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ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे का विश्लेषण

दोस्तों दिन था शनिवार तारीख थी 27 जुलाई जगह थी ओल्ड राजेंद्र नगर में राओ आईएस स्टडी सर्कल की लाइब्रेरी शाम के तकरीबन 6:30 बजे थे दो दिन से हो रही बारिश के कारण इंस्टीट्यूट के बाहर की सड़क पर काफी पानी भरा था वीकेंड होने के बावजूद तकरीबन 20 के आसपास एस्परेंस लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे तभी इंस्टीट्यूट के बाहर तेज स्पीड से एक एसयूवी गुजरती है एसयूवी निकलने के बाद सड़क पर खड़ा पानी तेजी से इंस्टिट्यूट के लोहे के गेट से टकराता है पानी के प्रेशर से लोहे का गेट टूट जाता है सड़क पर मौजूद पानी गेट को चीरते हुए अंदर बेसमेंट में भरने लगता है अचानक इतना पानी आने से बेसमेंट में मौजूद लाइब्रेरी के बाहर लगा बायोमेट्रिक सिस्टम भी फेल हो जाता है सारे बच्चे वहां फंस जाते हैं इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता बेसमेंट में 8 से 10 फीट पानी भर जाता है इसके 10-15 मिनट बाद पुलिस को मदद के लिए एक मैसेज किया जाता है 15 मिनट बाद पुलिस वहां पहुंचती है एमसीडी और एनडीआरएफ की टीमें भी पहुंचती है इसके बाद वहां घंटों रेस्क्यू ऑपरेशन चलता है और रात 1:00 बजे तक पता चलता है कि इस पूरे हादसे में तीन बच्चों की मौत मत हो गई मरने वालों में यूपी के अंबेडकर नगर की रहने वाली 22 साल की श्रेया यादव भी थी श्रेया की मदर डेरी में जॉब लग चुकी थी मगर वह आईएस बनना चाहती थी उसके फादर ने कर्जा लेकर उसके इंस्टीट्यूट की फीस भरी थी इसके अलावा सिकंदराबाद की तान्या सोनी और केरल की नेवल डार्विन की भी इस हादसे में जान चली गई अब तक इस पूरे एक्सीडेंट में तीन बच्चों के मरने की बात सामने आई है मगर बहुत सारे बच्चे क्लेम कर रहे हैं कि मरने वालों का फिगर इससे कहीं ज्यादा है और पुलिस जानबूझकर सही नंबर नहीं बता रही और जैसा कि भारत में हर बड़े हादसे के बाद होता है हादसा होने के बाद पब्लिक शोर मचाती है तो अथॉरिटीज की नींद खुलती है ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए इस हादसे के बाद जांच हुई तो पता लगा कि जिस बेसमेंट में यह लाइब्रेरी चल रही थी वहां तो लाइब्रेरी चलाने की परमिशन ही नहीं थी उस जगह को तो स्टोरेज के तौर पर यूज़ होना था हंगामा हुआ तो एमसीडी वाले सालों की गहरी नींद से जागे और लोगों को दिखाने के लिए बेसमेंट में चल रहे कुछ इंस्टीट्यूट्स और लाइब्रेरी पर एक्शन ले लिया जिस दौरान हम ये वीडियो बना रहे हैं तब तक राव आईएस इंस्टिट्यूट के ओनर और कोआर्डिनेटर को भी जुडिशल कस्टडी में भेज दिया गया है एमसीडी और पुलिस की तरफ से ऐसा माहौल भी बनाया जा रहा है कि सारा कसूर राव इंस्टिट्यूट मैनेजमेंट का ही था जिसके चलते तीन बच्चों की जान गई बेशक इस हादसे के पीछे उस इंस्टीट्यूट वाले गुनहगार हैं मगर आप मुझसे पूछे तो इस हादसे के लिए एमसीडी और लोकल अथॉरिटीज ज्यादा बड़ी गुनहगार है एमसीडी कह रही है कि बेसमेंट से पानी निकालने में इतना वक्त इसलिए लगा