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नीट मामला और पूजा खेड़कर का प्रकरण: सरकारी परीक्षाओं में धांधली

द ललन टॉप शो ब्रॉट टू यू बाय सेंसेंट के एंड अमेरिकन पिस्ता शियोज बस पैक नहीं आया एसएलएस पैराफिन और टूथ का करंट ब कॉन तो लाइफ का करंट ऑन कुछ भी तू ट्राई करके देख ले सेंसेंट के टूथपेस्ट सेंसिटिव टीथ 10 जुलाई को सुर्खी बनी कि नीट यूजी मामले पर भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया और दावा किया कि परीक्षा में किसी बड़ी चूक या नकल का कोई सबूत नहीं मिला लेकिन इसी केंद्र सरकार के तहत आने वाली सीबीआई ने अगले रोज आज के रोज यानी 11 जुलाई को नीट यूजी मामले में ही पटना से राकेश रंजन को गिरफ्तार किया जिसे प पेपर लीक गिरोह का सरगना बताया जा रहा है एजेंसी ने अदालत से 10 दिन की कस्टडी हासिल की और यह भी दावा किया कि पटना और कोलकाता में पड़े छापों में इनक्रिमिनेटिंग डॉक्यूमेंट बरामद हुए यानी ऐसे दस्तावेज जिनसे आरोप की पुष्टि होती है यह बताता है कि भारत में सरकारी नियुक्ति और प्रतियोगी परीक्षाओं का सिस्टम कितना पुख्ता बचा है नीट छोड़िए देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा को लीजिए सीएससी यानी सिविल सर्विसेस एग्जामिनेशन जिसे पास करके आप कलेक्टर बन सकते हैं 2022 में एक लड़की ने यह परीक्षा पास की 821 वं रैंक हासिल की लड़की के पिता स्वयं राजपत्रित अधिकारी रहे थे सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं लड़की 17 करोड़ की संपत्ति की मालकिन है फिर भी उसने ओबीसी कैटेगरी की रैंक हासिल की साथ में विकलांगता का सर्टिफिकेट भी लगाया लेकिन मेडिकल परीक्षण के लिए नहीं पहुंची उल्टा परीक्षा कराने वाले संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी उससे उलझ गई और मामला पहुंचा सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइबल यानी कैट फरवरी 2023 में कैट ने हुक्म दिया कि एम्स में मेडिकल परीक्षा परीक्षण करवाएं ताकि साबित हो सके कि विकलांगता का लाभ लिया जा सकता है या नहीं लाक बुलावे पर नहीं पहुंची और जब पहुंची तो एमआरआई करवाने से इंकार कर दिया एम्स के ड्यूटी अफसर ने फोन करके थक गए पर कोई जवाब नहीं फिर लड़की एक निजी क्लीनिक पर जाती है एमआरआई करवाने के लिए और वही करके फिर व अपना सर्टिफिकेट भेजती हैं मजे की बात यह है कि जो यूपीएससी कैट में इन ऑफिसर से जूझ रहा था उसने रसमई तरीके से निजी क्लीनिक की इस रिपोर्ट को बाद में स्वीकार कर लिया और वो बन गई ट्रेनी आईएएस और वो भी अपने होम कार्डर में और पुणे में उनकी ट्रेनिंग का शुरुआती दौर शुरू होता है पोस्टिंग यह खेल कभी बाहर ही नहीं आता अगर लड़की के कुछ शौक ना होते लग्जरी गाड़ी उस पर नीली बत्ती चौड़ी नेम प्लेट वाले शौक आरामदायक ऑफिस जिसमें वॉशरूम अटैच हो सरकारी घर हो एक लंबी लिस्ट है वो भी तब जब एक सरकारी अधिकारी ने आज आकर शिकायत कर दी वो भी एक आईएस अफसर ही हैं जिन्होंने शिकायत की कि मैडम जो अभी ट्रेनिंग पर ही हैं उनकी हनक कुछ ज्यादा ही है इस हनक का आलम यह है कि बाकी लोगों को भी इस लड़की के पिता भरे दफ्तर में आकर धमकी देते हैं अब तक आप जान गए होंगे हम किनकी बात कर रहे हैं ट्रेनी आईएएस ऑफिसर जो पिछले दो दिनों से चर्चा में हैं पूजा खेड़कर की बात हो रही है पर बात सिर्फ पूजा खेड़कर की नहीं है देश में सबसे बड़ी सरकारी नौकरी यानी आईएएस आईपीएस की नौकरी सिविल सर्वेंट वाली नौकरी और उसमें भर्ती करने वाला यूपीएससी उस उस की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठ रहे हैं भारतीय नियुक्ति में चल रहे गुड़ गोबर का सबसे ताजा यह उदाहरण है फर्क सिर्फ इतना कि इस बार सीधे यूपीएससी पर इल्जाम लगा है इसलिए दिन की बड़ी खबर में आज हम पूजा प्रकरण की बात करेंगे और उठाएंगे यह सवाल कि क्या इस देश में एक भी परीक्षा ऐसी है जहां पर सब कुछ फूल प्रूफ ढंग से हो रहा हो नमस्कार सौरभ द्विवेदी नाम है हमारा और आप देखना शुरू कर चुके हैं ललन टॉप शो पूजा खेड़कर साल 2022 में जब सिविल सर्विसेस इम्तिहान 2021 का रिजल्ट