Money market एक ऐसी market है जिसमें short term के लिए money की landing और borrowing होती है यहाँ short term funds की demand और supply को पूरा किया जाता है यहाँ short term का मतलब है एक साल से कम period सो जब भी किसी को कम वक्त के लिए जैसे के एक दिन, तीस दिन, साठ दिन या फिर बारा महीने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है तो वो money market में आता है तो हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका अपने वेपर तेरी यूट्यूब चैनल पे आज की इस वीडियो में हम डिस्कस करेंगे मनी मार्केट के बारे में हम देखेंगे मनी मार्केट होती क्या है, उब्जेक्टिव क्या है मनी मार्केट के RBI का क्या रोल है मनी मार्केट में और दोस्तों मेरी रिक्वेस्ट है कि आप इस वीडियो को जैसे के आपने money market policy instruments की वीडियो में देखा होगा के banks को अपने deposits का कुछ percent RBI के पास रखना पड़ता है जैसे हम बोलते हैं CRR तो मालिजिए SBI के पास customer का 100 crore का deposit है और आज की date में है CRR 4% तो SBI को RBI के पास 4 crore रुपए रखने ज़रूरी है तो SBI ने 4 करोड RBI को दे दिये 18% SLR है तो 18 करोड कहीं Government Securities में इन्वेस्ट कर दिये और पीछे बचे 78 करोड लोन में बांड देता है अब 15 दिन बाद मान लीजिए SBI के पास 125 करोड का डिपोजिट हो जाता है और उसी वक्त SBI को कोई अच्छी अपर्चुनिटी मिलती है और वो Reliance के किसी प्रोजेक्ट में ये Fresh 25 करोड इन्वेस्ट कर देता है ये जो 125 करोड है जिसका 4% यानि के 5 करोड तो RBI के पास रखना है जिसमें से 4 क्रोड तो RBI के पास already deposited है बट 1 क्रोड और deposit करना है अब भाई CRR तो maintain करना ही पड़ेगा नहीं तो RBI तो भाई मोटी penalty लगाएगी तो SBI वाले फोन करेंगे अपने PNB के दोस्तों को या फिर Bank of Pudodha को के भाई 2-3 दिन के लिए 1 क्रोड दे दो जो भी interest होगा हम आपको pay कर देंगे PNB बोलेगा ठीक है भाई ले लो 1 क्रोड पर मैं इस पे 4% interest लूँगा तो इस तरह से ये जो temporary liquidity mismatch को SBI ने PNB से पैसे लेके पूरा किया, उसे बोलते है money market transaction. So money market में short term के लिए पैसा उधार लिया जाता है, इस example में SBI एक borrower है और PNB एक lender है. तो इससे हमने ये सिखा कि money market का काम है liquidity gap को पूरा करना. Money market हमारे Indian financial system का बहुत important segment है.
इंडिया में money market को Reserve Bank of India regulate करता है. तो चलिए अब money market के objectives पढ़ लेते हैं. सबसे important objective है money market का borrowers के short term fund requirement को पूरा करना और क्योंकि money market में बहुत सारे players होते हैं तो fund भी competitive price इसमें मिलते हैं. इसी के related second objective है short term deficit को पूरा करना. क्योंकि central bank मतलब RBI money को regulate करता है तो RBI money market की help लेके economy में liquidity को control कर सकता है ये liquidity कैसे control करता है RBI ये हम दिखेंगे आगे चलके money market instruments के section में next money market government और RBI को help करता है monetary policy implement करने में जिसमें से एक main tool है open market operations जिसे हम एक separate video में discuss करेंगे next जिन institutes और organizations के पास surplus fund available होता है वो लोग short term के लिए पैसा पाक करके return कमा सकते हैं तो ये थे दोस्तों मोटों मोटे objective money market के money market instruments की तरफ money market instruments वो tools या securities