हेलो गाइस नमस्कार मैं हूं आजाद और आप देख रहे हैं निर्माण आईस का टू चैनल साथियों जैसा कि आप लोगों को पता है हमने यूपीएससी के एग्जाम में प्रीलिम्स में देखा कि पॉलिटी के जो क्वेश्चन पूछे गए थे वो आपकी इस य क्लास से लगभग सभी क्वेश्चन बन गए अब हमारे सा ने जो टारगेट है वो है यूपीपीसीएस और यूपीपीसीएस के लिए केवल प्रीलिम्स नहीं बल्ग मेंस एग्जाम भी तो अब हम प्रीलिम्स और मेंस दोनों को केंद्र में रख कर के यूपीपीसीएस के प्रीलिम्स और मेंस को केंद्र में रख कर के अपनी इस क्लास का संचालन आज से प्रारंभ कर रहे हैं तो आप लोगों को इस सेशन को उन सभी लोगों तक शेयर कर देना है जो यूपीपीसीएस की तैयारी कर रहे हैं या यूपीपीसीएस का एग्जाम देने देना चाहते हैं उन सभी लोगों के लिए यह काम के लिए या महत्त्वपूर्ण क्लास होगी और जिन लोगों को आरओ आरओ का एग्जाम देना है क्योंकि आप लोग जानते हैं यूपीपीसीएस का प्रीलिम्स और आरओ आरओ का प्रीलिम्स जीएस वाले सेगमेंट में बहुत ज्यादा डिफरेंस नहीं होता है क्वेश्चन लगभग लगभग इक्विवेलेंट पूछे जाते हैं तो जिन लोगों को आरओ आरओ का एग्जाम देना है जिन लोगों को पीसीएस का देना है या अगला किसी को यूपीएससी का एग्जाम देना है उन लोगों के लिए क्लास राम सिद्ध हो सकती है तो आप बिना देरी किए हुए उन सभी लोगों तक इस क्लास को पहुंचाएगा जहां जहां ग्रुप्स में जुड़े हैं आप वहां वहां इस सेशन को शेयर कर दीजिए जिससे बाकी सभी लोग जुड़ जाए देखिए पीसीएस यूपी पीसीएस और यूपीएससी इन दोनों के क्वेश्चन में थोड़ा डिफरेंस होता है मैं कोई एक सेशन लेकर के पा 10 मिनट का उसम आपको बताऊंगा क्वेश्चन का कंपैरिजन करके प्रीलिम्स के क्वेश्चन का कंपेरिजन करके मेंस के क्वेश्चन का कंपेरिजन करके एक्चुअल में यूपीएससी और यूपीपीसीएस में कहां डिफरेंस है सिमिलरिटी बहुत सारी है बहुत सारी कॉमन चीज है लेकिन बावजूद इसके डिफरेंस को भी हमें जानना होगा है तो आज का हमारा जो टॉपिक है हम आज जो क्लास स्टार्ट कर रहे व प्रीमल से स्टार्ट कर रहे हैं क्योंकि आप लोगों को इस बात का भान होगा आपको इस बात की जानकारी होगी जब भी हम पॉलिटी पढ़ते हैं क्या करते हैं जब भी हम पॉलिटी पढ़ते हैं राज व पढ़ते हैं राज व्यवस्था तब तब हम इसे कई एक सेगमेंट में बाट करके देखते हैं जैसे पहला सेगमेंट हिस्टोरिकल बैकग्राउंड हिस्टोरिकल बैकग्राउंड यह बनता है दूसरा जो हिस्सा है वह कंस्टीटूशन मेकिंग कांस्टीट्यूशनल मेकिंग या फॉर्मेशन ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन संविधान का निर्माण संविधान निर्माण यह दूसरा वाला सेगमेंट बनता है और तीसरे सेगमेंट के रूप में हम देखते हैं कि व्ट इ द मेन प्रोविजन है मेन प्रोविजन ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन यानी भारतीय संविधान के महत्त्वपूर्ण प्रावधान इसे हम तीन पार्ट में डिवाइड करके देखते ठीक है तो आज हम शुरुआत कर रहे हैं वो इस पोर्शन से नहीं कर रहे हैं हिस्टोरिकल बैकग्राउंड से नहीं कर रहे हैं वज जानते हैं क्यों क्योंकि अभी हमें लगभग 50 दिन तक या 50 से और ज्यादा रखते कितना लगभग दो महीने ढाई महीने रखते हैं 60 और 75 लगभग 75 डेज हमें जो पढ़ाई करनी है 75 डे 75 दिन वो प्रीलिम्स प्लस मेंस दोनों को केंद्र में रख करके पढ़ना है 75 दिन तक आगे आने वाले 75 दिन हमें प्रीलिम्स और मेंस दोनों को ध्यान में रख के पढ़ना है एक और बात जो ध्यान रखनी है आपको इस पिक्चर दिन के बाद में जो हम पढ़ाई करेंगे उसमें हम देख लेंगे कितना टाइम बचा है किस चीज पर फोकस करना चाहिए उसके हिसाब से लेकिन फिलहाल में 75 दिन हम प्रीलिम्स और मेंस दोनों को देने वाले हैं और प्रीलिम्स और मेंस दोनों को ज फोकस करेंगे तो हिस्टोरिकल बैकग्राउंड जो है व हमारे लिए ज्यादा इंपोर्टेंट नहीं रह जाएगा क्योंकि यहां से प्रिलिम्स में ज्यादा क्वेश्चन पूछे जाते हैं मेंस में कभी क बार एकद प्रश्न पूछा गया है नहीं तो सामान्य य से प्रश्न नहीं पूछा जाता तो हमें प्रीलिम्स वाले पर अभी फोकस नहीं करना है 75 दिन के बाद हम इसे देख लेंगे हिस्टोरिकल बैकग्राउंड को ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को या कांस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट भी इसी पोशन को कहते हैं संवैधानिक विकास इसे देख लेंगे अभी जो हमें देखना है वह है कांस्टीट्यूशनल मेकिंग कॉन्स्टिट्यूशन मेकिंग और इसमें भी यकीन मानिया प्रीलिम्स में ही ज्यादा क्वेश्चन पूछा जाता है मेंस में कम क्वेश्चन पूछा जाता है लेकिन इसको हम फिर भी किसी क्लास में देख लेंगे छोटा पोर्शन है इसके कंपेरिजन में य छोटा है लेकिन हम जो शुरुआत करने जा रहे हैं वो इस वाले पोर्शन से शुरुआत करने चा जा रहे हैं क्योंकि जो प्रोविजन दिए हुए कांस्टिट्यूशन में उन प्रोविजन में वैसे प्रोविजन जो प्रीलिम्स के लिए इंपोर्टेंट है मेंस के लिए इंपोर्टेंट है इंटरव्यू में भी बातचीत जिन टॉपिक्स पर की जाती है हम उन्हीं को पढ़ेंगे तो इस क्रम में आज हम जो शुरुआत करने जा रहे हैं वह शुरुआत हमारी प्रिंबल से होने वाली है प्रस्तावना से और एक और बात जो महत्त्वपूर्ण है आपको जाननी चाहिए मेरे ख्याल से वो यह कि प्रिंबल