्शन बढ़ गया तो आपका जो इफेक्टिव न्यूक्लियर चार्ज है वह डिक्रीज कर जाता है और इफेक्टिव न्यूक्लियर चार्ज डिक्रीज करने की वजह से आपका जो एनाइन होता है उसकी साइज अपने पैरेंट एटम से बड़ी हो जाती है आईसो एलेक्ट्रोनिक स्पीसीज आप सब लोग जानते हो ऐसी स्पीसीज जिनकी क्या सेम हो नंबर ऑफ एलेक्ट्रोन सेम हो उनको आईसो एलेक्ट्रोनिक स्पीसीज के केस में जितना ज्यादा positive charge होगा, यास आप चेक कीजिए, ये सारे के सारे आईसो एलेक्ट्रोनिक स्पीसीज है, देखिए, ये सारे के सारे आईसो एलेक्ट्रोनिक स्पीसी� आईसो एलेक्ट्रोनिक स्पीसीज में जितना ज्यादा नेगेटिव चार्ज होगा, साइज उतनी बड़ी होगी, और जितना ज्यादा पॉजिटिव चार्ज होगा, साइज उतनी छोटी होगी, अगर मैं इन सब में साइज का ओडर चेक करूँ, तो वो यह हो जाएगा, जै जो radius होता है उस पे वो ढेर सारे questions पूछता है, बर के questions पूछता है आगे चलेंगे और हम लोग बात करेंगे ऐसे कौन-कौन से factors हैं जो आपके atomic radius को affect करते हैं और सबसे पहला factor होता है number of shells आप सीधा सा कहोगे कि भाईया अगर shell ज्यादा है इसका मतलब जो radius होगा वो भी ज्यादा होगी अगर मान लो आपका effective nuclear charge ज्यादा है तो obvious ही बात है effective nuclear charge ज्यादा मतलब outermost electron पे nucleus का attraction ज्यादा और attraction ज्यादा होगा तो nucleus के नजदीक होगा nucleus के नजदीक होगा तो size छोटी होगी इसका मतलब Effective nuclear charge and atomic radius both are inversely proportional to each other. अगर मैं charge की बात करूँ, तो let's say एक charge है A3+, एक है A2+, एक है A+. सबसे छोटी size किसकी होगी?
जितना ज्यादा positive charge होगा, सर size उतनी छोटी होगी. जितना ज्यादा negative charge होगा, सर size उतनी ही बड़ी होगी. तो जो charge होता है, वो भी अपने आप में एक बहुत बड़ा...
रोल जो है वह अदा करता है अटॉमिक रेडियस के केस में या मेरे साथ से यहां तक फैक्टर अफेक्टिंग अटॉमिक रेडियस तक कोई दिक्कत नहीं है तो अगर हम लोग वेरिएशन की बात करें कि इक्जेक्ट जो वेरिएशन होगा अटॉमिक रेडियस में वो क्या हो देखो जी, general trend क्या कहता है, general trend ये कहता है, कि left to right अगर आप लोग जाओगे किसी भी period में, तो Z effective क्या होगा, increase करेगा, और Z effective increase करेगा, मतलब जो size होगा, वो decrease करेगा, yes, तो lithium, beryllium, boron, carbon, nitrogen, oxygen, और fluorine, yes, अगर मैं यहां तक की बात करूँ, तो यह होगा, लेकिन, अगर मान ल नॉबल गैसेस की radius की बात कर तो, हमने कहा था नॉबल गैसेस होती है, उनकी जो radius होती है, अपने respective period में सबसे ज्यादा होती है, तो इसका मतलब जो neon आएगा, उसका radius सबसे ज्यादा होगा, और वैसे अगर मान लो, ये तो कौन सा group हो गया, ये तो period कौन सा हो गया बेटा, second period जो second नहीं, third period के elements हैं, उनमें सबसे maximum होती थी, यादा है आपको, तो ये चीज छोटी सी ध्यान में रखनी है, यहाँ पर neon और यहाँ पर argon सबसे ज्यादा होगा, लेकिन बहुत सारे लोग यह सोच लेते हैं, कि noble gases की size अपने period में सबसे, हमेशा सबसे ज्यादा होगी, यह यह चीज है तो आपको एक्स्टा इंफोर्मेशन है यहां आके गाड़ी करबड़ हो जाती है इसको आप लोग ध्यान रखेगा बिकॉस थर्ड पीरियड के बाद पूर शिल्डिंग आफ डी एंड एफ एलेक्ट्रोन्स काम करने लगती है और पूर शिल्डिंग आफ डी एं अगर मैं ग्रूप की बात करूँ, ग्रूप नमबर वन, तो इसमें डाउन दा ग्रूप जाने पर जनरल ट्रेंड यही कहेगा, कि सर, साइज जो है, मुझे लग रहा है, उल्टा लिख दिये हो सर, उल्टा लिख दिये हो माराज, साइज जो होती है, डाउन दा ग्रूप जा और बाब राजी ये कौन हो गया सेकंड पीरेड के सेकंड ग्रूप के एलमेंट हो गया तो डाउन दा ग्रूप जाने पर साइज इंक्रीज करती है जनरल ट्रेंड यही होता है लेकिन वापस से जो एक्सेप्शन की खान है ग्रूप 13 एलमेंट यहाँ पर आई है हर जगह इलेमेंट में, सर होना चाहिए देखो कौन, बोरोन, फिर उसके बाद एलिमीनियम, फिर गैलियम, फिर इंडियम, और फिर थैलियम होना चाहिए था, लेकिन सर लफड़ा है, बोरोन, आ, सोरी, एलिमीनियम और गैलियम में जो साइज का ओडर होता हो दिफरेंट हो जाता है, आउटर एलेक्ट्रोन पे नूकलियस का अट्रेक्शन जितना आपने सोचा है उससे कम है और अट्रेक्शन कम है इसका मतलब साइज इंक्रीज कर जाती है अट्रेक्शन ज्यादा है सोरी है ना आउटर मोस्ट एलेक्शन अगर इनर्सिल के ए��ेक्ट्रोन की शिल्डिंग पू डी ब्लॉक एलिमेंट्स में है ना, तो डी ब्लॉक एलिमेंट्स में अगर मैं जनरल ट्रेंड की बात करूँ, यस, पीरिड में, सबसे पहले पीरिड की बात करते हैं, अगर मैं जनरल ट्रेंड की बात करूँ, तो सर ये कहेगा, आप ऐसे कह सकते हो कि