क्योंकि सड़क पर भी 3 फीट पानी भरा हुआ था अगर ऐसा है तो इन लोगों से पूछो कि अगर सड़क पर भी 3 फीट पानी भरा था तो इसकी कसूरवार क्या लेडी गागा थी या युगांडा की सरकार सड़क पर 3 फीट पानी क्या किसी के छींक मारने से अचानक भर गया सड़क पर इतना पानी इसलिए भरा क्योंकि एमसीडी के मकारों ने वहां गटर और नालों की सफाई ही नहीं करवाई थी सुनिए इस बच्चे को जो यह कह रहा है कि खुद इसके लैंडलॉर्ड ने कई बार लोकल एमसीडी काउंसलर को कहा था कि भाई नालों की सफाई करवा दो मगर कोई सुनवाई नहीं हुई दूसरी बात सर मैंने अपने मकान मालिक से बात किया उन्होंने बताया कि वो 10 से 12 दिन से जाकर काउंसलर से यहां बोल रहे थे लगातार कि नालों की सफाई कराई जाए लेकिन वो नालों की कोई सफाई नहीं करा रहे हैं सर तो यहां पे ये जो हम हमारे काउंसलर्स हैं ये उनका भी फेलर है हैरानी ये है कि आज दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है एमसीडी पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है दिल्ली की मेयर भी आम आदमी पार्टी के हैं जिस ओल्ड राजेंद्र नगर में हादसा हुआ वहां के एमएलए भी आम आदमी पार्टी के हैं मगर बावजूद इसके कि इस घटना की जिम्मेदारी ली जाए उल्टा उनके मंत्री एलजी और कुछ अधिकारियों को घटना के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और यह वही आम आदमी पार्टी है जो जब एमसीडी में विपक्ष में थी और दिल्ली की बदहाली के लिए एमसीडी पर कब्जा जमाए बीजेपी को हमेशा जिम्मेदार बताती थी बोलिए और आज जब तीन बेगुना बच्चे मारे गए हैं पूरे देश में इस खबर की चर्चा हो रही है संसद तक में मुद्दा गरमा गया है तो एमसीडी वालों को लगा कि चलो इस सड़क के बाहर के नाले को साफ करवा देते हैं दुनिया में ऐसी कौन सी जगह है जहां लोकल अथॉरिटीज मानसून से पहले नालों की सफाई नहीं करवाती अगर आप इसी मक्कार एमसीडी के डॉक्यूमेंट भी उठाकर चेक कर ले तो उसमें भी लिखा मिल जाएगा कि हमने तो सारे नाले जून में ही साफ करवा दिए मगर हकीकत यह है कि आज इतना बड़ा हादसा हुआ तो एमसीडी वालों को लगा कि चलो नाले साफ कर लिए जाए इतना ही नहीं इन लोगों की बेशर्मी देखिए ये एमसीडी ऑफिसर बोल रहा है कि नाले इसलिए चोक हो गए क्योंकि इंस्टिट्यूट वालों ने नालों के ऊपर कंस्ट्रक्शन करके उसे ढक दिया था इस पर जब रिपोर्टर ने पूछा कि आपने इन्हें रोका क्यों नहीं तो ये निर्लज कुमार कहते हैं क्या कहते हैं सुनिए आप क्या दादागिरी करते हैं गुंड कैसे गुंडागर्दी बताइए धमकाते हैं हमें कहीं से कौन आपको धमकाते हैं एनसीपी वालों को धमकाते हैं अप्रोच करते हैं दिल्ली या देश के किसी भी शहर में रहने वाला कौन सा आदमी यह नहीं जानता कि कैसे लोकल अथॉरिटीज रेडी पटरी वालों से हफ्ता वसूलते हैं आप अपने शहर में देखिए जिस फुटपाथ पर आम आदमी को चलना चाहिए वहां रेडी पटरी वालों के कब्जे होते हैं आप किसी पुलिस वाले से पूछेंगे तो वो कहेगा साहब हमें क्या पता इन्हें तो अथॉरिटी वालों ने बिठाया आप अथॉरिटी वालों से पूछे तो वो कहेंगे कि ये सब पुलिस वाले करवा रहे हैं मेरा सवाल यह है कि