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क्लास 10 ज्योग्राफी: फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ रिसोर्सेस

हेलो एवरीवन आज हम पढ़ेंगे क्लास 10 ज्योग्राफी का चैप्टर नंबर सेकंड जिसका नाम है फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ रिसोर्सेस दोस्तों हमारे इस प्लेनेट अर्थ के ऊपर केवल हम ही लोग नहीं रहते बल्कि हमारी तरह कई साड़ी लिविंग स्पीशीज भी देखने को मिलती है जैसे ही कई सारे एनिमल्स देखने को मिलते हैं कई सारे प्लांट्स देखने को मिलते हैं कई साड़ी बर्ड्स देखने को मिलती है यानी की हमें हमारी अर्थ पर बायोडायवर्सिटी देखने को मिलती है बायोडायवर्सिटी मतलब डिफरेंट टाइप ऑफ लाइफ देखने को मिलती है तो इस चैप्टर में हम हमारी अर्थ पर मौजूद इसी बायोडायवर्सिटी को एक्सप्लोर करेंगे हम अलग-अलग जंगलों के बड़े में पढ़ेंगे जीव-जंतुओं के बड़े में पढ़ेंगे और उनके कंजर्वेशन के बड़े में पड़ेगी तो चलिए स्टार्ट करते हैं [संगीत] तो चैप्टर में सबसे पहले हम पढ़ने हैं फ्लोर और फौना के बड़े में फ्लोर मतलब जितनी भी प्लांट स्पीशीज होती हैं अर्थ के ऊपर उसे हम कहते हैं फ्लोर और जितने भी एनिमल स्पीशीज होती हैं अर्थ के ऊपर उसे हम कहते हैं फौना अगर मैं सिंगल शब्द में डिफाइन करूं तो फ्लोर होता है प्लांट लाइफ और फौना होता है एनिमल लाइफ अब हम देखते हैं इंडिया के कॉन्टैक्ट में की इंडिया में कितनी फ्लोरेंस होना है फ्लोर और फौना इन इंडिया तो हमारी इंडिया वन ऑफ डी रिचेस्ट कंट्री है पूरे वर्ल्ड में इन टर्म्स ऑफ बायोडायवर्सिटी मतलब हमारी इंडिया में हमें डिफरेंट टाइप्स ऑफ फ्लोर भी देखने को मिलते हैं और डिफरेंट टाइप्स ऑफ होना भी देखने को मिलते हैं और दोस्तों आपको जानकारी नहीं हुई है उनकी डिस्कवरी इन्वेंटर फ्लोर और फौना के ऊपर फ्लोर और फौना की मदद से हमें खाना मिलता है कपड़े मिलते हैं रा मैटेरियल्स मिलते हैं मेडिसिन मिलती है इसके अलावा हमारे एनवायरनमेंट बैलेंस राहत है तो करी का मतलब ये है की हम काफी निर्भर है फ्लोर और फौनक के ऊपर दोस्तों चिंता की बात ये है की इंसान इतना लापरवाह हो गया है की वो अपने फायदे के लिए फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ को डिस्ट्रॉय करने में लगा हुआ है यानी की इनसेंसेटिव हो गया है अगर ऐसा ही चला रहा तो कई सारे पेड़ों की और जानवरों की स्पीशीज विलुप्त हो जाए इसलिए जरूर है उन्हें कंजर्व करने की यानी की उन्हें बचाने की क्योंकि वर्ल्ड लाइफ पापुलेशन और फॉरेस्ट्री कंटीन्यूअस डिक्लिन कर रही है नेक्स्ट टॉपिक हमारा कंजर्वेशन ऑफ फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ इन इंडिया इस टॉपिक में हम पढ़ेंगे की फॉर्मेशन वर्ल्ड लाइफ को कंजर्व करने के लिए कौन-कौन से स्टेप लिए जाते हैं लेकिन उससे पहले हम यह जान लेते हैं की कंजर्वेशन करने की जरूर क्या है कंजर्वेशन करने का फायदा क्या है बेनिफिट्स ऑफ कंजर्वेशन इकोलॉज टोटल डाइवर्सिटी और लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाटर एयर और सॉइल मतलब कंजर्वेशन करने से इकोलॉजिकल डाइवर्सिटी सुरक्षित रहती है और साथ में हमारा जीवन जिन चीजों पर डिपेंडेंट राहत है वह भी सुरक्षित रहती है जैसे