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Class Notes - 4 जुलाई 2024

नमस्कार दोस्तों डेट आज की 4 जुलाई 2024 है तीन इश्यूज डिस्कस करेंगे आज हाथरस स्टम पीड का आर्टिकल है हिंदू में यह नहीं डिस्कस करेंगे यह कल हमने डिस्कस कर लिया था इंडियन एक्सप्रेस से सबसे पहले आर्टिकल डिस्कस करेंगे हिंदुस्तान टाइम्स का जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग से संबंधित अच्छा आर्टिकल है मतलब वूमन एंपावरमेंट के तो हम कई आर्टिकल्स डिस्कस करते हैं लेकिन इसमें कुछ नए पॉइंट्स हैं हिंदुस्तान टाइम्स का आर्टिकल है पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में महिलाओं का रोल इंक्रीज होना चाहिए इससे अच्छी जेंडर आउटकम निकल के आएगी दूसरा आर्टिकल हिंदू का डिस्कस करेंगे इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट से संबंधित और फिर लास्ट आर्टिकल बिजनेस स्टर्ड का डिस्कस करेंगे कोल गैस से संबंधित वो भी इंपोर्टेंट टॉपिक है इस बार के मेंस के लिए लेकिन पहले कोड देख लीजिए अगर आप क्रिटिसिजम अवॉइड करना चाहते हो ना उसका सिर्फ एक तरीका है आप कुछ भी मत करो ना पॉलिटिक्स में एंटर करो ना बिजनेस में एंटर करो कुछ भी मत करो कुछ भी मत बोलो मतलब अपनी ओपिनियन दो ही ना और सबसे लास्ट में बी नथिंग मतलब जीवन में कुछ भी मत बनो कुछ भी मत बनो जिससे आप इंपैक्ट डाल्स को एक प्रकार से ना यह सरक जम है एरिस्टोटल जो बोल रहे हैं ना सरक जम में बोल रहे हैं एरिस्टोटल का कहने का मतलब था देखो क्रिटिसिजम तो होगा ही किसी भी काम में जब भी आप कुछ बनना चाहोगे जब भी आप कुछ करोगे जब भी आप कुछ बोलोगे अपनी ओपिनियन दोगे तो हमेशा थोड़ा बहुत क्रिटिसिजम होगा उसके लिए आप पहले से तैयार रहो क्रिटिसिजम से कभी आप डरो मत क्रिटिसिजम सिर्फ उनका नहीं होता जो कुछ करते नहीं है कुछ बोलते नहीं है जिंदगी में कुछ भी नहीं होते हैं सिर्फ उनका क्रिटिसिजम नहीं होता बाकी सबका क्रिटिसिजम होता है इसको एक्सेप्ट करो जो पॉजिटिव फीडबैक है उसे लो गलतियां सुधारो और जो देखो सिर्फ क्रिटिसिजम करने के लिए क्रिटिसिजम कर रहे हैं उसको इग्नोर करो नेगेटिविटी को इग्नोर करो इसके बाद नेक्स्ट आर्टिकल जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग और देखो पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में महिलाओं का रोल अगर इंक्रीज किया जाता है तो अच्छी जेंडर आउटकम सामने आएगी हिंदुस्तान टाइम्स का आर्टिकल है आप जीएस पेपर वन के इस टॉपिक से आर्टिकल को रिलेट कर सकते हो देखो ये काफी अच्छा आर्टिकल है सबसे पहले ना कुछ डाटा मैं आपको बताता हूं जेंडर इन इक्वलिटी से संबंधित काफी अलार्मिंग स्टेटिस्टिक्स हैं जैसे देखो लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट में ना अभी भी जेंडर गैप काफी ज्यादा है अगर वर्किंग एज पॉपुलेशन की बात करें क्योंकि ज लेबर पार्टिसिपेशन रेट जब निकालना होता है ना तो हम यह वर्किंग एज पॉपुलेशन के लिए निकालते हैं जो कि 15 से 64 के बीच में है तो महिलाओं का लेबर फोर्स में पार्टिसिपेशन रेट सिर्फ 25 पर है जबकि मैन का 58 पर है इसका मतलब देखो यह है हर हर 100 वर्किंग एज वुमेन में सिर्फ 25 इकोनॉमिकली एक्टिव हैं इकोनॉमिकली एक्टिव का मतलब या तो काम कर रही हैं या फिर काम ढूंढ रही हैं जबकि देखो मैन से कंपेयर करें हर 100 वर्किंग एज मैन में 58 इकोनॉमिकली एक्टिव है इकोनॉमिकली एक्टिव होने का मतलब या तो काम कर रहे हैं या फिर काम ढूंढ रहे हैं तो यह जो गैप है आपको दिखाता है बहुत सी वुमन जो पोटेंशियली देखो वर्क फोर्स में हो सकती हैं लेकिन अभी लेबर मार्केट से बाहर है इवन सैलरी में भी बहुत बड़ा गैप है वुमन को देखो एवरेज के तौर पर 34 पर कम सैलरी मिलती है एजाम के तौर पर अगर एक मैन 00 कमाता है तो उसी काम के लिए महिला को 666 मिलते हैं यानी 44 कम इवन देखो महिलाओं का डिजिटल और फाइनेंशियल इंक्लूजन में भी पार्टिसिपेशन कम है जैसे एग्जांपल आपको दूं हमारे देश में अगर 33 पर महिलाओं के पास स्मार्टफोन है दूसरी तरफ 67 पर मैन के पास में स्मार्टफोन है और कोविड की सिचुएशन ने तो देखो महिलाओं की कंडीशन को और खराब कर दि याया था बहुत सारी जॉब्स गई लेकिन जिनकी जॉब गई उनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा वह महिलाएं जो पहले काम कर रही थी कोविड से पहले कोविड के दौरान जॉब चली गई लेकिन अब वह घर ही संभाल रही हैं उनमें से एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिन्होंने फिर से जॉब जवाइन नहीं की तो यह कुछ स्टेटिस्टिक्स थे डाटा था जो आप यूज कर सकते हो आंसर्स में यह अच्छा डाटा था सारे डाटा वाले पॉइंट्स यूज किए जा सकते हैं जनरल पॉइंट्स हैं इसके बाद राइटर देखो यह बोलते हैं अगर पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में जेंडर पर्सपेक्टिव इंक्रीज होता है ना आप बोलोगे सर पहले आप यह तो बताओ पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट का मतलब क्या है तो पहले मैं मतलब ही बता देता हूं पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट मतलब कैसे सरकार सरकार के पास जो पैसे हैं ना सरकार उस पैसों को कैसे मैनेज करती है कैसे एलोकेट करती है कैसे यूज करती है यह सारी चीजें आती हैं पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में लेकिन ना आज के समय में पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में ना महिलाओं का पार्टिसिपेशन बहुत कम है आगे यह पॉइंट आएगा वैसे लेकिन अभी मैं आपको एग्जांपल के तौर पर बता देता हूं देश में देखो अभी हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन है बहुत अच्छी बात है लेकिन वन ऑफ द रेयर पल है स्टेट लेवल पर सिर्फ एक फाइनेंस मिनिस्टर महिला है दिल्ली में वो भी आती सी तो मतलब फाइनेंस में बड़े लेवल पर ना आप लीडरशिप लेवल पर महिलाओं को बहुत कम देखोगे तो राइटर का पॉइंट यहां पर यह है देखो सरकार अपने टोटल बजट का ना सरकार अपने टोटल बजट का एक तिहाई जो एक्सपेंडिचर है ना वह पब्लिक सर्विसेस पर करती है पब्लिक सर्विसेस मतलब जैसे सरकार एजुकेशन प्रोवाइड करती है सरकार बिजली प्रोवाइड करती है हेल्थ केयर प्रोवाइड करती है है ट्रांसपोर्टेशन की सर्विस प्रोवाइड करती है सैनिटेशन की सर्विस प्रोवाइड करती है यह सब एग्जांपल्स हैं पब्लिक सर्विसेस के तो सरकार अपने एक्सपेंडिचर का 1 तिहाई खर्च करती है इन्हीं पब्लिक सर्विसेस पे अब देखो यह अमाउंट ना बहुत बड़ा है और इसका डायरेक्ट इंपैक्ट सिटीजंस की डेली लाइफ पर पड़ता है तो सजेशन यह है सरकार यह पब्लिक सर्विसेस पे स्पेंडिंग संबंधित डिसीजंस लेना कि कौन सी पब्लिक सर्विस पे कितना स्पेंड करना है कैसे स्पेंड करना है इन डिसीजंस को ना जेंडर लेंस से ले आप बोलोगे सर जेंडर लेंस कौन सा लेंस होता है देखो सिंपल भाषा में बताता हूं जेंडर लेंस का मतलब यह है कि हर एक स्पेंडिंग डिसीजन को ना इस पर्सपेक्टिव से ले देखें कि महिलाओं को कैसे इफेक्ट करेगा यह फैसला मैन को यह फैसला कैसे इफेक्ट करेगा मैं आपको एग्जांपल की सहायता से बताता हूं जैसे ट्रांसपोर्टेशन है अगर देखो एक सिटी बस सर्विस सरकार शुरू कर रही है तो ना वुमन की स्पेसिफिक नीड्स पर ध्यान देना चाहिए जैसे देखो बसेस में ना सीसीटीवी कैमरा होने चाहिए जो बस स्टॉप्स हैं वहां पर लाइटनिंग की व्यवस्था होनी चाहिए स्कूल कॉलेजेस की टाइमिंग के समय बसेस के ज्यादा स्टॉप्स होने चाहिए मतलब समझ गए आप अब जेंडर लेंस काम मतलब सरकार ने एक नई बस सर्विस स्टार्ट की लेकिन बस सर्विस स्टार्ट होने से महिलाओं पर क्या इंपैक्ट पड़ेगा उसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह सारी व्यवस्था भी कर दी सीसीटीवी कैमरा लगवा दिए और बस स्टॉप को बिल्कुल लाइटनिंग की व्यवस्था कर दी तो मतलब सरकार ने जेंडर लेंस से यह फैसला लिया और जेंडर लैंस से ट्रांसपोर्ट सर्विस स्टार्ट की समझ गए एक और एग्जांपल दे देता हूं ताकि आपको अच्छे से समझ में आ जाए जैसे हेल्थ केयर है हेल्थ केयर प सरकार इन्वेस्ट कर रही है तो जो वुमन स्पेसिफिक हेल्थ इश्यूज है जैसे ब्रेस्ट कैंसर है सर्विकल कैंसर है इनके लिए स्पेशल प्रोविजंस किए जा सकते हैं समझ गए चलो और ज्यादा एग्जांपल देने की आवश्यकता नहीं है लेकिन हां जेंडर लेंस से सरकार अगर फैसले लेती है ना तो ज्यादा इंक्लूसिव डेवलपमेंट आता है रिसोर्सेस का बेटर यूटिलाइजेशन होता है ज्यादा इंक्लूसिव डेवलपमेंट आता है रिसोर्सेस का बेटर यूटिलाइजेशन होता है और महिलाओं के द्वारा जो स्पेसिफिक चैलेंस फेस किए जाते हैं ना उनको बेटर ढंग से एड्रेस किया जा सकता है और ओवरऑल सोसाइटी में वेल बीइंग होती है यह फायदे होते हैं अगर जेंडर लेंस से सरकार फैसले लेती है तो अब इसके बाद देखो राइटर एक इंपॉर्टेंट पॉइंट रेज करते हैं देखो आईएमएफ की ना जेंडर स्ट्रेटेजी 2022 यह कहती है अगर देखो महिलाएं लीडरशिप पोजीशन में होती हैं तो इसके बहुत सारे फायदे होते हैं जैसे आईएमएफ के रिसर्च के मुताबिक वो बैंक्स जहां पर देखो वुमन बोर्ड मेंबर्स में है वो बैंक्स जहां पे महिलाएं बोर्ड मेंबर्स में है वहां पे रिलेटिवली फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रहती है यह राइटर नहीं बोल रहे यह आईएमएफ की रिपोर्ट कहती हैं इवन देखो जहां पे पॉलिटिकल लीडरशिप में महिलाएं हैं जैसे मिनिस्टर्स वगैरह महिलाएं हैं वहां पे देखो गर्ल्स एजुकेशन पे ज्यादा खर्च होता है वहां पे देखो हेल्थ पे ज्यादा खर्च होता है आप इवन इंडिया के पंचायती राज सिस्टम का एग्जांपल ले लीजिए जहां पे महिलाएं सरपंच बनी वहां पे पॉजिटिव चेंजेज देखने को मिले जैसे फीमेल वोटर टर्नआउट बढा है हेल्थ और एजुकेशन जो आउटकम है वो इंप्रूव हुई है यंग गर्ल्स को लीडरशिप लेने की इंस्पिरेशन मिली है छोटी-छोटी लड़कियां उन्हें लगता है कि हमारी सरपंच महिला है तो हमें भी आगे बढ़ना है उनको इंस्पिरेशन मिली है तो यह सारे फायदे हैं वुमन लीडरशिप के बट देखो आज के समय में अगर आप रिप्रेजेंटेशन देखोगे ना महिलाओं का रिप्रेजेंटेशन ना आज के समय में काफी कम है ग्लोबली देखो सिर्फ 11 पर कंट्रीज में महिलाएं फाइनेंस मिनिस्टर्स हैं यानी 100 में से सिर्फ 11 देशों में ऐसा है कि अभी जो फाइनेंस मिनिस्टर है वह महिलाएं हैं इंडिया में तो मैंने आपको बताया शुरू में यूनियन लेवल पर निर्मला सीतारमन फाइनेंस मिनिस्टर है और यह भी वन ऑफ द रेयर है और स्टेट लेवल पर सिर्फ दिल्ली में अतिसी मलीना जो है वो फाइनेंस मिनिस्टर हैं अब फाइनेंस कमीशन में रिप्रेजेंटेशन देख लीजिए 16 फाइनेंस कमीशन में ना पांच में से सिर्फ एक मेंबर महिला है समझ गए डाटा तो थोड़ा और भी है लेकिन इतना डिटेल से याद रखने की आवश्यकता नहीं है एक-एक डायमेंशन ऐड करते जाओ फाइनेंस कमीशन की एक डायमेंशन और फाइनेंस मिनिस्टर की एक डायमेंशन कमीशन की एक डायमेंशन और मिनिस्टर की एक डायमेंशन एक एक डायमेंशन अब देखो कुछ बैरियर के बारे में बताया जाता है राइटर के द्वारा बैरियर्स क्या है कि महिलाएं लीडर नहीं बन पाती सबसे पहला जो बैरियर है वह है ग्लास सीलिंग ग्लास सीलिंग का क्या मतलब है यह देखो एक ऐसा इनविजिबल बैरियर है जो वुमन को ना टॉप पोजीशन तक पहुंचने से रोकता है इसे ग्लास इसलिए कहते हैं क्योंकि यह बैरियर दिखता नहीं है लेकिन है एजिस्ट करता है जैसे एग्जांपल आपको दूं प्रमोशन में ना बास देखने को मिलता है अगर सेम क्वालिफिकेशन है ना मैन की और वुमेन की तो मैन को प्रेफर किया जाता है लीडरशिप स्टीरियोटाइप्स हैं जब अग्रेसिव बिहेवियर मैन में है ना तो स्ट्रांग लीडरशिप माना जाता है बट महिलाओं में अगर अग्रेसिव बिहेवियर है ना तो फिर यह बोल दिया जाता है यह महिला ज्यादा बोसी है काम नहीं कर पाएगी इवन देखो हायर लेवल पे अनइक्वल पे देखने को मिलती है सेम पोजीशन पर वुमन को कम सैलरी मिलना अब इसका इंपैक्ट यह होता है महिलाएं जो है मिडिल मैनेजमेंट में अटक जाती हैं मतलब वह टॉप तक नहीं पहुंच पाती अब कंपनी का कोई रूल नहीं है कि महिलाएं टॉप तक नहीं जा सकती लेकिन कल्चर ऐसा डेवलप हो गया है प्रैक्टिकली उन्हें ऊपर जाने नहीं दिया जाता यह मान लिया जाता है कि शायद महिला पूरी ऑर्गेनाइजेशन को संभाल नहीं पाएंगी अच्छे लीडर साबित नहीं होंगी तो यह ग्लास बैरियर है ग्लास सीलिंग है यह ग्लास सीलिंग टर्म का इस्तेमाल आप कीजिए यह पहला बैरियर है फिर आर्टिकल में दूसरा बैरियर बताया जाता है लैक ऑफ इंक्लूसिव वर्क एनवायरमेंट वर्क प्लेस पॉलिसीज और कल्चर जो महिलाओं की नीड्स को अकोमोडेट्स देता हूं एग्जांपल से समझ में आएगा जैसे देखो मैटरनिटी लीव हैम जब देखो सिर्फ लीगल रिक्वायरमेंट हो तभी दी जाती है और मुश्किल से दी जाती है मैटरनिटी लीव के चलते बल्कि कम महिलाओं को रिक्रूट किया जाता है इससे संबंधित भी एक आर्टिकल हमने डिस्कस किया था जॉब के दौरान वर्क प्लेस पर बच्चों की देखभाल के लिए क्रच की व्यवस्था नहीं होती यह क्या है यह सब बैरियर्स हैं समझ गए इसके बाद देखो तीसरा बैरियर यह है नेटवर्किंग अपॉर्चुनिटी की कमी अब देखो जो प्रोफेशनल नेटवर्क्स है ना वह ज्यादातर आप को ना मेल डोमिनेटेड मिलेंगे जैसे एग्जांपल्स मैं आपको बताता हूं जैसे काम खत्म हो गया वर्किंग आवर खत्म हो गए उसके बाद लेट नाइट मीटिंग्स चल रही है पार्टी हो रही है तो यह ना महिलाओं के लिए अटेंड करना रिलेटिवली डिफिकल्ट हो जाता है तो फिर अब इन पार्टीज में इन मीटिंग्स में मैन की आपस में नेटवर्क बन जाता है और नेटवर्क की सहायता से वह आगे बढ़ जाते हैं और महिलाओं का प्रोफेशनल नेटवर्क उतना स्ट्रांग नहीं हो पाता अब इसका इंपैक्ट देखो यह होता है जो महिलाएं हैं ना वो इंपोर्टेंट कनेक्शंस और इनफॉर्मल मेंटरशिप से ना अलग थलग रह जाती हैं मिस कर देती हैं इनफॉर्मल मेंटरशिप को जो करियर की एडवांसमेंट के लिए काफी ज्यादा क्रुशल है चौथा बैरियर आपको बताता हूं महिलाओं के लिए ना स्पेसिफिक लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम्स की कमी है जैसे देखो कोई स्ट्रक्चर्ड प्रोग्राम नहीं है महिलाओं को शुरुआती स्टेज पे आइडेंटिफिकेशन बैरियर्स की बात करूं अनकॉन्शियस बायस जैसे पहले भी मैंने आपको बताया ह और प्रमोशन डिसीजन में जेंडर बायस देखने को मिलता है सेक्सुअल हरासमेंट मतलब अनसेफ वर्क एनवायरमेंट जो वुमन को डिस्क्र करते हैं लैक ऑफ रोल मॉडल्स सीनियर पोजीशन में वुमन की कमी है इस वजह से इंस्पिरेशन कम मिलता है गर्ल्स को और सबसे लास्ट में वर्क लाइफ बैलेंस प्रेशर सोसाइटी में एक्सपेक्टेशन की महिलाएं जो हैं वह प्राइमरी केयर गिवर है और महिलाओं को कई बार ना चूज करना पड़ता है कि आप या तो करियर चूज कीजिए या फिर फैमिली की जो रिस्पांसिबिलिटीज हैं उन्हें चूज कीजिए लास्ट में देखो दो-तीन पॉइंट और है जल्दी-जल्दी मैं आपको बता देता हूं वुमन रिजर्वेशन एक्ट 2023 यह देखो एक बहुत बड़ा माइलस्टोन है लोकसभा में और स्टेट असेंबलीज में महिलाओं के लिए 33 पर जो सीट्स हैं वह आरक्षित कर दी गई हैं इंप्लीमेंट होगा कुछ समय बाद लेकिन देखो एक चीज राइटर यहां पर यह बोलते हैं हमें ना रिप्रेजेंटेशन से आगे बढ़कर सोचना होगा अब हमें लीडरशिप पर फोकस करना होगा होगा मतलब अगर ज्यादा महिला एमपीज चुन के आएंगी ज्यादा अगर स्टेट असेंबलीज में विधायक चुन के आएंगी वह एक अच्छी बात है बट ज्यादा महिलाएं मिनिस्टर्स भी होनी चाहिए लीडरशिप रोल में ज्यादा महिलाएं अब होनी चाहिए हमें एक कदम आगे बढ़ के सोचना होगा फिर जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग की बात राइटर बोलते हैं जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग यह देखो एक ऐसा अप्रोच है जिसमें बजट को ना जेंडर लेंस से एनालाइज किया जाता है 100 कंट्रीज ने अभी तक इसे अड किया सो के आसपास इंक्लूडिंग इंडिया पर देखो इंडिया में ना इसका कवरेज लिमिटेड है सिर्फ कुछ ही स्कीम्स हैं जो जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग के अंडर आती हैं हर एक लेवल पे चाहे वोह सेंट्रल लेवल हो स्टेट लेवल हो या फिर लोकल लेवल हो हर एक लेवल पे इसे इंप्लीमेंट करना जरूरी है जैसे एग्जांपल आपको देता हूं जेंडर रिस्पांसिस