बाई, लेफ्ट वो र पर इनकी इन में साइज डिक्रीज करती है, इनकी साइज लगबग सेम होती है, और यहाँ पर अगर आप देखोगे, कॉपर और जिंक में जो साइज होती है, वो इंक्रीज कर जाती है, अगर मैं ग्राफ बनाओ ना, अगर मैं ग्राफ बनाओ, अटॉमिक नंबर और किसके ब तो यह भी ऐसा होगा और भी ऐसा होता है लेकिन अगर मैं वहीं पर ग्रुप की बात करूं ग्रुप की अगर बात की जाए डिब्लोक एलेमेंट में यहां गलत लिखा है ना यह इसको उठाना इन ट्रांजीशन नहीं यह ट्रांजीशन एलेमेंट की बात हो रही है अ तो अगर आप transition element में ही group में देखो तो अगर मालो group 33 का member है तो group 3 में कोई exception नहीं है सिर्फ down the group जाने पर size increase करेगी लेंथना मॉर एक्टिनियम, तो साइज डाउन दा ग्रूप जाने पर इंक्रीज कर रही है, लेकिन अगर आप ग्रूप 4 से लेके ग्रूप 12 तक की बात करोगे, तो 3D की साइज जो होते है चोटी है वो 4D से, 4D की साइज 3D से बड़ी है क्योंकि एक शेल बढ़ गया, लेकि याद रहा है क्या लेंथनोइड कंट्रक्शन यस इज पूर्व चिंदिंग आप यह फोर एक्ट्रोंस की बिकॉस फाइब्डी की बात कर रहे हैं और आप 4 से लेके 12 की बात कर रहे हो लेकिन अगर आपका group 3 का element है तो 3 में तो down the group जाने पर size increase करती है यहाँ पर कोई exception नहीं होता yes इसी वज़े से order भी पूछा जाता है radius of zirconium और बोला जाता है radius of offnium इसकी जो energy है size जो है वो लगबग same है because यह 4D का member है और यह 5D का member है बहुत important question और बहुत ही famous question यह वाला बनता है अगर हम लोग inner transition elements की बात करें, तो general trend यही होता है, कि जब आप left to right जाते हो, inner transition elements में भी, तो size decrease करेगा, लेकिन आप देखिए, lengthenoids के case में, अगर आपने atomic radius देखी, तो European की जो size होती है, EU, इसकी size अपने respective period में सबसे ज़्यादा होती है, बस यही order आपको ध्यान में रखना है आयोनिक radius decrease करेगी, लेकिन atomic radius में EU की जो size होती है, वो सबसे ज्यादा होती है, एक छोटे सी चीज़ आपको ध्यान में रखनी है, और एक चीज़ मैंने और बताई थी, कि जो lengthenoid contraction होता है, यास, जो lengthenoid contraction होता है, उसकी value कम होती है, और actinoid contraction उससे ज्यादा होगा, यास, actinoid contraction तो ये चोटा सा order आपको बता होना जरूरी है तो ये था atomic radius से related information अब मैं आपको आगे ले चलता हूँ बात करूँगा मैं किसकी? आयोनाइशन अनरजी की बहुत सिंपल चीज है आयोनाइशन अनरजी का म जैसे मालो एक आपके पास isolated gaseous atom होना चाहिए, इससे आपने एक electron remove किया, इस electron remove करने में जितनी energy का requirement होगा, उसको आप लोग ionization energy बोलोगे, इस प्रोसेस होता है, इस प्रोसेस होगा, तभी आयोनाशन एनरजी की value define आप लोग कर सकते हो एक term होती है successive आयोनाशन एनरजी let's say आपने पहला electron remove किया MG से पहला electron remove किया तो इसमें जितने energy का requirement होगा वो first आयोनाशन एनरजी अगर आपने MG plus से एक और electron remove करना है, तो MG 2 plus बन जाएगा, इस process में जो energy का requirement है, that is ionization energy 2, और अगर मालो आपके पास MG 2 plus बन गया, इस से एक और electron आप remove करना चाहते हो, तो जो energy का requirement होगा, उसको बुला जाएगा, ionization 3. अगर question में कभी भी कुछ भी mention ना किया हो तो हमेशा first ionization energy मान के question को solve करना होता है आपको यह भी चीज़ पता होगी कि first ionization energy सबसे कम, I2 उससे ज़्यादा, I3 उससे ज़्यादा और जैसे आप आगे बढ़ते हो आयोनाइशन अनर्जी की value बढ़ती जाती है successive ionization energy हमेशा increase करती है ऐसा क्यों? because हर बार एक electron remove होने के वज़े से size छोटा हो जाता है और size छोटा होगा तो हर बार electron निकालना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा आप ऐसे भी कह सकते हो कि एक neutral atom से electron निकालना आसान है, एक positively charged atom से electron निकालना मुश्किल है, तो successive ionization energies की value हमेशा increase करती है. अगर मैं factors की बात करूँ, कौन-कौन से factors हैं जो ionization energy को affect करेंगे, तो सबसे पहला factor आता atomic radius. अगर माल लो, ionization energy की बात की जाए, तो it is inversely proportional to atomic radius, yes, outer electron पे nucleus का attraction उतना ही कम होगा, ionization energy के inversely proportional होगा.
