हाय स्टूडेंट्स वेलकम टू सोशल स्कूल मैं हूं आपकी अनुषा दीदी एंड कैसे हैं मेरे सारे स्टूडेंट्स आई होप आप सब ठीक हो एंड आई आल्सो होप कि आप लोग सुपर रेडी हो आज के सेशन के लिए आगे बढ़ने से पहले जिसने भी जवाइन कर लिया है क्लास को जल्दी-जल्दी कॉमेंट सेक्शन भर दो मुझे आईडिया लग जाए कि हमारे स्टूडेंट्स आ गए हैं क्लास में फिर हम लोग स्टार्ट करते हैं अपना आज का यह सेशन तो मुझे बस एक मिनट का टाइम दो मैं चेक कर लूं कि क्या हम लोग लाइव हैं एंड सब बढ़िया है फिर हम लोग करते हैं स्टार्ट ओके काव्या हाय फाल्गुनी सृष्टि सबको हाय आशीष कैसे हो तुम नमस्ते आशीष जानवी नितिका भूमि सबको हेलो फिजिकल एजुकेशन का पेपर है कल ऑल द बेस्ट ठीक है आई नो आप में से काफी सारे बच्चों का फिजिकल एजुकेशन ऑप्शनल है एंड कल आपका पेपर है ऑल द बेस्ट मचा कर आना पेपर में तुम लोग ठीक है और मुझे पेपर देने के बाद बताना कैसा हुआ पेपर भूमि हाय प्रियांशु हाय आद्या सबको हाय चलो यार सेशन स्टार्ट करते हैं आगे बढ़ने से पहले जो भी न्यू स्टूडेंट्स हैं यहां पर चैनल को सब्सक्राइब कर लो ह्यूमैनिटी से रिलेटेड बेस्ट प्रिपरेशन के लिए जो पुराने स्टूडेंट्स हैं तुम्हें तो पता ही है क्या करना है जल्दी-जल्दी सब लोग लाइक करो वीडियो को सेशन शेयर करो सबको बताओ दीदी लाइव हैं फिर करते हैं हम लोग स्टार्ट एनसीआरटी ओपन करो बच्चों आज के क्लास में हमें एनवायरमेंट एंड नेचुरल रिसोर्सेस इस चैप्टर का वन शॉट करना है मैंने इसी चैनल पर तुम्हें यह चैप्टर पार्ट वन और पार्ट टू में डिटेल्स पलेनेस एनसीआरटी लाइन बाय लाइन भी करा रखा है तो अगर तुम्हें पार्ट्स में धीरे-धीरे समझना है चैप्टर तो तुम्हें वो वीडियो भी मिल जाएगा इसी चैनल पर अ आज की क्लास में वन शॉट होगा इस चैप्टर का ठीक है तो सब लोग रेडी हैं क्लास के लिए स्टार्ट करें कूल है एनसीआरटी ओपन करो स्टार्ट करते हैं और आज के क्लास में सेशन इस चैप्टर को खत्म भी करना है ओके पहला टॉपिक है एनवायरमेंटल कंसर्न्स इन ग्लोबल पॉलिटिक्स आपसे कह रहे हैं कि यह जो बुक है हमारी वर्ल्ड पॉलिटिक्स की इसमें हमने वर्ल्ड पॉलिटिक्स को थोड़ा सा लिमिटेड तरीके से ही डिस्कस करा है ऐसा नहीं है कि वर्ल्ड पॉलिटिक्स के बारे में सब कुछ ही पढ़ लिया थोड़ा लिमिटेड सेंस में हमने पढ़ा हमने वॉर्स के बारे में काफी कुछ पढ़ा हमने अलग-अलग ट्रीटीज अलग-अलग एग्रीमेंट्स के बारे में काफी कुछ पढ़ा हमने पढ़ा कि कैसे अलग-अलग कंट्रीज की पावर कभी बढ़ गई एंड कभी-कभी कुछ कंट्रीज की पावर घटने लग गई हमने अलग-अलग गवर्नमेंट के बीच का जो रिलेशन है जो अलग-अलग गवर्नमेंट्स का हिस्ट्री है व हमने समझा है हमने इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशंस के बारे में भी अलग-अलग एनजीओस के बारे में भी इन डिटेल इस बुक में कुछ-कुछ पढ़ा है है ना फिर कह रहे हैं कि जो हमारा चैप्टर फाइव रहा है चैप्टर फाइव में तो हमने थोड़े और टॉपिक्स को डिस्कस करा हमने गरीबी के बारे में पॉवर्टी के बारे में एपिडेमिक्स अलग-अलग डिजीज के बारे में भी पढ़ा और हमने समझा कि कैसे गवर्नमेंट की ड्यूटी है कि गवर्नमेंट देखे कि देश में गरीबी कम हो देश में लोग हेल्दी रहे यह सब देखना गवर्नमेंट की ड्यूटी है हमने यह भी डिस्कस करा अब हम क्या करेंगे मैं आपको कुछ-कुछ फैक्ट्स बताऊंगी ठीक है और तुम खुद सोचना कि क्या मैं जो तुम्हें ये चीज बता रही हूं क्या यह वर्ल्ड पॉलिटिक्स के अंडर आता है या नहीं ठीक है डू यू थिंक दे फॉल विद इन द स्कोप ऑफ कंटेंपररी वर्ल्ड पॉलिटिक्स अभी कुछ-कुछ एग्जांपल्स मैं तुम्हें बताऊंगी तुम लोग सुनो और बताओ कि क्या ये वर्ल्ड पॉलिटिक्स के टॉपिक के अंडर आता है या नहीं आता है डन चलो तो स्टार्ट करते हैं पहला मुझे टॉपिक तुम लोगों को यह बताना है कि आजकल के टाइम पर कल्ट वेबल एरिया ऐसी जगह जहां पर हम खेती कर सकते हैं कल्ट वेबल एरिया बहुत लिमिटेड है कल्ट वेबल एरिया को हम बढ़ा ही नहीं पा रहे जो हमारे पास एग्रीकल्चरल लैंड है ऑलरेडी उसकी भी फर्टिलिटी बिगड़ती जा रही है मिट्टी खराब होती जा रही है ऑल ओवर द वर्ल्ड जितने भी ग्रास लैंड्स हैं वो भी खत्म होते जा रहे हैं हम ओवर ग्रेजिंग कर रहे हैं हम अपने एनिमल्स को ग्रास लैंड में भेज देते हैं एंड फिर सारा ग्रास लैंड हमारा ओवर टाइम खत्म होता जा रहा है फिशरीज को हम लोग बहुत ज्यादा ओवर एक्सप्लोइट कर रहे हैं ज्यादातर जो वाटर बॉडीज हैं वहां पर हमने भयंकर पोल्यूशन कर दिया है और फूड प्रोडक्शन भी कम होता जा रहा है नेक्स्ट कुछ और डाटा आपको बता रखा है ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट आई थी 2016 में यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम यूएनडीपी रिपोर्ट लेकर आई थी इस रिपोर्ट से हमें पता चला 660 63 मिलियन पीपल इन डेवलपिंग कंट्रीज हैव नो एक्सेस टू सेफ वाटर तो कुछ अराउंड 663 मिलियन लोग हैं डेवलपिंग कंट्री में जिनको पीने लायक साफ पानी तक नहीं मिल रहा है 2.4 बिलियन हैव नो एक्सेस टू सैनिटेशन 2.4 बिलियन ऐसे लोग हैं जिनके पास सैनिटेशन का भी कोई तरीका नहीं है एंड इन रीजंस के वजह से हर साल कुछ अराउंड 3 मिलियन बच्चों की डेथ होती है ठीक है जस्ट बिकॉज हम उन्हें सैनिटेशन या क्लीन वाटर प्रोवाइड नहीं करा पा रहे नेक्स्ट आपको फॉरेस्ट के बारे में भी बता रखा है कि फॉरेस्ट हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट होते हैं फॉरेस्ट से क्या होता है क्लाइमेट हमारा स्टेबल बना रहता है ठीक है और क्या होता है हमारे प्लानेट में ज्यादातर जो प्लांट्स है एनिमल्स हैं वो फॉरेस्ट की वजह से सरवाइव कर रहे हैं और हम लोग क्या करते हैं हमें जब जरूरत पड़ती है हम बिना सोचे समझे फॉरेस्ट को कट डाउन करते जा रहे हैं फॉरेस्ट इन प्लांट्स एंड एनिमल्स का घर होता है तो जब हम बिना सोचे समझे फॉरेस्ट को कट डाउन करते हैं तो जो इतनी सारी स्पीशीज हैं जो अलग-अलग टाइप के प्लांट्स एंड एनिमल्स हैं वो भी धीरे-धीरे कम होने लग जाते हैं और क्या कर रहे हैं हम ओजोन लेयर के बारे में सबको पता है अर्थ के एटमॉस्फेयर में एक लेयर है जिसे हम कहते हैं स्ट्रेटोस्फीयर स्ट्रेटोस्फीयर में एक ले लेयर है जिसे हम कहते हैं ओजोन लेयर ओजोन लेयर हमें सन के हार्मफुल रेडिएशन से बचाता है पर जब हम लोग बहुत ज्यादा पोल्यूशन करते हैं तो ये ओजोन लेयर भी धीरे-धीरे धीरे हटने लग जाता है ओजोन लेयर्स में होल्स डेवलप होने लग गए हैं कोस्टल पोल्यूशन बहुत ज्यादा चल रहा है कोस्टल पोल्यूशन मतलब वाटर पोल्यूशन हम लोग बहुत ज्यादा कर रहे हैं एंड ह्यूमन पॉपुलेशन तो बढ़ती जा रही है तो तो जैसे-जैसे ह्यूमन पॉपुलेशन बढ़ेगी उतना कोस्टल पोल्यूशन भी बढ़ता जाएगा और हमारे मराइन एनवायरमेंट वाटर में जो भी प्लांट्स हैं एनिमल्स हैं उनको बहुत ज्यादा खतरा है इस कोस्टल पोल्यूशन से और क्या कह रहे हैं कि अभी तुमने बहुत सारी अलग-अलग टॉपिक्स के बारे में सुना मैंने कुछ-कुछ डाटा बताया तुम्हें मैंने कुछ-कुछ दिक्कतें बताई तुम्हें वर्ल्ड की हो सकता है आप में से काफी सारे बच्चे सोच रहे हो कि