टर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान ने मुसलमान बहुल देशों के लिए इस्राइल के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन बनाने का सुझाव दिया है।
यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक विकास हो सकता है।
अगर यह विचार सच में साकार होता है, तो यह पिछले 50 वर्षों की सबसे बड़ी घटना होगी।
इस्राइल का वर्तमान स्थिति
इस्राइल की सेना ने गाजा में कई नागरिकों की जान ली है।
कई यूरोपीय देशों (जैसे यूके, स्पेन, इटली) ने इस्राइल के क्रियाकलापों का समर्थन करने से मना किया है और हथियारों का निर् यात नहीं करने का निर्णय लिया है।
इस्राइल का विस्तारवाद केवल गाजा तक सीमित नहीं रहेगा।
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने भी "ग्रेटर इस्राइल" की बात की है।
संभावित इस्लामिक सैन्य गठबंधन
एर्दोवान की पहल पर इस्लामिक देशों का एक सैन्य गठबंधन बनने की कोशिश हो सकती है।
यह गठबंधन इस्राइल के विस्तारवादी योजनाओं को रोकने में सहायक हो सकता है।
टर्की और पाकिस्तान का ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में क्रमशः आठवां और नौवां स्थान है।
पाकिस्तान की भूमिका
पाकिस्तान की भागीदारी सीमित लगती है, जब तक कि कोई बड़ा बदलाव न हो।
पाकिस्तान की सेना इस्राइल के आसपास की सीमाओं की रक्षा में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
भारत के लिए, यह एक अवसर हो सकता है कि वह पाकिस्तान की कमजोरी का लाभ उठाए।
अन्य मुस्लिम देश
टर्की, पाकिस्तान, इरान और शायद इजिप्ट ही मुख्य शक्ति के ंद्र हैं।
सऊदी अरब और अल्जीरिया अभी इस्राइल को अधिक नुकसान नहीं पहुँचा सकते हैं।
इस्लामिक मिलिटरी काउंटर टेररिज्म कोलेशन
42 मुस्लिम देशों की एक गठबंधन पहले से ही आतंकवाद के खिलाफ काम कर रही है।
यह गठबंधन सऊदी अरब के रियाद में स्थित है।
पाकिस्तान का इसमें महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
भविष्य के परिदृश्य
अगर ट्रंप चुनाव जीत जाते हैं और इस्राइल अपनी आक्रामकता बढ़ाता है, तो यह गठबंधन बन सकता है।
इस्लामिक गठबंधन का भारत पर भी प्रभाव पड़ेगा, विशेषकर अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सैन्य संघर्ष होता है।
निष्कर्ष
यह संभावित गठबंधन अतीत में सबसे बड़ा भू-राजनीतिक विकास हो सकता है।
छात्रों से आग्रह है कि वे इस विषय पर चर्चा करें और अपने विचार साझा करें।
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