बजटिंग का दिल्ली सरकार ने ना और इवन कर्नाटक सरकार ने फ्री बस राइड्स स्टार्ट कर दी महिलाओं के लिए महिलाओं के लिए टिकट नहीं लगती फ्री है तो यह एक एग्जांपल है जेंडर रिस्पांस बजटिंग का तो वे फॉरवर्ड में आप बोलोगे ज्यादा महिलाओं की आवश्यकता है पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट रोल्स में अब इसके लिए देखो ज्यादा रिक्रूटमेंट ड्राइव्स चलाने होंगे और पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट का मतलब मैंने आपको बता ही दिया था सरकार अपने फाइनेंस को कैसे मैनेज करती है एलोकेट करती है यूज करती है तो इन डिसीजंस को लेने में ना ज्यादा महिलाओं का होना जरूरी है इसके अलावा देखो महिलाओं के लिए ना बिल्कुल क्लियर लीडर शि ट्रेजे होनी चाहिए महिलाओं को पता होना चाहिए कि उनकी करियर ग्रोथ के क्या ऑप्शंस हैं ट्रेनिंग और मेंटरिंग अपॉर्चुनिटी उपलब्ध होनी चाहिए मतलब स्पेशलाइज्ड लीडरशिप प्रोग्राम होने चाहिए महिलाओं के लिए फाइनेंस में और जो जेंडर रिस्पांस बजटिंग है ना इसको एक्सपेंड करो हर एक डिपार्टमेंट को अपने बजट में जेंडर एस्पेक्ट जरूर कंसीडर करना चाहिए कंक्लूजन में हम बोल सकते हैं देखो जेंडर इक्वलिटी पब्लिक फाइनेंस में ये सिर्फ देखो एक मोरल इशू नहीं है बल्कि यह समाज में बढ़िया सोशो इकोनॉमिक आउटकम्स इंश्योर कर सकता है महिलाओं की रिप्रेजेंटेशन और लीडरशिप पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट में इंक्रीज करना जरूरी है यह जो जेंडर रिस्पांस बजटिंग की हमने बात की ना यह एक बहुत पावरफुल टूल है जेंडर इन इक्वलिटी को खत्म करने का तो यह पूरा आर्टिकल हमने डिस्कस किया चलते हैं आगे इसके बाद देखो नेक्स्ट आर्टिकल फैक्ट्री एक्सीडेंट्स एंड इंस्पेक्शन रिफॉर्म्स से संबंधित है आपने सिलेबस में जीएस पेपर थ के इस टॉपिक से आर्टिकल को रिलेट कर सकते हो सबसे पहले मैं आपको कांटेक्ट बताता हूं हाल ही मना एक एक्सीडेंट हुआ मई 2024 में महाराष्ट्र में डोंबीवली एमआईडीसी में एमआईडीसी क्या है एमआईडीसी मतलब महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यह एक बॉडी है इंडस्ट्रियल बॉडी है जो इंडस्ट्रियल एरियाज को डेवलप करती है तो ना इस एरिया में एक केमिकल फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ और बहुत बहुत सारे लोग मारे गए और इंजर्ड भी हुए आसपास की जो फैक्ट्रीज थी सोप्स थी और जो घर थे उनको भी डमेज पहुंचा राइटर बोलते हैं देखो ऐसा नहीं है कि इस प्रकार का हादसा जो है ना वो पहली बार हुआ हो ऐसे हादसे ना 2000 16 में 18 में 2020 में 2023 में भी हो चुके हैं और गवर्नमेंट ने कंपनसेशन देने का प्रॉमिस किया बट देखो असली सवाल यही है कि ये एक्सीडेंट्स लगातार आखिरकार हो क्यों रहे हैं अब थोड़ा हम बैकग्राउंड समझते हैं देखो यह जो डोंबीवली एमआईडीसी का एरिया है ना यहां पर 156 केमिकल फैक्ट्रीज हैं 2022 में महाराष्ट्र की सरकार ने ना आदेश दिया था कि इन फैक्ट्रीज को ना एक दूसरे एरिया में शिफ्ट कर दिया जाए पताल गंगा में लेकिन देखो सिर्फ फैसला लिया अभी तक इसे इंप्लीमेंट नहीं किया जा सका है इसके बाद राइटर बोलते हैं चैलेंज की बात करते हैं कि इस प्रकार के एक्सीडेंट्स क्यों सामने आ रहे हैं तो बहुत सारे चैलेंज राइटर बताते है एक-एक करके उनको हम डिस्कस करेंगे सबसे पहला चैलेंज है इंस्पेक्शन का सिस्टम देखो बहुत वीक है मतलब इंस्पेक्शन मतलब जैसे इंस्पेक्टर्स समय-समय पर फैक्ट्री के अंदर जाएं और देखें कि जो रूल्स है उनको फॉलो किया जा रहा है कि नहीं किया जा रहा है प्रोसेस सेफ है या नहीं है इक्विपमेंट सेफ है या नहीं है तो इस प्रकार की ना इंस्पेक्शन जो है ना काफी कम हो गई हैं महाराष्ट्र में ना सिर्फ 24 पर हजार्ड अस फैक्ट्रीज का इंस्पेक्शन हुआ 2021 में हजार्ड अस फैक्ट्री समझते हो ना जिसमें देखो जोखिम होता है जैसे कोई खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है या फिर ऐसी चीजें बन रही हैं जिनमें धमाका हो सकता है आग लग सकती है जैसे फायर क्रैकर्स हैं पेस्टिसाइड्स हैं या फिर ऐसी प्रोसेसेस फॉलो होती हैं उस फैक्ट्री में जिसमें वर्कर्स को जान का रिस्क है तो यह सारी हजार्ड फैक्ट्रीज होती है इनका इंस्पेक्शन तो बहुत जरूरी है लेकिन महाराष्ट्र में 2021 में सिर्फ 24 हजार्ड फैक्ट्री का इंस्पेक्शन हुआ तमिलनाडु और गुजरात में हालात देखो थोड़े ठीक है लेकिन ज्यादा अच्छे नहीं है पूरे देश में अगर देखें तो हजार्ड फैक्ट्रीज का सिर्फ 26 पर इंस्पेक्शन हुआ और नॉर्मल फैक्ट्रीज का इंस्पेक्शन तो और भी कम सिर्फ 15 पर आपके मन में आया होगा सर इतना सारा डाटा याद रखना है इतना सारा तो नहीं देखो पर्टिकुलर स्टेट से संबंधित आपको याद रखने का आवश्यकता नहीं है सिर्फ जो वाला डाटा है ना ऑल इंडिया फिगर वाला सिर्फ एक लाइन यह याद रख लेना स्टेट वाइज डाटा जरूरत नहीं है अब क्वेश्चन ये उठता है कि इंस्पेक्शन आखिरकार होती क्यों नहीं है इंस्पेक्शन देखो इसलिए नहीं होती क्योंकि इंस्पेक्टर्स की कमी है महाराष्ट्र में जैसे एग्जांपल के तौर पर सिर्फ 39 पर पोस्ट फीड है गुजरात और तमिलनाडु में गुजरात और तमिलनाडु का एग्जांपल साथ के साथ इसलिए दिया जाता है क्योंकि यह भी इंडस्ट्री स्टेट है तो एक कि मेन मेन जो इंडस्ट्रियल स्टेट्स हैं वहां पर क्या सिचुएशन है तो जहां महाराष्ट्र में सिर्फ 39 पर पोस्ट