Transcript for:
Kashi Vishwanath Temple and Gyanvapi Mosque Case

सो आफ्टर अयोध्या द बिग फोकस जज नाउ विद रिगार्ड टू काशी आप हर मस्जिद को छीनना चाहते हैं त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है राम मंदिर के बाद एक और एक बहुत ही बड़ा अपडेट अब तक आपको शायद यह पता चल गया होगा कि आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पुक्त सबूत मिले हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं बल्कि एक मंदिर है जिसको कंसीडर करके 31 जनवरी 2024 को वाराणसी कोर्ट ने वहां पर हिंदू उसको पूजा करने की परमिशन भी दे दी है सो इसका मतलब एटलीस्ट ये साइंटिफिकली प्रूव हो गया कि ज्ञानवापी मंदिर को मोहम्मद घोरी ने ही तोड़ा था लेकिन क्या आप जानते हो घोरी को एक्चुअली में बुलाया किसने था वेल आपको सुनकर शौक लगेगा उसे बुलाने वाला और कोई नहीं बल्कि एक हिंदू राजा था यस दैट्ची पर एक मस्जिद खड़ी की थी लेकिन क्या आप जानते हो वो मंदिर एक बार नहीं बल्कि तीन बार तोड़ी गई है तीन अलग-अलग लोगों द्वारा लेकिन फिर भी हिस्टोरिकल हर बार हिंदू पक्ष ने वहीं पर मंदिर दोबारा खड़ा किया है एंड फाइनली सबसे इंटरेस्टिंग बात इस केस में जानते हो वहां पर मंदिर है ये कैसे प्रूव हो पाया वेल इसमें मुस्लिम साइड से एक काफी बड़ी गलती हो गई थी जिस एक गलती से एएसआई को दो ऐसे मेजर प्रूफ मिल गए जिससे उन्होंने महज 92 डेज के अंदर ये डिक्लेयर कर दिया यस वहां पर मंदिर ही है तो चलो इन प्रूफ को ना थोड़ा डिटेल में समझते हैं ताकि आपको कोई कंफ्यूजन ना रहे कि वहां पर वाकई में एक मंदिर था यह कोर्ट ने मजबूरन कैसे एक्सेप्ट किया लेकिन सबसे पहले स्टार्ट करते हैं ज्ञानवापी के एक बहुत ही यूनिक इतिहास से ज्ञानवापी को कैसे और क्यों तीन बार तोड़ा गया उस कहानी से आज इस वीडियो में हम मंदिर बनने से लेकर कोर्ट में केस रजिस्टर होने तक की पूरी कहानी सब कुछ डिटेल में सिर्फ पाच मिनट में समझेंगे सो इस पूरे मुद्दे को समझ ने से पहले आप सभी को यह लेआउट ध्यान से देखना चाहिए यह है वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर जहां पर एट प्रेजेंट भगवान शिव की पूजा की जा रही है बट हिंदू पक्ष का ऐसा कहना है कि उनका असली काशी विश्वनाथ मंदिर मात्र 45 मीटर की दूरी पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर है क्योंकि उस मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनाया गया था बट यह मंदिर हिंदू उस के लिए आखिर इतना इंपॉर्टेंट क्यों है सो यह मंदिर कोई आम शिव मंदिर नहीं है बल्कि भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है जिनके दर्शन से साल्वेशन यानी कि मोक्ष की प्राप्ति होती है लेकिन अनलाइक राम मंदिर ज्ञानवापी के केस में सारे हिस्टोरियंस बिना किसी डाउट के यही मानते हैं कि 1194 सीई में मोहम्मद घोरी के