आया तो पूजा ने अपनी रैंक चेक की उनकी रैंक थी 821 और कैटेगरी में लिखा था ओबीसी और पीडब्ल्यू बीडी ओबीसी यानी अदर बैकवर्ड क्लासेस और पीडब्ल्यू बीडी यानी पर्स संस विद बेंचमार्क डिसेबिलिटीज ये विकलांगों के लिए आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शॉर्ट फॉर्म होता है यह पूजा के लिए खुशी का मौका था अब वह नौकर शाह बनने वाली थी अब वह मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी यानी लबाना में ट्रेनिंग लेकर किसी सरकारी विभाग में सचिव एसडीएम डिप्टी कलेक्टर जैसी पोस्ट पर नियुक्ति लेने वाली थी परीक्षा के नतीजों की खुशी बांटने के बाद पूजा खेड़कर के जीवन में यह सब हुआ और उन्हें पहली नियुक्ति मिली महाराष्ट्र के पुणे में उन्हें असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया लेकिन प्रोबेशनरी ऑफिसर की हैसियत से किसी भी नौकरी में शुरुआती समय प्रोबेशन का होता है इस समय अधिकारी या कर्मचारी अमूमन काम सीखते हैं आईएएस अधिकार के संदर्भ में बात करें तो वो ल बासना में अपने काम की गुण बातें सीखते हैं लेकिन जब प्रोवेशन में नियुक्ति मिलती है तो वह जिले के प्रशासन को समझते हैं प्रोवेशन खत्म होने तक अधिकारियों को आईएएस नहीं ट्रेनी आईएएस कहा जाता है मतलब पूरा अधिकारी नहीं बने हैं अधिकारी बनने की प्रक्रिया में नियम यह है कि जब प्रोबेशन पूरा हो जाए और स्थाई नियुक्ति मिल जाए तब आईएएस अधिकारी को सीनियरिटी के आधार पर घर नौकर सरकारी गाड़ियां वगैरह मिले प्रोबेशन में कुछ सुविधाएं होती हैं लेकिन लाभ लष्कर नहीं हो है यह पूरी प्रक्रिया हम इसलिए बता रहे हैं क्योंकि आप इसको जानेंगे तभी पूरा मामला समझ सकेंगे अब पूजा खेड़कर जॉब जब प्रोबेशनरी ऑफिसर नियुक्त हुई तो उन्हें कायदे से गाड़ी घर स्टाफ नहीं मिलते लेकिन इल्जाम है कि पूजा ने इन सुविधाओं के लिए पुणे जिला प्रशासन के अधिकारियों पर दबाव बनाया जी एक ट्रेनी ने पक्के अधिकारी को धमकाया क्योंकि पूजा के पास बैकअप था अपने पूर्व नौकर शाह और राजनेता पिता का तो पुणे में अपना चार्ज संभालने के पहले उन्होंने पद से अपने से जूनियर लेकिन स्थाई अधिकारियों को कॉल और मैसेज किए और कहा कि वो उनके पुणे पहुंचने के पहले लाल बत्ती लगी गाड़ी एक घर और स्टाफ का इंतजाम करें इस आशय के कुछ चैट्स के स्क्रीनशॉट उस रिपोर्ट में भी लगाए गए हैं पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे ने महाराष्ट्र सरकार में सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें इन चैट्स में क्या है 23 मई पूजा खेड़कर लिखती हैं घर ट्रेवल और ऑफिस के बारे में कोई सूचना 24 मई को लिखती हैं कृपया जवाब दें यह जरूरी है यूनियर अधिकारी कहते हैं गुड मॉर्निंग स्वागत है आपका आपके आने के बाद हम इसे दिख वाते हैं फिर पूजा लिखती हैं मेरा सोचना है कि यह मेरे आने के पहले हो जाना चाहिए ना कि बाद में मेरे पास बाद के लिए बहुत सारे काम हैं और यह काम मैं बाद के लिए नहीं छोड़ सकती हूं 27 मई पूजा खेड़कर लिखती है मैं 3 जून को जवाइन करने वाली हूं उसके पहले ऑफिस और गाड़ी का इंतजाम कर लें उसके बाद समय नहीं बचेगा अगर यह मुमकिन नहीं है तो बता दें मैं कलेक्टर सर से बात कर लूंगी अब पूजा खेड़कर ने 3 जून को नियमानुसार अपनी पोस्ट पर पुणे में जॉइनिंग की खबरों के मुताबिक उनकी की यह डिमांड तब भी जारी रही और जब डिमांड पूरी नहीं हुई तो हारकर पूजा खेड़कर ने फिर दो कदम उठाए पहला वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी गाड़ी जो audi0 भी लगा दी दूसरा कदम उन्होंने क्या उठाया इल्जाम है कि उन्होंने अपने ही जिले के एडिशनल कलेक्टर के चेंबर पर कब्जा कर लिया जिस समय एडिशनल कलेक्टर छुट्टी पर गए हुए थे पूजा ने उनके कबि में अपनी नेम प्लेट लगवाई और उनकी हटवा दी और टेबल पर सजा दिया सामान पूजा खेड़कर की इन सारी डिमांड्स की सूचना पुणे कलेक्टर के पास पहुंची पुणे कलेक्टर ने सबसे पहले इन डिमांड्स की एक लिस्ट बनाई और उसे राज्य के चीफ सेक्रेटरी के पास भेज दिया इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पुणे कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में यह बात भी लिखी कि पूजा की ट्रेनिंग पुणे में नहीं करानी चाहिए ऐसा करने से जिले में प्रशासनिक दिक्कतें सामने आ सकती हैं इंडि डे की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पूजा पर कुछ और इल्जाम लगे जैसे पूजा खेड़कर को एक ऑफिस दिया गया था लेकिन अटैच बाथरूम ना होने की वजह से से उन्होंने उस दफ्तर को एक्सेप्ट करने से मना कर दिया जॉइनिंग के पहले उन्होंने अपने पिता और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी दिलीप खेड़कर के साथ ऑफिस पहुंची पूजा और उनके पिता ने मिलकर दफ्तर में खनन विभाग के बगल में मौजूद वीआईपी हॉल को बतौर पूजा के ऑफिस इस्तेमाल करने पर जोर दिया इस पर उन्हें बताया गया कि ट्रेनिंग के दौरान वह इन सुविधाओं की हकदार नहीं है उन्हें रहने के लिए जगह उपलब्ध करा दी जाएगी रिपोर्ट में पीड़ित अधिकारी का बयान भी है तहसीलदार का कहना है कि सबके सामने पूजा के पिता ने मरा में कहा आप अपनी पूरी जिंदगी सर्विस कर लेंगे तब भी अपर कलेक्टर नहीं बनने वाले पूजा जी के लिए सारी व्यवस्थाएं किए बगैर घर नहीं जाइएगा आज इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 18 से 20 जून 2024 के बीच पूरा पूजा खेड़कर ने अपर कलेक्टर की पूर सहमति के बिना कुर्सियां सोफा टेबल समेत सभी सामान बाहर निकाल दिया इसके बाद राजस्व सहायक को बुलाकर उनके नाम का लेटर हेड विजिटिंग कार्ड पेपर वेट राष्ट्रीय ध्वज नेम प्लेट शाही मोहर इंटरकॉम उपलब्ध कराने का निर्देश भी दे दिया उनके खिलाफ रिपोर्ट गई तो स्क्रूटनी शुरू हुई और पूरे काम धाम को खंगालने की जुगत शुरू हुई और इस जांच में एक बड़ी बात सामने आई पूजा ने सिविल सेवा का इम्तिहान पास करने के लिए इल्जाम है कि फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया कौन से प्रमाण पत्र ओबीसी और पीडब्ल्यू बीडी के प्रमाणपत्र साफ शब्दों में कहे तो आईएस बनने के लिए उन्होंने अपनी जाति और अपनी शारीरिक विकलांगता को लेकर झूठ बोला ऐसे इल्जाम लगे जब ये जानकारियां बाहर आई तो हल्ला मचा और पूजा खेड़कर की ईमानदारी पर भी सवाल उठने लगे इन सवालों को एड्रेस करने के लिए हम आगे की कहानी को दो हिस्सों में तोड़ते हैं एक हिस्सा जाति को लेकर दूसरा उनकी शारीरिक विकलांगता को लेकर पहले जाति पर बात पूजा ने अपने आईएस के फॉर्म में यह दावा किया कि वह पिछड़े समुदाय या ओबीसी जाति से आती हैं इस लाइन में कोई दाग नहीं है कि वो ओबीसी जाति से आती हैं लेकिन वो ओबीसी के क्रीमी लेयर से आती हैं क्रीमी लेयर यानी ओबीसी के कोटे में भी वो लोग जिनकी सालाना आय ₹ लाख से ज्यादा है ऐसे क्रीमी लेयर से जुड़े लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है ऐसा नियम हमारे देश में इसलिए बनाया गया ताकि जो लोग असल में हकदार हैं उन्हें ही आरक्षण का लाभ मिले जो शिक्षा और संसाधनों के स्तर पर संपन्न हैं उन्हें यह लाभ नहीं मिले वो जनरल में कंपलीट करें अब पूजा खेड़कर ने ओबीसी के तहत आईएस का पर्चा भरा लेकिन उन्होंने पर्चा भरते हुए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी यूपीएससी से यह बात छुपाए रखी कि उनकी सालाना आय ₹ लाख से कहीं ज्यादा है उनकी से तात्पर्य उनके घर की उनके परिजनों की जी जांच में खुलासा हुआ कि पूजा ओबीसी क्रीम लेयर में आती हैं और वह आरक्षण का लाभ उठाने के लिए हकदार नहीं है इंट के ओमकार बागले की रिपोर्ट के मुताबिक जांच में पाया गया कि पूजा के परिवार के पास 110 एकड़ कृषि भूमि 1.6 लाख वर्ग फीट में बनी छह दुकान सात फ्लैट 900 ग्राम सोना ₹1 लाख की सोने की घड़ी चार कारें दो प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां और एक ऑटोमोबाइल फर्म में भागीदारी है इसके अलावा खुद पूजा के पास ₹ करोड़ की संपत्ति होने का भी दावा किया जा रहा है अब सवाल यह कि ये जानकारी सामने आई कैसे दरअसल साल 2024 के लोकसभा चुनाव में पूजा के पिता दिलीप खेड़कर ने वंचित बहुजन गाड़ी के टिकट पर चुनाव लड़ा चुनाव हार गए लेकिन चुनाव का पर्चा