दीदी ठीक है आप जो भी कह रहे हो सब बढ़िया है सब सही है पर आप जो भी कह रहे हो वो शायद हमें ज्योग्राफी में पढ़ना चाहिए आप जो भी कह रहे हो शायद वह पॉलिटिकल साइंस का पार्ट नहीं है यह तो आपको हमें ज्योग्राफी में पढ़ा देना चाहिए था ठीक है तो देखा जाए तो तुम पूरी तरीके से गलत नहीं हो ये टॉपिक्स तुम्हें याद है ज्योग्राफी में लास्ट चैप्टर दो जो था उसमें मैंने तुम्हें ये सब पढ़ाया भी था एयर पोल्यूशन वटर पोल्यूशन तो तुम पूरी तरीके से गलत नहीं हो यह टॉपिक ज्योग्राफी में भी इंपॉर्टेंट है है ना पर यह जो टॉपिक है यह पॉलिटिकल साइंस में भी इंपॉर्टेंट है कैसे यह टॉपिक हम पॉलिटिकल साइंस में क्यों पढ़ रहे हैं आपको क्या लगता है यह देखने की रिस्पांसिबिलिटी किसकी है कि हम सबको एक क्लीन एनवायरमेंट मिले गवर्नमेंट का एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल है एनवायरमेंट को क्लीन मेंटेन करने में क्योंकि गवर्नमेंट इसमें इवॉल्वड है तो यह हमारा पॉलिटिकल साइंस का टॉपिक बन जाए आता है ठीक है एंड आप लोगों ने बार-बार इस बुक में पढ़ा है कि ग्लोबल वार्मिंग एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स यह सब एक देश अकेले नहीं सुलझा सकता सारे देशों को मिलकर काम करना पड़ेगा इसीलिए यह टॉपिक वर्ल्ड पॉलिटिक्स का बहुत इंपॉर्टेंट पार्ट है डन तो अभी आप लोगों के दिमाग में तरह-तरह के क्वेश्चन आ रहे होंगे कि एनवायरमेंटल डिग्रेडेशन करता कौन है एनवायरमेंटल डिग्रेडेशन करने से होता क्या है अर्थ के जो अर्थ के जो नेचुरल रिसोर्सेस हैं वो किसके पास जाएंगे यह सारे क्वेश्चंस आपके दिमाग में आ रहे होंगे इन क्वेश्चंस को थोड़ा होल्ड में रखो जैसे-जैसे हम चैप्टर में आगे बढ़ेंगे यह सारे क्वेश्चंस आपको समझा दिए जाएंगे डन चलो तो कह रहे हैं कि जो एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स है यह कोई नई प्रॉब्लम नहीं है है ना बहुत लंबे टाइम से एनवायरमेंटल इश्यूज हमारे कंट्री में और पूरे वर्ल्ड में में चलते आ रहे हैं पर हमने देखा है कि एनवायरमेंटल प्रॉब्लम रिलेटेड अवेयरनेस कब फैलने लगती है 1960 के बाद 1960 में धीरे-धीरे हम लोग ये डिस्कशन करने लगते हैं कि नहीं यार एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स इंपॉर्टेंट है हमें यह समझना होगा तो 1972 में क्या होता है क्लब ऑफ रोम नाम से एक थिंक टैंक है तो क्लब ऑफ रोम 1972 में एक बुक पब्लिश करती है जिसका नाम था लिमिट्स टू ग्रोथ एंड इस बुक में यह डिस्कस किया जाता है कि कैसे पूरे वर्ल्ड में पॉपुलेशन बहुत तेजी से बढ़ रही है और अगर पॉपुलेशन ऐसे ही तेजी से बढ़ती गई तो क्या होगा एक टाइम ऐसा आएगा जब अर्थ के सारे रिसोर्सेस खत्म हो जाएंगे यह इस बुक में डिस्कस किया गया ठीक है नेक्स्ट क्या हुआ इसी टाइम पर यूएन ईपी यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंटल प्रोग्राम एनवायरमेंट प्रोग्राम यह लोग भी अलग-अलग मीटिंग अलग-अलग कॉन्फ्रेंस रख के बात करने लगते हैं कि यार बहुत सारे एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स हैं हमें इनका सोल्यूशन निकालना है तो इन कुछ इवेंट्स के बाद से एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स को लेकर अवेयरनेस ग्लोबल पॉलिटिक्स में फैलने लग जाती है नेक्स्ट क्या होता है यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट यह लोग क्या करते हैं रियो जनेरो ब्राजील में जून 1992 में यह लोग एक मीटिंग रखते हैं जिसको हम अर्थ समिट कहते हैं ठीक है इनका यह जो कॉन्फ्रेंस था इन लोगों का यह जो मीटिंग था इसे अर्थ समिट कहा जाता है अर्थ समिट में कुछ 17 स्टेट्स 170 कंट्रीज आए थे एंड हजारों एनजीओस और बहुत सारे मल्टीनेशनल कॉरपोरेशंस इस मीटिंग को अटेंड करते हैं ठीक है फाइव इयर्स अर्लिया इससे 5 साल पहले 1987 में एक रिपोर्ट आती है ब्रंटल रिपोर्ट इस रिपोर्ट का नाम था आर कॉमन फ्यूचर इस रिपोर्ट में क्या कहा जाता है कि जैसे हम लोग काम कर रहे हैं अगर हम इसी तरीके से चलते रहे तो एनवायरमेंट बहुत ज्यादा पोल्यूटेंट बल डेवलपमेंट लाने की बहुत ज्यादा जरूरत है ठीक है स्पेशली इन द व्यू ऑफ डिमांड ऑफ साउथ फॉर फर्द इंडस्ट्रियल डेवलप इस लाइन को होल्ड में रखो अभी तुम्हें साउथ का मतलब समझ में नहीं आ रहा होगा अभी एक दो मिनट में हम नॉर्थ और साउथ का मतलब समझेंगे तब आपको यह लाइन क्लियर हो जाएगी तो बेसिकली ब्रेंटले रिपोर्ट ने कहा कि साउथ के जो कंट्रीज हैं वो और ज्यादा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट करना चाहते हैं जिससे और ज्यादा पोल्यूशन होगा तो सस्टेनेबल डेवलपमेंट करना बहुत ज्यादा जरूरी है तो अब ग्लोबल साउथ और ग्लोबल नॉर्थ इस का क्या मतलब होता है पहले वो समझ लेते हैं ठीक है तो ऐसी कंट्रीज जो बहुत ज्यादा रिच है जो बहुत डेवलप्ड है उनको हम ग्लोबल नॉर्थ के कैटेगरी में डालते हैं ये यूएसए जैसी कंट्रीज हैं जो बढ़िया अपना डेवलपमेंट कर चुके हैं जिनके पास बढ़िया अपना पैसा है उनका सब कूल चल रहा है बढ़िया चल रहा है ठीक है कुछ कंट्रीज ऐसी हैं जो कंपैरेटिव काफी गरीब है एंड वो अभी डेवलपमेंट के स्टेज में है ठीक वो यूएसए की तरह डेवलप नहीं हुई है व धीरे-धीरे डेवलपमेंट कर रही हैं उनके यहां पे अभी भी सड़कें इंडस्ट्रीज यह सब बन रहे हैं ऐसे कंट्रीज को हम ग्लोबल साउथ के कैटेगरी में डालते हैं अब आपको ये लाइन आई समझ में एक स्पेशली इन द व्यू ऑफ डिमांड्स ऑफ साउथ फॉर फर्द इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट तो साउथ की कंट्रीज ग्लोबल साउथ की कंट्रीज और इंडस्ट्रीज बनाना चाहती हैं जिससे और पोल्यूशन होगा तो इसीलिए ब्र लैंड रिपोर्ट में कहा गया कि भाई इसीलिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट तो बहुत ज्यादा जरूरी है ठीक है अब आपको समझाया जा रहा है कि ग्लोबल नॉर्थ की जो कंट्रीज है उनके अलग टेंशन है एंड ग्लोबल साउथ की जो कंट्रीज है उनकी दिक्कतें अलग है तो जो ग्लोबल नॉर्थ की कंट्रीज हैं उनको ग्लोबल वार्मिंग उनको ओजोन लेयर हट रहा है इन सबकी थोड़ी ज्यादा टेंशन है ग्लोबल साउथ की जो कंट्रीज है एनवायरमेंट की टेंशन तो उनको भी है पर ग्लोबल साउथ की कंट्रीज ऐसा सोचती है कि यार हमें अपने देश को भी डेवलप करना है हमें इंडस्ट्री बनानी है सड़कें बनानी है हमें सब करना है और साथ ही साथ हमें एनवायरमेंट को भी बचाना है तो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज एक बैलेंस ढूंढने की कोशिश कर रही हैं कि हम डेवलपमेंट भी करना चाहते हैं पर एट द सेम टाइम हम एनवायरमेंट को भी बचा कर रखना चाहते हैं रियो समिट प्रोड्यूस कन्वेंशंस डीलिंग विद क्लाइमेट चेंज कह रहे हैं रियो समिट जो हुआ था उसमें क्लाइमेट चेंज के बारे में बात की गई बायोडायवर्स बायोडायवर्सिटी फॉरेस्ट कैसे बचाना यह सारी यह सारे डिस्कशन वहां पर हुए थे फिर रियो समिट में ना एजेंडा 21 बनाया जाता है एजेंडा 21 बेसिकली एक लिस्ट था जिसमें कुछ-कुछ प्रैक्टिसेस लिखे हुए थे जिससे हम एनवायरमेंट को बचा सकते हैं देयर वाज अ कंसेंसस