की वाटर एयर सॉइल इसलिए कंजर्वेशन करना जरूरी है और अच्छा है कंजर्वेशन करने का दूसरा बेनिफिट है आईटी अलसो प्रिजर्व डी जेनेटिक डाइवर्सिटी ऑफ प्लांट्स और एनिमल पर बटर ग्रोथ ऑफ स्पीशीज और ब्रीडिंग मतलब कंजर्वेशन करने से जेनेटिक डाइवर्सिटी सुरक्षित रहती है मतलब प्लांट्स और एनिमल की अलग-अलग वैरायटी सुरक्षित रहती है ताकि उन स्पीशीज की बटर ग्रोथ और उनकी अलग-अलग ब्रेड यानी की वैरायटी आगे देखने को मिल सके जैसे आज हम जो एग्रीकल्चर करते हैं उसमें हम डिफरेंट वैराइटीज ऑफ क्रॉप होगा आते हैं और हम इसके ऊपर काफी डिपेंडेंट है अगर हमने कंजर्वेशन नहीं किया तो हमें जेनेटिक डाइवर्सिटी देखने को नहीं मिलेगी मतलब डिफरेंट टाइप्स ऑफ वैराइटीज देखने को नहीं मिलेगी आज के समय में डिफरेंट टाइप्स ऑफ फिशेज देखने को मिलती है लेकिन इनकी अगर कोई फिश की वैरायटी खत्म हो जाति है यानी की विलुप्त हो जाति है तो वो हमें आगे देखने को नहीं मिलेगी इसलिए कंजर्वेशन करना जरूरी है ताकि जेनेटिक डाइवर्सिटी प्रिजर्व रहे और आगे भी अलग-अलग वैरायटी देखने को मिल सके अब हम देखते हैं की गवर्नमेंट ने कंजर्वेशन के लिए कौन-कौन से स्टेप लिए चलिए देखते हैं तो देखो हमारी गवर्नमेंट द्वारा वाइल्डलाइफ को प्रोटेस्ट करने के लिए सबसे पहले स्टेप लिया जाता है 1972 में गवर्नमेंट क्या करती है 972 में एक एक्ट पास करती है जिसका नाम था वर्ल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट इस एक्ट के तहत गवर्नमेंट क्या करती है कई सारे प्रोविजंस बनती है वाइल्ड लाइफ के हैबिटेट को प्रोटेस्ट करने के लिए और एक लिस्ट भी जारी करती है उन स्पीशीज की जिनकी लाइफ खतरे में है मतलब जिन्हें प्रोटेस्ट करना जरूरी है उन्हें बचाने के लिए गवर्नमेंट हंटिंग पर बन लगा दी थी और साथ में जो ट्रेडिंग होती थी यानी की तस्करी होती थी जानवरों की उसे पर भी रॉक लगा शक्ति है केवल इतना ही नहीं आगे जाकर 1980 में और 1986 में कई साड़ी और स्पीशीज को भी प्रोटेक्टेड स्पीशीज की लिस्ट में जोड़ा जाता है जिसमें कई सैकड़ो बटर फ्लाई स्मूदीज बीटल शामिल थी और एक ड्रैगन फ्लाई भी शामिल था दोस्तों यह केवल जानवरों तक सीमित नहीं था बल्कि आगे जाकर 1991 में पहले बार प्लांट्स डिजीज को भी लिस्ट में एड किया गया शुरुआत में अब सिक्स प्लांट्स किसी को एड किया गया एस्टेब्लिशमेंट ऑफ प्रोटेक्टिव इंस्टीट्यूशंस अब दोस्तों ऐसा नहीं है की हमारी गवर्नमेंट केवल एक्ट बना रही थी बल्कि कई साड़ी इंस्टीट्यूशंस भी सेटअप कर रही थी फ्लोर और फौना को प्रोटेस्ट करने के लिए जैसे ही कई साड़ी वाइल्डलाइफ सेंचुरी बनाई जाति है 22वें रिजर्व बनाए जाते हैं नेशनल पार्क बनाए जाते हैं आज के समय में इंडिया में 50067 वाइल्डलाइफ सेंचुरी है 18 रिजर्व है और 106 नेशनल पार्क इतना ही नहीं दोस्तों गवर्नमेंट के द्वारा पर्टिकुलर एक जानवर को बचाने के लिए भी कई सारे प्रोजेक्ट चलाएं गए जैसे की पर्टिकुलर टाइगर को बताने के लिए प्रोजेक्ट आएगा चलाया गया इसी तरीके से एशियाई लायन को बचाने के लिए घायल को बचाने के लिए ब्लैक बस को बचाने के लिए डायनासोर के लिए स्नो लेपर्ड्स के लिए इन सबके लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट चला गया इन्हें बचाने