आयनाइशन अनर्जी हमेशा Z effective, effective nuclear charge के directly proportional होती है, penetration जितना ज्यादा होगा, penetration का मतलब समझते हो, अगर कोई orbital जितना नजदीक है nucleus के, तो वहाँ से electron निकालना मुश्किल है, तो अगर आयनाइशन अनर्जी की बात की जाए, तो it is directly proportional to penetration effect of orbitals. और सबसे last effect आता है stability of half-filled and fully-filled, yes, तो हम ऐसा ही तो कहते हैं कि जो half-filled और fully-filled orbitals होते हैं, उनकी stability ज़्यादा होती है normal configuration से, normal orbital से, तो अगर कोई ज़्यादा stable orbital है तो उस electron निकालना उतना ही मुश्किल है, इसी वज़े से electronic configuration अगर किसी का half-filled या फिर full-filled है तो उसकी ionization energy exceptionally high हो जा इसकी size सबसे चोटी है, size चोटी है तो ionization energy सबसे ज़्यादा होगी, A, A-, इसकी size सबसे बड़ी है, ionization energy सबसे कम होगी, तो charge के साथ आपकी ionization energy इस तरह से vary करती है, अगर मैं इसकी periodicity की बात करूँ, एक period की, yes, एक period की, तो general trend ये कहता है, कि sir, left to right जाने पर effective nuclear charge बढ़ता है, तो ionization energy decrease करनी चाहिए, yes, ionization energy increase करनी चाहिए, एक general trend ये कहता है, तो इस हिसाब से अगर आप लोग देखोगे लीथियम, बरिलियम, बोरोन, कारबन, नाइट्रोजन, ओक्सिजन, फ्लोरीन और नियोन यह order होना चाहिए था लेकिन अगर आप देखो तो जो exact order होता है वो क्या होता है फिर आता है फ्लोरीन और फिर आएगा नियोन यह exact order होता है और अगर आप इस order को ध्यान से देख रहे हो और nitrogen की ionization energy oxygen से ज़्यादा हो गई है neon की size अपने period में सबसे बड़ी है but still इसकी ionization energy सबसे maximum है अगर इन तीन का आपसे कोई reason पूछे तो मेरे साथ से आप लोग बता सकते हो कि जो neon होता है उसका configuration fully filled होता है इस वज़े से यह बहुत stable configuration है nitrogen की ionization energy oxygen से ज्यादा क्यों हो गई, because nitrogen का जो configuration होता है, वो half-filled configuration है, और half-filled configuration है, तो यहां से electron निकालना मुश्किल होता है, और वैसे ही beryllium और boron की बात करो, तो beryllium में electron 2s से निकालना है, boron में electron 2p से निकालना है, 2s electron nucleus के ज़्यादा नस्दीक है, that's why beryllium की ionization energy, penetration effect की वज़े से. और same यही trend follow होता है third period element में भी, मतलब lithium के नीचे sodium आएगा, boron के नीचे aluminium, beryllium के नीचे magnesium, बिल्कुल similar trend follow होगा किसके लिए, third period elements के लिए भी, उसमें भी इनके अलावा और कोई exceptions नहीं है, yes, अगर मैं बात करूँ, group की, तो group में general trend क्या होना चाहिए, कि sir down the group जाने पर size बढ़ता है, और size बढ़ेगा तो ionization energy decrease करनी चाहिए yes, और यही trend देखो, आप लोग group 2 के elements में देख सकते हो, group 1 में देख सकते हो down the group जाने पर size बढ़ रहा, ionization energy decrease कर रही है, down the group जाने पर size बढ़ रहा है, ionization energy decrease करनी लफड़ा है, beta मांगे car scooter बाप आना चाहिए, sir radium आ गया, radium का एनेशन अनरजी barium से ज़्यादा होता है exception वापस किसकी वज़े से है poor shielding of D and F electrons की वज़े से आयोनाइशन एनरजी में जो exception होते हैं, वो ज़्यादा important होते हैं, यहां देखिए, group 13 elements में जो आयोनाइशन एनरजी का exact order होता है, वो आपके सामने लिखा है, और बहुत ही उल्टा पुल्टा सा order है, वैसे ही, गैलियम और एलिमिनियम में order पहले size में भी थालफडा, और वही same आयोनाइशन एनरजी में भी problem है, अगर मैं ग्रूफ 14 एलिमेंट की बात करूँ, तो कार्बन, सिलिकन, जर्मेनियम, टिन और लेड आना चाहिए, सर उल्टा हो जाता है, लेड की आयनाइशन अनर्जी टिन से जादा हो जाती है, बिकॉस यहाँ पर भी क्या लगता है, पूर शिल्डिंग और फोर अफ एलेक् कोई अगर आप से पूछे group 2 और group 13 में से किस के ionization energy ज़्यादा होती है तो generally हम लोग ही बोलते हैं beryllium के ionization energy बोरों से ज़्यादा है इसका मतलब group 2 के ionization energy group 13 से ज़्यादा है और कई बार लोग इस चीज़ को एक general trend मान लेते हैं कि हमेशा ऐसा होगा group 2 हमेशा से ज़्यादा होगा लेकिन नहीं यह सेकंड पीरियों में एप्लीकेबल है थर्ड पीरियों में एप्लीकेबल है फूर्थ पीरियों में एप्लीकेबल है यहां जाकर मुन्ना गड़बड़ हो जाती है विकॉज यहां पूर्व शेल्डिंग ऑफ डी एंड एफ एक्ट्रोन्स बहुत ज्यादा यहां जाके problem होती है वैसे अगर कोई तुमसे पूछे group 15 और group 16 में से किसकी ionization energy ज्यादा है generally हम लोग बोलने के लिए बोल देते हैं कि group 15 जो होता है वो half-field configuration है और half-field configuration है तो उसकी ionization energy ज्यादा होगी लेकिन यह चीज कब तक applicable है सिर्फ तभी तक applicable है जब तक आप second, third और fourth group की बात करो fifth period की बात करो लेकिन यहां पर जाकर गर्बर हो जाती है because यहां वापस से poor shielding of D and F electrons effective होता है अगर इन सारी चीजों को आप डिटेल में समझना चाते हो तो अव्यशी बात है उसके लिए