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मार्च 2024 आरबीआई सर्कुलर की जानकारी

हेलो दोस्तों वेलकम टू डी कोड इंडियन आई होप आप सभी अच्छे हैं देखिए आज के इस लेक्चर में हम क्या करने वाले हैं आज के इस लेक्चर में हम मार्च 2024 का जितना भी आरबीआई सर्कुलर्स है उसको बहुत ही डिटेल वे में कवर करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं अगर आपको कहीं पर भी कुछ समझ में नहीं आता है तो सबसे पहले तो आपको थोड़ा सा रिपीट करके देखना है आपको समझ में आ जाएगा लेकिन फिर भी अगर आपको समझ में नहीं आता है तो आप कमेंट में अपना डाउट बता सकते हैं हम उसका रिप्लाई जरूर करेंगे ठीक है और देखिए कोशिश करेंगे कि मार्च 2024 का जितना भी आरपीआई सर्कुलर्स है उसको हम एक ही लेक्चर में कवर कर लें लेकिन अगर लेक्चर लंबा हो जाता है तो उसको हम दो पार्ट में अपलोड कर देंगे लेकिन दोनों पार्ट एक ही साथ अपलोड होगा ठीक है तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी डिले के अगर आपको इस लेक्चर का पीडीएफ चाहिए होगा तो पहला सर्कुलर है यह सर्कुलर 5 मार्च 2024 का है मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम एमटीएसएस को लेकर के यह पर्टिकुलर सर्कुलर है एमटीएसएस के तहत जो इंडियन एजेंट्स हैं उसके द्वारा अभी जो क्वार्टरली स्टेटमेंट सबमिट किया जाता है कि एमटीएसएस के तहत कितना रेमिटेंसेस रिसीव किया गया है तो अभी तक वो क्वार्टरली स्टेटमेंट एक्सबीआरएल साइट के ऊपर सबमिट किया जाता था लेकिन अब यहां पे वो जो स्टेटमेंट है वो जो रिटर्न है वह सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाएगा आई नो बहुत सारे लोगों को कुछ भी समझ में नहीं आया होगा डोंट वरी हम इसको बहुत ही अच्छे से समझने वाले हैं आपको समझ में आ जाएगा लेकिन देखिए इस सर्कुलर को समझने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि यह जो मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम है यह जो एमटीएसएस है ये आखिर है क्या तो पहले हम इसको थोड़ा सा देख लेते हैं फिर हम अपने सर्कुलर के ऊपर आएंगे ठीक है देखिए जो आपको पता होगा कि जब हम बात करते हैं रेमिटेंस के बारे में तो एक तो होता है आउटवर्क रेमिटेंस जब कोई व्यक्ति भारत के बाहर किसी दूसरे देश में पैसा भेज है तो वो क्या कहलाता है आउट वर्ड रेमिटेंस कहलाता है मान लीजिए कि कोई व्यक्ति है उसके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं और उसको अपने बच्चे के एजुकेशन एक्सपेंसेस के लिए पैसा भेजना है तो वो क्या कहलाएगा आउट वर्ड रेमिटेंस कहलाएगा ठीक है जब भारत के बाहर पैसा भेजा जाता है किसी दूसरे देश में तो वो क्या कहलाता है आउट वर्ड रेमिटेंस कहलाता है अब एक होता है इन वर्ड रेमिटेंस जब भारत के बाहर से किसी दूसरे देश से भारत के अंदर पैसा भेजा जाता है तो वो क्या कहलाता है इन वर्ड रेमिटेंस कहलाता है कोई व वति है वह विदेश में काम कर रहा है और उसके पेरेंट्स इंडिया के अंदर रह रहे हैं तो वह अपने पेरेंट्स के लिविंग एक्सपेंसेस के लिए जो पैसा भारत के अंदर भेजेगा वो क्या कहलाएगा इनवर्ल्ड रेमिटेंस कहलाएगा समझ में आ गया आउटवर्क रेमिटेंस और इनवर्ल्ड रेमिटेंस अब देखिए आउटवर्क रेमिटेंस का जब हम बात करते हैं ना तो भारत के अंदर एक बहुत ही पॉपुलर स्कीम है जिसका नाम है एलआरएस लिबरलाइज रेमिटेंस स्कीम आपने जरूर सुना होगा इसके बारे में तो लिबरलाइज रेमिटेंस स्कीम के तहत ना कोई भी व्यक्ति भारत के अंदर अ आसान तरीके से भारत के बाहर अलग-अलग पर्पस के लिए पैसा भेज सकता है ठीक है तो जिस प्रकार से आउटवर्क के लिए एलआरएस स्कीम है ना उसी प्रकार से इनवर्ल्ड रेमिटेंस के लिए भारत के अंदर भारत के बाहर दूसरे देश से जो पैसा भेजा जाता है उसके लिए भी बहुत सारा चैनल है बहुत सारा मेथड है जिसमें से एक मेथड का नाम है मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम एमटीएसएस ये जो एमटीएसएस है मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम इसके तहत भारत के अंदर जो बेनेफिशरी हैं उनको भारत के बाहर से दूसरे देश से पर्सनल रेमिटेंस ट्रांसफर किया जा सकता है साधारण शब्दों में कहूं तो मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम के तहत भारत के अंदर दूसरे देश से पैसा भेजा जा सकता है ठीक है लेकिन देखिए ये जो मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम है ना ये सिर्फ और सिर्फ इनवर्ट पर्सनल रेमिटेंसेस के लिए है के लिए ही है मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति भारत के बाहर पैसा नहीं भेज सकता है इस स्कीम के तहत सिर्फ और सिर्फ भारत के अंदर पैसा भेजा जा सकता है वो भी यहां पे क्या लिखा हुआ है इनवर्ट पर्सनल रेमिटेंसेस जैसे कि फैमिली मेंटेनेंस हमने एग्जांपल में देखा था मान लीजिए कि कोई व्यक्ति है वो लेट्स से कि यूएस में काम कर रहा है उसके पेरेंट्स इंडिया में रह रहे हैं तो वो अपने पेरेंट्स के लिविंग एक्सपेंसेस के लिए एमटीएसएस के तहत भारत के अंदर पैसा भेज सकता है कोई फॉरेन टूरिस्ट है भारत घूमने आया है तो उस फॉरेन टूरिस्ट का जो फैमिली है फ्रेंड है वो एमटीएसएस के तहत भारत के अंदर पैसा भेज सकता है उस