के लिए पर डोंट वारी हमें इन सब के बड़े में नहीं पादना हमें केवल प्रोजेक्ट टाइगर के बड़े में पढ़ना है तो चलिए जानते हैं की क्या है यह प्रोजेक्ट आएगा तो जैसा की हम जानते हैं की टाइगर जो है वो वन ऑफ डी मोस्ट इंपॉर्टेंट वाइल्डलाइफ स्पीशीज में से एक है और ये काफी इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है फनल बेब के अंदर लेकिन दोस्तों ऐसा देखा गया है पिछले 100 सालों में टाइगर की पापुलेशन बहुत तेजी से डिक्लिन हुई है एस्टीमेट यह बताते हैं की 1870 में टाइगर की पापुलेशन लगभग 55000 थी लेकिन 1970 तक आते-आते टाइगर की पापुलेशन गिरकर 1827 बजती है अब दोस्तों ऐसा हुआ क्यों इसके पीछे रीजन क्या था तो पहले रीजन था की टाइगर की कोचिंग होती थी ट्रेड के लिए मतलब गैर कानूनी तरीके से व्यापार होता था क्योंकि टाइगर की बोन और स्क्रीन काफी एक्सपेंसिव होती थी जिसके चलते कई सारे टाइगर्स को मार दिया जाता था दूसरा रीजन था श्रिंकिंग हैबिटेट मतलब जो जंगल वगैरा थे वह धीरे-धीरे श्रिंक होते गए यानी की खत्म होते गए जी वजह से टाइगर की पापुलेशन भी डिक्रीज हो गई तीसरा रीजन था डिप्लीशन ऑफ स्पेसी मतलब जिन स्पीशीज को टाइगर खाता थे उनकी पापुलेशन भी डिक्रीज हो गई जी वजह से टाइगर को खाना नहीं मिल का रहा था इस वजह से भी टाइगर की पापुलेशन डिक्रीज हुई चौथ रीजन था ग्रोइंग ह्यूमन पापुलेशन मतलब धीरे-धीरे लोगों की पापुलेशन बढ़ाने लगी थी जी वजह से टाइगर का रहना मुश्किल हो गया था तो यह कुछ रीजन है जिनकी वजह से टाइगर की पापुलेशन कम हुई इंडिया के अंदर इसलिए जो हमारी गवर्नमेंट थी उसने टाइगर को बचाने के लिए 1973 में एक कैंपेन लॉन्च किया जिसको बोला गया प्रोजेक्ट टाइगर प्रोजेक्ट टाइगर की मदद से टाइगर की पापुलेशन जो डिक्रीज हो रही थी उसमें कुछ हद तक सुधार देखने को मिला है इसके अलावा हमारी इंडिया में कई सारे टाइगर रिजर्व भी है जो की टाइगर को प्रिजर्व करते हैं जैसे की कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड सुंदरबन नेशनल पार्क इन वेस्ट बंगाल बांधवगढ़ नेशनल पार्क इन मध्य प्रदेश सरिस्का वाइल्डलाइफ सेंचुरी इन राजस्थान मानस टाइगर रिजर्व इन असम प्रिया टाइगर रिजर्व इन केरला तो ये कुछ एग्जांपल है मेजर टाइगर रिजर्व के जो की इंडिया में है नेक्स्ट टॉपिक है हमारा टाइप्स और डिस्ट्रीब्यूशन ऑफ फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ रिसोर्सेस अब हम पढ़ने हैं की फॉरेस्ट कितने टाइप के होते हैं मतलब गवर्नमेंट ने फॉरेस्ट को कंजर्व करने के लिए कितने टाइप में बंता है तो फॉरेस्ट को तीन टाइप में बंता गया है पहले रिजर्व फॉरेस्ट दूसरे प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट और तीसरी अनक्लास्ट फॉरेस्ट सबसे पहले हम पढ़ने रिजर्व फॉरेस्ट के बड़े में तो रिजर्व फॉरेस्ट होते हैं जिन्हें गवर्नमेंट ऑन करती है इन फॉरेस्ट के अंदर किसी भी प्रकार की ह्यूमन एक्टिविटी करना अलाउड नहीं होता है मतलब कोई भी व्यक्ति अपने फायदे के लिए इन जंगलों को नुकसान नहीं पहुंच सकता यह जो रिजर्व फॉरेस्ट है वह बहुत ही कीमती फॉरेस्ट मैन जाते हैं इसलिए इन्हें चारों तरफ से कर करके रखा जाता है यह फॉरेस्ट हमें जम्मू कश्मीर वेस्ट बंगाल