तो आपको पूरा वीडियो देखना पड़ेगा, यस, लेकिन ये वो चीजी है जो आपको रिकॉल करवाने का मोटिव है इस वाली सीरीज का, और इसी वज़े से मैं सिर्फ ओडर फिर उसके बाद अगर मैं बात करूँ Transition Elements में, D-Block Elements की, तो सर D-Block Elements में अगर आपका Group 3 का Element है, तो यहाँ कोई लफ़डा नहीं है, 3D की Size सबसे चोटी, Ionization Energy सबसे ज़्यादा, कोई प्रॉब्लम नहीं है, Group 3 के Elements में कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन अगर माल लो आपका Group 4 से लेके Group 12 का Element है, 4 से लेके 12 तक का Element है, तो सर यहाँ पर जो Exact Order Follow होता है, वो यह है कि 5D Series Elements की सबसे ज़्यादा, फिर 3D और फिर 4D, लेकिन इसमें भी Exception आता है, कहां? जो group 5, 6 और 10 के elements हैं, मैंने मताया था, वी, सी, एन, है ना, vanadium वाला group, chromium वाला group और फिर nickel वाला group, तो 5, 6 और 10 के जो groups के elements होते हैं, वहाँ पर भी यह order follow नहीं होता, वहाँ पर order अलग ही follow होता है, 3D, 4D and 5D, यहाँ तो down the group जाने पर ionization energy बढ़ रही है, यस, लेकिन group 33 elements में, group 3 में कोई exception नहीं है, group 4 से लेके group 12 तक, फिर लेकिन इसमें भी 5 6 10 को छोड़कर है ना 5 6 10 में क्या होता है थी डी फोर्डी और फाइडी या रहेगा यह सारी चीजें डिटेल में आपको जो लेक्शन है उसमें हम लोगों ने कर रखी है अगर हम लोग एप्लीकेशन की बात तो आपका ionization energy increase करेगा decrease करेगा sorry ionization energy decrease करने का मतलब outer electron पे nucleus का attraction कम होगा और attraction कम है तो electron निकालना आसान है electron निकालना आसान है इसका मतलब metallic character की value down the group जाने पर increase करती है ये किसका application है ionization energy का ही application है वहीं पर आप इसकी help से number of valence electrons भी find कर सकते हो कैसे अगर माल लोग कोई एक element है उसके पास number of valence electrons कितने है एन है, एन नमर विलेंस एलेक्ट्रोन है, तो उसकी IEN and IEN plus 1, इसके बीच जो गैप होता है, वो बहुत जादा होगा, यहां जो गैप होगा, वो बहुत जादा होगा, तो कभी भी अगर मालो आपको 3-4 ionization energy की value दी हुई हो, और आपको दिखे, कि 2 ionization energies के बीच गैप exceptionally high है, तो वहाँ से समझ जाना आप valence electrons की calculation कर सकते हो अगर valence electron n होंगे तो Ie n and Ie n plus 1 के बीच gap बहुत जादा होगा मान लो Ie 2 और Ie 3 के बीच gap जादा है इसका मतलब वहाँ पर valence shell में कितने electron है?
दो electron है अगर 3 और 4 के बीच gap जादा है मतलब वहाँ 3 electron है valence shell में तो दूसरी application यह है आप लोग number of valence electrons find कर सकते हो फिर application आती है, आप इसकी help से stable oxidation state भी find कर सकते हैं, वो कैसे करें सर? अगर मालने आपकी ionization energy का difference 16 electron volt से ज़्यादा है, तो हमेशा ध्यान रखिए, lower oxidation state ज़्यादा stable होगी, और अगर 11 से कम है, इसका मतलब higher oxidation state ज़्यादा stable होती है, लेकिन कोई ये बोल रहे, सर अगर 11 से 16 के बीच हुआ फिर, फिर वो आपका जो element होगा, वो variable oxidation state शो करेगा, मतलब वहाँ पर एक से ज्यादा oxidation state उसकी possible होगी, yes, ये उसकी अलग application होगी, इसके बाद हम लोग बात करेंगे किसकी, electron gain enthalpy ही, next जो property है वो electron gain enthalpy सर, क्या होती है, electron gain enthalpy ह जो energy change होगा, उसको बुला जाएगा, जो energy change होगा, उसको बुला जाएगा electron gain enthalpy, yes, उसको क्या बुला जाएगा, electron gain enthalpy, जो enthalpy change होगा, उसको बुला जाएगा electron gain enthalpy, यहाँ पर देखिए, मैंने लिखा है plus और minus, मतलब first electron gain enthalpy, इसको मैं क्या बोलूंगा, first electron gain enthalpy, इसकी value plus भी हो सकती है, नेगेटिव भी हो सकती है, पॉजिटिव भी हो सकती है, एनरजी देनी भी पड़ सकती है, एनरजी रिलीज भी हो सकती है, लेकिन एक एलेक्ट्रोन आइड करने के बाद अगर आप सेकंड एलेक्ट्रोन गेन आइड करना चाते हो, तो आपको हमेशा एनरजी देनी पड़े� यस, तो second electron gain enthalpy is always positive, first वाली negative भी हो सकती और positive भी हो सकती, सर कैसे पता लगता है कब negative होगी और कब positive होगी, जैसे माली मैं एक example लेता हूँ, फ्लोरीन का, इसके valent shell में, बिटा कितने electron है, साथ electron है सर, ये साथ electron है, इसका मतलब फ्लोरीन आसानी से electron gain कर लेगा, और अगर फ्लोरी है ना और जितनी ज्यादा नेगिटिव हो इसका मतलब उसकी एलेक्ट्रोन गेइन करने की टेंडेंसी भी उतनी ही ज्यादा होती है पॉजिटिव एलेक्ट्रोन गेइन एंथेलपी का बोती है सर जैसे मैंने एग्जांपल लिया नाइट्रोजन का इसका एलेक्ट्रोनिक कॉन्फिग्रेशन 1S2 2S2 2P3 होता है सर ये एक हाफिल्ड कॉन्फिग्रेशन है सर और हाफिल्ड मतलब इसकी टेंडेंसी एलेक्ट्रोन गेइन करने की बिलकुल भी नहीं है ये नहीं चाहता बिकोस पहले मतलब अगर कोई element एलेक्ट्रोन गेन करना चाता है, अगर एलेक्ट्रोन गेन करना उसकी stability को बढ़ा रहा है, इसका मतलब उसकी electron gain enthalpy नेगेटिव होगी. अगर कोई element पहले से ही stable है और वो electron gain करना नहीं चाता, electron gain करने से उसकी stability decrease कर रही है, तो उसकी electron gain enthalpy positive होगी.