ऑन कंबाइनिंग इकोनॉमिक ग्रोथ विद इकोलॉजिकल रिस्पांसिबिलिटी यहां पर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की भी बात होती है यहां पर बात करी जाती है कि हमें इकोनॉमी को तो ग्रो करना है देश को तो डेवलप करना ही है साथ ही साथ इकोलॉजिकल रिस्पांसिबिलिटी मतलब हमें एनवायरमेंट को भी बचाना है तो क्या होता है सस्टेनेबल डेवलपमेंट यही तो होता है कि भाई तुम डेवलपमेंट कर लो पर एनवायरमेंट को बचाओ और डेवलपमेंट इस तरीके से करो कि डेवलपमेंट का फायदा तुम्हारे फ्यूचर जनरेशन को भी मिले ठीक है तो यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट को लेकर यहां पर डिस्कशन होता है कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें एजेंडा 21 उतना अच्छा नहीं लगा एंड वह लोग ऐसा कहते हैं कि एजेंडा 21 में तो यह कहा जा रहा है कि इकोनॉमी को कैसे ग्रो करें एजेंडा 21 एनवायरमेंट को बचाने के ऊपर ज्यादा फोकस नहीं कर रहा है एजेंडा 21 में तो इकोनॉमी को ग्रो करने के बारे में ज्यादा बात की जा रही है ठीक है नेक्स्ट लेट लक एट सम ऑफ द कंटेंशियस इशू इन ग्लोबल पॉलिटिक्स कुछ ग्लोबल पॉलिटिक्स में कुछ मेजर एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स को अब हम एक एक करके डिस्कस करते हैं पहला टॉपिक है द प्रोटेक्शन ऑफ ग्लोबल कॉमनस ठीक है यह टॉपिक है हमारा तो यह टॉपिक समझने के लिए सबसे पहले आपको यह शब्द समझना होगा कॉमनस ठीक है कॉमनस का क्या मतलब होता है यह समझते हैं कॉमनस मतलब कोई एक ऐसी चीज जो सिर्फ एक इंसान की नहीं है वो सारे लोगों की है उसे हम कॉमनस कहते हैं जैसे फॉर एग्जांपल मान लो हम सब एक ही मोहल्ले में रहते हैं और उस मोहल्ले में एक पार्क है है ना और हम सब लोग क्या करते हैं क्लास खत्म होते ही शाम को वहां जाकर फुटबॉल खेलते हैं तो वो पार्क हम सबका है ना कोई बच्चा आकर ऐसा तो नहीं बोल सकता कि यार यह पार्क सिर्फ मेरा है तुम सब निकल जाओ बाहर यहां से मैं अकेले फुट खेलूंगा यहां पर नहीं पूरे मोहल्ले का पार्क है वो तो ऐसी चीजें जो सिर्फ किसी एक इंसान की नहीं होती उसे हम कॉमनस के कैटेगरी में गिनते हैं जैसे कि पार्क हो गया या रिवर हो गया यह सब इस कैटेगरी में आते हैं ठीक है अब कुछ इलाके ऐसे होते हैं जिसको हम ग्लोबल कॉमनस कहते हैं ठीक है ग्लोबल कॉमन का क्या मतलब है देयर आर सम एरियाज ऑफ द रीजन ऑफ द वर्ल्ड व्हिच आर लोकेटेड आउटसाइड सोवन जूरिस इक्नॉमी गवर्नेंस बाय इंटरनेशनल कम्युनिटी कुछ इलाके ऐसे हैं हमारे पूरे वर्ल्ड में जो किसी एक देश के नहीं हैं सारे कंट्रीज बोलते हैं कि यह इलाका हमारा है तो ऐसा एरिया पूरे वर्ल्ड में जो सिर्फ किसी एक कंट्री का नहीं है सबका है उसे हम ग्लोबल कॉमन कहते हैं या फिर रेड क मस ह्यूमैनिटस भी कहा जाता है ठीक है तो ग्लोबल कॉमन का एग्जांपल क्या है अर्थ का एटमॉस्फेयर हो गया अर्थ का एटमॉस्फेयर सिर्फ इंडिया का थोड़ी है सबका है है ना ओशन फ्लोर हो गया अंटार्कटिका हो गया ठीक है स्पेस अर्थ के बाहर जो आउटर स्पेस है वो सब हम सबका है उसे हम ग्लोबल कॉमन कहते हैं एंड ग्लोबल कॉमन को मेंटेन करने के लिए अलग-अलग एग्री मेंट्स भी बनाए गए हैं जैसे कि 1959 में अंटार्कटिक ट्रीटी बना था 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल आया था 1991 में अंटार्कटिक एनवायरमेंटल प्रोटोकॉल आया था द हिस्ट्री ऑफ आउटर स्पेस एस अ ग्लोबल कॉमन शोज दैट द मैनेजमेंट ऑफ दिस एरिया इज इन्फ्लुएंस बाय नॉर्थ साउथ इनक्व कह रहे हैं ग्लोबल कॉमन के पूरे एरिया को मेंटेन करना उतना आसान नहीं है जैसे अगर हम बात करें आउटर स्पेस की अगर हम बात करें ओशन फ्लोर की तो चलो मैंने ये तो कह दिया कि अर्थ के बाहर का जो आउटर स्पेस है वो हम सबका है है ना सारे कंट्रीज का है पर हमें क्लियर पता है कि कुछ कंट्रीज ऐसी हैं जो ज्यादा पावरफुल है जिनके पास ज्यादा पैसा है ज्यादा टेक्नोलॉजी है उनके लिए आउटर स्पेस में जाना बहुत आसान है आउटर स्पेस रिलेटेड टेक्नोलॉजी बनाना आउटर स्पेस को एक्सप्लोर करना उनके लिए बहुत आसान है ऑन द अदर हैंड कोई ऐसी कंट्री जो गरीब है जिसके पास टेक्नोलॉजी नहीं है उसे हमने दिलासा तो दिला दिया कि भाई आउटर स्पेस सबका है पर उस कंट्री को पता है ना कि उस कंट्री के लिए आउटर स्पेस में जाना बहुत मुश्किल है कंपेरटिवली यूएसए जैसी कंट्री के लिए आउटर स्पेस में जाना सारा एक्सप्लोर करना बहुत आसान है है ना सेम विद ओशन फ्लोर तो ग्लोबल कॉमनस को मैनेज करना बहुत मुश्किल है क्योंकि डिपेंडिंग ऑन तुम्हारे देश में पैसा कितना है टेक्नोलॉजी कितनी है उतनी इक्वलिटी नहीं रहती ग्लोबल कॉमन के मामले में ठीक है दिस इज इंपॉर्टेंट बिकॉज द बेनिफिट्स ऑफ एक्सप्लोइटेटिव एक्टिविटी अब ऐसी कंट्रीज जिनके पास पैसा ज्यादा है वो आउटर स्पेस में जाएंगे आउटर स्पेस को एक्सप्लोइट करेंगे जो भी उन्हें रिसोर्स मिल रहा है उठा लेंगे है ना और जो कंट्रीज जिनके पास पैसा नहीं है वो यह सब नहीं कर पाएंगे तो ग्लोबल कॉमनस में भी एक थोड़ा सा भेदभाव है ऐसी कंट्रीज जो रिच हैं उनके पास ज्यादा एक्सेस है ग्लोबल कॉमन का नेक्स्ट कॉमन बट डिफरेंशिएबल तो अभी आपने ग्लोबल नॉर्थ के बारे में पढ़ा और ग्लोबल साउथ के बारे में पढ़ा ठीक है कॉमन बट डिफरेंशिएबल का क्या मतलब है कि ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ ये दोनों ही एनवायरमेंट को बचाना चाहते हैं ठीक है पर ग्लोबल नॉर्थ का अप्रोच अलग है ग्लोबल साउथ का अप्रोच अलग है ओके द डेवलप कंट्रीज ऑफ नॉर्थ वांट टू डिस्कस एनवायरमेंटल इशू तो ये जो नॉर्थ की कंट्रीज है जो डेवलप्ड है जिनके पास पैसा है वो एनवायरमेंटल इश्यूज के ऊपर ज्यादा फोकस कर रही हैं है ना और वो कहती है कि हर कंट्री को बराबर तरीके से एनवायरमेंट को बचाना चाहिए पर जो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज हैं जिनके पास कम पैसा है जहां पर इंडस्ट्रीज कम है तो ये कंट्रीज क्या कहती हैं कि हम एनवायरमेंट को तो बचाएंगे पर हमें इंडस्ट्रीज डेवलप करना रोड्स बनाना इन सबका भी हमें मौका दो ठीक है द डेवलपिंग कंट्री ऑफ साउथ फील दैट जो साउथ के डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको क्या लगता है कि उन्हें एक बैलेंस बनाना है उन्हें क्या करना है उन्हें इंडस्ट्रीज भी बनाना है डेवलपमेंट भी करना है साथ ही साथ उन्हें एनवायरमेंट को भी बचाना है इफ दे हैव कॉज मोर डिग्रेडेशन दे मस्ट आल्सो टेक मोर रिस्पांसिबिलिटी अब ग्लोबल साउथ की कंट्रीज एक और चीज कहती है कि इन कंट्रीज में तो नया-नया इंडस्ट्री बन रहा है है ना नया नया डेवलपमेंट स्टार्ट हुआ है तो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज कहती है कि यह जो ग्लोबल नॉर्थ की कंट्रीज है जो रिच है और सारी इंडस्ट्रीज बना चुकी है ज्यादा पोल्यूशन तो इन्होंने करा है है ना इनके यहां जब इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन चल रहा था इन्होंने अपना मस्त भयंकर पोल्यूशन करा और उस टाइम पर किसी ने इन्हें रोका नहीं टोका नहीं और आज के टाइम पर जो भी आपको