हेलो एवरीवन आज हम पढ़ने वाले क्लास 10 साइंस की बायोलॉजी का चैप्टर नंबर तू जिसका नाम है कंट्रोल और कोऑर्डिनेशन तो उसे वह थोड़ा सा कॉन्सेप्ट है इसे आपको थोड़ा सा ध्यान से पढ़ना है क्योंकि इस चैप्टर के अंदर हम अपनी बॉडी के इंटरनल फंक्शंस को समझना वाले हैं जो की हमारी बॉडी को कंट्रोल करते हैं तो पिछले चैप्टर में हमने हमारी बॉडी के कुछ इंपॉर्टेंट सिस्टम के बड़े में पढ़ा था जो की है डाइजेस्टिव सिस्टम सर्कुलेटरी सिस्टम रेस्पिरेटरी सिस्टम और एक्स्क्रेटरी सिस्टम तो इस चैप्टर में हम दो और काफी इंपॉर्टेंट सिस्टम के बड़े में पढ़ने वाले हैं जो की है नर्वस सिस्टम और एंडोक्राइन सिस्टम और साथ में हम यह भी पढ़ेंगे की जो कम ये दोनों सिस्टम हमारी बॉडी में करते हैं वो कम प्लांट्स की बॉडी में कैसे होता है तो आज हम इन्हीं सब चीजों को काफी शॉर्ट टाइम में एनीमेशन की हेल्प से काफी अच्छी तरीके से समझना वाले तो चलिए स्टार्ट करते हैं [संगीत] तो सबसे पहले हम यह समझते हैं की कंट्रोल और कोऑर्डिनेशन क्या होता है तो हमें इन दोनों को सेपरेट करके यानी की अलग-अलग करके समझना है तो कंट्रोल इस डी पावर ऑफ रिस्ट्रेनिंग और रेगुलेशन बाय विच समथिंग कैन बी स्टार्टड स्लो डॉ और स्टॉक मतलब की कंट्रोल होती है हमारी बॉडी में रेस्टोरेंट करने की जिसके द्वारा कुछ भी हमारी बॉडी में स्टार्ट किया जा सके स्लो किया जा सके या फिर रॉक जा सके इसके बाद हम समझते हैं कोआर्डिनेशन को तू डी वर्किंग टुगेदर ऑफ वेरियस ऑर्गन्स ऑफ डी बॉडी ऑफ एन आर्गनिज्म इन प्रॉपर मैनर तू प्रोड्यूस एन एप्रोप्रियेट रिएक्शन तो जब हमारी बॉडी के ऑर्गन्स आपस में मिलकर सही से फंक्शंस को कंटिन्यू करते हैं तो उसे परफेक्ट कोऑर्डिनेशन कहा जाता है और यह जो कोआर्डिनेशन होता है वो मेली तू टाइप्स का होता है जिसमें की पहले है नर्वस कोऑर्डिनेशन तो यह जो मोस्टली एनिमल्स और ह्यूमंस के अंदर होता है जो की ब्रेन स्पाइन कार्ड और नरक से मिलकर बना होता है और दूसरा होता है हार्मोनल कोऑर्डिनेशन तो ये कोआर्डिनेशन भी एनिमल्स के अंदर होता है लेकिन ये मेली प्लांट्स के अंदर हो रहा होता है तो हार्मोनल कोआर्डिनेशन बेसिकली होता है केमिकल्स के रिलीज से जो की होता है मेली प्लांट्स में और नर्वस कोऑर्डिनेशन जो की होता है ब्रेन स्पाइन कार्ड और नर्स से जो की मेली एनिमल्स और ह्यूमंस में होता है तो चलिए अब हम समझते हैं इस नर्वस सिस्टम को तो पहले हम इसकी कुछ बेसिक प्वाइंट्स को देखते हैं तो जो एनिमल्स या ह्यूमंस होते हैं उनके अंदर जो कंट्रोल और कोऑर्डिनेशन है वो नर्वस और मस्कुलर तीस उसे के द्वारा होता है हमारी बॉडी में साड़ी इनफॉरमेशन नफ सेल्स की टिप्स की डीटेल्स की जाति है रिसेप्टर के थ्रू तो अब आप सोच रहे होंगे की नक्सली और रिसेप्टर क्या होते हैं तो नव सेल ऐसे टाइप के सेल्स होते हैं जो की हमारी बॉडी में मैसेज को सेंड और रिसीव करते हैं बॉडी से ब्रेन तक और ब्रेन से बॉडी तक और यह जो नर्स सेल होते हैं इन्हें न्यूरॉन्स भी कहा जाता है इसके बाद है रिसेप्टर तो यह स्पेशल लाइन स्ट्रक्चर होती है जो की सेल मेंब्रेन में पी जाति हैं जो की यूजुअली हमारे सेंस ऑर्गन्स लोकेटेड रहती हैं सेंस ऑर्गन्स जैसे की की नोज टांग और स्क्रीन तो यूजुअली इन ऑर्गन्स में रिसेप्टर पे जाते हैं तो हम देखते हैं की कौन से सेंस अंग में कौन से रिसेप्टर पे जाते हैं तो हमारी आइस में फूटर चैप्टर पे जाते हैं जो की लाइट को कंट्रोल या मैनेज करते हैं और रिस्पांसिबल होते हैं देखने के लिए ऐसी हमारे न्यूज़ में पे जाते हैं ओल्फेक्ट्री रिसेप्टर क्योंकि रिस्पांसिबल होती हैं स्मेल के लिए और जो हमारी टांग होती है उसमें पे जाते हैं गोष्ठीटरी रिसेप्टर