अगर कोई element एलेक्ट्रोन गेन करना चाता है, तो उसकी electron gain enthalpy negative होगी. पुली फिल्ड कॉन्फिग्रेशन है, एलेक्ट्रोन गेन करना नहीं चाहता, एलेक्ट्रोन गेन अंथलपी पॉजिटिव होगी, ग्रूप टू एलिमेंट, सारे के सारे नहीं कौन सिर्फ बेरिलियम और मैगनीशम, इनकी एलेक्ट्रोन गेन अंथलपी पॉजिटिव होगी, और नाइट्रोजन बिकोज इसका हाफ फिल्ड कॉन्फिग्रेशन होता है, ध्यान रहे, सलफर, नाइट्रोजन के नीचे फॉस� यस यह चीज़ ध्यान में रखनी है एक छोटी सी टर्म और होती है जिसको बोला जाता है एलेक्ट्रोन एफिनिटी नाम ही चिक के गहरा है एफिनिटी मतलब प्यार एलेक्ट्रोन के लिए प्यार तो अगर कोई एलेक्ट्रोन से ज्यादा प्यार करता हो एलेक्ट्रोन क होगी यस उसकी लेक्ट्रोन एफिनिटी पॉजिटिव होगी और अगर मान लो किसी को लेक्ट्रोन से कोई लिए नहीं है तो आप बोलो कि उसकी लेक्ट्रोन एफिनिटी लगभग जीरो है या फिर लेक्ट्रोन एफिनिटी नेगेटिव है यह चीज यहां लिखी है लेक एलेक्ट्रोन एफिनिटी पॉजिटिव होगी, एलेक्ट्रोन गेन एंफेल्पी मालो पॉजिटिव हो, मतलब एलेक्ट्रोन नहीं चाहता, तो उसकी एलेक्ट्रोन एफिनिटी या तो नेगेटिव होगी या फिर जीरो होगी, अगर नॉबल गैसेस की बात करें, तो कुछ यस, इसी वज़े से उसको लगबग zero भी आप consider कर सकते हो, बात याती है सर, electron affinity कौन-कौन से factor पर depend करती है, सबसे पहला factor है atomic radius, obvious है, अगर atomic radius ज्यादा होगी, इसका मतलब electron gain करना मुश्किल हो जाएगा, size बढ़ जाएगी, electron पर nucleus का attraction कम हो गया, तो electron gain करना मुश्किल हो जाए� आउट एलेक्ट्रोन जो एड होगा उस पे नुक्लियस का ट्रेक्शन ज़्यादा होगा और ज़्यादा ट्रेक्शन मतलब खीच के बड़े आराम से वो पेनेट्रेशन इफेक्ट पेनेट्रेशन जितना ज्यादा होगा एलेक्ट्रोन का उसकी एलेक्ट्रोन अफिनेटी उतनी ज्यादा होगी एग्जाम्पल लिखा है लीथियम और बोरोन जो लीथियम होता है बिका इसका एलेक्ट्रोनी कॉन्फिग्रेशन होता है वन एस टू तू अस वन और बोरोन का होता है टू अस टू पी वन यहाँ एलेक्ट्रोन टू अस में आड़ होगा यहाँ एलेक्ट्रोन टू पी म कम हो जाएगी because 2p electron पे nucleus का attraction कम हो जाएगा तो जहां penetration effect ज्यादा हो वहां electron affinity भी ज्यादा होगी और अगर आपका stability of half-filled और fully-filled orbitals की बात करें तो अगर कोई configuration half filled या fully filled है, तो वहाँ electron gain करना, थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है, उसकी electron affinity कम हो जाती है, मतलब ये दोनों चीजें, एक दूसरे के inversely proportional होती है, अगर मैं periodicity की बात करूँ, तो एक period में general trend तो यह होना चीज़ था, कि left to right जाने पर size decrease कर रही है, electron affinity increase करनी चीज़ थी, but there are certain exceptions, neon की सबसे कम है, because इसका, फिल्ड कंफिग्रेशन होता है, बिरिलियम की 2S2 कंफिग्रेशन होता है, नाइट्रोजन हाफिल्ड कंफिग्रेशन होता है, इस वज़े से इनकी एलेक्ट्रोन एफिनिटी कम होती है, और बाकी अगर आप दोखे देखोगे, अलाकि यह जो ओडर होता है, electron affinity का यह generally नहीं पूछा जाता है या फिर पूछा भी जाएगा तो बहुत कोई अच्छा question अगर advance का बनाना होगा तब यह पूछता है generally means तक इस order के बारे में कोई काम नहीं पड़ता है तो यहाँ पर लिखा भी है lithium का boron से ज़्यादा carbon का nitrogen से ज़्यादा अगर आप लोग एक group की बात करो group वाला जो order होता है मतलब electron affinity की value decrease करनी चाहिए लेकिन यहाँ पर लपड़ा कुछ और है भाई देखो यह वाले जो elements दे रखे हैं यह second period के elements हैं यह जो elements दे रखे हैं यह third period के elements हैं third period elements का electron affinity second period elements से ज़्यादा होता है आप से कोई पूछ ले ऐसा क्यों? सीधा उसको reason देके आजाना.