महाराष्ट्र उत्तराखंड जैसे स्टेट में देखने को मिलते हैं नेक्स्ट है प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट तो प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट भी गवर्नमेंट के द्वारा ही ऑन किया जाते हैं ये जो फॉरेस्ट होते हैं वो काफी ज्यादा प्रोटेक्टेड रहते हैं बट ये उतनी प्रोटेक्टेड नहीं होते जितने रिजर्व फॉरेस्ट होते हैं इनमें क्या होता है जो लोकल लोग होते हैं मतलब जंगलों के आसपास के जो लोग होते हैं उनको गवर्नमेंट अलाव कर देती है फूल गुड कलेक्ट करने के लिए और जानवरों को चराने के लिए लेकिन फिर भी गवर्नमेंट इन जंगलों के ऊपर कड़ी निगरानी रखती है की कहानी कोई इंसान इन जंगलों को ज्यादा नुकसान तो नहीं पहुंच रहा ये जो फॉरेस्ट है वो काफी बड़ी स्किल में पे जाते हैं इनफैक्ट इंडिया के टोटल फॉरेस्ट में से 1/3 फॉरेस्ट प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट है यह फॉरेस्ट में राजस्थान हरियाणा बिहार पंजाब जैसे स्टेट में देखने को मिलते हैं [संगीत] जिन्हें प्राइवेट एजेंसी कोशिश करती है एस वेल एस गवर्नमेंट एजेंसी मैनेज करती है इन फॉरेस्ट के अंदर सभी ह्यूमन एक्टिविटीज अलाउड रहती है मतलब कोई भी व्यक्ति जंगल के रिसोर्सेस का उसे कर सकता है इस तरह की फॉरेस्ट में वेस्टलैंड भी शामिल होते हैं उन क्लास फॉरेस्ट में नॉर्थ ईस्ट स्टेटस में और गुजरात के कई हसन में देखने को मिलते हैं अब एक पॉइंट याद रखना की रिजर्व फॉरेस्ट और प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट इन दोनों को हम कलेक्टिवली परमानेंट फॉरेस्ट कहते हैं दोस्तों अगर हम मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में जितना भी फॉरेस्ट है मतलब टोटल फॉरेस्ट एरिया उसमें से 75% एरिया परमानेंट फॉरेस्ट से कवर्ड तो आप सोच सकते हो की मध्य प्रदेश में कितने ज्यादा परमानेंट फॉरेस्ट है इनफैक्ट सबसे ज्यादा परमानेंट फॉरेस्ट हमें मध्य प्रदेश में ही देखने को मिलते हैं कम्युनिटी और कंजर्वेशन दोस्तों अभी तक हमने देखा की गवर्नमेंट कैसे प्रोटेस्ट कर रही थी फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ को लेकिन अब हम देखेंगे कम्युनिटी ने कैसे प्रोटेस्ट किया फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ को दोस्तों ऐसा देखा गया है की केवल गवर्नमेंट ने ही स्टेप नहीं लिए बल्कि कई साड़ी कम्युनिटी ने भी मतलब सब लोगों ने भी अपने लाइवलीहुड और फॉरेस्ट को बचाने के लिए कई सारे कम उठा जैसे की मैं आपको कुछ एग्जांपल देता हूं जैसे की सबसे पहले हम बात करते हैं सरिस्का टाइगर रिजर्व की तो यहां पर क्या हुआ था जो गवर्नमेंट थी उसने सरिस्का टाइगर रिजर्व में मीनिंग करने का प्लेन किया गवर्नमेंट यह बात जानती थी की ऐसी जगह पर मीनिंग करना वर्ल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के खिलाफ है क्योंकि इससे जंगल को नुकसान तो होता ही होता साथ में वहां पर र रहे लोगों का लाइवलीहुड भी खतरे में ए जाता लेकिन यह बात जानती हुई भी गवर्नमेंट ने मीनिंग करने का प्लेन कंटिन्यू रखा तो इसके विरोध में जो वहां की कम्युनिटी थी मतलब आसपास के लोग थे वो इसके अगेंस्ट में आवाज उठाते हैं इन फैक्ट प्रोटेस्ट करते हैं और गवर्नमेंट