भरते हुए उन्होंने एक हलफनामा दिया जो अनिवार्य होता है जिसमें अपनी संपत्ति चल अचल के बारे में बताया जाता है मुकदमों के बारे में भी इस हलफनामे में उनकी संपत्ति ₹ करोड़ बताई गई इन बातों से यह आरोप तो साफ होता है कि पूजा खेड़कर ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ क्रीमी लेयर के चलते उठाने लायक नहीं है लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसा किया और इसी एक कैटेगरी का लाभ नहीं उठाया उन्होंने विकलांग लोगों की कैटेगरी का भी लाभ उठाया यूपीएससी सिविल सर्विसेस का फॉर्म भरते हुए उन्होंने दावा किया कि वो दृष्टि बाधित हैं साथ ही मानसिक रूप से अस्वस्थ भी उन्होंने अपने इन दावों का समर्थन करते हुए अपनी इन विकलांगता हों के मेडिकल सर्टिफिकेट भी जमा किए परीक्षा में सफल हो गई तो उनके पास डिसेबिलिटी के दावों की पड़ताल की जानी थी दरअसल आप यूपीएससी या कोई भी इम्तिहान किसी डिसेबिलिटी की कैटेगरी में क्वालीफाई करते हैं तो उसकी सत्यता की पड़ताल करने के लिए मेडिकल जांच करवाई जाती है इस केस में यूपीएससी ने पूजा से आग्रह किया कि वह दिल्ली में स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस यानी एम्स से अपनी मेडिकल जांच करवाए ऐसे में क्या हुआ यह समझिए 22 अप्रैल 2022 एम्स में जांच की पहली तारीख पूजा ने कहा उन्हें कोरोना हुआ है वो नहीं आ सकती 26 मई 2022 एम्स में जांच की दूसरी तारीख पूजा ने इस बार भी आने में असमर्थता दिखाई और अगली तारीख मांगी 27 मई 2022 दिल्ली के सबदर जंग अस्पताल में भी तारीख पूजा इस बार भी नहीं आई अगली डेट मांगी गई 1 जुलाई 2022 एम्स में जांच की एक और तारीख पूजा इस बार भी नहीं आई 26 अगस्त 2022 एम्स में जांच की एक और तारीख पूजा तैयार हुई कुछ प्रा जांचें हुई फिर 2 सितंबर 2022 एम्स में एमआरआई जांच की डेट इसमें उनके दृष्टि बाधित होने की जांच होनी थी लेकिन पूजा नहीं आई ध्यान दे एमआरआई वो जांच थी जिससे यह साफ हो जाता कि पूजा सच में दृष्टिबाधित हैं या नहीं और अगर हैं तो आंख में कमजोरी का कारण क्या है लेकिन एम्स में जांच करवाने के बजाय पूजा ने किसी प्राइवेट क्लीनिक से करवाई एमआरआई की रिपोर्ट यूपीएससी को भेज दी यूपीएससी ने इसे रिजेक्ट कर दिया और इसके बाद उन्होंने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राब्यूको दायर किया कि पूजा खेड़कर का आईएस में चयन खारिज किया जाए 23 फरवरी 2023 को कैट ने यूपीएससी के पक्ष में फैसला सुनाया और पूजा की नियुक्ति खारिज कर दी गई अब पूजा इस अवसर नहीं रह जाती लेकिन अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरा खेल पलट गया जो यूपीएससी पूजा की एमआरआई रिपोर्ट को उठाकर रद्दी के टोकरे में डाल चुका था उसी यूपीएससी ने उस एमआरआई रिपोर्ट को आश्चर्यजनक रूप से स्वीकार कर लिया ऐसा क्यों हुआ किसके कहने पर हुआ अभी तक यूपीएससी ने साफ नहीं किया है लेकिन इसका जवाब देश को जरूर मिलना चाहिए क्योंकि सवाल एक पूजा खेड़कर का नहीं है सवाल देश की से सम्मानित एग्जाम कराने वाली संस्था की क्रेडिबिलिटी का है देश की सबसे बड़ी सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया का है सवाल भारत सरकार के इकबाल का है पूजा खेड़कर पर लग रहे आरोपों पर आरटीआई एक्टिविस्ट विजय कुमरे ने आज तक से बात की सुनिए क्या कहा कैट ने कहा है कि अगर कोई भी कैंडिडेट मेडिकल के एग्जामिनेशन के लिए अपने आप को उपलब्ध नहीं करता तो उसका कैंडिडेट खत्म हो सकता है उसके बावजूद इनको आईएस की हदा कैसे मिला कैसे मिला और वो यहां आ गई आने के बाद भी आमतौर पर जो ऑफिसर होते हैं आईएस ऑफिसर वगैरे उनको होम टाउन पेंशन के वक्त मिलता है आखिरी अपने कार्यकाल के आखरी में मिलता है इनको प्रोबेशन में ही होम टाउन मिल गया और उसके बाद आने के बाद उन्होंने जो नाटक शुरू किया मुझे यह चाहिए मुझे ऑडी चाहिए मुझे रेड बिकन चाहिए वगैरे वगैरे तो इसकी वजह से उनके इस बर्ताव की वजह से सब हमारी नजर गई और ये सारे के सामने आ गई अब ये सब बीते एक हफ्ते में सामने आया अब एक और वीडियो है जो वायरल है यह वीडियो है पूजा के मॉक इंटरव्यू का दरअसल कई यूपीएससी के कोचिंग संस्थान सिविल सेवा के इंटरव्यू राउंड के लिए एक प्रैक्टिस इंटरव्यू करवाते हैं जिससे अभ्यर्थी को अंदाजा रहे कि असली इंटरव्यू का माहौल कैसा होगा पूजा के मौके इंटरव्यू के हम अंश आपको वीडियो के कॉपीराइट की वजह से नहीं दिखा सकते लेकिन यह तो बता ही सकते हैं आपको कि इसमें बात क्या हो रही है वीडियो में इंटरव्यू लेने वाले पूजा से पूछते हैं कि उन्होंने फॉर्म में अपनी आय शून्य क्यों दिखाई क्योंकि उनके पापा तो खुद एक रिटायर्ड आ ऑफिसर है इस पर पूजा कहती सुनी जा रही है कि उनके माता-पिता सेपरेटेड हैं और वह अपने पिता के साथ नहीं रहती हैं एक और क्लिप में उनसे उनका काम पूछा जा रहा है तो वह बता रही हैं कि वह डॉक्टर हैं और प्राइवेट क्लीनिक संचालित करती हैं इन वीडियो को आप देखें तो समझ आता है कि पूजा के क्लेम कुछ अलग हैं और असल में उनकी जो दावे हैं वह कुछ और इसलिए उन्हें नियुक्ति देने वालों से सबसे अहम सवाल पूछे जाने चाहिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन से सवाल पूछे जाने चाहिए फिलहाल इतनी खबर उड़ी तो लिया गया क्या एक्शन उनका वाशिम जिले में बतौर सुपर न्यूरी असिस्टेंट कलेक्टर की पोस्ट पर ट्रांसफर कर दिया गया साथ ही जांच शुरू कर दी गई लाल बत्ती और इन सब से जुड़े प्रावधानों पर जब पूजा खेड़कर से उनके खिलाफ चल रही चर्चाओं और आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मीडिया से क्या कहा मैं वाशिम से जुड़कर खुश हूं सरकार ने मुझे कुछ भी कहने की इजाजत नहीं दी है हमने भी पूजा खेड़कर को कुछ सवाल भेजे ताकि उनका पक्ष सामने आ सके हमारे सवाल क्या है क्या आपने अपने जूनियर अधिकारियों पर दबाव बनाया कि आपको प्रोवेशन के समय घर गाड़ी ऑफिस और आप मुहैया कराया जाए क्या आपने अपनी पर्सनल ऑडी पर लाल नीली बत्ती लगाई क्या आपने आईएएस में शामिल होने के लिए गलत विकलांगता सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया अगर नहीं तो क्या आप यह बता सकेंगे कि आपको किस स्तर की विकलांगता है और इसको प्रमाणित किसने किया आपके पास पक्ष भी आपको जरूर दिखाएंगे लेकिन इतना बता दें कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने पुणे कलेक्टर से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है इसके अलावा सिविल सर्वेंट्स को ट्रेनिंग देने वाली ल बासना ने भी महाराष्ट्र सरकार से पूजा खेड़कर की उन सभी खामियों पर रिपोर्ट मांगी है खबर है ल बासना की फाइनल रिपोर्ट संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी को भेजी जाएगी ल बासना के डिप्टी डायरेक्टर शैलेश नवल ने सामान्य प्रशासन विभाग को कहा है कि मुख्य सचिव सुजाता सोनिक के अप्रूवल के बाद ही रिपोर्ट भेजी जाए सबसे बड़ी बात ये है कि दो अलग-अलग चीजें हैं जिनमें जांच होने अभी बाकी है एक तो ट्रैफिक पुलिस जो कार पूजा खेड़कर इस्तेमाल कर रही थी उसके रिगार्डिंग जांच कर रही है दूसरी ओबीसी का जो मामला है नॉन क्रिमिनल का उसमें जो मसूरी की लाल बहादुर शास्त्री अकेडमी एडमिनिस्ट्रेटिव अकेडमी है वह इस सब में जांच करेगी उसने ऑलरेडी डॉक्यूमेंट मंगवा लिए है पूजा खेड़कर से कि किस तरह से पूजा खेड़कर का इस पूरे मामले में कहना क्या है और तीसरी आखरी लेकिन सबसे अहम बात क्योंकि ओबीसी का कोटा 2022 का था उसमें 554 नंबर का जो आखिरी कैंडिडेट है जिसे आईएएस मिला था लेकिन पूजा खेडकर को 821 रैंक था फिर भी जो हम कहेंगे कि स्पेशली बेंचमार्क रहता है जिसे पी पीडब्ल्यू बीडी ऐसा कहा जाता है जो मल्टीपल डिसेबिलिटीज का जो कोटा रिजर्व रहता है उसमें से पूजा खुद आईएस बनी थी 821 रैंक होते हुए भी उसे आईएस कैडर मिला था उसके लिए गार्डिंग जो कुछ भी मल्टीपल डिसेबिलिटीज के सर्टिफिकेट्स उसे देने थे वो सर्टिफिकेट उसने सबमिट नहीं किए थे एक प्राइवेट एमआय डॉक्टर से जाके ए एमआरआई कॉपी उसने सबमिट कर दी यूपीएससी ने किस बेसिस पे किस हालात में यह कॉपी को कंसीडर किया इसका सवाल ना ही अभी यूपीएससी दे रही है ना ही पूजा खेड़कर के के बारे