हैं जिनको use करके money market में operate किया जाता है commonly used money market instruments है call money, treasury bills, certificate of deposits, commercial papers, commercial bills, और collateralized borrowing and lending operations जिसे CBLO भी बोलते हैं इसमें से call money, certificate of deposits और treasury bills को mainly government और banks यूज़ करते हैं और commercial papers और commercial bills को corporate और intermediaries यूज़ करते हैं अपनी liquidity की जरूरत को पूरा करने के लिए इन सब instruments के बारे में हम थोड़ा थोड़ा आगे briefly discuss करेंगे तो चलिए अब सबसे पहले call money market के बारे में बात कर लेते हैं जैसे हमने starting में देखा था कि SBI को जब 2-4 दिन के लिए पैसे की जुरूत पड़ी तो उसने PNB से पैसे उठा लिये तो वो एक call money market का example था इस market में mostly banks डिल करते हैं इसलिए इसे inter bank call money market कहते हैं ये purely unsecured market होती है unsecured का मतलब है कि SBI ने जब PNB से पैसा उठाया तो इसकी average में उसने कोई security या collateral नहीं दिया PNB को ये पुरी तरह से trust based transaction थी इस market में कोई broker involved नहीं होता तो SBI ने directly PNB को call करके पैसा ले लिये पहले ये transaction telephone पे call करके होती थी इसलिए इसका नाम call money market हो गया इसे market इसलिए बोलते हैं क्योंकि market एक ऐसी place होती है जहां supply demand को पूरा करती है तो call money market में जिन banks को temporary shortage होती है funds की वो demand side पे आ जाते हैं और जिन banks के पास funds surplus में पड़े होते हैं वो supply side में आ जाते हैं ये market prominently use होती है banks के reserve requirements को पूरा करने के लिए दोस्तो आगे बढ़ने से पहले मैं आपको request करूँगा कि आप इस वीडियो को like ज़रूर कर लें और अगर अभी तक channel को subscribe नहीं किया तो channel को subscribe कर लीजिए क्योंकि हम बहुत मेहनत करते हैं ये वीडियोस बनाने के लिए और आपका एक लाइक और सब्सक्राइब हमें बहुत मोटिवेट करता है ऐसा और अच्छा कॉंटेंट क्रिएट करने के लिए। दोस्तों कॉल मनी मार्केट में तीन इंपोर्टेंट इस्ट्रूमें� तो सबसे पहले आते हैं call money पे माल लिजिए किसी bank को एक दिन के लिए funds की जुरूत पड़ती है तो जो पैसा एक दिन के लिए overnight के लिए उधार में दिया जाता है उसे हम call money बोलते हैं next आते हैं notice money पे जब पैसा एक दिन से 14 दिन के लिए lend किया जाता है तो उसे हम notice money बोलते हैं और जब पैसा 15 दिन से 1 साल तक के लिए lend किया जाता है तो उसे हम term money बोलते हैं कौन-कौन eligible है money market में participation करने के लिए सबसे पहले आते है schedule commercial banks बर इसमें local area banks को यह access नहीं है तो फिर आते है payments banks, small finance banks, regional rural banks, cooperative banks और lastly primary dealers यह सब participation as borrower भी कर सकते हैं और as a lender भी मतलब यह पैसा उधार ले भी सकते हैं और पैसा उधार दे भी सकते हैं तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं देखते हैं treasury bills क्या होते हैं गौर्मेंट की short term funding की ज़िरूरत को पूरा करने के लिए tragedy bill इशु किये जाते हैं गौर्मेंट को अपने day to day expenses को पूरा करने के लिए पैसे की ज़िरूरत पड़ती है ये day to day खर्चे होते हैं जैसे PM, President और MPs की salary, defense personnel की salary और government के ओर जो budgetary expenses, non-budgetary