ऑर्डर्स पर उसके जनरल कुतुबुद्दीन ऐबक ने वाराणसी में कई सारे मंदिर तोड़े थे और उन्हीं तोड़े गए मंदिरों में से एक यह काशी का ज्ञानवापी मंदिर था अब यहीं पर आता है कहानी का वो इंटरेस्टिंग ट्विस्ट जैसे मैंने आपको पहले बताया था जिस मोहम्मद घोरी के ऑर्डर्स पर इस म मंदिर को तोड़ा गया था असल में उस घोरी को इंडिया के ही एक हिंदू राजा ने इनवाइट किया था एक दूसरे हिंदू राजा के खिलाफ लड़ने के लिए सो इस कहानी की शुरुआत बेसिकली होती है साल 1185 में जब प्रेजेंट डे उत्तर प्रदेश के कनौज इलाके में राजा जयचंद उनकी बेटी संयोगिता का विवाह स्वयंवर रखते हैं अब इस स्वयंवर में राजा जयचंद उस दौर के सभी राजाओं को इनवाइट करते हैं सिवाय राजा पृथ्वीराज चौहान के जबकि राजा की बेटी संयोगिता खुद पृथ्वीराज चौहान जी से ही शादी करना चाहती थी सो इस स्वयंवर की खबर सुनते ही पृथ्वीराज जी खुद राजा के घर आ जाते हैं और भारी सभा में उनकी बेटी को अपने साथ लेकर चले जाते हैं अब जाहिर सी बात है यह घटना राजा जयचंद के लिए काफी एंबेरेसमेंट सी हो गई और बस यही शुरुआत होती है राजा जयचंद और पृथ्वीराज चौहान जी के बीच दुश्मनी की इसी दुश्मनी के दौर में फिर एक ऐसा समय आता है जब राजा जयचंद अफगानिस्तान में बैठे मोहम्मद खोरी को भारत आने का आम मंत्रण देते हैं ताकि वह हमला करके पृथ्वीराज चौहान का राज्य अपने कब्जे में ले सके और घोरी एगजैक्टली यही करता है वो अफगानिस्तान से भारत आता है और यहां पर आकर पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करता है अब क्योंकि घोरी ये अफगानिस्तान का रूलर था तो वो यहां पर रहकर रूल नहीं कर सकता था और इसीलिए अपने राज्य में दोबारा लौटते समय घोरी ने इंडिया में अपने जनरल कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का सुल्तान बना दिया और उसे बेसिकली इंडिया में रूल करने के लिए इंस्टॉल कर दिया हिस्टोरियंस के हिसाब से सुल्तान बनते ही कुतुबुद्दीन एवक ने घोरी के ऑर्डर्स पर नॉर्दर्न इंडिया में कई सारे मंदिर तोड़े और इन्हीं तोड़े गए मंदिरों में से एक था वाराणसी का विश्वनाथ मंदिर सो बेसिकली इसी वजह से एक हिंदू राजा के घोरी को बुलाने की वजह से ज्ञानवापी विश्वनाथ टेंपल एक्चुअल में टूटा था वहां के लोकल्स ने उसी जगह पर वापस से मंदिर को खड़ा कर दिया बट इस मंदिर को भी 1490 में लोधी डायनेस्टी के सिकंदर लोधी ने वापस से दूसरी बार तोड़ दिया और वापस मंदिर के जग जगह पर एक मस्जिद खड़ा कर दिया लेकिन हिंदू इस बार भी शांत नहीं बैठने वाले थे साल 1585 में फिर राजा टोडर मला आते हैं और वो वापस से वहां पर एक मंदिर खड़ा करते हैं लेकिन अफसोस ये बनाने के सिर्फ 84 इयर्स बाद 1669 में वापस से ज्ञानवापी मंदिर को औरंगजेब के ऑर्डर्स पर तीसरी बार तोड़ा गया और वहां पर एक ज्ञानवापी मंदिर के जगह पर ज्ञानवापी मस्जिद खड़ा कर दिया गया