हेलो प्यारे बच्चों तो कैसे हो आप सब उम्मीद करती हू एकदम मस्त होंगे झक्कास होंगे क्योंकि दिश माम की पलटन हमेशा होती है एकदम जकास तो पल्टन का सवाल यह था बहुत सारे बच्चे पूछ रहे थे कि मैम यहां पे जो चैप्टर नंबर वन है क्लास 12थ का नेचर एंड सिग्निफिकेंट ऑफ मैनेजमेंट इसका वन शॉट youtube1 का वन शॉट यहां पे लेकर आए हैं अच्छा वन शॉट वीडियो है लेकिन यहां पे सारे जो कांसेप्ट है 100% क्लेर के साथ इन डेप्थ समझाए जाएंगे कि एक बार अगर आप यह वीडियो देखो तो पूरा का पूरा चैप्टर वन यहां पे क्रिस्टल क्लियर हो जाए ठीक है चैप्टर की अगर हम बात करें तो बेटा चैप्टर में ना बहुत सारे डिफरेंट डिफरेंट कंसेप्ट है ठीक है बेसिक इंट्रोडक्शन ऑफ मैनेजमेंट यहां पे गिवन है क्योंकि आपका पूरा जो क्लास 12थ है मैनेजमेंट के ऊपर बेस्ड है क्लास 11 बिजनेस के ऊपर बेस्ड था तो टेक्निकली 11थ और 12थ में ज्यादा कनेक्शन नहीं है तो जो बच्चों को मन में अभी भी डर है कि मैम 11 पढ़ाई नहीं किया ठीक है 11 तो ऐसे ही बस निकलते निकलते निकल गया तो अब क्या होगा क्लास 12थ में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी कुछ कंसेप्ट है जो कनेक्टेड है बट कोई फिकर नहीं भाई वो कांसेप्ट भी हम करा देंगे ठीक है पहले चैप्टर की अगर हम बात करें तो उसमें जो मेन इंपॉर्टेंट टॉपिक्स है हम तो सारे टॉपिक्स कवर करेंगे बट जो मेन मेन अगर क्वेश्चंस क्लासिफिकेशन की बात करूं तो पहला जो पार्ट है वो पूरा मैनेजमेंट के मीनिंग के ऊपर है जहां पे मीनिंग ऑफ मैनेजमेंट डेफिनेशंस ऑफ मैनेजमेंट बाय डिफरेंट ऑथर्स बेसिकली ये समझना है कि मैनेजमेंट का मतलब क्या होता है ठीक है उसके बाद मैनेजमेंट के ऊपर कुछ ब्रीफ क्वेश्चंस है जैसे फीचर्स ऑफ मैनेज इंपॉर्टेंस ऑफ मैनेजमेंट एंड ऑब्जेक्टिव्स ऑफ़ मैनेजमेंट ठीक है उसके बाद नेचर एंड लेवल्स ऑफ मैनेजमेंट है नेचर में हमने मैनेजमेंट को डिफरेंट प्रोफेशन के साथ या साइंस के साथ आर्ट के साथ मतलब डिफरेंट फील्ड्स के साथ कंपेयर किया है साथ ही साथ अगर मैं यहां पे कहती हूं लेवल्स ऑफ़ मैनेजमेंट तो मैनेजमेंट के तीन लेवल्स होते हैं टॉप मिडिल एंड लोअर जिसको हम डिटेल में समझेंगे जो लास्ट पार्ट आपका आता है चैप्टर का पूरा का पूरा कोऑर्डिनेशन के ऊपर है कि व्हाट इज द मीनिंग ऑफ कोऑर्डिनेशन व्हाट आर द फीचर्स ऑफ़ कोऑर्डिनेशन व्हाट इज द इंपॉर्टेंस ऑफ़ कोऑर्डिनेशन और एक स्टेटमेंट इंपॉर्टेंट कोआर्डिनेशन इज नोन एज द एसेंस ऑफ मैनेजमेंट तो आपको बताना होता है क्यों क्यों मतलब हम कोऑर्डिनेशन को एसेंस ऑफ मैनेजमेंट कहते हैं ये क्यू का जवाब भी मैं ही आपको देने वाली हूं ठीक है तो शुरुआत करते हैं सबसे पहले पार्ट से या सबसे पहली चीज से जो कि है यहां पे सिंपल सिंपल में व्हाट डू यू मीन बाय मैनेजमेंट अच्छा मैनेजमेंट के तो बहुत सारे डेफिनेशंस है बहुत सारे मीनिंग्स अलग-अलग किताबों में यहां पे लबरेट है एक्सप्लेन है लेकिन मैं अगर आपको बहुत सिंपल भाषा में कहूं कि मैनेजमेंट का मतलब क्या है अच्छा ये चीज आप एग्जाम में भी लिख सकते हो ठीक है तो मैनेजमेंट को अगर बहुत सिंपल लैंग्वेज में डिफाइन करना है ऑल यू हैव टू से इज मैनेजमेंट इज द आर्ट ऑफ गेटिंग थिंग्स डन फ्रॉम अदर्स इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली ठीक है तो यहां पे बेटा अगर मैं कहती हूं ना कंसेप्ट ऑफ मैनेजमेंट तो यहां पे सबसे इंपॉर्टेंट ये होता है कि मैनेजमेंट क्या है समझना सिंपल भाषा में मैनेजमेंट एक ऐसा आर्ट है जहां पे आप दूसरों से काम कराते हो तो कल उठके अगर आप एक मैनेजर हो चाहे आप मार्केटिंग मैनेजर हो सेल्स मैनेजर हो कोई भी डिपार्टमेंट के मैनेजर हो अगर आप एक मैनेजर हो तो आपका मेन काम होता है डिसीजन मेकिंग कौन क्या काम करेगा किसको क्या काम देना है किसको क्या इंस्ट्रक्शंस देना है मेनली लोगों से काम करवा के लेना ठीक है इस तरीके से कि वो काम इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली करें बेसिक एम होता है कि मेरे कंपनी के जो भी गोल्स है जो भी टारगेट्स है जो भी ऑब्जेक्टिव्स है उसको अचीव करें सिंपल स एग्जांपल लेते हैं मान के चलिए कि आपकी एक कंपनी है जहां पे आप आइसक्रीम मैन्युफैक्चर करते हो ठीक है अब आइसक्रीम मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है तो आप कहते हो कि भाई इस साल मेरे को कम से कम है ना मेरा आइसक्रीम का सेल 20 पर से बढ़ाना है तोब 20 से सेल बढ़ाना है एक गोल है तो गोल अगर आपने सेट किया बोलने से अचीव हो जाएगा नहीं ना अगर आप कोई भी गोल सेट करते हो जैसे आप कहते हो मेरे को क्लास 12थ में 95 पर प्लस लाना है तो बोलने से तो नहीं हो रहा है ना उसके लिए आपको सोचना पड़ेगा क्या करूं कब करूं कैसे करूं जिससे मेरा गोल अचीव हो सिमिलरली मैनेजमेंट जब कंपनीज गोल या टारगेट सेट करता है तो उस गोल को कैसे अचीव किया जाए क्या करा जाए किसको क्या काम दिया जाए जाए कि हम यह काम को कंप्लीट करके हमारे गोल्स को अचीव कर सके यही मैनेजमेंट देखता है राइट तो मैनेजमेंट बेटा एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें बहुत सारे इंटररिलेटेड फंक्शंस है इंटररिलेटेड मतलब एक दूसरे से कनेक्टेड ठीक है वी कनेक्ट ठीक है तो एक दूसरे से कनेक्टेड फंक्शंस है जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं कौन से आगे चैप्टर में फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट पढ़ेंगे ओके तो इंटररिलेटेड फंक्शंस है बेसिकली मैनेजमेंट जो भी काम करता है जो भी इंटररिलेटेड फंक्शंस परफॉर्म करता है लोगों से काम करवाता है एक ही ऑब्जेक्टिव के साथ कि कंपनी के गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव्स अचीव हो सके तो कंपनी का गोल एंड ऑब्जेक्टिव अचीव करना यह मैनेजमेंट का एक ही पर्पस है और इसके लिए वह बाकियों से काम करवाता है लोगों को इंस्ट्रक्शन देता है किसको क्या काम करना है डिसाइड करता है और जब वह काम करते हैं तो उसमें दो चीजें देखी जाती है कि वर्कर्स जब भी काम करें या एंप्लॉयज जब भी काम करें तो इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली करें अच्छा अब बच्चे पूछेंगे मैम काम तक समझा लेकिन इफेक्टिवली एफिशिएंसी क्या है अच्छा चलिए तो अब वो समझते हैं अगर मैं कहती हूं मैनेजमेंट का काम है दूसरों से काम करवाना काम इस तरीके से करवाना कि वो इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली हो तो इसका मतलब क्या है बताती हूं सबसे पहले अगर मैं बात करती हूं एफिशिएंसी की ठीक है सबसे पहले मैं अगर बात करती हूं एफिशिएंसी की तो एफिशिएंसी का मतलब क्या होता है टू डू द वर्क इन मिनिमम पॉसिबल कॉस्ट ठीक है और इसमें मिनिमम पॉसिबल कॉस्ट को आपको अंडरलाइन करना है क्योंकि यही इसका जो मेन एजेंडा है वो है देखो एफिशिएंसी में ना सी आता है तो इसके लिए मैं हमेशा कैसे बोलती हूं मालूम है एफिशिएंसी विद अ सी मुझे इजली याद रहता है सी बोलेंगे तो कॉस्ट तो एफिशिएंसी मतलब क्या कि आप कोई भी काम को करो चाहे आप शर्ट बना रहे हो बिस्किट्स बना रहे कोई भी काम अगर आप कर रहे हो काम करते वक्त रिसोर्सेस इस्तेमाल होता हैं जैसे अगर आप शर्ट बना रहे हो तो उसमें कपड़ा है बटन है धागे है डाई है बहुत सारे रिसोर्सेस यूज्ड होंगे ये रिसोर्सेस को वेस्ट मत करो अच्छा आपने कपड़ा वेस्ट कर दिया आपने बटंस तोड़ दिए ठीक है धागा आपने वेस्ट कर दिया डाय गिरा दी अरे बाबा ये रिसोर्सेस खरीदने के लिए पैसा लगता है कंपनी का कॉस्ट जाता है अगर आप चीजें वेस्ट कर दोगे मतलब कंपनी का जो कॉस्ट है वो बढ़ जाएगा कॉस्ट बढ़ेगा तो भाई मुनाफा कम हो जाएगा अगर मैं ज्यादा महंगा चीज बनाऊंगी तो जाहिर सी बात है मेरा प्रॉफिट कम हो जाएगा ठीक है तो एफिशिएंसी कहता है भाई जो भी काम को करो एस अ मैनेजर ऑफ वर्कर से काम करवा रहे हो तो ये चीज ध्यान में रखो कि भाई मिनिमम पॉसिबल कॉस्ट में हो कम से कम खर्चे में वो काम करो ठीक है साथ ही साथ अगर मैं सेकंड कांसेप्ट के ऊपर जाती हूं जो कि है द कांसेप्ट ऑफ इफेक्टिव ठीक है अब मैं इसको क्या कहती हूं मालूम है इफेक्टिव विद अ टी अच्छा विद अ टी क्यों कहती हूं अभी समझाती हूं जब इफेक्टिव की बात करते हो तो इसका मतलब क्या होता है टू डू द वर्क ऑन टाइम ठीक है देखो बेटा काम को कंप्लीट करना इंपॉर्टेंट है काम में जब आप प्रोडक्शन कर रहे हो रिसोर्सेस यूज कर रहे हो तो उसका वेस्टेज ना हो कम से कम कॉस्ट में प्रोडक्शन हो यह देखना जरूरी है पर साथ ही साथ ये भी तो देखना जरूरी है कि अगर आपको कोई काम दिया गया है वो काम के लिए कुछ एक डेडलाइन दिया गया है एक टारगेट दि आ गया है तो आपको काम को उतने डेडलाइन के अंडर पूरा करना है अच्छा मुझे कहते हैं कि मुझे एक हफ्ते में 50 शर्ट बनाने हैं मुझे ऑर्डर मिला है एक हफ्ते के बाद 50 शर्ट मुझे डिलीवर करना है अब मैं एक हफ्ते के बदले दो हफ्ते लूंगी तो क्या वो चलेगा नहीं तो काम को समय से जितना आपको डेडलाइन दिया है उसके अंदर काम को पूरा करना ये भी उतना ही इंपॉर्टेंट है और इसीलिए एज अ मैनेजर जब आपके वर्कर्स काम कर रहे हैं या जब आप भी काम कर रहे हो तो इसमें दो चीजें ध्यान में रखना जरूरी है कि काम करो तो सबसे पहले कॉस्ट पे कंट्रोल रखो जितना कम से कम खर्चे में काम हो सक रहा है उतना कम से कम कॉस्ट में करो कैसे रिसोर्सेस वेस्ट मत करो दूसरा काम को दिए गए समय के अंदर कंप्लीट करना इंपॉर्टेंट है मतलब गिवन टाइम जो है आपको जो टाइमलाइन दी है उसके अंदर काम को कंप्लीट करना जरूरी है अब ये कंसेप्ट को समझने के लिए थोड़ा सा इन डिटेल हम लेते हैं एक सिंपल से एग्जांपल हमने यहां पे एक फैक्ट्री का एग्जांपल लिया है अब ये फैक्ट्री क्या बनाती है तो शर्ट्स बनाती है इस फैक्ट्री को शर्ट का ऑर्डर मिला कि उसको 500 शर्ट्स एक महीने में बनाने है मतलब मैं एक महीना मतलब 30 डेज अज्यू कर रही हूं तो मुझे जो क्वांटिटी का ऑर्डर मिला है बेटा ये क्वांटिटी कितनी है 500 शर्ट्स की ठीक है और जो मुझे टाइमलाइन मिला है यह टाइमलाइन कितना है तो दैट इज 30 डेज राइट मैं एज्यूम कर रही हूं वन मंथ मतलब 30 डेज वो 28 भी हो सकता है 29 भी हो सकता है 31 भी हो सकता है मैं अज्यू कर रही हूं ठीक है तो कहने का मतलब यह है कि मुझे 500 बनाने हैं और वो मुझे 30 दिन के अंदर बनाने हैं अब मान के चलिए हम एक एग्जांपल लेते हैं शर्ट्स बनाने के लिए दो वर्कर्स है ठीक है शर्ट जब मैन्युफैक्चर हो रहा है तो शर्ट्स मैन्युफैक्चर करने के लिए दो वर्कर्स है एक का नाम है करण एंड दूसरा का नाम है यहां पे अर्जुन ठीक है अब करण जो है एक तरीके से फ्रेशर है मतलब नया-नया है काम सीख रहा है नए-नए काम को जॉइन किया है अब करण को जब मैंने बोला कि भाई तेरे को शर्ट बनाना है मैंने शर्ट बनाने के लिए अब शर्ट तो कपड़े का बनेगा तो मैंने उसको एक कपड़े का टुकड़ा दे दिया ठीक है ये कपड़े का टुकड़ा कितना था तो समझो 5 मीटर्स क्लॉथ था ठीक है अब