जो की रिस्पांसिबल होते हैं टेस्ट के लिए हमें कोई चीज मीठी कड़वी या अच्छी बुरी लगती है वह सब इन गोष्ठीटरी रिसेप्टर के करण ही लगती है ऐसे ही हमारी जो स्क्रीन होती है उसमें धर्म रिसेप्टर पे जाते हैं जो की रिस्पांसिबल होते हैं हमारे रिस्पांस के लिए ही रेफरेंस में तो यह जो रिसेप्टर होते हैं इन सभी पर स्पेशलाइज्ड न्यूरो पे जाते हैं जो की रिस्पांसिबल होते हैं मैसेज और नेसेसरी इनफॉरमेशन को सेंड या रिसीव करने के लिए और चैप्टर और न्यूरॉन्स होते हैं वो को रिलेशन में कम करते हैं यानी की एक साथ मिलकर जो न्यूरॉन्स होते हैं वो हमारी बॉडी के मोस्टली सभी पार्ट्स पर प्रेजेंट होते हैं और ये रिसेप्टर भी हर जगह पर पे जाते हैं पर एग्जांपल आप इसे ऐसे समझिए की जब आप अपने हाथ से किसी नॉर्मल चीज को टच करते हैं तो आपकी स्क्रीन में जो थर्मो रिसेप्टर होते हैं वो एक्टिवेट होते हैं और न्यूरो से मैसेज को ब्रेन तक सेंड करता है फिर हमारा जो ब्रेन है उसे एक्टिविटी को एनालाइज करके न्यूरॉन्स के थ्रू ही मैसेज इसको रिसेंट कर देता है और वह सॉफ्ट सिग्नल दे देता है और वहीं पर जब आपका हाथ किसी हॉट ऑब्जेक्ट पर पड़ता है तो आप अपना हाथ वहां से इमीडियाटली हटा लेते हैं ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि हमारे थर्मोरिसेप्टर से जब न्यूरो उसे इनफॉरमेशन को ब्रेन में ट्रांसफर करते हैं तो हमारा ब्रेन उसे हॉटनेस को नोटिस करता है और हमारे न्यूरॉन्स के थ्रू में से सेंड करके हमारे हाथ को वहां से हटा देता है तो हम बात करते हैं नर्वस सिस्टम की तो हमारा जो नर्वस सिस्टम है उसे मेली दो पार्ट्स में डिवाइड किया गया है जो की यह सेंट्रल नर्वस सिस्टम सीएस और दूसरा है पेरीफेरे नर्वस सिस्टम पीस तो ये जो सीएस होता है ये में इंपोर्टेंट पार्ट होता है नर्वस सिस्टम का इसके अंदर आते हैं जो काफी इंपॉर्टेंट नर्वस अंग जो की है ब्रेन और स्पाइन कार्ड और जो पीस होता है उसमें आई है नॉब्स जो की निकलते है सीएस से और पुरी बॉडी में फैली हुई रहती हैं भले ही पेरीफेरे नर्वस सिस्टम कम कंट्रीब्यूट करता है सीएस की कंपैरिजन में लेकिन यह फिर भी काफी ज्यादा इंपॉर्टेंट होता है तो अभी हमने पढ़ा है की ये नर्व सेल्फ सीएस से अराइज होती है और सीएस की दो पार्ट्स होते हैं ब्रेन और स्पाइन कार्ड तो जो नर्स ब्रेन से निकलते हैं उन्हें क्रेनियल नर्स कहा जाता है वहीं पर जो नर्स स्पाइन कार्ड से निकलते हैं उन्हें स्पाइन कहा जाता है तो जो पीस होता है उसके अंदर हम मिली दो टाइप की नर्स को देखते हैं जो की सोमेटिक दूसरी तो जो सोमेटिक नर्स होती है वह हमारी बॉडी के सभी वॉलंटरी एक्शंस को कंट्रोल करती हैं तो वॉलंटरी एक्शंस भी एक्शंस होती हैं जो की हमारी खुद की कंट्रोल में होती हैं जैसे की चलना हाथ पैरों को मूव करना बोलना ईटीसी तो इन सभी एक्शंस को सोमेटिक नर्स कंट्रोल करती हैं ऐसे ही हमारे दूसरी टाइप्स की नर्स हैं ऑटोनॉमिक नर्स जो की हमारी बॉडी में इंवॉलंटरी एक्शंस को कंट्रोल करती हैं तो इंवॉलंटरी एक्शंस भी एक्शंस होते हैं जिन पे हमारी बॉडी का कंट्रोल नहीं होता जैसे की डाइजेशन ट्रांसपोर्टेशन ईटीसी तो आप जानते हैं की हमारी बॉडी में ब्लू लगातार फ्लो होते राहत है या फिर हम खाना खाता हैं वो लगातार डाइजेस्ट होता राहत है तो यह जो एक्शंस होते हैं वो हमारे कंट्रोल में नहीं होती हम अपने आप से इंडक्शन को कंट्रोल नहीं कर शक्ति और ये जो ऑटोनॉमिक जस होती हैं इसके भी फरदर तू टाइप जो की सिंथेटिक नफ और परसिंपिटेटिव नर्स तो जो सिंपिटाइटिक नर्वस होती हैं वो हमारी बॉडी को प्रिपेयर करती हैं फायर रिस्पांस की टाइम पर या फिर पोटेंशियल डेंजर होने पर जैसे की जब आपको पता चला है की आपकी