सो इस तरीके से हिस्टोरिकल मंदिर को तीन बार तोड़ा गया बट हिंदू द्वारा वहां पर पूजा पाठ हमेशा से की जाती थी यहां तक कि मराठा क्वीन अहलिया बाई होल्कर जी ने 1780 में जब प्रेजेंट डे काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया गया था जो ओरिजिनल मंदिर से थोड़ी ही दूर है उसके बाद भी हिंदू साल 1991 तक ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी जाकर पूजा करते थे पर जब 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराया गया तब से सरकार ने उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे कम्यूनली टेंशंस को देखते हुए ज्ञानवापी मस्जिद कॉम्प्लेक्शन करवा दी अब यहां पर एक और और एक गौर करने वाली बात यह है कि राम मंदिर वाला मुद्दा ब्रिटिशर्स के टाइम से ही कई बार कोर्ट्स में फाइल हो चुका था बट ज्ञानवापी मामले में तो आजादी के बाद से ही यह मुद्दा पूरी तरह से एक ठंडे बक्से में पड़ा हुआ था लेकिन जैसे कि मैंने आपको पहले बताया हिंदुइज्म में शिव भगवान का एक काफी बड़ा प्रॉमिनेंस है उनको देवों का देव महादेव कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि शिवा ब्रह्मांड के सुप्रीम गॉड है लेकिन इसके बावजूद हम शिवा के बारे में काफी बातें नहीं समझते जैसे कि आखिर हम शिवलिंग की पूजा ही क्यों करते हैं जो तिर लिंगा 12 ही क्यों है और वो उन्हीं 12 जगहों में स्थित क्यों है और उसकी पूजा करना हमारे लिए इतना इंपॉर्टेंट क्यों है सृष्टि का जन्म आखिर कैसे हुआ था और अंत में आखिर क्यों ऐसा कहा जाता है कि शिव भगवान में सृष्टि का नाश करने की भी ताकत है इन सब का जवाब आपको वेदव्यास जी द्वारा लिखित शिव पुराण में मिल जाएगा जो एक काफी भव्य किताब मानी जाती है और आज के जमाने में इस पूरी किताब को पढ़कर उसे समझना काफी मुश्किल है इसीलिए आप कुकू एफएम पर शिव पुराण आदि से अंत की कथा ये ऑडियो शो सुन सकते हो जिसमें इस किताब का सारा नॉलेज सारे स्टोरीज काफी सिंपल वर्ड्स में एक्सप्लेन किया गया है आल्सो शिव पुराण में काफी अच्छे से यह भी व्यक्त किया गया है कि अगर जिंदगी में कोई भी उलझन आती है तो उन्हें एक शांत दिमाग से सुलझाया कैसे जा सकता है इस ऑडियो शो को आप स्पेशली रात को अनवाइज करते समय सुन सकते हो आप अच्छे से रिलैक्स हो जाओगे सो अगर आपने अब तक कुक एफएम को सब्सक्राइब नहीं किया है तो इसे जरूर चेक आउट करना नीचे डिस्क्रिप्शन में मैंने 50 पर ऑफ का कूपन कोड भी डाल दिया है गरव 50 जिससे आपको पूरे एक महीने का सब्सक्रिप्शन सिर्फ 9 में मिल जाएगा लेकिन इसे जल्दी अवेल करना क्योंकि यह फर्स्ट मंथ के सब्सक्रिप्शन के लिए ही वैलिड है लेकिन इसके बावजूद इस मुद्दे पर पहला डिस्कशन ही काफी लेट हुआ 1984 में जब दिल्ली में भारत के कोने-कोने से आए 558 संतों ने मिलकर एक रेजोल्यूशन पास किया और इस पर अपने डिमांड्स