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उत्तर-पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी

Apr 6, 2025

भारत की उत्तर-पूर्वी अर्थव्यवस्था और कनेक्टिविटी योजनाएँ

आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

  • आसाम: भारत की 50-55% चाय का उत्पादन, लगभग 650-700 मिलियन किलो।
    • चाय एक्सपोर्ट: $400-$500 मिलियन USD प्रति वर्ष।
  • त्रिपुरा: क्वीन पाइनएप्पल्स का एक्सपोर्ट पोटेंशियल $15-$20 मिलियन USD, वर्तमान में $4-5 मिलियन USD।
  • मणिपुर: हैंडीक्राफ्ट्स और ऑर्गेनिक फूड का एक्सपोर्ट $30-$40 मिलियन USD।
  • मेघालय: कोल और स्पाइसेस से $25-$30 मिलियन USD एक्सपोर्ट।

नॉर्थ ईस्ट रीजन का समग्र आर्थिक मूल्य

  • कुल एक्सपोर्ट वैल्यू: $1.2-$1.5 बिलियन USD प्रति वर्ष।
  • कनेक्टिविटी और हाई लॉजिस्टिक कॉस्ट के कारण संभावित क्षमता से कम उपलब्धि।
  • रिपोर्ट के अनुसार, $200-$300 मिलियन USD का अवसर हानि।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर की भूमिका

  • 20-22 किमी चौड़ा यह कॉरिडोर भारत को उत्तर-पूर्व से जोड़ता है।
  • रणनीतिक महत्व: नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, चीन और म्यांमार से सीमावर्ती।

कनेक्टिविटी की चुनौतियाँ और अवसर

  • चुनौतियाँ: खराब इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक लागत, सुरक्षा चिंताएँ।
  • अवसर:
    • आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी में सुधार द्वारा आर्थिक विकास।
    • संभावित एक्सपोर्ट मार्केट का विस्तार।

प्रस्तावित इकोनॉमिक कॉरिडोर्स

ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर

  • रूट: वेस्ट बंगाल के हिली से मेघालय के महेंद्रगंज तक बांग्लादेश के माध्यम से।
  • प्रभाव:
    • कोलकाता से मेघालय के विभिन्न टाउन तक यात्रा समय और लागत में 25-60% कमी।
    • कोलकाता से नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों तक सीधी कनेक्टिविटी।

B3 कॉरिडोर (भूटान-बोडोलैंड-बे ऑफ बेंगाल)

  • उद्देश्य: भूटान को असम और मेघालय के माध्यम से बे ऑफ बंगाल से जोड़ना।
  • प्रभाव:
    • भूटान को नया रास्ता देगा, जिससे व्यापार आसान होगा।
    • असम के जोगीघोपा और मेघालय के फूलबारी के माध्यम से कनेक्टिविटी।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

  • व्यापार:
    • नॉर्थ ईस्ट का 95% व्यापार सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से।
    • नए कॉरिडोर के द्वारा ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और समय की बचत।
  • लोगों का मूवमेंट:
    • यात्रा समय में कमी और पर्यटन को बढ़ावा।
  • सुरक्षा और रक्षा:
    • सैन्य मूवमेंट के लिए वैकल्पिक रूट।
    • सुरक्षा उपकरणों की आसान पहुँच।

चुनौतियाँ

  • जियोपॉलिटिकल निर्भरता: बांग्लादेश और भूटान के साथ समन्वय आवश्यक।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर तैयारियों: बांग्लादेश के अंदर हाईवे अपग्रेडेशन।
  • भू-भाग और पर्यावरण: रोड़ निर्माण में पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान में रखना।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति और समन्वय: विभिन्न राज्यों और देशों के बीच तालमेल।

समग्र रूप से, यह योजनाएँ नॉर्थ ईस्ट की अर्थव्यवस्था, सामाजिक संरचना और सुरक्षा को बढ़ावा देंगी, लेकिन इसके लिए विस्तृत तैयारी और समन्वय आवश्यक है।