इंस्पेक्टर्स की फील्ड है गुजरात और तमिलनाडु में 50 पर से थोड़ा ज्यादा पोस्ट जो है वह फीड है और ऑल इंडिया लेवल पर बात करें तो जितनी सेक्शन पोस्ट है ना उसमें से 68 पर फीड है पहली तो बात सरकार ना पोस्ट कम सैंक्शन करती हैं अगर रिक्वायरमेंट देखो 1000 पोस्ट की है तो सक्शन पोस्ट आपको सिर्फ 500 मिलेंगी 400 मिलेंगी कम पोस्ट सैंक्शन है और इवन इससे भी ज्यादा जो पोस्ट सैंक्शन है वह भी पूरी फीड नहीं है तो यह सिचुएशन है कम इंस्पेक्टर्स की पोस्ट है इस वजह से देखो इंस्पेक्टर्स को थोड़ा ज्यादा काम करना पड़ता है जैसे एग्जांपल के तौर पर महाराष्ट्र में एक इंस्पेक्टर को एक साल में 818 फैक्ट्रीज को इंस्पेक्ट करना पड़ता है यह काफी टफ है अब देखो प्रोसीक की बात करें प्रोसीक मतलब जैसे इंस्पेक्टर्स ने इंस्पेक्शन की किसी फैक्ट्री वहां पर कमियां प पता लगी तो इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर फिर लीगल प्रोसीडिंग स्टार्ट होती है कोर्ट में केस चलता है और कारवाई की जाती जाती है फैक्ट्री के अगेंस्ट लेकिन देखो बहुत कम मामलों में फाइनली फैक्ट्रीज के अगेंस्ट कारवाई हुई यानी जो प्रोक्यू रेट है वह काफी ज्यादा कम है अब चकि देखो प्रोक्यू रेट कम है इस वजह से फैक्ट्रीज में डर पैदा नहीं होता कि हां फाइनली हमारे खिलाफ कार्रवाई होगी डर उनके अंदर से खत्म हो गया है उनको पता है पैसे पूसे खिलाएंगे काम चल जाएगा अभी तक देखो जितना आर्टिकल डिस्कस किया एक बात आपको समझ में आ गई होगी कि लेबर इंस्पेक्शन सिस्टम जो है वह कमजोर है इंस्पेक्टर्स की कमी है लेकिन बावजूद इसके देखो जो एंपलॉयर्स हैं वह यह बोलते हैं इंस्पेक्टर राज है इंस्पेक्टर फैक्ट्री में आते हैं ब्राइब की डिमांड करते हैं अदर वाइज फसाने की धमकी देते हैं इस वजह से ना मतलब एंप्लॉयर जो हैं फैक्ट्री ओनर जो है बार-बार इंस्पेक्टर राज का आरोप लगाते हैं इस वजह से सरकार ईज ऑफ डूइंग रिफॉर्म्स लेकर आती है कि कम से कम इंस्पेक्टर्स विजिट करें फैक्ट्रीज में यह होना चाहिए और देखो इंस्पेक्टर्स ब्राइब की डिमांड करते हैं यह जो आरोप है बिल्कुल निराधार भी नहीं है काफी बार ऐसा होता है जो सेफ्टी ऑडिटर है ना जो से की ऑडिटिंग करते हैं फैक्ट्री में उनके बीच में और फैक्ट्री ओनर के बीच में साठ घठ देखने को मिलती है फैक्ट्री ओनर सेफ्टी ऑडिटर को पैसा दे देते हैं और वह सब कुछ सही सही बताते हैं मतलब ब्राइब चलती है बहुत ज्यादा तो पॉइंट यह था कि इंस्पेक्टर राज के आरोप के चलते सरकार यह इंश्योर करना चाहती है कि हम कम से कम इंस्पेक्टर्स को विजिट करवाएं फैक्ट्रीज में इस वजह से ना सरकार ने ना पिछले कुछ समय में कुछ रिफॉर्म्स लिए हैं सिर्फ और सिर्फ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रमोट करने के लिए जैसे रिफॉर्म्स देखो सेल्फ सर्टिफिकेशन है सेल्फ सर्टिफिकेशन में क्या है कि जो फैक्ट्री ओनर है ना खुद ही सर्टिफाई कर देते हैं कि वह रूल्स को फॉलो कर रहे हैं सारे जितने भी रूल्स है उनको फॉलो कर रहे हैं फैक्ट्री ओनर खुद ही सर्टिफाई कर देते हैं यह जो है वह ट्रस्ट बेस्ड सिस्टम है इसमें इंस्पेक्शंस की जो फ्रीक्वेंसी है वह कम हो जाती है क्योंकि फैक्ट्री ओनर ने जो रिपोर्ट फाइल की उस परे विश्वास कर लिया गया फिर देखो एक यह है रैंडम इंस्पेक्शन पहले क्या था इंस्पेक्टर को ना सभी फैक्ट्रीज में विजिट करना होता था बट अब इंस्पेक्टर्स को बोला गया कि आप सभी फैक्ट्रीज में मत जाओ रैंडम जाओ रैंडम जाओगे किसी किसी फैक्ट्री में तो काम चल जाएगा फिर है कि ऑनलाइन इंस्पेक्शन ऑनलाइन इंस्पेक्शन मतलब फैक्ट्री ओनर्स को बोला जाता है कि आप फोटो खींच के भेज दो आप दिखा दो कि सब कुछ सही चल रहा है आपकी फैक्ट्री में तो ऑनलाइन इंस्पेक्शन हो जाती है यह सब किस लिए किया गया है जज ऑफ डूइंग बस के नाम पे कि हां भाई बिजनेस करना आसान हो और जो एंप्लॉयर है फैक्ट्री ओनर्स हैं उनको दिक्कत ना आए लेकिन देखो यह जो चेंजेज है ना राइटर के अनुसार इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन इंस्पेक्शन कन्वेंशन 1947 के अगेंस्ट है यह नीचे जो कन्वेंशन दी हुई है राइटर के अनुसार यह सेल्फ सर्टिफिकेशन ऑनलाइन इंस्पेक्शन रैंडम इंस्पेक्शन यह इस कन्वेंशन के अगेंस्ट है इस कन्वेंशन में बोला गया है सफिशिएंट क्वालिफाइड और वेल प्रोवाइडेड इंस्पेक्टर्स होने चाहिए सभी फैक्ट्रीज की जांच करने के लिए कभी भी किसी भी वक्त बिना किसी नोटिस के ताकि फैक्ट्री ओनर्स में डर हो कि रूल्स को फॉलो करना जरूरी है कभी भी इंस्पेक्शन हो सकती है किसी भी समय हो सकती है देखो रिफॉर्म्स जरूरी है बदलते समय के हिसाब से हमें इन्वेस्टमेंट लानी है दूसरे देशों से तो रिफॉर्म्स जरूरी है बिजनेस करना आसान होना चाहिए बट देखो रिफॉर्म्स के नाम पे ना जो वर्कर्स की सेफ्टी है उनके साथ कंप्रोमाइज नहीं होना चाहिए और अब तो देखो जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी और ज्यादा एडवांस होती जा रही है नई-नई मशीनस और प्रोसेसेस आ रही हैं फैक्ट्रीज में ऑटोमेशन बढ़ रहा है तो इसके साथ-साथ ना नए खतरे भी पैदा हो रहे हैं साइबर सिक्योरिटी भी अब एक बड़ा कंसर्न है इंडस्ट्रियल सेटिंग्स में और हजार्ड केमिकल्स का यूज भी बढ़ रहा है नए-नए केमिकल्स डेवलप हो रहे हैं इंडस्ट्री में यूज करने के लिए जिसके लॉन्ग टर्म इफेक्ट जो है काफी बार