को अपोज करते हैं उनके इस डिसीजन के लिए इसका रिजल्ट यह आता है की गवर्नमेंट को अपना डिसीजन चेंज करना पड़ता है मतलब उसे जगह पर मीनिंग करने के प्लेन को कैंसिल करना पड़ता है दूसरी हम बात करते हैं अलवर जिला ऑफ राजस्थान तो यहां पर क्या हुआ था अल्बर्ट जिला की कुछ गांव ने मिलकर यानी की लगभग पांच गांव के लोगों ने मिलकर यह डिसाइड किया की वो 1200 हेक्टर में फैली को प्रोटेस्ट करेंगे इसके लिए उन्होंने अपने मां से ही उसे फॉरेस्ट को सेंचुरी डिक्लेअर कर दिया और उसे सेंचुरी का नाम रखा भैरव देवता कब सेंचुरी वहां के लोगों ने सेंचुरी को प्रोटेस्ट करने के लिए खुद से ही कई सारे रूल्स और रेगुलेशन बनाएं और उन्होंने देखभाल करना शुरू कर दिया की कोई हंटिंग वगैरा तो नहीं कर रहा आज भी वहां के लोग अपनी दम पर उसे सेंचुरी को प्रोटेस्ट करते हैं क्योंकि उन्हें पता है की नेचर है तो फ्यूचर है थर्ड हम बात करते हैं चिपको मूवमेंट की यहां में से चिपको आंदोलन भी का सकते हैं तो यह आंदोलन हिमालय रीजन की इंडीजीनस स्पीशीज के द्वारा किया गया था इन्होंने क्या किया था पेड़ों को बचाने के लिए यह पेड़ों से चिपक कर खड़े हो गए थे जैसा की आप इस इमेज में भी देख सकते हो आपको पता है की फीलिंग क्या थी उसे समय पर यह का रहे थे की अगर पेड़ कैट रहे हो ना तो पहले हम ही कैट रहे हो आप पेड़ तब तक नहीं कैट सकते जब तक हम जीवित रहेंगे और यह तब तक खड़े रहे जब तक पेड़ काटने वाले लोग वापस नहीं चले गए उनकी स्टडी किशन के चलते वह डिफोरेस्टेशन को रॉक पे इतना ही नहीं इन्होंने केवल पेड़ नहीं बच्चा है बल्कि इन्होंने कई सारे पेड़ लगाएं भी यानी की अफॉरेस्टेशन भी किया सिमिलरली अब हम पढ़ने हैं बी बचाओ आंदोलन को जिसको से डी सिट्स मूवमेंट भी बोला जाता है वो लेट 1980 में शुरू किया गया था इसकी शुरुआत एनुअल रिवर वाली से हुई जो की तहरी जिला उत्तराखंड में है वहां के कुछ एक्टिविस्ट ने इस मूवमेंट को शुरू किया और इस मूवमेंट को जो लीड कर रहे थे वह थे बिजनेस था इन लोगों काफी अच्छी नॉलेज थी ज्ञान था ट्रेडिशनल एग्रीकल्चर का ये लोग खुद भी प्रैक्टिस करते थे ट्रेडिशनल एग्रीकल्चर को और यह कई सारे ट्रेडिशनल सिट्स को फॉरेस्ट को प्रजा भी करते थे ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट हो सके और फ्यूचर में भी ट्रेडिशनल सिट्स की मदद से ट्रेडिशनल प्लांट्स और क्रॉप्स होगी जा सके नेक्स्ट हम बात करते हैं जॉइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट की तो जॉइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट एक प्रोग्राम था जो की गवर्नमेंट ने शुरू किया था इसके थ्रू गवर्नमेंट क्या करती थी कम्युनिटी को रिस्पांसिबिलिटी देती थी फॉरेस्ट को संभालने की और उसकी देखभाल करने की इसके बदले में गवर्नमेंट कहती थी की तुम फॉरेस्ट की नॉर्मल का उसे कर सकते हो अपने लाइवलीहुड को बेहतर करने का कम भी हो जाएगा कम्युनिटीज का लाइवलीहुड भी बेहतर हो जाएगा और फॉरेस्ट भी प्रोटेस्ट हो जाएंगे तो इस प्रोग्राम की सबसे पहले शुरुआत की जाति है 1988 से जब उड़ीसा की गवर्नमेंट फर्स्ट रेजोल्यूशन पास करती है जॉइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट के लिए अब हम पढ़ने हैं