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हेलो एल्केन और हेलो एरीन्स
May 30, 2024
हेलो एल्केन और हेलो एरीन्स
परिचय
इस लेक्चर में हेलो एल्केन और हेलो एरीन्स के बारे में विस्तार से समझाया जाएगा।
हैलोजन
(जैसे फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन) और
एल्केन
(जिनमें सिंगल बॉन्ड होते हैं, जैसे मीथेन, एथेन) का परिचय।
हैलोएल्केन
हैलोएल्केन = एल्केन + हैलोजन।
उदाहरण: CH3Cl (क्लोरोमेथेन)
हैलोजन
और
एरीन्स
का संयोजन:
बेंजीन रिंग + फ्लोरीन/क्लोरीन/ब्रोमीन/आयोडीन => हेलो एरीज।
विभिन्न रिएक्शन और रिएक्टिविटी को समझना।
हेलो एरीन्स
बेंजीन रिंग से सीधा हैलोजन जुड़ा नहीं => हेलो एरीन्स नहीं माना जाएगा।
विनाइल
और
फिनाइल
की विशेषताएँ:
कम रिएक्टिव होते हैं।
रेजोनेंस
के कारण इलेक्ट्रॉन्स का वितरण डबल बॉन्ड बना देता है।
डिग्री ऑफ़ कार्बन
कार्बन की डिग्री पहचानना:
1°: एक कार्बन से जुड़ा है
2°: दो कार्बन से जुड़ा है
3°: तीन कार्बन से जुड़ा है
हैलोएल्केन की तैयारी
अल्कोहल से तैयारी
OH को हैलोजन से रिप्लेस करना (जैसे: CH3OH => CH3Cl)
महत्व:
साइड प्रोडक्ट
(जैसे SO2, HCl) का ख़ास ध्यान रखना।
हाइड्रोकार्बन से तैयारी
हाइड्रोकार्बन में हैलोजन जोड़ना।
उदाहरण: CH4 + Cl2 (Sunlight) => CH3Cl
अल्किन से तैयारी
मारकोनीकोफ़ रूल
भी फॉलो होता है।
नेगेटिव पार्ट वहाँ जाएगा जहाँ कम H हैं।
एंटी-मारकोनीकोफ़ रूल
भी ध्यान देना है।
रिएक्शंस
SN1 और SN2 रिएक्शन:
SN1: यूनिमॉलिक्युलर, पहला स्टेप स्लो, दो स्टेप में सम्पन्न होता है।
SN2: बाइमॉलिक्युलर, सिंगल स्टेप में सम्पन्न होता है, भीड़ का महत्वपूर्ण असर।
उदाहरण और मेकैनिज्म का विवरण।
हेलो एरीन्स की तैयारी
बेंजीन हेलो एरीन्स बनाने के तरीके:
फ्रिडल क्राफ्ट्स रिएक्शन
सैंडमेयर रिएक्शन
बाल्ज़-शिमैन रिएक्शन
गटरमैन रिएक्शन
रिएक्टिविटी
हेलो एरीन्स की कम रिएक्टिविटी का कारण:
रेजोनेंस
के कारण बॉन्ड की मज़बूती।
उदाहरण और व्याख्या:
लो टेम्परेचर और हाई टेम्परेचर के प्रभाव।
टिप्स और ट्रिक्स
ग्रुप और रिस्पेक्टिव बॉन्ड्स
को पहचानना।
सिंगल बॉन्ड वाले ग्रुप्स => ऑर्थो और पेरा पॉजिशन्स पे अटैक।
डबल बॉन्ड और ऑक्सीजन ग्रुप्स => मेटा पॉजिशन्स पे अटैक।
समापन
इस लेक्चर ने हेलो एल्केन और हेलो एरीन्स के मुख्य बिंदुओं को कवर किया।
विभिन्न रिएक्शन, रिएक्टिविटी और तैयारी के तरीके को विस्तार से समझाया गया।
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