रायदम देसाई के साथ साक्षात्कार - मॉर्गन स्टेनली

Jul 10, 2024

रायदम देसाई के साथ साक्षात्कार - मॉर्गन स्टेनली

मुख्य बिंदु:

एफआईआई और भारतीय बाजार:

  • रायदम देसाई जी, मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ इक्विटी स्ट्रेटजिस्ट, मॉर्गन स्टेनली, भारत की पहली एफआईआई के हिस्से हैं।
  • मॉर्गन स्टेनली 26 सालों से भारतीय बाजार में सक्रिय हैं और इनके तहत पहली कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई थी।
  • रायदम के अनुसार, भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति और भविष्य के बारे में व्यापक दृष्टिकोण।
  • भारतीय बाजार में निवेशकों की उच्चतम रुचि बनी हुई है, हालांकि वैश्विक निवेशक मूल्याकंन से चिंतित हैं।

भारतीय इक्विटी मार्केट का विकास:

  • भारतीय बाजार में रिटेल निवेशक जागरूक और परिचित अधिक हैं।
  • विदेशी निवेशकों की तुलना में स्थानीय निवेशक ज्यादा जानकारी रखते हैं।
  • अगले छह महीने में विदेशी निवेशकों से बड़ी मात्रा में फ्लोज आने की उम्मीद।

मार्केट ट्रेंड्स और परिवर्तन:

  • 2014 से सरकार ने प्रोविडेंट फंड और नेशनल पेंशन सीम को शेयर बाजार में निवेश की अनुमति दी।
  • पिछले दस साल में भारत ने मैक्रो स्थिरता पर ध्यान दिया, जिससे बाजार की अस्थिरता कम हुई।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की विश्वसनीय ग्रोथ दर।
  • भारत की रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से सुधार हो रहा है।
  • घरेलू सेविंग्स में इक्विटी का हिस्सा बढ़ रहा है।

भविष्य की योजनाएँ और लक्ष्य:

  • प्रधानमंत्री का ध्यान मैक्रो स्थिरता पर और सामाजिक व भौतिक (फिजिकल) इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहेगा।
  • वाणिज्यिक मैन्युफैक्चरिंग का योगदान जीडीपी को बढ़ेगा।
  • अगले पांच वर्षों में सरकार जीडीपी ग्रोथ 7-7.5% की रेंज में ले आने का प्रयास करेगी।

मार्केट और सेक्टर विश्लेषण:

  • चार मुख्य सेक्टर्स जिन पर ध्यान: प्राइवेट सेक्टर बैंक, कंजंपशन, इंडस्ट्रियल्स & कैपिटल गुड्स, और आईटी सर्विसेज।
  • आईटी सर्विसेज भविष्य में अच्छी ग्रोथ दिखा सकती हैं, खासकर एआई एप्लीकेशन के कारण।
  • सरकारी कंपनियों और उनके भविष्य के मूल्यांकन पर नजर रखनी चाहिए।
  • बाजार में उतार-चढ़ाव को सामना करने और अवसर तलाशने की सलाह।

बजट और आर्थिक परिदृश्य:

  • आगामी बजट में मैक्रो स्थिरता और फिस्कल कंसोलिडेशन पर फोकस रहेगा।
  • फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 5-5.1% के आसपास रह सकता है।
  • सामाजिक और भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च।

ग्लोबल मार्केट और भारत पर असर:

  • अमेरिका और चीन की स्थिति पर भी नजर रखना जरूरी।
  • ग्लोबल मार्केट्स का प्रभाव भारतीय बाजार पर सीमित रहेगा।

शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण:

  • बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव का सामना करने की रणनीति।
  • लंबी अवधि के लक्ष्य और निवेशकों के लिए सलाह।

निवेशकों के लिए सलाह:

  • बाजार में स्थिरता और ग्रोथ के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक।
  • पैदा होने वाले अवसरों का उपयोग करें और फुल्ली इन्वेस्टेड न रहें।
  • अगले 3-5 वर्षों में मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में बड़ी संभावनाएं।