उसने शर्ट बनाते वक्त क्या किया तो कपड़े के बीचोबीच से यहां पे शर्ट की कटिंग कर दी अब ये पूरा 5 मीटर का कपड़ा इसमें से एक शर्ट बना कितना बना तो एक शर्ट बना अब ये जाहिर सी बात है मैंने बीचोबीच से कटिंग करी तो ये साइड का जो कपड़ा है ये क्या हो गया वेस्ट हो गया ना दोस्त तो एक ही शर्ट यहां पर बना अब अज्यू करती हू कि 5 मीटर जो मैंने कपड़ा लिया था यह कपड़े की कीमत थी ₹1 तो मैं कहूंगी कि करण ने एक शर्ट बनाया ₹1 में बराबर है वही अगर मैं अर्जुन की बात करूं ना तो अर्जुन जो है एक एक्सपीरियंस्ड वर्कर था काफी समय से प्रोडक्शन कर रहा था एक एक्सपीरियंस्ड वर्कर था उसको चीजों की ज्यादा जानकारी थी अब जब मैंने उसको वही एक 5 मीटर का कपड़ा दिया तो अर्जुन ने क्या किया कटिंग करते वक्त कटिंग करते वक्त उसने कोने से शुरुआत की ठीक है कटिंग करते वक्त क्या हुआ तो उसने कोने से शुरुआत की एक उसने यहां से लिया और एक शर्ट का जो उसने कटिंग है व यहां से लिया तो उसने वही पाच मीटर का जो कपड़ा मैंने उसको दिया था यही 5 मीटर की कपड़े में जिसकी कीमत थी 00 इसमें उसने दो शर्ट्स बना लिए दोस्त मतलब सीधा-सीधा हिसाब है कि एक शर्ट 50 का बना बराबर है अब इसने जो शर्ट बनाया दोनों ने सेम शर्ट बनाया सेम फैक्ट्री है सेम कपड़ा है सब कुछ सेम है उसने एक शर्ट 100 का बनाया इसने एक शर्ट 50 का बनाया अब मान के चलो मैं यही शर्ट 120 का बेच रही हूं तो यहां पे बस ₹ प्रॉफिट मिल रहा है और यहां पे सीधा ₹ मिल रहा है ₹ 770 डबल से भी ज्यादा तो ये होता है जब आप एफिशिएंसी के साथ काम करते हो रिसोर्सेस को आप जितना मैक्सिमम यूटिलाइज कर सको उतना बेहतर है क्योंकि इससे कॉस्ट कम होता है कॉस्ट कम होता है तो प्रॉफिट बढ़ जाता है ठीक है अब बात आती है बेटा सेकंड कांसेप्ट की जो कि है द कंसेप्ट ऑफ इफेक्टिव इफेक्टिव स मतलब क्या काम को दिए गए समय से पूरा करना तो हम एग्जांपल लेते हैं एक आइसक्रीम फैक्ट्री का एक आइसक्रीम की फैक्ट्री थी बहुत फेमस थी बहुत नामी थी तो उसको 2000 टबस ऑफ आइसक्रीम का ऑर्डर मिला एक पार्टी के लिए लेकिन पार्टी थी नेक्स्ट 7त दिन में एक हफ्ते के बाद थी तो कहा था भाई 7 दिन बाद पार्टी है तो 7 दिन के अंदर 2000 टब आइसक्रीम का मुझे दे दो अब कंपनी बहुत फेमस थी अपनी क्वालिटी ऑफ आइसक्रीम के लिए तो वो कहती थी भाई हम क्वालिटी क्वालिटी में कॉम्प्रोमाइज नहीं करेंगे अब उन्होंने क्या किया 2000 टबस ऑफ आइसक्रीम तो बनाए बराबर लेकिन वो बनाने के लिए वो बनाने के लिए उन्होंने ले लिए 10 दिन कितने दिन ले लिए 10 दिन तो भाई क्या ये चलेगा 7त दिन बाद पार्टी है 10 दिन बाद आप आइसक्रीम दे रहे हो 2000 टब तो उसका मैं क्या करूं मेरे दोस्त पार्टी खत्म हो गई अब आइसक्रीम का क्या करूं समझ रहे हो अच्छा खा लू ठीक है लेकिन 2000 टबस है दोस्त आपके साथ बांट लू चलो यही ठीक है बट एनीवेज अगर ऑर्डर डिले हो रहा है तो हम कह सकते हैं कि दे आर नॉट इफेक्टिव इफेक्टिव विथ अ टी टी मतलब टाइम से काम होना चाहिए तो 7 दिन का टाइम था टाइम के अंदर काम होना चाहिए था तो वो इफेक्टिव थे बट उन्होंने समय से काम पूरा नहीं किया तो दे आर नॉट इफेक्टिव ठीक है चलो अब आपको कांसेप्ट समझ में आ गया होगा ठीक है कितना समझ में में आया यह जानने के लिए हम यहां पे एक क्वेश्चन लेते हैं जिसका जवाब आप मुझे दोगे ठीक है अब मैं कहती हूं कि राम वाज अ वर्कर हु रिसीवड अ टारगेट टू प्रोड्यूस 100 शर्ट्स इन अ मंथ एट अ कॉस्ट ऑफ 100 रुपी पर शर्ट ठीक है ही प्रोड्यूज 100 शर्ट्स विद इन अ मंथ बट एट अ कॉस्ट ऑफ ₹ 5 पर शट ठीक है अब सवाल यह है इज राम बोथ एफिशिएंट एंड इफेक्टिव ठीक है अब सवाल मैंने पूछा है जवाब आपको देना है कैसे देना है तो आपको नीचे कमेंट सेक्शन में जवाब देना है बहुत ही सिंपल सा सवाल है देखो सवाल पूछने का कारण एक ही है कांसेप्ट कितना क्लियर है नहीं है समझ में आ जाएगा ठीक है सिंपल सा सवाल है एग्जाम में ऐसे क्वेश्चंस आते हैं चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द फर्स्ट ब्रीफ क्वेश्चन जो कि है यहां पे द डिफरेंट कैरेक्टरिस्टिक ऑफ मैनेजमेंट अच्छा मैं कैरेक्टरिस्टिक को अगर फीचर्स कहना चाहती हूं कह सकती हूं यस फीचर्स एंड कैरेक्टरिस्टिक ऑफ मैनेजमेंट सेम है चाहे जो भी क्वेश्चन आए आपका आंसर सेम रहेगा सबसे पहला फीचर कहता है कि मैनेजमेंट इज अ गोल ओरिएंटेड प्रोसेस ये काहे गोल ओरिएंटेड जैसे मैंने बताया था कि मैनेजमेंट का मेन पर्पस क्या है लोगों से काम करवाना एफिशिएंटली एंड इफेक्टिवली क्यों सो दैट हम कंपनी के गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव्स अचीव कर सके तो मैनेजमेंट एक गोल ओरिएंटेड प्रोसेस है मैनेजमेंट का मेन काम होता है अपने इंटररिलेटेड फंक्शंस परफॉर्म करना लोगों से काम करवाना इस तरीके से कि कंपनी के जो भी यहां पे ऑब्जेक्टिव्स है जो भी गोल्स है उसको हम यहां पे अचीव कर सके तो बिकॉज़ मैनेजमेंट हमेशा कंपनी के गोल अचीव करने पे फोकस करता है इसलिए हम कहते हैं मैनेजमेंट इज अ गोल ओरिएंटेड प्रोसेस ठीक है सेकंड फीचर क्या कहता है कि मैनेजमेंट इज ऑल परवेसिव अच्छा सबसे पहले अगर मैं परवेसिव का मतलब समझाऊ तो बेटा परवेसिव का मतलब क्या होता है परवेसिव का मतलब होता है प्रेजेंट एवरी वेयर ठीक है परवेसिव का मतलब क्या होता है बेटा प्रेजेंट एवरी वेयर या हर जगह मौजूद रह ना तो मैं कहती हूं मैनेजमेंट इज ऑल परवेसिव मैनेजमेंट इज प्रेजेंट एवरी वेयर क्यों हम सोचते हैं कि भाई मैनेजमेंट एकदम ऐसा हाई फंडो कंसेप्ट है जो मैनेजर्स होता है ऐसे सूट बूट पहन के बड़े-बड़े कंपनीज में काम करता है ऐसा नहीं होता है ठीक है मैनेजर्स की अगर हम बात करें या मैनेजमेंट की हम अगर बात करें तो छोटे से छोटे कंपनी छोटे से छोटे ऑर्गेनाइजेशन चाहे वो सोल प्रोप्रानोलोल हो या प्राइवेट एंटरप्राइज हो हर जगह मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है हां ये जरूर होता है कि छोटे बिजनेसेस में मैनेजमेंट जो किया जाता है या जो लेवल ऑफ़ मैनेजमेंट होता है वो कम होता है बड़े बिजनेसेस में इसकी ज्यादा नीड होती है बट मैनेजमेंट हर जगह मौजूद होता है हर जगह इसकी रिक्वायरमेंट होती है चाहे कोई भी टाइप या कोई भी स्केल ऑफ बिज़नेस यहां पे आप परफॉर्म करो इसीलिए हम कहते हैं मैनेजमेंट इज प्रेजेंट एवरी वेयर क्योंकि वो हर बिज़नेस में मौजूद होता है ठीक है थर्ड पॉइंट है मैनेजमेंट इज मल्टी डायमेंशन है ए मल्टी डायमेंशन मतलब क्या तो मैनेजमेंट को ना अलग-अलग तरीके से अलग-अलग रूप से देखा जाता है जैसे मल्टीडाइमेंशनल में तीन चीजें होती हैं मैनेजमेंट ऑफ वर्क पीपल एंड ऑपरेशंस तीनों को डिटेल में समझाती हूं सबसे पहले अगर मैं कहती हूं मैनेजमेंट ऑफ वर्क ठीक है वर्क मतलब क्या अच्छा आपका जो भी बिजनेस है उसका एक पर्पस होता है हम एक एग्जांपल लेते हैं फॉर एग्जांपल अगर आपकी एक हॉस्पिटल है ठीक है तो हॉस्पिटल का मेन एम या काम या पर्पस क्या होता है कि भाई मेरे दवाखाने में या हॉस्पिटल में जो भी पेशेंट्स आते हैं जो भी बीमारी के साथ आते हैं है उनको बेस्ट पॉसिबल मेडिकल ट्रीटमेंट देना या बेस्ट पॉसिबल हेल्थ केयर फैसिलिटी देना ये उनका काम होता है ठीक है अगर मैं सिमिलरली स्कूल की बात करूं तो स्कूल का मेन पर्पस क्या होता है कि हमारे यहां पे जो भी बच्चे पढ़ने आते हैं उनको बेस्ट पॉसिबल एजुकेशन एंड नॉलेज प्रोवाइड करना तो कोई भी अगर आप बिज़नेस कर रहे हो ना हर एक बिज़नेस का एक पर्पस होता है फॉर एग्जांपल मैं अगर ट्रांसपोर्टेशन सर्विस चला रही हूं ठीक है तो मेरा मेन काम होगा कि लोगों को बेस्ट पॉसिबल ट्रांसपोर्टेशन सर्विस विदाउट एनी प्रॉब्लम यहां पे देना राइट तो हर एक बिज़नेस का एक पर्पस होता है एक काम होता है गोल होता है एक वर्क होता है तो उसी वर्क के ऊपर फोकस करके यह कोशिश करना कि हम जो भी काम को कर रहे हैं उसको बेस्ट पॉसिबल तरीके से अगर हम उसको कंप्लीट करें तो उसको हम कहते हैं यहां पे मैनेजमेंट ऑफ वर्क कि भाई मेरी अगर हॉस्पिटल है मेरा काम है लोगों को ट्रीटमेंट देना बेस्ट पॉसिबल ट्रीटमेंट देना मैं इस तरीके से चीजों को मैनेज करूं कि मेरे सारे प पेशेंट जो है उनको अच्छे से अच्छी-अच्छी ट्रीटमेंट मिले ठीक है सेकंड हम यहां पे कहते हैं मैने मेंट ऑफ पीपल पीपल मतलब एक तरीके से यहां पर मैं बात कर रही हूं मेरे कंपनी में काम करने वाले जो एंप्लॉयज है या वर्कर्स है उनकी राइट तो देखो बेटा अगर आप बिजनेस चला रहे हो स्पेशली अगर आप थोड़ा सा बड़े लेवल पर बिजनेस चला रहे हो कंपनीज चला रहे हो जॉइंट स्टॉक कंपनीज चला रहे हो अकेले तो नहीं चला रहे आपकी कंपनी में बहुत सारे एंप्लॉयज काम कर रहे है अच्छा वो काम कर रहे हैं तभी कंपनी में चीजें हो रही है तभी गोल्स अचीव हो रहे हैं तभी कंपनी पैसे कमा रही है तो बहुत इंपॉर्टेंट होता है अपना जो इंपॉर्टेंट रिसोर्स है जिसको हम ह्यूमन रिसोर्स कहते हैं जो हमारे लोग हैं जो हमारे लिए काम करते हैं उनको एक तरीके से सही तरीके से मैनेज करना अगर कहीं पे उनकी वीकनेस है कोई चीज उनको नहीं आती तो प्रॉपर्ली ट्रेनिंग देकर सिखाना उनको समय से सैलरी देना जो अच्छा काम करता है उसको परफॉर्मेंस अप्रेजल देना प्रमोशंस देना तो इसी को हम कहते हैं मैनेजमेंट ऑफ पीपल तो मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होती है कि हमारे यहां पे जो भी लोग काम कर रहे हैं उनकी स्ट्रेंथ के ऊपर फोकस करना अगर उनकी कोई वीकनेस है उसको सुधारना उनको ट्रेनिंग देना बेसिकली वो कंपनी में बेस्ट पॉसिबल अपना दे सके अपना बेस्ट दे सके यह आपको देखना है ठीक है नेक्स्ट के ऊपर जाते हैं जो कि है मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस ये ऑपरेशंस मतलब क्या तो बहुत सिंपल शब्दों में जब मैं यहां पे ऑपरेशंस कहती हूं तो मैं बात कर रही हूं प्रोडक्शन प्रोसेस की किसकी बात कर रही हो दोस्त तो मैं बात कर रही हूं प्रोडक्शन प्रोसेस की अब देखो दोस्त यहां पे अगर मैं एग्जांपल लेती हूं वुडन चेयर का मैं किसका एग्जांपल ले रही हूं तो मैं एग्जांपल ले रही हूं यहां पे वुडन चेयर का ठीक है तो एक चीज को समझो जब आप कोई भी चीज बनाते हो तो उसका एक प्रोसेस ऑफ प्रोडक्शन होता है जहां पे सबसे पहले आपका रॉ मटेरियल आता है जैसे वुडन चेयर के लिए सबसे इंपोर्टेंट रॉ मटेरियल जो हमें लगता है वो है वुडन ब्लॉक्स तो वुड आता है उसके ब्लॉक्स कन्वर्ट होता है ठीक है फिर उसका असेंबलिंग होता है फिर उसको कलर होके पॉलिश होके फिक्सिंग होके फाइनल प्रोडक्ट जो है आपका बनता है तो ये जो प्रोसेस है रॉ मटेरियल से लेके फिनिश कुट तक बनाने का इसको हम कहते हैं द प्रोसेस ऑफ प्रोडक्शन या तो प्रोडक्शन प्रोसेस इसी को मैनेज करना कि रॉ मटेरियल से लेके मेरा फाइनल प्रोडक्ट तक अब मैंने रॉ मटेरियल लिया रॉ मटेरियल को सेमी फिनिश प्रोडक्ट में कन्वर्ट किया फिर उसको फाइनल गुड में कन्वर्ट किया ये पूरे प्रोसेस को ये पूरे