एनवायरमेंटल पोल्यूशन देखने को मिलता है उसमें से ज्यादातर तो ग्लोबल नॉर्थ की वजह से है क्योंकि उन्होंने उस टाइम पर इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन करा पोल्यूशन करा और किसी ने इन्हें रोका नहीं तो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज कहती हैं कि जब ग्लोबल नॉर्थ की कंट्रीज का ज्यादा योगदान रहा है ज्यादा कंट्रीब्यूशन रहा है पोल्यूशन करने में तो इन लोगों को ज्यादा रिस्पांसिबिलिटी भी लेनी चाहिए ठीक है तो ये ग्लोबल साउथ के कंट्रीज का मानना है नेक्स्ट द डेवलपिंग कंट्रीज आर इन द प्रोसेस ऑफ इंडस्ट्रियल इंडस्ट्रियल इजेशन दे मस्ट नॉट बी सब्जेक्टेड टू द रिस्ट्रिक्शंस तो जो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज है वो कहती है कि यार हम तो अभी-अभी इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन कर रहे हैं हम तो अभी-अभी इंडस्ट्रीज बना रहे हैं तो अगर आप आप हमारे ऊपर भी सेम रोक टोक लगाओगे जो आप यूएसए के ऊपर लगा रहे हो तो हम अपने देश में तरक्की कैसे करेंगे द स्पेशल नीड ऑफ डेवलपिंग कंट्रीज मस्ट बी टेकन इनटू अकाउंट तो ग्लोबल साउथ की कंट्रीज कहती हैं कि जब आप रोक टोक लगाते हो रिस्ट्रिक्शन लगाते हो अलग-अलग कंट्रीज के ऊपर तो आप इस चीज का ध्यान रखो कि डेवलपिंग कंट्रीज को थोड़ा एक स्पेशल नीड की जरूरत है है ना उनके ऊपर कम रोक टोक लगाओ ताकि व अपने देश को तो डेवलप कर पाए ठीक है और यह जो आर्गुमेंट है ना यह आर्गुमेंट रियो रियो समिट जो हुआ था अर्थ समिट जो हुआ था वहां पर लोगों ने मान भी लिया कि हां यार ये लॉजिकल बात हो रही है एकदम ठीक है तो 1992 में जो अर्थ समिट हुआ था वहां पर इसी लॉजिक को कहा गया कॉमन बट डिफरेंशिएबल मतलब ग्लोबल नॉर्थ ग्लोबल साउथ ये दोनों एनवायरमेंट को बचाना चाहते हैं पर दोनों का रिस्पांसिबिलिटी दोनों का अप्रोच अलग रहेगा ठीक है स्टेट्स शैल कोऑपरेट इन द स्पिरिट ऑफ ग्लोबल पार्टनरशिप टू कंजर्व प्रोटेक्ट एंड रिस्टोर दी हेल्थ एंड इंटीग्रिटी ऑफ दी अर्थ इकोसिस्टम इस रियो समिट में अर्थ समिट में यह भी कहा गया कि अलग-अलग कंट्रीज को कोऑपरेट करना चाहिए ताकि हम अर्थ के इकोसिस्टम को बचा पाएं प्रोटेक्ट कर पाएं और फिर से हम रिस्टोर कर पाए ठीक कर पाए इन व्यू ऑफ डि ेंट कंट्रीब्यूशन स्टेट्स हैव कॉमन बट डिफरेंशिएबल ठीक है तो यही कॉमन बट डिफरेंशिएबल का यही मतलब है कि दोनों एनवायरमेंट को बचाना चाहते हैं पर दोनों की रिस्पांसिबिलिटीज अलग होंगी द डेवलप कंट्रीज अनोले द रिस्पांसिबिलिटी दैट दे बेयर इन द इंटरनेशनल परस्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट इन द व्यू ऑफ प्रेशर्स देर सोसाइटीज प्लेस ऑन ग्लोबल एनवायरमेंट एंड ऑफ टेक्नोलॉजिकल एंड फाइनेंशियल रिसोर्स दे कमांड ठीक है तो क्या कहा जा रहा है कि डेवलप्ड कंट्रीज यह मानती हैं कि उनका थोड़ा ज्यादा रिस्पांसिबिलिटी होना चाहिए एंड उनके पास रिसोर्सेस भी ज्यादा है टेक्नोलॉजी भी ज्यादा है तो वो एनवायरमेंट को और एफिशिएंटली बचा सकते हैं नेक्स्ट 1992 में यूएनएफसीसीसी ने क्या करा इन्होंने भी एक डिस्कशन करा ठीक है दे प्रोवाइड दैट पार्टी शुड एक्ट टू प्रोटेक्ट सिस्टम ऑन द बेसिस ऑफ इक्विटी एंड इन अकॉर्डेंस विद कॉमन बट डिफरेंशिएबल तो यूएनएफसीसीसी ने भी 1992 में अपने इन्होंने एक मीटिंग रखी थी तो इन्होंने भी यही कहा कि हां कॉमन बट डिफरेंशिएबल एकदम प्रॉपर प्रिंसिपल है हम भी इसी को फॉलो करेंगे द पार्टीज ऑफ कन्वेंशन एग्रीड दैट लार्ज शेर जो भी कंट्रीज थे इस मीटिंग में उन सबने इस चीज को लेकर एग्री करा कि जो डेवलप्ड कंट्रीज हैं उन्होंने ज्यादा पोल्यूशन करा है उन्होंने ज्यादा इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन करा है ज्यादा इंडस्ट्रीज बनाई है ज्यादा ग्रीन हाउस गैसेस रिलीज करे करा है तो इन्हें रिस्पांसिबिलिटी भी ज्यादा लेनी चाहिए ठीक है तो डेवलप्ड कंट्रीज के कंपैरिजन में डेवलपिंग कंट्रीज जो पोल्यूशन कर रही हैं वह काफी कम है ठीक है तो चाइना इंडिया और बाकी जो डेवलपिंग कंट्रीज रही हैं उन्होंने यह कहा कि क्योटो प्रोटोकॉल में इनको थोड़ी ज्यादा आजादी मिलनी चाहिए अब होता क्या है क्योटो प्रोटोकॉल क्योटो प्रोटोकॉल एक इंटरनेशनल एग्रीमेंट है जहां पर सारे कंट्रीज ने यह डिसाइड करा कि वो लोग ग्रीन हाउस गैस का एमिशन कम करेंगे ग्रीन हाउस गैसेस मतलब कुछ ऐसे गैसेस होते हैं जो जल्दी हीट को ट्रैप कर लेते हैं और इन गैसेस की वजह से ग्लोबल वार्मिंग ज्यादा हो रहा है ठीक है तो क्योटो प्रोटोकॉल में ये एक एग्रीमेंट था इंटरनेशनल एग्रीमेंट था जहां पर कंट्रीज ने डिसाइड करा कि भाई हम अपने ग्रीन हाउस गैस को कम करने की कोशिश करेंगे ठीक है तो कुछ गैसेस हैं कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन हाइड्रो फ्लोरोकार्बन ये सब ग्रीन हाउस गैसेस के कैटेगरी में आती हैं इनसे बहुत ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग होता है क्योटो प्रोटोकॉल कब हुआ था 1997 में जापान में एक जगह है क्योटो वहां पर हुआ था यहां पर इन्होंने यूएनएफ सीसीसी के सारे प्रिंसिपल्स के अकॉर्डिंग एक एग्रीमेंट बनाया था ठीक है चलो तो इस एग्रीमेंट में भी अ यह माना गया कि इंडिया एंड चाइना जैसी जो कंट्रीज हैं यह अभी डेवलपिंग स्टेज में है इनके ऊपर भी लिमिटेशन लगाएंगे कि यार तुम लोग ग्रीन हाउस को कम करो पर इंडिया के ऊपर कंपैरेटिव कम रिस्ट्रिक्शन लगाया जाएगा क्योंकि इंडिया डेवलपिंग स्टेज में इंडिया को डेवलप करने की जरूरत है पर यूएसए जैसी कंट्री के ऊपर ज्यादा रिस्ट्रिक्शन लगाया जाएगा क्योंकि वह अपना बढ़िया डेवलपमेंट कर चुके हैं चलो कॉमन प्रॉपर्टी रिसोर्सेस यह टॉपिक हम स्टार्ट करते हैं ठीक है तो कॉमन प्रॉपर्टी रिप्रेजेंट्स कॉमन प्रॉपर्टी फॉर द ग्रुप द अंडरलाइन नॉर्म हेयर इज दैट मेंबर्स ऑफ द ग्रुप हैव बोथ राइट्स एंड ड्यूटीज विद रिस्पेक्ट टू नेचर लेवल ऑफ यूज एंड मेंटेनेंस ऑफ अ गिवन रिसोर्स इसमें आपसे कहा जा रहा है कि अगर मैं आपसे कह कि यह रिसोर्स हम सबका है ठीक है तो इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ हम हम सब सिर्फ इस रिसोर्स को यूज करके खत्म करेंगे इसका मतलब यह भी है कि हम सबकी रिस्पांसिबिलिटी है कि हम इस रिसोर्स को बचाए हम सबके कुछ राइट्स एंड ड्यूटीज है इस रिसोर्स को लेकर थू म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग एंड सेंचुरी ऑफ प्रैक्टिस मेनी विलेज कम्युनिटीज इन इंडिया हैव डिफाइंड मेंबर राइट्स एंड रिस्पांसिबिलिटी कह रहे हैं कि अगर आप हमारी हिस्ट्री को भी उठाकर देखो इंडिया में बहुत सारी कम्युनिटीज हैं बहुत सारे विलेजेस हैं जिनको अपने राइट्स एंड रिस्पांसिबिलिटीज समझ में आते हैं जैसे आपने देखा होगा कि मान लो ये कोई गांव है हमारे इंडिया में ये कोई विलेज है हमारे इंडिया में एंड इस विलेज के पास मान लो कोई फॉरेस्ट है है ना तो इस विलेज के लोग इस फॉरेस्ट में जाकर वुड इकट्ठा करेंगे फ्रूट्स इकट्ठा करेंगे जो भी चाहिए होगा वो इस फॉरेस्ट से करेंगे पर एट द सेम