Transcript for:
इनफर्टिलिटी: समस्या और समाधान

नमस्कार साथियों, स्वागत है आप सभी का अंकित Inspires India पर साथियों, आज का ये सेशन एक बेहत गंभीर समस्या की तरफ आप सभी का ध्यान आकरशित करने के लिए है समस्या का नाम है Infertility नाम सुनते ही कान खड़े हो सकते हैं कान खड़े खोने भी चाहिए, क्योंकि हमारा देश, अपनी आने वाली आबादी, जो आज है, उसे भी बरकरार नहीं रख पाएगा. आज आप में से सुन रहे सेशन शोतागन, आपके परिवार का कोई सदस्य, हो सकता है कि बांजपन का शिकार हो, हो सकता है कि वो अपनी इस परिशानी को किसी को ना कह पा रहा हो. लेकिन हाँ, इस सेशन को सुनने के बाद, अगर आप समझते हैं कि आप उसकी परिशानियां को ना कह पाएगा, तो आप उसकी परिशानियां को ना कह पाएगा. आज के सेशन में दी जा रही एडवाइज पास करियेगा साथियों आज से कुछ दिन पहले मैंने एक सेशन किया था जिसमें बताया था कि देश में लगातार Y क्रोमोसोम घटता जा रहा है Y क्रोमोसोम जनरली लिंग निर्धारण में XX और XY क्रोमोसोम की चर्चा की जाती है XY क्रोमोसोम मेल को बनाने में काम आता है XX क्रोमोसोम फिमेल को बनाने के काम में आता है क्रोमोसोम का गटना एक चर्चा का विशे है जिससे की भविश्य में पुरुषों की आबादी गट सकती है लेकिन हमारे देश में बच्चे ही ना होना ये एक बहुत बड़ी प्रॉबलम बनती जा रही है कई बार तो ऐसा है कि हमारे देश में बहुत सी फिल्म विकी डॉनर शुब मंगल सावधान ऐसी फिल्में बनती हैं जो बहुत लाइट नोट पर किसी और तरफ हमारा ध्यान आकरशित करती है लेकिन कोई भी इनफर्टिलिटी की बात ही नहीं कर रहा, आपको लगता होगा कि इनफर्टिलिटी कोई बड़ा मुद्धा नहीं है, चलिए माल लेते हैं, तो फिर एक बात बताओ कि ये दिवारों पर लगे हुए नीम, हकीम, उस्मानियों के विज्ञापन क्यों आते हैं, ये जो बंगाली बाबा हैं, हकीम कि अगर परिशान हैं तो आकर मिलें इंशालला अगर खुदा ने चाहा तो किसी को खुण के आसू नहीं रोने दूँगा विज्ञापन देखें क्यों आते हैं बाई और ये आजकल गोल्डन कैप्सूल वगैरा जैसी डिमांड क्यों बढ़ रही है चलो हो सकता है कि आपको ये बातें ऐसी लग रहे हैं आपसे पूछ लेता हूँ, आपके शहर में एक समय था जब रोड और नुककर चोड़ा है पर आपको बारबर की शौप दिखा करती थी। आज फोकस करना, जिस तरह से बारबर की शौप है न, कई बड़े शहरों में तो इस हिसाब से IVF क्लिनिक खुल गए हैं। मैं जिस जगह रहता हूँ, वहाँ सड़क पर हर 500 मीटर पर एक IVF क्लिनिक है। मैं किसी शहर या कॉलोनी को बदनाम करने के लिए नहीं कह रहा हूँ ये बहुत dark reality है और जिनने नहीं पता कि इन IVF clinics में क्या होता है आसान बाशा में जान लो demand and supply है अगर बच्चे नहीं हो रहे तो बच्चों को पैदा करने के लिए ये assisted reproductive प्रणालियां हैं ताकि आपको सुगमता से बच्चे पैदा करवाए जा सकें अब एक बड़ा