फॉरेन टूरिस्ट के लिए तो जो मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम है ना वो सिर्फ और और सिर्फ इनवर्ट पर्सनल रेमिटेंसेस के लिए है एमटीएसएस के थ्रू अ डोनेशन के लिए पैसा भारत के अंदर नहीं भेजा जा सकता है कोई इंस्टीट्यूशन है कोई ट्रस्ट है उसमें डोनेशन या कंट्रीब्यूशन के लिए एमटीएसएस के तहत भारत के अंदर पैसा नहीं भेजा जा सकता है ट्रेड रिलेटेड रेमिटेंसेस अलाउड नहीं है मान लीजिए कि कोई व्यक्ति है ठीक है कोई दूसरे देश का व्यक्ति है उसने भारत से कोई प्रोडक्ट इंपोर्ट किया है तो अब यहां पे उस प्रोडक्ट के लिए वो एमटीएसएस के तहत भारत के अंदर पैसा नहीं भेज सकता है ठीक है प्रॉपर्टी परचेस करने के लिए भारत के अंदर एमटीएसएस के थ्रू पैसा नहीं भेजा जा सकता है अ इन्वेस्टमेंट के पर्पस से पैसा नहीं भेजा जा सकता है इसके अलावा जो नॉन रेसिडेंट इंडियंस होता है उसका जो नॉन रेसिडेंट एक्सटर्नल अकाउंट होता है तो उसमें भी वह एमटीएसएस के तहत पैसा भारत के अंदर नहीं भेज सकता है ठीक है तो ये सब अलाउड नहीं है सिर्फ और सिर्फ इनवर्ट पर्सनल रेमिटेंसेस जैसे कि फैमिली मेंटेनेंस और जो फॉरेन टूरिस्ट भारत विजित करने आता है तो उसके फैमिली और फ्रेंड एमटीएसएस के तहत भारत में पैसा भेज सकता है तो यह सब इनवर्ट पर्सनल रेमिटेंसेस अलाउड है ठीक है अब देखिए यहां पे ये एगजैक्टली काम कैसे करता है किस तरीके से एमटीएसएस के तहत भारत के अंदर पैसा आता है तो देखिए होता क्या है ना भारत के बाहर जो दूसरा देश है वहां पे जो रेपुटेड मनी ट्रांसफर कंपनीज होता है जिसको कि ओवरसीज प्रिंसिपल बोला जाता है तो वो और भारत के अंदर जो इंडियन एजेंट्स है उसके बीच में टाइप होता है मान लीजिए कि कोई व्यक्ति है भारत के बाहर किसी दूसरे देश में वो रह रहा है और उसको भारत के अंदर पैसा भेजना है तो वो व्यक्ति क्या करता है इन ओवरसीज प्रिंसिपल के पास जाता है उसको पैसा देता है और फिर ये जो ओवरसीज प्रिंसिपल होता है ना वो इंडियन एजेंट्स को भारत के अंदर पैसा भेजता है और ये जो इंडियन एजेंट्स होता है वो फिर भारत के अंदर जो बेनिफिशियरी हैं उसको पैसा डिसबर्स करता है जो भी ऑन गोइंग एक्सचेंज रेट रहता है मान लीजिए कि यूएस डॉल इक्वल टू कितना इंडियन रुपीज होगा तो इसके हिसाब से जो भी ऑन गोइंग एक्सचेंज रेट होता है उसके हिसाब से इंडियन एजेंट भारत के अंदर जो बेनिफिशियरी है उसको पैसा डिस्पर्स करता है तो कुछ इस तरीके से एमटीएसएस काम करता है और यहां पे देखिए जो इंडियन एजेंट होता है वो कौन बन सकता है तो जो ऑथराइज्ड डीलर कैटेगरी वन बैंक होता है वो इंडियन एजेंट होता है ऑथराइज्ड डीलर कैटेगरी टू एंटिटी होता है फुल फ्लेज मनी चेंजर उसके बाद भारत सरकार का जो डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट है पोस्टल डिपार्टमेंट वो इंडियन एजेंट हो सकता है ठीक है अब देखिए ये तो हमने बात कर लिया मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम के बारे में यहां पे इस स्कीम से जुड़ा हुआ कुछ पॉइंट और है जो कि इंपॉर्टेंट है उसको हम देख लेते हैं फिर हम अपने सर्कुलर के ऊपर आएंगे ठीक है देखिए एमटीएसएस के तहत ना ऐसा नहीं है कि भारत के अंदर कितना भी पैसा भेजा जा सकता है भारत के बाहर से एमटीएसएस के तहत एक बार में पर ट्रांजैक्शन मैक्सिमम 2050 2500 यूएस डॉलर ही भारत के अंदर भेजा जा सकता है तो यहां पे पर ट्रांजैक्शन के ऊपर कैप है एमटीएसएस के थ्रू भारत के अंदर एक बार में पर ट्रांजैक्शन मैक्सिमम 2500 यूएस डॉलर ही भेजा जा सकता है ठीक है और यहां पे देखिए एक कैलेंडर ईयर के दौरान ध्यान दीजिएगा कि जब हम बात करते हैं कैलेंडर ईयर के बारे में तो जनवरी टू दिसंबर होता है ठीक है तो यहां पे एक कैलेंडर ईयर के दौरान भारत के अंदर जो बेनिफिशियरी है वो मैक्सिमम एमटीएसएस के थ्रू 30 रेमिटेंसेस ही रिसीव कर सकता है 30 बार ही वो एमटीएसएस के थ्रू पैसा रिसीव कर सकता है तो ये दोनों इंपॉर्टेंट पॉइंट था इसके बाद देखिए भारत के अंदर जो बेनिफिशियरी है उसको जो भी पैसा भेजा जाता है भारत के बाहर से दूसरे देश से तो यहां पे उसको मैक्सिमम ₹5000000 ही कैश में दिया जा सकता है और इसी अमाउंट तक ना बैंक के द्वारा जो प्रीपेड कार्ड इशू किया जाता है उसमें भी लोड किया जा सकता है अगर इस अमाउंट से बड़ा कोई अमाउंट होता है लेट्स से कि 60000 है 70000 है 80000 है तो इस केस में फिर वो पैसा उसको कैश में नहीं दिया जा सकता है यहां पे फिर उसको पैसा जो भी 60000 70000 है वो उसको चेक के थ्रू डिमांड ड्राफ्ट के थ्रू पेमेंट ऑर्डर के थ्रू या फिर बेनिफिशियरी का जो बैंक अकाउंट होगा डायरेक्ट उसमें क्रेडिट कर दिया जाएगा ठीक है लेकिन यहां पे अगर बेनिफिशियरी फॉरेन टूरिस्ट है कोई फॉरेन टूरिस्ट है उसका फैमिली या फिर फ्रेंड भारत के अंदर पैसा भेज रहा है तो इस केस में ना यहां पे जो अ ये अ पैसा है वो उसको ज्यादा भी कैश में डिसबर्स किया जा सकता है अगर 60000 है 70000 है फिर भी उस फॉरेन टूरिस्ट को कैश में वो पैसा डिस्पर्स किया जा सकता है ठीक है तो जितना भी एमटी एसस को लेकर के इंपॉर्टेंट पॉइंट था उसको हमने डिस्कस कर लिया है आई होप अगर इससे किसी भी तरह का कहीं पे भी क्वेश्चन बनता है तो