ऑपरेशंस को मैनेज करना कि इसमें कोई भी दिक्कत ना आए काम स्मूथली चले प्रोडक्शन प्रोसेस स्मूथली चले इसको हम कहते हैं मैनेजमेंट ऑफ ऑपरेशंस ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट जो कि है मैनेजमेंट इज अ कंटीन्यू प्रोसेस देखो बेटा ऐसे नहीं होता है कि आप कंपनी जब शुरू कर रहे हो तब मैनेजमेंट चाहिए बाद में मैनेजमेंट नहीं चाहिए या साल के शुरुआत में मैनेजमेंट चाहिए बाद में मैनेजमेंट नहीं चाहिए नहीं मैनेजमेंट थ्रू आउट द लाइफ ऑफ अ कंपनी रिक्वायर्ड होता है कंपनी शुरू करने से लेके कंपनी के अंत तक मैनेजमेंट की रिक्वायरमेंट होती है जैसे आप अ फॉर एग्जांपल कोई भी बिजनेस सेट करते हो तो उसके गोल सेट करते हो कि हां चलो ये हमारा गोल है ये हमारा टारगेट है ये हमारा ऑब्जेक्टिव है अच्छा वो गोल पूरा हो गया तो काम खत्म नहीं ना एक गोल पूरा हो गया तो हम दूसरा गोल सेट करेंगे फिर उसको अचीव करने के लिए मैनेजमेंट प्रोसेस करेंगे वह पूरा हुआ तो तीसरा गोल सेट करेंगे कहने का मतलब यह है कि जैसे गोल्स अचीव होते हैं वैसे हम न्यू गोल सेट करते हैं इसीलिए मैनेजमेंट कंटीन्यूअसली थ्रू आउट द बिजनेस चलते रहता है तभी हम कहते हैं मैनेजमेंट इज अ कंटीन्यूअस प्रोसेस यह कभी खत्म नहीं होता जो भी फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट है वो कंटीन्यूअसली कंटीन्यूअसली चलते रहते हैं ठीक है नेक्स्ट फीचर क्या है कि मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी देखो बेटा एक अके ला इंसान ना कभी भी कोई भी गोल या टारगेट को पूरा नहीं कर सकता अगर कोई भी क्रिकेट मैच जीत नहीं है अगर एज अ टीम कोई भी अगर आपको ट्रॉफी जितनी है आप अकेले नहीं कर सकते सब मिलकर जब मेहनत करेंगे जब बॉलर्स अच्छी बॉलिंग करेंगे फील्डर्स अच्छी फील्डिंग करेंगे विकेट कीपर्स अच्छी विकेट कीपिंग करेंगे बैट्समैन अच्छी बैटिंग करेंगे तब जाकर ओवरऑल टीम जब परफॉर्म करेगा तब गोल्स अचीव होंगे सेम होता है बेटा यहां पे कोई भी कंपनी में कंपनी जब भी गोल सेट करता है तो ऐसे नहीं होता है कि एक जन काम कर रहा है या डिपार्टमेंट काम कर रहा है तो गोल अचीव हो जाएगा नहीं कंपनी में काम करने वाले सारे लोग जब मिलकर टुवर्ड्स द गोल्स काम करते हैं तब जाकर ऑर्गेनाइजेशन के गोल्स अचीव होते हैं इसलिए हम कहते हैं मैनेजमेंट ग्रुप एक्टिविटी है सब मिलकर इसको करेंगे तब जाकर कंपनी के गोल्स अचीव होंगे ठीक है नेक्स्ट फीचर है मैनेजमेंट इज अ डायनामिक फंक्शन बेटा जब मैं डायनेमिक की बात करती हूं तो डायनेमिक का मतलब क्या होता है डायनामिक का मतलब होता है कांस्टेंटली चेंजिंग क्या होता है बेटा डायनेमिक का मतलब कांस्टेंटली चेंजिंग बार-बार बदलते रहना अच्छा मैनेजमेंट को क्यों कहते हैं डायनामिक या मैनेजमेंट बार-बार क्यों बदलता है देखो बेटा मैनेजमेंट बदलता नहीं है उसको बदलना पड़ता है पहली चीज तो ये समझो अच्छा क्यों बदलना पड़ता है क्योंकि जब हम कोई भी बिज़नेस करते हैं तो बिजनेस की जो सराउंडिंग्स होती है जैसे आप कोई भी बिजनेस करो आपका कंपट होगा आप जहां भी बिजनेस कर रहे हो उस कंट्री की इकोनॉमी होगी वहां की पॉलिटिकल कंडीशंस होगी तो ये जो भी हमारी सराउंडिंग्स है जो हमारे बिजनेस को अफेक्ट करती है फिर एग्जांपल अगर इकोनॉमिक अप्स एंड डाउंस हो गए इंफ्लेशन आ गया रिसेशन आ गया इंफ्लेशन मतलब महंगाई तो अगर महंगाई बढ़ गई तो बिजनेस पे असर होगा रिसेशन आ गया तो बिजनेस पे असर होगा कोविड जैसी बीमारी आ गई तो बिजनेस पर असर होगा समझ रहे हो मेरी बात नया कंपीटीटर आ गया मार्केट में तो बिजनेस पे असर होगा यहां पे हमारे सराउंडिंग्स में जो भी बिजनेस एनवायरमेंट होता है उसका असर हमारे बिजनेस पे होता है तो जब हमारी सराउंडिंग्स बदलती है ना तो मैनेजमेंट को उस सराउंडिंग से एडजस्ट करके अपने आप को बद लना पड़ता है एक एग्जांपल लेते हैं मान के चलो कि आपका बिजनेस है जहां पे आप शर्ट्स बना रहे हो बराबर अब जब शर्ट्स बनते हैं तो शर्ट्स को ऐसे प्रॉपर्ली पैक करने के लिए हम क्या करते हैं तो शर्ट में ऐसे थोड़ा सा कार्डबोर्ड ऐसे कॉलर वॉलर में सब जगह लगाते हैं फिर फोल्ड वल्ड करके पिन लगाते हैं पिन लगा के एक प्लास्टिक के ट्रांसपेरेंट रैपर में डालता है फिर उसको कार्डबोर्ड बॉक्स में डालता है जैसे आप दुकान में जाओगे तो ऐसे बॉक्सेस लगे होंगे शर्ट आप देख सकते हो राइट तो यहां पे अगर मान के चलो गवर्नमेंट ने कह दिया कि हमने तो प्लास्टिक बैन कर दिया अब आप शर्ट्स के ऊपर प्लास्टिक का कवर नहीं लगा सकते तो क्या करोगे आपको अपनी पैकेजिंग चेंज करनी पड़ेगी उस हिसाब से कि भैया प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं कर सकते तो मैनेजमेंट को अपनी पैकेजिंग एडजस्ट करनी पड़ेगी समझ रहे हो मेरी बात तो इसीलिए जब आपका बिजनेस एनवायरमेंट चेंज होता है तो आप मैनेजमेंट को उसके मुताबिक एडजस्ट करके चलना पड़ता है इसीलिए हम कहते हैं मैनेजमेंट इज डायनेमिक क्या कहते हैं मैनेजमेंट इज डायनामिक ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट एंड द लास्ट दैट इज इनटेंजिबल इनटेंजिबल मतलब क्या कोई भी ऐसी चीज जिसको आप ना देख सकते हो ना टच कर सकते हो ना आप फील कर सकते हो तो उसको हम कहते हैं इनटेंजिबल फर एग्जांपल अगर मैं मैनेजमेंट की बात करूं तो क्या आप मैनेजमेंट को देख सकते हो अच्छा आप कह सकते हो ये देख देख वो कंपनी का मैनेजमेंट कितना बड़ा और खूबसूरत है ना कह सकते हो नहीं ना देखो बेटा मैनेजमेंट को देख नहीं सकते परट कोई भी कंपनी की जो परफॉर्मेंस है फॉर एग्जांपल मैं अगर कहती हूं एक कंपनी है या एक बिजनेस है जैसे निवेद्या ठीक है तो विद्या जो एक कंपनी है वो फिलहाल apple-fruit हम यहां पे देख सकते हैं ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट जो कि है आपका अगला क्वेश्चन एंड दैट इज ऑब्जेक्टिव्स ऑफ मैनेजमेंट अच्छा ऑब्जेक्टिव्स ऑफ़ मैनेजमेंट की अगर मैं बात करूं तो ऑब्जेक्टिव्स जो है उसको तीन सब कैटेगरी में क्लासिफाई किया जा सकता है ठीक है जो भी मेरे ऑब्जेक्टिव्स ऑफ मैनेजमेंट है इन ऑब्जेक्टिव्स को मैं तीन सब कैटेगरी में क्लासिफाई कर सकती हो कौन सेकन से तो सबसे पहला आता है आपका ऑर्गेनाइजेशन ऑब्जेक्टिव ठीक है देखो बेटा जो ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव है ना वो एक तरीके से कंपनी का फायदा या बेनिफिट के लिए होता है जैसे कंपनी ग्रो करे कंपनी ज्यादा पैसे कमाए कंपनी का फायदा देखने वाला ऑब्जेक्टिव होता है ठीक है दूसरा है जिसको हम कहते हैं सोशल ऑब्जेक्टिव इस सोशल ऑब्जेक्टिव ना कभी भी कंपनी का फायदा नहीं दिखता सोशल ऑब्जेक्टिव बेनिफिट ऑफ द सोसाइटी के लिए बनाया गया है जैसे आपने क्लास 11थ में पढ़ा था सोशल रिस्पांसिबिलिटी ऑफ बिजनेस एंड बिजनेस एथिक्स तो उसमें आपने पड़ा था कि एज अ बिजनेस आपकी सोसाइटी की तरफ भी कुछ जिम्मेदारियां होती है तो लोगों को अच्छे क्वालिटी के प्रोडक्ट्स मिले ठीक है लोगों को प्रोडक्ट जो है सस्ते से सस्ते दामों पे मिले आप सोशल सर्विसेस करो जैसे गांव में फ्री मेडिकल सर्विसेस देना रोड बनाना शौचालय बनाना तो ऐसा कोई भी काम आप कर रहे हो जहां पे आप सोच रहे हो कि भाई समाज का भला हो समाज में रहने वाले लोगों का भला हो तो उसको हम कहते हैं सोशल ऑब्जेक्टिव ऑफ मैनेजमेंट ठीक है उसके बाद हम थर्ड कैटेगरी पे जाते हैं जो कि है आपके यहां पे ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स अच्छा मैं ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स को इंडिविजुअल ऑब्जेक्टिव्स ठीक है मैं ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स को तीन नाम से बुला सकती हूं एक है आपका यहां पे इंडिविजुअल ऑब्जेक्टिव्स ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स एंड थर्ड है आपका यहां पे पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स ठीक है बेटा पर्सनल का मतलब क्या तो लोग इन शॉर्ट राइट तो जो ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स है पर्सनल इंडिविजुअल ऑब्जेक्टिव्स है चाहे कोई भी नाम से आप कोई भी किताब में बुला लो इसका एम होता है कि कंपनी में जो एंप्लॉयज काम कर र है अरे भाई एंप्लॉई वन ऑफ द मोस्ट इपोर्ट इंपोर्टेंट रिसोर्स ऑफ़ द कंपनी है ठीक है तो एंप्लॉयज का बेनिफिट सोचना उनका वेलफेयर सोचना जैसे मैं कहती हूं कि भाई मेरे एंप्लॉयज को मैं फ्री हाउसिंग फैसिलिटी दे रही हूं या ट्रेवलिंग मैं उनका स्पांसर कर रही हूं कि भाई घर से लेकर ऑफिस तक मैं ट्रेवलिंग फैसिलिटी दे रही हूं उनके बच्चे की फ्री एजुकेशन देख रही हू तो एंप्लॉयज को कोई भी बेनिफिट देना पर्क्स देना आने जाने के लिए गाड़ी देना फ्री कैंटीन में फूड देना इसको हम कहते हैं एंप्लॉई वेलफेयर ऑब्जेक्टिव्स या तो ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स या तो इंडिविजुअल ऑब्जेक्टिव्स या तो पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स थोड़ा सा इसको हम यहां पे डिटेल में समझता है सबसे पहले बेटा अगर मैं ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव की बात करूं जैसे मैंने बताया था कि जो भी आपके यहां पे ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स होते हैं वो कंपनी के बेनिफिट या कंपनी के फायदे के लिए बनाया जाता है तो ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स यहां पे तीन कैटेगरी में क्लासिफाई होते हैं हो सके तो इसका सीक्वेंस मेंटेन करना क्योंकि उसमें एक लॉजिक है सबसे पहले आता है आपका यहां पे सर्वाइवल ठीक है सर्वाइवल का मतलब ये होता है कि भाई देखो जब बिजनेस नया शुरू होता है बहुत बार ऐसे होता है कि बिजनेस पैसा नहीं कमाए कोई दिक्कत नहीं शुरुआत में आपका फोकस होना चाहिए सर्वाइवल इतना पैसा कमाओ कि भाई खर्चा निकल जाए बाकी कोई दिक्कत नहीं है धीरे-धीरे हम प्रॉफिट पे पहुंचेंगे ठीक है जैसे बिजनेस सर्वाइवल फेज पूरा कर लेता है ना हम सेकंड ऑब्जेक्टिव पे चले जाते हैं जो कि है हमारा यहां पे प्रॉफिट तो प्रॉफिट सेकंड पार्ट हो जाता है देखो कोई भी बिजनेस शुरू होता है तो तुरंत प्रॉफिट उसम नहीं होगा हो सकता है कहीं हो हो सकता है नहीं होगा बट आपको एक सोच के साथ बिजनेस शुरू करना पड़ता है कि भाई शुरुआत में हो सकता है एक दो साल मुझे प्रॉफिट ना हो शुरुआत में मार्केट को समझ ने में लोगों को मेरा प्रोडक्ट अच्छा लगने में मार्केटिंग करने में एडवर्टाइजमेंट करने में निकाल जाता है तो शुरुआत हमेशा सर्वाइवल से होती है जहां पे मैं कोशिश करती हूं कि कम से कम उतना कमाऊ कि मेरा खर्चा निकल जाए तो इनकम इज इक्वल टू एक्सपेंसेस फिर मैं जाती हूं प्रॉफिट पे जहां पे इनकम इज ग्रेटर देन एक्सपेंसेस मैं कोशिश करती हूं कि हां चलो अब सरवाइव कर लिया अब मार्केट में मुझे प्रॉफिट कमाना है मुझे अर्निंग करना है क्योंकि प्रॉफिट तो प्राइमरी एम ऑफ बिजनेस है दब जा कर तो भाई इतना रिस्क लेते