आज का विषय: सुपरपोजीशन थ्योरम (Superposition Theorem)
इसकी महत्वता और इसे किसी इलेक्ट्रिकल नेटवर्क में कैसे लागू किया जाता है।
पिछले वीडियो में थ्योरम्स जैसे थेविनिन, नॉर्टन आदि पर चर्चा की गई थी।
सुपरपोजीशन थ्योरम का विवरण
सुपरपोजीशन थ्योरम कहता है कि किसी भी लीनियर बायलेट्रल मल्टी-सोर्स नेटवर्क में, किसी भी शाखा में करंट या वोल्टेज को अलग-अलग स्रोतों के योगदान को जोड़कर निकाला जा सकता है।
यह थ्योरम तब लागू होती है जब नेटवर्क में एक से अधिक सक्रिय स्रोत होते हैं।
थ्योरम की आवश्यकताएँ
नेटवर्क को सरल नेटवर्क में घटाना।
सक्रिय स्रोतों की संख्या एक से अधिक होनी चाहिए।
प्रत्येक सक्रिय स्रोत के योगदान को अलग-अलग कैलकुलेट करना।
सुपरपोजीशन थ्योरम के कदम
चरण 1: पहचान करना
किस शाखा में गणना करनी है।
किस मात्रा (करंट, वोल्टेज, पावर) की गणना करनी है।
यह देखना कि सर्किट मल्टी-सोर्स सर्किट है या नहीं।
चरण 2: गणना करना
एक सक्रिय स्रोत को छोड़कर अन्य सभी स्रोतों को उनके आंतरिक प्रतिरोध से बदलें।
उस विशेष स्रोत के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिकल मात्रा की गणना करें।
चरण 3: दोहराना
पहले दो चरणों को सभी सक्रिय स्रोतों के लिए दोहराएं।
चरण 4: समापन
सभी व्यक्तिगत मानों का संख्यात्मक योग करें।
यह अंतिम मान होगा जब सभी स्रोत एक साथ काम कर रहे होते हैं।
उदाहरण
पहले उदाहरण में, 12V, 24V और 3A के तीन सक्रिय स्रोतों का उपयोग करके करंट की गणना की गई।
प्रत्येक सक्रिय स्रोत के लिए अलग-अलग गणना की जाती है।
अंतिम करंट का मान सभी स्रोतों के योगदान का योग होगा।
निष्कर्ष
सुपरपोजीशन थ्योरम का उपयोग विभिन्न इलेक्ट्रिकल नेटवर्क में करंट, वोल्टेज और पावर की गणना के लिए किया जाता है।
इस थ्योरम का उपयोग करते समय हर सक्रिय स्रोत का अलग-अलग विश्लेषण करना आवश्यक है।
अगले वीडियो में अधिकतम शक्ति हस्तांतरण थ्योरम पर चर्चा की जाएगी।
सिफारिशें
जेयन एंड जेयन या बिल थेरेजा की किताबों से अध्ययन करें।
पिछले वीडियो देखें जो केवीएल, केसीएल और अन्य थ्योरम्स पर आधारित हैं।