लड़ाई होने वाली है तो आपकी बॉडी अचानक से बूस्ट अप हो जाति है फाइट के लिए या फिर जब आपके साथ कुछ अच्छा होता है या बड़ा होता है तो उसके रिस्पांस में आपने नोटिस किया होगा की आपके रोंगटे हो जाते हैं पसीना आने लगता है तो यह जो सब है वह सिंथेटिक नॉब्स के करण ही होता है तो जो सिंपैथेटिक नष्ट होती है वह हमारी बॉडी को प्रिपेयर करती है रिस्पांस के लिए फायदे या पोटेंशियल डेंजर के टाइम पर और इस टाइम पर पेरिस इंपिसाइटिंग समय कम रहने पर और सिंगिंग को इन्नोवेट करने में हेल्प करती हैं आपने कभी नोटिस किया होगा की कभी आपको काफी गुस्सा आता है तो यह जो गुस्सा होता है वो धीरे-धीरे शांत हो जाता है और सब कुछ नॉर्मल हो जाता है या फिर जब आप कभी खुश होते हैं लेकिन ये खुशी भी कुछ टाइम पर नॉर्मल हो जाति है तो ये सब सिंपल टाटिक और पारा सिंपलीसिटी मैप्स की कोऑर्डिनेशन से होता है तो इसके बाद हम समझते हैं न्यूरॉन्स के बड़े में तो ये होते हैं बेसिकली नर्व सेल और ये जो डायग्राम आप देख रहे हैं ये एक न्यूरो ऐसे ही काफी सारे मतलब बहुत ज्यादा न्यूरॉन्स हमारी बॉडी में प्रेजेंट होती हैं तो इस डायग्राम में यह जो स्ट्रक्चर आपको दिखे रही है ये डेंड्राइट और ये सेल बॉडी और ये जो आपको बीच में दिखे रहा है ये न्यूक्लियस और ये वाली जो स्ट्रक्चर है इसे कहते हैं और ये जो नट सेल के एंडिंग कहा जाता है ये एक न्यूरो और ये क्या कम करता है और कैसे कम करता है ये हम आगे समझेंगे तो अभी आपने दो या तीन बार सुना होगा की जब हम अपने हाथ को किसी इस से टच करते हैं तो इमीडियाटली हम अपने हाथ को वहां से हटा देती है तो यह जो हो रहा है अब हम इसी प्रोसेस को समझना वाले हैं की एक्चुअली में ये सब होता कैसी है तो आप जानते हैं की हमारी हाथ पर स्क्रीन पर फिंगर पर अलग-अलग रिसेप्टर और नर्व एंडिंग्स प्रेजेंट होती हैं तो हमारे सराउंडिंग्स की जो इनफॉरमेशन होती है वो हमारे नर्व सेल की डैंड्रफ टिप्पर एक्वायर की जाति है तो यहां पर सराउंडिंग इनफॉरमेशन का मतलब गम चीज से है तो आप इस डायग्राम को देखिए जो की डेंड्रिट है इसी की टिप पर सराउंडिंग इनफॉरमेशन एक्वायर की जाति है और जैसे ही ये इनफॉरमेशन एक्वायर होती है यहां पर केमिकल रिएक्शन होती है जिससे की इलेक्ट्रिकल इंपल्स जेनरेट होती है तो अब आप सोच रहे होंगे की इलेक्ट्रिकल इंपल्स क्या होती है तो यह जो अब एक इलेक्ट्रिकल सिग्नल होता है जो की एग्जाम के साथ ट्रैवल करती है तो यह जो इलेक्ट्रिकल इंपल्स होती है वो डेंड्रिट पर जेनरेट होती है तो अब आप इस डायग्राम को देखिए जैसे ही सिंपल एंड्राइड पर जेनरेट होती है वह वहां से ट्रैवल करके सेल बॉडी में ए जाति है उसके बाद सेल बॉडी इंपल्स ट्रैवल करके एग्जाम में पहुंच जाति है और एक्सन में जान के बाद यह इंपल्स न वेंडिंग में पहुंच जाति है तो ये तो हुई एक पर्टिकुलर न्यूरो की बात की उसके अंदर इंपल्स कैसे ट्रैवल करती है लेकिन हम जानते हैं की हमारी बॉडी में काफी साड़ी नफ सेल या न्यूरॉन्स प्रेजेंट होती है तो इनफॉरमेशन को पास होने के लिए इन काफी साड़ी न्यूरो से पास होना होता है तो जब एक न्यूरो और होता है तो इस के पीछे काफी सारे और भी न्यूरॉन्स प्रेजेंट होते हैं जो की एक दूसरे से कनेक्ट के थ्रू कनेक्ट रहते हैं तो स्नैप जो है वो प्लेस होती है या हम का सकते हैं की खाली जगह होती है जहां पर न्यूरो आपस में कनेक्ट करते हैं और इनफॉरमेशन को एक न्यूरो से दूसरे न्यूरो में ट्रांसफर करते हैं तो जैसे ही इलेक्ट्रिकल इंपल्स नव एंडिंग पर पहुंचती है तो वहां पर कुछ केमिकल्स रिलीज होते हैं और ये केमिकल्स जो है वो गैप या स्नैप से पास होते हैं जिसकी वजह से सिमिलर इलेक्ट्रिकल इंपल्स अगले न्यूरो के डेंड्रिट