रखे कि उन्हें तीन मंदिर वापस से रिक्लेम करना है नंबर वन काशी नंबर टू मथुरा और नंबर थ्री राम मंदिर अब इस डिमांड के ठीक आठ सालों बाद 18 सितंबर 1991 को पीवी नरसिंह मा राव की गवर्नमेंट ने एक काफी कंट्रोवर्शियल एक्ट पास किया प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट इस एक्ट के क्लॉज फोर में क्लियर मेंशंड है कि 15th अगस्त 1947 के बाद से कोई भी रिलीजियस स्ट्रक्चर का रिलीजन नहीं बदला जाएगा मतलब इस एक्ट का बेसिकली ये कहना था कि अगर समझो एक मस्जिद 1947 के पहले मंदिर हुआ करती थी तो अब इस एक्ट के आने से उस मस्जिद को वापस से मंदिर नहीं बनाया जा सकता इस एक्ट का मेन एम ये था कि राम मंदिर की तरह वापस से किसी और मंदिर का डिमांड ना पेश किया जाए लेकिन इस एक्ट के लागू होते ही हिंदू पक्ष को ये समझ में आ गया था कि इससे सरकार उन्हें उनके काशी टेंपल को वापस लेने से रोक रही है और इसीलिए आप देखोगे प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट को लाया एक महीना भी नहीं हुआ था कि 15th अक्टूबर 1991 को इंडियन हिस्ट्री में पहली बार काशी विश्वनाथ का केस कोर्ट में पहुंचा और डिड यू नो ये केस खुद भगवान शिव ने ही फाइल किया था अगर आप इस केस के डॉक्यूमेंट में देखोगे तो यहां पर भगवान स्वयंभू यानी कि शिव भगवान पहले कंटेंडर है और मां श्रीनगर गौरी और गणेश जी दूसरे लेकिन भगवान के बिहाव में उनके नेक्स्ट फ्रेंड इस केस को लड़ेंगे सो बेसिकली इंडियन जुडिशरी में हिंदू डेटी को एक जूरिस्टिक एंटिटी यानी कि इंडियन देवी देवताओं को लिविंग एंटिटी या इंसान माना जाता है सो अगर भगवान या उनसे जुड़ा कोई केस फाइल करना हो तब खुद भगवान को फर्स्ट पेटीशनर रखते हैं और उनके बिहाव में लड़ने वालों को यानी कि रियल सेंस में जो केस फाइल करता है उसे लीगल टर्म्स में नेक्स्ट फ्रेंड बोलते हैं इवन राम मंदिर के केस में भी यही हुआ था उसमें भी डॉक्यूमेंट में मेंशन है कि राम भगवान ने अपना खुद का केस अपने तीन नेक्स्ट फ्रेंड्स के थ्रू ही लड़ा था बिल्कुल उसी तरह यहां भी सीआरपीसी के सेक्शन 1908 का यूज करके हरिहर पांडे जी सोमनाथ व्यास जी और प्रोफेसर राम रंग शर्मा जी ने खुद को भगवान का नेक्स्ट फ्रेंड बनाया और ज्ञानवापी मामले में पहला केस फाइल किया इस केस में उनका डिमांड एकदम क्लियर था पहला पूरा ज्ञानवापी कॉम्प्लेक्शन के मंदिर का ही पार्ट है इसीलिए वो उन्हें सौंप दिया जाए दूसरा वहां पे इलीगली बनाए गए मॉस्क को डिमोलिश किया जाए ताकि वहां पर वापस से ज्ञानवापी मंदिर को खड़ा किया जा सके इसके बाद 1998 में भी एक केस फाइल किया गया था मुस्लिम पक्ष द्वारा प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट का ही हवाला देते हुए लेकिन उसमें भी कुछ सब्सटेंशिएट नहीं हो पाया और फिर कहानी में आता है एक मेजर टर्निंग पॉइंट अगस्त 2021 में जब