सवाल ये बनता है कि हमारे देश में बढ़ती IVF की संख्या इशारा तो यही कर रही है साब कि आसानी से बच्चे हो तो नहीं रहे अब आसानी से बच्चे नहीं हो रहे तो हम करें क्या किस चीज़ पर दिहन दें एक बार की बात है कि UK के जो रा� धराने के प्रिंस है, प्रिंस विलियम्स, उन्होंने शादी से पहले केट मिडिल्टन के बारे में कहा कि मैं इनका फर्टिलिटी टेस्ट कराना चाहता हूँ, हम जैसे लोगों ने मजाक बना लिया, हमें लगा रहे यार क्या बात कर रहे हैं ये लोग, लेकिन आज देश क पुर्शों में शुक्रानूओं की ताकत खतम, महिलाओं के अंदर अंडे बनने खतम, गर्व धारन की छमता खतम, आकडे हैं, इन आकडों को देखेंगे तो दंग रह जाएंगे, हो सकता है कि आज आपको लग रहा हो कि कोई बुड़ा बाबा, बुड़ी दादी टाइप की शादी के इतने साल हो गए, खुशकबरी कब दे रहे हो, बच्चा क्यों नहीं हो रहा, बच्चा कब करोगे, आपको लगता है कि यार शादी होते ही ये दूसरे दिन बच्चा है, बच्चा चिलाने लग जाते हैं, बड़े ही दक्यानोसी विचारों के लोग हैं यारी खुशखबरी सुनाने के लिए घर की दादी अम्मा हैं, भुआ हैं, ये सब परिशान करने लगती हैं शुरुआत में तो आप ऐसे defend कर रहे होते हैं, जैसे कि बच्चा आपके लिए ज़री, आपके लिए नहीं, घरवालों की जर्वत हैं, और आप उनको दे करके कृतार्थ करने वाले है लेकिन जब आपको पता चलता है कि ऐसुरक्षित प्रकार से लगातार एक साल से गर्वधारन के तमाम प्रयास के बावजूद भी आपने बच्चा कंसीव नहीं किया तो इसे ही आप इनफर्टिलिटी कहते हैं। आज के समाने में डिंक कल्चर चल रहा है, डिंक नहीं, डिंक डबल इंकम, नो किड्स आप में से कहीं बहुत सारे प्रोग्रेसिव थॉट के लोग होंगे जो आज इस वीडियो को सुन रहे होंगे अरे सर, इतने सारे बच्चे हैं, अमारे देश में इतनी आबादी है मेरा ये सेशन उन लोगों के लिए है इन्हीं, जो इस थॉट के साथ जी रहे हैं मेरा सेशन उन लोगों के लिए है, जो बच्चा चाहते हैं, लेकिन नहीं हो रहा है हमारे देश की बढ़िया आवादी है जो इस कल्चर में जाना चाहती है कि हम किसी बच्चे को गोध ले लेंगे बढ़ी आवादी है 2011 के सेंसेस में यह बड़ा नंबर निकल करके आया था कि परिवार के अंदर शहर और गाउं के अंदर बहुत से लोग ऐसे हैं जो बच्चे चाते ही नहीं है बढ़िया बात है यह तो देश के लिए बहुत प्रोग्रेसिव थॉट है लेकिन साब जो चाहा नहीं हो रहा है मतलब रिप्रोडक्टिव एज में 12 महीने तक रेगुलर अन प्रोटेक्टेड यॉन संबंध बनाने के बावजूद भी गर्ब धारन करने में अन सक्सेसफुल रह रहे हैं और महिलाओं की एज अगर 35 से उपर निकल गई तो चाहिए छे महिने तक भी unprotected yon सम्मंद बनाने के बाद, बच्चे नहीं हो रहे हैं, इसी को आप unfertility का शिकार मानते हैं, आखणों के साथ बात करता हूँ, दुनिया भर में 15% जोड़े ऐसे हैं, जो वैश्विक स्तर पर infertility का शिकार हैं, 60-80 million, मतलब 