जो है प्रस्तावना प्रस्तावना को हम शुरू करने जा रहे हैं प्रस्तावना के बारे में क्या चीज ऐसी है जिन्ह आपको समझना चाहिए प्रीमल प्रस्तावना प्रस्तावना सबसे पहले तो क्या है व्ट क्या है दूसरी बात प्रस्तावना का उद्भव ओरिजन ओरिजिन प्रस्तावना का तीसरी चीज जो हमें समझनी होगी कई एक एग्जांपल भारत के अलावा आदर्श या अन्य और फिर हम देखेंगे भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारतीय संविधान की प्रस्तावना प्रिल ऑफ द इंडियन कांस्टिट्यूशन और फिर इसमें एक और चीज हम जानने वाले हैं वह है इसका विश्लेषण एस एनालिसिस यह जानने वाले ठीक है इतने सेगमेंट में बाट करके देखेंगे सपना जैसवार जी प्रकाश उजाला यादव जितेंद्र रावत बबली बाबू प्रकाश बहुत बढ़िया जितने लोग जुड़े हैं आप सभी को वेरी गुड इवनिंग कुछ लोग लग रहा है कि लग रहा रिकॉर्डेड क्लास ले रहे हैं आज ना इस माइंड सेट में कुछ लोग रिकॉर्डेड क्लास चल रही लग रहा है सर आपको पता है हम यूपीएससी वाले तो क्या ये क्लास हम ले एकदम लीजिए मैंने बताया जिनको आगे यूपीएससी देना उनके लिए इंपोर्टेंट है क्लास देखि क्लास में जो भी कंटेंट में बताऊंगा वो यूपीएससी के लिए तो इंपोर्टेंट अब यूपीएससी के लिए पढ़ाते टाइम थोड़ा फैक्ट कम पढ़ाते हैं हम लेकिन यूपीपीसीएस पढ़ाते समय थोड़ा फैक्ट पर ज्यादा वजन रहेगा थोड़ा ज्यादा बल रहेगा तोय यूपीपीसीएस के लिहाज से महत्वपूर्ण हो जाएगी क्लास इसलिए आप क्लास जरूर करते रहिए यूपीएससी वालो को लेना है अंजलि याद यूपीएससी वालों को लेना है ठीक है कृतिका राजा कुमार क्या नाम है टेंशन अरे भैया नाम बदल टेंशन कई एक बच्चे और टेंशन आ जाएंगे बिना वजह ठीक है चलिए खैर तो हम देखते हैं आज के टॉपिक को जब प्रिम पल को पढ़ेंगे तो यह सारी चीजें आपकी क्लियर हो जाएगी सारी चीज और समझिए एक और जो आपको अभी आदत नहीं है पढ़ने की लेकिन आदत डाल लीजिए जब भी आप पढ़ाई करो अपनी स्टडी टेबल पर या जहां भी किसी चेयर पर आप बैठते हैं या चारपाई पर बैठते हैं आप वहां पर सिलेबस जरूर रखिए अपने साथ क्या सिलेबस सिलेबस आपका मार्गदर्शक है आपको राह बताने वाला है जब भी आप कुछ भी पढ़ रहे हैं त आप देखिए क्या यह आपके सिलेबस से मैच करता है क्या यह आपके सिलेबस का पार्ट है अगर नहीं है तो मत पढ़िए कितना भी महत्त्वपूर्ण है कितना मजा आ रहा है उसको पढ़ने मत पढ़िए सिलेबस बी प्रगमेटिक आपको वही चीज पढ़नी है जो एग्जाम में काम आए तो लिंक समझिए आप टॉपिक पढ़ेंगे तो यूपीएससी यूपीएससी में जीएस पेपर सेकंड यूपीएससी में जीएस पेपर सेकंड और कहां पर काम आएगा एसे में काम आएगा और कहां काम आएगा तो एथिक्स या जीएस पेपर फोर यहां पर काम आएगा ठीक है मेनली कहां काम आएगा जीएस पेपर सेकंड पॉलिटी गवर्नेंस और आईआर वाला सेगमेंट दिया यहां पर अब आप पढ़े अगर मान लीजिए यूपी पीसीएस के लिए यूपीपीसीएस तो आपको प्रिंबल कहां हेल्प करेगी तो जीएस पेपर सेकंड और कहां हेल्प करेगी जीएस पेपर फ जहा यूपी की स्पेसिफिक चीजें दी हुई है तो जीएस पेपर फ भाई पॉलिटिकल सिस्टम ऑफ उत्तर प्रदेश वो भी तो आपको पढ़ना ही है क्या उत्तर प्रदेश का आपको उत्तर प्रदेश की राजनीतिक व्यवस्था नहीं पढ़नी है पढ़नी है सर हम आपकी क्लास टीवी में से कर रहे हैं इसलिए फोन ऑफ कर रहे ठीक है कहीं से भी करिए मेन चीज है पढ़ना कहीं से भी पढ़ लीजिए क्या ही दिक्कत है सपना जैसवार एम लक्ष्मीकांत सर बुक कवर करेंगे क्या मैं नोट्स बना सकती हूं बनाइए नोट्स क्यों नहीं आराम से बनाइए चलिए इधर देखिए तो लिंक आपको पता लगया कहां पर आपको काम आने वाला है और इस सबसे अलग यह काम आएगा आपको प्रीलिम्स में पर काम आएगा प्रीलिम्स में और प्रीलिम्स चाहे वो यूपीएससी का हो या यूपीपीसीएस का हो या आरओ आरओ का हो आर आ या अदर कोई भी हो जब आपने यह वाला सेगमेंट और य वा कंप्लीट कर लिया तो ध्यान रखिए बचेगा कोई नहीं फिर ठीक है तो चलिए प्रस्तावना को शुरू करते हैं प्रस्तावना को शुरू करने से पहले मैं आपको एक जानकारी साझा करके बता दूं किय उम्मीद बैच हम लोगों का आया है यह यूपीपीसीएस को टारगेट करके आया है यूपीपीसीएस प्रिलिम्स 2024 का जिन लोगों को भी क्रैक करना है डेडिकेशन के साथ वो इस बैच में नरोल करा सकते हैं यह हिंदी मीडियम के लिए बैच है बाई निर्माण आईस टीम और आप निर्माण से कनेक्ट हो सकते हैं 15 जुलाई से इस बैच की शुरुआत हो रही है और प्राइज वगैरह ये आप देख रहे होंगे नाममात्र का प्राइज है बैच की अवद तीन महीने लाइव इंटरेक्ट क्लासेस यह सब होगा जो आपको दिखाई दे रहा है आज की क्लास यह वाली जो होने वाली थी आज की क्लास जो यह होने वाली थी दिन दयाल उपाध्याय पर बेस्ड यह अब कल होगी क्लास आज टेक्निकल इशू के चलते हो नहीं पाई ठीक है ये क्लास हो गई है और ये क्लास आपके सामने चल रही है तो हम आपको से भी रूबरू कराते रहेंगे अब हमें जानना यह था वस्तुतः प्रस्तावना क्या है व्ट इज प्रीमल तो समझेगा सबसे पहली बात आप कि प्रस्तावना संविधान के परिचय अथवा भूमिका को कहते हैं प्रस्तावना किसे कहते हैं भूमिका को या परिचय को इंट्रोडक्शन यानी जब भी आप किसी संविधान को पढ़ेंगे तो उस संविधान की भूमिका के संदर्भ में जब आप पढ़ रहे होंगे तो यकीन मानिए आप उस समय पर प्रस्तावना पढ़ रहे हैं प्रिंबल पढ़ रहे हैं अब प्रस्तावना की बात चल रही तो आपको पता लग गया भूमिका अब आपको लगेगा कि सर आप बता रहे कोई ऐसा प्रमाणित तथ्य दे दीजिए जिसके आधार पर हम मेंस में इस बात को लिख पाए तो ध्यान दीजिए यह एक न्याय विद है बहुत फेमस है नाम आपने सुना होगा एन ए पालकी वाला तो एन ए पालकी वाला ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का परिचय पत्र है आइडेंटिटी कार्ड ऑफ द कांस्टिट्यूशन प्रिंबल क्या है आइडेंटिटी कार्ड है एन ए पालकी वाला ने कहा है अब एन ए पालकी वाला का नाम लिख कर के आप बता दीजिए कि क्या है यह तो एक परिचय पत्र है पहचान पत्र है ये ठीक है तो आपको यह बात पता लग गई अब सबसे प्रमुख बात यह है कि प्रिंबल हमने कहां देखा तो प्रिंबल को हमने सबसे पहले अमेरिका का संविधान बना तो अमेरिका के संविधान में देखा लेकिन कोई आपसे यह प्रश्न पूछे कि अमेरिकी संविधान और भारतीय संविधान में किस संविधान की प्रस्तावना ज्यादा तार्किक और आधुनिक मूल्यों को समाहित किए हुए है तो जवाब क्या होगा आपका भारतीय संविधान क्योंकि हमने अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना का सहारा लेकर के अपने संविधान की प्रस्तावना को बनाया और अपने संविधान की प्रस्तावना को जब बनाया तो जो जो अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना में खामियां थी कमियां थी उन कमियों को हमने दूर कर दिया जैसे मान लीजिए कि आपने तैयारी की बुरा मत मानिए का मान लीजिए आपका सिलेक्शन नहीं हुआ फिर आप अपने चिंटू या चिं को तैयारी करवाते हो तो चिंटू या चिं को आप आप बेहतर तरीके से तैयारी करवाओ जो आपने तैयारी की थी उस स्तर से क्योंकि आपको पता है कहां कहा कमियां रही कहां कहा आपने कमी छोड़ दी उस कमी को आप उसमें नहीं रहने दोगे ऐसा ही मसला है अच्छा हमारे बाद में एक और संविधान बना वो दक्षिण अफ्रीका का और दक्षिण अफ्रीका के संविधान की प्रस्तावना आप एनसीआरटी की किताब अगर पढ़े होंगे तो वहां पर दी हुई है मैं किसी दिन दिखा भी दूंगा दक्षिण अफ्रीका के संविधान की प्रस्तावना और वो भी बहुत तार्किक है वो बहुत आधुनिक है दक्षिण अफ्रीका के संविधान की अच्छा दक्षिण अफ्रीका की इतनी अच्छी कैसे बन गई दक्षिण अफ्रीका वालों को मौका मिला अमेरिका के संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का और कई अन्य देशों की संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का इसलिए दक्षिण अफ्रीका के संविधान की प्रस्तावना और ज्यादा तार्किक और ज्यादा आधुनिक और ज्यादा समावेशी बन पाई मेरी बात को समझ पा रहे हैं आप लोग चलिए समझिए आगे की बात अंजलि कह रही स्पीड इतनी होती है कि नोट्स बन नहीं पाते हैं कोई बात नहीं नोट्स ट्स मत बनाइए खाली यह पीडीएफ में आपको दे दूंगा इससे पढ़ लीजिएगा अब भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में बातचीत करें तो प्रस्तावना हमारी उद्भव कैसे हुआ भाई हमने हेडिंग लगाया तो हेडिंग पर तो बात करनी पड़ेगी ना कि प्रस्तावना जो संविधान की है हमारी इसका उद्भव कैसे हुआ ओरिजन तो ओरिजन के लिए आप संविधान सभा में चलिए थोड़ी देर के लिए आ जाइए संविधान सभा में कट असेंबली में संविधान सभा और संविधान सभा के बारे में आपको बहुत सारे फैक्ट याद है एक फैक्ट याद है आपको 9 दिसंबर 196 इस डेट से जो है स्टार्ट हुआ काम है ना कार्यक्रम शुरू हुआ एक डेट आपको याद है कि 11 दिसंबर 1946 इसको अध्यक्ष के रूप में स्थाई अध्यक्ष बनाए गए स्थाई अध्यक्ष राजेंद्र बाबू सॉरी राजेंद्र प्रसाद को राजेंद्र प्रसाद अब मुझे आप लोग कमेंट करके तब तक ये बात बताइए कि राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष के रूप में चुना अ स्थाई अध्यक्ष पहले कौन थे सच्चिदानंद सेना लेकिन किस पद्धति पर किस देश से हमने यह पद्धति अडॉप्ट की थी जिसके आधार पर अस्थाई अध्यक्ष और फिर स्थाई अध्यक्ष बताइए किसी देश का नाम याद आता है आपको कमेंट करके बताइए और फिर संविधान सभा में एक दिन आता है 13 दिसंबर का 13 दिसंबर 1946 और यह वो दिन है जब जे एल नेहरू जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया संविधान सभा में कनट असेंबली में उसका नाम है उद्देश्य प्रस्ताव उद्देश्य प्रस्ताव और उद्देश प्रस्ताव ऑब्जेक्टिव रेजोल्यूशन इस उद्देश्य प्रस्ताव पर बहस होती रही एक लंबा समय गया इस पर बहस होते होते और जो 13 दिसंबर 1946 को हुआ ये जाकर के 22 जनवरी 22 जनवरी 1947 है ना लंबा समय गया 13 दिसंबर से 22 जनवरी यानी 13 से 13 तक एक महीना एक महीने से भी ज्यादा लगभग कितना दिन तो 13 सा और दो न एक महीने न दिन तक लगभग इस पर बहस चली और फिर जाकर के 22 जनवरी को ये उद्देश प्रस्ताव जो है पारित हो गया संविधान सभा पारित हो गया और यही पारित उद्देश्य प्रस्ताव आगे जाकर के संविधान की प्रस्तावना के रूप में सामने आया तो उद्देशिका इसीलिए कहते हैं प्रस्तावना का दूसरा नाम क्या है उद्देशिका उद्देश का इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह उद्देश्य प्रस्ताव का ही परिवर्तित रूप है यह उद्देश प्रस्ताव का परिवर्तित रूप है इसलिए उमेश