पांच औरतों ने वाराणसी कोर्ट में एक पिटीशन फाइल किया उनका कहना था कि मस्जिद के अंदर हमारे भगवान शिव मां श्रृंगार गौरी गणेश जी और हनुमान जी है और हमें उनकी पूजा करने की परमिशन दी जाए अब हुआ यूं कि उनके इसी डिमांड को एक साल बाद अप्रैल 2022 में वाराणसी सिविल जज ने कंसीडर किया और अजय कुमार मिश्रा नाम के एडवोकेट कमिश्नर को वीडियोग्राफी सर्वे करने का ऑर्डर दिया यह ऑर्डर देते हुए कोर्ट ने कहा चेक करो कि क्या सच में मस्जिद में भगवान है अब अंत में सर्वे कंप्लीट करके उसे वाराणसी कोर्ट में सबमिट कर दिया गया और 23 मई 2022 को वाराणसी कोर्ट में वीडियोग्राफी सर्वे के फाइंडिंग्स में पता चला कि ज्ञानवापी मस्जिद में इनडीड हिंदू मंदिर का मलबा हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति और मस्जिद के पिलर्स पर हिंदू भगवानों की आइकोनोग्राफी मौजूद है इनमें भी सबसे इंपॉर्टेंट थे दो सबूत नंबर वन एक बड़ा पिलर जहां पे सिंदूर लगा हुआ था जिसको पिटिशन मां श्रृंगार गौरी बता रहे थे नंबर टू भगवान शिव का एक बड़ा शिवलिंग जो वाजू खाने में सिचुएटेड है नाउ वाजू खाना मस्जिद में नमाज के पहले हाथ-पैर धोने वाली जगह को बोला जाता है लेकिन इस क्लेम पर मुस्लिम पक्ष का कहना था कि ये एक शिवलिंग नहीं बल्कि एक फाउंटेन है और यही एक्चुअली में उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई क्योंकि इस मुद्दे पर एक डिबेट छिड़ गई तो सबसे पहले यह वर्डिक दे दिया गया कि सबसे पहले बाजू खाने में हाथ पैर धोना बंद कर दिया जाए दूसरी बात अब तक तो वीडियोग्राफी सर्वे पब्लिक में रिलीज भी नहीं हुई थी लेकिन कोर्ट ने यह जजमेंट दे दिया कि अब उस मस्जिद पर एक हार्डकोर एविडेंस बैग्ड साइंटिफिक एएसआई सर्वे कंडक्ट किया जाए क्योंकि आमतौर पर वीडियोग्राफी सर्वे को उतना साइंटिफिक और क्रेडिबल नहीं माना जाता सो बेसिकली इससे हुआ यह कि जहां पर मेजॉरिटी हिंदूजा खाना के बारे में पता भी नहीं था लेकिन इस डिबेट की वजह से वो न्यूज़ वायरल हो गया और सबको पता चल गया जिससे प्रेशर बना और 92 डेज का एक एक्सटेंसिव एएसआई सर्वे वहां पर शुरू हो गया और पिछले ही महीने 18 दिसंबर 2023 को एएसआई ने अपनी सर्वे रिपोर्ट वाराणसी सिविल कोर्ट में सबमिट की जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के ठीक तीन दिन बाद वाराणसी कोर्ट ने दो दोनों पक्षों को एएसआई की रिपोर्ट्स की कॉपी सबमिट की मुस्लिम पक्ष ने तो इस रिपोर्ट के पब्लिक होने पर भी ऐतराज जताया बट जैसे ही एएसआई का यह सर्वे पब्लिक हुआ वैसे ही मीडिया चैनल्स ने इस कंक्लूजन पेज को बढ़ चढ़कर कवर किया सो ऐसे कौन से प्रूफ थे जिनकी वजह से एएसआई ने सिर्फ 92 डेज में एंड माइंड यू बिना खुदाई किए सिर्फ सरफेस लेवल पर ही उन्होंने ऐसे प्रूफ इकट्ठा किए कि एएसआई ने अपने रिपोर्ट में क्लियर लिख दिया कि यहां पे पहले