expenses होते हैं उनको day to day में current में जो पूरा करना होता है उसके लिए पैसे की जुरूत पड़ती है बट government के revenue और expenditure में हमेशा थोड़ा gap होता है इस gap को पूरा करने के लिए government market से पैसा rate करती है treasury bill issue करके दोस्तो treasury bill तीन tenors के लिए issue किये जाते हैं first है 91 day treasury bill second है 182 days treasury bills और third day होते है 364 days के treasury bills दोस्तो treasury bills zero coupon securities होती है मतलब इस पे कोई इंटरेस्ट नहीं मिलता ये डिसकाउंट प्राइस पे इशू किये जाते हैं और फेस वैल्यू पे रिडीम होते हैं फोर एक्जेंपल माल लीजिए ये एक हजार रुपे का 364 डेस का ट्रेजरी बिल है और इसे हमारे प्यारे जीतू भाईया परचेस करना चाते हैं गौर्मेंट क्या करेगी गौर्मेंट इसको माल लीजिए 50 रुपे के डिसकाउंट पे इशू करेगी मतलब 950 रुपे पे और 364 दिन बाद हजार रुपए में इसे रीडिम कर देगी तो जो अपने इन्वेस्टर जीतू भाईया है उनको रुपीस 50 का प्रॉफिट रिटर्न मिल जाएगा जो की आलमोस्ट 4-5% बैठता है तो ट्रेजरी बिल्स होते हैं वो गौर्मेंट के भिहाव पे RBI बेचती है मार्किट में इसे मिनिमम 25,000 रुपए में खरीदा जा सकता है और 25,000 के मल्टिपल्स में ये एक टोटली रिस्क फ्री इ क्योंकि government security है ये तो दोस्तो ये थे treasury bills अब आगे बढ़ते हैं commercial papers की तरफ paper भी एक unsecured money market instrument है जो की promissory note की form में issue होता है promissory note कुछ इस तरह का होता है तो चलिए माल लिजिए Reliance Industries को 6 महीने के लिए 1000 करोड की requirement है तो मुकेश भाई market में promissory note issue कर देंगे 1000 करोड के जिसको हम बोलेंगे commercial papers तो जब आप commercial paper खरीदते हैं प्रमिस्री नोट मिलता है, तो simple language में बोले, तो प्रमिस्री नोट पर ये लिखा होता है, कि किसी particular date को आपको commercial paper का issuer आपका पैसा वापिस देगा with interest, आगे देखते हैं कौन कौन commercial paper issue कर सकते हैं?
I-rated corporates, primary dealers, satellite dealers, all India financial institutions eligible हैं commercial paper issue करने के लिए. Invest कौन कर सकता है इसमें? Individuals मतलब आपके मेरे जैसे लोग, banking companies, corporate bodies, uncorporate bodies, NRIs, FIIs, commercial paper में invest कर सकते हैं.
कितने पैसे से commercial paper खुदिदा जा सकता है? Commercial paper जो है 5 लाख रुपए से या 5 लाख के multiples में ही issue किये जाते हैं so कम से कम 5 लाख तो invest करना ही पड़ेगा इसमें कितनी duration के commercial paper issue होते हैं commercial paper जो है 7 दिन से लेकर 1 साल के लिए issue किये जा सकते हैं आज की date में commercial papers को demat form में भी purchase किया जा सकता है तो ये था दोस्तो commercial papers तो दोस्तो हमने देखा कि treasury bills से government पैसा raise करती है commercial papers से generally corporates पैसा raise करती है तो ये था दोस्तो commercial papers के बारे में discuss कर लिया अब हम next बात करेंगे certificate of deposits के बारे में certificate of deposit भी एक money market instrument है जो banks दोरा issue किया जाता है कुछ ऐसा होता है certificate of deposit ये एक negotiable instrument होता है negotiable का मतलब कि instrument की ownership एक person से दूसरे person को transfer की जा सकती है मतलब अगर A बंदे ने certificate of deposit खरीदा है तो वो B बंदे को भी इसको बेच के अपनी investment से पैसा कमा सकते