हेलो हेलो हेलो भाई लो कैसे हो आप तो आज हमें जोग्राफी का लास्ट चप्टर पढ़ना है Lifelines of National Economy देखो भाई बात की बात ये है एकदम फुद्धू चप्टर है 10-15 मिनिट में खत्म कर लेंगे एक कहानी के तरह और इसमें जो फैक्स है वो आपको MCQ और Short Questions के लेक्चर में मिल जाएंग हम एकी बार में थोड़ी पूरा खाना ठूस लेते हैं उसका कुछ तरीका होता है, सलीका होता है वैसे ही हमारे पढ़ने का और पढ़ाने का तरीका है पहले कहानी की तरह पूरा चप्टर समझ लेंगे लास्ट में जो इंपार्टन फैक्स फिगर्स है वो देखेंगे MCQ और Short Questions के फॉर्मेट में समझें? तो हमें Introduction देखना है बाद में Transport, Communication, International Trade, Tourism as a Trade ये चार चीजे देखनी है ट्रांसपोर्टेशन में बहुत ज़्यादा सब टाइप्स है वो पहले देखते हैं अब ट्रांसपोर्टेशन में क्या क्या आता है एक होता है लैंड का ट्रांसपोर्टेशन दूसरा वाटर और तीसरा एर ये तीन तरीके है और ओरसीज मतलब भारत के अंदर अब इस चाप्टर का नाम Lifelines of National Economy क्यों है? क्योंकि ये सबी चीजे इकोनॉमी के डेवलप्मेंट में हेल्प करती है ये कितना इंपोर्टन्ट है? ये आपको एक कहानी से बताता हूँ ऐसा इमेजिन करिये कि कल सरकार ने एक जी आर निकाला कोई चीजे लाने की परमिशन नहीं है आपके सिटी को बिजली प्रोवाइड करने के लिए कोल अविलेबल है, सिटी में ट्रांसपोर्टेशन के लिए पेट्रोल अविलेबल है, नहीं है, आपको बाहर से ही मंगाना पड़ते हैं, लेकिन आप बाहर से कैसे मंगाते हो, ट्रांसपोर्टेशन से, शिप्स, एरवेज, लैंड रोड्स, आईपलाइन्स, और बहुत सी च आपको पढ़ाने का बहुत बड़ा टार्गेट रखा है बाई आपका सपोर्ट तो लगेगा न पहला टॉपिक है रोडवेज अब इंडिया के रोडवेज वर्ल्ड में दो नंबर है पहले अमेरिका है 6.8 मिलियन और उसके बाद हम आते है 6.3 मिलियन रेल्वे की एक ट्रैक तैयर करने को कितना खर्चा आता होगा उससे तो रोडवेज कम किमत में तैयर होते होंगे और टिचकूले कमपणी जैसी फ्रॉड रोड तैयर करने वाली कमपणी हुई तो फिर गडबड हो सकती है ट्रेन नहीं बुक में ऐसा कहा गया है कि रोड ट्रांसपोर्ट कम लोगों के लिए या छोटे सामान के लिए अच्छा है मतलब किफायती है मुझे तो नहीं लगता मतलब मैं ट्रेन को भी प्रेफर करता हूँ सेप्टी भी रहती है और मजा तो अलग ही आता है वह ट्रेन मे गोल्डन काटरिलेटरल, गोल्डन मतलब सबसे बढ़िया, अब ये रोड भी सबसे बढ़िया होगा, सबसे बढ़िया है इसलिए गोल्डन, और कॉल्डिरेटरल जैसी डिजाइन हिस्से बनती है इंडिया में, इसलिए कॉल्डिरेटरल, क्योंकि ये दिल्ली, कोलकता, चन् अब कुछ National Highways होते हैं, जो की PWD Department हैंडल करती है ये पूरे Nationwide फैले हुए Highways हैं, जो देश के बड़ी-बड़ी Cities को एक दूसरे से Connect करते हैं उसके बाद आता है State Highways, अब ये State के PWD Department दोरा Maintain किये जाते हैं ये State Highways वो होते हैं, जो National Highways के बाद जो चोटी Cities आती हैं उन्हें बड़ी Cities तक और National Highways तक Connect करने के लिए इस्तमाल होते हैं Other Roads, अब ये Other Roads जमाने में एक बार बनते हैं, Rural Area के लिए जब election आता है