6-8 crore infertile couple इस दुनिया में हैं, और उनमें से 1.5-2 crore infertile couple, पुल आबादी का 25% हमारे देश में है। जहां दुनिया की हम एक बटे पांच आबादी रखते हैं, वहां दुनिया की एक बटे चार आबादी हमारे यहां इनफर्टाइल है। यानि बच्चा चार है है, साब हो नहीं रहा। Society of Assisted Reproduction के अनुसार भारत में पुरुषों और महिलाओं समेथ 27.5 मिलियन लोग इनफर्टाइलिटी का शिकार हैं। इनफर्टिलिटी का शिकार है। वहीं शहरों में यह समश्य इतनी आम है कि हर छह में से एक जोड़ा इनफर्टाइल है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आकडों के आधार पर तो पी एल ओ एस वन जनरल में प्रकाशतेक रिपोर्ट में पाया गया कि इंडियन कपल्स में पॉइंट परसेंट रहा करता था वो वर्ष 2000 के बाद बढ़कर के 28.6 परसेंट हो गया भाई साब मतलब पहली बार बच्चा कंसीव किया दूसरी बार करने में दिक्कत आई हर पांचवे कपल को और अब हर तीसरे कपल को दिक्कत आ रही है दूसरा बच्चा नहीं हो पा रह चर्चा तो बनती है भाई और जब चर्चा बनती है तो डब्लू एचो के आकड़े में समझ लो डब्लू एचो ने 2023 में अपनी तरफ से कहा कि दुनिया भर में से 6 में से एक व्यक्ति इनफर्टिलिटी से गुजर रहा है इनफर्टिलिटी की व्यापकता लगातार दुनिया में 16% के आसपास बढ़ रही है और भारत के अंदर तो मैंने बताई दिया हर चोथा कपल जो इनफर्टाईल है दुनिया में उसका हर चोथा कपल भारत में है इसको एक और आकड़े से समझते हैं कि क्या फरक पड़ेगा अगर हमारे देश में इतने इनफर्टाइल लोग होते हैं तो देखो आज हमारे देश की आबादी 140 करोड के आसपास बताई जाती है 140 करोड ही आने वाले सालों में रहे हैं हमारे देश में हर औसतन 10 साल के अंदर जनगणना कराई जाती है तो 10 साल में जब जनगणना कराई जाती है आज 140 करोड है अब हो सकता है 2024 के अंदर सैंसेस करा लिया जाए टेक्निकली 21 में होना था कोरोना के कारण नहीं हो पाया फिर 31 में होगा 41 में होगा जन संख्या के आखड़े तब निकल कर आते हैं पता चलता है कि आज जो हमारी आबादी है अगर इतनी ही आबादी देश को आगे रखनी है बरकरार हमको तो लगता है कि देश की आबादी लगातार बढ़ रही है पहले 121 ह� आगे बढ़ेंगे तो जाने कहां तक चले जाएगे, लगातार इतनी बढ़ जाएगी, एकदमां ब्लास्ट ही हो जाएगे, देश से बाहर लटकने लगेंगे, लोग अरे भाई सब इतने कहां से आगे, रेलवे ट्रेन की तरह हो जाएगा, नहीं हो रहा है ऐसा, हम एक बहु यानि कि 100 लोग हैं, 110 बच्चा पैदा कर लें। यानि कि 100 कपल हैं, 110 बच्चा यानि कि 210 बच्चा पैदा कर लें। Technically, दो लोगों के उपर 2.1 बच्चा हो। तब जाकर हम ये मान सकते हैं कि आने वाले समय में हमारी जो पीढियां हैं, वो retain कर जाएंगी। हम जितने हैं उतने ही रह जाएंगे। हमारी total fertility rate 2.1 से नीचे आ रही है। कितनी आ गई?