आप आसानी से उसको कर लेंगे ठीक है अब हम आते हैं अपने सर्कुलर के ऊपर और अब आपको यह सर्कुलर बहुत ही आसानी से समझ में आ जाएगा बस एक और टर्म है जो आपको समझाना है वो मैं सर्कुलर जब समझाऊ उसके बीच में समझा दूंगी ठीक है तो चलिए शुरू करते हैं देखिए 2016 के एक सर्कुलर के हिसाब से जो भी ऑथराइज्ड पर्सन है जो कि एमटीएसएस के तहत इंडियन एजेंट है उसके लिए यह अनिवार्य है कि वह क्वार्टरली बेसिस पे एक स्टेटमेंट सबमिट करें अह एमटीएसएस के थ्रू उसके द्वारा कितना रेमिटेंसेस रिसीव किया गया है डिसबर्स करने के लिए इसको लेकर के तो हर क्वार्टर के खत्म होने के 15 दिन के अंदर जो इंडियन एजेंट्स है एमटीएसएस के तहत उसको एक क्वार्टरली स्टेटमेंट या फिर क्वार्टरली रिटर्न सबमिट करना होता है तो अभी तक जो यह क्वार्टरली स्टेटमेंट है ना यह स्टेटमेंट एक्स बी आर एल प्लेटफॉर्म के ऊपर सबमिट करना होता है इंडियन एजेंट्स को एक्सटेंसिबल बिजनेस रिपोर्टिंग लैंग्वेज प्लेटफॉर्म अब यह प्लेटफॉर्म क्या है देखिए यह और कुछ भी नहीं एक्स आरबीआई का यह जो एक्सबीआरएल प्लेटफॉर्म है या जो एक्सबीआरएल साइट है यह एक्सबीआरएल बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग प्लेटफॉर्म है एक्सबीआरएल क्या है तो यह एक रिपोर्टिंग फॉर्मेट है दुनिया भर के बिजनेसेस के द्वारा कंपनीज के द्वारा इस फॉर्मेट का इस्तेमाल करके इस फॉर्मेट में अपने फाइनेंशियल स्टेटमेंट को प्रेजेंट किया जाता है अलग-अलग बिजनेस रिपोर्ट को प्रेजेंट किया जाता है तो आरबीआई का जो एक्सबीआरएल साइट है ना यह और कुछ भी नहीं एक्सबीआरएल बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग प्लेटफार्म है ठीक है तो यहां पे अभी तक एमटीएसएस के तहत जो इंडियन एजेंट्स है उसके द्वारा जो क्वार्टरली स्टेटमेंट सबमिट किया जाता था कि एमटीएसएस के थ्रू कितना पैसा रिसीव किया गया है डिस्पर्स करने के लिए तो यह क्वार्टरली स्टेटमेंट अभी तक इंडियन एजेंट एक्सबीआरएल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके सबमिट करता था अब यहां पर क्या फैसला लिया गया है उसको हम देखते हैं ठीक है देखिए अब यहां पे क्या बोला जा रहा है कि रिजर्व बैंक का जो नेक्स्ट जनरेशन डाटा वेयरहाउस है वो लॉन्च हो गया है सेंट्रलाइज्ड इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम सीआईएमएस तो यहां पे अब वो जो क्वार्टरली स्टेटमेंट है ना वो एक्स बीआर एल साइट के ऊपर सबमिट नहीं किया जाएगा अब वो जो क्वार्टरली स्टेटमेंट है ना वो अब सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाएगा ठीक है और कब से ये सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाना शुरू हो जाएगा तो ये जो मा 2024 में क्वार्टर खत्म हो रहा है तो इस क्वार्टर से सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर जो क्वार्टरली स्टेटमेंट है वह सबमिट किया जाना शुरू हो जाएगा मतलब इसका यह है कि ये जो जनवरी टू मार्च क्वार्टर है तो जनवरी टू मार्च क्वार्टर के लिए जो क्वार्टरली स्टेटमेंट सबमिट किया जाएगा वो एक्सबीआरएल साइट के ऊपर सबमिट नहीं किया जाएगा वो सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाएगा ठीक है नाउ ये सीआईएमएस पोर्टल है क्या बहुत ज्यादा डिटेल में हम नहीं जाएंगे मैंने यहां पे कुछ स्लाइड्स जरूर ऐड किया था सीआईएमएस को लेकर के लेकिन अगर हम वो पढ़ने लगेंगे तो शायद अ यह सर्कुलर थोड़ा सा आपको कंफ्यूज ंग लगने लगे इसीलिए मैं यहां पे बस आपको थोड़ा सा बताना चाहती हूं देखिए अगर आपको यह पता है ना कि डेटा वेयरहाउस क्या होता है तो आपको ये सीआईएमएस भी समझ में आ जाएगा डेटा वेयरहाउस क्या होता है डेटा वेयरहाउस एक सेंट्रलाइज्ड लोकेशन होता है या फिर एक स्टोरेज फैसिलिटी होता है जहां पे किसी ऑर्गेनाइजेशन के अंदर अलग-अलग सोर्सेस से लार्ज वॉल्यूम ऑफ डाटा को यानी कि एक साथ बहुत सारा डटा को स्टोर किया जाता है उसको नाइज किया जाता है उसको मैनेज किया जाता है तो यहां पे ये जो सेंट्रलाइज इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम है ना सीआईएमएस ये भी क्या है ये भी आरबीआई का डटा वेयरहाउस है और यहां पे देखिए क्या लिखा हुआ है नेक्स्ट जनरेशन डेटा वेयरहाउस यानी कि ये जो डेटा वेयरहाउस है ना ये काफी ज्यादा एडवांस है काफी ज्यादा ये मॉडर्न है और जो भी बैंक है रेगुलेटेड एंटिटीज है उसके द्वारा अभी जो अलग-अलग चीजों के लिए रेगुलेटरी रिपोर्ट सबमिट किया जाता था तो वो अब और भी आसान तरीके से सीआईएमएस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके सबमिट किया जाएगा ठीक है तो अभी तक एमटीएसएस के तहत जो इंडियन एजेंट्स था उसके द्वारा जो क्वार्टरली स्टेटमेंट सबमिट किया जाता था वो एक्सबीआरएल साइट का इस्तेमाल करके सबमिट किया जाता था लेकिन अब यहां पे क्या फैसला लिया गया है अब यहां पे फैसला लिया गया है कि वो जो क्वार्टरली स्टेटमेंट है वो अब सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाएगा और कब से सबमिट किया जाएगा सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर तो मार्च 2024 में जो क्वार्टर खत्म हो रहा है इस क्वार्टर से सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर वो क्वार्टरली स्टेटमेंट सबमिट किया जा आना शुरू हो जाएगा ठीक है आई होप आपको यहां तक समझ में आ गया होगा चलिए अब दूसरे पॉइंट को देखते हैं देखिए तो यह जो क्वार्टरली स्टेटमेंट है उसको यहां पे ट्रैक करने के लिए उसको आइडेंटिफिकेशन एजेंट है जिसके द्वारा कुछ भी रेमिटेंसेस रिसीव नहीं किया गया है डिसबर्स करने के लिए बेनिफिशियरी को तो इस केस में ऐसा नहीं है कि इंडियन एजेंट को कोई रिपोर्ट सबमिट ही नहीं करना पड़ेगा यहां पे भी उसको उस क्वार्टर के लिए भी जो क्वार्टरली स्टेटमेंट होता है वो सबमिट करना पड़ेगा और वो क्वार्टरली स्टेटमेंट क्या कहलाएगा ल रिपोर्ट कहलाएगा ठीक है इसके बाद देखते हैं अब देखिए यहां पे जो भी चेंजेज के बारे में हमने बात किया तो जो मास्टर डायरेक्शन है रिपोर्टिंग अंडर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट 1999 तो उसके हिसाब से इस मास्टर डायरेक्शन को लाने के लिए इस मास्टर डायरेक्शन को भी यहां पे अपडेट किया गया है और जो भी डायरेक्शंस के बारे में हमने बात किया है उसको फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट फेमा 1999 के सेक्शन 10 सबसेक्शन फोर सेक्शन 11 सबसेक्शन वन और सेक्शन 11 सबसेक्शन टू के तहत जारी किया गया है और अगर किसी दूसरे कानून के तहत किसी दूसरे एक्ट के तहत किसी प्रकार का परमिशन या अप्रूवल का बात किया जा रहा है तो उसको यह डायरेक्शंस प्रेजुड नहीं करता है यानी कि वो जैसा है वैसा ही रहेगा उसके ऊपर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं डालता ये सब डायरेक्शंस ठीक है एप्लीकेबिलिटी तो आपको समझ में आ आ ही गया होगा जितना भी ऑथराइज्ड पर्सन है जो कि इंडियन एजेंट्स है मनी ट्रांसफर सर्विस स्कीम के अंदर तो उन सबके ऊपर यह जो सर्कुलर है ये एप्लीकेबल होगा यानी कि जो भी ऑथराइज्ड डीलर कैटेगरी वन बैंक्स है ऑथराइज डीलर कैटेगरी टू एंटिटी है फुल फ्लेज मनी चेंजर है भारत सरकार का पोस्टल डिपार्टमेंट है जो कि इंडियन एजेंट के तौर पे काम कर रहा है एमटीएसएस के अंदर तो उन सबके ऊपर यह जो सर्कुलर है ये एप्लीकेबल होगा उन सबको जो क्वार्टरली स्टेटमेंट उसके द्वारा सबमिट किया जाता था एक्सबीआरएल साइट के ऊपर अब वो क्वार्टरली स्टेटमेंट सीआईएमएस पोर्टल के ऊपर सबमिट किया जाएगा ठीक है आई होप दिस इज क्लियर चलिए आगे बढ़ते हैं और अपने दूसरे सर्कुलर को देखते हैं देखिए यहां पे हमारे पास जो सर्कुलर है यह सर्कुलर 6 मार्च 2024 का है आपको पता होगा कार्ड नेटवर्क्स के बारे में हमारे देश के अंदर जो कार्ड नेटवर्क्स है जैसे कि मास्टर कार्ड हो गया वीजा हो गया उसके बाद हमा अपना जो कार्ड नेटवर्क है रूपे तो यह सब कार्ड नेटवर्क है ये सब करता क्या है तो जैसे कि मान लीजिए आप आपने अपने कार्ड का इस्तेमाल करके आपको कहीं पे पेमेंट करना है मान लीजिए कि किसी मर्चेंट के पास आपको पेमेंट करना है तो आपके बैंक और मर्चेंट के बैंक के बीच में जो ट्रांजैक्शन होता है ना उस ट्रांजैक्शन को कार नेटवर्क फैसिलिटेट कराता है ये मिडल मैन के तौर पर काम करता है कि आपके और मर्चेंट के बैंक के बीच में जो फंड ट्रांसफर हो रहा है वो सिक्योर हो जाए तो यहां पे होता क्या है ना कि ये जो कार्ड नेटवर्क्स है उसके द्वारा हमारे देश के अंदर जो कार्ड इश्यूर है जो बैंक है नॉन बैंक्स है उसके साथ अरेंजमेंट करके उसके साथ एग्रीमेंट करके कार्ड इशू किया जाता है तो यहां पे देखिए क्या बोला जा रहा है ना कि जो कार्ड नेटवर्क्स और कार्ड इश्यूर के बीच में अरेंजमेंट होता है ना क्रेडिट कार्ड इशू करने के लिए तो उसको लेकर के ये पर्टिकुलर सर्कुलर है ठीक है तो सबसे पहले तो यहां पे देखिए जो भी ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क्स है और अगर यहां पे अभी हम बात करें तो हमारे देश के अंदर पांच ऑथराइज्ड कार्ड नेट वर्क्स है अमेरिकन एक्सप्रेस डायर्स क्लब इंटरनेशनल लिमिटेड मास्टर कार्ड एशिया पैसिफिक प्राइवेट लिमिटेड नेशनल पेमेंटस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया रूपे और वीजा वर्ल्ड वाइड प्राइवेट लिमिटेड तो हमारे देश के अंदर ना पांच ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क्स है तो यहां पे ये जो पांच ऑथराइज कार्ड नेटवर्क्स है ना उसके द्वारा बैंक्स और नॉन बैंक के साथ मिलकर के टाई अप करके जो क्रेडिट कार्ड होता है वोह इशू किया जाता है अब कस्टमर को जो कार्ड इशू किया जाता है उसके लिए कौन सा नेटवर्क होगा आप चाहे क्रेडिट कार्ड का बात करें या फिर डेबिट कार्ड का बात करें जो किसी के भी ऊपर आपने देखा होगा मास्टर कार्ड लिखा रहता है वीजा लिखा रहता है या फिर रूप लिखा रहता है तो कस्टमर को जो कार्ड इशू किया जाता है उसके लिए कौन सा नेटवर्क होगा ये कौन डिसाइड करता है यह कार्ड इश्यूर डिसाइड करता है जो बैंक होता है नॉन बैंक होता है उसके द्वारा यह तय किया जाता है और यह निर्भर करता है कि उस कार्ड इश्यूर का कार्ड नेटवर्क के साथ क्या अरेंजमेंट है उसके आधार पर ये तय होता है ठीक है अब यहां पे देखिए आरबीआई ने क्या नोटिस किया है आरबीआई ने नोटिस किया है कि जो कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के बीच में अरेंजमेंट हो रहा