जो एमसीडी और पुलिस वाले इन रेड़ी वालों से हफ्ता वसूलने में एक दिन की भी देरी नहीं करते क्या इन लोगों को महीनों तक यह पता ही नहीं चलता कि किस इंस्टीट्यूट ने कहां कब्जा कर रखा है बताइए क्या इंस्टिट्यूट वाले इतने बड़े गुंडे हो गए हैं कि वो पुलिस और एमसीडी को धमकियां दे रहे हैं किसे झूठ बोल रहे हैं भैया किससे ऐसा बोलकर किसे बेवकूफ बना रहा है हकीकत तो यह है कि ओल्ड राजेंद्र नगर से लेकर मुखर्जी नगर तक पटेल नगर तक जहां कहीं भी बेसमेंट में कोई इंस्टिट्यूट चल रहा है लाइब्रेरी खुली है अवैध कब्जा हुआ है यह सब इन लोगों की मिली भगत से ही हुआ है इस इंस्टिट्यूट के जिस बेसमेंट में बिना प्रॉपर परमिशन के लाइब्रेरी चल रही थी उसे लेकर एक स्टूडेंट ने भी 26 जून को ही एमसीडी को इसकी शिकायत की थी मगर कुछ नहीं हुआ मैं पूछता हूं अगर आप अब जाकर इंस्टिट्यूट पर कारवाही कर रहे हो तो वो होनी भी चाहिए उसके मालिक को जेल भी जाना चाहिए मगर इस बात की जांच कौन करेगा कि अगर एमसीडी को महीना भर पहले इस लाइब्रेरी के बारे में कंप्लेंट मिली थी तो उसके बाद भी एक महीने तक इस पर कोई एक्शन क्यों नहीं हुआ क्या किसी अधिकारी ने वो कंप्लेंट देखी भी या नहीं देखी नहीं देखी तो भी सवाल बनता है देखकर अनदेखा किया तो उसने ऐसा क्यों किया जिसने भी ऐसा किया उसका नाम सामने लाया जाए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए मेरी नजर में एक महीना पहले वार्निंग मिलने के बाद शिकायत मिलने के बाद भी अगर एमसी सीडी या पुलिस ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया तो असली गुनहगार वही लोग अगर यह सफाई लगभग 15 से 20 दिन पहले मानसून के आने से पहले की जा की गई होती तो शायद ये दर्दनाक हादसा नहीं होता ओल्ड राजेंद्र नगर के इस एक्सीडेंट को आप इसलिए भी नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि ये घटना कोई एक्सेप्शन नहीं है फैक्ट तो यह है कि ओल्ड राजेंद्र नगर में जो हुआ वैसा एक्सीडेंट इस एरिया में कभी भी और कहीं भी हो सकता है खुद बच्चों का यह कहना है कि इस एरिया में 95 लाइब्रेरी बेसमेंट में ही चलती है 10 मिनट बारिश आती है तो यहां घुटनों तक पानी भर जाता है जगह-जगह बिजली के खुले तार मिल जाएंगे अभी पिछले महीने ही पटेल नगर में नीलेश राय नाम के 26 साल के एक एस्परेंस की मृत्यु हो गई ये लड़का कोचिंग के बाद अपनी पीजी में जा रहा था सड़क पर बारिश का पानी भरा था तभी इसका पैर फिसल जाता है खुद को गिरने से बचाने के लिए जिस लोहे के गेट को पकड़ता है उस गेट से एक बिजली की खुली तार टकरा रही थी जैसे ही निलेश ने खुद को गिरने से बचाने के लिए उस गेट को पकड़ा उसे जोरदार झटका लगा और उसकी मौत हो गई मैं आपसे पूछता हूं किसी देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है जहां उसके बच्चे सड़कों पर करंट खाकर मर रहे हैं वो बच्चा कल को आईएस भी बन सकता था जयशंकर जी की तरह कोई बड़ा डिप्लोमेट भी हो सकता था अपने टैलेंट से देश और सोसाइटी का भला कर सकता था अगर वो कामयाब हो जाता तो उसके परिवार की सूरत बदल जाती उसके