यानि कि 200 लोगों पर 190 लोग पैदा हो रहे हैं तो फिर क्या करें और तो और हाँ जो थोड़े से भी डेवलप हो चुके हैं और विकसित राज्य हैं हमारे जैसे कि दक्षिन भारत की अक्सर हम बात करते हैं वहाँ तो ये नमबर 1.6 के आसपास पहुँच गया है आपको जानकर आश्चरे होगा कि 2050 तक ये नंबर हमारे देश में 1.29% रह जाएगा यानि कि 200 लोग हैं जो बच्चे चाहते हैं कि भाई कम से कम 2 बच्चे तो हो हमारे यानि कि 200 पे 200 तो बने रहें उनको 120 बच्चे मिलेंगे 1.29 के आसपास आकड़ा आ रहा है 2050 तक सोच लो क्या होने वाला है अगर पूछेंगे कि क्या भरक पड़ता है जिसमें ये कहा गया था कि कि एशिया में इंडिया थर्ड मोस्ट पावरफुल कंट्री है जिसने जापान को और रशिया को पचार दिया जापान को हम पचार कैसे पाए थे पता है आपको फ्यूचर में हम उनसे ज़्यादा आगे होंगे इसको कहते हुए औस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टिटूट ने हमें ताकतवर बताया था और कहा था कि जापान वाले लोगों के पास तो बुजुर्गों को संभालने के लिए लोग ही नहीं है उनकी जो आबादी है वो घट रही है भाई सहाब जिस तेजी से हम लोग बढ़ रहे हैं हमारी टी ऐफ गट रही है हमारी डिविडेंट जो पोपुलेशन के अंदर है वो कारेशील जो यूथ है वो फिलाल बढ़ता हुआ दिख रहा है लेकिन आने वाले समय के अंदर जब ये गटने लगेगा और बुजुर्ग बुजुर्गों को समालने के लिए, जब आप और हम बुजुर्ग होंगे, तो हमें समालने के लिए इस परिवार के अंदर, समाज के अंदर, लोगों का होना जरूरी है। यानि इनफर्टिलिटी की इस भयावता को हम समझे तो बहतर है। बहतर है। बहतर ह उस सर्वे में पता चला कि Inclusive Maternity Coverage मतलब कि भाई हमको इस तरह की पॉलिसी दो जिसमें माता पिता बनने का पैसा भी पॉलिसी देने वाली कंपनी दे क्योंकि सहाब पच्चा पैदा करना अब एक महंगा अफेयर हो गया है पहले जहां नैचुरली बच्चे कंसीव किये जाते थे अब हमें आवशक्ता हो गई है सहायक तकनीकों की और उन सहायक तकनीकों में IVF बहुत उपर है और IVF का खर्चा कम नहीं है IVF किसी में जानकारी जुटाओगे तो पता चलेगा सर लाग से डेड़ लाग में फर्स्ट राउंड हो जाएगा निकलते पता चलता है कि आसतन आप चार से पाँच लाग रुपया के अंडर में आ गए policybazar.com कहता है कि 80% व्रद्धी देखी गई है इंशौरेंस खरीदने वालों में जो ये चाहते हैं कि हमारा बच्चा पैदा करने का खर्चा भी आप ही कवर कर लो भले ही हमसे premium ले लो 25-35 साल के आयू वर्ग के लोगों में एकरान में 0.2% वर्दी देखी गई ये पॉलिसी खरीदने में मतलब अब तो इस वात को मानेंगे कि ये चीज छुपी नहीं है हमारे देश के अंदर जो ये Assistant Reproductive Technologies हैं ART Technologies जिनमें IVF, ICSI यानि कि Intracytoplasmic Sperm Injection, PGD ये तमाम या Donor Assistance प्रकार की चीज़ों में बहुत तेजी से इजाफा देखा गया है Global Data के रिपोर्ट भी मानो तो भारत के अंदर जो जो एयरटी तकनीक से होने वाली गतिविधियां हैं, इनकी संख्या 2,10,753 थी 2022 में, 2030 तक लगबख 3 गुना बढ़ जाएंगी, आप अंदाजा लगाईए कि 2022 में 2,25,000 लोगों ने IVF करवाया है, इंडिया के अंदर IVF को संराइज मार्केट माना गया है, यानि कि ऐसा मार्केट जो उगता हुआ मार्केट है, इसमें पैसा ही पैसा है, क्योंकि इनफर्टाइल लोग होने वाले हैं, इससे अंदाजा लगाओ कि 2022 में, बीस में जहां 753 मिलियन डॉलर का मार्किट था IVF का उसे अंतरराश्ट्री एश्टर पर 2030 तक 3.7 बिलियन डॉलर का माना गया है यानि कि डॉक्टर्स