ज़्यादातर उसी समय बनते हैं और बाद में उसे सब बूल जाते हैं फिर अगले election की समय उसे तयार किया जाता है हमारे rural area का यही problem है कोई ध्यानी नहीं देता और अगला है border road अब यह किसने तयार किये है तो border road organization simple है इसका short form है bro अब यह bro 1960s में तयार हुई थी भारत की जो border दूसरे देशों से connect है वहाँ पे bro रोड तैयर करती है और यह रोड बहुत इंपोर्टेंट होते हैं क्योंकि इमरजेंसी के समय अगर हमें वहाँ पर सेना ले जानी है या फिर टैंक्स ले जाने है रोड नहीं हुए तो कैसे करेंगे भाई लड़ाई इसलिए बहुत इंपोर्टेंट ऑर्गनाइजेशन है ब्रो और उनके बॉर्डर रोड अब इस रोड का एक और क्लसिपिकेशन है मेटल्ड अन मेटल्ड मेटल रोड मतलब सिमेंड कॉंक्रीट से बने ह� ने लाइव अन्मेटल मतलब हमारे गाउ के रस्ते होते हैं कच्चे पक्के रस्ते हर जुगाड़ करके इसे बनाया होता है समझ गए आप अब इन रोड ट्रांसपोर्टेशन की प्रॉब्लम क्या होती है पहली प्रॉब्लम तो यह है कि हमें लगता है अमेरिका के बाद हमार यह तो अलग सिस्टम चलना है और जब यह नेशनल हाइवे किसी सिटी के अंदर से जाते हैं तब वह छोटे हो जाते हैं और ट्रांसपोर्टेशन भी बहुत स्लोह हो जाता है। बहुत से बार आपने पेट्रोल के टैंक या फिर कोल रेलवे से ले जाते हुए देखा होगा जो के बहुत कम प्राइज में होता है अगर यही हमें रोड ट्रांसपोर्ट से करना पड़े तो बहुत खर्चा होगा और रॉ मटेरियल इदर उदर भेज सकती है एकदम रस्ते का माल सस्ते में एक साथ कई लोग रेल्वे में सफर करते हैं, इस वज़े से ये बहुत रिस्की हो जाता है। बाकि चोटे-चोटे प्रॉब्लेंस के बात करें तो बहुत से लोग विदाउट टिकेट ट्रैवल करते हैं। चोरी होती है, सामान का नुकसान होता है। लोग कहीं भी चेन खीच के ट्रेन को रुका लेते हैं अपने हिसाब से। दूसरी बार उसके बैक को चुबों ने खराब कर दिया। और तीसरी बार तो ट्रेन ओनलाइन एक घंटा लेट दिखा रही थी इसलिए भाई साप स्टेशन पे थोड़ा लेट गए तो ट्रेन पहले ही निकल गए थी ऐसे अलग-अलग कारणा में ट्रेन में होते रहते हैं लेकिन मुझे तो बसंदेव है गैस के लिए, पेट्रोल के लिए, ओईल के लिए इसमें कभी ट्राफिक ही नहीं होती एक बार ट्रास्पोर्टेशन शुरू हो गया कि कभी खतम नहीं होगा जब तक आप चाहोगे इंडिया में तीन इंपोर्टन पाइपलाइन्स हैं पहली है अपर आसाम के ओयल फिल्ड से कानपूर तक दूसरी है सलिया गुजरात से जालंधर पंजाब तक और तीसरी है गैस पाइपलाइन्स हाजिरा से जमशियतपूर तक importance दिया जाता है क्योंकि इसमें सबसे कम पैसा लगता है बहुत cheap है पूरे world में जब बहुत बड़ा-बड़ा heavy raw material या फिर manufacturing चीजें दूसरी जगह भेजनी हो तो waterway का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है 90% of volume trade water waste से होता है मतलब अगर हम 100 kg trade कर रहे है तो 95 kg trade water waste से होगा समझे बबुआ अब ऐसा तो नहीं होगा कि लोग अपने अपने शिप से माल का transportation करते होंगे नहीं यह एक system लगी हुई है इंडिया में बड़े बड़े ports होते हैं इंडिया में 12 बड़े बड़े ports हैं और छोटे 187 ports हैं जिससे यह transportation easily होता रहता