नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA)
परिचय
- NDMA भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और प्रबंधन के लिए प्रमुख एजेंसी है।
- NDMA की स्थापना 2005 में हुई थी।
- 2004 की सुनामी के बाद इसकी आवश्यकता समझी गई।
इतिहास
- 1999 में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई थी।
- 2001 में गुजरात भूकंप के बाद राष्ट्रीय समिति का गठन हुआ।
- 2005 में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट पारित हुआ जिससे NDMA का गठन हुआ।
संरचना
- NDMA के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
- अधिकतम 9 सदस्य होते हैं।
- प्रत्येक सदस्य के पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है।
- यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।
उद्देश्य और कार्य
- आपदाओं के लिए प्रभावी प्रबंधन और राहत कार्यों का संचालन।
- विकास परियोजनाओं में आपदा प्रबंधन को शामिल करना।
- तकनीकी संस्थाओं और कानूनी ढांचे का विकास करना।
- समकालीन भविष्यवाणी और चेतावनी प्रणाली का विकास।
- आपदाओं का आकलन और निगरानी।
- विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ समन्वय।
प्रमुख बिंदु
- NDMA देश में सबसे उच्च गुणवत्ता वाले डिजास्टर मैनेजमेंट का प्रतिनिधित्व करती है।
- यह गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है।
- NDMA की मुख्य प्राथमिकताएं हैं: आपदा के पहले से तैयारी करना, प्रभावी प्रबंधन करना, और स्थायी विकास सुनिश्चित करना।
- यह अन्य देशों के साथ आपदा प्रबंधन में सहयोग भी करती है।
वार्षिक रिपोर्ट
- NDMA अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सभी गतिविधियों का विवरण पेश करती है।
- यह रिपोर्ट संसद में पेश की जाती है और उस पर बहस होती है।
निष्कर्ष
NDMA का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत और प्रभावी तंत्र तैयार करना है। यह विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ मिलकर देश में आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।