टाइम हमारे विलेज के लोग इस फॉरेस्ट को बचा कर भी रखेंगे ऐसा नहीं करेंगे कि एकदम जला देंगे खत्म कर देंगे फॉरेस्ट को नहीं उनको समझ में आता है कि यार ये अपना फॉरेस्ट है हमें इसे इसे बचा कर रखने की भी रिस्पांसिबिलिटी हमारी है ठीक है नेक्स्ट कह रहे हैं कि आजकल के टाइम पे प्राइवेटाइजेशन बढ़ रहा है हम लोग खेती बहुत ज्यादा करे जा रहे हैं पॉपुलेशन बहुत तेजी से बढ़ रहा है पोल्यूशन बहुत तेजी से बढ़े जा रहा है तो इन सारे प्रॉब्लम्स के वजह से हमें देखने को मिल रहा है कि एनवायरमेंट हमारा तेजी से बिगड़ता जा रहा है ठीक है नेक्स्ट आपको सेक्रेड ग्रुप्स का कांसेप्ट यहां पर समझा रखा है तो सेक्रेड ग्रूव्स का क्या मतलब होता है मान लो यह कोई फॉरेस्ट है एंड इस फॉरेस्ट को हमारी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया संभाल रही है पर इस फॉरेस्ट के अंदर एक छोटा सा हिस्सा ऐसा है जहां पर हमारे ट्राइबल रहते हैं या एक छोटा सा हिस्सा ऐसा है जो कि हमारे ट्राइब्स के लिए बहुत इंपॉर्टेंट है तो हमारे ट्राइब्स इस हिस्से को बहुत बचा कर रखेंगे यहां पर हंटिंग नहीं करेंगे यहां पर पेड़ पौधों को नहीं काटेंगे अक्सर लोगों का विश्वास होता है कि यहां पर कोई भगवान रहते हैं फॉरेस्ट के कोई स्पिरिट रहते हैं तो इस एरिया को बहुत बचाकर रखा जाता है तो सेक्रेड ग्रुप्स का भी जो कांसेप्ट है उसमें भी यह दिखता है कि हम लोग फॉरेस्ट को यूज़ करते हैं ठीक है पर हम सबकी एक रिस्पांसिबिलिटी भी है कि हम सब मिलकर फॉरेस्ट को बचाएं फॉरेस्ट को प्रोटेक्ट करें नेक्स्ट इंडिया स्टैंड ऑन एनवायरमेंटल इशू तो इंडिया का क्या विज़न है एनवायरमेंटल इश्यूज को लेकर यह समझते हैं तो 1997 में हमने अ इंडिया साइड एंड रटिफिकेशन में क्या करा जो क्योटो प्रोटोकॉल था हमने क्योटो प्रोटोकॉल को साइन करा और बोला कि अब से हम क्योटो प्रोटोकॉल को मानेंगे ठीक है इंडिया एंड चाइना जैसी जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको क्योटो प्रोटोकॉल में थोड़ी ज्यादा आजादी दे रखी थी इस सेंस में कि यह डेवलपिंग कंट्रीज हैं इनको इंडस्ट्रीज बनानी रहेंगी तो इनको थोड़ी आजादी दे दी गई क्योटो प्रोटोकॉल में ठीक है पर कुछ कंट्रीज ऐसी हैं जो कि क्योटो प्रोटो कॉल की इस रूल को उतना पसंद नहीं करती एंड कुछ कंट्रीज का मानना है कि इंडिया एंड चाइना डेवलपिंग कंट्रीज तो हैं पर इन दो कंट्रीज में ग्रीन हाउस गैसेस बहुत ज्यादा बन रहे हैं तो इनके ऊपर भी क्योटो प्रोटोकॉल स्ट्रिक्टली लगना चाहिए ऐसा बहुत सारी कंट्रीज का मानना है ठीक है 8 मीटिंग हुआ था जून 2005 में यहां पर भी इंडिया ने यह चीज पॉइंट आउट करी कि यह लॉजिक गलत है अगर आप इंडिया जैसे कंट्रीज के ग्रीन हाउस गैस एमिशन को देखोगे तो वो डेवलप्ड कंट्रीज के कंपैरिजन में तो बहुत ही ज्यादा कम है तो इंडिया ने इस मीटिंग में भी यह चीज पॉइंट करी कि हम कॉमन बट डिफरेंशिएबल के ऊपर विश्वास रखते हैं ग्लोबल साउथ का पार्ट है इंडिया तो इंडिया को तो अभी डेवलपमेंट करने में टाइम चाहिए तो इंडिया के ऊपर रिस्ट्रिक्शंस कम लगने चाहिए इस चीज को हम हमने जी ए मीटिंग में पॉइंट आउट करा ठीक है नेक्स्ट तो इंटरनेशनल लेवल पर जब भी एनवायरमेंटल इश्यूज की बात होती है तो इंडिया यूएनएफसीसीसी के सारे पॉइंट्स को मानता है दिस एक्नॉलेजेस दैट डेवलप्ड कंट्रीज आर रिस्पांसिबल फॉर मोस्ट हिस्टोरिकल एंड करंट ग्रीन हाउस गैस एमिशन तो यूएनएफसीसीसी में भी यह माना जाता है कि जो डेवलप्ड कंट्रीज हैं उन्होंने ज्यादा पोल्यूशन करा है उन्होंने ग्रीन हाउस गैसेस ज्यादा रिलीज करा है तो डेवलप्ड कंट्रीज के ऊपर ज्यादा रोक टोक लगना चाहिए डेवलप्ड कंट्रीज की ज्यादा रिस्पांसिबिलिटी बनती है कि वह एनवायरमेंटल इश्यूज को लेकर कोई कदम उठाए डेवलपिंग कंट्रीज को थोड़ी बहुत आजादी मिल जानी चाहिए ठीक है पर हाल ही में हमने देखा है यूएनएफसीसीसी में अलग-अलग कंट्रीज ने यह पॉइंट आउट करना स्टार्ट कर दिया है कि ब्राजील चाइना एंड इंडिया जैसी कंट्रीज में बहुत तेजी से इंडस्ट्रीज बन रहे हैं तो बहुत तेजी से पोल्यूशन भी हो रहा है तो इन कंट्रीज के ऊपर जो रोक टोक लग रही है वह हमें बढ़ा देनी चाहिए ऐसा कुछ कंट्रीज ने कहा पर इंडिया इस चीज के खिलाफ है इंडिया ने बार-बार पॉइंट आउट करा है कि डेवलप्ड कंट्रीज के कंपैरिजन में तो हमारे यहां कुछ खास पोल्यूशन हो ही नहीं रहा है ठीक है तो हमारे अंदाजे से 2030 तक आते-आते इंडिया पर कैपिटा जो कार्बन एमिशन करेगा वो 2000 ईयर 2000 में जो ग्रीन हाउस गैस का एमिशन हो रहा था उसका वर्ल्ड एवरेज से भी कम होगा ठीक है तो इंडिया ने बेसिकली यह डटा प्रेजेंट कर रखा है कि 2030 तक भी जब हम पहुंच जाएंगे तो हमारे यहां जो पोल्यूशन हो रहा होगा वो उतना ज्यादा भी नहीं हो रहा होगा कंपेयर टू डेवलप्ड कंट्रीज ठीक है तो यहां पर अगेन आपको कुछ डाटा दे दे रखा है तो इंडिया के ग्रीन हाउस गैसेस के एमिशन के बारे में बात करें तो 2000 में कुछ हम लोग 0.9 टंस पर कैपिटा एमिशन कर रहे थे 2030 तक आते-आते 1.6 टंस तक हम लोग करने लगेंगे मे बी यह पॉइंट सुनकर आपको लग रहा हो कि यार इंडिया तो बस ऐसे ही बोले जा रहा है कि हमें पोल्यूशन करने दो हमें पोल्यूशन करने दो हम डेवलपिंग कंट्रीज हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इंडिया ने बहुत सारे कम लिए हैं एनवायरमेंट पोल्यूशन को कम करने के लिए ठीक है जैसे फॉर एग्जांपल हम लोग इंडियाज नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी लेकर आए थे जिससे हम यह कोशिश कर रहे हैं कि सारे जो व्हीकल्स हैं वो क्लीन फ्यूल को यूज करें ताकि एयर पोल्यूशन कम होने लगे हम लोग एनर्जी कंजर्वेशन एक्ट लेकर आए थे 2001 में इसमें भी हम क्लीनर एनर्जी को यूज करने की कोशिश कर रहे थे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट आया था हमारा 2003 में जिसमें हमने कहा कि हम रिन्यूएबल एनर्जी को ज्यादा यूज करेंगे हम लोग नेचुरल गैस को भी इंपोर्ट कर रहे हैं और कोल रिलेटेड टेक्नोलॉजीज को भी और बेटर तरीके से यूज करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पोल्यूशन कम हो नेशनल मिशन ऑन बायोडीजल भी हमने स्टार्ट करा है 2011 से लेकर 2012 के बीच में बायोडीजल प्रोडक्शन हमने स्टार्ट कर दिया था पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट है उसको हमने अक्टूबर 2016 में साइन करके बोल दिया था कि हम इस एग्रीमेंट को भी मानेंगे एंड एनवायरमेंट को बचाएंगे और इंडिया हैज वन ऑफ द लार्जेस्ट रिन्यूएबल एनर्जी प्रोग्राम पूरे वर्ल्ड में वन ऑफ द लार्जेस्ट रिन्यूएबल एनर्जी प्रोग्राम हमारे देश में इंडिया में चल रहा है ठीक है अ रिव्यू ऑफ इंप्लीमेंटेशन ऑफ एग्रीमेंट्स ऑफ अर्थ समिट वाज अंडरटेकन बाय इंडिया ठीक है तो इंडिया ने अर्थ समिट में जो कुछ भी डिस्कशन हुआ था इंडिया ने रिव्यू करा कि उस डिस्कशन को कितना इंप्लीमेंट किया जा रहा है ठीक है तो अर्थ समिट में ना एक चीज कही गई थी कि जो डेवलप्ड कंट्रीज है उनके पास पैसा ज्यादा है उनके पास टेक्नोलॉजी ज्यादा है