हानिकारक साबित होते हैं तो ऐसी सिचुएशन में ना इंस्पेक्शन और भी ज्यादा इंपॉर्टेंट हो गया है इंस्पेक्टर्स देखो सिर्फ चेक नहीं करते इंस्पेक्टर्स कई बार ना मदद भी करते हैं फैक्ट्री ओनर्स की कि आप इस प्रकार से रूल्स फॉलो कर सकते हो कई बार फैसिलिटेट भी करते हैं वो चीजों को कि मदद भी करते हैं कि देखो ऐसे रूल्स नहीं फॉलो हो रहे हैं आप ये चीज करोगे तो इस प्रकार से जो रूल्स हैं वो फॉलो हो जाएंगे इससे आपका भी फायदा होगा वर्कर्स की भी सेफ्टी इंश्योर होगी तो इंस्पेक्टर्स फैसिलिटेटर का काम भी कर सकते हैं पिछले कुछ समय में हमारे देश में जो इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट्स हुए हैं उनका मैं आपको एग्जांपल दूं एक दो एग्जांपल आप कोट करोगे तो सही रहेगा 2020 में विशाखा पटनम में एलजी पॉलीमर प्लांट में गैस लीक हुआ था 12 लोग मारे गए थे हज से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे बाद में पता चला कि प्लांट के पास में एनवायरमेंटल क्लीयरेंस ही नहीं है इसके अलावा देखो दिल्ली में बवाना में ल एरिया में एक पटाखा बनाने की फैक्ट्री थी वहां पर आग लग गई 2018 कीय घटना है 2018 में बवाना में पटाखा बनाने की फैक्ट्री में आग लग गई थी और फैक्ट्री इलीगल थी सेफ्टी मेजर्स नहीं लिए गए थे तो कई बार जब यह ऐसे एक्सीडेंट सामने आते हैं ना तो बाद में पता लगता है कि सेफ्टी मेजर्स नहीं लिए गए थे लाइसेंस नहीं लिया गया था रूल्स फॉलो नहीं हो रहे थे और देखो एक इंटरेस्टिंग चीज जब देखो फैक्ट्री में कोई कमी मिलती है तो फैक्ट्री ओनर की अकाउंटेबिलिटी फिक्स होती है तो सरकार की अकाउंटेबिलिटी क्यों नहीं फिक्स होती सरकार की तरफ से गैप आता है कोताही आती है तो सरकार में जो ऑफिशल्स हैं उनकी भी तो अकाउंटेबिलिटी फिक्स होनी चाहिए ना लेकिन सरकार सिर्फ कंपनसेशन अनाउंस कर देती है और काम चल जाता है यह गलत है लास्ट में देखो सॉल्यूशंस मैं समरा इज कर देता हूं एक जगह पे ताकि आपको लिखने में आसानी होगी सबसे पहले इंस्पेक्टर की जो पोस्ट है वह इंक्रीज की जाए दूसरे नंबर पर इंस्पेक्टर्स को रेगुलर ट्रेनिंग दी जाए पहला इंस्पेक्टर की पोस्ट इंक्रीज करो दूसरा रेगुलर ट्रेनिंग दो तीसरा टेक्नोलॉजी का यूज करके इंस्पेक्शन प्रोसेस को थोड़ा और ज्यादा इंप्रूव करो चौथा स्ट्रिक्ट पेनल्टी होनी चाहिए अगर यह पता लगता है कि फैक्ट्री ओनर जो रूल्स हैं उनको कंप्ला नहीं कर रहे हैं तो स्ट्रिक्ट पेनल्टी होनी चाहिए ताकि एक डर पैदा हो अदर वाइज डर ही खत्म हो गया है पांचवा वर्कर्स को भी सेफ्टी की ट्रेनिंग देनी चाहिए छठा एनोनिमस कंप्लेंट सिस्टम होना चाहिए वर्कर्स के लिए मतलब वर्कर्स बिना अपना नाम बताए कंप्लेंट कर सके कि फैक्ट्री में सेफ्टी रूल्स को नहीं फॉलो किया जा रहा है ऐसा सिस्टम होना चाहिए सातवां रेगुलर सेफ्टी ऑडिट होने चाहिए वह भी थर्ड पार्टी से थर्ड पार्टी से रैंडम सेफ्टी ऑडिट होने चाहिए आठवा इंडस्ट्री स्पेसिफिक गाइडलाइंस डेवलप करना जरूरी है जैसे पटाखों की फैक्ट्री है उनके लिए अलग गाइडलाइंस केमिकल्स वाली फैक्ट्री है पेस्टिसाइड्स वाली उनके लिए अलग गाइडलाइंस फिर इसके बाद में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को प्रमोट करनी चाहिए सेफ्टी के लिए सरकार और फैक्ट्री ओनर मिल के काम करें सबसे लास्ट में जो सक्सेस स्टोरीज हैं उनको हाईलाइट किया जाए मतलब जो फैक्ट्रीज अच्छा काम कर रही है सेफ्टी के मामले में उनको हाईलाइट किया जाए ताकि बाकी फैक्ट्रीज भी इंस्पायर हो तो यह सारे सोलूशंस 10 मैंने आपको एक जगह पर बता दिए तो यह पूरा आर्टिकल हमने डिस्कस किया कंक्लूजन में आप कह सकते हो कि वर्कर्स की देखो जान जो है वो कीमती है उनकी सेफ्टी इंश्योर करना सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि हर एक सिटीजन की फैक्ट्री ओनर की सभी स्टेकहोल्डर्स की रिस्पांसिबिलिटी है तो हमें एक बैलेंस ढूंढना होगा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और वर्कर सेफ्टी के बीच में क्योंकि दोनों इक्वली इंपॉर्टेंट है चलते हैं आगे इसके बाद नेक्स्ट आर्टिकल कोल गैसिंग है काफी इंपोर्टेंट टॉपिक है आपने जीएस पेपर थ में एनर्जी टॉपिक से इस आर्टिकल को रिलेट कर सकते हो देखो सबसे पहले तो हम बेसिक्स कोल गैसियस बाद मैं कंटेस्ट की बात करूंगा बहुत ही ज्यादा सिंपल भाषा में मैं आपको बताता हूं देखो कोल गैस में क्या होता है कोल को ना पाउडर की फॉर्म में कन्वर्ट कर लिया एक तो कोल के ब्लॉक्स होते हैं जो हम देखते हैं अक्सर हमारे आसपास जैसे ट्रेन में कोल को ले जाया जा रहा होता है इन टुकड़ों में कोल होता है नहीं इसको पाउडर की फॉर्म में कन्वर्ट कर लिया उसके बाद उस पाउडर को रखा एक गैसीफायर में गैसीफायर नहीं समझोगे तो प्रेशर कुकर मान लीजिए कोल को पाउडर में कन्वर्ट किया और प्रेशर कुकर में रख दिया और वहां पर फिर इफ्यूज की गई एयर एंड स्टीम अब इस प्रेशर कुकर को गर्म किया गया 1100 डिग्री सेल्सियस पर अब देखो जब ऐसा होगा ना कोल को पाउडर की फॉर्म में इतने डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाए जाएगा एयर एंड स्टीम की प्रेजेंस में तो ना थर्मोकेमिकल प्रोसेस शेप लेगी और कोल में जो कॉम्प्लेक्शन गैस यह जो हमारा बाय प्रोडक्ट है ना सिन गैस जिसके लिए यह सारा तामझाम किया यह देखो एक प्रकार से ना कॉमिनेशन है काफी सारी