है अब आता है airways ये तो बहुत फास्ट है बाई दिल्ली से मुंबई में ट्रेन से आने को लगते है 20 गंटे 20 आर्स और प्लेन से 2 गंटे समझ रहे हो कितना जादा convenient और फास्ट है हाँ मुझे प्लेन में डर लगता है ये बात अलग है आपको भी प्लेन में डर लगता है क्या मतलब plane ना पहुँचे तो helicopter चला जाएगा लेकिन हम दूर दराज की area में mountains पर airways की जरिये जा सकते हैं और ये दो तरीके से चलता है international और domestic domestic मतलब देश के अंदर अंदर और international मतलब अमेरिका जाना हो इंग्लन्ड जाना हो वहाँ पे अब हम देखते हैं communication जियो के आने के बाद तो communication ही तना बढ़ गया है कि लोग एक ही घर में अलग अलग जगा पे हुए तो call पे बात करते हैं mom dad call करते हैं आवाज नहीं देते अब ये communication दो तरीके से होता है personal और mass पर्सनल मतलब यह पोस्ट कार्ड लेटर्स टेलीग्राफ टेलीफोन इमेल्स अब यह बाकी जाने दो टेलीफोन इमेल्स व्हाट्सएप यह सब यह पर्सनल पर मास कम्यूनिकेशन व्हाट्सएप में भी मास कम्यूनिकेशन होता है ठीक है लेकिन मैगजीन कुछ जगा पे अलग अलग चीजों के लिए उसका इस्तमाल होता है इसलिए बस टेलिकॉम नेटवर्क एशिया में सबसे बड़ा है अभी तो वो बढ़ते ही जा रहा है जियो के आने के वज़े से नेटवर्क, इंटरनेट, टेलिकॉम बहुत ज़्यादा डेवलब हो गया है इंडिया में और वो हर चीज के लिए इस्तमाल होता है अवेरनेस के लिए, हर चीज के लिए All India Radio अब YouTube पे इतने podcast होते हैं कि radio के podcast तुनने को किसे time है समझे और अब है television पहले तो दूरदर्शन एक अकेला channel था पुरे इंडिया में जिस पे news भी आती थी entertainment भी आता था movies भी चलती थी सभी था अब तो हज़ारों channel हो गए है उसमें अलग से OTT आ गया YouTube चलता है अलगी level पे development चल रही है magazine के शोकिन हैं economical magazine हो मतलब business magazines या फिर entertainment की Bollywood magazines हो news magazines हो अलग अलग तरह की मैगजीन्स, न्यूसपेपर अभी भी बहुत ज़्यादा फेमस है। पर लास्ट में बचता है फिल्म्स, एमेज़ोन, नेटफ्लिक्स, ऐसी चीज़े भर भर के चल रही है। हम चीजे दूसरे देशों से जब मंगाते हैं उसे इंटरनेशनल ट्रेड कहते हैं अब ये तीनों तरीके से होता है सी, एयर और लैंड अब लैंड रूट कैसे हैं?
तो पाकिस्तान, पाकिस्तान तो हम नहीं करते हैं ज़्यादा ट्रेड जब इंपोर्ट से एक्सपोर्ट ज्यादा होगा, उसे कहेंगे फेवरेबल बैलेंस अफ ट्रेड, मतलब पॉजिटिव ट्रेड, हम ज़्यादा चीज़े एक्सपोर्ट कर रहे हैं, उनसे ज़्यादा पैसे मिल रहे हैं, और इंपोर्ट कम है, इस वज़े से हमारे कम पैसे बहुत ज्यादा घूमने आते हैं और हमें प्रॉफिट मिलता है गली-गली में घूमने वाले व्लॉगर्स की वजह से तो यह सब और भी इंक्रीज हो गया है भारत के 15 मिलियन से ज्यादा लोग डायरेक्टली टूरिजिम इंडेस्ट्रीस से जुड़े हुए हैं यानि वो म� मौका मिलता है, साथ में हमारे इंडियन लोग भी बार के देशे में जाते हैं, घूमते हैं मज़े करते हैं, जादातर लोग तो दुबई ही जाते हैं, चलो ठीक है वो भी यह हुआ इंटरनेशनल टूरिजम, और ऐसे भटकते रहना तो चलता ही है, लेकिन उसे