हैं अब देख लेते हैं certificate of deposit कौन-कौन issue कर सकता है schedule commercial banks, regional rural banks, small finance banks और selected all India financial institutions जिनको RBI से स्वक्रिती प्रापत है certificate of deposit issue करने की कौन-कौन इसे खरीज सकता है certificate of deposit सब Indian residents को issue किया जा सकता है कितनी investment चाहिए इसके लिए minimum एक लाख या फिर एक लाख के multiples में ही certificate of deposit issue किये जाते हैं इतनी duration की investment है certificate of deposit साब दिन से लेके एक साल के लिए issue किये जाते हैं तो दोस्तों अभी तक हमने देखा कि treasury bills जो थे वो government को पैसा raise करने में मदद करते थे commercial papers जो थे वो corporates को पैसा raise करने में मदद करते थे और certificate of deposit जो है वो banks को पैसा raise करने के लिए मदद करते हैं तो दोस्तों यह था certificate of deposit अब next बात करते हैं commercial bills की simple language में बोलें तो commercial bill एक bill of exchange होता है जिससे use करके commercial firms या corporate firms short term के लिए पैसा raise करती हैं कुछ इस तरह का होता है commercial bill तो चलिए इसे भी एक कहानी से समझ लेते हैं मालो easy day ने bornvita का 5 करोड का consignment लिया Katbury से first April को और Easy Day इस Consignment की Payment 30 दिन बाद करेगा Cadbury को यानि के 30th April को तो Cadbury एक 5 करोड का Bill काटता है जिसको Easy Day Accept कर लेता है जैसे ही Easy Day ने Bill को Accept किया ये Bill एक Marketable Instrument बन गया जिसे हम बोलेंगे Trade Bill या फिर Bill of Exchange अमान लीजिए 2 दिन बाद ही Cadbury को Immediate Funds की जुरूत पड़ती है पर Easy Day भाई तो 30 तरीक को ही पैसे देगा Cadbury Easy Day को बोलेगा कि भाई ये बिल को अपने बैंकर से असेप्ट करवा के दो सो देट मैं बिल के अगेंस्ट फंड रेस कर सकूँ मार्किट से इजी डे अपने बैंकर के पास जाएगा मान लीजिये इजी डे का बैंकर है SBI इजी डे SBI को बोलेगा कि मेरे पास ये 5 क्रोड का बिल है जिसकी पेमेंट मुझे 30 दिन बाद करनी है प्लीस आप इस बिल को असेप्ट कर लो SBI कुछ कमिशन चार्च करेगा EZDA से और उस बिल को असेप्ट कर लेगा सो अगर EZDA 30 दिन बाद कैटबरी को पैसा नहीं देता तो SBI को देना पड़ेगा तो SBI ने जब इस बिल को असेप्ट कर लिया तो हम इसे बोलेंगे commercial bill तो एक trade bill तब commercial bill बनता है जब इसे कोई commercial bank असेप्ट कर लेता है अब इस commercial bill को Cadbury market में बेच के fund raise कर सकता है हम बोल सकते हैं कि commercial bill एक negotiable instrument है जिसे seller buyer के नाम पे draw करता है और जिसकी value goods की value के बराबर होती है generally commercial bill 90 days के लिए issue किये जाते हैं Commercial banks अपने customer को credit देते हैं इन commercial bills को discount करके All India Financial Institutes, NBFCs, Scheduled Commercial Banks, Merchant Banks, Cooperative Banks, Mutual Funds ये सब commercial bills issue कर सकते हैं तो दोस्तों यहाँ पे खतम होता है मारा commercial bill का topic अब आगे बढ़ते हैं CBLO पे जिसको हम बोलते हैं Collateralized Borrowing and Lending Obligations CBLO भी एक तरह का money market instrument है इसे यूज़ करके market participants fund borrow और lend करते हैं, पर ये market participants CBLO segment में as a member admit होनी चाहिए, तो जो भी CBLO को member होगा वो ही funds lend और borrow कर पाएगा इस जगापे, CBLO को clearing