है वो अरेंजमेंट कस्टमर के लिए बेनिफिशियल नहीं है कस्टमर को यहां पे चॉइस ही नहीं दिया जा रहा है मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज करने के लिए अब देखिए यहां पे एक अ मतलब आपको पता होना जरूरी है कि कस्टमर के पास ये चॉइस होना चाहिए अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज करने के लिए ये क्यों जरूरी है तो देखिए बहुत सारा जो जो चार्ज इंपोज किया जाता है एनुअल चार्ज हो गया रेबल चार्जेस हो गया तो ये सबने निर्भर करता है नेटवर्क टू नेटवर्क तो जो ग्लोबल नेटवर्क है ना जैसे कि मास्टर कार्ड वीजा अमेरिकन एक्सप्रेस तो इन सबको थोड़ा कॉस्टली माना जाता है अगर आप हमारे अपने जो कार्ड नेटवर्क है जैसे कि रूपे कार्ड अभी तो रूपे कार्ड ही है तो इससे अगर आप कंपेयर करेंगे तो जो ग्लोबल कार्ड नेटवर्क होता है ना उसको थोड़ा सा कॉस्टली माना जाता है ठीक है तो इसीलिए यहां पे कस्टमर के पास यह विकल्प होना जरूरी है कि वो अपने पसंद का कार्ड नेट चूज कर सके अपने अ इस्तेमाल के हिसाब से अपने हिसाब से ठीक है तो यहां पे आरबीआई ने नोटिस किया कि कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के बीच में जो अरेंजमेंट हो रहा है वो कस्टमर के लिए बेनिफिशियल नहीं है कस्टमर के पास चॉइस अवेलेबल नहीं है अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज करने का और यहां पे आगे बढ़ने से पहले एक पॉइंट मैं और बताना चाहती हूं कि पिछले साल जून या जुलाई में जुलाई में आई थिंक जुलाई 2023 में पिछले साल भारत सरकार के द्वारा मतलब आरबीआई के द्वारा ड्राफ्ट गाइडलाइंस इशू किया गया था सेम टॉपिक को लेकर के जो कार्ड अ जो अरेंजमेंट होता है कार्ड नेटवर्क और कार्ड इश्यूर के बीच में उसको लेकर के लेकिन उस समय जो ड्राफ्ट सर्कुलर इशू किया गया था ना वो सिर्फ क्रेडिट कार्ड के लिए नहीं था वो डेबिट कार्ड और प्रिपेट कार्ड के लिए भी था लेकिन यहां पे अभी जो फाइनल गाइडलाइन इशू किया गया है ना वो क्रेडिट कार्ड के लिए है स्पेसिफिकली क्रेडिट कार्ड के लिए है ठीक है तो यहां पे आरबीआई ने क्या किया है आरबीआई ने पेमेंट एंड सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 का जो सेक्शन 18 और सेक्शन 10 सबसेक्शन दो है उसके तहत जो पावर है उसका इस्तेमाल करते हुए पेमेंट सिस्टम के इंटरेस्ट में और पब्लिक इंटरेस्ट में यहां पे कुछ-कुछ डायरेक्टिव जारी किया है तो उनको हम यहां पे देखने वाले हैं और तो इस सर्कुलर का सबसे इंपॉर्टेंट पॉइंट सबसे इंपॉर्टेंट स्लाइड यही वाला है ठीक है देखिए यहां पे क्या बोला जा रहा है सबसे पहले तो यहां पे बोला जा रहा है कि कार्ड इश्यूर कार्ड नेटवर्क के साथ किसी भी प्रकार का ऐसा एग्रीमेंट नहीं करेगा जिसके परिणाम स्वरूप जो कार्ड इश्यूर है वो किसी दूसरे कार्ड नेटवर्क से सर्विस अवेल नहीं कर सकता है इसको एक एग्जांपल से समझते हैं जस्ट यहां पे हम एक एग्जांपल ले रहे हैं ठीक है मान लीजिए कि hdfcfund.com नहीं होना चाहिए जिसके परिणाम स्वरूप कार्ड इश्यूर किसी दूसरे कार्ड नेटवर्क का सर्विस अवेल नहीं कर सकता है ठीक है सबसे पहला बात तो यहां पे ये बोला गया है इसके बाद देखिए यहां पे बोला गया है कि जो भी एलिजिबल कस्टमर है जब उसको कार्ड इशू किया जाएगा तो कार्ड इशू करने के समय उसको यह विकल्प दिया जाएगा कि वो मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है तो ये यहां पे बोला जा रहा है कि जो भी एलिजिबल कस्टमर है जब उसको कार्ड इशू किया जाएगा तो उस समय उसको ये विकल्प दिया जाएगा कि वो मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपने पसंद का कार्ड चूज अ नेटवर्क चूज कर सकता है ठीक है अब देखिए ये सर्कुलर तो अभी आया है तो जो एजिस्टिफाई पीरियड के लिए इशू किया जाता है जनरली 1 साल से 3 साल तक के लिए होता है उसके बाद आपको अपना क्रेडिट कार्ड रिन्यू कराना होता है अगर आप रिन्यू नहीं कराते हैं तो वो डीएक्टिवेट हो जाता है ठीक है तो यहां पे जो एस्टिंग कार्ड होल्डर है ना जब वह अपने कार्ड को रिन्यू कराएगा तो उस समय उसको यह विकल्प दिया जाएगा कि वह मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है ठीक है तो ये यहां पे दो मोस्ट इंपॉर्टेंट डायरेक्टिव है जो कि आरबीआई के द्वारा जारी किया गया है इसके बाद देखिए ये तो हमने पहले ही देख लिया कि कौन-कौन सा ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क है तो अमेरिकन एक्सप्रेस डाइनर्स क्लब मास्टर कार्ड एनपीसीआई का रूपे और वीजा ठीक है तो ये पांच ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क है जिसके साथ कार्ड इश्यूर मिलकर के जो कार्ड है वो इशू करता है ठीक है अब देखिए यहां पे क्या बोला जा रहा है कि जो हमने दो रिक्वायरमेंट के बारे में बात किया था सबसे पहला क्या था कि कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के बीच में ऐसा एग्रीमेंट नहीं होना चाहिए जिसके परिणाम स्वरूप कार्ड इश्यूर किसी दूसरे कार्ड नेटवर्क का सर्विस अवेल नहीं कर सकता है और एक और था कि जो कस्टमर होगा जब उसको कार्ड इशू किया जाएगा उस समय उसको यह विकल्प दिया जाएगा कि वो अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है