में इस पर कोई बात करना चाह रहा है अब कुछ सवाल हमारे एक्सपर्ट से हमारे आज के एक्सपर्ट ने नौकरशाही को करीब से देखा है कुछ पूर्व नौकरशाह दे रहे हैं सवालों के जवाब ऐसे भी जिन्होंने नए नौकरशाहों को ट्रेनिंग दी है और मॉक इंटरव्यूज भी लिए पहला सवाल पूजा खेड़कर के ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर के दावों में विसंगतियां पाई गई यही नहीं उनके पिता की चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 40 करोड़ बताई गई सवाल उठ रहे हैं कि ऐसी आय नॉन क्रीमी लेयर में कैसे आ गई और कहां चूक हुई देखिए बड़ी सीधी सी बात है जो मुझे समाचार पत्रों में जो सूचना छपी है जो रिपोर्टिंग हुई है उसके अनुसार एकदम धोखाधड़ी का मामला है ये इन्होंने झूठ बोला है इन्होंने अपना क्रमी को अवॉइड करने के लिए गलत सूचना अपने फॉर्म में भरी और अपने को क्रीमी लेयर में लेकर आई और इसलिए जो एफिडेविट फादर ने दिया है उसके अनुसार स्पष्ट रूप से य क लेयर की परिभाषा में नहीं आती इसलिए इनका यह सर्टिफिकेट बिल्कुल गलत है दूसरा आपने नोटिस किया होगा किय डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट भी लेकर बैठी हुई है और पांच बार इनको जैसा समाचार पत्रों में रिपोर्टेड है पांच बार इनको मेडिकल बोर्ड के सामने आने को कहा गया और यह नहीं आई मुझे अच्छी तरह याद है मैंने बहुत केसेस सुने अगर आप एक बार भी डिपर नहीं आते तो एक बार और नोटिस आती है फिर आपका जो कैंडिडेट कैंसिल हो जाता है यह बहुत सोचने की बात है कि आखिर य कौन सी परिस्थितियां थी कि इनको इनके साथ इतनी छूट दी जा रही थी आपका सर्टिफिकेट कीय हालत आपका डिसेबिलिटी का आपका सर्टिफिकेट आप दे नहीं मेडिकल बोर्ड के सामने अपीयर नहीं हो रही है और उसके बाद कोई एक केस लेकर आप जो है आईएस बन गए यह बहुत ही स्नी स्थिति देख मैं आपसे ये कहना चाहूंगा कि पहला मामला नहीं है जब डिसेबिलिटी के मामले का दुरुपयोग किया गया है ये मैं एक मामले को अच्छी तरह जानता हूं जो अभी हाल में मैं नाम लेने से फायदा नहीं क्योंकि किसी को बदनाम करना मेरा उद्देश्य नहीं है हाल ही में वो उनको सेवा से बाहर किए गए भी रिजाइन किया उन्होंने वो आपने सुना होगा एक आई अफसर यूपी कार्डर की है थे जो डांस किया करते थे और वीडियो बनाया करते थे और बड़े-बड़े हीरो हीरोइन के साथ अपने वो जो है व वो निकाला करते थे सॉन्ग निकाला करते थे वो भी डिसेबिलिटी में सेलेक्ट हुए थे मुझे समझ में नहीं आता ये आखिर अफसर लोग ये देखते क्यों नहीं है कि आप डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट लेकर आ पा रहे हैं आप डिसेबिलिटी प्रेजेंट तो कर ही नहीं रहे बिल्कुल दिख तो रहा ही नहीं है और ऐसी डिसेबिलिटी जो बिल्कुल ही आपको सामान की तरह दिखाए उसके आधार पर कोई भी अगर यह सर्टिफिकेट लगा के ले आता है फायदा उठा रहा बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है और यह सारे प्राविनता जिन्होंने इस चीज को इग्नोर किया वो भी दंडित किए जाने काबिल है और इनकी सेवा तो समाप्त होनी चाहिए नहीं ये तो एक इसी अगर यह तथ्य सही है जो इंक्वायरी के बाद ही बताया पता लग सकता है बिकॉज न्यूजपेपर रिपोर्ट पर तो कुछ कमेंट करना मुश्किल होगा लेकिन अगर ये सत्य है तो देन ओबवियसली श आई मन लॉ विल टेक इट्स ओन कोर्स तो तो बड़ा जाहिर सी बात है अगर आपने झूठ बोल के या आपने कोई चीज गलत तथ्य आपने अगर दिए हैं और वो तथ्य पकड़ जाते हैं तो देन य टू बी डिम फम सर्विस उसमें तो कोई कोई गुंजाइश ही नहीं है डिस्कशन का अगर आपने फैक्ट को छुपाया है और फैक्ट को छुपा के आपने कोई पोजीशन हासिल की है तो जैसे ही वो फैक्ट नजर आएंगे तो यू विल लूज योर जॉब अगला सवाल खेड़कर ने बाहरी सेंटर से एमआरआई कराया और रिपोर्ट जमा की जैसे यूपीएससी ने खारिज कर दिया इसके बाद उनके चयन को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चुनौती दी गई बावजूद इसके उनकी नियुक्ति आईएस के ौर पर हुई जब बा सामने तब यूपीएससी की चन समिति पर सवाल उठ रहे हैं इस विसंगति को कैसे देखा जाए देखिए य खुली तौर पर यह