तो डेवलप्ड कंट्रीज को क्या करना चाहिए डेवलपिंग कंट्रीज को टेक्नोलॉजी देनी चाहिए ताकि वह अपने पोल्यूशन को कम कर पाए तो जहां पर हो सके डेवलप्ड कंट्रीज को डेवलपिंग कंट्रीज की मदद करनी चाहिए उन्हें रिसोर्सेस दो उन्हें टेक्नोलॉजी दो उन्हें बताओ कि यार तुम कैसे अपने पोल्यूशन को कम कर सकते हो तो ये डिस्कशन हुआ था रियो समिट में तो इंडिया ने इस चीज को पॉइंट आउट करा कि ऐसा तो होता ही नहीं है डेवलप्ड कंट्रीज डेवलपिंग कंट्रीज की मदद कर ही नहीं रही है ना वो डेवलपिंग कंट्रीज को पैसा दे रहे हैं ना वो क्लीन टेक्नोलॉजी बता रहे हैं तो इंडिया ने इस चीज को भी पॉइंट आउट करा है इंटरनेशनल लेवल पर इंडिया का मानना है कि सार्क की जितनी कंट्रीज हैं उन्हें साथ में मिलकर इन सारी चीजों के बारे में आवाज उठानी चाहिए है ना तो एक रीजन के सारे कंट्रीज अगर साथ में आवाज उठाएंगे तो ग्लोबल लेवल पर उस चीज का ज्यादा बड़ा इंपैक्ट होगा ठीक है चलो नेक्स्ट है एनवायरमेंटल मूवमेंट्स वन और मेनी तो अभी तक हमने चैप्टर में यह पढ़ा है कि गवर्नमेंट क्या कर रही है क्या कॉन्फ्रेंस हुए क्या मीटिंग गवर्नमेंट क्या कर रही है एनवायरमेंटल डिग्रेडेशन को कम करने के लिए पर पूरे वर्ल्ड में जो सबसे इंपॉर्टेंट एनवायरमेंटल मूवमेंट्स रहे हैं ना उनमें गवर्नमेंट का ज्यादा कुछ हाथ नहीं था और आम जनता का इवॉल्वमेंट ज्यादा था तो अलग-अलग सक्सेसफुल एनवायरमेंटल मूवमेंट्स के बारे में थोड़ा सा हम पढ़ते हैं तो हमने देखा है ग्लोबल साउथ की जो कंट्रीज हैं वहां पर बहुत सारे फॉरेस्ट मूवमेंट हुए हैं फॉरेस्ट को ब बचाने के लिए मेक्सिको चिले ब्राजील मलेशिया इंडोनेशिया अफ्रीका इंडिया इन सारे एरियाज में काफी सारे मूवमेंट्स हुए हैं तो जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं यहां पर ना बहुत तेजी से फॉरेस्ट क्लीयरिंग मतलब बहुत तेजी से फॉरेस्ट को काटा जा रहा है जिसके वजह से बड़े-बड़े फॉरेस्ट डिस्ट्रॉय हो रहे हैं और बायोडायवर्सिटी हटती जा रही है तो इन एरियाज में हमने देखा है कि लोग आवाज उठाने लग गए हैं कि फॉरेस्ट को कट डाउन मत करो इन कंट्रीज में एक और दिक्कत है इसे हम कहते हैं मिनरल इंडस्ट्री तो आप देखोगे कि डेवलपिंग एरियाज में मिनरल इंडस्ट्रीज ज्यादा आती हैं एंड मिनरल इंडस्ट्रीज क्या करती हैं माइनिंग करती हैं तो माइनिंग करने का क्या मतलब है जमीन के नीचे से रिसोर्सेस को बाहर निकालना अब ये जो माइनिंग का प्रोसेस होता है ना इसमें बहुत ज्यादा एनवायरमेंटल डिग्रेडेशन होता है बहुत पोल्यूशन होता है तो बहुत केमिकल्स का यूज करा जाता है जमीन एकदम बिगड़ जाती है वहां पर अगर कोई फॉरेस्ट है वह सारा हटा दिया जाता है अगर उस एरिया में कोई ट्राइबल कम्युनिटी रहती है तो उनको वहां से भगा दिया जाता है तो मिनरल इंडस्ट्री को तो लोग बहुत ज्यादा क्रिटिसाइज करते हुए आए हैं इसका एक बहुत बढ़िया एग्जांपल है फिलिपींस में एक कॉर्पोरेशन एक कंपनी आई थी वेस्टर्न माइनिंग कॉर्पोरेशन और ये लोग फिलिपींस में माइनिंग करने वाले थे पर फिलिपींस के लोगों ने बहुत हंगामा मचाया कि हम इस कंपनी से यहां पर माइनिंग नहीं करने देंगे अब यह जो कंपनी है वेस्टर्न माइनिंग कॉर्पोरेशन वैसे तो यह एक ऑस्ट्रेलिया बेस्ड मल्टीनेशनल कंपनी है इंटरेस्टिंग डब्ल्यू एमसी को ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने भी बहुत ज्यादा अ प्रोटेस्ट करा है डब्ल्यू एमसी के खिलाफ ठीक है तो यह एक एग्जांपल आपको यहां पर दे रखा है नेक्स्ट जब भी बड़े-बड़े डैम के प्रोजेक्ट मेगा डैम प्रोजेक्ट आते हैं तब भी हमने देखा है कि लोग प्रोटेस्ट करते हैं तो जब कहीं पर डैम बनाया जाता है ना तो भी सेम फॉरेस्ट को कट डाउन कर दिया जाता है वहां से ट्राइबल लोगों को हटा दिया जाता है एंड जो लोग वहां पे जो आसपास रिवर्स होते हैं ना लोग उस रिवर के लिए आवाज उठाते हैं कि इस रिवर को हमें बचाना है यहां पर डैम मत बनाओ तो प्रो रिवर मूवमेंट्स भी होते हैं तो 1980 में फर्स्ट एंटी डैम मूवमेंट हुआ था नॉर्थ का ठीक है तो इसमें क्या था लोग फ्रैंक लिन रिवर को बचाने की कोशिश कर रहे थे फ्रैंकलिन रिवर के आसपास जो फॉरेस्ट है उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे और कहां पर हुआ था यह ऑस्ट्रेलिया में हुआ था ठीक है तो यह बहुत बड़ा एंटी डैम कैंपेन था जिसमें कहा जा रहा था कि हमें फ्रैंकलिन रिवर को बचाना है हमें फ्रैंकलिन रिवर के आसपास के फॉरेस्ट को बचाना है यहां पर डैम मत बनाओ नेक्स्ट टर्की थाईलैंड अफ्रीका चाइना इंडोनेशिया इन सारे एरियाज में भी हमने अलग-अलग अलग मूवमेंट्स देखे हैं मेगा डैम के खिलाफ हमारे इंडिया में भी आपने सुना होगा नर्मदा बचाव आंदोलन हुआ था ठीक है तो यह भी एक एंटी डैम मूवमेंट ही था जनरली आप देखोगे कि जितने भी एनवायरमेंटल मूवमेंट्स होते हैं ना वो उसमें वायलेंस का यूज नहीं करा जाता जैसे ये फ्रैंकलिन रिवर का हो गया नर्मदा बचाओ आंदोलन हो गया इसमें वायलेंस यूज नहीं करा जाता और आम लोग ज्यादा पार्टिसिपेट करते हैं एनवायरमेंट को बचाने के लिए ओके नेक्स्ट रिसोर्स जिओ पॉलिटिक्स ठीक है रिसोर्स जिओ पॉलिटिक्स का क्या मतलब है कि हमारे वर्ल्ड के जो रिसोर्सेस हैं वह किसके पास जाएंगे कौन रखेगा उस रिसोर्स को तो जब हम रिसोर्सेस को वर्ल्ड पॉलिटिक्स के सेंस में समझते हैं तो वो रिसोर्स जिओ पॉलिटिक्स कहलाता है तो रिसोर्सेस को लेकर बहुत ज्यादा इंटेंस राइवल्री चलती है अलग-अलग देशों में एक राइ लरी चलती है कि रिसोर्स सबसे ज्यादा कौन सा देश अपने पास रखेगा ठीक है तो हमने देखा है कि ट्रेड वॉर पावर इन सबसे बहुत ज्यादा इन्फ्लुएंस पड़ता है कि रिसोर्स कौन से कंट्री के हाथ में जाएगा तो आपको बहुत पहले की बात बताई जा रही है 17 सेंचुरी के अराउंड क्या था ट्रेड करने के लिए सी रूट बहुत इंपॉर्टेंट होता था ब्रिटिशर्स भी सारा सी रूट यूज करके इंडिया आए थे फिर इंडिया में सारा उन्होंने लूट मचाया था तो उस टाइम पर सी पावर को यूज करने के लिए वुड टिंबर की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती थी तो एक टाइम ऐसा था जब हर एक देश टिंबर को इकट्ठा करने में लगा हुआ था अपने पावर को बढ़ाने के लिए ठीक है टाइम के साथ-साथ हमने देखा ऑयल एक बहुत इंपॉर्टेंट रिसोर्स बनता जा रहा है फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में भी सेकंड वर्ल्ड वॉर में भी ऑयल बहुत इंपॉर्टेंट रिसोर्स हमारा रहा है ठीक है नेक्स्ट क्या कह रहे हैं है कोल्ड वॉर के दौरान भी यूएसए एंड सोवियत यूनियन एक रेस में लगे हुए थे कि सबसे ज्यादा रिसोर्स कौन इकट्ठा करके अपने पास रखेगा तो यह लोग क्या करते थे यह लोग मिलिट्री का यूज करते थे रिसोर्सेस छीनने के लिए ठीक है और क्या करते थे यह लोग अ सारे एरियाज में एक्सप्लोइटेशन करते थे अपने सी लेन कम्युनिकेशन वाटर का वाटर ट्रांसपोर्टेशन को भी यूज करते थे रिसोर्सेस इकट्ठा करने में स्टॉक पाइलिंग करना स्टॉक पाइलिंग करना मतलब हो सकता है तुम्हें एक रिसोर्स की जरूरत ना हो पर तुम उसे इकट्ठा करे जा रहे हो यह सोचकर कि