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Marriage and Relationships in "Ha Kabhi Main Kabhi Tum

[संगीत] मेरी मर्जी के बगैर तुम्हें मुस्तफा से ब्याह कर लाए हैं वरना मैं तुम्हें कभी ब्याह के ना लाती मुस्तफा से बीवी समझदार हूं ना नकारा शौहर को भी चला लेती बहुत बड़ी गलती हुई मुझसे जो मैंने अपनी हीरे जैसी बेटी इस शख्स के साथ बहा शना मैं ना तुम्हे डिजर्व करता ही नहीं हूं तुम्हारे लिए तो कोई बहुत शानदार आदमी होना चाहिए ना मुझे पता है ये शादी तुम्हारी मर्जी से नहीं हुई लेकिन आप कर लिए ना तने भा ये आज के दिन के लिए जिंदा था कि मेरे दोनों बेटे तर लड़ मुझे मेरे घरवालो ने सिखाया कि दुनिया में इजत सिर्फ पैसे की हो मे और उसकी सोच में बहुत फर्क आ गया व मुस्तफा नहीं र जिससे मुझे कभी मोहब्बत हुआ करती थी और जो व बन गया है मुझे नहीं लगता मैं उस जिंदगी गुजार पा आ माय [संगीत] हा कभी मैं कभी तुम देखिए 2 जुलाई से हर पीर और मंगल रात 8 बजे सिर्फ ए आरवा डिजिटल पर