निषद कह रहे हैं कि बन से अली आप भी कह रहे ब्रिटेन से कृतिका फ्रांस से लालू यादव कुछ और ही कह रहे हैं अनुष्का ऑफिशियल राधे राधे तो समझेगा मेरी बात को जो मैं आपको बताना जा रहा हूं आई ट्रा टू से कि जो अध्यक्ष स्थाई और स्थाई वाला मसला था हमने फ्रांस से अडॉप्ट किया फ्रांस में ये व्यवस्था आई थी पहले कि पहले हमने टेंपरेरी एक प्रेसिडेंट बनाया फिर परमानेंट बना दिया भारत में भी ऐसा ही किया गया तो आप में से कई एक लोग ब्रिटेन जवाब दे रहे हैं वो गलत है जवाब सही क्या है सही जवाब है आपका फ्रांस जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया और वही उद्देश्य प्रस्ताव पारित हो गया बाद में परिवर्तित रूप इसका बन गया उद्देश्य का जिसे कहा जाता है प्रेमल या प्रस्तावना तो उद्भव की बात भी हो गई उद्भव की बात जब हमने कर ली है तो अब अगली बात जो हमें समझने की जरूरत है वो है प्रोविजंस संविधान में हमारी प्रस्तावना का जो स्वरूप है वो कैसा है तो देखिए अपने वर्तमान स्वरूप में प्रस्तावना को इस प्रकार पढ़ा जाता है कैसे पढ़ा जाता है पढ़ के देखिए हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बना ने के लिए और इसके समस्त नागरिकों को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय ध्यान से समझिए कितने न्याय की बात की गई है तो न्याय तीन कैसा पॉलिटिकल जस्टिस इकोनॉमिक जस्टिस और सोशल जस्टिस सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय तो ये न्याय किसको देना है फ काइंड इंफॉर्मेशन नॉट एनी पर्सन इट्स ओनली फॉर सिटीजन ये केवल नागरिकों के लिए किसके लिए केवल नागरिकों के लिए है यह व्यवस्था न दीजिए समस्त नागरिकों को न्याय और विचार अभिव्यक्ति धर्म विश्वास व उपासना की स्वतंत्रता तो यह स्वतंत्रता किसके लिए है क्या व्यक्ति के लिए नहीं यह स्वतंत्रता भी नागरिकों के लिए है कितने प्रकार की स्वतंत्रता है तो पांच प्रकार की कौन-कौन सी विचार अभिव्यक्ति धर्म विश्वास और उपासना पांच प्रकार की स्वतंत्रता है तीन प्रकार का न्याय है और समता कितनी समता यह समानता या इक्वलिटी इक्वलिटी की बात भी क गई है प्रतिष्ठा और अवसर की समता तो समता कितने टाइप की द है दो प्रकार की समता या समानता दो प्रकार की दी है प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता अखंडता अब ध्यान दीजिए अब दूसरी बार जो शब्द प्रयोग हुआ है वो नागरिक नहीं अब किया गया है व्यक्ति शब्द का प्रयोग तो अगर आप बेसिक बातें जानते हैं गुरुजी ओल्ड स्टूडेंट ठीक जो भी है चलिए आप पढाई फोकस करिए यूपीएससी एस्पें संध्या सिंह जितने लोग भी है चलिए फोकस करिए पढ़ने प तो अब जो शब्द का प्रयोग किया गया है वो है व्यक्ति शब्द गरमा और राष्ट्र की एकता अखंडता यानी प्रतिष्ठा और अवसर की क्षमता प्राप्त कराने के लिए तथा व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाला बंधुत्व बढ़ाने के लिए बंधुत्व बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज 26 नवंबर 1949 यह वो दिन है जब संविधान हमारा बन कर के तैयार हो गया संविधान बनकर तैयार हुआ और इसलिए जब यह संविधान बनकर तैयार हुआ तो वर्तमान सरकार जब आई तो इस सरकार ने इसे संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत कर दी संविधान दिवस तो आज की डेट में संविधान दिवस कब मनाया जाता है 26 ऑफ नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है ठीक है तो यह है इंग्लिश वाले भी अगर पढ़ना चाहे तो आप यहां से प्रिंबल को पढ़ सकते हैं ठीक है बहुत बढ़िया लालू यादव जी अंजलि यादव जी ठीक है चलिए बहुत बढ़िया आप लोग बहुत होशियार होते जा रहे हैं एक्चुअली अब आपको समझना है कि हमारी प्रिंबल जो है इसके एलिमेंट कितने हैं एलिमेंट अगर आपने नहीं पढ़े हैं तो एलिमेंट पढ़िए संविधान की प्रस्तावना के चार तत्व है कितने तत्व चार एक दो तीन चार चार तत्व पहला तत्व है संविधान के अधिकार का स्रोत संविधान के अधिकार का स्रोत यानी क्यों कहा जा रहा इसको स्रोत तो समझिए प्रस्तावना कहती है कि संविधान भारत के लोगों से शक्ति अधिगृहित करता है भाई संविधान को शक्ति कौन दे रहा है प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति को राज्यपाल को इवन आप लोग बनके चले जाओगे सिविल सेवक आप सबको शक्ति कौन देता है संविधान लेकिन संविधान को शक्ति कौन देता है तो संविधान को शक्ति भारत की जनता ने दी इसलिए प्रस्तावना में पहला ही शब्द है हम भारत के लोग हम भारत के लोग शब्द किसे डिनोटेड करता है हम भारत के लोग जो शब्द दिया गया है यह सूचक किस चीज का है यह भी तो आपको ध्यान रखना है हम भारत के लोग हम भारत के लोग जो शब्द है यह दर्शाता है भारत की जनता को भारत की जनता तो ध्यान रखना आपको और यह दर्शा रहा है शब्द कि शक्ति का स्रोत कौन है शक्ति का स्रोत तो शक्ति का स्रोत भारत की जनता है यह शब्द इस बात को दर्शा रहा है और क्या चीज दर्शा रहा है य शब्द जो संविधान सभा में लोग बैठे हैं संविधान सभा तो संविधान सभा किसका सूचक है भारत की जनता का तीन इसके आंसर निकल सकते हैं भारत की जनता किसका अर्थ है हम भारत के लोग हम भारत के लोग का आशय शक्ति का स्रोत हम भारत के