नियमों का वायलेशन है और मिली भगत देखिए कहीं कोई आप हमारे देश की य दुर्दशा दुर्भाग्य से हो गई है कि आप बड़े बड़े पदों पर बैठे लोगों से भी अ कोई उच्च आचरण की अपेक्षा मत कर क्यों दुर्भाग्य है म मुझे दुख है कहते हुए और मुझे बड़ा शर्म आती है कि हम लोग इस बड़ी सेवा में इतने साल रहे हैं देश के सर्वच पदों बैठे रहे कि लोग ऐसे ऐसे लोग यूपीएससी में मेंबर और चेयरमैन बनते हैं जो उसके काबिल बिल्कुल लेकिन राजनीतिक जो हमारा व हमारे देश में जो राजनीति का दखल चल पड़ा है सिफारिश का युग जो आ गया है आज यहां दे कुछ भी मैंने आपसे पहले हमारे देश में कहते लोग ऐसा दे जहा कुछ भी संभव है और कुछ भी में भी आप कुछ भी सोच लीजिए तो सब संभव आ विल न कमेंट न दिस बज मेरे पास न्यूजपेपर रिपोर्ट्स के अलावा कोई और ऐसा तथ्य मेरे सामने नहीं है कि मैं इस पर कमेंट कर सकूं मेरा सिर्फ ये मानना है कि यूपीएससी की सिलेक्शन बहुत फेयर होती है और देखिए जो मैं कमेंट कर सकता हूं ये कर सकता हूं कि जो बिहेवियर रहा पूजा का एक ऑफिसर ट्रेनी की तरह ऐसा नहीं होना चाहिए था बिकॉज और दूसरी चीज जो मैं कहना चाहता हूं कि देखिए हर साल हर साल 500 करीब ऑफिसर ट्रेनीज फाउंडेशन कोर्स में आते हैं करीब 200 ऑफिसर ट्रेनीज फेज वन करते हैं करीब 200 ऑफिसर ट्रेनी डिस्ट्रिक्ट में जाते हैं तो ये कोई कोई ऐसा तो नहीं कि हर रोज हो रहा है ऐसा भी नहीं कि हर डिस्ट्रिक्ट में ऐसा हो रहा है तो अगर ये है तो ये एक एवरेशन है और इस एवरेशन को स्ट्रांगेस्ट शब्दों में कंडेम करना चाहिए और किया भी गया है और निश्चित तौर पर अकेडमी के डायरेक्टर इस पर एक्शन लेंगे बिकॉज अकेडमी है वो अथॉरिटी क्योंकि जब तक कन्फर्मेशन नहीं होती सर्विस में तब तक डायरेक्टर इज द डिसिप्लिन अथॉरिटी और एक रिपोर्ट निश्चित तौर पर आई एम शर रिपोर्ट मांग ली होगी उन्होंने गवर्नमेंट ऑफ महाराष्ट्र से और वो रिपोर्ट आएगी उसमें जो विसंगतियां पाई गई बिकॉज जो कंडक्ट है एक आईएस प्रशिक्षु अधिकारी का नेचुरली जो विजुअल्स आए हैं और जो रिपोर्ट्स आ रही है वेरियस न्यूजपेपर्स के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सोशल मीडिया के माध्यम से तो क्लेयर दिखाती है कि जो यह बिहेवियर था दिस इज नॉट कंडक्ट बिकमिंग ऑफ ऑफ एन ऑफिसर ट्रेनिंग तो निश्चित तौर पर इसको स्ट्रिक्टेस्ट एक्शन है टू बी टेकन अगला सवाल हैंडीकैप कोटे में चैन के नियम क्या है देखिए इसकी बड़ी डिटेल परिभाषाएं दी हुई है किस कैटेगरी के हैंडीकैप को कितना वेटेज मिलता है तो आप यह विश्वास मानिए कि जो डिसेबिलिटी है वो ऐसी होनी चाहिए जो वास्तव में जिसे कहते हैं कि आपको और लोगों से अलग करती हो यह छोटी मोटी चीजें ये बिल्कुल इग्नोर ये बिल्कुल इस परिभाषा में आती नहीं और जो जिस तरह का इनका पर्सन है जिस तरह की इनकी वो बिहेवियर है और जैसे मैंने आपको एक केस बताया यूपी का जो वास्त अब तो रिजाइन करके उनको बाहर कर दिया गया वो भी यही हालत थी आप डांस फ्लोर पर डांस कर रहे हैं और आप फिजिकल डिसेबिलिटी दिखा रहे हैं अपनी किसी को दिखता ही नहीं है हमारे देश में हमारे देश में पता नहीं क्या हो गया कि ये सीधी सधी चीजें अकेडमी में जब गए थे ये तो अकेडमी में डायरेक्टर को बाकी लोगों को देखना चाहिए ना कि आप किस डिसेबिलिटी लेकर आ रहे हैं मेडिकल बोर्ड के सामने जब ये गए तो उसमें देखना चाहिए था किसी को भाई किस तरह से आप बबल है यह लगता है कि हमारे सिस्टम में सब कुछ चलता है पूजा खेड़कर पर बस यह आरोप नहीं लग रहे कि उन्होंने भ्रष्टाचार या कदाचार किया हमने यह भी बताया कि बतौर नौकरशाह उन्होंने किस किस्म की डिमांड अपने कनिष्ठ के सामने रखी इसके पहले भी आपने देखा दिल्ली के एक आईएस अधिकारी रिंकू दुग्गा ने सिर्फ अपने कुत्ते को टहला के लिए दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम को एक नियत समय के लिए खाली करवा लिया था पूर्व आईएएस और फिल्म एक्टर अभिषेक सिंह ने भी आईएस रहते हुए अपनी सरकारी गाड़ी पर गुजरात चुनाव के समय ऑब्जर्वर लि खवाया सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे उनको लेकर भी कई इस तरह के इल्जाम लगते हैं इन अधिकारियों पर कि वह अपनी प्रचार प्रक्रिया में ज्यादा मुब्तला रहते हैं पद के दुरुपयोग के इस तरह के एजाम चंद उदाहरण है और भी कई अधिकारियों पर आरोप लगे और इसकी वजह से होता क्या है कि वह सारे सिविल सर्वेंट्स जो रात दिन मेहनत से काम कर रहे हैं देश की नीतियों को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं जिस कुर्सी पर बैठे हैं वहां बैठकर न्याय दे रहे हैं समाज के सभी वर्गों को और समा के सभी वर्गों से आने वाले य आईएस अधिकारी उनको भी लोग इस नजर से देखते हैं जबकि यह दो बिल्कुल अलग-अलग मामले हैं ऐसी एक आईएस अधिकारी है जो विकलांगता को चुनौती देकर आईएएस बनी और टॉप किया था आप उनकी बात सुनिए तो समझ में आएगा कि क्या फर्क है इन आईएएस ऑफिसर्स में और उन आईएस ऑफिसर्स में मेरे हिसाब से शब्द से ज्यादा उसके पीछे आपकी जो भावना है उसका फर्क पड़ता है तो एस पर एक्ट अभी भी डिब ही बोला जाता है तो उसमें क्या दिक्कत है देखिए हमें यह समझना जरूरी है कि एक जगह आप डिसेबल्ड हो बट उसका मतलब यह नहीं कि आप कंपलीटली डिसेबल्ड हो दुनिया में पार्टिसिपेट करने के लिए तो मेरा यह मानना है शब्द से ज्यादा उसके पीछे जो इंटेंट है वो मैटर करती है इंटरनेशनल उसमें अभी भी डिफरेंट ली एबल्ड या डिसेबल्ड ही बोला जाता है कन्वेंशन जो है पर्सन विद डिसेबिलिटी की ही है सो इट इज पर्सन विद डिसेबिलिटी इट इज नॉट डिसेबल्ड पीपल तो बस रिकग्निशन इस बात की है कि आप में कोई एक चीज है जो बाकी लोगों से थोड़ी कम काम करती है बट ऐसा नहीं है कि आप कंपलीटली बाकी लोगों से कम है तो अगर आप विकलांगता भी बोलेंगे तो कोई दिक्कत नहीं है यह थोड़ा पोलाइट वाली चीज है लोग अच्छा सोचना चाहते हैं इसलिए बोलते हैं कि आप सिर्फ दिव्यांग बोलिए बट टेक्निकली यह गलत नहीं है पर एक चलन है सोशल मीडिया पर इन दिनों जहां पर कुछ अधिकारी अतिरिक्त सक्रिय दिखते हैं अपने काम की रील बनाते हैं और उसका बाकायदा प्रचार प्रसार करवाते हैं एक अलग किस्म की धमक चल रही है कुछ लोगों को यह प्रेरित करती है पर कुछ लोगों को लगता है कि जब यह रील बनाने में ही खर्च होते हैं तो काम कब करते हैं ये पॉजिटिव एटीट्यूड नहीं है बिकॉज एक जो जो फाउंडेशन प्रिंसिपल है सिविल सर्विस का वो एनोनिमिटी है सिविल सर्विस सर्वेंट जो है हम ड्यूटी होल्डर्स है हम अपने काम के लिए बकायदा सैलरी मिलती है बकायदा यू नो वी आर प्रोफेशनल्स तो प्रोफेशनल जो कंडक्ट है प्रोफेशनल एथिक है उसके अंदर एनोनिमिटी और रूल ऑफ लॉ जो है वो बहुत जरूरी है बहुत इंपॉर्टेंट है तो मैं इसको एंडोर्स नहीं करता एक सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि क्या यूपीएससी में भी उसी तरह काम होता है जिसकी बानगी हम एनटीएस तमाम दूसरी एजेंसियों में देख चुके हैं इस सवाल को गुनिला आप की उम्मीद रखेंगे उनसे जो सरकार चलाते हैं और हमारी सहूलियत के लिए हम पर नौकरशाह बिठाते हैं आज के ललन टॉप शो में इतना ही लेकिन जाते-जाते कविता सुने जाइए कवि हैं मदन कश्यप और कविता का शीर्षक है नौकर शाह कवि होते थे कभ दरबारी अब तो होते हैं नौकर शाह कवि जनता का दुख दरबार तक नहीं दरबार की चमक दमक और रोब दब जनता तक पहुंचाते हैं नौकर शाह कवि शब्दों की चमक निचोड़ करर अपने जूते चमकाते हैं नौकरशाह कवि और दावा करते हैं कि संस्कृति की पृथ्वी कैसे नाक के फण पर नहीं कच्छप की पीठ पर नहीं उनके जूते की नोक पर टिकी है यह तंज है उन पर जो शक्ति का गुरूर पालते हैं पर यह कतई भ्रम ना पालिए कि सब ऐसे हैं क्योंकि मैं व्यक्तिगत रूप से कई नौकरशाहों को कई ऐसे अधिकारियों को जानता हूं जो ना दिन देखते हैं ना रात जनता की सेवा करते हैं और जिन्हें यह पता होता कि अशोक की लाट के नीचे बैठने का मतलब क्या होता है मतलब सब तक पहुंचे तभी शक्ति के स्रोत के होने का कोई मतलब है क्योंकि शक्ति के साथ संपन्नता नहीं जिम्मेदारी आती है आता है कर्तव्य ललन टॉप पर खबरों का सिलसिला यूं ही आता रहेगा आप बने रहिए हमारे साथ अपना और अपनों का ख्याल रखिए शुभ रात्रि [संगीत]