हो राइट फिर आप थर्ड ऑब्जेक्टिव पे पहुंचते हो जो कि है आपका यहां पे ग्रोथ देखो बेटा जैसे बिजनेस प्रॉफिट कमाने लगता है ना वोह सोचता है कि हम आगे बढ़े मतलब बिजनेस को ग्रो करें बिजनेस को बढा करें बिजनेस को एक्सपेंड करें तो नई ब्रांचेस खोलना नई फैक्ट्रीज खोलना नया प्रोडक्ट लॉन्च करना ठीक है डायवर्सिफाई करना जैसे पहले मैं साबुन बनाती थी अब मैं बिस्किट के बिजनेस में भी चले गई तो इस तरीके से बिजनेस को और बड़ा करने की कोशिश करना दैट इज ग्रोथ ये तीनों जो है ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स है जहां पे मेन फोकस होता है मेरे बिजनेस का बेनिफिट शुरुआत में मैं देखती हूं सर्वाइवल मिनिमम उतना इनकम हो कि खर्चा निकल जाए फिर मैं जाती हू टुवर्ड्स प्रॉफिट वेयर इनकम इज ग्रेटर दन एक्सपेंसेस प्रॉफिट अर्न करना शुरू कर दिया तो मैं जाती हूं ग्रोथ के ऊपर कि भाई मेरा बिज़नेस आगे फ्यूचर में जाके ग्रो करे एक्सपें करें डाइवर्सिटी तो ये तीनों जो है ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स ऑफ़ बिज़नेस है राइट चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द सेकंड कैटेगरी जो कि है आपके यहां पे सोशल ऑब्जेक्टिव्स सोशल ऑब्जेक्टिव्स की बात करें तो जैसे मैंने बताया सोशल ऑब्जेक्टिव्स का मेन एम होता है सोसाइटी का वेलफेयर सोसाइटी में रहने वाले लोगों का वेलफेयर मतलब बेनिफिट ऑफ द पीपल ऑफ द सोसाइटी ठीक है अब सोशल ऑब्जेक्टिव में सबसे पहले आता है सप्लाई ऑफ क्वालिटी प्रोडक्ट्स एट रीजनेबल प्राइस देखो बेटा लोग आपके बिज़नेस को सपोर्ट करते हैं आपके बिज़नेस के प्रोडक्ट सर्विसेस खरीदते हैं तब जाकर आपका बिज़नेस चलता है तो मिनिमम उनकी इतनी तो रिक्वायरमेंट होती है कि हमें यह जो भी बिज़नेस प्रोडक्ट सर्विस बना के दे वो अच्छी क्वालिटी का हो एंड रीजनेबल प्राइस हो तो उसी में उनका फायदा है उसी में उनका बेनिफिट है रीजनेबल प्राइस होगा सब लोग अफोर्ड कर पाएंगे और अच्छी क्वालिटी तो होनी ही चाहिए ठीक है दूसरा है कंट्रीब्यूशन टुवर्ड्स डिजायरेबल सिविक एक्टिविटीज सिविक एक्टिविटी मतलब एक तरीके से बेनिफिट ऑफ द पीपल आप जैसे कहते हो कि शौचालय बना दिए ठीक है आपने गांव में बिजली का सप्लाई करके दिया वहां पे पक्की सड़क बना के दी तो इसको हम कहते हैं सिविक एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करना ठीक है कहीं पे ड्रिंकिंग वाटर के फिल्टर्स लगा दिए बैठने के लिए बेंचेज लगा दिए एंड सो ऑन नेक्स्ट है जनरेशन ऑफ इकोनॉमिक वेल्थ देखो बेटा बिजनेस का काम होता है लोगों की भलाई सोचना कहीं ना कहीं लोगों की भलाई होती है जब देश की भलाई होती है या देश जब ग्रो करता है देश जब डेवलप करता है तो इकोनॉमिक ग्रोथ में कंट्रीब्यूट करना बिजनेस अर्न करना टैक्सेस पे करना ठीक है टैक्सेस पे करने से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट होता है जीडीपी बढ़ता है नेशनल इनकम बढ़ती है तो इससे एज अ कंट्री भी आपकी ग्रोथ होती है जिसमें कंट्री में रहने वाले लोगों का भी बेनिफिट होता है नेक्स्ट है जनरेटिंग ऑफ एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी देखिए बेटा बिजनेस अगर आप कर रहे हो ना तो आपके पास काफी बार ऑप्शन होता है कि आप प्रोडक्शन कर रहे हो तो कैपिटल इंटेंसिव मतलब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मशीनरी का इस्तेमाल करके प्रोडक्शन करो दूसरा ऑप्शन होता है लेबर इंटेंसिव लेबर इंटेंसिव प्रोडक्शन कर रहे हो या ऐसे एरिया में बिजनेस सेटअप कर रहे हो जहां पे नौकरियों की कमी है ठीक है उसमें जो स्पेशली व्हीकल सेक्शंस ऑफ द सोसाइटी है मेन है वीमेन है उनका अप लिफ में दे रहे हो उनको नौकरी में प्रायोरिटी दे रहे हो तो इससे जाहिर सी बात है सोशल वेलफेयर होता है नेक्स्ट है फाइनेंशियल सपोर्ट टू द कम्युनिटी कहीं पे भी अगर आप बिजनेस हो आप कर करोड़ों में अरबों में कमाते हो कहीं पे भी आपको लगता है कि आप फाइनेंशियल हेल्प कर सकते हो आपको करना चाहिए जैसे आपने देखा होगा जैसे टाटा है या अंबानी है या डानिज है या बहुत सारे सेलिब्रिटीज है जैसे अक्षय कुमार है एंड सो ऑन तो ये लोग जब भी देश में कोई तकलीफ आती है कोई दुविधा आती है तो ये लोग डोनेट करके कहीं ना कहीं सपोर्ट करता है अच्छा देश में अर्थक्वेक आ गया फ्लड आ गया कोविड जैसी बीमारी आ गई तो वो लोग डोनेट करके क्योंकि उनके पास सरप्लस इनकम है तो वो लोग डोनेट करके फाइनेंशियल हेल्प टू द पीपल करते हैं कि भाई उनकी ये तकलीफ को हम मिनिमाइज कर सके या सॉल्व कर सके राइट नेक्स्ट ऑर्गेनाइजिंग एजुकेशनल हेल्थ एंड वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स आप गांव में या रूरल या सेमी अर्बन एरियाज में अलग-अलग जगहों पे डिफरेंट प्रोग्राम्स कंडक्ट करके हेल्थ एंड अवेयरनेस प्रोग्राम करके वमन अवेयरनेस प्रोग्राम करके चिल्ड्रन अवेयरनेस प्रोग्राम करके बहुत सारे ऐसे प्रोग्राम्स कंडक्ट करके लोगों में अवेयरनेस स्प्रेड करके एजुकेशन स्प्रेड करके भी समाज की मदद कर सकते हो नेक्स्ट है पार्टिसिपेटिंग एक्टिवली इन सोशल सर्विस प्रोजेक्ट्स ऑफ द गवर्नमेंट एंड एनजीओस एनजीओस एंड गवर्नमेंट लोगों के वेलफेयर के लिए बहुत सारे प्रोजेक्ट्स करते हैं उसमें आप उनका साथ दे सकते हो उनके साथ यहां पे पार्टिसिपेट कर सकते हो नेक्स्ट है यूजिंग एनवायरमेंटल फ्रेंडली मेथड्स ऑफ प्रोडक्शन देखो बेटा आज पर्यावरण का नुकसान कर गया पर्यावरण को पलू शूट करके हम पे उसका क्या नेगेटिव इंपैक्ट हो रहा है यह आप सभी ने देखा है तो कहीं ना कहीं बिजनेस की जिम्मेदारी बनती है कि भाई जो हम पोल्यूशन करते हैं उससे लोगों पे नेगेटिव इंपैक्ट होता है तो इसको मिनिमाइज करना हो सके वहां पे इको फ्रेंडली मेथड्स ऑफ प्रोडक्शन इको फ्रेंडली पैकेजिंग इसको यहां पे इस्तेमाल करना नेक्स्ट है प्रोवाइड एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी टू द वीकर सेक्शंस ऑफ द सोसाइटी जैसे मैंने आपको ऑलरेडी बताया था कि एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी देना जरूरी है स्पेशली अगर आप कोशिश कर सकते हो कि बहुत सारे लोग हैं जैसे डिफरेंटली एबल लोग हैं वमन है पीपल इन रूरल एरिया है जहां पे इसकी सख्त जरूरत है या उनको नौकरियां नहीं मिलती जल्दी उनको अगर आप प्रायोरिटी दे सकते हो तो भाई वो कहते हैं ना मतलब सोने पे सुहागा वाली बात है द चेरी ऑन द केक ओके चलिए आगे जाते हैं बेटा फिर टू द नेक्स्ट जो कि है आपकी ह्यूमन या तो जिसको आप इंडिविजुअल पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स भी कह सकते हो सबसे पहला ह्यूमन ऑब्जेक्टिव है कॉम्पिटेटिव सैलरी टू फुलफिल द फाइनेंशियल नीड्स ऑफ दी एंप्लॉयज एंप्लॉयज आपके यहां काम करते हैं काम करते हैं तो आपकी गोल्स पूरे होता है तो वो एंप्लॉयज को मार्केट के हिसाब से कॉम्पिटेटिव सैलरीज मिलना मिनिमम उतनी सैलरी मिलना कि उनकी बेसिक जरूरतें जो है वो पूरी कर सके ये आपकी एक जिम्मेदारी है नेक्स्ट है प्रमोशन ट्रेनिंग पर्सनल ग्रोथ एंड डेवलपमेंट ऑफ एंप्लॉयज टू फुलफिल एस्टीम एंड अदर हायर लेवल नीड्स ऑफ़ एंप्लॉयज एंप्लॉयज आपके यहां पे काम करते हैं तो उनको स्किल सिखाना उनको नई चीजें सिखाना उनको न्यू टेक्नोलॉजी सिखाना उनको ट्रेनिंग देना जहां पे आप उनका भी फ्यूचर बना रहे हो उनका भी फ्यूचर ग्रोथ देख रहे हो इंपॉर्टेंट है नेक्स्ट है प्यूर रिकॉग्निशन सेल्फ रेस्पेक्ट रिस्पेक्ट फॉर कलीग टू फुलफिल सोशल न देखो लोग आपकी यहां पे काम करते हैं तो जाहिर सी बात है बेसिक नेसेसिटी होती है कि उनको रिस्पेक्ट मिले राइट लोग उनको जाने लोग उनको पहचाने लोग उनको रिस्पेक्ट करें ये इंपॉर्टेंट है वो उनको मिलना चाहिए नेक्स्ट है गुड एंड हेल्दी वर्किंग कंडीशंस फॉर द सेफ्टी ऑफ़ दी एंप्लॉयज प्रॉपर वेंटिलेशन होना चाहिए प्रॉपर लाइटिंग होना चाहिए फैक्ट्री में अगर काम हो रहा है तो उसके लिए जो भी सेफ्टी इक्विपमेंट्स होते हैं जैसे ग्लव्स है या हेड गियर्स है वो सारी चीजें एंप्लॉयज को मिलनी चाहिए उनकी हेल्थ एंड सेफ्टी कभी भी कॉम्प्रोमाइज नहीं होनी चाहिए उसके अलावा आप कि अगर बच्चों को फ्री एजुकेशन देते हो फ्री ट्रैवल फैसिलिटी देते हो फ्री फूड देते हो पर्क्स देते हो ये सब कुछ ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स में आता है एनीथिंग जो आप एंप्लॉयज के बेनिफिट के लिए कर रहे हो ह्यूमन ऑब्जेक्टिव्स में आ जाएगा ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट क्वेश्चन जो कि है इंपॉर्टेंस ऑफ मैनेजमेंट आप चाहो तो इसको सिग्निफिकेंट ऑफ़ मैनेजमेंट कह सकते हो वन एंड द सेम है ठीक है पहला पॉइंट कहता है कि मैनेजमेंट हेल्प्स इन अचीविया बेटा मैं आपको बार-बार लगातार एक ही चीज कह रही हूं मैनेजर का मेन एम क्या होता है मैनेजर लोगों से काम करवा के लेते हैं एंप्लॉई से काम करवा के लेते लेते हैं इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली क्यों क्योंकि मैनेजमेंट का अल्टीमेट परपस एक ही है कंपनी या ऑर्गेनाइजेशन जो भी गोल से ऑब्जेक्टिव सेट करें उसको अचीव करना ठीक है तो मैनेजमेंट वर्कर्स को इंस्ट्रक्शंस देते हैं एंप्लॉयज को इंस्ट्रक्शंस देते हैं ट्रेनिंग देते हैं काम करते हैं काम करवाते हैं सो दैट कंपनी के गोल्स अचीव हो सके तो मैनेजमेंट मदद करता है कंपनी के गोल्स अचीव करने में ग्रुप गोल्स अचीव करने में ठीक है नेक्स्ट इंपॉर्टेंस है मैनेजमेंट इंक्रीजस एफिशिएंसी जैसे मैंने आपको बताया था कि मैनेजर का काम है लोगों से काम करवा के लेना बट ये भी ध्यान में रखना कि ये काम इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली हो तो जब भी हम वर्कर्स से काम करवाते हैं तो वर्कर्स को काम सिखाते हैं ट्रेनिंग देते हैं सो दैट वर्कर्स मिनिमम पॉसिबल कॉस्ट में काम को करें अब जैसे मैंने करण अर्जुन की कहानी बताई थी अगर मैं करण को पहले से ट्रेन कर देती करन को पहले से बता देती कि भाई शर्ट की कटिंग इस तरीके से करनी है तो हो सकता है वो भी रिसोर्सेस वेस्ट नहीं करते तो अच्छा मैनेजर वो होता है जो लोगों की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने की कोशिश करता है लोग बेहतर काम कर सके यह कोशिश करता है बाय ट्रेनिंग बाय प्लानिंग एंड बाय टीचिंग ठीक है नेक्स्ट है यहां पे मैनेजमेंट क्रिएट्स अ डायनेमिक ऑर्गेनाइजेशन डायनेमिक का मतलब मैं आपको ऑलरेडी बता चुकी हूं कांस्टेंटली चेंजिंग देखिए बेटा बिजनेस एनवायरमेंट है ना कांस्टेंटली चेंजिंग है वो ना किसी के लिए रुकता है ना किसी को पूछता है कंपीटीटर आना है तो थोड़ी आपको पूछ के आएगा गवर्नमेंट की कोई पॉलिसी चेंज होनी है जैसे अभी करेंटली जीएसटी के रेट्स कुछ चीजों में चेंज हो गए तो आपको पूछ के करेंगे क्या अच्छा इकोनॉमिक कंडीशन अगर चेंज हो गई मान के चलो आज अगर ईरान इसराइल में वॉर हो रहा है रशिया यूक्रेन में वॉर हो रहा है उसकी वजह से इकोनॉमिक