लोग का आशय संविधान सभा में जो शामिल लोग हैं व वास्तव में भारत की जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं भारत की जनता के प्रतिनिधि है तो पहला तत्व यह कंप्लीट हो गया संविधान के अधिकार का स्रोत ठीक है दूसरा भारत की प्रकृति जब आप प्रिंबल पढ़ेंगे तो प्रिंबल पढ़ने से आपको इंडिया एज ए नेशन किस तरीके का नेचर रखता है किस तरीके की प्रकृति रखता है यह बात आपको पता लग जाएगा ठीक है भैया कुछ लोग तो आपस में बातचीत मत करिए आपस में बातचीत नहीं भारत की प्रकृति देखिए प्रियल आपने पढ़ा अभी और वहां देखा तो आपने देखा कि घोषणा करती है प्रियल कि भारत एक संप्रभु समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य राज्य व्यवस्था वाला देश है तो भारत की प्रकृति कैसी है एक सोवन कंट्री की है भारत का नेचर नेचर ऑफ इंडिया सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक यह नेचर है इंडिया का यह भारत की प्रकृति है जो हमारी प्रिंबल में दी गई है तो दूसरा तत्व य हो गया तीसरा संविधान के उद्देश्य के बारे में बातचीत की गई है व्ट इज द ऑब्जेक्टिव ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन संविधान का उद्देश्य क्या है क्यों बनाया गया संविधान को तो यह बात आपको प्रस्तावना पढ़ने के तुरंत बाद ही पता चल जाएगी कि क्यों बनाया गया है संविधान तो देखिए इसके अनुसार न्याय स्वतंत्रता समानता बंधुत्व ये क्या है संविधान के उद्देश्य है जहां आपने देखा कि न्याय सुनिश्चित करने की बात हो रही है स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की बात हो रही है समानता प्रदान करने की बात हो रही है बंधुता बढ़ाने की बात हो रही है कहां बात हो रही है प्रस्तावना में कैसे बनाएंगे तो संविधान के माध्यम से तो अगर आपसे कोई पूछे कि संविधान के उद्देश्य हमें देखना है कहां देखें तो बोलिए कि आसानी से देख पाओगे प्रिंबल पढ़ लीजिए प्रस्तावना प्रस्तावना पढ़ने के बाद पता लग जाएगा कि संविधान का उद्देश्य न्याय की स्थापना स्वतंत्रता सुनिश्चित करना समता को स्थापित करना बंधुत्व को प्रोत्साहित करना यह सब संविधान के उद्देश्य है है ना जस्टिस लिबर्टी इक्वलिटी फ्रेटरनिटी अगली बात जो हमें चौथे तत्व के रूप में पढ़नी है व बहुत सिंपल है वो यह है कि संविधान लागू होने की तिथि संविधान लागू होने की तिथि या लागू होने से ज्यादा सही रहेगा संविधान बनने की तिथि संविधान बना कब तो 26 नवंबर 1949 यह तिथि दी गई है इस डेट को संविधान बन कर के तैयार हो गया अब आपके जहन में यह चल रहा हो कि 26 नवंबर नवंबर 1949 को संविधान बना फिर आपके दिमाग में चल रहा हो कि 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ तो यह जो गैप है यह गैप करने के पीछे क्या लॉजिक रहा होगा 26 नवंबर और यहां 26 जनवरी तो यहां से यहां तक कितने दो महीने तक करीब इंतजार करना पड़ा हैर टू मंथ दो महीने बाद तो ध्यान दीजिए एक डेट आपको और याद करनी पड़ेगी या याद होगी 26 जनवरी 1930 यह वो दिन है 26 जनवरी 1930 जब वास्तव में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया क्या मनाया गया स्वतंत्रता दिवस इंडिपेंडेंस डे स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और तब से लगातार स्वतंत्रता दिवस इस डेट को मनाया जा रहा था और मनाते मनाते चले आए साब 1947 तक 1947 तक और 1947 में भी मना लिया हमने 26 जनवरी 197 को भी हमने स्वतंत्रता दिवस मना लिया फिर एक और दिन आया जो है 15 अगस्त 15 अगस्त 1947 इस दिन भारत को वास्तव में आजादी मिल गई स्वतंत्रता मिल गई इसलिए भारत की स्वतंत्रता का आजादी का उत्सव 15 अगस्त को मनाने मनाया जाने लगा जो 26 जनवरी को मनाया जा रहा था 15 अगस्त को मनाया जाने लगा यानी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को हो गया यह तो दिक्कत हो गई जिस डेट को हमने इतना ज्यादा यादगार बनाया था 26 जनवरी को अब 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मन गया तो 26 जनवरी की डेट तो खाली हो गई तो 26 जनवरी के दिन 26 जनवरी के दिन 1947 के बाद से 26 जनवरी 1950 तक बहुत कुछ हम कर नहीं पाए बहुत हमने कुछ सेलिब्रेशन नहीं किया इस बीच में जैसे इस बीच में कौन-कौन से वर्ष गए होंगे 47 को बना लिया हमने 48 गया उसके बाद 49 गया तो दो वर्ष हमने 26 जनवरी को दोस्तों धूमधाम से कुछ भी अवसर के रूप में मना नहीं पाए तो इस दिन को यादगार बनाने के लिए 26 जनवरी के दिन को यादगार बनाने के लिए हमने संविधान बन गया था 26 नवंबर को उसे रोक के रखा दो दिन दो महीने और दो महीने बाद इस दिन को यादगार बनाने के लिए हमने संविधान को लागू किया क्या किया अब देख लीजिए 26 जनवरी 26 जनवरी का महत्व तो 26 जनवरी का महत्व आपको पता लगा पहली बार 1930 के बाद 1930 और फिर आपको पता लगा 1947 1947 सेक महत्व बदला और फिर 1950 1950 में क्योंकि संविधान लागू हुआ इस दिन और संविधान की प्रस्तावना में ही कहा गया है कि भारत एक गणतंत्र है भारत क्या गणराज्य है लोकतांत्रिक गणराज्य है संविधान लागू हुआ इसलिए चकि भारत एक गणराज्य बना गणतंत्र बना जहां पर गण का मतलब जनता तंत्र का मतलब शासन जनता के शासन की बात है इसलिए इस दिन को