एक हिंदू टेंपल था ये हम थोड़ी देर में डिस्कस करेंगे लेकिन इससे पहले पहले मैं एक चीज को क्लियर करना चाहूंगा कि इस मुद्दे और राम मंदिर के मुद्दे के बाद काफी सारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को ऐसा लग सकता है कि ये हिंदूजा कर रहे हैं इन इश्यूज को हर कोई एग्री करेगा पॉलिटिकल और रिलीजियस लीडर्स बहुत पॉलिटिसाइज और रेडिकलाइज करते हैं जिससे कि हेट फैलता है क्योंकि वेल वोट बैंक पॉलिटिक्स की यही कड़वी सच्चाई है लेकिन ऐसे माहौल में हमें ये कोल्ड हार्ड टू डाइजेस्ट फैक्ट को एक्सेप्ट करना चाहिए कि ये दोनों साइड से हैं प्रो हिंदू ऑर्गेनाइजेशंस और प्रो मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन क्योंकि इसी का नाम पॉलिटिक्स है और जितना जल्दी हम इसे एक्सेप्ट कर ले उतना जल्दी द ट्रुथ विल सेट अस फ्री बट यहां पर यह समझना बहुत इंपॉर्टेंट है कि यह एक्शन मुस्लिम्स के अगेंस्ट नहीं लिया जा रहा है बल्कि मुगल्स के अगेंस्ट लिया जा रहा है उनके वजूद को इंडिया से मिटाने के लिए जिस तरह से ब्रिटिशर्स को भी मिटाया जा रहा है जैसे आपने न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग में देखा ऐसे में इंडियन मुस्लिम भी भारत के रिच कल्चर का उतना ही बड़ा पार्ट है जितना भारतीय हिंदूजा लेकिन मुगल्स नहीं जिन्होंने हमें कई सदियों तक लूटा आज दुनिया भर में इंडिया की जो इमेज बन रही है वो भारतीय कल्चर के बेसिस पर बन रही है क्योंकि भारतीय कल्चर हमें अपनी पहचान देता है यही पहचान हमारी ब्रांडिंग है जो हमारे टूरिज्म इंडस्ट्री को सपोर्ट करेगी और हमारे जिओ पॉलिटिकल एफीलिएशंस को भी क्योंकि भारतीय कल्चर भारत तक ही सीमित है और दुनिया भर में यूनिक है और सबसे बड़ी बात ये 140 करोड़ लोगों को यूनाइट करने की ताकत रखती है जो इससे पहले हमारे इतिहास में कभी नहीं हु सो ऐसी कल्चरल ब्रांड पोजिशनिंग भारत को एक विकसित देश बनाएगी जिस का फायदा भारतीय हिंदू मुस्लिम्स दोनों को मिलेगा इनफैक्ट इंडियन मुस्लिम्स भी इंडियन कल्चर के प्राउड पार्ट है सो मेरी बस इतनी सी रिक्वेस्ट है इंडियन मुस्लिम से कि इस इशू को अगर कोई ऐसा पेश कर रहा है कि एंटी मुस्लिम है तो उस हेट में मत आओ इंडियन हिंदू उस को मुस्लिम से कोई प्रॉब्लम नहीं है मुगल से है और इंडियन मुस्लिम्स को भी मेरे ओपिनियन में होना चाहिए क्योंकि उन्होंने हमें ही लूटा है और कईयों को तो फोर्सफुली कन्वर्ट भी किया विदाउट गिविंग देम अ चॉइस बट आज हमारे पास एक मौका है एक इंडियन एक भारती तीय के गर्भ में यूनाइट होने का क्योंकि इंडिया ही हमारा वह सुनहरा भविष्य है जो हम साथ मिलकर बनाएंगे धर्म से पहले देश आना चाहिए दोनों धर्मों के लिए मेरे नजरों में और खुशहाली अपने आप जाएगी वेल आपकी इसमें क्या राय आप नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करना बट बढ़ते