गैसेस का जिसमें हाइड्रोजन है कार्बन मोनोऑक्साइड है कार्बन डाइऑक्साइड है मिथेन की कुछ मा है इसके अलावा दूसरे गैसेस की भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा आपको मिलेगी इस सिन गैस में कौन-कौन सी गैसेस होंगी सिन गैस में मतलब सिन गैस का कंपोजीशन क्या होगा यह देखो इस बात पर भी डिपेंड करता है कि कोयला कैसा था कोयला कैसा था और दूसरा गैसीफायर के अंदर मतलब प्रेशर कुकर के अंदर कंडीशंस कैसी थी जब हमको एक बार सिन गैस मिल गई ना फिर यह क्लीन प्रोसेस से गुजरती है इंप्यूट वगैरह रिमूव करने के लिए जैसे सिन गैस के अंदर जो सल्फर वगैरह है मरकरी है एस पार्टिकल्स है उनको रिमूव कर दिया जाता है सिन गैस से और फाइनली जो सिन गैस मिलती है इंपरिपिनेट लेकर आता है क्लाइमेट चेंज काफी हो रहा है विभिन्न देश सजग है तो सिन गैस का इस्तेमाल किया जाएगा तो एमिशन कम होगा क्योंकि इंप्योरिटीज तो हमने रिमूव ही कर ली इस पूरी प्रोसेस में जो इंप्योरिटीज थी वो हमने रिमूव कर ली जिसकी वजह से एमिशन होता है वो एमिशन होगा ही नहीं अब वैसे देखो एक और इंपॉर्टेंट चीज यह पूरा जो प्रोसेस मैंने आपको बताया ना यह है एक् स2 प्रोसेस मतलब इसमें तो कोल की माइनिंग करके ऊपर जमीन पर लाया जाता है कोल को बाद में गैसीफायर में यानी प्रेशर कुकर में कोयल को रखा जाता है यह है एक् स2 मेथड लेकिन एक और मेथड भी है इन सीटू मेथड सिन गैस प्रोड्यूस करने का इन सीटू मेथड में क्या होता है कोयले की माइनिंग करने की जरूरत नहीं है मान लीजिए य जमीन है जमीन के नीचे अंडरग्राउंड कोयला दबा हुआ है पूरा वहां से माइन करके नहीं लेना दबे रहने दो अब किया क्या जाता है एक ना होल किया जाता है जैसे यह दबा हुआ है यहां पर पूरा यहां से एक छोटा सा होल किया जाएगा अब इस होल के थ्रू ना जहां पर कोयला दबा हुआ है ना डिपॉजिट्स है वहां पे ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी वहां पर वाटर या स्टीम की व्यवस्था की जाएगी और इसी होल के थ्रू ना नीचे दबे हुए कोयले को गर्म किया जाता है हीट्स के थ्रू तो क्या होगा फिर वह पूरी प्रोसेस जो हमने गैसीफायर के बारे में डिस्कस की ना वो तो प्रेशर कुकर में होती है गैसीफायर में होती है पूरी प्रोसेस ये नीचे डिपॉजिट्स में ही हो जाएगी क्योंकि होल के थ्रू हमने ऑक्सीजन और वाटर वहीं पे पहुंचा दिया जहां पे कोयले के डिपॉजिट हैं और हीट की व्यवस्था भी कर दी 700 से 900 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है कोयले के डिपॉजिट्स को तो फिर इस पूरी प्रोसेस के बाद सिन गैस बनेगी और उसी होल के थ्रू उसी छेद के थ्रू वह सिन गैस बाहर आने लगेगी तो यह जो प्रोसेस है ना यह है इन सी2 प्रोसेस जैसे एनवायरमेंट में हम पढ़ते हैं ना एनिमल्स का कंजर्वेशन एक होता है एक् स2 एक् स2 मतलब चिड़िया घर वगैरह या फिर बोटेनिकल गार्डन में लाके उनको कंजर्व किया जाता है एक होता है इनसीट इनसीट मतलब जंगल में ही उनके कंजर्वेशन की व्यवस्था की जाती है जहां पर वह रहते हैं वहीं पर यह क्वेश्चन यूपीएससी ने 2011 में पूछ लिया था इन सट एक्सीटू से संबंधित आप इस क्वेश्चन का आंसर कमेंट बॉक्स में दीजिए तो देखो अब आप अच्छे से बेसिक्स समझ गए अब हम बात करते हैं आवश्यकता क्यों है कोल गैस की देखो हमारे पास ना थर्मल कोल के अच्छे खासे रिजर्व्स हैं जैसे डाटा है जो जीएसआई के द्वारा पब्लिश किया गया था जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इनके डाटा के अनुसार 142022 तक हमारे देश में ना 3614 111 मिलियन टन के कोयले के भंडार थे चाइना के बाद इंडिया कोयले के मामले में दूसरे नंबर पर है और प्रोडक्शन भी अब तेजी से इंक्रीज हो रही है पिछले साल प्रोडक्शन में 14.8 पर का इजाफा हुआ इंडिया देखो ग्लोबल कोल प्रोडक्शन में ना 10 पर कंट्रीब्यूट करता है यानी पूरे वर्ल्ड में जितना कोयला प्रोड्यूस होता है ना 10 पर तो इंडिया से ही होता है तो इतना कोयला हमारे पास में है अब विभिन्न कंट्रीज बोल रहे हैं कि आप कोल से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट बंद करो बंद करो पीछे पड़े हुए हैं जोर शोर से इंडिया कह रहा है भैया हम डेवलपिंग कंट्री है हमारे पास में एनर्जी का कोई और सोर्स नहीं है तो बीच का रास्ता एक नि निकलता है कि आप कोयले से सिन गैस बना दो और सिन गैस का इस्तेमाल चलता रहे क्योंकि यह रिलेटिवली क्लीनर फ्यूल है नेक्स्ट सरकार ने अपना टारगेट भी रखा है कि 2030 आते-आते हम 100 मिलियन टन कोल का इस्तेमाल करेंगे और इसकी सहायता से सीन गैस प्रोड्यूस करेंगे सरकार का फोकस देखो सेल्फ रिलायंस पे है एनर्जी के लिए ना हम इधर-उधर हाथ ना फैलाए मतलब मिडिल ईस्ट पे या फिर किसी दूसरे देश पर डिपेंड ना करें नेक्स्ट है ये नेक्स्ट वाला पॉइंट यही आ गया रिड्यूजिंग इंपोर्ट डिपेंडेंसी अभी जो हम पेट्रोलियम इंपोर्ट करते हैं वेस्ट एशिया से इतना ज्यादा उनके ऊपर डिपेंडेंट है तो यह डिपेंडेंसी कम हो जाएगी अगर हम अच्छी खासी मात्रा में सिन गैस प्रोड्यूस कर पाते हैं तो नेक्स्ट पॉइंट है इतना सारा कोयला है अगर देखो इंडिया ने कोई बढ़िया मेथड ढूंढ लिया ना इस कोयले को बढ़िया ढंग से यूज करने के लिए कि एमिशन भी ना हो और क्लीन फ्यूल की तरह हम इस्तेमाल भी कर सके तो कितना बढ़िया है इसके बाद देखो एक पॉइंट यह आता है सिन गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है