Third period elements की size बड़ी होती है और size बड़ी होने की वज़े से इन में electron add होना आसान है because electron-electron repulsion कम है. इन की size छोटी होती है इन में पहले से ही electron-electron repulsion बहुत जादा है इस वज़े से इन की electron गेन करने की tendency थोड़ी कम हो जाती है. मतलब oxygen की electron affinity sulfur से कम है और आप देखिए इतनी कम है कि वो सबसे last में चला जाता है.
यह जो दो order है बहुत important है, chlorine की electron affinity ज्यादा है fluorine से, fluorine की कम है, और इतनी कम है, वो आपके सामने order लिखा है, यह जो दो order आपकी screen पर लिखे है, यह J में पुछेवे questions है, both these orders are very much important, इनको हमेशा आप लोग ध्यान रखे, electron affinity का, जो group में variation है, that is more important than, चले, इसके बाद next हम लोग बात करेंगे किसकी? जो next अगली physical property है, जिसका नाम है electro negativity. Electro negativity क्या होती है? ये एक, यू माले लिए, relative term है, जिसे माले लो, दो atom है, A और B. इन दोनों के बीचे covalent bond बना हुआ है.
Yes, इन दोनों के बीचे covalent bond बना हुआ है. अब ये जो covalent bond होता है, इस bond के जो electrons होंगे, इस bond के electron को एक atom अपनी तरफ खीचेगा. तो किसी भी bond के electrons को अपनी तरफ खींचने की जो tendency होती है, that is known as electron negativity.
माल लो, B ने electron खींचे, तो B electron रिच हो जाएगा, इस पर partial negative आजाएगा, और इस पर partial positive आजाएगा, और अगर किसी bond में partial positive और negative create हो जाए, तो इस तरह के bond को आप लोग क्या कहते हो, bond, polar bond कहते हो, है ना? अब obvious ही बात है कि ये सिर्फ एक tendency होती है, electron अपनी तरफ खींचने की. और ये एलेक्ट्रोन खीचने की जो टेंडेंसी इसी को आपने एलेक्ट्रोन नेगेटिविटी नाम दिया, इसका मतलब ये जो टर्म होगी एक यूनिट लेस्ट क्वांडिटी होगी, इसका कोई यूनिट नहीं होता, और ये सिर्फ और सिर्फ कौन सी स्टेट में डिफाइ यह डिपेंड करती है कि उस आटम ने कौन से दूसरे आटम के साथ बॉंड बना रहा है, देखो, एने एक बार मान लो बी के साथ बॉंड बना रहा है और एक बार सी के साथ बॉंड बना रहा है, तो हो सकता है बी से ज़्यादा एलेक्ट्रोन खींच रहा हो और सी से कम एलेक इलेक्ट्रो नेगेटिविटी है उसको उसकी वैल्यू को एक स्केल पर रखने की कोशिश करी, एक स्केल डिजाइन करने की कोशिश करी, वैल्यू निकालने की कोशिश करी और उन स्केल को बोला जाता है इलेक्ट्रो नेगेटिविटी स्केल्स, अलांकि ये जो स्केल्स होती एब होगी यहां पर यह क्या है बोर्ड एनर्जी है यह मतलब एब बोर्ड एनर्जी इब मतलब बीबी बोर्ड एनर्जी और यह जो एनर्जी की वेल्यू है किसमें होनी चाहिए किलोजूल पर मोल में होनी चाहिए और अगर मान लो आपको क्वेश्चन पर मोल में किलोजूल में ना देखें कि लोग पर रखी है तो आपको यहां पर जो क्वेश्चन होता है 0.10 की जगह वह जाएगा 0.208 यह बस formula है आपको formula को as it is इसी तरह से याद रखना है इसके पीछे और कुछ समझने की चीज नहीं है यह एक scale था polling scale फिर उसके बाद दूसरा scale है moolikon scale है ना moolikon scale भी कोई बहुत जादा important नहीं है इसने यह कहा कि moolikon scale पे किसी भी element की जो electron negativity होती हो किसके बराबर होगी उस एस सच कोई बहुत important question तो इस पे आस तक नहीं बना है polling scale पे जो electron negativity की value होती है उसका relation दे रखा है moolikan scale पे जो electron negativity value है उसके साथ और last में यह लिखा है कि moolikan scale की जो value होती है वो 2.8 times larger होती है polling scale वाली value से तो यह polling वगरा की जो formula है ना important है देखो polling का एक यह वाला अलग elements की जो electron negativity की value है, उसने क्या कर रखा है, एक जगह पर लिख रखी है, और अगर आप ये value देखोगे, तो check करोगे कि जो fluorine होता है, उसकी electron negativity पूरी periodic table में highest होती है, अगर आप एक general trend देखोगे, तो आपको ऐसा लगेगा, कि left to right जाने पर electron negativity की value increase कर रही है, और down the group जाने पर electron negativity की value है ना सबकी वैल्यू याद नहीं रखनी है कुछ एक एलिमेंट है इनकी वैल्यूज आप याद रख सकते हो लेट से फ्लोरीन ओक्सिजन नाइट्रोजन क्लोरीन कार्बन हाइड्रोजन इनकी वैल बात कर लेते हैं सर ऐसे कौन-कौन से factors हैं जो atomic radius को, sorry, electron negativity को affect करते हैं, सबसे पहला है atomic radius, मतलब electron negativity जो होगी वो atomic radius के inversely proportional होगी, जितनी ज्यादा radius उतनी electron negativity कम होगी, और electron negativity directly proportional होती है z effective के, और अगर charge की मैं बात करूँ, तो जितना ज्यादा positive charge होगा, electron खीचने की tendency उतनी ही ज्यादा होगी, मतलब electron negativity उतनी ही ज्यादा होगी, जितना ज्यादा positive charge होगा, जितनी ज्यादा positive oxidation state होगी. एक और factor होता है, जिसका नाम है hybridization state of an atom, यह हम लोगों ने पढ़ाई है, अगर माललो एक carbon है, जिसका hybridization sp है, एक carbon जिसका hybridization sp2 है, और एक carbon जिसका hybridization sp3 है, तो sp hybridized carbon की electron negativity सबसे ज्यादा होगी. आप लोगों ने ऐसा पढ़ा है कि electron negativity it is directly proportional to percentage as character, और SP में percentage as character सबसे ज़्यादा होता है 50%, इसी वज़े से SP hybridized carbon की electron negativity सबसे ज़्यादा होगी, बहुती simple चीज़ है, बहुती आसान चीज़ है, कोई दिक्कत नहीं है, ठीक है, बहुत बढ़िया सर.