हैं आगे हम बात कर रहे थे उन प्रूफ के बारे में जो एएसआई ने कोर्ट को दिए पहला प्रूफ भगवान की मूर्ति इस पूरे ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे में टोटल 55 पत्थर की मूर्तियां मिली है जिनमें से 15 तो शिवलिंग ही थे बट इसके अलावा भी वहां पर पांच मूर्तियां हनुमान जी की थी तीन गणेश जी की तीन विष्णु भगवान की और दो-दो मूर्तियां थी कृष्ण और नंदी जी की इसे कंसीडर करते हुए एएसआई को यह पता लगा कि यस इस साइट पर पूजा हुआ करती थी अब दूसरे प्रूफ थे मंदिर के पिलर्स तो एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में मूर्तियों के अलावा पिलर्स और स्टोन स्लैब के इंस्क्राइनॉक्स इस टाइप के लोटस और ऐसे दिखने वाले त्रिशूल इंस्क्राइनॉक्स और बेल्स के डिजाइंस देखने को मिलेंगे जिनका हिंदुइज्म में काफी प्रॉमिनेंस है अब ये सारे वो प्रूफ है जो एएसआई के रिसर्च के दौरान उन्हें मिले थे लेकिन कुछ प्रूफ्लाक्स मिले जिसमें ज्ञानवापी मंदिर का क्लियर जिक्र हुआ है इनफैक्ट एक प्रूफ तो यू वोंट बिलीव बट खुद औरंगजेब का था स्टार्टिंग विद इंडियन लिटरेरी प्रूफ इसमें सबसे पहले बात करते हैं इंडिया के ही ओल्डेस्ट लिटरेरी सोर्स स्कंद पुराण की जो सेवेंथ सेंचुरी में लिखी गई थी स्कंद पुराण के अगर आप काशी खंड में देखोगे तो वहां पर क्लियर ज्ञानवापी मंदिर के बारे में लिखा हुआ है इसके मुताबिक यह जगह भगवान विशेश्वर का होली स्पॉट है इसमें मेंशन है कि शिवजी ने खुद कहा कि मैं तो सारे शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में वास करता हूं बट मेरा काशी विश्वनाथ वाला शिवलिंग स्वरूप सबसे अलग है अब सबूतों के एक एडेड डिमेंस के लिए हमने फॉरेन लिटरेरी प्रूफ्लाक्स प्रिंसेप का ट्रैवलॉग का बेसिक मतलब होता है अपना रिटन ब्लॉग जो पुराने जमाने के ट्रैवलर्स लिखा करते थे जेम्स प्रिंसेप उस वक्त के प्रॉमिनेंट रिसर्च थिंक टैंक एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के फाउंडिंग एडिटर और फेमस लिथोग्राफ यानी कि एक टाइप के पेंटर भी थे सो उन्होंने अपनी बुक बनारस इल टेड अ सीरीज ऑफ ड्राइंग्स में विशेश्वर मंदिर की लेआउट बनाई थी अगर आप इस लेआउट में ध्यान से देखोगे तो यहां पर उन्होंने विश्वनाथ मंदिर के लेआउट में सेंटर वाले गर्भ ग्रह की जगह पर महादेव लिखा हुआ है और बाकी मंदिर के डेडिकेटेड पार्ट्स में क्या हुआ करता था जैसे गणेश मंडप शिव मंडप तारे स्वर द्वर पाल इन सबका उन्होंने डिटेल में मेंशन किया है जेम्स प्रिंसेप जब बनारस विजिट पर थे तब उन्होंने वहां पर दो पेंटिंग्स और बनाई थी एक है यह जिसमें आप टेंपल के रिमेंस क्लीयरली देख सक सकते हो और दूसरा कुछ ऐसा दिखने वाला स्केच जो उन्होंने वहां के लोकल्स द्वारा दिए हुए डिटेल्स के आधार पर बनाया था जो बिल्कुल आप आज के मस्जिद में भी देख सकते हो जेम्स के अलावा ईवी