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अंग्रेजों के भारत में शासन का इतिहास
Jul 14, 2024
अंग्रेजों के भारत में शासन का इतिहास
अंग्रेजों द्वारा भारत पर नियंत्रण
अंग्रेजों ने 'फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' नहीं माना
: अंग्रेज इसे 'सिपाही बगावत' मानते थे। भारतीय इसे पहली आजादी की लड़ाई मानते हैं।
कारण
राजनीतिक कारण
पॉलिसी ऑफ एक्सपेंशन
: धीरे-धीरे भारत पर अंग्रेजों का नियंत्रण।
आउट राइट वॉर
: युद्ध से नियंत्रण
बैटल ऑफ बक्सर (1764)
एंग्लो मैसूर वॉर
एंग्लो सिख वॉर
सब्सिडियरी अलायंस
: राजाओं को अंग्रेजों के साथ संधि करने पर मजबूर किया
डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स
: राजा के बिना वारिस के राज्य अंग्रेजों का हो जाएगा (लॉर्ड लाजी)
उदहारण: रानी लक्ष्मीबाई (झांसी)
एलेज्ड मिसरूल
: शासन में खराबी का आरोप (उदहारण: अवध)
सामाजिक और धार्मिक कारण
सोशल कस्टम्स में हस्तक्षेप
:
सती प्रथा बंद (1829)
विधवा पुनर्विवाह अधिनियम
मॉडर्न इनोवेशंस का डर
: रेलवे और टेलीग्राफ पोल से भय
रेसियल डिस्क्रिमिनेशन
: अंग्रेज भारतीयों को खराब मानते थे
मिशनरी गतिविधियाँ
: भारतीयों को ईसाई धर्म में कन्वर्ट करने की कोशिश
वेस्टर्न एजुकेशन का विरोध
: धार्मिक गुरुओं का विरोध
आर्थिक कारण
रिसोर्स का शोषण
: भारतीय कच्चे माल का उपयोग इंग्लैंड की इंडस्ट्रीज के लिए
कपास, सिल्क, टी, इंडिगो
ब्रिटिश गुड्स का आयात
: भारतीय उद्योगों का नुकसान
व्हेल्थ का बाहर जाना (ड्रेन ऑफ वेल्थ)
: भारत का धन इंग्लैंड में
किसानों पर अत्याचार
: खेती पर भारी टैक्स
इनाम कमीशन
: जमीन के प्रूफ न होने पर ज़मीनों की जब्ती
बेरोजगारी
: उद्योग धंधे खत्म
सैन्य कारण
भारतीय सैनिकों का बुरा ट्रीटमेंट
जनरल सर्विस एलिमेंट एक्ट
: सैनिकों को विदेश भेजने का कानून
भारतीय सैनिकों की संख्या अधिक मगर अधिकार नगण्य
तत्काल कारण
एनफील्ड राइफल कार्ट्रिज मामला
: गाय और सूअर की चर्बी से बनी कार्ट्रिज का उपयोग
मंगल पांडे
: पहला विद्रोह (बैरकपुर)
बगावत का विस्तार
मेरठ से दिल्ली
: सैनिकों का विद्रोह, बहादुर शाह जफर ने नेतृत्व किया
देशव्यापी विद्रोह
: कई सेंटर्स जैसे कानपुर, झांसी, लखनऊ आदि में
फर्स्ट वॉर अकाउंट
परिणाम
:
ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत, ब्रिटिश क्राउन का शासन
क्वीन विक्टोरिया का शासन
रानी लक्ष्मीबाई का योगदान
नए कानून: सिविल सेवाएं, समान धर्म ट्रीटमेंट का वादा, मगर डिवाइड एंड रूल पॉलिसी
इकोनॉमिक रूप से भारत का शोषण
नतीजे और लेकर पाठ
नेशनलिज्म का उदय
: देशप्रेम का भाव जागृत
ब्रिटिश पॉलिसी
: हिंदू और मुस्लिमों के बीच फूट डालो और राज करो
आंदोलन की बुरी अच्छाइयाँ
:
कोई प्लानिंग नहीं, कोई कॉमन लीडर नहीं
ब्रिटिश शासकों का अच्छा अनुभव
व्यापक आंदोलन नहीं
: दक्षिण और पश्चिम भारत में कम असर, नेपाल ने मदद की ब्रिटिश की
आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त
: नेशनल मूवमेंट की नींव रखी
निष्कर्ष
फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण अध्याय।
नए अध्यायों के लिए नींव
: गांधी जी, नेताजी आदि के आंदोलनों की प्रेरणा।
वर्तमान समय
: बदलाव और सुधार के प्रयास जारी।
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