पर जेनरेट होती है और यही प्रोसीजर आगे कंटिन्यू राहत है अदर न्यूरॉन्स में और कुछ इस तरह से हमारी बॉडी में इनफॉरमेशन इलेक्ट्रिकल इंपल्स के थ्रू पास होती है तो यहां पर हुआ क्या तो सबसे पहले कोई इनफॉरमेशन सराउंडिंग से जेनरेट हुई डेंड्रिट की टिप पर फिर वहां पर हुई केमिकल रिएक्शन जिसके करण वहां पर एक इलेक्ट्रिकल इंपल्स जेनरेट हुई वो फिर ये इलेक्ट्रिकल इंपल्स सेल बॉडी और एक्सन से ट्रैवल होती हुई नव एंडिंग पर पहुंचती है और वहां पर कुछ गैप होता है जो की केमिकल्स के चलते क्रॉस होता है फिर ऐसे ही से इलेक्ट्रिकल इंपल्स जो है वो नेक्स्ट न्यूरो की डैंड्रफ टिप्पर जेनरेट होगी फिर आगे यही प्रोसीजर कंटिन्यू रहेगा और ये जो इनफॉरमेशन होती है वो हमारी बॉडी में दो टाइप की न्यूरो से ट्रैवल करती है एक है सेंसरी न्यूरो और दूसरा है मोटर न्यूरो तो सेंसरी न्यूरो होते हैं क्योंकि इनफॉरमेशन या डेंजर को सेंस करके हमारे ब्रेन तक पहुंचने हैं और जो मोटर न्यूरो होता है वो इसी चेंज चेंज इनफॉरमेशन का रिस्पांस होता है तो आपको बस सभी इतना ही समझना था की जो इनफॉरमेशन होती है वो हमारी बॉडी में कैसे और किस तरह से पास होती है तो इसके बाद हम समझते हैं अगले इंपॉर्टेंट हमको जो की यह रिफ्लेक्स एक्शन तो आपने कभी अपने हाथ को गलती से किसी ग्राम ऑब्जेक्शन टच किया होगा तो वापस कंडीशन को याद करिए तो जी समय हम किसी ग्राम चीज को टच करते हैं तो हम एकदम से बिना कुछ सोच समझे अपने हाथ को वहां से हटा लेते हैं तो यहां पर ऐसा तो हुआ नहीं की आपने गम ऑब्जेक्ट को चुने के बाद सोचा की इससे हाथ हटाओ या ना हटाओ तो आपने तो वहां पर डायरेक्ट एक्शन लिया और हाथ को हटा लिया तो यहां से हम रिफ्लेक्स एक्शन की डेफिनेशन लिख सकते हैं व्हेन वे डू समथिंग विदाउट थिंकिंग अबाउट आईटी इसे कॉल्ड रिफ्लेक्स एक्शन और ये जो रिफ्लेक्स एक्शन होता है यह काफी फास्ट होता है इसके अंदर हमें सोने का टाइम नहीं मिलता तो अगर हम बात करें इसकी दूसरी पॉसिबिलिटी की तो क्या होता है की पहले हमारा हाथ किसी गम ऑब्जेक्ट पर पड़ता फिर ये इनफॉरमेशन हमारी ब्रेन में जाति इसके बाद हमारा ब्रेन इंस्ट्रक्ट करता है हमारे हैंड मसल्स को मूव होने के लिए लेकिन ये जो प्रोसेस है इसमें थोड़ा सा टाइम लगता और शायद तब तक हमारा जो हाथ है वो जल जाता तो हुई रिफ्लेक्स एक्शन की बात यानी की जो कुछ भी एकदम इमीडियाटली हो जाता है तो हम इस रिफ्लेक्स एक्शन के पास भी यानी की राष्ट्रीय को देखते हैं की आखिर ये होता कैसा है तो इस रिफ्लेक्स अर्क में तीन टाइप के न्यूरो इंवॉल्व होते हैं जो की ये सेंसरी न्यूरो रिले न्यूरो और मोटर न्यूरो तो हम रिफ्लेक्स अर्क तो सबसे पहले हमारा हाथ किसको टच करता है तो हमारी स्क्रीन पर जो हिट रिसेप्टर होती है वो सिगनल्स को सेंड करते हैं उसके बाद हमारे जो सेंसरी न्यूरो होते हैं वो इस हॉटनेस या कोई और कोई इनफॉरमेशन को स्पाइन कार्ड तक पहुंचती है और यह जो इनफॉरमेशन है वो ब्रेन में भी जाति है लेकिन इसका जो रिस्पांस और आंसर होता है वो स्पाइन कार्ड में ही हो जाता है तो जो स्पाइन कार्ड होती है उसमें रिले न्यूरो प्रेजेंट होते हैं क्योंकि सेंसरी वो मोटर न्यूरो को आपस में कनेक्ट करते हैं तो जो स्पाइन कार्ड का रिस्पांस होता है वो रिले न्यूरो के थ्रू मोटर न्यूरो में पास होता है फिर ये मोटर न्यूरो हैंड की मसल्स को सिग्नल दे देगी हटे के लिए उसके बाद हम जो है वो अपने हाथ को वहां से हटा लेंगे तो अगर हम इसको थोड़ा सा और सिंपल करके देखें तो आपको सिर्फ कर चीज याद रखती है जो की हिट रिसेप्टर सेंसरी न्यूरो और मॉडर्न न्यूरो अगर इन सभी के फंक्शन आपको अच्छे से समझ में ए जाएंगे तो आप रिफ्लेक्स एआरसी को अच्छे