और जो एजिस्टिफाई दिया जाएगा कि व अपने अ पसंद का कार्ड नेटवर्क यूज कर सकता है जब वह अपने कार्ड को रिन्यू कराएगा तो ठीक है तो यहां पे जो हमने रिक्वायरमेंट के बारे में बात किया था ना उसको लेकर के यहां पे कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क को बोला गया है कि कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के बीच में जो एजिस्टिफाई इसमें कोई ऐसा क्लॉज तो नहीं है जिसके परिणाम नाम स्वरूप जो कार्ड इश्यूर है वो डिस्ट्रिक्ट हो रहा है किसी दूसरे कार्ड नेटवर्क से सर्विस अवेल करने में तो इन सब चीजों को इंश्योर करना होगा और कार्ड इशू और कार्ड नेटवर्क के बीच में अगर कोई फ्रेश एग्रीमेंट होता है तो उसमें यह ध्यान रखना होगा कि जो कस्टमर है उसको मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज करने का जो ऑप्शन है व दिया जाने वाला एक क्लॉज एग्रीमेंट में शामिल हो तो यह सब यहां पे कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क को इंश्योर करने के लिए बोला गया है ठीक है इसके उसके बाद देखिए यहां पे क्या बोला गया है कि पैराग्राफ 3 बी के अंदर जो डायरेक्शन है पैराग्राफ 3 बी के अंदर कौन से डायरेक्शन के बारे में बात हो रहा है तो जो हमने देखा था कार्ड इश्यूर को विकल्प देने के बारे में कि मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से वो अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है और जो एजिस्टिफाई उसको ये विकल्प दिया जाएगा कि वो मल्टीपल कार्ड नेटवर्क में से अपनी पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है तो यहां पे क्या बोला जा रहा है कि पैराग्राफ 3 बी के अंदर जो डायरेक्शन है ना ये डायरेक्शन वैसे क्रेडिट कार्ड इश्यूर के ऊपर एप्लीकेबल नहीं होगा जिसने अभी तक जो एक्टिव क्रेडिट कार्ड इशू किया है उसका संख्या 10 लाख या 10 लाख से कम है तो अगर कोई क्रेडिट कार्ड इश्यूर है जिसने अभी तक जो एक्टिव क्रेडिट कार्ड इशू किया है उसका संख्या 10 लाख या फिर 10 लाख से कम है तो इस केस में पैराग्राफ 3 बी के अंदर जो डायरेक्शन है जो पैराग्राफ 3 बी के अंदर कस्टमर को कार्ड होल्डर को ऑप्शन देने के बारे में बोला जा रहा है अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज करने के लिए तो वो एप्लीकेबल नहीं होगा ठीक है इसके बाद देखिए यहां पे क्या बोला जा रहा है कि अगर कोई कार्ड इश्यूर है जिसके द्वारा जो क्रेडिट कार्ड इशू किया जा रहा है ना उसके लिए वो अपना खुद का ऑथराइज्ड कार्ड नेटवर्क इस्तेमाल कर रहा है तो वैसे कार्ड इश्यूर के ऊपर भी ये जो सर्कुलर है वो एप्लीकेबल नहीं होगा जैसे कि अगर हम एक एग्जांपल ले तो जो अमेरिकन एक्सप्रेस है अमेरिकन एक्सप्रेस के द्वारा जो क्रेडिट कार्ड इशू किया जाता है अब जाहिर सा बात है कि अमेरिकन एक्सप्रेस का अपना खुद का कार्ड नेटवर्क है तो वो जो कार्ड इशू करेगा उसके लिए वो अपना ही कार्ड नेटवर्क इस्तेमाल करेगा तो ऐसे केस में ना जो ये सर्कुलर है ये एप्लीकेबल नहीं होगा ठीक है इन सबके अलावा यहां पे फिर से बोला जा रहा है कि पैराग्राफ थ बी के अंदर जो डायरेक्शन है जिसके बारे में हमने बात किया था कस्टमर को ऑप्शन देने के बारे में कार्ड होल्डर को ऑप्शन देने के बारे में तो यहां पे पैराग्राफ थ बी के अंदर जो डायरेक्शन है ना वो कब से एप्लीकेबल होगा तो इस सर्कुलर के डेट के छ महीने के बाद ये जो डायरेक्शन है वो एप्लीकेबल हो जाएगा वो इफेक्टिव हो जाएगा यानी कि मार्च में ये सर्कुलर जो है वो आया है तो अप्रैल में जून जुलाई अगस्त सितंबर तो सितंबर में ये जो डायरेक्शन है ना वो एप्लीकेबल हो जाएगा ठीक है जो कार्ड होल्डर को कस्टमर को विकल्प देने का बात किया गया था उसके बारे में हो रहा है ठीक है तो यही सब इस सर्कुलर के अंदर बताया गया है आई होप आपको सभी पॉइंट अच्छे से समझ में आ गया होगा दो-तीन पॉइंट है जो सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है सबसे पहला तो कार्ड इश्यूर और कार्ड नेटवर्क के बीच में ऐसा एग्रीमेंट नहीं होना चाहिए जिस एग्रीमेंट के परिणाम स्वरूप जो कार्ड इशर है वो डिस्ट्रिक्ट हो जाता है किसी दूसरे कार्ड नेटवर्क से सर्विस अवेल करने के लिए इसके अलावा कार्ड इश्यूर को कार्ड इश्यूर जो एलिजिबल कस्टमर होगा उसको यह विकल्प देगा जब उसको कार्ड इशू किया जाएगा कि वह अपने पसंद का कार्ड नेटवर्क चूज कर सकता है और एजिस्टिफाई कर सकता है आई होप आपको समझ में आ गया होगा यह वाला सर्कुलर चलिए आगे बढ़ते हैं और दूसरे सर्कुलर को देखते हैं देखिए यहां पे हमारे पास जो सर्कुलर है यह सर्कुलर 7 मार्च 2024 का है क्रेडिट कार्ड एंड डेबिट कार्ड इशू एंड कंडक्ट डायरेक्शन 2022 के ऊपर जो मास्टर डायरेक्शन है उसके कुछ प्रोविजन को अमेंड किया गया है तो उसके बारे में हम बात करने वाले हैं ठीक है अब देखिए यहां पे बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 35a और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के चैप्टर 3 बी के तहत जो पावर है उसका इस्तेमाल करते हुए आरबीआई ने यहां पे ये जो मास्टर डायरेक्शन है क्रेडिट कार्ड एंड डेबिट कार्ड इशू एंस एंड कंडक्ट डायरेक्शन 2022 इसके