कंडीशन चेंज हो गई गोल्ड के प्राइसेस बढ़ गए स्टॉक मार्केट्स क्रैश हो गए तो आपको पूछ के होंगे क्या बट इसका असर बिजनेस पे जरूर होगा तो इन चीजों के मुताबिक चलना इन चीजों के मुताबिक एडजस्ट करना न्यू टेक्नोलॉजी आती है तो उसको अपनाना ये जरूरी है बट बहुत बार ऐसे होता है ना एंप्लॉयज नहीं अपनाने तैयार होता है मतलब नई चीज जाती है तो सीखना पड़ता है तकलीफ होती है मेहनत लगती है तो बहुत लोग रेजिस्ट करते हैं हमको नहीं करना पहले का ही ठीक है हम तो ऐसे ही करेंगे मैनेजमेंट का काम होता है उनको सिखाना और समझाना कि भाई यह आपको करना होगा यह जरूरी है और क्यों जरूरी है तो लोगों को चेंज एक्सेप्ट कराना लोग चेंज को एक्सेप्ट करें लोग उस मुताबिक एडजस्ट हो यह करवाना मैनेजमेंट करता है इसलिए हम कहते हैं कि मैनेजमेंट हेल्प्स इन क्रिएटिंग अ डायनामिक ऑर्गेनाइजेशन ठीक है चलिए आगे जाते हैं फिर टू द नेक्स्ट जो कि है मैनेजमेंट हेल्प्स इन अचीविया ऑब्जेक्टिव्स एज वेल देखिए ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स अलग है वो कंपनी के गोल्स है कि हमें प्रॉफिट कमाना है हमको ग्रो करना है हमें सेल्स बढ़ाना है वो कंपनी के गोल्स है लेकिन कंपनी में जो लोग काम करते हैं उनके भी गोल्स होता है अच्छा उनको चाहिए कि हमें प्रमोशन मिले हमें बेहतर सैलरी मिले ठीक है हमारा ओहदा बढ़े हमको एडिशनल पर्क्स मिले वो उनके ऑब्जेक्टिव्स होता है कि मुझे करियर में आगे बढ़ना है मुझे ग्रो करना है अच्छा मैनेजमेंट वो होता है जो दोनों को पूरा करें ऑर्गेनाइजेशनल ऑब्जेक्टिव्स भी पूरा करें और एंप्लॉयज के पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स भी पूरा करें उनको गाइड करें कि आप आपके जो पर्सनल ऑब्जेक्टिव्स है जैसे अगर आप करियर में आगे बढ़ना चाहते हो आप चाहते हो कि आपका परफॉर्मेंस अप्रेजल हो आप चाहते हो कि आप नई चीजें सीखो तो आप कैसे कर सकते हो ठीक है चलिए आगे जाते हैं बटा फिर टू द नेक्स्ट जो कि है मैनेजमेंट हेल्प्स इन द डेवलपमेंट ऑफ द सोसाइटी कैसे तो जैसे मैंने आपको बताया था कि जो भी मैनेजमेंट है उसके कुछ सोशल ऑब्जेक्टिव्स भी हो होता है ठीक है तो यहां पे सोसाइटी को अच्छे क्वालिटी के गुड्स देना रीजनेबल प्राइसेस पे देना जहां पे सिविक एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट कर सकते हैं इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स कर सकते हैं वो करना इस तरीके से कहीं ना कहीं मैनेजमेंट सोसाइटी के डेवलपमेंट में भी कंट्रीब्यूट करता है लोगों को एंप्लॉयमेंट अपॉर्चुनिटी देता है कहीं पे फ्री एजुकेशन देता है कहीं पे अवेयरनेस प्रोग्राम्स क्रिएट करता है एंड सोसाइटी ग्रोथ में या सोसाइटी डेवलपमेंट में भी कंट्रीब्यूट करता है ठीक है चलिए आगे जाते हैं बटा फिर टू द नेक्स्ट क्वेश्चन देखिए हंसते खिलते तीन क्वेश्चंस हो भी गए है ना चलिए नेक्स्ट क्वेश्चन के ऊपर जाते हैं जो थोड़ा सा मतलब ऐसे आप कह सकते हो बेचता क्वेश्चन है एकदम ऐसे थोड़ा कंफ्यूज ंग क्वेश्चन है बट वई फियर व्हेन आई एम हियर कर देंगे ना इसको भी सॉल्व ठीक है चलिए अब क्वेश्चन है नेचर ऑफ मैनेजमेंट अच्छा नेचर ऑफ मैनेजमेंट की अगर हम बात करें तो हमने नेचर ऑफ मैनेजमेंट में यहां पे मैनेजमेंट को तीन इंपॉर्टेंट डिसिप्लिन से कंपेयर किया है ठीक है कौन से तीन इंपॉर्टेंट डिसिप्लिन से कंपेयर किया है तो हमने मैनेजमेंट का कंपैरिजन किया है साइंस आर्ट एंड प्रोफेशन से ठीक है तो तीन इंपॉर्टेंट डिसिप्लिन है जिससे हमने मैनेजमेंट का कंपैरिजन किया है यह आपको कंक्लूजन है कि क्या मैनेजमेंट आर्ट है क्या मैनेजमेंट साइंस है क्या मैनेजमेंट प्रोफेशन है या तीनों है या तीनों नहीं है ठीक है इन शॉर्ट हम कंपैरिजन करके कंक्लूजन चाहते हैं कि क्या मैनेजमेंट ये प्रोफेशन के जैसा है या उनके जैसा मिलता जुलता है तो सबसे पहले हम कंपैरिजन यहां पे मैनेजमेंट एज अ साइंस करेंगे कंपैरिजन करने के लिए हम क्या करेंगे तो साइंस के फीचर्स लेंगे वो फीचर्स मैनेजमेंट में मौजूद है या नहीं वो चेक करेंगे अगर फीचर्स मैनेजमेंट में मौजूद है मतलब मैनेजमेंट साइंस जैसा है तो हम कहेंगे मैनेजमेंट इज अ साइंस ठीक है सेम हम आर्ट एंड सेम हम प्रोफेशन के साथ करेंगे तो सबसे पहला फीचर ऑफ साइंस है कि साइंस इज अ सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज अच्छा सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज क्या पहले मैं वो समझा देती हूं जब मैं कहती हूं सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज तो उसका मतलब यह होता है कि जब भी आप साइंस का कोई भी कोर्स करते हो अच्छा साइंस में बहुत सारी डिग्रीज आती है ठीक है जैसे आप 11 12 साइंस में कर सकते हो उसके बाद बीएससी कर सकते हो एमएससी कर सकते हो साइंस में बहुत सारे कोर्सेस आता है इसमें बहुत सारे सब्जेक्ट्स होते हैं फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी जूलॉजी एक्सेट्रा इसकी किताबें होती है इसके कोर्सेस होते हैं इसके डिग्रीज होती है इसके यूनिवर्सिटीज होती है इसे हम कहते हैं सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज कि बाबा साइंस के अपने कोर्सेस है सब्जेक्ट्स है किताबें हैं जिसमें आप साइंस में करियर पसू कर सकते हो क्या यह चीज मैनेजमेंट में है जी हां मैनेजमेंट की भी अपनी किताबें हैं मैनेजमेंट के भी अपने कोर्सेस है जैसे बीएमएस है एमबीए है बीबीए है बहुत सारे कोर्सेस है मैनेजमेंट में भी आप डिग्रीज ले सकते हो तो इसीलिए हम कहते हैं कि यह जो फीचर ऑफ साइंस है ये कंप्लीट मैनेजमेंट में मौजूद है तो मतलब पहला फीचर डन डन डंग डन अब सेकंड फीचर पे जाते हैं जो कि है प्रिंसिपल्स आर बेस्ड ऑन एक्सपेरिमेंटेशन अच्छा साइंस के कोई भी थ्योरी या प्रिंसिपल्स है वो ऐसे रातों-रात नहीं बने उसके ऊपर रिपीटिटिवली जन ड्रॉ किया गया रिपीटेड एक्सपेरिमेंट्स के बाद ही ये प्रिंसिपल्स को बनाए गए चाहे कोई भी प्रिंसिपल हो प्रिंसिपल ऑफ ग्रेविटी हो या कोई भी हो ठीक है तो ऐसे अगर हम मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स की भी बात करें जैसे आपका चैप्टर नंबर टू ही है प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट वो हेनरी फयोल एंड एफ डब् टेलर ने बनाए हैं यह प्रिंसिपल भी रातों-रात नहीं बने इसके पीछे भी बहुत सारे रिपीटेड एक्सपेरिमेंट्स किए गए ऑब्जर्वेशंस किए गए देन ये प्रिंसिपल्स को बनाया गया लेकिन दोनों में ना एक बहुत बड़ा फर्क है साइंस के हम जो भी प्र अ एक्सपेरिमेंट्स करते हैं एक्सपेरिमेंट्स करके प्रिंसिपल्स बनाते हैं वो एक क्लोज एनवायरमेंट में बनाता है मतलब उसका जो रिजल्ट आएगा नाना हर बार एक्यूरेट आएगा जैसे बचपन में हम साइंस के लेबोरेटरी में जाके बहुत सारे एक्सपेरिमेंट्स करते थे तो उसमें स्टेप्स फॉलो करते थे सबका रिजल्ट सेम और एक्यूरेट आता था अच्छा नहीं आया मतलब आपने कुछ गड़बड़ करी है और हर जगह ना वो सेम आएगा यह चीज मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स के साथ नहीं हो सकती है क्यों नहीं हो सकती है क्योंकि जब मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स एक्सपेरिमेंट्स करता है या डील करता है वो डील करता है विद पीपल अरे लोग ही तो मैनेजमेंट करता है ना तो मैनेजमेंट डील करता है विद ह्यूमंस एंड विद पीपल अच्छा लोगों का स्वभाव सबका हमेशा डिटो एक जैसा होता है नहीं तो इसके रिजल्ट्स है ना हर जगह थोड़े-थोड़े अलग आता है जैसे एक एक सिंपल एग्जांपल है हमारे एक दोस्तों का ग्रुप होता है ठीक है तो हमेशा ग्रुप में एक ऐसा खड़ूस दोस्त होता है जिसकी मजाक करो तो ऐसा मुंह फुला के बैठ जाता है तो जनरली लोगों की मजाक करता है तो वो हंस देते हैं मतलब हंसी में हिस्सा बन जाते हैं बट एक अलग निकलता है ह्यूमंस कैन नेवर बी एगजैक्टली सेम तो इसीलिए ये फर्क आने के वजह से हम कहते हैं कि ये फीचर पार्शियली प्रेजेंट प्रेजेंट है मतलब हां प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट भी बेस्ड ऑन एक्सपेरिमेंटेशन है बट इसका रिजल्ट कभी-कभी वेरी कर सकता है बिकॉज़ वी डील्स विद वी डील विद ह्यूमंस इसीलिए यह पार्शियली प्रेजेंट है ठीक है थर्ड फीचर है कि यहां पे आपकी यूनिवर्सल वैलिडिटी है देखो बेटा सबसे पहले यूनिवर्सल वैलिडिटी मतलब क्या हर जगह सेम टू सेम ठीक है अगर मैं कहती हूं वाटर इज h2o वो हर जगह सेम है ऐसा नहीं है कि यूएसए में वो h3o है थोड़ा बड़ा नहीं ना भाई हर जगह वाटर इज h2o बट ये चीज बेटा मैनेजमेंट में नहीं है मैनेजमेंट एगजैक्टली साइंटिफिक प्रिंसिपल्स के तरह नहीं है वो सिचुएशनल होता है सिचुएशन के मुताबिक चेंज होते हैं एडजस्ट करना पड़ता है रिजल्ट वेरी कर सकता है तो यूनिवर्सल नहीं है हर जगह डिफरेंट होगा इसीलिए ये फीचर यहां पे प्रेजेंट नहीं है तो साइंस के तीन फीचर्स थे पहला वाला सिस्टमिक बॉडी ऑफ़ नॉलेज प्रेजेंट है दूसरा वाला प्रिंसिपल्स बेस्ड ऑन एक्सपेरिमेंटेशन आधा-आधा प्रेजेंट है तीसरा वाला यूनिवर्सल वैलिडिटी प्रेजेंट नहीं है तो डेड प्रेजेंट है डिड प्रेजेंट नहीं है अब क्या करने का बेटा कंक्लूजन ड्रॉ करना है कंक्लूजन में क्या कहा जाता है तो कंक्लूजन में कहा जाता है चाहो तो मेरे साथ कंक्लूजन नोट कर सकते हो कंक्लूजन कहता है मैनेजमेंट इज अ साइंस बट नॉट एग्जैक्ट और प्योर साइंस इट कैन बी कॉल्ड इन एग्जैक्ट और सोशल साइंस ठीक है तो मैनेजमेंट साइंस है बट एग्जैक्ट या प्योर साइंस नहीं उसको इनएग्जैक्ट या सोशल साइंस कह सकते हो बिकॉज मैनेजमेंट डील्स विथ ह्यूमन बिहेवियर ठीक है चलिए आगे जाते हैं सेकंड चीज से सेकंड डिसिप्लिन से कंपैरिजन करते हैं जो कि है मैनेजमेंट एज एन आर्ट सबसे पहला आर्ट का फीचर है एसिस्टेंसिया आर्ट में भी बहुत सारे डिग्रीज होते हैं कोर्सेस होते हैं जो आप पसू कर सकते हो बहुत सारे सब्जेक्ट्स हो हैं मैनेजमेंट में भी होता है जो मैं आपको ऑलरेडी बता चुकी हूं तो ये वाला फीचर तो बेटा एनी व्हिच विज डन डन डन है जो मैनेजमेंट में प्रेजेंट है सेकंड फीचर की अगर हम बात करें वो है पर्सनलाइज्ड एप्लीकेशन पर्सनलाइज्ड एप्लीकेशन मतलब क्या एक सिंपल सा एग्जांपल लेते हैं जैसे अगर मैं कहती हूं हम सबको ड्रॉ करना है एप्पल क्या ड्रॉ करना है मेरे दोस्त एप्पल अच्छा सच में सब लोग एप्पल ड्रॉ करना चाहते हो कर सकते हो ठीक है अगर आप एप्पल ड्रॉ करना चाहते हो तो कुछ लोग एप्पल इस तरीके से ड्रॉ करेंगे ठीक है ऐसे एक इधर से डंडी निकलेगी फिर उसके ऐसे डिजाइनर पत्ते बनेंगे ठीक है सारी खूबसूरती इन पत्तों में होती है ठीक है अब कुछ लोग एप्पल ड्रॉ करेंगे ना तो एप्पल है कि दिल है थोड़ा सा कंफ्यूज हो जाएगा कि पियर है क्या है मतलब बताना पड़ेगा या लिखना पड़ेगा कि भाई साहब ये एप्पल है वरना समझ में आएगा नहीं अच्छा कुछ लोग ड्रॉ करेंगे एप्पल तो भाई बहुत ज्यादा मतलब एल इनकॉरपोरेशन के फैन जो है ना वो थोड़ा सा ऐसे स्टाइल