यह रिसोर्स इंपॉर्टेंट है आगे जाकर मैं इसे यूज करूंगा स्टॉक पाइलिंग किया करते थे यह लोग ऐसे कंट्रीज जहां पर रिसोर्सेस ज्यादा है उनसे यह फ्रेंडली रिलेशंस मेंटेन करने की कोशिश करते थे एमएनसी को सपोर्ट करते थे इंटरनेशनल एग्रीमेंट्स बनाते थे रिसोर्सेस ताकि इन लोगों को मिल जाए ठीक है आफ्टर द एंड ऑफ़ कोल्ड वॉर एंड डिस इंटीग्रेशन ऑफ़ सोवियत यूनियन द सिक्योरिटी ऑफ़ सप्लाई कंटिन्यूज टु वरी गवर्नमेंट एंड बिज़नेस डिसीजन कह रहे हैं कि उसके बाद तो चलो ठीक है सेकंड वर्ल्ड वॉर खत्म हो गया कोल्ड वॉर भी खत्म हो गया सोवियत यूनियन भी टूट गया पर आज के टाइम पर भी रिसोर्सेस इकट्ठा करना हर एक कंट्री के लिए एक इंपॉर्टेंट चीज़ है एंड आज के टाइम पर भी ग्लोबल स्ट्रैटेजी ग ग्लोबल पॉलिटिक्स में ऑयल का एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल है ठीक है तो ऑयल के बारे में थोड़ा समझते हैं ऑयल एज अ रिसोर्स के बारे में समझते हैं तो ऑयल एक बहुत इंपॉर्टेंट फ्यूल है हर कंट्री को ऑयल की जरूरत होती है ऐसे देश जिनके यहां पर ऑयल प्रोडक्शन चल रहा है उनके वहां पर बहुत पैसा वेल्थ इकट्ठा होता है ऑयल के वजह से एंड हर कंट्री ये चाहती है कि ऑयल के मामले में उनका अपर हैंड बना रहे है ना चलो तो वेस्ट एशिया की अगर हम बात करें वेस्ट एशिया में भी गल्फ रीजन की अगर हम बात करें तो गल्फ रीजन जो है हमारे वर्ल्ड का वह 30 पर ग्लोबल ऑयल का प्रोडक्शन करता है और हमारे अंदाजे से इनके पास पूरे अर्थ में 64 पर ऑयल रिजर्व्स तो गल्फ रीजन में ही है और क्या बताया जा रहा है सऊदी अरेबिया जो है यह लार्जेस्ट प्रोड्यूसर है ऑयल का सऊदी अरेबिया के बाद सेकंड कौन चल रहा है इराक सऊदी अरेबिया सबसे ज्यादा प्रोडक्शन कर रहा है पूरे वर्ल्ड में जितने भी रिजर्व्स हैं उसमें से क्वार्टर रिजर्व तो सऊदी अरेबिया के पास ही है सऊदी अरेबिया के बाद इराक के पास भी बहुत ज्यादा रिजर्व्स है ठीक है और कह रहे हैं कि इराक में तो बहुत सारा एरिया ऐसा है जिसको पूरे तरीके से एक्सप्लोर भी नहीं किया गया तो इराक में तो और भी चांसेस है कि जो एरिया एक्सप्लोर नहीं करे वहां पर प भी वहां पर भी हो सकता है ऑयल निकल आए नेक्स्ट क्या कह रहे हैं यूनाइटेड स्टेट यूरोप की कंट्रीज जापान इंडिया एंड चाइना यह लोग पेट्रोलियम को बहुत ज्यादा यूज करते हैं यह लोग पेट्रोलियम को बहुत ज्यादा कंज्यूम करते हैं ऑयल के अलावा एक और बहुत इंपॉर्टेंट रिसोर्स है वह है वाटर यह तो मुझे समझाने की जरूरत ही नहीं है तुम सबको पता है कि पानी बहुत इंपॉर्टेंट रिसोर्स है एक दिन भी पानी के बिना इमेजिन करना कितना मुश्किल हो जाता है पानी के साथ आप देखोगे रीजनल वेरिएशन बहुत है रीजनल वेरिएशन मतलब कुछ एरियाज में आपको पानी बहुत बहुत अच्छे से आराम से शुद्ध पानी मिल जाएगा कुछ एरियाज में पानी की बहुत ज्यादा कमी है आपको अच्छे क्वालिटी का पानी आसानी से नहीं मिलेगा तो 21 सेंचुरी में हमारे अंदाजे से बहुत सारे कॉन्फ्लेट्स होंगे पानी को लेकर ऑलरेडी हो रहे हैं ठीक है ऑलरेडी कंट्रीज लड़ रहे हैं पानी को लेकर आगे जाकर तो ये दिक्कत और ज्यादा बढ़ेगी वर्ल्ड पॉलिटिक्स में बहुत सारे लोग कहते हैं कि वाटर वॉर्स हो सकते हैं ठीक है पानी को लेकर जब हम वायलेंट तरीके से कंफ्लेक्स कहा जाता है तो पानी को लेकर रिवर को लेकर एक और दिक्कत बहुत लंबे टाइम से चलती आ रही है वह है डाउन स्ट्रीम और अप स्ट्रीम की दिक्कत यह मैं समझाती हूं तुम्हें मान लो एक नदी बहती हुई जा रही है ऐसे ठीक है और मान लो यहां पर एक कंट्री है और मान लो यहां पर भी एक कंट्री है ठीक है तो पानी नदी का पानी यहां यहां पर कोई एक माउंटेन है उस माउंटेन से बहता हुआ ऐसे नीचे की तरफ जा रहा है तो नीचे वाली जो कंट्री है ना वो अक्सर यह कंप्लेन करती है कि ऊपर वाली जो कंट्री है वो यहां पर नदी के पानी को रोक रही है या वो यहां पर पोल्यूशन कर रही है पानी को खराब कर रही है हम तक कम पानी पहुंच रहा है हम तक गंदा पानी पहुंच रहा है तो ये जो इलाका है ये डाउन स्ट्रीम का इलाका है और यह जो इलाका है वो अप स्ट्रीम का इलाका है तो डाउन स्ट्रीम की कंट्रीज हमेशा कुछ ना कुछ कंप्लेन करती रहती हैं कि हम तक पोल्यूटेड वाटर आ रहा है कम पानी आ रहा है तो ये एक कॉन्फ्लेट तो रिवर वाटर को लेकर चलता ही रहता है नेक्स्ट आपको बताया जा रहा है कि ऑलरेडी बहुत सारे एरिया में रिवर वाटर को लेकर लड़ाई झगड़े चल रहे हैं इजरेल सीरिया जॉर्डन 1950 और 1960 में बहुत कंफ्लेक्स इशू को लेकर कि यारम रिवर को कैसे शेयर किया जाएगा टर्की सीरिया इराक यह लोग यूफ्रेट्स नदी को लेकर लड़ते झगड़ते रहते हैं ठीक है अ नंबर ऑफ स्टडी शो दैट कंट्रीज दैट शेयर रिवर एंड मेनी कंट्रीज डू शेयर रिवर आर इंवॉल्वड इन मिलिट्री कंफ्लेक्स करी और हमने देखा कि अक्सर ऐसे कंट्रीज जो नदी के पानी को शेयर कर रहे होते हैं उन कंट्री के बीच में कुछ ना कुछ मिलिट्री कॉन्फ्लेट तो होता ही होता है नेक्स्ट इंडिजन अस पीपल एंड देयर राइट्स ये टॉपिक समझते हैं ठीक है तो इंडिजन पीपल का मतलब है सीधा-सीधा इंडिजन अस पीपल का मतलब है जैसे हम कहते हैं ना ट्राइब्स आदिवासी लोग तो उन्हीं को ही इंडिजन पीपल कहा जा रहा है ठीक है तो एनवायरमेंट रिसोर्स और पॉलिटिक्स को लेकर इंडिजन पीपल भी बहुत कंप्लेन करते हैं कि उन्हें ज्यादा राइट नहीं मिल र तो यूनाइटेड नेशन ने इंडिजन पीपल को लेकर एक डेफिनेशन दे रखी है कि इंडिजन उस पीपल कौन होते हैं यूनाइटेड नेशन ने कहा दे डिफाइन इंडिजन पॉपुलेशन एज कंप्रा इजिंग द डिसेंडेंट्स ऑफ पीपल हु इन्हेबिटेड द प्रेजेंट टेरिटरी ऑफ अ कंट्री एट द टाइम व्हेन पर्सन ऑफ डिफरेंट कल्चर और एथनिक ओरिजिन अराइव देयर फ्रॉम अदर पार्ट ऑफ द वर्ल्ड एंड ओवरकेम देम मान लो ये कोई जमीन है और बहुत सालों से यहां पर कुछ लोग कुछ कम्युनिटीज रहते आ रहे हैं कुछ सालों के बाद क्या हुआ यहां पर ब्रिटिशर्स आ गए और ब्रिटिशर्स ने इस एरिया के ऊपर कब्जा कर लिया तो अगर आप उन लोगों में से हो जो बहुत सालों से इस एरिया में रह रहे हैं अगर आप उन लोगों के फैमिली में से कोई हो जो बहुत टाइम से इसी एरिया में रहते हुए आ रहे हैं तो आप इंडिजन पॉपुलेशन के कैटेगरी में आ जाओगे ठीक है इंडिजन अस पीपल टुडे लिव मोर इन कन्फॉर्मिंग विद देयर पर्टिकुलर सोशल इकोनॉमिकल एंड कल्चरल कस्टम इंडिजन उस लोग जो होते हैं उनके थोड़ा कल्चर उनका सोसाइटी सब अलग होता है इंडिया में भी अगर आप ट्राइबल लोगों को देखो तो वो थोड़ा अलग रहते हैं उनका कल्चर उनके कस्टम्स वो सब अलग होते हैं ठीक है इन द इंडिजन उस लोग हैं इंडिया में भी है उन लोगों का क्या मानना है उन लोगों का क्या सोचना है वर्ल्ड पॉलिटिक्स से रिलेटेड यह समझने की कोशिश करते हैं तो पहले तो आपको थोड़ा डाटा दिया जा रहा है कि यार इंडिजन पीपल हर जगह बहुत सारे हैं ठीक है जैसे 20 लाख इंडिजन पीपल आपको फिलिपींस में कॉर्डिलेरा रीजन में मिल जाएंगे 10 लाख चिले में मिल जाएंगे 6 लाख ट्राइबल चिता गंग हिल ट्रैक बांग्लादेश में मिल जाएंगे 35 लाख नॉर्थ अमेरिकन नेटिव्स हैं 