मां-बाप के सालों की स्ट्रगल सफल हो जाती मगर इस देश में जान की कीमत यह है कि उसके सिटीजन उसके बच्चे सड़कों पर करंट खाकर मर रहे हैं और जो मक्कार अथॉरिटी वाले हर शाम किसी से उगाही करने में आधा मिनट की भी देरी नहीं करते इन लोगों को महीनों तक ये पता भी नहीं चलता कि कहां पर गड्ढा खुदा है कहां पर बिजली के नंगे तार लटक रहे हैं और कहां पर कोई एक्सीडेंट हो सकता है हर किसी को जैसे-तैसे दो नंबर का पैसा बनाकर अमीर होना है और जैसे ही ओल्ड राजेंद्र नगर जैसा कोई हादसा होता है रातों-रात इनके सपने में ब्रह्मा जी आकर इनको बता जाते हैं कि ऐसे सात इंस्टिट्यूट और चल रहे हैं वहां जाकर कार्यवाही करो और यह निर्लज कुमार वहां पहुंच जाते हैं इसी तरह पिछले साल 15 जून को मुखर्जी नगर की ज्ञान बिल्डिंग में आग लगने के बाद 300 बच्चे फंसे थे 60 बच्चों को उस हादसे में चोटें आई थी किस्मत थी कि किसी की जान नहीं गई इस एक्सीडेंट के बाद फिर दिखावे के लिए कुछ कोचिंग सेंटर्स पर कार्यवाही की गई मगर इसके बाद फिर पिछले साल दिसंबर में गर्ल्स पीजी में आग लगी थी तब भी 35 लड़कियां फंसी थी तब भी बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची थी मतलब एक तरह से यह रिचुअल बन गया है पहले एक्सीडेंट होता है फिर एमसीडी के भ्रष्ट अधिकारी अपनी भांग की नींद से जागते हैं फिर रस्मी तौर पर दो-चार इंस्टीट्यूट्स पर एक्शन होता है उसके बाद दो-चार भांग की पुड़िया और मारकर ये लोग सो जाते हैं और तब तक नहीं उठते जब तक अगला एक्सीडेंट ना हो जाए इसलिए मैंने शुरू में कहा कि ओल्ड राजें नगर में जो कुछ हुआ उसको आप एक्सेप्शन नहीं मान सकते यह तो हर कुछ महीने की कहानी है हर कुछ महीने का किस्सा है मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटर में आग लग गई और इस खबर से हड़कंप मच गया आग की लपटों ने ऐसा भयानक रूप लिया कि कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले छात्रों को छत से रस्सी बांध कर नीचे आना पड़ा आप इस एरिया में रहने वाले किसी भी बच्चे से पूछिए या चाहे तो खुद वहां पर होकर आइए हर इंस्टिट्यूट में सिर्फ मोटी फीस की लालच में भेड़ों की तरह बच्चों को ठू स ठू स कर भरा जाता है उनसे मोटी फीस फीस ली जाती है जिस इंस्टिट्यूट में ये हादसा हुआ अगर आप उसकी वेबसाइट पर जाएं तो पता चलेगा ये लोग बच्चों से कितना मोटा पैसा लेते हैं सेंटर की वेबसाइट के हिसाब से ये लोग प्रीलिम्स और मेंस की 175000 फीस लेते हैं इसके अलावा हर ऑप्शनल सब्जेक्ट की ₹5000000 नहीं आया कि अगर किसी इमरजेंसी में बायोमेट्रिक सिस्टम फेल हो गया और बच्चे अंदर फंस गए तो उन्हें कैसे निकालेंगे और यही इंस्टीट्यूट्स है जब आप यहां एडमिशन लेने जाएं तो इनके फॉर्म पढ़िए ये लोग उसमें ऐसा हर एक पॉइंट डाल देते हैं जिससे ये लोग अपनी रिस्पांसिबिलिटी से बच जाए बच्चे को ऐसा लगता है जैसे ये इंस्टीट्यूट्स अपने यहां पर बच्चे को एडमिशन देकर उस पर कोई एहसान कर रहा है मगर इतना मोटा पैसा लेने के बावजूद जब इंस्टिट्यूट बच्चों को भेड़ बकरियों की तरह ठूंस है अपनी