हमने गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत कर दी रिपब्लिक डे रिपब्लिक डे तो गणतंत्र दिवस के रूप में हमने 26 जनवरी को मनाना इसलिए स्टार्ट कर दिया 1950 के बाद तो 26 जनवरी के दो हो गए 26 जनवरी कभी स्वतंत्रता दिवस हुआ करता था स्वतंत्रता दिवस लेकिन अब 26 जनवरी क्या बन गया है गण त्र दिवस पहले इंडिपेंडेंस डे हुआ करता था रिपब्लिक डे बन गया है तो यह वाली बात आप सबकी क्लियर हुई या नहीं सबको पूरी कहानी पता लगी या नहीं बताइए कमेंट करिए एक दो बच्चे तो अपना मा टाइट किए हुए हैं है ना और माहौल वालों में पहला नंबर जो आ रहा है व लालू यादव का आ रहा है देखिए इधर समझिए प्रस्तावना में कुछ मुख्य शब्दों का प्रयोग किया गया है मुख्य शब्द कौन-कौन से संप्रभुता सोटी का अर्थ होता है जहां पर निर्णय लेने के लिए किसी बाह दबाव को न देखा जाए यानी जब भी आंतरिक और बाह्य मामलो में निर्णय लेना है तो देश स्वतंत्र होकर के अपने निर्णय ले उसे कहते हैं सोटी संप्रभुता अगला शब्द प्रयोग जो किया गया है संविधान में प्रमुख शब्द के रूप में वह है समाजवादी ध्यान दीजिए भारत में समाजवादी जो शब्द है ऐसा नहीं है कि 42 संविधान संशोधन के बाद ही आया है पहले था ही नहीं देखिए समाजवादी विचारधारा संविधान में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है क्योंकि संविधान सभा जब बनी तो उसमें ज्यादातर लोग जिस विचारधारा से आने वाले थे वह समाजवादी थे समाजवादी विचारधारा के समर्थक लोगों की संख्या सबसे ज्यादा इसलिए संविधान में समाजवाद तो होना ही था ये निश्चित है लेकिन समाजवादी विचार धारा को और ज्यादा व्यापकता प्रदान करने का प्रयास किया इंदिरा गांधी ने अब वो प्रयास सफल हुआ असफल हुआ वो डिबेट का मसला है लेकिन प्रयास किया चाहे गरीबी हटाव की बात हो चाहे बैंकों के राष्ट्रीयकरण की बात हो चाहे प्रवी पर्ष को समाप्त करने की बात हो चाहे संविधान की प्रस्तावना में 42 संविधान संशोधन से समाजवादी शब्द जुड़वाने की बात हो लेकिन इंदिरा गांधी ने भरसक प्रयास तो किया तो शब्द के रूप में प्रस्तावना में यह शब्द 42 में संविधान संशोधन से जोड़ा लेकिन वास्तविकता यह है कि ये शब्द का जो भाव है वह संविधान में पहले से ही त था उसे हम देख सकते हैं नीति निदेशक तत्वों में देख सकते हैं या विभिन्न चुनावों के संदर्भ में हम देख सकते हैं या हम अपनी अर्थव्यवस्था को समझे तो उस संदर्भ में भी समझ सकते हैं खर हम बढ़ते हैं अगले शब्द की तरफ वो है धर्म निरपेक्ष तो भारत में जब संविधान को स्वीकार किया गया संविधान को लागू किया गया तो कहा गया कि भारत में अपना राज्य का धर्म कोई नहीं है राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और राज्य का जब कोई धर्म नहीं होता तो उस कंट्री का नेचर डिसाइड किया जाता है सेकुलर कंट्री क्या कहा जाता है सेकुलर कंट्री अब सेकुलर कंट्री के रूप में इंडिया पहले से था वही बात जैसे सवादी के संदर्भ में लेकिन इंदिरा गांधी ने यह प्रयास किया और उसी संविधान संशोधन से इस शब्द को भी जुड़वा दिया 2 में संविधान संशोधन से तो समाजवादी धर्म निरपेक्ष इन दोनों शब्दों को जोड़ा उसी से आगे बात करें और समझने का प्रयास करें एक शब्द दिया है लोकतांत्रिक लोकतांत्रिक डेमोक्रेटिक मान लीजिए आप अपने घर से कहीं निकले कहीं घूमने के लिए जा रहे हैं मान लीजिए कहां जा रहे आप कहीं घूमने के लिए जा रहे हैं अब समझने का प्रयास आपको यह करना है कि घूमने के लिए जा रहे आपका घर का कोई छोटा चिंटू उसने कहा कि दीदीया भैया कहां जा रहे हो आपने आओ गना ताओ गना एक जमा दिया उसको अब बताइए यह जो तरीका था आपका लोकतांत्रिक है डेमोक्रेटिक है जवाब होगा नहीं लोकतांत्रिक नहीं है अलोकतांत्रिक है अरे उसने पूछा तो आप उसको बता देते प्यार से बता देते कहीं ऐसी जगह पर जा रहे थे जो उसको बताने से खतरा हो जाएगा तो थोड़ा लालच दे देते कि तेरे लिए चॉकलेट वॉकलेट ले आएंगे लेकिन यह तरीका जो आपने अपनाया वो ठीक नहीं है लोकतांत्रिक तरीका नहीं है लोकतांत्रिक वो होता है जहां पर प्रत्येक व्यक्ति को महत्व दिया जाए वहां व्यक्ति के स्तर को ना देखा जाए कि अच्छा उच्च वर्ग से आता है निम्न वर्ग से आता है अमीर है कि गरीब है स्त्री है कि पुरुष है यह महत्व ना देकर के बल्कि सबको समानता के साथ तवज्जो दी जाए इसे कहते हैं लोकतंत्रिक इसे क्या कहते हैं लोकतंत्रिक तो हमारे यहां जिस व्यवस्था को अपनाया गया यह लोकतांत्रिक व्यवस्था है लोकतंत्रिक व्यवस्थाओं को अमूमन दो भागों में बांट करके देखते हैं डिवाइड इन टू पार्ट्स फर्स्ट इज डायरेक्ट डेमोक्रेसी सेकंड इज इनडायरेक्ट डेमोक्रेसी प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र जो प्रत्यक्ष लोकतंत्र है जो डायरेक्ट डेमोक्रेसी है इसमें जनता सीधे पार्टिसिपेट करती है आम लोग जो है सीधे भागीदारी करते हैं फॉर एग्जांपल स्विटजरलैंड में देखिए आप थोड़ी थोड़ी व्यवस्था ऐसी मिलेगी आपको या अदर स्कैंडिनेवियन कंट्रीज में आप देखेंगे स्कने देशों में देखेंगे तो आपको ऐसी ही व्यवस्था मिल जाएगी आपको एक और बात समझनी है जो बहुत महत्त्वपूर्ण है वो यह कि भारत में प्रत्यक्ष को नहीं