मारने के लिए यह वाला एप्पल ड्र करेंगे कि भाई हमको तो ये एप्पल चाहिए कहने का मतलब ये है कि अगर आप एक सेम चीज भी कर रहे हो इवन इफ यू आर ड्राइंग एप्पल या फिर आप कोई डाउन स्टेप परफॉर्म कर रहे हो ठीक है तो कोई ऐसे करेगा टन टन टन टन तो कोई ऐसे करेगा टन टन टन टन देखो कर सेम रहे हो बट करने का तरीका अलग है तो इसको हम कहते हैं पर्सनलाइज एप्लीकेशन वैसे ही अगर हम मैनेजमेंट की बात करें तो उसमें भी पर्सनलाइज एप्लीकेशन होता है भले आप सेम चीज को मैनेज कर रहे हो बट मैनेज करने का जो सबका तरीका होता है ना वो अलग होता है इसीलिए ये फीचर ऑफ मैनेजमेंट भी आर्ट भी मैनेजमेंट में प्रेजेंट है तो डन डन डन डन थर्ड फीचर पे जाते हैं जो कि है बेस्ड ऑन प्रैक्टिस एंड क्रिएटिविटी आपको कोई भी आर्ट फॉर्म चाहे वो डांस हो सिंगिंग हो ड्राइंग हो कोई भी आर्ट फॉर्म को अगर आपको मास्टर करना है ना उसमें एक्सपर्टाइज्ड से एंड अपनी खुद की क्रिएटिविटी उसमें डालनी पड़ती है कभी भी किसी को कॉपी करके कोई फेमस नहीं बनाए ठीक है लेकिन अगर मैं कहती हूं कि मैनेजमेंट तो बेटा मैनेजमेंट में भी सेम चीज है अगर आपको एक अच्छा मैनेजर बनना है तो आप जब मैनेजमेंट की प्रैक्टिस करोगे जैसे आपको एक्सपीरियंस होगा जैसे आप काफी साल से चीजों को मैनेज करोगे वैसे-वैसे आपका जो मैनेजमेंट है इंप्रूव होते जाएगा तो ये फीचर ऑफ आर्ट भी आपके सकते हो मैनेजमेंट में प्रेजेंट है डन डन डन डन तो कहीं ना कहीं तीनों फीचर ऑफ आर्ट जो है मैनेजमेंट में प्रेजेंट है तो इसका कंक्लूजन तो बेटा बहुत ही सिंपल है आप बहुत इजली कह सकते हो मैनेजमेंट इज एन आर्ट ठीक है अब लास्ट वाले डिसिप्लिन पे जाते हैं जो कि है मैनेजमेंट एज अ प्रोफेशन अच्छा क्या मैनेजमेंट प्रोफेशन है या नहीं यह आपको समझना है जैसे आप ने साइंस और आर्ट के साथ क्याक उसके फीचर्स अपने मैनेजमेंट से कंपेयर किए सेम आपको यहां पे करना है अब मैं अगर प्रोफेशन के फीचर्स देखूं बहुत सारे फीचर्स है लेकिन इसका ना थोड़ा सा ध्यान से करना इसका कंक्लूजन थोड़ा अलग आता है ठीक है अब जैसे मैं फर्स्ट फीचर ऑफ प्रोफेशन कहूं वेल डिफाइंड बॉडी ऑफ नॉलेज वही है सिस्टमैटिक बॉडी ऑफ नॉलेज कहो वेल डिफाइंड बॉडी ऑफ नॉलेज कहो थियोरेटिकल नॉलेज आप कहो ठीक है देखो बेटा अगर आप कोई भी प्रोफेशन करना चाहते हो या प्रोफेशनल बनना चाहते हो जैसे आप सीए कहो आप लॉयर्स कहो आप डॉक्ट टर्स कहो दे ऑल आर एग्जांपल्स ऑफ प्रोफेशनल्स आप अगर एक प्रोफेशनल बनना चाहते हो तो उसके लिए डिग्रीज है उसके लिए कोर्सेस है उसकी किताबें है जो आपको पसू करना है जिससे आप प्रोफेशनल बन सकते हो ठीक है सेम गोज विद मैनेजमेंट मैनेजमेंट की भी अपनी डिग्रीज है कोर्सेस है जिसमें आप मैनेजमेंट के कोर्सेस कर सकते हो नॉलेज गेन कर सकते हो तो यह वाला फीचर तो मैनेजमेंट में प्रेजेंट है चाहे वो साइंस हो चाहे आर्ट हो चाहे प्रोफेशन हो लेकिन जब हम सेकंड फीचर पे जाते हो जो कि है रिस्ट्रिक्टेड एंट्री अच्छा रिस्ट्रिक्टेड एंट्री मत मतलब क्या कोई भी व्यक्ति प्रोफेशनल बनना चाहे तो बन सकता है जी हां लेकिन आज मैं कह दती हूं चल मैं कल से डॉक्टर बन जाऊंगी तो क्या मैं बन सकती हूं नहीं अगर आपको एक प्रोफेशनल बनना है तो उसकी एक स्पेसिफिक डिग्री है उसका एक स्पेसिफिक कोर्स है जो पूरा करने पे डिग्री प्राप्त करने पे तब जाकर आप एक प्रोफेशनल बन सकते हो ना अच्छा आपके पास एमबीबीएस की डिग्री है या एमडी की डिग्री है या बीएचएमएस है बीएएमएस है ठीक है बीडीएस है तब जाकर आप एक डॉक्टर बन सकते हो अगर आपके पास आईसीएआई किसी के डिग्री है तो आप एक सीए बन सकते हो अगर आपके पास एलएलबी है तो आप एक लॉयर बन सकते हो बट क्या ये डिग्रीज के बिना ही पॉसिबल है नहीं मैनेजमेंट में ऐसा कुछ नहीं है अभी तक फिलहाल इंडिया में ऐसा नहीं है कि अगर आपको मैनेजर बनना है तो आपके पास एमबीए होना ही चाहिए नहीं हां कुछ बड़ी-बड़ी कंपनीज ने अभी कंपलसरी कर दिया है कि मैनेजरियल पोजीशन के लिए आपके पास एमबीए फ्रॉम गुड कॉलेज होना चाहिए एंड सो एंड सो कुछ कंपनीज ने किया है बट अभी तक ये पूरे इंडिया में कंपल्शन रिस्ट्रिक्टेड एंट्री नहीं है तो फिलहाल ये फीचर मैनेजमेंट में में प्रेजेंट नहीं है आगे जाके में भी हो जाए हो सकता है ठीक है नेक्स्ट है प्रेजेंस ऑफ प्रोफेशनल एसोसिएशन देखो बेटा कोई भी प्रोफेशन का ना अपना एक ग्रुप ऑफ एसोसिएशन होता है और वो एसोसिएशन का आपको मेंबर बनना कंपलसरी है जैसे कि फॉर एग्जांपल अगर मैं डॉक्टर्स की बात करूं तो डॉक्टर्स के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन है ठीक है अ इनके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए आईसीएआई है वैसे ही कंपनी सेक्रेट सेक्रेटरी के लिए आईएसआई है वैसे ही लॉयर्स के लिए बार काउ ऑफ इंडिया है तो डिफरेंट एसोसिएशंस होते हैं जिनका आपको मेंबर बनना होता है उसके बाद आप वो प्रोफेशन को प्रैक्टिस कर सकते हो बट एस मैनेजमेंट में नहीं है मैनेजमेंट का एक एसोसिएशन है एआई एमए करके ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन लेकिन अभी तक ऐसा कंपल्शन नहीं है कि अगर आप एक मैनेजर हो तो आपके पास एआई एमए की मेंबरशिप होना कंपलसरी है उसके कायदे कानून फॉलो करना कंपलसरी है अभी तक ये कंपलसरी किया नहीं गया है बहुत लोग इसके मेंबर्स हैं बट ये ऑप्शनल है कंपलसरी नहीं है इसीलिए आप कहोगे ये फीचर भी मैनेजमेंट में मौजूद नहीं है ठीक है नेक्स्ट जाते हैं जो कि है एसिस्टेंसिया कि आप अगर एक प्रोफेशनल हो फॉर एग्जांपल आप अगर एक लॉयर हो तो आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए जैसे केस जीतने के लिए गलत सबूत नहीं देना चाहिए कभी भी गलत को सपोर्ट नहीं करना चाहिए एंड सो ऑन मतलब ये एथिकल कोड होते हैं डू ज एंड डोंट्स होता है राइट बट ये चीज बेटा मैनेजमेंट में नहीं है देखो मैनेजमेंट का कोई प्रोफेशनल एसोसिएशन ही नहीं है जो एथिकल कोड बना और मैनेजर्स के लिए कंपलसरी करें और इसीलिए यह फीचर भी फिलहाल मैनेजमेंट में प्रेजेंट नहीं है कल उट के अगर मैनेजमेंट का असोसिएशन बन गया उनकी मेंबरशिप कंपलसरी बन गई तो ये फीचर भी आ जाएगा ठीक है नेक्स्ट इ सर्विस मोटिव अगर आप कोई भी प्रोफेशन की बात करू प्रोफेशनल्स का काम होता है अपने लोगों को एक्सपर्टाइज्ड द है बट मैनेजमेंट का तो मोटिव है कंपनी के गोल्स पूरे करना ना तो प्रोफेशनल्स में सर्विस मोटिव है मैनेजमेंट का मोटिव है टू अचीव द गोल्स ऑफ द कंपनी दोनों का मोटिव अलग है ना पर्पस अलग है तो इसीलिए यह फीचर भी मैनेजमेंट में मौजूद नहीं है देखा जाए तो सिवाय एक फीचर प्रोफेशन का कोई भी फीचर मैनेजमेंट में मौजूद नहीं है इसलिए बहुत ही इजली कंक्लूजन इज नॉट अ प्रोफेशन लेकिन बेटा एक चीज है ना यहां पे ध्यान रखनी जरूरी है बट इज ऑन द पाथ ऑफ बिकमिंग अ प्रोफेशन देखो बेटा एक चीज को यहां पे ध्यान रखना जरूरी है कि मैनेजमेंट फिलहाल प्रोफेशन नहीं है बट अगर कल उठके ये जो फीचर्स है जैसे एआई एमए बन चुका है कल उठ के उसकी मेंबरशिप कंपलसरी हो सकती है रिस्ट्रिक्टेड एंट्री हो सकती है कल उठ के लोग कह सकते हैं भाई एमबीए तो आप मैनेजर बन सकते हो तो फ्यूचर में मे बी नेक्स्ट 10 साल में हो सकता है कि मैनेजमेंट प्रोफेशन बन जाए इट इज ऑन द पाथ ऑफ बिकमिंग अ प्रोफेशन आगे जाके बन सकता है ठीक है चलिए नेक्स्ट क्वेश्चन के ऊपर जाते हैं बेटा जो कि है डिफरेंट लेवल्स ऑफ मैनेजमेंट अभी मैनेजमेंट क्या है आप समझ गए मैनेजमेंट का काम होता है डिसीजन लेना लोगों से काम करवाना इफेक्टिवली एंड एफिशिएंटली टू गेट द वर्क डन फ्रॉम अदर्स लेकिन मैनेजमेंट को आप तीन लेवल्स में क्लासिफाई कर सकते हो टॉप लेवल मिडिल लेवल एंड लोअर लेवल ये लेवल्स कौन से बेसिस पर बनाए जाते हैं वह समझो तो जब भी हम मैनेजमेंट लेवल्स बनाते हैं तो यह जो लेवल्स है कि टॉप लेवल है या मिडिल लेवल है या लोअर लेवल है वो बनाए जाते हैं ऑन द बेसिस ऑफ अथॉरिटी बेटा अथॉरिटी का मतलब क्या अथॉरिटी का मतलब होता है द पावर टू टेक डिसीजंस या तो डिसीजन मेकिंग पावर आप इसको कह सकते हो तो बेटा अगर आपके पास अथॉरिटी है इफ यू हैव डिसीजन मेकिंग पावर इफ यू हैव द पावर टू टेक डिसीजन उसके बेसिस पे डिसाइड होता है कि क्या आप टॉप लेवल मैनेजमेंट हो मिडिल लेवल हो या लोअर लेवल हो जिनके पास सबसे ज्यादा मैक्सिमम हाईएस्ट अथॉरिटी होती है जो पूरे कंपनी लेवल पे डिसीजंस लेते हैं वो सभी लोग जो है यहां पे डायरेक्टली टॉप लेवल मैनेजमेंट में आ जाता है किस में आ जाता है मेरे दोस्त टॉप लेवल मैनेजमेंट में जैसे कंपनी के सीईओ है सीएफओ है मैनेजिंग डायरेक्टर है प्रेसिडेंट है वाइस प्रेसिडेंट है बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स है चेयरमैन है ठीक है ये सभी लोग जो है जिनके पास टॉप मोस्ट अथॉरिटी इन द कंपनी होती है जो पूरे कंपनी लेवल पर डिसीजन लेते हैं वो सभी लोग टॉप लेवल मैनेजमेंट में आते हैं उनके अंडर जिनके पास उनसे थोड़ी सी कम अथॉरिटी होती है उसको हम कहते हैं मिडिल लेवल मैनेजमेंट मिडिल लेवल मैनेजमेंट कभी भी कंपनी लेवल डिसीजंस नहीं ले पाते सिर्फ और सिर्फ उनका जो रिस्पेक्टिव डिपार्टमेंट है फॉर एग्जांपल आप मार्केटिंग डिपार्टमेंट के मैनेजर हो तो आप अपने डिपार्टमेंट के ही डिसीजन ले सकते हो अब प्रोडक्शन में क्या हो होगा फाइनेंस में क्या होगा यह डिसीजन नहीं ले सकते तो ऐसे केस प आप मिडिल लेवल मैनेजमेंट में आ जाते हो तो मिडिल लेवल मैनेजमेंट में बेटा सारे डिपार्टमेंटल हेड्स या डिविजनल हेड्स होते हैं जो इस पर्टिकुलर डिपार्टमेंट को हेड करते हैं और उसके सारे डिसीजंस लेता है उनसे नीचे जिनके पास उनसे कम अथॉरिटी होती है वह सुपरवाइजरी लेवल ऑफ मैनेजमेंट है आप इसको लोअर लेवल भी कह सकते हो या तो आप इसको ऑपरेशनल लेवल भी कह सकते हो ठीक है तो लोअर लेवल ऑपरेशन लेवल सुपरवाइजरी लेवल में कौन आता है जो एक तरीके से वर्कर्स को सुपरवाइज करता है तो जो फैक्ट्री वर्कर्स है वो कोई भी लेवल ऑफ़ मैनेजमेंट में नहीं आते एंप्लॉयज कोई भी लेवल ऑफ़ मैनेजमेंट में नहीं आते क्योंकि उनके पास कोई डिसीजन मेकिंग पावर नहीं होता है उनको बस जो काम बोला गया वही करना है वो अपने हिसाब से डिसीजन नहीं ले सकते इसीलिए याद रखना एंप्लॉयज वर्कर्स आर नॉट अ पार्ट ऑफ एनी ऑफ द लेवल्स ऑफ मैनेजमेंट तो एंप्लॉयज की जरूरतों को समझना उनके जो प्रॉब्लम्स ग्रीवेंस पास करना है उनको जो इंस्ट्रक्शंस देना है ये जो लोग होते हैं ये लोअर लेवल मैनेजमेंट में में आते हैं जो एंप्लॉयज के साथ डायरेक्टली डील करता है ठीक है अब सारे जो लेवल्स ऑफ़ मैनेजमेंट है इनके कुछ काम होते हैं जिनको हम कहते हैं फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट बहुत सारे वैसे तो काम होते हैं बट कुछ इंपॉर्टेंट अगर फंक्शंस की बात करूं तो टॉप लेवल के इंपॉर्टेंट फंक्शंस होते हैं ऑब्जेक्टिव्स ऑफ द कंपनी डिसाइड करना मेरे कंपनी के गोल सेट करना मेरे