corporation of India operate करता है, overnight से लेके maximum एक साल तक के tenure के लिए funds borrow और lend किये जाते हैं यहाँ पे, पर यहाँ पे पैसा उधार लेने के लिए collateral security की जुरत पड़ती है, मतलब यह secured instrument है, eligible securities है, central government securities, including treasury bills, CBLO की membership के लिए eligible entities है, national banks, private banks, foreign banks, cooperative banks, FIs, insurance companies, mutual funds, primary dealers, NBFCs, corporates, provident funds, pension funds, यह सब लोग CBLO segment में participate कर सकते हैं, रखते हैं एज ए लेंडर एज वेल एज बोर्वर तो दोस्तों यह था मोटा-मोटा सीबी एलो के बारे में आगे चलते हैं पर रेपो एग्रीमेंट्स पर रेपो एग्रीमेंट एक मनी मार्किट इंस्ट्रूमेंट है जिसे यूज करके शॉर्ट टर्म के लिए पैसा बोरो और लेंड किया जाता है रेपो ट्रांजेक्शन में सिक्योरिटीज की सेल परचेस की जाती है चलिए एक छोटी सी स्टोरी से समझते हैं मान लीजिए एसबीआई को सो क्रोड की जरूरत है तीस दिन के लिए तो मान लो एसबीआई एनबी को बोलेगा कि आप हमारे से सो क्रोड की सिक्योरिटीज ले लो जिसको 30 दिन बाद 3% के interest rate पे करके मैं आपसे वापिस खरीद लूँगा तो PNB जो है 100 करोड SBI को दे देगा So, in repo transaction, first party sells its securities to second party and second party buys those securities and one condition is that first party party pre-determined date पे और rate पे वो securities को वापिस खरीदेगी जो rate इस पे charge किया जाता है उसको हम बोलते हैं repo rate इसमें eligible securities है transaction के लिए central bank securities state government securities including treasury bills दोस्तो reverse repo rate जो है वो exactly opposite होता है repo transaction का reverse repo rate transaction में एक party जिसके पास temporary surplus होता है cash का वो दूसरी party से securities purchase कर लेती है with pre-determined rate और date के इस दिन मैं आपको ये securities वापिस कर दूँगा तो reverse repo rate और repo rate में सिर्फ transaction initiation का फरक है अगर किसी को funds की ज़रूरत है वो पैसा मांगेगा तो repo rate चार्ज होगा और अगर किसी के पास fund फाल्तू में पड़ा है surplus पर आया है और उसे वो fund किसी जगा पर park करना है तो वो securities खरीदेगा तो वो होगी reverse repo rate तो generally reverse repo rate का जो rate होता है वो repo rate से कम होता है तो यहाँ पे खतम होता है हमारा money market instruments का topic अब आगे बढ़ते हैं और देख लेते हैं RBI का क्या role है money market में दोस्तो RBI money market में regularly intervene करता रहता है so that financial system में liquidity maintain की जा सके जब system में ज़दा liquidity आ जाती है मतलब market में ज्यादा पैसा आ जाता है तो RBI इसे absorb करने के लिए measures लेता है और जब system में liquidity shortage होती है मतलब market में पैसा कम होता है तो RBI पैसा inject करने के लिए measures लेता है RBI के पास बहुत से tools हैं जैसे liquidity adjustment facility, open market operations, etc. इन tools के बारे में हम एक separate video में बात करेंगे आपसे तो दोस्तों इसी के साथ हमारा money market का topic यहीं पे complete होता है इस वीडियो से आपको अगर कुछ भी नया सीखने को मिला हो तो वीडियो को like करना ना भूले और comment box में मैंने कुछ questions post कर दिये हैं उनका answer जरूर दे और channel को subscribe करना ना भूले so that आप कोई भी वीडियो miss ना करें