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एम एन श्रीनिवास और डोमिनेंट कास्ट
Aug 22, 2024
एम एन श्रीनिवास और डोमिनेंट कास्ट
परिचय
विषय: भारतीय समाजशास्त्री एम एन श्रीनिवास की स्टडी "डोमिनेंट कास्ट"
प्रकाशित: 1976 में "द रिमेंबर्ड विलेज"
डोमिनेंट कास्ट की परिभाषा
डोमिनेंट कास्ट तब मानी जाती है जब:
संख्या के अनुसार वे अधिक होते हैं (Numerical strength)
उनके पास आर्थिक (Economic) और राजनीतिक (Political) शक्ति होती है
डोमिनेंट कास्ट आमतौर पर मध्य स्तर की स्थिति में होते हैं
न तो बहुत ऊँचे और न ही बहुत नीचें
डोमिनेंट कास्ट का विकास
स्वतंत्रता के बाद ज़मीन सुधारों (Land reforms) के दौरान:
पहले केवल उच्च जातियों (जैसे ब्राह्मण और राजपूत) के पास ज़मीन की स्वामित्व थी
भूमि स्वामित्व का स्थान उन लोगों को दिया गया जो गांवों में रहकर कृषि कार्य करते थे
परिणामस्वरूप, इंटरमीडिएट कास्ट आर्थिक रूप से शक्तिशाली बन गईं
इकोनॉमिक शक्ति के कारण उन्हें पंचायत और क्षेत्रीय राजनीति में अधिक प्रतिनिधित्व मिला
उदाहरण
भारत के विभिन्न राज्यों में डोमिनेंट कास्ट:
यादव (बिहार, यूपी)
ओ कालीका (कर्नाटका)
मराठा (महाराष्ट्र)
जाट (हरियाणा, पंजाब)
पटेल (गुजरात)
एम एन श्रीनिवास के विचार
डोमिनेंट कास्ट में पश्चिमी शिक्षा और सरकारी नौकरियों की उपलब्धता
डोमिनेंट कास्ट समाज में एकता बनाए रखने का कार्य करते हैं
उदाहरण: रामपुरा गांव के बुजुर्ग स्थानीय विवादों को सुलझाते थे
एंड्रे पेटे का योगदान
1965 की स्टडी "कास्ट, क्लास एंड पावर"
ब्राह्मण पहले ज़मीन के मालिक थे और उनके पास अधिक शक्ति थी
भूमि सुधारों के बाद नॉन-ब्राह्मणों ने सत्ता में वृद्धि की
न्यूमेरिकल स्ट्रेंथ अब शक्ति का एक महत्वपूर्ण आधार बन गया है
कास्ट और राजनीति का संबंध
रजनी कोठारी का विचार: "पॉलिटिसाइजेशन ऑफ कास्ट" एक डबल प्रक्रिया है
कास्ट को राजनीति की जरूरत है, और राजनीति को कास्ट की जरूरत है
निष्कर्ष
समाजशास्त्र में उत्तर लिखते समय विभिन्न विषयों को जोड़ने का प्रयास करें
जैसे डोमिनेंट कास्ट, कास्ट सिस्टम, और राजनीति
होलिस्टिक उत्तर बनाना महत्वपूर्ण है, जो अच्छे अंकों के लिए सहायक होगा.
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