आपके बच्चे पैदा कराने के पैसे कमाएंगे IVF के माध्यम से अब तो समझ में आ गया होगा कि ये कितनी जबरदस चीज़ है आप ऐसे समझोगो कि भारत में जो सेरोगिसी मार्किट है ना जो माता बच्चा पैदा करना चाह रही है उसके तो होनी रा गर्ब धारन तो फिर उन्होंने किराय की कोक ली सेरोगेट मदर के माध्यम से उसका मार्केट 2.3 विलियन डॉलर का हो रहा है इनफर्टिलिटी लोगों के लिए फर्टिलिटी बिजनिस बन चुका है भारत में इसे संराइज उद्योग कहा गया है जहां एक और इनफर्टिलिटी सामाजिक कलंक के समान ट्रीट किया जाता है महिलाओं के साथ जो सामाजिक बहिशकार होता है बहुत सी समाज में ऐसी महिलाएं जो बच्चा पैदा नहीं कर पाती उन्हें बांज जैसी संग्याएं दी जाती हैं समाज में उनका बच्चों पर साया तक बुरा माना जाता है समाज में भारत के ऐसे कई हिस्से हैं, जहांपर ऐसी महिलाओं को पूजा पाठ, समहारो, उत्सव आदिय में बैठने से रोक दिया जाता है। ये सामाजिक कुरूती है, लेकिन इस सामाजिक कुरूती के साथ हमारी बहुत सी ऐसी खुद की गई गतिविधी हैं, जो इनफर्टिलिटी के लिए जंगमेदार हैं। मेडिकली अनफिट होना कोई चुनौती नहीं है, लेकिन अगर हम खुद कारक हों, हमारी खुद की लाइफ स्टाइल अगर कारक हों, तो ये एक बहुत बड़ा चिंता का वाँटा। अक्सर जब इनफर्टिलिटी होती है, तो मा को दोशी ठहराया जाता है, कि इन मा के बच्चा नहीं हो रहा है। लेकिन क्या आपको पता है, हमारे देश में इनफर्टिलिटी के जो मामले हैं, उसमें पुरुषों का भी भारत के कुल मामलों में से 50% मामले ऐसे हैं जो male infertility पराधारित हैं, यानि कि उनके शुक्राणूओं में वो ताकत ही नहीं थी कि महिला conceive कर सके, ऐसे में infertility के 20% मामले ही ज्यात हो पाते हैं, क्योंकि पुरुष इसे नामर्दी के रूप में treat करते हैं. तभी तो हकीम उसमानी के जाते हैं। नीसंतानता से पीड़ित मिले हर बुदवार और शुकुरवार फलाने पुल के नीचे, फलाने हॉस्टल के नीचे। बुद्धा गंभीर है। पुर्शों के अंदर शुक्रानूओं की संख्या में 52% तक की गिरावट इनफर्टिलिटी इसी में लोगों के द्वारा डॉक्टर्स की सलह ना लेना। भारतीय स्वास्त पोर्टल के द्वारा 2021 में किये गए सर्वे से पता चला कि 70% से अधिक लोगों ने सामाजिक दवाब का अनभव किया है इनफर्टिलिटी के कारण। वहीं डॉक्टर्स के पास पहुँचना, फर्टिलिटी केर, एमोशनल सपोर्ट की कमी, हाई ट्रीटमेंट कॉस्ट ये इनफर्टिलिटी को और बढ़ावा देती है। इससे बचने के लिए ART टेकनीक्स हैं। लेकिन बहुत जाता ज़रूरत है आप अपनी लाइफ स्टाइल पर फोकस करें। क्योंकि आज समाज में जितना भी दवाब काम का चल रहा है। कि मैं स्टेबल हो जाऊंगा तब बच्चा करूँगा। मेरी नौकरी सिक्स डिजिट तंखा मिलेगी तब मैं बच्चा करूँगा। मैं कोई डॉक्टर तो नहीं, लेकिन अपने आसपास के लोगों के बीच में होती इन सामान्य चर्चाओं को आज आपके तक लेकर आया हूँ. हमारे देश में सोशल प्रेशर एक ऐसा कारण है कि एक परसेंट से भी कम लोग जो इनफर्टिलिटी से पीड़ित हैं वो जिकच सकिये परामर्श लेने पहुँचते हैं. सोशल प्रेशर के साथ पैसे की कमी क्योंकि IVF ट्रीटमेंट लेना हमारे देश में एक महगा सौधा है. अपने एक IVF ट्रीटमेंट लाख से लेके डेड़ लाख रुपए का पड़ता है। इनफर्टिलिटी की समश्या, सोशल प्रेशर, धन का अभाव और ऐसे में अपने आप को इनफर्टाइल कहलाने का जो ये टैबो की। इसके चलते आदमी इलाज कराने नहीं पहुँचता। अब जो ये IVF की कहानी है ये भी समझ लो। जब कोई व्यक्ति ट्रीटमेंट कराने पहुँच रहा है, तो IVF में होता क्या है?

