पंजाब कोर्ट्स एक्ट और हरियाणा में इसका विस्तार
परिचय
- पंजाब कोर्ट्स एक्ट दोनों राज्यों, पंजाब और हरियाणा में लागू है।
- इस एक्ट को लेफ्टिनेंट गवर्नर ने 38 मई 1981 को दर्ज किया था।
- इसमें कई संशोधन किए गए हैं।
एक्ट का विभाजन
- पार्ट 1
- एक्सटेंशन हरियाणा में बढ़ाया गया था।
- डेफिनेशन और प्रावधान का विस्तार।
- कोर्ट्स के ऑफिस और पदों को नियमित करने के लिए।
- पार्ट 2
- विभाजन और क्लासिफिकेशन के प्रावधान।
- सिविल कोर्ट्स की जूरिडिक्शन।
प्रमुख प्रावधान
- पंजाब कोर्ट ्स 1980 की डेफिनेशन और डेफिनेशन का विस्तार।
- रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट: 1 अगस्त 1914 से लागू।
- सेक्शन 80 C के तहत पावर्स का डिस्रिब्यूशन।
- डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सिविल कोर्ट्स की स्ट्रक्चर और जूरिडिक्शन।
सिविल कोर्ट्स का वर्गीकरण
- कोर्ट्स ऑफ डिस्ट्रिक्ट जज
- कोर्ट ऑफ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज,
- कोर्ट्स ऑफ सिविल जज सीनियर डिविजन,
- कोर्ट्स ऑफ सिविल जज जूनियर डिविजन।
- स्टेट गवर्नमेंट द्वारा सिविल डिस्ट्रिक्ट्स की बंटवारा।
- हाई कोर्ट द्वारा डिस्ट्रिक्ट जज की अपॉइंटमेंट।
जूरिडिक्शन डायरेक्टिव्स
- हाई कोर्ट सिविल जजों की लिमिट्स और पावर्स निर्धारित करेगी।
- रेट्रोस्पेक्टिव पावर्स और डिस्ट्रिक्ट जज की अपॉइंटमेंट फंक्शन्स।
अपील और रिवीजन प्रक्रियाएँ
- एडीजे के जजमेंट्स पर अपील हाई कोर्ट में नहीं होगी।
- सिविल कोर्ट के जजमेंट्स की अपील डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में होगी।
- हाइकोर्ट जजमेंट्स और पावर रिव्यू प्रोविजंस।
अनुशासनात्मक प्रावधान
- मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स की मिसकंडक्ट पर फाइन लगाना।
- हाई कोर्ट द्वारा पिटिशन राइटर के लाइसेंस का रेगुलेशन।
- पेंडिंग प्रोसिडिंग्स और कंटिन्युएशन।
संशोधन और परिभाषाएँ
- पंजाब लैंड रेवेन्यू एक्ट और पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट में संशोधन।
- डिविजनल कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट टर्म्स का बदलाव।
निष्कर्ष
- एक्ट को सिविल और जूरिडिकेशनलैवल्स पर भिन्नता से लागू किया गया है।
- पंजाब और हरियाणा के कानूनों का संयुक्त दृष्टिकोण।
नोट: आगे आने वाले वीडियोज में अधिक जानकारी और विस्तृत विश्लेषण मिलेगा।