50000 आपको पनामा कैनाल रीजन के अलोंग मिल जाएंगे 10 लाख सोवियत नॉर्थ रीजन में तो बहुत सारे एरियाज में काफी सारे इंडिजन लोग रहते आ रहे हैं ठीक है और यह जो इंडिजन लोग हैं इन लोगों का अपना स्ट्रगल रहा है और इन लोगों ने अक्सर आवाज भी उठाई है यह कह के कि इन्हे अपने राइट्स मिल नहीं रहे हैं ठीक है तो अक्सर ऑल ओवर द वर्ल्ड जो इंडि इंडि जनस लोग हैं वो क्या कहते हैं एडमिशन ऑफ इंडिजन पीपल टू द वर्ल्ड कम्युनिटी एज इक्वल तो ऑल ओवर द वर्ल्ड जितने इंडिजन लोग हैं वह कहते हैं कि हमें भी वर्ल्ड कम्युनिटी का हिस्सा बनाओ हमें भी बराबर तरीके से वर्ल्ड पॉलिटिक्स का पार्ट बनाओ ठीक है तो हमने देखा है साउथ ईस्ट एशिया सेंट्रल और साउथ अमेरिका अफ्रिका इंडिया यहां पर इंडिजन पीपल बहुत ज्यादा है ठीक है एंड अक्सर यह लोग अलग-अलग रीजंस में जो ट्राइबल लोग होते हैं इनकी अक्सर सेम सी ही डिमांड होती है यह लोग कहते हैं सिंस टाइम इमेमोरियल मतलब बहुत लंबे टाइम से हम इस एरिया में रहते हुए आ रहे हैं तो हमें भी राइट्स मिलने चाहिए हमें भी इक्वल ट्रीटमेंट मिलनी चाहिए ठीक है तो कह रहे हैं इरेस्पेक्टिव ऑफ ज्योग्राफिकल लोकेशन इ रिस्पेक्टिव ऑफ ज्योग्राफिकल लोकेशन मतलब हो सकता है ट्राइबल लोग अलग-अलग जगह पर रहते हो पर सर इनके कंप्लेंट सेम होते हैं यह लोग कहते हैं कि यार लॉस ऑफ लैंड हो रहा है तो क्या होता है इन लोगों से जमीन छीन ली जाती है ऐसा एरिया जिनको यह घर मानते आ रहे हैं बहुत लंबे टाइम से वो एरिया सडन इनसे छीन ली जाती है इनसे इनके रिसोर्सेस छीन लिए जाते हैं तो हो सकता है ट्राइबल लोग अलग-अलग एरिया में रहते हो पर इनके डिमांड्स तो सेम ही चल रहे हैं इंडिया में इंडिजन लोगों को हम ट्राइबल कैटेगरी में गिनते हैं ठीक है एंड कुछ कुछ शेड्यूल ट्राइब्स भी हैं हमारे इंडिया में हमारे पॉपुलेशन में कुछ अराउंड 8 पर शेड्यूल ट्राइब्स हैं ठीक है नेक्स्ट क्या कह रहे हैं ज्यादातर जो ट्राइबल लोग हैं वो खेती के ऊपर निर्भर रहते हैं कुछ लोग हंटिंग करते हैं कुछ लोग गैदरिंग करते हैं एंड इस तरीके से इनका लाइवलीहुड चलता है तो क्या था कि बहुत सालों से ये लोग इंडिया में रह रहे हैं अलग-अलग फॉरेस्ट फॉरेस्ट अलग-अलग एरियाज में ये लोग रह रहे हैं फिर क्या होता है ब्रिटिशर्स आते हैं ब्रिटिशर्स हमारे फॉरेस्ट के ऊपर कब्जा कर लेते हैं एंड इन ट्राइबल से बोल दिया जाता है कि भाई अब तुम फॉरेस्ट में नहीं रह सकते तुम अब फॉरेस्ट के रिसोर्सेस को यूज नहीं कर सकते तो अचानक से जो ट्राइबल लोग हैं उनको फील होता है कि हमसे तो सारा राइट हमारा छीन लिया गया है ठीक है तो आज के टाइम पे संविधान के थ्रू हम इन्हें प्रोटेक्ट कर रहे हैं हम इन्हें पॉलिटिकल रिप्रेजेंटेशन देने की कोशिश कर रहे हैं पर फिर भी हम ऐसा नहीं कह सकते कि 100% तरीके से इनकी सारी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई है ठीक है दे हैव पेड अ ह्यूज कॉस्ट फॉर डेवलपमेंट सिंस दे आर द सिंगल लार्जेस्ट ग्रुप अमंग द पीपल डिस्प्लेस कह रहे हैं कि जब भी डेवलपमेंट की बात होती है तो सबसे ज्यादा ट्राइबल लोगों को परेशान किया जाता है ट्राइबल लोगों का जो ग्रुप है इन्हीं को सबसे ज्यादा एक जगह से हटाया जाता है जब कोई डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट होता है तो मान लो हमारी गवर्नमेंट सोचती है कि यार यहां पर डैम बनाएंगे तो जब डैम बनाने जाते हैं तो उस फॉरेस्ट वाले एरिया में जनरली हमारे ट्राइब्स रह रहे होते हैं तो इन ट्राइब्स को वहां से डिस्प्लेस कर दिया जाता है तो इस चीज से ट्राइबल कम्युनिटी बहुत ज्यादा परेशान है ठीक है नेक्स्ट क्या कह रहे हैं कि डोमेस्टिक पॉलिटिक्स में भी इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में भी इंडिजन कम्युनिटी से रिलेटेड जो प्रॉब्लम्स हैं उनको काफी अच्छे से एड्रेस नहीं करा जा रहा 1970 में क्या हुआ अलग-अलग देश में अलग-अलग जो ट्राइबल कम्युनिटी के लोग थे उनके बीच में कंटक्ट थोड़ा बढ़ने लग गया इसी के चलते 1975 में वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजन पीपल बनाया जाता है द काउंसिल बिकम सबसीक्वेंटली द फर्स्ट ऑफ 11 इंडिजन एनजीओस टू रिसीव कंसलटेटिव स्टेटस इन द यूएन यह जो वर्ल्ड काउंसिल ऑफ इंडिजन पीपल है इनके काउंस को कंसलटेटिव स्टेटस भी दे रखा है किसने यूनाइटेड नेशंस ने इसी के साथ बच्चों हमारा यह चैप्टर फिनिश हो गया है कन्फे टाइम वेरी गुड सब लोग क्लैपिंग करो तुम लोगों ने एक और चैप्टर फिनिश कर लिया है अब पहले बुक में तो एक ही चैप्टर रह रहा है एनीवे भागो मत कुछ चीजें सुनकर जाओ आज रात को 9 बजे मैं एक फ्री क्लास लूंगी जहां पर हम इस चैप्टर का पोल सेशन रखेंगे सारे बच्चे आ जाना उस क्लास में और वो जो पोल सेशन है वो अनअकैडमी के फ्री क्लास में होगा तो आप सोशल स्कूल के टेलीग्राम चैनल को जवाइन करो मैं वहां पर भी लिंक डलवा दूंगी आज के 9 पीएम वाले क्लास का ओके तो अब हमने क्योंकि पूरा चैप्टर खत्म कर लिया है तो मैं तुम्हें एक छोटू सा होमवर्क दे रही हूं जिसको भी इस क्वेश्चन का आंसर पता है जब यह क्लास खत्म हो जाएगी नीचे कमेंट सेक्शन में बताना द अर्थ समिट वास हेल्ड एट अर्थ समिट कहां पर हुआ था लंदन न्यूयॉर्क न्यू दिल्ली रियो दे जनेरो कहां पर हुआ था अर्थ समिट हमारा यह आप लोगों को नीचे जब क्लास खत्म हो जाएगी कॉमेंट सेक्शन में बताना है मैं सारे बच्चों के कमेंट्स देखती हूं मुझे आईडिया लग जाएगा कि कौन-कौन अच्छे से दिल से तैयारी कर रहा है चलो तो क्लास 12थ आप लोगों का तो बैच खत्म होने जा रहा है हमारे साथ पर जो बच्चे आप क्लास 11 से 12थ में जा रहे हैं उन लोगों के लिए एक नया बैच स्टार्ट हो रहा है मार्च 15 से जो भी बच्चे इंटरेस्टेड हैं आप इस बैच को जवाइन करो अगर आप लोग किसी क्लासमेट या दोस्त को जानते हो जो 11 से 12थ में आ रहे हैं तो उनको बताओ कि अनुषा दीदी एक बैच लेकर आई हैं ह्यूमैनिटीज का जो भी बच्चे जवाइन करना चाहते हैं क्लास 12थ कहकर एक लिंक दे रखा है वीडियो के डिस्क्रिप्शन में उस लिंक के ऊपर क्लिक करो यह पेज ओपन होगा जितने महीने तक आपको हमारा बैच चाहिए वह सेलेक्ट करो यहां पर एक ऑप्शन है हैव अ रेफरल कोड तो यहां रेफरल कोड में आपको लिख देना है अनु्या ए एन यू एस एच वाई ए जैसे ही आप यहां पर अनुषा लिखोगे अनअकैडमी में तुम्हारी दीदी का नाम चलता है जैसे ही तुम यहां पर अनुष्य लिखोगे तुम्हें सबसे ज्यादा डिस्काउंट मिलेंगे फिर प्रोसीड टू पे के ऊपर क्लिक करो अपना पेमेंट करो और आपको हमारी क्लासेस दिखने लग जाएंगी चलो बच्चों तो आज मेनली मुझे आप लोगों को इतना ही बताना था आई होप यह सेशन आपको हेल्पफुल लगा अगर ऐसा है तो वीडियो को लाइक जरूर करना एंड शो योर लव एंड सपोर्ट इन दी कॉमेंट सेक्शन चलो बच्चों अभी के लिए इतना ही अब हम लोग रात को 9:00 बजे मिलेंगे इस चैप्टर के एमसीक्यू करेंगे और फिर कल 3:30 पीएम लाइव मिलेंगे चैप्टर का वन शॉट करने ठीक है चलो बच्चों अभी के लिए इतना ही मिलते हैं लाइव रात को 9:00 बजे टिल देन बाय बाय टेक केयर एंड थैंक यू