आज के जमें में बच्चा पैदा करने के लिए आवशक क्या है? माता से अंडे और पिता से शुक्रानू. ये दोनों नैचुरली अगर मिलते हैं, तो नैचुरल मिलने से माता गर्ब धारन क फैलोपियन ट्यूब्स का ब्लॉक होना और भी कई ऐसे चिकितसकीय दिक्कते होती हैं कि माता और हाँ पुर्शों में स्पर्म काउंट का कम होना जिसके चलते सक्सिस्फुली नैचुरल तरीके से गर्वधारन नहीं हो पाता और जब नैचुरल तरीके से गर्वधारन नहीं उससे अंडो को बाहर निकाला जाता है ऐसे ही पिता से स्पर्म लिये जाते हैं और उन्हें लैबोरेटरी के अंदर जाइगोट बनाया जाता है, एम्ब्रियो बनाया जाता है तो स्पर्म और एग का मिलकर एम्ब्रियो बनाना लैब में कम्प्लीट किया जाता है इस प्रकिरिया को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं और ये जो इनविट्रो फर्टिलाइजेशन से बना हुआ एम्ब्रियो है इसे माता के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है माताओं के शरीर में सामानितया एक एग बनता है लेकिन आईवीएफ के लिए, सक्सिस्फुल आईवीएफ के लिए एक से अधिक अंडो की जरवत होती है क्यों क्योंकि सक्सिस रेट स्लो हो जाएगी इसके लिए माताओं को या फिर वो महिला जो एग डॉनर है उन्हें बहुत सारे हार्मोनल इंजेक्शन दिये जाते हैं ये हार्मोनल इंजेक्शन बहुत महंगे आते हैं साथ ही साथ चुकी ये अन्नेच उससे एक से ज़्यादा एग निकाले जाते हैं। उस एग निकालने की प्रकिरिया के बावजूद भी एग प्लस स्पर्म के मिलने पर सही से एम्ब्रियो बन जाए इसके चांसेज बहुत कम होते हैं। परसेंटेज में बात करूँ तो बड़ी IVF क्लिनिक अपनी इस प्रकिरिया को 70% तक ही क्लेम करती हैं कि हमारी सक्सस रेट 70% है। यानि हमने एक प्रोसीजर किया तो 70% बच्चे बन जाएंगे। अच्छा, ऐसा अक्सर देखा नहीं गया है, क्योंकि असली खेल इस पूरे प्रकिरिया में लगने वाले पैसे का है, पहले इंजेक्शन का खर्चा, इस फर्स्ट राउंड प्रोसीजर के गुजरने पर बनने वाला चार्ज, लाग से देड़ लाग रुपे फर्स्ट साइकल व्यक्ति को डबल कॉस्ट में ये प्रकिरिया प्राप्त होती है इसमें बहुत सारे ऐसे कारक होते हैं कि कई बार ये बना हुआ एम्ब्रियो उन माता के गर्भ में जब ट्रांसफर किया जाता है तो सही से वो चिपक नहीं पाता ऐसे में कई बार एक्टोपिक स्थितियां भी हो जाती हैं या फिर ब्रुण सही से चिपक ना पाने के कारण मिसकेरेज जैसी घटनाएं हो जाती हैं फिर क्या करें? और वो है सैरोगेसी का मतलब ये कि आपका अगर भुन नहीं चिपक रहा है, एम्ब्रियो नहीं चिपक रहा है, तो आप इस प्रकिरिया के लिए किराय की कोख का इस्तमाल कर सकते हैं। किराय की कोख की प्रकिरिया है इसमें आजकल जबरदस्त human trafficking हो रही है सरकार ने तो ये कह रखा है कि सेरोगेसी वही लोग यूज़ करेंगे जिनके पास में समश्या ये है कि बच्चे हो ही नहीं रहे लेकिन आजकल बड़े फिल्म स्टार्स को आपने देखा है मैं नाम कोट नहीं करूँगा लेकिन उन्होंने बिना