लापरवाही से उनकी जान ले लेता है तो इस पर उसे कोई शर्म नहीं आती बताइए इस देश का लीगल सिस्टम कैसे काम करता है यह भी किसी से छिपा नहीं है कितने लोगों को आपने इस तरह की लापरवाही वाले केस में सजा होते देखी है बताइए कुछ टाइम बाद तो मीडिया भी ट्रैक करना बंद कर देता है पुणे के उस पॉर्श लग्जरी कार वाले मामले में क्या हुआ सबको पता है महीने भर के अंदर उस केस में शामिल हर आदमी बाहर आ गया जिन लोगों के बच्चों की जान गई वह पीटते रहे अपनी छाती बहाते रहे जिंदगी भर आंसू उनकी जिंदगी तो बर्बाद हो गई जिस बाप ने यह सोचा था कि उसका बच्चा अगर कुछ बन जाएगा तो शायद उनका जिंदगी भर का संघर्ष सफल हो जाए वो बे बेचारा आप किस उम्मीद में जिंदगी जीएगा बताइए उसने अपना बच्चा भी गवाया अपना पैसा भी गमाया और सबसे बड़ी बात जिंदा रहने की अपनी उम्मीद भी गमा दी इस देश में भ्रष्ट लोगों का एक इको सिस्टम है बॉस जिसे कोई ताकत हिला नहीं सकती इंस्टिट्यूट वालों को जितना कमा सकते हैं उससे ज्यादा कमाना है अथॉरिटीज और नेता लोगों के लिए तो भैया ऊपर का पैसा नशे का काम करता है वो तो अधिकारी और नेता बने ही इस दिन के लिए बताइए इसलिए आप और हम कितना भी रोना स्यापा मचा ले कुछ दिन बाद चीजें उसी ढर्रे पर आ जाएंगी कुछ दिन तमीज में रह ने के बाद ये सारे लोग फिर से फड़फड़ाने लगेंगे आज बंद हुए इंस्टिट्यूट दो महीने बाद फिर से खुल जाएंगे लिख के ले लो लाइब्रेरी इसी तरह बेसमेंट में चलती रहेंगी मकान मालिक बाथरूम से भी छोटे कमरों के 20-2 हजार वसूलते रहेंगे और इन सब से पार पा भी गए तो एग्जाम होगा या नहीं होगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है एग्जाम हुआ तो ईमानदारी से हुआ या नहीं हुआ इसकी भी कोई श्यर नहीं है और सबसे बड़ी बात अगर कल को आप अधिकारी बन भी गए तो आपको वहां की दुनिया वैसी ही मिलेगी जैसा आप सोचकर आए हैं तो भैया उसका भी कोई भरोसा नहीं इसलिए संजीव सानियाल जैसे लोग जब यह कहते हैं कि इन परीक्षाओं में पास होने की जो गारंटी है और उससे पहले का जो संघर्ष है उसे देखते हुए बच्चों को बहुत सोच समझकर अपनी लाइफ ऐसे एग्जाम्स में झकनी चाहिए देश तरक्की कर रहा है प्राइवेट सेक्टर में ढेरों मौके हैं किसी काम में दो-तीन साल भी अगर आप कायदे से दे दो तो जिंदगी भर के लिए उसमें अपनी जगह बना सकते हैं आप हो सकता है कि जो तस्वीर मैंने दिखाई वो कुछ लोगों को नेगेटिव लगी लेकिन यह भी सच है कि रियलिस्टिक असेसमेंट और नेगेटिव होने में भी फर्क होता है ठीक उसी तरह जैसे से ऑप्टिमिस्ट होने और खयाली पुलाव पकाने में होता है और जो मैंने कहा अगर वो सच्चाई नहीं है तो आप खुद बताइए जिंदगी आपकी है स्ट्रगल आपका है इसलिए जो फैसला लेना है वो आप ही को लेना है बाकी आप इस मामले पर क्या सोचते हैं कमेंट करके जरूर बताइएगा अगर आप भी एक एस्परेंस प्रॉब्लम फेस कर रहे हैं तो प्लीज इस वीडियो को और भी लोगों तक जरूर पहुंचाएगा उम्मीद करते हैं इससे बहुत सारे लोग सबक लेंगे और इसे आगे शेयर जरूर करेंगे थैंक यू फॉर वाचिंग चैनल सब्सक्राइब करके जाइएगा जय हिंद जय भारत