कंपनी के ऑब्जेक्टिव सेट करना टारगेट सेट करना ये टॉप लेवल का काम है सिमिलरली कंपनी लेवल पे जो भी प्लांस एंड पॉलिसीज बनानी है गोल्स अचीव करना है तो उसके लिए प्लानिंग करनी पड़ेगी कंपनी में डिफरेंट पॉलिसीज बनानी पड़ेगी तो यह कंपनी लेवल पे प्लानिंग पॉलिसी बनाना यह टॉप लेवल करता है सिमिलरली ऑर्गेनाइजेशन एक्टिविटीज शू बी परफॉर्म बाय द पर्सन वर्किंग एट द मिडिल लेवल तो मिडिल लेवल में जो भी डिपार्टमेंट्स है कौन क्या काम करेगा किसका क्या टारगेट होगा किसका क्या रोल होगा ये टॉप लेवल मैनेजमेंट हमेशा डिसाइड करता है ठीक है उसके बाद आता है असेंबलिंग ऑल द रिसोर्सेस दैट आर रिक्वायर्ड मेरे कंपनी को परफॉर्म करने के लिए या काम करने के लिए जो भी रिसोर्सेस चाहिए मशीनरी चाहिए फिक्स एसेट्स चाहिए जगह चाहिए टेक्नोलॉजी चाहिए फर्नीचर एंड फिक्सचर चाहिए सारे को खरीदना इसके डिसीजंस टॉप लेवल मैनेजमेंट लेता है रिस्पांसिबल फॉर द वेलफेयर एंड सर्वाइवल ऑफ द ऑर्गेनाइजेशन मेरी कंपनी सरवाइव करें मेरी कंपनी का खर्चा निकलते रहे प्रॉफिट कमाए ग्रो करे एक्सपें करे इसकी जिम्मेदारी टॉप लेवल के कंधों पे होती है ठीक है नेक्स्ट है लियास विद आउटसाइड वर्ल्ड फॉर एग्जांपल मीटिंग गवर्नमेंट ऑफिशियल एक्सेट्रा तो कंपनी से जुड़े जो भी लोग हैं चाहे वो मीडिया है गवर्नमेंट ऑफिशल्स है बहुत सारे जो डिफरेंट पर्सनालिटी है उनके साथ मिलना डिस्कशंस करना बिजनेस डिस्कस करना अ या उनके साथ पार्टनरशिप्स करना यह सब कुछ हमेशा टॉप लेवल का काम है टू इंटीग्रेट डाइवर्सिटी एंड कोऑर्डिनेट द एक्टिविटीज मतलब जो भी मेरे ऑफिस में या जो भी मेरे कंपनी में डिफरेंट डिफरेंट डिपार्टमेंट्स से अलग-अलग काम हो रहा है वो सभी काम को कोऑर्डिनेट करना सभी चीजें सही तरीके से सिंक्रोनाइजेशन में चले सभी चीजें टुवर्ड्स द गोल मूव हो ये ध्यान में रखना लास्ट बट नॉट द लीस्ट एनालाइज बिज़नेस एनवायरमेंट एंड इट्स इंपैक्ट देखो बिज़नेस एनवायरमेंट जो है चेंज होते रहता है तो ये चेंजेज को एनालाइज करना कब कहां क्या चेंज हो रहा है उसका मेरे बिज़नेस पे क्या असर होगा हम उसके लिए क्या एक्शन लेंगे ये स्ट्रेटजीजर भी टॉप लेवल मैनेजमेंट का काम है ठीक है मिडल लेवल मैनेजमेंट की अगर हम बात करें तो उसके जो इंपॉर्टेंट फंक्शंस है उसमें सबसे आता है पॉलिसीज एंड प्लान बनाना बट कंपनी के लिए नहीं अपने डिपार्टमेंट के लिए और लोवर लेवल के लिए ठीक है सेकंड है ऑर्गेनाइजिंग द एक्टिविटीज बट फॉर देयर डिपार्टमेंट ओनली देखो फर्क यही है टॉप लेवल भी काम वही करता है बट वो पूरे कंपनी लेवल पे करता है और यह जो काम करता है मिडिल लेवल मैनेजमेंट वो अपने डिपार्टमेंट के लिए सिर्फ कर पाता है नेक्स्ट फाइंडिंग आउट और रिक्रूटिंग सिलेक्टिंग अपॉइंट्स मेरे डिपार्टमेंट में जो एंप्लॉई चाहिए कोई छोड़ के चला जाता है तो नया लाना उनको ट्रेनिंग देना उनको काम सिखाना मेरे डिपार्टमेंट के एंप्लॉयज का सिलेक्शन रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग सब मेरे को देखना है मोटिवेटिवेशनल करें एफिशिएंटली इफेक्टिवली काम करें ये मुझे देखना है नेक्स्ट है कॉपरेट विद अदर डिपार्टमेंट्स देखो बेटा जैसे मैंने बताया कि मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी तो एक डिपार्टमेंट अकेला गोल्स अचीव नहीं कर सकता तो मैं बाकी डिपार्टमेंट्स के साथ मिलकर कॉपरेट करकर साथ मिलकर कंपनी के गोल्स अचीव करने हैं ठीक है आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट जो कि है आपके फंक्शंस ऑफ लोअर लेवल जिसको आप सुपरवाइजरी लेवल ऑपरेशनल लेवल भी कह सकते हो सबसे पहला फंक्शन है वर्कर्स को रिप्रेजेंट करना वर्कर्स की जो भी तकलीफें हैं ग्रीवेंस मतलब उनकी तकलीफें तो उनकी जो भी तकलीफें हैं प्रॉब्लम्स है ग्रीवेंस है उनको मिडिल लेवल या टॉप लेवल तक पहुंचाना नेक्स्ट है मेंटे निंग गुड वर्किंग कंडीशन देखो बेटा वर्कर्स के लिए वर्किंग कंडीशंस अच्छी हो प्रॉपर लाइटिंग हो प्रॉपर वेंटिलेशन हो इसके लिए जो भी चेंजेज करने हैं जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर चेंजेज करने हैं वो करके वर्कर्स को अच्छी कंडीशंस देना वर्किंग कंडीशंस और वर्कर्स के साथ एक अच्छा रिलेशन बनाए रखना ये उनका काम है लुकिंग एट द सेफ्टी ऑफ द वर्कर्स वर्कर्स की हमेशा सेफ्टी को ध्यान में रखना मशीनस को प्रॉपर्ली मेंटेन करते रहना बिल्डिंग्स को प्रॉपर्ली मेंटेन करना उनको सेफ्टी इक्विपमेंट देना ट्रेनिंग देना बेसिकली वर्कर्स की सेफ्टी को प्रायोरिटी देना दे ट्राई टू मेंटेन प्रोसाइज स्टैंडर्ड ऑफ़ क्वालिटी जहां पे प्रोडक्शन हो रहा है ठीक है प्रोडक्शन करते वक्त प्रोडक्ट जो बन रहा है स्टैंडर्ड क्वालिटी का बन रहा है सही तरीके से बन रहा है ये ध्यान देना दे आर रिस्पांसिबल फॉर बूस्टिंग द मोराल ऑफ़ द वर्कर्स बेसिकली वर्कर्स को हमेशा मोटिवेटेड रखना कभी-कभी ऐसा होता है जैसे त्यौहार वहार है कभी बड़ा ऑर्डर आ गया तो ज्यादा काम होता है तो वर्कर्स को कांस्टेंटली इनकरेज करना मोटिवेटेड रखना कि भाई वो अच्छे से काम करते रहे नेक्स्ट है मिनिमाइजिंग द वेस्टेज ऑफ़ मटेरियल एंड मेंटे निंग सेफ्टी स्टैंडर्ड्स जो मैं आपको ऑलरेडी बचा चुकी हूं वर्कर्स की सेफ्टी देखना सेफ्टी स्टैंडर्ड्स देखना जैसे फॉर एग्जांपल आप खाना पना बना रहे हो तो वर्कर्स ने ग्लव पहने हैं वो कैप पहनी है वो ध्यान में रखना साथ ही साथ यहां पे जब भी आप प्रोडक्शन कर रहे हो तो उसमें एफिशिएंसी लाना वेस्टेज ऑफ रिसोर्सेस मिनिमाइज करना कहीं पे लग रहा है कि हां ये वर्कर कोई ट्रेनिंग की जरूरत है सिखाने की जरूरत है तो वो करवाना ये इंपॉर्टेंट है ये सब लोअर लेवल मैनेजमेंट करता है देखा जाए तो टॉप लेवल मैनेजमेंट के फंक्शंस पूरे कंपनी लेवल पे है मिडिल लेवल के सिर्फ अपने डिपार्टमेंट को लेकर है एंड लोअर लेवल को वर्कर्स को लेकर फंक्शंस परफॉर्म करना है ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा फिर टू द नेक्स्ट जो कि है डिफरेंट फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट देखो शुरुआत में मैंने आपको बताया था कि मैनेजमेंट इज वेयर यू परफॉर्म इंटररिलेटेड फंक्शंस इंटररिलेटेड क्यों कहते हैं क्योंकि सारे फंक्शंस एक दूसरे से कनेक्टेड है ठीक है साथ ही साथ ये फंक्शंस को ना सीक्वेंस में लिखना इंपॉर्टेंट है पॉइंट ऊपर नीचे नहीं कर सकते इसीलिए फंक्शंस को याद रखने के लिए एक शॉर्ट फॉर्म मैंने दिया हुआ है शॉर्ट फॉर्म क्या है पीओ एस डी सी क्या बोलोगे पीओ एस डी सी जहां पर पी स्टैंड्स फॉर प्लानिंग ओ स्टैंड्स फॉर ऑर्गेनाइजिंग एस स्टैंड्स फॉर स्टाफिंग डी स्टैंड्स फॉर डायरेक्टिंग एंड सी स्टैंड्स फॉर कंट्रोलिंग ये सीक्वेंस में जाना इंपोर्टेंट है क्योंकि प्लानिंग के पहले ऑर्गेनाइजिंग नहीं हो सकता ऑर्गेनाइजिंग मे डायरेक्टिंग नहीं हो सकता एंड सो ऑन मैनेजमेंट के फाइव इंपोर्टेंट फंक्शंस है पांच उंगलियों की तरह ये पांचों फंक्शंस को परफॉर्म करके मैनेजमेंट कोशिश करता है कि कंपनी के जो भी गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव्स है उसको अचीव या पूरा कर सके इसलिए हम इसको कहते हैं फाइव फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट ठीक है सबसे पहला फंक्शन ऑफ मैनेजमेंट है यहां पे प्लानिंग प्लानिंग का मतलब क्या है पहले से डिसाइड करना इसलिए हम कहते हैं थिंकिंग इन एडवांस व्हाट टू डू व्हेन टू ड डू हाउ टू डू एंड हु इज टू डू कंपनी जब भी गोल्स या टारगेट सेट करती है अभी गोल्स या टारगेट सेट करने से वो पूरे नहीं हो जाएंगे तो मुझे वो गोल पूरा करने के लिए क्या करना होगा कब करना होगा कैसे करना होगा कौन क्या काम करेगा कि गोल्स मैं पूरे कर सकूं इन सब को पहले से डिसाइड करना इसी को कहते हैं यहां पे प्लानिंग इसलिए हम कहते हैं कि बेटा प्लानिंग जो है इट इज डिसाइडिंग इन एडवांस क्योंकि ये हमेशा फ्यूचरिस्टिक होता है हम हमेशा आने वाले कल के लिए प्लानिंग करते हैं कि भाई कौन कब कहां क्या काम करेगा कि हम कंपनी के जो भी गोल्स है जो भी टारगेट्स है उसके हम यहां पे अचीव कर सके ठीक है सेकंड फंक्शन ऑफ मैनेजमेंट है आपका यहां पे ऑर्गेनाइजिंग अब मैंने प्लानिंग तो कर ली कि कब कहां कौन क्या काम करेगा कि हम कंपनी के गोल्स अचीव कर सके अब उसके बाद ये डिसाइड होगा कि पहली चीज प्लानिंग के मुताबिक काम करने के लिए रिसोर्सेस लगेंगे तो जो भी मेन मटेरियल मशीनरी है रिसोर्सेस अरेंज करना है काम के मुताबिक वो अरेंज करना जिम्मेदारी ऑर्गेनाइजिंग की है साथ ही साथ साथ एक ऑर्गेनाइजेशनल फ्रेमवर्क या तो ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर डिसाइड करना कि भाई अगर आप एक बिजनेस सेटअप कर रहे हो एक कंपनी सेटअप कर रहे हो अच्छा मेरी कंपनी में कितने डिपार्टमेंट्स होंगे ठीक है जैसे मैं कहती हूं मेरे कंपनी में फाइनेंस डिपार्टमेंट होगा मार्केटिंग डिपार्टमेंट होगा देन प्रोडक्शन डिपार्टमेंट होगा ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट होगा तो मेरे कंपनी में कितने डिपार्टमेंट्स होंगे हर एक डिपार्टमेंट में कितनी पोजीशंस होगी ये डिसाइड करना इसी को कहते हैं ऑर्गेनाइजिंग ठीक है इसको कहते हैं ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्र चर बनाना कि भाई कंपनी का एक पूरा स्ट्रक्चर डिजइन करना कि इसमें इतने डिपार्टमेंट्स होंगे हर एक डिपार्टमेंट में इतनी पोजीशंस होगी एंड सो ऑन राइट देन आता है द फंक्शन ऑफ स्टाफिंग देखो बेटा यहां पे ऑर्गेनाइजिंग करके आप एक स्ट्रक्चर तो बना देते हो कि इतने डिपार्टमेंट्स होंगे इतनी पोजीशंस होगी लेकिन जब तक वो पोजीशंस फिल नहीं होती जब तक लोग नहीं आते कि आप काम कर सकते हो तो सफिंग का काम होता है जो भी जॉब पोजीशंस है कंपनी में फॉर एग्जांपल मैं कहती हूं मार्केटिंग डिपार्टमेंट में एक मैनेजर होगा एक असिस्टेंट मैनेजर होगा एक लीडर होगा और पांच एंप्लॉयज होंगे अच्छा तो मैनेजर असिस्टेंट मैनेजर लीडर पांच एंप्लॉयज लाने तो पड़ेंगे ना तो उसके लिए हम स्टाफिंग करता है रिक्रूटमेंट करना सिलेक्शन करना बेस्ट ऑफ द एंप्लॉयज को चूज करके अपने कंपनी में नौकरी देना इसको हम यहां पे कहते हैं स्टाफिंग अब प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग स्टाफिंग में आपकी बेसिक तैयारी हो गई कब कहां क्या करना है प्लानिंग में डिसाइड हो गया ऑर्गेनाइजिंग में रिसोर्सेस अरेंज हो गए एक स्ट्रक्चर तैयार हो गया सफिंग ने वो स्ट्रक्चर को फुलफिल कर दिया मतलब जो भी वेकेंट पोजीशन थी पूरी भर दी विद द राइट पर्सन एट द राइट प्लेस अब होता है एक्चुअल काम की शुरुआत याद रखना डायरेक्टिंग इज अ फंक्शन व्हिच इनिशिएटिव एक्चुअल काम की शुरुआत होती है क्योंकि डायरेक्टिंग करते वक्त देन आप एक्चुअल काम की शुरुआत करोगे जहां पे आप अपने वर्कर्स को इंस्ट्रक्शंस हो ग अच्छा मेरे पास एंप्लॉयज है मेरे पास प्लान है कि हमें कब क्या