अपनाया गया भारत में अप्रत्यक्ष को अपनाया गया और इस अप्रत्यक्ष को एक और नाम दिया जाता है क्या नाम दिया जाता है रिप्रेजेंटेटिव डेमोक्रेसी यानी प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्र प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्र प्रतिनिधि मूलक क्या होता है आम जनता सीधे भागीदारी नहीं करेगी शासन में बल्कि जनता के प्रतिनिधि जो है जनता के बहा पर रिप्रेजेंटेशन करेंगे यह होता है ठीक है तो चलिए आपको लोकतांत्रिक शब्द का आशय भी पता लग गया अगले जिस शब्द के बारे में हम बातचीत करने जा रहे हैं वह शब्द कौन सा है उसको भी आपको समझना चाहिए कि वह शब्द क्या है तो देखते हैं उस शब्द को भी वह शब्द है गणतंत्र क्या है गणतंत्र एक लोकतांत्रिक राजव्यवस्था को दो वर्गों में बांटा जा सकता है एक राजसा दूसरा गणतंत्र ऐसा नहीं है कि लोकतंत्र आपने पढ़ लिया डेमोक्रेसी शब्द पढ़ा तो सीधे जहन में ये आ गया कि नहीं जनता चुनाव करेगी वही व्यक्ति जो है शासन के केंद्र में होगा शासन की शीर्ष पर होगा ऐसा नहीं है लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी राजा हो सकता है जैसे ब्रिटेन में आप देखते हैं राजा भी है और व्यवस्था लोकतांत्रिक भी है भारत में आप देख रहे हैं कि लोकतंत्र है लेकिन व्यवस्था कैसी है गणतंत्र आत्मक है गणतंत्र है भारत में गणतंत्र का आशय ये है गणतंत्र यानी जनता का शासन और जनता शासन के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को निर्वाचित करे तो शासन के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति है वह जनता के द्वारा चुन करर जाए ये गणतंत्र या जनता का शासन राजशाही व्यवस्था में राज्य का प्रमुख उत्तराधिकार के माध्यम से पद पर आसीन होता है जैसे ब्रिटेन में आप लोगों को पता ही है वही गणतंत्र में राज्य प्रमुख हमेशा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित समय के लिए चुनकर आता है राज्य प्रमुख ध्यान दीजिए राज्य प्रमुख जैसे उदाहरण अमेरिका या इंडिया ठीक है यह बात आपको ध्यान रखनी है तो आपको यह भी पता लग गया गणतंत्र अगला शब्द प्रयोग किया गया है न्याय और प्रस्तावना में तीन भिन्न भिन्न रूपों में न्याय की बात कही गई है जो हमने शुरुआत में ही जान लिया था पहला था सोशल जस्टिस दूसरा इकोनॉमिक जस्टिस तीसरा पॉलिटिकल जस्टिस ठीक है इन शब्दों के प्रयोग की बात कही गई है इनकी सुरक्षा मौलिक अधिकार और नीति निशक सिद्धांतों के विभिन्न उपबंध के जरिए की जाती है ये इंपोर्टेंट पॉइंट है देखिए प्रिंबल ने जो प्रोविजन किए हैं उनकी पूर्ति के लिए प्रेमल ने जो प्रोविजन कि उनकी पूर्ति के लिए हम देखते फंडामेंटल राइट में कई प्रोविजन हम डीपीएसपी में क प्रोविजन देखते हैं लेकिन प्रिंबल की बातों को पूरा करने के लिए तो हमें वहा पर देखने को मिलता है अब सामाजिक अर्थ का मतलब क्या है वट इस सोशल जस्टिस सामाजिक न्याय क्या है तो हर व्यक्ति के साथ जाति रंग धर्म लिंग के आधार पर बिना भेदभाव की समान व्यवहार सामाजिक न्याय क्या है इक्वल बिहेवियर समान व्यवहार विदाउट डिस्क्रिमिनेशन और वो डिस्क्रिमिनेशन किस पर बेस्ड जाति रंग धर्म लिंग इन पर आधारित भेदभाव के बिना जब हम समान व्यवहार करते हैं इसका मतलब हम सामाजिक न्याय की ओर जा रहे हैं इसका अर्थ हम अगर निकाले तो समाज में किसी वर्ग विशेष के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं होंगे यानी स्पेशल लाइट नहीं होगा किसी के लिए यह बात आपको ध्यान रखनी है ठीक है चलिए कृपया भाषाई शुद्धता पर ध्यान दें कौन है भाई आपस में बातचीत नहीं ठीक है चलिए इधर देखिए अगला जो शब्द है या न्याय मेंही व है आर्थिक न्याय इकोनॉमिक जस्टिस इसका अर्थ क्या है आर्थिक कारणों के आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जा सकता कि कोई अमीर है कोई गरीब है इस आधार पर भेदभाव किया जा रहा है तो नहीं होगा इसमें संपदा आय संपत्ति की असमानता को दूर करना भी शामिल है अगला शब्द है सामाजिक न्याय और अगला शब्द आर्थिक न्याय अब इन दोनों का मिलाजुला रूप जो है वो कहलाता है अनुपाती न्याय जब यह दोनों मिल जाते हैं तो शब्द बनता है अनुपाती न्याय और ये कभी भी एग्जाम में पूछा जा सकता है इसलिए इंपोर्टेंट मार्क कर लीजिए अनुपाती न्याय की संकल्पना कब बनेगी जब सोशल जस्टिस और इकोनॉमिक जस्टिस इन दोनों को एक साथ आप देखोगे तीसरी बात है राजनीतिक न्याय इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होंगे समान राजनीतिक अधिकार कैसे चुनाव लड़ने का अधिकार चुनाव में अगर आपको चुनाव लड़ना है तो वो भी लड़ सकते हैं आप वोट भी कर सकते हैं यह आपके पास पास पॉलिटिकल राइट है और सबके लिए इक्वल है ऐसा नहीं कि किसी के लिए कम है अगला शब्द दिया गया है स्वतंत्रता और स्वतंत्रता का अर्थ है कि लोगों की गतिविधियों पर किसी प्रकार की रोक टोक ना हो राज्य रोक टोक बहुत करता है तो राज्य की रोक टोक को सीमित करने के लिए राज्य की इस शक्ति पर प्रतिबंध लगाने के लिए संविधान की प्रस्तावना में शब्द जोड़ दिया गया स्वतंत्रता इंडिपेंडेंस तो इंडिपेंडेंस जो है एक्चुअली राज्य की शक्तियों पर सीमा है लिमिटेशन है अगली