से समझ जाएंगे तो इसके बाद अब हम समझते हैं इस चैप्टर के सबसे इंपॉर्टेंट टॉपिक को जो की है ब्रेन तो ब्रेन हमारी बॉडी का सबसे इंपॉर्टेंट पार्ट होता है जिसके तीन परियों हिस होते हैं जो की ये फोरब्रैन मीडब्रेन और हैंडब्रेन तो ये है हमारी ब्रेन का फूली लेवल डायग्राम तो स्टूडेंट को इस डायग्राम को लेकर काफी कन्फ्यूजन होती है की क्या यह डायग्राम हमारे एग्जाम में ए सकता है तो इस डायग्राम को ड्रा करना काफी डिफिकल्ट होता है इसलिए मोस्टली केसेस में इस डायग्राम को लेवल करने के लिए ए सकता है इसीलिए आपको ये अच्छे से पता होना चाहिए की ब्रेन में कितने पार्ट्स होते हैं और वे कहां पर लोकेटेड रहते हैं तो हम लोग एक-एक करके ब्रेन के तीनों पार्ट्स को अच्छे से समझना वाले हैं तो हम शुरुआत करते हैं फोरब्रैन से तो फोरब्रैन को समझना से पहले आप ये जान लेने की हमारे ब्रेन की जो कवरिंग होती है जिससे की हमारा ब्रेन प्रोटेक्टर राहत है उसे सकल या क्रेनियम बोला जाता है तो अब हम समझते हैं तो हमारे फोर व्हील के अंदर दो पार्ट्स होते हैं जो की यह सेरेब्रम और हाइपोथैल्म तो जो हमारा सर्वम होता है उसके अंदर स्पीच सेंटर जजमेंट सेंटर थिंकिंग सेंटर इमोशनल सेंटर प्रेजेंट होते हैं तो हम जो कुछ भी बोलते हैं जज करते हैं मोर इंपॉर्टेंट जो कुछ भी हम सोचते हैं यह सभी डिसीजन सेरेब्रम के थ्रू लिए जाते हैं और सेरेब्रम को ब्रेन की अर्थमैटिकल लॉजिकल यूनिट भी कहा जाता है इसी जो सेरेब्रम होता है वो हमारी बॉडी के सभी वॉलंटरी एक्शंस को कंट्रोल करता है और ये हमारे ब्रेन का लार्जेस्ट पार्ट होता है इसके बाद है फोर व्हीलर का दूसरा पार्ट जो की ये हाइपोथैलेमस जो की हमारी बॉडी में टेंपरेचर हंगर और थ्रेष्ठ को कंट्रोल करता है तो हमें जो भूख प्यास लगती है और खाना खाने के बाद हमें जो फुलफिलमेंट की फीलिंग आई है वो हाइपोथैलेमस की वजह से ही आई है इसके बाद अगर हम बात करें एमआईडीबीआरए की तो एनसीईआरटी में यह स्पेसिफिक नहीं दिया गया है लेकिन मीडब्रेन के अंदर ऑडिटरी और विजुअल प्रोसेसिंग सेंटर प्रेजेंट होते हैं पर एग्जांपल किसी ने आपको आवाज दी फिर आप उधर मुड़े और आप जो देखेंगे उसे चीज के सेंटर मीडब्रेन में प्रेजेंट होते हैं तो अब हम बात करते हैं हैंडब्रेन की तो हैंडब्रेन मीडब्रेन के साथ मिलकर कुछ इंवॉलंटरी एक्शंस को कंट्रोल करता है हैंडब्रेन के पास होते हैं पॉन्ड्स मेडुला और सेरेबेलम जो हमारी बॉडी के कुछ जरूरी एक्टिविटीज को कंट्रोल करता है पोंस और मेडुला हमारे स्लीव्स सेंटर को कंट्रोल करता है हमारे बैकअप साइकिल को कंट्रोल करता है ब्रीदिंग को कंट्रोल करता है हार्टबीट को कंट्रोल करता है इन चीजों पर हमारा बस नहीं चला हम अगर सो रहे होते हैं तो भी हमारी ब्रीदिंग हो रही होती है और हमारी हार्टबीट भी लगातार चलती रहती हैं अब हम बात करते हैं सेरेबेलम की तो ये जो हमारी बॉडी पोस्चर और बॉडी बैलेंस को कंट्रोल करता है तो आपने देखा होगा की जब कोई इंसान ड्रिंक कर लेट है तो वह सही से खड़ा नहीं हो पता और ना ही ठीक से चल पता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादा अल्कोहल कंजप्शन से हमारा सेरेबेलम इफेक्ट होता है जिससे की हमारे बॉडी पोस्चर और बॉडी बैलेंस नहीं र पाती है तो हमने अभी ब्रेन के तीनों पार्ट्स और उनके फंक्शंस को अच्छे से समझ लिया है तो ब्रेन के समझना के बाद अब हम समझते हैं स्पाइन कार्ड को तो ये जो आपको दिखे रही है वो है हमारी स्पाइन कार्ड जो की हमारी बॉडी के बैक साइड में प्रेजेंट होती है जो की हमारे ब्रेन को लोअर बैक से कनेक्ट करती है और हमारी बॉडी में ब्रेन से जो भी सिग्नल पास होते हैं वो सब इसी के थ्रू ट्रांसपोर्ट होते हैं और इसी के साथ हमारी बॉडी में जो भी रिफ्लेक्स एक्शन होते हैं वे सब स्पाइन कार्ड के करण ही होते हैं इसके बाद हम बात करते हैं सीएस प्रोटेक्शन की सीएस प्रोडक्शन का मतलब होता है सेंट्रल नर्वस सिस्टम के अंदर जो ऑर्गन्स आते हैं उनकी प्रोटेक्शन कैसे होती है तो यह तो आप जानते हैं की सीएस के अंदर दो ऑर्गन्स आते हैं जो की ब्रेन और स्पाइन कार्ड और मैं भी यह आपको बता चुका हूं की हमारा जो ब्रेन है वो क्रेनियम या सकल के द्वारा प्रोटेक्टिव राहत है लेकिन इसी के साथ-साथ वगैरा में हेल्प वहीं पर जब हम बात करते हैं स्पाइन कार्ड की प्रोटेक्शन के लिए तो हमारी बॉडी में जो वर्टिकल कलम होता है वो हमारी बॉडी में स्पाइन कार्ड को प्रोटेस्ट करता है और साथ में हमारी बॉडी को कब प्रोवाइड करता है तो यहां से आपको वर्टिकल कलम की दो फंक्शन पता चले हैं आपको इन दोनों फंक्शंस को याद रखना है तो अब हम आगे बढ़ते हैं और समझते हैं कोआर्डिनेशन और प्लांट्स को यानी की प्लांट्स के अंदर कोऑर्डिनेशन तो जो प्लांट्स होते हैं उनमें एनिमल्स की तरह कोऑर्डिनेशन के लिए नर्वस सिस्टम और मसल्स नहीं पी जाति हैं इसलिए प्लांट्स के अंदर मेजर्ली जो कोऑर्डिनेशन होता है वो हारमोंस के द्वारा होता है और ये जो प्लांट होते हैं वो मोमेंट या कोऑर्डिनेशन को दो टाइप से करते हैं जिसमें की पहले है दिउ तू स्टीमुलस और दूसरा है दिउ तू ग्रोथ तो पहले हम देखते हैं की प्लांट स्टीमुलाई के थ्रू कैसे मूवमेंट करते हैं लेकिन उससे पहले हम ये देखते हैं की ये स्टिमुला क्या होती है तो एनीथिंग डेट कैन ट्राईबल एन फिजिकल और बिहेवियर चेंज इस कॉल्ड बिहेवियर और फिजिकल चेंज को स्टार्ट कर दे अगर हम बात करें प्लांट्स की तो पर एग्जांपल बहुत सारे ऐसे सेंसेटिव प्लांट्स होते हैं अगर हम उनकी लिप्स को टच करते हैं तो वो फोल्डर हो जाति हैं तो इसका मतलब तो ये है की प्लांट जो है वो एक्सटर्नल स्टोरेज को रेस्पॉन्ड करते हैं इसके बाद हमें देखना है ह्यूमन दिउ तू ग्रोथ को तो जो प्लांट्स होते हैं वो किसी पर्टिकुलर डायरेक्शन में ग्रोथ की तरफ रेस्पॉन्ड करते हैं और ये जो ग्रोथ होती है वो डायरेक्शनल होती है और जो एनवायरनमेंट की ट्रिगर्स होते हैं जैसे की लाइट ग्रेविटी इन सभी के रिस्पांस में प्लांट जो है वो गो करते हैं अपनी पर्टिकुलर डायरेक्शन को छोड़कर फिर एग्जांपल आपने खिड़की पर रखें किसी गमले को देखा होगा और ये नोटिस किया होगा की उसे गमले के अंदर जो पर्टिकुलर प्लांट है वो सनलाइट की डायरेक्शन में गुरु करता है उसकी ब्रांच से सन की तरफ बांडेड रहती हैं और यह जो डायरेक्टर मूवमेंट की तरफ भी हो शक्ति है उससे दूर भी पूरा एग्जांपल जो सूट्स होती हैं वो लाइट को रेस्पॉन्ड करती है उसकी तरफ बैंड होकर वहीं पर उसकी जो रूट होती है वह रेस्पॉन्ड करती है उसके दूसरी साइड बैंड हो यानी की ग्रेविटी की तरफ बैंड होकर ऐसे कुछ और टर्म्स होती है मूवमेंट ड्यूटी ग्रोथ को लेकर जिन्हें की अब हमें एक-एक करके समझना है जिसमें की दूसरा [संगीत] है तो पहले कौन सा है तो पहले है रिस्पांस लाइट जो की हमने अभी-अभी समझा है तो जियोटरोप्स यहां पर जिओ का मतलब है लैंड या ग्रेविटी और ट्रॉपिज्म का मतलब है टुवर्ड्स ग्रोथ यानी की ग्रेविटी की तरफ मूवमेंट तो अब जानते हैं प्लांट्स की जो रूट होती है वो अपोजिट डायरेक्शन में गुरु करती हैं सनलाइट की क्योंकि भाई गो करते हैं ग्रेविटी की स्टीमुलस की तरफ ऐसे ही एक और ट्रॉफीज होता है जिसका नाम है कीमोटरोपिज्म तो जो प्लांट्स होते हैं वो केमिकल्स के रिस्पांस में अपनी ग्रोथ करते हैं जैसे की प्लांट्स के अंदर जो पोलन टिप्स होते हैं वो ऑब्यूल्स की तरफ गो करते हैं इसके बाद हमें देखना है इनको जो की हाइड्रोबिन यानी की वाटर