काम करना है तो पन के मुताबिक मैं वर्कर्स को इंस्ट्रक्शन दूंगी कि भाई आप यह करोगे आप यह करोगे आप यह करोगे काम करने के लिए रिसोर्सेस ऑर्गेनाइजिंग ने लाके दिए है वो मैं उनको अलॉट करूंगी तो डायरेक्टिंग में हम वर्कर्स को इंस्ट्रक्शंस देते हैं हम उनको काम बताते हैं और उनसे काम करवा के लेते हैं सो दैट ऑर्गेनाइजेशन के गोल्स हम पूरे कर सके तो डायरेक्टिंग पे एक्चुअल काम की जो है शुरुआत होती है फिर आता है आपका सबसे लास्ट फंक्शन दैट इज द फंक्शन ऑफ कंट्रोलिंग देखो बेटा एक चीज समझो कंट्रोलिंग है ना बहुत सिंपल है टू अंडरस्टैंड कंट्रोल लिंग इंश्योर्स दैट प्लांस आर फॉलो देखो बेटा कंट्रोलिंग का ना बस एक ही काम होता है कि चीजें प्लान के मुताबिक चले तो आपने प्लान बनाया कब कहां क्या कैसे होगा वो आपने एडवांस में डिसाइड कर रखा है डायरेक्टिंग में काम की शुरुआत हो चुकी है अब डायरेक्टिंग में जब काम की शुरुआत होती है तब कंट्रोलिंग की जरूरत पड़ती है कंट्रोलिंग यह ध्यान में रखता है कि आप जो भी काम कर रहे हो वो काम आपके प्लान के मुताबिक हो कहीं पे भी चीजें ना बदले कहीं पे भी ऐसा ना हो कि चलो हम प्लान के मुताबिक नहीं चल रहे प्लान से अलग चल रहा है नहीं तो कंट्रोलिंग का काम होता है चीजें प्लान के मुताबिक हो कहीं पे भी ऐसा लग रहा है कि प्लानिंग के हिसाब से काम नहीं चल रहा है तो यह देखना क्यों और उसको सही करना ठीक है तो ये है फाइव इंपॉर्टेंट फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग सफिंग डायरेक्टिंग कंट्रोलिंग आप इसको कैसे याद रख सकते हो पीओएस डीसी ठीक है चलिए आगे जाते हैं नेक्स्ट द लास्ट पार्ट ऑफ द चैप्टर पे जो कि है आपका यहां पे कोऑर्डिनेशन अच्छा कोऑर्डिनेशन की बात करें तो सबसे पहले ये समझना है कोऑर्डिनेशन मतलब क्या देखो बेटा कंपनी में बहुत सारे डिपार्टमेंट्स होते हैं बहुत सारे लोग होते हैं और हर एक व्यक्ति हर एक डिपार्टमेंट का अपना काम होता है लेकिन एंड में सभी डिपार्टमेंट जो सभी व्यक्ति जो काम कर रहे हैं उनका पर्पस या गोल एक ही होता है कि कंपनी के ऑर्गेनाइजेशन के ऑब्जेक्टिव्स या गोल्स को पूरा करना तो बहुत इंपॉर्टेंट है कि सभी लोग जो भी काम करें मिलकर टुवर्ड्स वन डायरेक्शन करें दैट इ टू अचीव द गोल्स ऑफ द कंपनी तो इसीलिए कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है कोऑर्डिनेशन सारे एक्टिविटीज को सिंक्रोनाइज करता है जोड़ता है सारे एक्टिविटीज एक ही डायरेक्शन में चले एक ही एम के साथ चले कि हमें कंपनी के गोल्स अचीव करने हैं इसको हम कहते हैं कोऑर्डिनेशन यहां पे कहा जाता है मतलब एक मैनेजमेंट में एक स्टेटमेंट है कोऑर्डिनेशन इज द एसेंस ऑफ मैनेजमेंट क्यों कोऑर्डिनेशन को एसेंस ऑफ मैनेजमेंट या तो वेरी इंपोर्टेंट पार्ट ऑफ मैनेजमेंट माना जा जाता है क्योंकि सबसे पहले कोऑर्डिनेशन इज नीडेड टू परफॉर्म ऑल द फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट देखो बेटा हम फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट की बात करें तो अभी अभी मैंने पढ़ाया फाइव फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट है दैट इज प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग स्टाफिंग डायरेक्टिंग एंड कंट्रोलिंग तो बेटा पांच इंपोर्टेंट फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट है एंड ये पांचों फंक्शंस को मिलकर परफॉर्म कर कर हम कंपनी के गोल्स यहां पे अचीव कर सकता है तो जब हम ये पांचों फंक्शंस को परफॉर्म कर रहे हैं प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग सफिंग डायरेक्टिंग कंट्रोलिंग कर रहा है सारे फंक्शंस परफॉर्म करते वक्त कोऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है अच्छा मैंने प्लानिंग किया तो प्लानिंग के मुताबिक ऑर्गेनाइजिंग करना है मतलब उस मुताबिक रिसोर्सेस लाने हैं उस मुताबिक मुझे स्टाफिंग करना है तो यहां पे कोऑर्डिनेशन बहुत इंपॉर्टेंट होता है बिकॉज कोऑर्डिनेशन सारे फंक्शंस ऑफ मैनेजमेंट में रिक्वायर्ड है इसलिए हम कहते हैं इट इज द एसेंस ऑफ मैनेजमेंट दूसरा कारण यह है कि नेशन इज आल्सो रिक्वायर्ड एट ऑल द लेवल्स ऑफ़ मैनेजमेंट जैसे तीन लेवल्स ऑफ मैनेजमेंट है आपके टॉप लेवल देन यू हैव द मिडिल लेवल देन यू हैव द लोअर लेवल अब टॉप लेवल मैनेजमेंट जब भी प्लांस एंड पॉलिसीज बनाता है तो मिडिल लेवल को बताता है मिडिल लेवल उसको समझता है फिर उसको लोअर लेवल को बताता है तो तीनों के बीच में कोऑर्डिनेशन इंपॉर्टेंट है वरना टॉप लेवल कुछ और प्लान बना रहा है मिडिल लेवल कुछ और कर रहा है लोअर लेवल को कुछ पता ही नहीं है ऐसे नहीं हो सकता तो तीनों के बीच में कोऑर्डिनेशन इंपोर्टेंट है तीनों लेवल्स पे कोऑर्डिनेशन रिक्वायर्ड है इसलिए हम कहते हैं कोऑर्डिनेशन इज अ एसेंस ऑफ़ मैनेजमेंट लास्ट रीज़न है कि कोई भी ऑर्गेनाइजेशन हो छोटे से छोटा बड़े से बड़ा अगर ऑर्गेनाइजेशन अपने गोल्स पूरे करना चाहता है सक्ड करना चाहता है कोऑर्डिनेशन के बिना पॉसिबल नहीं है तो बिकॉज़ कोऑर्डिनेशन सारे फंक्शंस पे रिक्वायर्ड है सारे लेवल्स पे रिक्वायर्ड है और इसके बिना कोई भी ऑर्गेनाइजेशन सक्सेसफुल नहीं बन सकता इसीलिए हम कहते हैं कोऑर्डिनेशन इज द एसेंस ऑफ मैनेजमेंट अ वेरी इंपोर्टेंट पार्ट ऑफ मैनेजमेंट ठीक है चलिए नेक्स्ट क्वेश्चन पे जाते हैं जो कि है कोऑर्डिनेशन के फीचर्स आप चाहो तो इसको कैरेक्टरिस्टिक ऑफ कोऑर्डिनेशन कह सकते हो वन एंड द सेम है सबसे पहला फीचर है कि कोऑर्डिनेशन इंटीग्रेट्स ग्रुप एफर्ट्स देखो बेटा एक चीज समझो कोऑर्डिनेशन तभी चाहिए जब आप ग्रुप में काम कर रहे हो या टीम्स में काम कर रहे हो एक सिंगल व्यक्ति है जैसे सोल प्रोप्रेस है अकेला व्यक्ति है अकेला व्यक्ति बिजनेस को चला रहा है तो किसके साथ कोऑर्डिनेट करेगा राइट जब आप ग्रुप में काम कर रहे हो एज अ टीम काम कर रहे हो 10 दिन मिलकर एक गोल अचीव करने की कोशिश कर रहे हो तब कोऑर्डिनेशन की रिक्वायरमेंट पड़ती है राइट सेकंड फीचर है इंश्योर्स यूनिटी ऑफ एफर्ट्स देखो सब लोग मेहनत कर रहे हैं सब लोग काम कर रहे हैं बट सबका मेहनत और काम एक ही डायरेक्शन में हो सब लोग एक ही गोल एक ही ऑब्जेक्टिव पे फोकस करें इसके लिए कोऑर्डिनेशन इंपॉर्टेंट है नेक्स्ट है यहां पे इट इज अ कंटीन्यूअस प्रोसेस देखो बेटा ऐसे नहीं होता है कि कोऑर्डिनेशन बस शुरुआत में चाहिए या सिर्फ अंत में चाहिए नहीं कोऑर्डिनेशन मैनेजमेंट का हिस्सा है मैनेजमेंट कंटीन्यूअस है इसलिए कोऑर्डिनेशन भी कंटीन्यूअस रिक्वायर्ड है आप कोई भी फंक्शन परफॉर्म कर रहे हो आप कोई भी लेवल ऑफ़ मैनेजमेंट पे हो कोऑर्डिनेशन रिक्वायर्ड है और इसीलिए यह कंटीन्यूअस फंक्शन माना जाता है राइट नेक्स्ट है कोऑर्डिनेशन इज अ परवेसिव फंक्शन जैसे मैंने आपको बताया कोऑर्डिनेशन ऑल लेवल्स ऑफ मैनेजमेंट पे ऑल फंक्शंस में रिक्वायर्ड है तो वो हर जगह मौजूद है परवेसिव मतलब क्या प्रेजेंट एवरी वेयर तो बिकॉज़ वो ऑल लेवल्स एंड ऑन डिपार्टमेंट्स में यहां पे मौजूद होता है ऑल फंक्शंस में मौजूद होता है तभी हम कहते हैं वो परवेसिव फंक्शन है हर जगह मौजूद है ठीक है चलिए आगे जाते हैं जो कि है कोआर्डिनेशन इससे रिस्पांसिबिलिटी ऑफ ऑल मैनेजर्स देखो बेटा कंपनी के गोल अचीव करना है ना तो सबको मिलकर करना है मैनेजमेंट इज अ ग्रुप एक्टिविटी अब एक मैनेजर कोऑर्डिनेट करेगा बाकी लोग नहीं करेंगे तो चलेगा नहीं जब सभी डिपार्टमेंटल मैनेजर्स कोऑर्डिनेट करके जब सभी एंप्लॉयज कोऑर्डिनेट कर कर मिलकर एक डायरेक्शन में टुवर्ड्स द गोल्स ऑफ द कंपनी काम करेंगे तब वो अचीव होगा तो सारे मैनेजर उसको मिलकर ही कोऑर्डिनेशन करना है सिर्फ टॉप लेवल करेगा सिर्फ लोअर लेवल करेगा तो नहीं होगा सभी को करना है ठीक है चलिए नेक्स्ट है कोऑर्डिनेशन इज अ डेलिबरेशन फंक्शन ए बेटा डेलिबरेशन मतलब क्या पर्पसफुली हो नहीं जाता आपको मेहनत करके एक दूसरे के साथ कम्युनिकेट करके अपने एक्टिविटीज को सिंक्रोनाइज करना पड़ता है कंटीन्यूअसली कॉन्शियस एफर्ट साल के मैनेजर्स को कोशिश करनी पड़ती है कि चीजें कोऑर्डिनेशन के साथ हो हो इसके लिए प्रैक्टिस लगती है मेहनत लगती है कम्युनिकेशन लगता है एफर्ट्स लगता है करना पड़ता है हो नहीं जाता ठीक है चलिए आगे जाते हैं बेटा टू द नेक्स्ट क्वेश्चन व्हिच इज आल्सो द लास्ट क्वेश्चन ऑफ़ द चैप्टर दैट इज इंपॉर्टेंस ऑफ कोऑर्डिनेशन आप इसको सिग्निफिकेंट ऑफ कोऑर्डिनेशन भी कह सकते हो सबसे पहला इंपॉर्टेंस है कि कोऑर्डिनेशन के रिक्वायरमेंट बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि आजकल जो बिजनेसेस है वो ग्रो हो रहे हैं इन साइज ठीक है छोटे लेवल पे बिजनेस कर रहे हो एक अकेला व्यक्ति बिजनेस कर रहा है तो कोऑर्डिनेशन की रिक्वायरमेंट नहीं है कम लोग है जो बिज़नेस में इवॉल्वड है तो कोआर्डिनेशन कम रिक्वायर्ड है लेकिन आज की तारीख में लार्ज स्केल कंपनीज है जॉइंट स्टॉक कंपनीज है ये ओपन होते जा रहे हैं लार्ज स्केल बिजनेस में बहुत सारे डिफरेंट एंप्लॉयज होते हैं सबके अपने-अपने गोल्स होते हैं सब डिपार्टमेंट के अपने गोल्स होते हैं तो बहुत इंपॉर्टेंट है इन सभी को कोऑर्डिनेट करना सो दैट हम कंपनी के गोल्स को अचीव कर सके ठीक है नेक्स्ट है फंक्शनल डिफरेंशिएबल डिफरेंशिएबल एक डिपार्टमेंट का अपना काम है जैसे मार्केटिंग डिपार्टमेंट है तो उनका काम है मार्केटिंग एंड प्रमोशन करना ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट का काम है कि भाई मेरे जो भी एंप्लॉयज है उनका सैलरी परफॉर्मेंस अप्रेजल उनका मोटिवेशन उनका सेटिस्फैक्ट्रिली कोऑर्डिनेशन रिक्वायर्ड है लास्ट रीजन है स्पेशलाइजेशन देखो बेटा स्पेशलाइजेशन मतलब क्या अब कोई भी व्यक्ति है वह कोई ना कोई फील्ड में हो सकता है कि स्पेशलाइज हो ठीक है जैसे मार्केटिंग मैनेजर है तो उसकी स्पेशलाइजेशन मार्केटिंग में होगी प्रोडक्शन मैनेजर है तो उसकी स्पेशलाइजेशन प्रोडक्शन में होगी लेकिन यह सभी के काम को एक्टिविटीज को कोऑर्डिनेट करके पूरी कंपनी ए जूट एज़ अ टीम टुवर्ड्स द गोल्स ऑफ़ द कंपनी काम करें यह कोऑर्डिनेशन ध्यान में रखता है कि भाई हम सबके एक्सपर्टाइजेज को मिलाकर गोल्स ऑफ़ द कंपनी पूरा कर सके ठीक है तो इसी के साथ बेटा का जो चैप्टर है वो यहां पे कंप्लीट होता है उम्मीद करती हूं कि मैंने चैप्टर को यहां पे बहुत इन डिटेल विद एग्जांपल समझाने की कोशिश की है तो वो यहां पे पूरी हुई होगी बाकी अगर आप चाहते हो आपको कोई भी डाउट्स है कोई भी सवाल है कोई भी शंका है कोई भी तकलीफ है तो आप कमेंट सेक्शन में बता सकते हो एक छोटा सा क्वेश्चन भी पूछा था थ्रू आउट द लेक्चर उसका भी जवाब हो सके तो नीचे कमेंट सेक्शन में बता देना लेक्चर समझ में आया हो अच्छा लगा हो तो भी बता देना आगे कोई भी रिक्वेस्ट हो तो भी बता देना पूरी कोशिश करेंगे उसको भी पूरा करने की बाकी आज के लिए यहीं पर बा बाय सी यू एंड टेक केयर