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UPI क्रांति: भारत की अर्थव्यवस्था का परिवर्तन

बंबो गाड़ा गार्ड करके उसमें जैसे ज़ंडा हम लोग पहराते हैं होस्ट करते हैं उसी तरह हमने उसमें वाइफाई डिवाइस या फिर मुबाइल उपर चड़ा करके रसी के तुरू से हमने उपर खींच लेते हैं उपर लगा करके और नीचे बाइट करके हमने ने� ये QR कोड भारतिय अर्थवैवस्ता में हो रही UPI Revolution का बड़ा चेहरा बन चुके हैं इन्हें इस्तमाल करना बहुत ही आसान है बस स्कैन कीजिए, अपना अमाउंट डालिये और तुरंत ही आपकी पेमेंट हो जाएगी प्रवाद पर हमें cash carry होता है और हमारा घर यहां से जैसे दूर है online payment जो होती है उससे pay कर रहा है उससे हम comfortable रहता है, safe रहते हैं हम लोग to do this for over a billion people required building an enormous amount of infrastructure दुनिया भर में भारत सबसे ज्यादा UPI transactions करता है आज भारत के पूर्वी हिस्से ज्जारखंड में शहर से दूर जंगलों के बीच हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या भारत वाकई में cashless है ज्जारकंड की राजधानी से 160 किलो मीटर दूर पश्टमी सिंग भूम का है ये आदिवासी बहूल लोडाई काउं वैसे तो ये बहुत पिछड़ा और एक रिमोट इलाका है लेकिन यहाँ पर भी डिजिटल इंडिया की धमक पहुँच गई है जॉन बंदिया स्थानिया आदिवासी है उनके केंदर पर कैश के बदले डिजिटल पेमेंट कराने के लिए आम लोगों की भीड दिखाई देती है QR Code की मदद से जॉन उनका cash लेकर transfer करते हैं वे गाउं के बीच एक documentation केंद्र चलाते हैं इस केंद्र को चलाने का तरीका भी कम दिलचस्प नहीं है Digital payment हो गया, UPI payment हो गया, इसका बिलकुल जानकरी नहीं था लेकिन अब धीरे धीरे यहाँ का लोग digital payment क्या होता है, इसको जाने लगा है पहले हम लोग कभी कोई चथ में चड़ जाते थे हम लोग कि वह हम लोग करते थे तो धीरे-धीरे क्या हुआ हम लोग रोज का उसमें नहीं करके हमने अपने घर पर एक बंबो लगा दिया तो जब देखा कि बंबो लगा करके हमारा काम आसान हो गया तो वही करके हम लोग पूरा मार्केट में अभी जितना अभी बंबो लगा लिया और सिस्टम यहां के लिए बहुत कारगर्शाबित हुआ है लोड़ाई गांव के लोग जो इस मार्केट में जर्वसर करते हैं अपने बिजनेस चलाते हैं आकर के यहां पर एक लंबा बांस बांचते हैं उस पर वह प्लेस करते हैं राउटर जिसकी वजह से वो वाई-फाई एक्सेस कर पाएं। भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन की धूम हर दिन के साथ बढ़ती जा रही है। मगर ये जानना जरूरी है कि आखिर ये सिलसिला शुरू कब और कैसे हुआ। अगर आपको बात नहीं हो रहे हैं, तो आप उसके पास बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के लिए बात करने के ल Unified Payment Interface या UPI को अप्रेल 2016 में शुरू किया गया 2009 में Digital Paychand Pariyojna यानि आधार के जरिये भारत के लोग विभिन सेवाओं का उप्योग करने लगे शुरुवाती दिक्कतों के बावजूद बैंकिंग सेवाओं को आधार से जोडा गया जिससे लाखों अपने मोबाईल नंबर की माध्यम से बैंक खाते खोलने में सक्षम हो गये प्रियंका दिल्ली में रहने वाली 31 साल की ट्रांस महिला है