सैक्रेड ग्रुप के बड़े में ये हमारे चैप्टर का लास्ट टॉपिक है सैक्रेड ग्रुप का मतलब होता है पवित्र उपवन या पेड़ पौधे मतलब ऐसे पेड़-पौधे जिन्हें हम से प्रोटेस्ट करने के लिए नहीं बोला गया है लेकिन फिर भी हम उन्हें अपने मां से ही प्रोडक्ट करते हैं क्योंकि हम उन्हें देवी देवताओं के रूप से पूजते हैं ऐसे पेड़ पौधों को सैक्रेड ग्रुप बोला जाता है हमारे देश में पुराने समय से ही पेड़-पौधों की पूजा होती है और आज भी कई साड़ी कमोडिटीज ऐसी है जो की अलग-अलग पेड़-पौधों की पूजा करती है जैसे की छोटा नागपुर [संगीत] उनकी पूजा भी करते हैं और उनकी सुरक्षा भी करते हैं सिमिलरली उड़ीसा और बिहार की जो ट्राईबल पापुलेशन है वह शादियों के द्वारा इमली और आम के पेड़ों का उसे करते हैं और उनका प्रोडक्शन भी किया जाता है क्योंकि वो शुभ मैन जाते हैं और हम लोग ही पीपल के पेड़ की और बरगढ़ के पेड़ की पूजा करते हैं क्योंकि यह पेड़ भी सैक्रेड मैन जाते हैं केवल इतना ही नहीं हमारा कलर तो ऐसा है की हम तो झरनों को पर्वतों को जानवरों को भी सैक्रेड मानते हैं यानी की पवित्र मानते हैं और उनकी भी पूजा करते हैं हम देखते हैं ना जो मंदिर होते हैं उनके आस-पास हमें कई सारे जानवर देखने को मिलते हैं जैसे की मकाउ लंगूर तो हम उन्हें उसे टाइम पर बिल्कुल हट नहीं करते क्योंकि तब हम उन्हें मंदिर का ही हिस्सा समझते हैं इसी तरीके से इंडिया के राजस्थान में कम्युनिटी है जो की है बिश्नोई कम्युनिटी वो भी ब्लैकबक को नीलगाय को पीकॉक को सैक्रेड मानते हैं मतलब उनकी पूजा करते हैं देखभाल करते हैं सुरक्षा करते हैं बेसिकली उन्हें अपनी कमोडिटी का हिस्सा मानते हैं और कोई भी व्यक्तियों ने हम नहीं पहुंच सकता तो कमोडिटीज का बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूशन है नेचर और उनकी रिसोर्सेस को प्रोटेस्ट करने में लेकिन कुछ ही कमोडिटीज प्रयास कर रही है जैसा की हमने चैप्टर में पढ़ा पर एक बात हमें याद रखती चाहिए की नेचर हम सबका है इसलिए हम सब की रिस्पांसिबिलिटी बंटी है नेचर को प्रोटेस्ट करने की इसी से रिलेटेड 487 ई में गौतम बुद्ध ने कहा था की जो पेड़ होता है वो एक ऐसा जीव होता है जो दयालु था और परोपकार से भारत हुआ होता है ये अपने भरण पोषण के लिए कभी कुछ नहीं मांगता बदले में ये हमें वो सब कुछ दे देता है जो उसने अपनी जीवन भर में कमाया होता है फल फूल पट्टी लकड़ी हवा जो कुछ भी है सब कुछ दे देता है एवं ये इतना दयालु होता है की यह उसे भी छाया देता है जो उसे काटने आया होता है मेरा आपसे केवल यही कहना है की अगर आप पेड़ लगा नहीं सकते तो कम से कम उन्हें काटो में अगर आप जानवरों की सुरक्षा नहीं कर सकते तो कम से कम उन्हें मारो मत हमारा नेचर हमारी प्रकृति भगवान का दिया हुआ है एक ऐसा तोहफा है जिसे अगर हमने अच्छी नित के साथ सही ढंग से इस्तेमाल किया तो यह कभी खत्म नहीं होगा आई होप आपको यह वीडियो पसंद आई होगी अगर आपको यह वीडियो पसंद आई तो आप इस वीडियो को लाइक कर सकते हो चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हो ऐसी क्लास 10th की वीडियो आगे देखने के लिए बाकी मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में तब तक के लिए टेक केयर बाय बाय [संगीत]