एपीआई मैन्युफैक्चर करने के लिए आप पूछोगे सर यह एपीआई क्या है यह है एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स मतलब देखो जो मेडिसिंस होती है ना फॉर एग्जांपल पैरासिटामोल है अब वैसे तो एक टेबलेट में ना बहुत सारी चीज होती है बाइंडर भी होता है जो पाउडर को बाइंडर है लेकिन सबसे मेन चीज जिसकी वजह से दवाई एक्ट करती है मेन जो कंपोनेंट होता है ना उसे बोलते हैं एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स अब इंडिया की ना डिपेंडेंसी है चाइना के ऊपर बहुत ज्यादा यह जो एपीआई है ना इंडिया अभी चाइना से बहुत ज्यादा इंपोर्ट करता है इंडिया चाहता है कि हम सेल्फ सफिशिएंट हो चाइना से इंपोर्ट ना करें तो सिन गैस का इस्तेमाल किया जा सकता है देश में ही एपीआई मैन्युफैक्चर करने के लिए इसके बाद एक क्रिटिसिजम जो हालांकि आगे आएगा कि बहुत सारा पानी यूज होता है इस पूरी कोल गैसिलेट काफी ज्यादा है तो पॉइंट पहले से दे दिया जाता है कि जो पानी है ना उसको फिर से रीयूज किया जा सकता है इफेक्टिवली रिप्रोसेसिंग वाटर की हो सकती है तो इसे इसलिए यह पॉइंट गलत हो जाता है कि बहुत ज्यादा पानी वेस्ट होता है इस प्रोसेस में यह सारे चैलेंज हैं इसके बाद चैलेंज हम डिस्कस करें उससे पहले मैं आपको कंटेक्सकंपैट कर लेते हैं जल्दी से देखो हमारे देश में कोयले के भंडार तो अच्छी खासी मात्रा में है बट हमारे देश में ना इनफीरियर क्वालिटी का कोल है इवन धोने के बाद भी 3035 पर एस कंटेंट मिल जाता है जो कि देखो काफी ज्यादा है इसके बाद अगर देखो एक्स सी2 कोल भी है इन सीटू करते हैं मतलब जहां पे कोयले के डिपॉजिट्स हैं वहीं पर अगर कोल गैसिया जाता है तो तो देखो आसपास की जो रोक्स हैं वो भी दब जाएंगी उनको नुकसान पहुंचेगा और इस पूरी प्रोसेस को ना अच्छे से कंट्रोल नहीं किया जा सकता पता लगे कोई चट्टान गिर जाए वहां पर जो वर्कर्स मौजूद हैं उनकी जान को खतरा है एनवायरमेंटल फैक्टर्स भी हैं कोल गैस फिकेशन में ना इतना co2 प्रोड्यूस हो जाता है उतना तो देखो कोयले से जो थर्मल पावर प्लांट चलते हैं ना उसमें भी नहीं होता फिर अगर इन सीटू कोल गैसिंग मतलब जहां पर डिपॉजिट्स है वहीं पर करेंगे तो ग्राउंड वाटर के कंटेम का खतरा है बहुत सारा ग्राउंड वाटर कंटेम हो जाएगा प्रोजेक्ट की इकॉनमी पर ध्यान दोगे तो भी देखो सीरियस कंसर्न्स है कि इतना सीन गैस क्या हम प्रोड्यूस कर लेंगे ऐसा तो नहीं खर्चा ज्यादा हो जाएगा और सीन गैस बहुत कम प्रोड्यूस हो टेक्नोलॉजिकल कंसर्न्स भी है कि खराब क्वालिटी अगर है कोयले की तो सीन गैस कैसे प्रोड्यूस की जाए इसको लेक भी कंसर्न्स हैं ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं है अब लास्ट में बारी आती है वे फॉरवर्ड की किया क्या जा सकता है देखो एक जो प्रॉब्लम है ना वो एस कंटेंट की है आप बोलोगे सर ये एस कंटेंट होता क्या है कोयले में देखो कोयले को जब गर्म करते हैं ना तो कोयले के साथ कुछ नॉन कंस्ट बल मिनरल्स होते हैं जो कोयले की तरह बर्न नहीं होते छूट जाते हैं तो ऐसे चीजों को कहा जाता है एस कंटेंट अब कोयले में एस कंटेंट ज्यादा है तो मतलब तो ये तो वो वाली बात हो गई नाना कोयले का इस्तेमाल भी कर रहे हैं लेकिन काम की चीज उसमें कम है एस कंटेंट ज्यादा है मतलब ऐसी चीजें उसमें ज्यादा है जो जलेंगे नहीं ऐसे मिनरल्स ज्यादा है जो जलेंगे ही नहीं तो ना एक लिमिट है 34 पर सस कंटेंट हो सकता है इससे ज्यादा नहीं हो सकता बट हमारे देश में ना इन नोम्स की धजिया उड़ा दी जाती हैं इसको लेटर एंड स्पिरिट में मतलब बिल्कुल सीरियसनेस के साथ में इंप्लीमेंट नहीं किया जाता कोल वासरी की सहायता से ना एस कंटेंट अलग कम किया जा सकता है कोयले से लेकिन कोल वा सरीज में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है बढ़िया टेक्नोलॉजी की आवश्यकता होती है फिर ना राइटर एक सोल्यूशन देते हैं कोल ब्लेंडिंग का इस्तेमाल कर ले कोल ब्लेंडिंग मतलब कुछ कोयला जिसमें एस कंटेंट कम कुछ जिसमें ज्यादा दोनों को आपस में मिक्स कर दो तो फिर इंटरमीडिएट लेवल पर आ जाएगा कोयले में एस कंटेंट कुछ दूसरे पॉइंट्स हैं जैसे जल्दी से जल्दी सरकार इस पर नेशनल पॉलिसी बनाए नेशनल पॉलिसी ऑन कोल इसके अलावा अगर देखो गैसीफायर का इस्तेमाल किया जाता है तो फिर सरकार कोयले पेना सस और ड्यूटीज ना लगाए क्योंकि इस पूरी प्रोसेस का इस्तेमाल तो क्लीनर फ्यूल प्रोड्यूस करने के लिए हो रहा है ना तो ऐसे कोयले पे सेस या फिर दूसरी जो ड्यूटीज लगती है वह ना लगाई जाए नेक्स्ट सजेशन यह है कुछ कोल माइंस को ना डेडिकेट कर दिया जाए कोल गैसियस है ना तो सरकार चिन्हित कर दे कि इन कोल माइंस का इस्तेमाल होगा कोल गैस फिकेशन के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग सरकार दे जो सरकार ने अब दी भी है बेस्ट प्रैक्टिसेस सरकार देखो दूसरे देशों से भी लेकर आए जहां पर कोल गैसिंग के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं तो यह देखो इस प्रकार से हमने डिटेल से समझा कोल गसिंह हैं आगे यह क्वेश्चंस है जो आपको अटेंप्ट करने हैं दो क्वेश्चंस अटेंप्ट करने हैं एक जेंडर रिस्पांस बजटिंग और दूसरा इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट्स तो इस डिस्कशन में फिलहाल इतना ही है कल मिलते हैं फिर से एक न डिस्कशन के साथ थैंक यू थैंक यू वेरी मच