हैवल जो कि ब्रिटिश राज में एक प्रॉमिनेंट आर्ट हिस्टोरियन हुआ करते थे उन्होंने अपने बुक बनारस द सेक्रेड सिटी के पेज नंबर 182 में लिखा है कि ज्ञान कप यानी कि वेल ऑफ नॉलेज एक हिंदू मंदिर यहां पर लोकेटेड था सेम पेज पर ईबी हैवल ने लिखा हुआ है कि भगवान विश्वेश्वर के पुराने मंदिर को और जेब के ऑर्डर्स पर तोड़ा गया था और इसके शिवलिंग को बचाने के लिए वहां के लोकल पंडित्स ने शिवलिंग को ज्ञानवापी मंदिर में लोकेटेड एक कुएं में छुपा दिया जिसका हिंदू उस मस्जिद बनने के बाद भी पूजा किया करते हैं इसका ईवी हैवल्स ने अपने बुक में फोटो भी दिया है जो एक्सक्लूसिवली आप यहां पर देख सकते हो इवन फॉरेन चाइनीज ट्रेवलर हिन संग ने सेवंथ सेंचुरी में हुई काशी विजिट का मेंशन किया है हिन संग ने अपने मेमोर में लिखा है कि काशी एक डेंसली पॉपुलेशन सिटी है जिसके लोग बड़े अमीर हैं और यहां पर एक ग्रैंड विश्वनाथ टेंपल है इन सब लिटरेरी प्रूफ में से जो सबसे ज्याद इंटरेस्टिंग है वो है खुद मुगल बादशाह औरंगजेब की खुद की बायोग्राफी मासिर ए आलम गिरी इस बुक के पेज 66 में जब हम पहुंचे तो यहां पर क्लियर लिखा हुआ है कि काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने वाला मैं खुद हूं और उसने ही साक्षात कमांड दिया था अपने ऑफिसर को यह मंदिर तोड़ने के लिए खैर ये तो हमने कुछ एक्स्ट्रा प्रूफ निकाले बट वाराणसी कोर्ट ने सिर्फ ए साई के रिपोर्ट को कंसीडर किया और 31 जनवरी 2024 को ये ऑर्डर पास किया कि वाराणसी डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन मस्जिद के अंदर जहां पे 1991 तक पूजा होती थी वही मस्जिद के अंदर सेम जगह पर 7थ फरवरी 2024 तक पूजा करने का अरेंजमेंट करें बेसिकली कोर्ट ने मस्जिद के अंदर पूजा करने के परमिश इशू कर दिए हैं सो वाराणसी कोर्ट के इस डिसीजन पर आपकी क्या राय है नीचे कमेंट्स में जरूर बताना और इवन अगर आपको जानना हो कि राम मंदिर के केस में वो कौन से से एविडेंसेस थे जो एएसआई ने कोर्ट को प्रोवाइड किए जिनकी मदद से यह 500 सालों से चलता हुआ केस महज 40 दिनों में सॉल्व हो गया और बाय द वे एक और एक फन फैक्ट क्या आपको पता है राम मंदिर ₹1 से भी कम में बना है ना सरकार का ₹1 खर्च किया गया ना डोनेशन से ₹1 खर्च किया गया तो आखिर किसके पैसों से यह राम मंदिर बना बहुत ही कम लोग ये जानते हैं जिसे मैंने ऑलरेडी एक वीडियो में कवर कर लिया है आप यहां पर क्लिक करके देख सकते हो काफी इंटरेस्टिंग वीडियो है और जाने से पहले फ्रेंड्स डोंट फॉरगेट टू डाउनलोड कुक एफएम पप फ्रॉम द लिंक इन द डिस्क्रिप्शन एंड यूज माय कूपन कोड गट ऑफ 50 टू गेट 50 पर ऑफ एक महीने का सब्सक्रिप्शन ओनली 9 में लेकिन जल्दी क्योंकि सब्सक्रिप्शन सिर्फ फर्स्ट मंथ के लिए ही वैलिड है सी यू नेक्स्ट टाइम तब तक के लिए एज ऑलवेज स्टे क्यूरियस एंड कीप लर्निंग जय हिंद