नोट्स: इकोनॉमिक्स की लेक्चर
लॉ ऑफ डिमांड
- डिमांड की परिभाषा: हमारी आवश्यकताओं और इच्छाओं का माप।
- लॉ ऑफ डिमांड: सभी चीजें समान होने पर, जैसे-जैसे किसी प्रोडक्ट की कीमत बढ़ेगी, कंज्यूमर की डिमांड घटेगी।
- उदाहरण: अगर नोटबुक की कीमत ₹100 से ₹200 हो जाती है, तो डिमांड कम हो जाएगी।
- दूसरी ओर, अगर कीमत घटती है, तो डिमांड बढ़ती है।
- उदाहरण: टमाटर की कीमत ₹40 से ₹30 हो जाती है, तो डिमांड बढ़ जाएगी।
इनफीरियर गुड्स
- परिभाषा: ऐसे प्रोडक्ट जिनकी डिमांड इनकम बढ़ने पर घट जाती है।
- उदाहरण: एक व्यक्ति कम आय में स्थानीय चाय ब्रांड खरीदता है, लेकिन उच्च आय पर वह टाटा गोल्ड चाय खरीदता है।
गिफ़ एंड गुड्स
- परिभाषा: अनिवार्य वस्तुएं जो हम नहीं छोड़ सकते, जैसे ब्रेड और चावल।
- विशेषता: इनकी डिमांड कीमत घटने पर बढ़ती है।
डिमांड के निर्धारक
- कीमत: प्रोडक्ट की कीमत का प्रभाव।
- उपभोक्ता आय: आय में वृद्धि से डिमांड बढ़ सकती है।
- स्वाद और प्राथमिकताएँ: चाय या कॉफी का चुनाव।
- संबंधित वस्तुओं की कीमतें: चाय और कॉफी की कीमतें।
- भविष्य की अपेक्षाएँ: जैसे भविष्य में कीमतों के बढ़ने की उम्मीद।
सब्स्टीट्यूट गुड्स और कम्प्लीयंट गुड्स
- सब्स्टीट्यूट गुड्स: ऐसे प्रोडक्ट जो एक-दूसरे के स्थान पर उपयोग हो सकते हैं।
- कम्प्लीयंट गुड्स: ऐसे प्रोडक्ट जो एक-दूसरे के साथ उपयोग होते हैं।
इलास्टिसिटी ऑफ डिमांड
- परिभाषा: कीमत के परिवर्तन पर डिमांड का माप।
- इलास्टिक डिमांड: कीमत में वृद्धि पर डिमांड कम होती है।
- इन इलास्टिक डिमांड: जरूरी वस्तुओं की डिमांड, भले ही कीमत बढ़े।
लॉ ऑफ सप्लाई
- परिभाषा: जब किसी प्रोडक्ट की कीमत बढ़ती है, तो उसकी सप्लाई भी बढ़ती है।
- उदाहरण: नोटबुक की कीमत बढ़ने पर विक्रेता अधिक बेचना चाहता है।
मार्केट इक्विलिब्रियम
- परिभाषा: जब डिमांड और सप्लाई समान होती है।
- सरप्लस: जब कीमत बढ़ने पर सप्लाई अधिक हो जाती है।
- शॉर्टेज: जब कीमत कम होने पर डिमांड अधिक हो जाती है।
इंडस्ट्री और एग्रीकल्चर
- इंडस्ट्री: मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर।
- एग्रीकल्चर: प्रमुख फूड क्रॉप्स और कमर्शियल क्रॉप्स।
पब्लिक फाइनेंस
- परिभाषा: गवर्नमेंट का रेवेन्यू और एक्सपेंडिचर।
- टैक्सेशन: सरकार के आय स्रोत।
- डेफिसिट: जब एक्सपेंडिचर आय से अधिक हो जाता है।
अनइंप्लॉयमेंट
- परिभाषा: रोजगार की कमी।
- प्रकार: फिक्शनल, स्ट्रक्चरल, साइक्लिक, और सीज़नल।
इंटरनेशनल ट्रेड
- परिभाषा: विभिन्न देशों के बीच सामान और सेवाओं का आदान-प्रदान।
- महत्व: आर्थिक विकास, बाजार की पहुंच, और उपभोक्ता विकल्प।
नीति आयोग और फाइव ईयर प्लान
- नीति आयोग: योजना आयोग का स्थान।
- फाइव ईयर प्लान: भारत के आर्थिक विकास के लिए योजनाएँ।
- पहला योजना (1951-1956): कृषि पर ध्यान।
- दूसरा योजना (1956-1961): औद्योगिक विकास।
- तीसरा योजना (1961-1966): हरित क्रांति।
निष्कर्ष
- आर्थिक विकास: गरीबी कम करना, रोजगार बढ़ाना, और सामाजिक न्याय।
- चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन, कौशल की कमी, और औद्योगिक विकास।
ये नोट्स आपके अध्ययन और पुनरावलोकन के लिए सहायक होंगे। आप अपने अनुसार इस जानकारी को और विस्तार से लिख सकते हैं।