उनका फोन लगातार नोटिफिकेशन से बज रहा है वैसे भारत में ट्रांस व्यक्तियों के लिए बैंकिंग करना थोड़ा मुश्किल रहा था क्योंकि कई तरा के सवाल जवाब से उन्हें गुजरना पड़ता था मगर प्रियंका की कहानी अलग है असम से भाग कर दिल्ली जाने के बाद फुटपातों पर चाय की पतियां बेचने की शुरुवात अब रंग ला चुकी है क्योंकि प्रियंका का बिजनेस जम चुका है दस बजे की खुलनी की टाइम है तो हमें पूरा आठ बजे घर से निकलना पाता लैन लगाने के लिए जब इतना मुझे आजादी मिली है, टाइम की बज़त मुझे मिली है घर बेटे में अपना या बिजनेस में अपना फोकस करूँ तो अलग काम हो जाता है मेरा हकीकत यही है कि भारत में लाखों कामगार असंगटित शेत्र में काम करते हैं बहुत से लोग, खासकर की महिलाएं, घरों से काम करती हैं चुनौतियों के बावजूद यूपी आए धीरे धीरे उनकी जिंदगी बदल रहा है फैदा यहाँ है कि यही बस मिल जाते हैं घर में आ जाता है पैसा फिर बैंक जाओ भागो फिर बच्चे भी परेशान हो है यह हम किसी को ऑनलाइन पेमेंट देने तो हमारे पास सबूत भी है अगर कैश में देते हैं तो बहुत से लोग जुट बोल जाते हैं कि नहीं दिया पहले ठेकेदार जुट बोल जाता था कई बार चक्कर कटवा देते अब क्या है हम सब लोगों हैं अब ऑनलाइन चालू कर दिया है अब हम अ ठेकेदार के थूँ कोई काम नहीं कर सकते हैं चीन और अमरीका को पीछे छोड़ते हुए भारत अगले चार प्रमुक देशों की तुलना में सबसे ज्यादा UPI पेमेंट्स करता है अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत 2026 से 27 के बीच हर दिन एक अरब UPI लेंदेन की ओर बढ़ रहा है ऐसे में दुनिया के बाकी देश भारत से क्या सीख सकते हैं? है जो कि प्रॉपराइटरी नहीं है मतलब किसी एक फर्म की नहीं है तो जिसे ओपन सिस्टम और एपीआई वेस्ट बोलते हैं दूसरा यह है कि यह प्लैटफॉर्म अप्रोच है जिस पर कि किसी एक कंपनी की मनॉपली नहीं है बहुत सी कंपनी के ऊपर ऑपरेट कर सकती है वह एक दूसरी सीख है हालांकि विशेषज्ञों की राय में डिजिटल और कैशलेस लेनदेन बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि formal education जिनोंने नहीं पाई हैं जिने technology, internet access करने में तमाम तरह की कठनाईयां आती हैं NFHS 5 जो National Family Health Survey 5 हुआ सरकार की जो study थी उसमें ये दिखाया कि 33% ही ऐसी औरते हैं हमारे देश में जिनोंने एक बार भी internet access किया हो financial fraud इतनी बड़ी समस्या है जहांपर बहुत जो संपन्न परिवार के लोग भी हैं उन्हें भी financial fraud सहना पड़ता है जो grievance redress system है वो ऐसे बनाए गए हैं कि लोगों के लिए inaccessible है Oxfam की report के मताबिक भारत में 70% से अधिक आबादी के पास digital सेवाओं के लिए खराब connectivity है या फिर connectivity है ही नहीं राजसभा में सरकार की ओर से दिये गए एक जवाब के मताबिक भारत के 94% गाओं में कम से कम एक मोबाइल टावर है हाला कि इसका मतलब ये भी नहीं कि उस गाउं के सभी लोग नेटवर्क से जुड़े होंगे जाहिर है जहां भारत में डिजिटल पेमेंट और कैशलिस ने नई मन्जिलों को चुआ है वहीं देश के सामने अधिकांश लोगों तक इंटरनेट मुहया कराने की चुनौती अभी भी बरकरार है संदीप यादव के साथ सुमेधापाल BBC