के टुवर्ड्स रिस्पांस रूट की ग्रोथ का तो जो प्लांट करती हैं और आपको यहां पर एक बात याद रखना है की जो मूवमेंट रिलेटेड तू ग्रोथ होता है वो काफी ज्यादा स्लो होता है मूवमेंट रिलेटेड तू स्ट्रीमलेस से इसके बाद हम समझते हैं प्लांट हार्मोन को तो प्लांट्स हार्मोन को फोटो हार्मोन भी कहा जाता है और इन प्लांट्स हार्मोन को दो पार्ट्स में डिवाइड किया गया है जो की ग्रोथ प्रमोटर और दूसरा है ग्रोथ इनवर्टर बेसिकली प्लांट्स के पांच हार्मोन होते हैं जिनके बड़े में हमें पढ़ना है तो पहले हम देखते हैं ग्रोथ प्रमोटर हार्मोन को यानी की उन हार्मोन को जो की प्लांट्स के अंदर ग्रोथ को प्रमोट करती है तो प्लांट्स का पहले ग्रोथ प्रमोटर हार्मोन है ऑक्सीजन तो यह जो रिस्पांसिबल होता है सेल लोकेशन के लिए प्लांट्स में तो यह जहां पर प्रेजेंट होता है वहां पर सेल एलेबोरेट होती है और ऐवेंंचुअली ग्रोथ होती है तो अभी हमने पढ़ा है की जो प्लांट्स के ग्रोथ होती है वो सनलाइट की तरफ होती है तो इस प्रोसेस में कहानी ना कहानी ऑक्सीजन का भी काफी इंपॉर्टेंट रोल होता है और ये कैसे होता है ये हम अब पढ़ने हैं तो जो ऑप्शन हार्मोन होता है वो हमेशा सलाइट की सीधी साइड में क करता है यानी अपोजिट साइड में क करता है तो जब सनलाइट प्लांट के बिल्कुल ऊपर होती है तब तो ऑक्सीजन बिल्कुल ऐवेंंचुअली डिस्ट्रीब्यूशन हो जाता है इसलिए जो ज्यादातर प्लांट ग्राउंड वगैरा में सिचुएशन होते हैं वो सीधे होते हैं क्योंकि उनमें पुरी सनलाइट बराबर डिस्ट्रीब्यूशन होती है लेकिन कुछ प्लांट्स ऐसी जगह पर भी सिचुएटेड होते हैं जिन पर सनलाइट एक साइड से ही पड़ती है जैसे की खिड़की पर रखा हुआ प्लांट्स तो अभी मैंने बताया की ऑक्सीजन सनलाइट की साइड में जाना कम करता है इसीलिए सनलाइट की अपोजिट साइड में सेल ज्यादा ही लोंगिट्यूड हो जाति हैं और वो सनलाइट की तरफ बैंड हो जाते हैं और सन की तरफ धीरे-धीरे गो करने लगता हैं तो ऑक्सीजन का फंक्शन समझना के बाद अब हम समझते हैं दूसरे ग्रोथ प्रमोटर हार्मोन को जो की एक तो ये जो है वो सेल में काफी हेल्प करता है इसके साथ स्टेम ग्रोथ और प्रॉब्लम के टाइम पर फ्लावर डेवलपमेंट में भी काफी हेल्प करता है और प्लांट्स का तीसरा ग्रोथ प्रमोटर हार्मोन है सीटोसिनेम तो ये जो साइटोक जर्मिनेशन और फ्लावर और फ्रूट की डेवलपमेंट मूवमेंट में हेल्प करता है तो ग्रोथ प्रमोटर्स हार्मोन को समझना के बाद अब हम समझते हैं ग्रोथ इंसिबिटर हार्मोन को तो पहले ग्रोथ इनवर्टर हार्मोन है एफ से कैसे तो जो ऐप्स एसिड होता है वह प्लांट के ग्रोथ को इन्नोवेट करता है उन हार्मोन को काउंटर करके जो की ग्रोथ को इन्नोवेट करते हैं और यह जो है वो सी डोरमेंसी को मेंटेन करता है इसी के साथ लीव्स की कल्टिंग के लिए भी यह हार्मोन रिस्पांसिबल होता है लीफ की कटिंग का मतलब होता है लिप्स का चढ़ना तो जब लिप्स ओल्ड हो जाति हैं और वो झड़ना लगती हैं तो ये प्रोसेसिंग एसिड के करण ही होती है और दूसरा जो ग्रोथ इनवर्टर हार्मोन होता है वो होता है एथिलीन तो यह जो गैसेस प्लांट हार्मोन होता है जो की प्लांट के फ्लावर ऑर्गन्स के ग्रोथ और डेवलपमेंट को स्टिम्युलेट करता है और यह साथ में फ्रूट में हेल्प करता है तो यह कुछ प्लेन हार्मोन है जो की आपको याद रखना हैं तो प्लांट हारमोंस को समझना के बाद अब हम समझते हैं एनिमल हार्मोन को तो ह्यूमंस में जो हार्मोन होते हैं वह ग्लैंड के अंदर सीक्रेट थे और यह जो ग्लैंड होते हैं वह मेली दो टाइप होते हैं जो की एंडोक्राइन ग्लैंड और एग्जॉक्रिन ग्लैंड तो इन दोनों में जो डिफरेंस होता है वो ये की एक्सक राइन गुट है जिसमें वो अपने हार्मोन को सीक्रेट करते हैं वहीं पर जो एंडोक्राइन ग्लैंड