शादी की बच्चे कर लिये ऐसे में उन्होंने भी सेरोगेसी का उपयोग किया होगा इसका मतलब ये हुआ कि अब human trafficking के माध्यम से surrogate mothers का उपयोग किया जा रहा है उसके charges भी high है इन सब के बावजूद देश में बच्चा प्राप्त करना देश की एक basic need बन चुका है जहां मैंने आपको शुरुआत में total fertility rate के बारे में बताया कि हमारे देश में जितनी आबादी आज है अगर उसी को बरकरार रखना है तो हमारे यहाँ पर 100 लोगों को मिलकर 210 बच्चे पैदा करने होंगे अर्थात 2.1 टोटल फोटिलिटी रेट अगर निकल कर आती है तभी जाकर हमारे देश में आज की जो आबादी है वो maintain रहेगी बढ़ती हुई इस infertility के चलते 2.1 से ये number लगातार नीचे गिरता जा रहा है इस नीचे गिरते number के कारण 2.1 का number 1.9 तक आ गया है यानि जितने लोग हैं उतने लोग आगे नहीं होंगे यानि देश की जनसंख्या नीचे गिरेगी यानि बुजुर्गों की संख्या बढ़ने वाली है और कार्यशील युवाओं की संख्या गटने वाली है देश में इनफर्टिलिटी एक बड़ी समस्या है और इसके अगर प्रमुख कारणों पर गौर किया जाए तो आप जानेंगे कि सबसे बड़ा कारण इसका लाइफ स्टाइल है लाइफ स्टाइल कैसे?

आज इस भागदोड की जिन्दगी में आप और हम मेंसे बहुत सारे लोग ना तो अपने खाने का शडूल रखते हैं ना सोने का शडूल रखते हैं जॉब की अनसर्टेन्टी के चलते शादी की उम्र 30 साल तक पहुचा दी गई है। 30 साल से अधिक एज में जब कोई बच्चे की प्लानिंग करता है तो इनफर्टिलिटी के चांसेज हाई हो जाते हैं। क्योंकि 35 साल से उपर की महिलाओं में तो ये माना ही जाता है कि वो 6 महिने तक अगर अनप्रोटेक्टिड तरीके से गर्ब धारन करने का प्रयास भी करें तो भी उसके चांसेज बहुत कम है। हमारे देश के अंदर इस भागदोड के जिन्दगी, खानपान की कमी, बढ़ते हुए pollution और stress साथ ही साथ नशे की चलती लतों में हमारे देश की युवा जो पीड़ी है वो आने वाले समय में और भीशन तरीके से इस infertility की तरफ जा रही है आवशकता है कि हमारे हात में जो है ना उससे हम लोग इसे सुधार सकें हात में क्या है healthy lifestyle क्या किया जा सकता है अपने आपको स्वस्थ जीवन देने की कसम खालें आप सुभे नियमित रूप से ब्रह्ममूरत में जगने का प्रयास करें ताकि आपके जीवन में जो बहतरीन हार्मोन्स का सीक्रेशन है वो प्रॉपर तरीके से हो। दूसरा आप अपने खाने में इस तरह के भोजनों का प्रयास करें जो जंक फूड शेरी में ना आते हो। नशे की लच से बचें, स्ट्रेस अपनी सीमा से अधिक ना लें। यू स्ट्रेस शेरी तक सही है स्ट्रेस लेकिन अत्यदिक अगर आपने स्ट्रेस धारन कर लिया तो आपकी एफिशियन्सी और आपकी निजी जिंदगी दोनों ही प्रभावित हो� होंगी संभवतया इस लाइफ स्टाइल की वजी से पनप रहे इन फर्टिलिटी की दौर से आप अपने आपको और उन अपनों को जिनकी आप कद्र करते हैं निश्चित ही बचा लेंगे इसी के साथ धन्यवाद