अब अगर मैं मान लो ट्रेंड की बात करूँ, एक पीरियोर में ट्रेंड की बात करूँ, तो जो नॉर्मल ट्रेंड है, वो जनरल ट्रेंड यही कहता है कि left to right जाने पर, सर, effective nuclear charge बढ़ता है, और effective nuclear charge बढ़ेगा, तो electro negativity भी बढ़ेगी, है ना, कोई असस exception नहीं है, left to right जाने है ना तो सर ग्रूप में क्या होना चाहिए था जनरल ट्रेन होना चाहिए था कि डाउन दा ग्रूप जाने पर साइज बढ़ रहा है और साइज बढ़ रहा है तो एलेक्ट्रोन नेगेटिविटी डिक्रीज करनी चाहिए लेकिन देर आर सर्टिन एक्सेप्शन्स है ना कौन वो लगबग same होती है, इस चीज़ का आप लोग ध्यान रहें, यह जो value है, इसमें से यह वाला जो order है, यह थोड़ा बहुत important है, इस पर आला कि यह such question नहीं पूछा गया, लेकिन यह थोड़ा सा important है, और जब याद करी रहें, तो एक बार याद करी लेते हैं पूरा ही, बात कि percentage ionic character क्या होता है? यह आपने chemical bonding में पढ़ा है 16 into difference in electron negativity plus 3.5 into difference in electron negativity का square. तो मालो अगर दो atom है उनकी electron negativity में difference 2.1 से ज्यादा है, तो इसका मतलब वो जो bond होगा predominantly ionic होगा, और अगर electron negativity में difference 2.1 से कम है, इसका मतलब sir वो जो bond है, वो कैसा है? Predominantly covalent bond है.
तो यह एक data है आप इस data को याद रखें इसमें डाल के आप लोग चेक कर सकते हैं कितना percentage आईनी character आ रहा है इससे आपको यह भी पता लग जाता है कि जो आपका bond है वो polar है या फिर non polar है बहुत simple चीज है माल लो दो similar items के बीच bond बना हुआ है इसका मतलब यह जो bond होगा वो कैसा होगा non polar bond होगा और अगर माल लो एक bond है जो दो different items के बीच बना है इन दोनों की electron negativity same नहीं है yes एलेक्ट्रोन नेगेटिविटी का डिफरेंस 0 नहीं है, तो ये जो बोंड होगा, वो अमेशा कैसा होगा, पोलर बोंड होगा, तो एलेक्ट्रोन नेगेटिविटी की वैल्यू देखके, आप ये बता सकते हो, कि बोंड पोलर है या फिर नोन पोलर है, ये इसका एक और एप्लिकेशन हो गया, Rb क्या है? Covalent radius of B. ΔEN क्या है?
Electro negativity का difference. अगर आपको यह पता है, यह वाला formula, अगर आपको यह ΔEN पता है, तो आप क्या निकाल सकते हो? यह bond length की value बड़े आराम से find कर सकते हो.
तो यह इसका एक और application है. और एक और application होता है, जिसका नाम है nature of hydroxides. एक general hydroxide को मैंने ऐसे represent कर दिया AOH से.