होते हैं वो अपने हार्मोन को डायरेक्टली ब्लू में सीक्रेट करते हैं तो हमें यहां पर मैंने एंडोक्राइन ग्लैंड के हार्मोन को ही समझना है तो ये जो आप डायग्राम देख रहे हैं ये है हमारे बॉडी के एंड ऑक्राइन जिन्होंने की हम एक-एक करके समझना वाले हैं हम यहां इनकी लोकेशन इनके सीक्रेट हार्मोन इनके क और इनकी डिफिशिएंसी और एक्सेस से होने वाले रिजल्ट्स को भी देखने वाले हैं तो हम शुरुआत करते हैं पिट्यूटरी ग्लैंड से तो इस ग्लैंड को मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है और ये ब्रेन में प्रेजेंट होता है और ये ग्रोथ हार्मोन को सीक्रेट करता है जिसका कम होता है हमारी बॉडी की ग्रोथ को रेगुलेट करना इसकी डिफिशिएंसी से ड्वॉर्फ्स में हो जाता है जिसके अंदर पर्टिकुलर परसों की हाइट एवरेज से कम र जाति है और इसकी एक्स सीसम हो जाता है जिससे की पर्टिकुलर परसों की हाइट एवरेज से ज्यादा हो जाति है इसके बाद हम समझते हैं डिनर ग्लैंड के बड़े में तो यह हमारी किडनीज के टॉप पर प्रेजेंट होता है जो की अदनाल हार्मोन को सीक्रेट करता है और इसका कम होता है हमारी बॉडी को डिप्टी रिपेयर करना और इसकी ही कमी की वजह से एडिशन डिजीज होती है इसके बाद अगला ग्लैंड है थायराइड ग्लैंड तो ये जो है वो निक की साइड पर प्रेजेंट होता है जो की थायरोक्सिन हार्मोन को सीक्रेट करता है जो की हमारी ग्रोथ को बैलेंस करता है और यह हमारी मेटाबॉलिज्म की रेट को भी बैलेंस करता है और इसी की कमी से हमारी बॉडी में गाइडर डिजीज हो जाति है इसके बाद अगला ग्लैंड है पारा थायराइड ग्लैंड जो की हमारे थायराइड ग्लैंड के पीछे प्रेजेंट होता है जो की पारा क्रोमस नमक हार्मोन को सिगरेट करता है जो की हमारी बॉडी में कैल्शियम की बैलेंस को रेगुलेट करता है इसकी डिफिशिएंसी से हमारे ब्लू में कैल्शियम की कमी हो जाति है जिससे हमें हाइपरकैल्सीमिया हो जाता है इसके बाद अगला कैलेंडर जो की अपार एब्डोमेनों और यूरेनियम के बीच में प्रेजेंट होता है जो की इंसुलिन और ब्लू कलर हार्मोन को सीक्रेट करता है जो की हमारी बॉडी में ग्लूकोस और ब्लू शुगर लेवल को मेंटेन करते हैं और इसकी डिफिशिएंसी से डायबिटीज हो जाति है आपने कई बार डायबिटिक पेशेंट के लिए सुना होगा की इनको इंसुल इंजेक्शन ग रहा है तो यह जो इंसुलिन के इंजेक्शन होते हैं वह इसी इंसुलिन के लेवल को मेंटेन करने के लिए लगता हैं इसके बाद हमें पढ़ना है सेक्स तो ह्यूमंस में सेक्स हार्मोन मेल और फीमेल के अंदर से होते हैं तो मेल के अंदर सेक्स हार्मोन होता है टेस्टिस्ट्रन और फीमेल के अंदर सेक्स हार्मोन होता है प्रोगैस्टरॉन और व इनकी डिटेल स्टडी आपको आपके अगले चैप्टर हो डू अगेन इन रीप्रोड्यूस में मिलेगी इसके बाद हम देखते हैं इस चैप्टर के आखिरी टॉपिक को जो की है फीडबैक मेकैनिज्म तो ये जो फीडबैक मेकैनिज्म होता है हारमोंस की रिलीज होने की टाइमिंग और अमाउंट को रेगुलेट करता है यानी की हमारी बॉडी में कब कितने और किस समय पर किस हार्मोन को रिलीज होना है ये सब फीडबैक मेकैनिज्म भी रेगुलेट करता है पर एग्जांपल जब हम आराम से बैठे होते हैं तो हमारा एड्रिनल हार्मोन रिलीज नहीं होता तो तभी रिलीज होता है जब कुछ सीरियस कंडीशन होती है तो यह फीडबैक मेकैनिज्म से ही रेगुलेट होते हैं तो हमारा जो फीडबैक मेकैनिज्म होता है वह हमारी बॉडी में हमारे हारमोंस को रेगुलेट करता है तो इसी के साथ हमारा यह जो चैप्टर है वो यहां पर खत्म होता है अगर आपको यह वीडियो अच्छी लगी है तो आप इसे लाइक कर सकते हैं और साथ ही साथ 10th क्लास की साइंस की और भी वीडियो को देखने के लिए इस चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं तब तक के लिए थैंक्स पर वाचिंग टेक केयर बाय बाय