जीवित जगत की विशेषताएँ
पिटा भाषा
- पिटा का अर्थ है एक ऐसी भाषा जिसमें परिवर्तन नहीं हो सकते।
- जीवों में लगभग 1.7 मिलियन विविधताएँ हैं, जिसमें 0.5 मिलियन विविधताएँ पौधों की और 1.2-1.3 मिलियन विभिन्नता जानवरों की है।
जीवों की विशेषताएँ
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ग्रोथ (Growth)
- जीवों में आंतरिक वृद्धि होती है।
- वृद्धि, जीवित और निर्जीव दोनों में होती है।
- निर्जीव में वृद्धि बाहरी होती है।
- वृद्धि को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
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प्रजनन (Reproduction)
- अपने समान जीव का निर्माण करना।
- यह सामान्यतः तीन प्रकार से होती है:
- एसेक्सुअल (Asexual)
- एक माता-पिता से।
- उदाहरण: बडिंग, फिशन।
- सेक्सुअल (Sexual)
- पुरुष और स्त्री के मिलन से।
- उदाहरण: फर्टिलाइजेशन।
- वेजिटेटिव (Vegetative)
- पौधों में।
- उदाहरण: एक्सप्लांट।
- प्रजनन को भी परिभाषित नहीं किया जा सकता।
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सेलुलर संगठन (Cellular Organization)
- कोशिकाएँ मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं।
- ऊतक मिलकर अंग बनाते हैं।
- अंग मिलकर अंग प्रणाली बनाते हैं।
- अंत में, ये सभी मिलकर बहुकोशिकीय जीव का निर्माण करते हैं।
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उपापचय (Metabolism)
- हमारे शरीर के अंदर रासायनिक प्रतिक्रियाएँ।
- दो प्रकार:
- कैटाबॉलिज्म (Catabolism)
- एनाबॉलिज्म (Anabolism)
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चेतना (Consciousness)
- किसी क्रिया के प्रति प्रतिक्रिया देना।
- उदाहरण: तापमान में परिवर्तन पर प्रतिक्रिया।
वर्गीकरण (Taxonomy)
- जीवों का वर्गीकरण:
- किंगडम, फाइलम, क्लास, ऑर्डर, फैमिली, जीनस, स्पीशीज
- बायनॉमियल नॉमिनक्लचर:
निष्कर्ष
- जीवित और निर्जीव की पहचान के लिए वृद्धि और प्रजनन जैसे गुण परिभाषा नहीं देते।
- जीवन के लिए समझ में आना बहुत जरूरी है।
- NCERT की भाषा की भी रीडिंग करनी चाहिए।
ध्यान दें कि यह नोट्स जीवित जगत की मूल बातें समझने में मदद करेंगे और परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी होंगे।