बात प्रस्तावना हर व्यक्ति के लिए मौलिक अधिकारों के जरिए अभिव्यक्ति विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता सुरक्षित करती है तो आपको यह पता होना चाहिए कि प्रस्तावना में दी हुई स्वतंत्रता को सुनिश्चित कैसे किया जा रहा है तो बाय फंडामेंटल राइट्स मूल अधिकारों के माध्यम से अभिव्यक्ति कहां पर है अभिव्यक्ति आर्टिकल 19 में विश्वास धर्म ये कहां पर है तो ये 25 से 28 के बीच में जो धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार दिए गए हैं वहां पर उपासना ूसी में इनके हनन के मामले में कानून का दरवाजा खटखटाया जा सकता है अर्थात आर्टिकल 32 और 226 इनका प्रयोग करके हम जा सकते हैं न्यायपालिका जुडिशरी के पास और जुडी शरी फिर हमारे इन इन अधिकारों का प्रोटेक्शन करेगी संरक्षण करेगी अगला शब्द दिया हुआ है समता समता का अर्थ है समाज के किसी भी वर्ग के लिए विशेषा अधिकारों की अनुपस्थिति और बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति को समान अवसर ध्यान दीजिए समान अवसर किसको क्या नागरिक को या व्यक्ति को तो व्यक्ति को भारत संविधान की प्रस्तावना हर नागरिक को स्थिति और अवसर की क्षता प्रदान करती है अब दूसरी बार में शब्द क्या है हर नागरिक तो हर नागरिक को स्थिति और अवसर की समानता मिली हुई है यह आपको ध्यान रखना है इस उपबंध में समता के तीन आयाम शामिल है समता के तीन आयाम कौन-कौन से नागरिक राजनीतिक और आर्थिक ये तीन आयाम शामिल है तीनों ही आयाम बहुत महत्त्वपूर्ण है आपको याद रखने हैं ठीक है और आगे मौलिक अधिकारों पर निम्न प्रावधान नागरिक क्षमता को सुनिश्चित करते हैं तो कौन सा आर्टिकल आपने 14 देखा इक्वलिटी बिफोर लॉ आर्टिकल 15 आपने देखा जाति धर्म लिंग वंश जन्म स्थान आदि के आधार पर विभेद से संरक्षण आर्टिकल 15 आपने देखा 16 आपने देखा कि जात धर्म लिंग वंश जन्म स्थान आदि के आधार पर लोक नियोजन में कोई भेदभाव नहीं होगा सरकारी नौकरियों में 1 अ स्पर्ता का अंत 18 उपाधियों का अंत तो जब जब हम उपाधियों के अंत की बात करें अ स्पर्ता के अंत की बात करें मतलब हम समानता को बढ़ावा दे रहे हैं जब भी हम जाति धर्म लिंग वंश जन्म स्थान आदि के आधार पर विभेद को रोक रहे हैं इसका मतलब हम समता को प्रोत्साहित कर रहे समानता को बढ़ावा दे रहे हैं तो इसलिए हम देखते हैं समानता का जो अधिकार है यह अधिकार हमें 14 से 18 से 18 के बीच में देखने को मिलता है आर य ग और न मेरे ख्याल से आप लोग समझ पा रहे होंगे मेरी इस बात को तो चलिए आगे बढ़ते हैं अगला शब्द है बंधुत्व भाईचारे की भावना बंधुत्व तो भाईचारे की भावना शब्द है फ्रांस की क्रांति से प्रेरित होकर के फ्रांसी क्रांति से प्रेरित हो कर के लिया है ठीक है अब हमने जब बाद में सरदार सि समिति ने सिफारिश दी तो संविधान में संशोधन किया 42 मा और 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े और उन 10 मौलिक कर्तव्यों में यह जोड़ दिया कि वास्तव में हम तत्व की भावना को बढ़ाने का प्रयास करेंगे यह भी बात आपको ध्यान रखनी है तो हमने यह शब्द यहां से लिया है आगे बात करें तो इतने ही की टर्म है हमें देखने को को मिलते हैं प्रिंबल में इतने की टर्म्स के बाद अब हमारे सामने आते हैं कुछ प्रश्न और इन प्रश्नों का उत्तर आप लोग मुझे दीजिएगा ऑफलाइन कमेंट करके मैं सिर्फ आपको प्रश्न दिखा रहा हूं देखिए प्रश्न क्या है प्रश्न देखिए निम्नलिखित में से कौन सा आपके विचार से धर्म निरपेक्षता के विचार के अनुकूल है राज्य धर्म की मान्यता एक धर्म का वर्चस्व सभी धर्मों का समर्थन करने के लिए समान राज्य उपरोक्त में से एक से अधिक उपरोक्त में से कोई नहीं ठीक है आंसर कीजिएगा भारत के संविधान की प्रस्तावना में कई प्रकार की स्वतंत्रता का उल्लेख है निम्नलिखित में से कौन इन स्वतंत्रता में से एक नहीं है दूसरा प्रश्न हमारे संविधान की प्रस्तावना में किसका उल्लेख नहीं है आप यह बता दीजिएगा निम्नलिखित में से कौन भारत की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं है निम्नलिखित में से कौन सा शब्द हमारे संविधान की प्र प्रस्तावना में नहीं लिखा गया है ये आपको बात बतानी है ये जितने प्रश्न मैंने दिए हैं ये या तो किसी पीसीएस में आए हो सकता है वो पीसीएस यूपी का रहा हो हो सकता है वो पीसीएस बिहार का रहा हो हो सकता है वो पीसीएस एमपी या राजस्थान का रहा हो या वो आरओ ए आरओ का रहा हो आरओ ए आरओ यही से ये प्रश्न लिए गए हैं अब आप मेंस का प्रश्न लिख कर के मुझे बताइएगा मैं आपको प्रश्न दे रहा हूं लिखिए मेंस का क्वेश्चन है यह लिख कर के आपको चेक कराना है भारतीय संविधान संविधान की लघु यात्रा भारतीय संविधान की लघु या प्रस्तावना प्रस्तावना से प्रस्तावना से संपन्न संपन्न हो सकती है हो सकती है कथन का मूल्यांकन कीजिए मूल्यांकन कीजिए 150 शब्दों में आपको इस प्रश्न को लिख कर के बताना है ठीक है किसी को कोई दिक्कत नोट डाउन कर लीजिए और अब हमारी मुलाकात होगी कल पहले 5 बजे हम वही क्लास लेंगे जिसके बारे में बात कर रहे थे वो क्लास कौन सी है दीनदयाल उपाध्याय पर आधारित तो चलिए फिर ख्याल रखिए आप अपना और अपनों का थैंक यू सो मच बाय बाय ब