जीवित जगत की विशेषताएँ और वर्गीकरण

Sep 30, 2024

जीवित जगत की विशेषताएँ

पिटा भाषा

  • पिटा का अर्थ है एक ऐसी भाषा जिसमें परिवर्तन नहीं हो सकते।
  • जीवों में लगभग 1.7 मिलियन विविधताएँ हैं, जिसमें 0.5 मिलियन विविधताएँ पौधों की और 1.2-1.3 मिलियन विभिन्नता जानवरों की है।

जीवों की विशेषताएँ

  1. ग्रोथ (Growth)

    • जीवों में आंतरिक वृद्धि होती है।
    • वृद्धि, जीवित और निर्जीव दोनों में होती है।
    • निर्जीव में वृद्धि बाहरी होती है।
    • वृद्धि को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
  2. प्रजनन (Reproduction)

    • अपने समान जीव का निर्माण करना।
    • यह सामान्यतः तीन प्रकार से होती है:
      • एसेक्सुअल (Asexual)
        • एक माता-पिता से।
        • उदाहरण: बडिंग, फिशन।
      • सेक्सुअल (Sexual)
        • पुरुष और स्त्री के मिलन से।
        • उदाहरण: फर्टिलाइजेशन।
      • वेजिटेटिव (Vegetative)
        • पौधों में।
        • उदाहरण: एक्सप्लांट।
    • प्रजनन को भी परिभाषित नहीं किया जा सकता।
  3. सेलुलर संगठन (Cellular Organization)

    • कोशिकाएँ मिलकर ऊतकों का निर्माण करती हैं।
    • ऊतक मिलकर अंग बनाते हैं।
    • अंग मिलकर अंग प्रणाली बनाते हैं।
    • अंत में, ये सभी मिलकर बहुकोशिकीय जीव का निर्माण करते हैं।
  4. उपापचय (Metabolism)

    • हमारे शरीर के अंदर रासायनिक प्रतिक्रियाएँ।
    • दो प्रकार:
      • कैटाबॉलिज्म (Catabolism)
      • एनाबॉलिज्म (Anabolism)
  5. चेतना (Consciousness)

    • किसी क्रिया के प्रति प्रतिक्रिया देना।
    • उदाहरण: तापमान में परिवर्तन पर प्रतिक्रिया।

वर्गीकरण (Taxonomy)

  • जीवों का वर्गीकरण:
    • किंगडम, फाइलम, क्लास, ऑर्डर, फैमिली, जीनस, स्पीशीज
  • बायनॉमियल नॉमिनक्लचर:
    • जीनस और स्पीशीज नामकरण।

निष्कर्ष

  • जीवित और निर्जीव की पहचान के लिए वृद्धि और प्रजनन जैसे गुण परिभाषा नहीं देते।
  • जीवन के लिए समझ में आना बहुत जरूरी है।
  • NCERT की भाषा की भी रीडिंग करनी चाहिए।

ध्यान दें कि यह नोट्स जीवित जगत की मूल बातें समझने में मदद करेंगे और परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी होंगे।