अगर माल लो ये जो A है, इसका electron negativity 2.1 से ज्यादा है, तो सर ये जो hydroxide होगा, ये जो compound होगा, ये कैसा होगा, acidic होगा. और वहीं पर अगर माल लो, इसकी A की electron negativity 2.1 से कम है, hydrogen की electron negativity से कम है, इसका मतलब ये compound कैसा होगा, basic होगा. इसका detail जो explanation है, वो मैंने batch में दे रखा है, ऐसा क्यों होगा. Yes! यह वाली चीज है चोटी सी information जो आप लोग ध्यान में रख सकते हो तो यह physical properties थी उनमें हम लोगों ने variation की बात करी अब हम लोग बात करते हैं chemical जो properties होती है उनमें chemical properties जो होती है उनमें variation किस तरह से आता है और उसमें सबसे पहला है valency या फिर oxidation state कि valency जो होती थी वो depend करती है किस पे valence electrons पे, और आप लोगों ने छोटी class में यह वाला formula भी पढ़ाया कि अगर माल लो number of valence electrons 4 या 4 से कम है, तो valency जो होती है वो valence electrons के बराबर होती है, और अगर number of valence electrons 4 से जादा हो तो valency 8 minus valence electrons होती थी, यह formula कुछ जगह पर applicable होता है, 11-12 मे तो जो valency की value है, वो increase करेगी, और फिर वापस decrease करेगी, yes, और अगर आप लोग period की बात कर, एक group की बात करते हो, तो group में, क्योंकि number of valence electrons same रहते हैं, और valence electrons same रहते हैं, इसका मतलब एक group के जितने भी elements होते हैं, उन सब की valency same रहती है, पीरियड के जो elements होते हैं, उनकी valency same न और यहां से यहां carbon तक increase कर रही है और फिर उसके बाद further धीरे decrease करती है, इन्हां सारा खेल किसका है, number of valence electrons का है, इन्हां जिसको हम लोग और ज़्यादा detail में chemical bonding में पढ़ते हैं, यहां पर कुछ as such पढ़ने का बहुत ज़्यादा एक छोटी सी चीज और है कि जो हर एक ग्रूप का first element होता है, हर ग्रूप का first element, जैसे मालो लीथियम हो गया, बेरिलियम हो गया, बोरोन हो गया, कारबन, नाइट्रोजन, ओक्सिजन, फ्लूरीन, यह हर ग्रूप का first element है, यह second period का first element, यह 13 का, 14 का, 15 का, 16 का, first का भी मैं बोल सक क्या कह रहा हूँ वापस सुनना, हर ग्रूप का जो first element है, उसकी कुछ properties, अपने ग्रूप के जो बाकी elements होते हैं, उनसे different होती है, लेकिन सारी properties different नहीं होती, मैंने बोला कुछ properties, तो सर similar किसके होती है, lithium की कुछ properties, इसके जो diagonally aligned element होगा, magnesium उसके similar होगी, बेरिलियम की कुछ properties इसके जो diagonally aligned element है एलिमिनियम उसके similar होती है, बोरोन की कुछ properties इसके जो diagonally aligned element है सिलिकन उसके similar होती है, और ऐसे diagonally aligned element की properties में similarity होना, this is known as diagonal relationship in the periodic table, इसको क्या बोला जाता है, diagonal relationship in the periodic table और इस diagonal relationship का reason क्या होता है कि diagonally aligned element की size लगबग similar होती है, उनकी electron negativity लगबग similar होती है और उनका charge upon radius ratio लगबग similar होता है तो यह reason आपको ध्यान में रखना है कि क्यों diagonally aligned element की property same होती है और कौन-कौन से element के बीच diagonal relationship काम करती है यहाँ पर एक चोटी सी चीज हमें और धिखन में रखनी है, सबसे लास्ट में एक टॉपिक आता है, जिसका नाम है Nature of Oxides, काफी important topic है, yes, हम लोगों ने अभी तक 9th, 10th क्लास में यह पढ़ा होता है कि general है न, general जो trend है वो यही होता है, कि जो metal के oxides होते हैं, वो acidic oxides बनाते हैं है ना, और साथ में कुछ ओक्साइड्स ऐसे भी होते हैं, जो न्यूट्रल होते हैं, न्यूट्रल ओक्साइड्स का एग्जांपल CO, NO, and N2, यास, ये एग्जांपल्स हैं, आप लोगों को ध्यान में रखने हैं, है ना, अगर मैं किसी भी पीरियड में left to right जा रहा हू� Left to right जाने पर non-metallic character increase करता है, इसका मतलब जो oxides का acidic nature होगा, वो increase करेगा, yes, sir, down the group जाने पर metallic character increase करता है, कौन सा metallic character increase कर रहा है, इसका मतलब sir, basic nature of oxides increase करेगा, कौन सा nature increase करेगा, basic nature of oxides increase करेगा, yes.
कौन सा nature, basic nature of oxides increase करेगा, अब यहाँ पर एक चोटी सी चीज़ आपको और ध्यान में रखनी है, amphoteric oxides भी कुछ oxides होता है न, और यह amphoteric oxides कौन-कौन से होते हैं, यह बहुत important है, amphoteric oxides पर खूब सारे questions पूछे जाते हैं, amphoteric oxides तुम्हारे सामने लिखें देखो, Zn, Be, Aluminium, Gallium, Tin और Lead, इन सब के all oxides जो होते हैं, वो सारे के सारे कैसे होते हैं, they are amphoteric oxides, कैसे याद रखें, जनाबे आली गाय संत परभू, इस तरह से आप याद रख सकते हो जन आबे अली गाय संत प्रभु है इस तरह से आप याद रख सकते हो आरसेनिक और एंटिमनी में अगर प्लस थ्री ओक्सिडेशन स्टेट वाला प्लस थ्री चार्ज वाला अगर कोई ओक्साइड है तो वो एंफोटरिक होगा और प्लस फाइव चार्ज वाला अगर कोई ओक्साइड है तो वो एंटिमनी में प्लस थ्री वाला एंफोटरिक और प्लस फाइव वाला एंटिमनी में एंट एक्सेप्शन है CR203, CR203 कैसा होता है? M4-Taric होता है, अगर प्लस चार्ज है तो वो M4-Taric होगा, 5, 6, 7 है तो वो Acidic होगा, लेकिन यहाँ पर भी एक्सेप्शन है कौन? V205, V205 भी कैसा होता है? M4-Taric in nature होता है.
यस, तो ये मोटा nature of oxides को हमने cover किया है, देखो, maximum oxides इसमें cover हो चुके हैं, लेकिन जैसे आप लोग inorganic chemistry आगे पढ़ते जाओगे, वैसे आपको और ज़्यादा चीज़ें समझ में आती जाएगी, और ज़्यादा चीज़ें पढ़ते जाओगे कि कौन सा oxide उम्मीद करता हूँ आप सब लोगों को ये जो एक concise revision है जो हम लोगों ने लगबग एक घंटा बीस मिनट में किया है बहुत सारा content था बहुत मैंने हर चीज को cover करने की कोशिश करी है उम्मीद करता हूँ आपको ये session पसंद आया होगा लेकिन ये तभी आपको समझ में आए� क्योंकि काम पढ़ने से चलेगा सिर्फ मुस्कान