सर्टेन प्रोविजंस को यहां पे अमेंड किया गया है ठीक है तो एक-एक अमेंडेड प्रोविजन को हम देखेंगे देखिए जो भी अमेंडेड प्रोविजन है वो 7 मार्च 2024 से प्रभावी हो जाएगा यानी कि जिस डेट को इस सर्कुलर को इशू किया गया है उसी देर से जो अमेंडेड प्रोविजन है वह लागू हो जाएगा इसके अलावा यहां पे जो भी अ प्रोविजन है उसके हिसाब से मास्टर डायरेक्शन को लाने के लिए जो अमेंडेड प्रोविजन है उसके हिसाब से मास्टर डायरेक्शन को लाने के लिए इसको अपडेट किया है और देखिए क्योंकि ये जो सर्कुलर है ना ये क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड दोनों के लिए है तो यहां पे क्रेडिट कार्ड से जुड़ा हुआ जो इंस्ट्रक्शंस है वो जितना भी क्रेडिट कार्ड इशूंग बैंक है और एनबीएफसी है उसके ऊपर लागू होगा और डेबिट कार्ड से जुड़ा हुआ जो इंस्ट्रक्शंस है ना वो सभी बैंकों के ऊपर भारत के अंदर जो भी बैंक काम कर रहा है उसके ऊपर लागू होगा ठीक है तो अब यहां पे हम एक-एक करके जो अमेंडेड प्रोविजन है उसको देखने वाले हैं साथ ही में हम इसको थोड़ा सा कंपेयर करेंगे एजिस्टिफाई चेंज किया गया है वो हम देखेंगे ठीक है तो देखिए अमेंडेड प्रोविजन के हिसाब से ना अगर कोई कार्ड होल्डर है जिसने कि अपने क्रेडिट कार्ड को क्लोज करने के लिए कार्ड इश्यूर को रिक्वेस्ट किया है ठीक है कोई व्यक्ति है वो अपना क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल नहीं करना चाहता है अब तो उसने कार्ड इश्वर को रिक्वेस्ट किया कि उसका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है उसको वो क्लोज कर दे और उसके रिक्वेस्ट करने के विद इन सेवन वर्किंग डेज ध्यान दीजिएगा कि यहां पे हम बात कर रहे हैं विद इन सेवन वर्किंग डेज जब हम वर्किंग डेज बोलते हैं इसका मतलब क्या होता है मंडे टू फ्राइडे ठीक है तो यहां पे अगर विद इन सेवन वर्किंग डेज जो कार्ड इश्यूर है वो कार्ड होल्डर के क्रेडिट कार्ड अकाउंट को क्लोज नहीं कर पाता है तो इस केस में जो कार्ड इश्यूर है ना उसको ₹5000000 करने के लिए रिक्वेस्ट किया और उसके रिक्वेस्ट के आधार पे ना उसका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है लेट्स से कि वह 10 जनवरी को क्लोज हो जाना चाहिए लेकिन उसका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है ना वो 15 जनवरी को क्लोज होता है तो यहां पे 5 दिन का डिले हो रहा है तो इन पांच दिनों के अंदर हॉलीडे आता है कोई फेस्टिवल आता आता है डजन मैटर इन पांचों दिनों के लिए यानी कि ₹5000000 हो गया ठीक है 2500 हो गया तो यहां पे ₹2500000 होल्डर को पेनल्टी के तौर पे पे करना पड़ेगा तो यह यहां पे बोला जा रहा है जब तक कि उसका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है वो क्लोज नहीं हो जाता है हालांकि यहां पे एक अ रिस्ट्रिक्शन कह ले या यहां पे एक चीज ये है कि अगर कार्ड अ होल्डर जो रहेगा उसके क्रेडिट कार्ड अकाउंट पे अगर किसी प्रकार का आउटस्टैंडिंग रहता है तो इस केस में फ्रय प्रोविजन लागू नहीं होगा ठीक है प्रोवाइडेड कि उसके क्रेडिट कार्ड अकाउंट के ऊपर किसी भी प्रकार का आउटस्टैंडिंग नहीं रहना चाहिए ठीक है समझ में आ गया अब देखिए यहां पे अगर आप एजिस्टिफाई डिले पेबल टू द कार्ड होल्डर यहां पे पर डे का मतलब वर्किंग डे का बात हो रहा है या फिर कैलेंडर डे का बात हो रहा है ये तो क्लियर ही नहीं था तो इसीलिए यहां पे आरबीआई ने अमेंडेड प्रोविजन में क्या किया है अमेंडेड प्रोविजन में आरबीआई ने यहां पे क्लियर कर दिया है पर कैलेंडर डे तो यहां पे जो पेनल्टी कार्ड होल्डर को दिया जाएगा पेनल्टी के तौर पे कार्ड होल्डर को जो कंपनसेटर जाएगा ना तो वो कैसे कैलकुलेट होगा ₹5000000 अंदर आपको पता होगा कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज काम करता है सीआईसी काम करता है सीआईसी क्या करता है ये अलग-अलग बैंक से अलग-अलग एनबीएफसी से हमारा आपका जो क्रेडिट इंफॉर्मेशन रहता है उसको ये कलेक्ट करता है जैसे कि आपका लोन से जुड़ा हुआ इंफॉर्मेशन क्रेडिट कार्ड से जुड़ा हुआ इंफॉर्मेशन और इन सबको कंपाइल करके हमारे और आपके लिए क्रेडिट रिपोर्ट तैयार करता है जिसको कि वाइडल सिविल स्कोर बोला जाता है और इसी के आधार पे आपको बैंक से लोन मिलता है यह जितना अच्छा रहता है आपको उतनी आसानी से बैंक से लोन मिल जाता है तो यहां पे क्या बो बो जा रहा है ना कि जो कार्ड इश्यूर है कार्ड इश्यूर तब तक किसी क्रेडिट कार्ड अकाउंट को एज अ पास्ट ड्यू अकाउंट के तौर पे सीआईसी यानी कि क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज के पास रिपोर्ट नहीं करेगा या फिर तब तक किसी क्रेडिट कार्ड अकाउंट के ऊपर किसी प्रकार का लेट पेमेंट चार्जेस इंपोज नहीं किया जाएगा जब तक कि उस क्रेडिट कार्ड अकाउंट जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है वह ती दिनों से ज्यादा तक पास्ट ड्यू रहता है जैसे कि मान लीजिए कि कोई क्रेडिट कार्ड है ठीक है और उस उसका जो पेमेंट ड्यू डेट है जिस दिन तक आपको पेमेंट करना है अपने क्रेडिट कार्ड का बिल पे करना है मान लीजिए कि वो 1 जनवरी है ठीक है अब आपने पेमेंट नहीं किया तो 2 जनवरी को आपका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है