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राजस्थान की हस्तकला और वस्त्र जानकारी
Nov 7, 2024
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राजस्थान की हस्तकला और वस्त्र
महत्वपूर्ण हस्तकलाएँ
जयपुर
को हस्तकला का तीर्थ कहा जाता है।
गोटा किनारी
:
गोटा लगाना महिलाओं के आभूषण का हिस्सा है।
प्रम ुख प्रकार: लंपा, लंपी, किरण, बांखड़ी।
खंडेला (सीकर) की गोटा किनारी प्रसिद्ध है।
पेचवर्क
: विभिन्न रंगों के कपड़ों को सिलकर बनाना। शेखावटी का पेचवर्क प्रसिद्ध है।
गलिचे
:
बीकानेर और जयपुर की जेलों में बनते हैं।
टोंक के गलिचे भी प्रसिद्ध हैं।
दरियाँ
:
टांकला (नागौर), सालावास (जोधपुर), लवाण (दौसा) की प्रसिद्ध।
नमदे टोंक के प्रसिद्ध हैं।
चित्रकला
पड़ चित्रण
: शाहपुरा भीलवाड़ा का जोशी परिवार प्रसिद्ध है।
पिछवाई
: नाथद्वारा (राजसमंद) की प्रसिद्ध है।
मांडना
: बीकानेर, शेखावटी में दीवारों पर की जाती है।
अन्य कलाएँ
थेवा कला
: प्रतापगढ़ की प्रसिद्ध।
ब्लू पोटरी
: जयपुर की, राम सिंह द्वितीय के समय में विकसित।
मीनाकारी
: सोने-चाँदी पर किया जाता है। जयपुर मुख्य केंद्र।
टेरीकोटा
: मोलेला गाँव (नाथद्वारा, राजसमंद) प्रसिद्ध।
लकड़ी के खिलौने
: उदयपुर, सवाई माधोपुर के प्रसिद्ध।
मूर्ति कला
: जयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा प्रसिद्ध। मूर्तियों के लिए सफेद संगमरमर का उपयोग।
वस्त्र व परिधान
पुरुषों के वस्त्र
:
पगड़ी, अंगरखी, जामा, चोगा, टेल, आदि।
स्त्रियों के वस्त्र
:
दामनी, ओढ़नी, लूगड़ी, साड़ी के प्रकार (फूल की साड़ी, सूट की साड़ी), घाघरा, कुर्ती, कांचली।
आदिवासियों के वस्त्र
:
बगतरी, धेपाडा (भील जनजाति की धोती), खोईतू (लंगोटी), पोतीओ (पगड़ी), आदि।
आभूषण
महिलाओं के आभूषण
:
सिर के आभूषण: बोर ला, रकड़ी, शीषपुल।
कान के आभूषण: कर्णफूल, झुमका।
गले के आभूषण: माला, हार।
कमर के आभूषण: तगड़ी।
पैर के आभूषण: पायल, झांझर।
पुरुषों के आभूषण
:
सिर पर: सरपेच, तुराकलंगी।
अंगुली में: मुदी, अंगूठी।
कलाई पर: कड़ा।
उंट के आभूषण
गोरबंद (गले का आभूषण)
मोरखा, तंग (मुंह का आभूषण)
परचनी (पूंछ का आभूषण)
अध्ययन के सुझाव
इस विषय से कम से कम 3-4 प्रश्न हर प्रतियोगी परीक्षा में आने की संभावना है।
नोट्स को बार-बार दोहराएं और मुख्य बिंदुओं को उच्चारित करें।
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