वो पास ड्यू हो गया तो यहां पे कार्ड इश्यूर आपके क्रेडिट कार्ड अकाउंट को 2 तारीख को एज पास्ट ड्यू अकाउंट के तौर पे क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज को रिपोर्ट नहीं कर सकता है यहां पे जो कार्ड इश है ना वो 4 जनवरी के बाद ही आपका जो क्रेडिट कार्ड अकाउंट है उसको एज पास्ट ड्यू अकाउंट के तौर पे क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज को रिपोर्ट कर सकता है तो यही यहां पे बोला जा रहा है कि जब तक क्रेडिट कार्ड अकाउंट ती दिनों से ज्यादा तक पास ड्यू नहीं रहता है उसको एज अ पास ड्यू अकाउंट के तौर पे रिपोर्ट नहीं किया जाएगा क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज के पास या फिर उसके ऊपर किसी भी प्रकार का जो लेट पेमेंट चार्जेस होता है वो इंपोज नहीं किया जाएगा अब देखिए यहां पे जो नंबर ऑफ डेज पास ड्यू है या जो लेट पेमेंट चार्जेस है वो किस तरीके से कैलकुलेट होगा तो जो भी क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट होगा जो क्रेडिट कार्ड बिल होगा उसमें जोब पेमेंट ड्यू डेट मेंशन होगा तो उस डेट से जो नंबर ऑफ डेज पास ड्यू है जो लेट पेमेंट चार्जेस है उसको कैलकुलेट किया जाएगा ठीक है इसके अलावा देखिए जो भी लेट पेमेंट चार्जेस है जो रिलेटेड चार्जेस है वो सिर्फ और सिर्फ आउटस्टैंडिंग अमाउंट ड्यू डेट के बाद जो आउटस्टैंडिंग अमाउंट रहेगा उसके ऊपर इंपोज किया जाएगा ना कि टोटल अमाउंट ड्यू के ऊपर इंपोज किया जाएगा जैसे कि मान लीजिए आपका क्रेडिट कार्ड का बिल है ₹5000000 पे कर दिया ₹1 आपने पे नहीं किया तो सिर्फ जो ₹1 है ना उसके ऊपर लेट पेमेंट चार्जेस इंपोज किया जाएगा ना कि पूरा ₹5000000 के ऊपर किया जाएगा ठीक है अब देखिए जो एजिस्टिफाई इंटरेस्ट क्या होता है पीनल इंटरेस्ट बेसिकली क्या होता है मान लीजिए कि आपने अपने क्रेडिट कार्ड का जो बिल है वो नहीं पे किया और आपका जो क्रेडिट कार्ड पेमेंट है वो ओवरड्यू हो गया तो यहां पे जो आउटस्टैंडिंग बैलेंस रहता है उसके ऊपर ना जो एक्स्ट्रा इंटरेस्ट रे चार्ज किया जाता है वो क्या कहलाता है पीनल इंटरेस्ट कहलाता है तो एक्जिस्टिंग प्रोविजन में ना यहां पे पीनल इंटरेस्ट के बारे में भी बोला गया था पीनल इंटरेस्ट भी शामिल था जो लास्ट वाला सेंटेंस है उसमें लेकिन अभी अमेंडेड प्रोविजन में जो लास्ट वाला सेंटेंस है उसमें से पीनल इंटरेस्ट को हटा दिया गया है यहां पे सिर्फ लेट पेमेंट चार्जेस और अदर रिलेटेड चार्जेस के बारे में बोला गया है ठीक है समझ में आ गया चलिए आगे बढ़ते हैं दूसरे अमेंडेड प्रोविजन को देखते हैं देखिए यहां पे जो अमेंडेड प्रोविजन है ना आपको पता होगा कि आपके क्रेडिट कार्ड का जो बिल आता है वो कैसे आता है आपके बिलिंग साइकिल के आधार पे आता है बिलिंग साइकिल क्या होता है बिलिंग साइकिल एक ऐसा पीरियड होता है जिस पीरियड के लिए आपके क्रेडिट कार्ड का बिल जनरेट होता है तो उस पीरियड के दौरान आपने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके जो भी ट्रांजैक्शंस किया है वो सभी ट्रांजैक्शन आपका जो नेक्स्ट बिल आएगा उसमें दिखेगा जैसे कि मान लीजिए आपका जो क्रेडिट कार्ड का बिल है ना वो हर महीने के 4 तारीख को आता है तो आपका जो बिलिंग साइकिल है ना वो पिछले महीने के 5 तारीख से स्टार्ट होता है और करंट मंथ के 4 तारीख तक रहता है तो यहां पे इस पीरियड के दौरान आपने अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके जो भी कहीं पे पेमेंट किया है कैश विथड्रावल रहा है तो ये सब आपका जो नेक्स्ट क्रेडिट कार्ड बिल आएगा उसमें दिखेगा ठीक है तो बिलिंग साइकिल क्या होता है बेसिकली ये एक ऐसा पीरियड होता है जिस पीरियड के लिए आपका जो क्रेडिट कार्ड का बिल है वो जनरेट होता है अब देखिए होता क्या है ना कि कार्ड इश्यूर ना स्टैंडर्ड बिलिंग साइकिल को फॉलो नहीं करता है इसके द्वारा जो भी क्रेडिट कार्ड इशू किया जाता है इसके लिए अब जरूरी नहीं है ना किसी का अ किसी व्यक्ति को क्रेडिट कार्ड इशू किया गया है तो उसका क्रेडिट कार्ड का जो बिलिंग साइकल है मान लीजिए कि वो 1 तारीख से 30 तारीख तक है किसी का प्रीवियस मंथ के 5 तारीख से लेकर के करंट मंथ के 4 तारीख तक का है तो कार्ड इशू आ ना किसी प्रकार का स्टैंडर्ड बिलिंग साइकिल को फॉलो नहीं करता है इसके द्वारा जो क्रेडिट कार्ड इशू किया जाता है उसके लिए तो यहां पे क्या बोला जा रहा है है यहां पे बोला जा रहा है कि कार्ड इश्यूर जो कार्ड होल्डर है उसको कम से कम एक बार यह ऑप्शन देगा कि वो अपने बिलिंग साइकिल को मॉडिफाई कर सकता है उसको वो चेंज कर सकता है अपने कन्वीनियंस के हिसाब से मान लीजिए कि कोई कार्ड होल्डर है जिसका जो क्रेडिट कार्ड का बिलिंग साइकिल है ना वो 1 तारीख से 30 तारीख तक है तो यहां पे वो अपने कन्वीनियंस के हिसाब से इस बिलिंग साइकिल को चेंज कर सकता है ठीक है तो कम से कम उसको एक बार कार्ड होल्ड कार्ड इशर के तरफ से ये विकल्प दिया जाएगा कि वो अपने बिलिंग साइकिल को मॉडिफाई कर सकता है और यहां पे देखिए आप वडिंग को अगर ध्यान से देखेंगे अगर हम इसको इंटरप्रिटेड करें एटलीस्ट वंस इसका मतलब क्या होता है कि कम से कम उसको एक बार तो यह ऑप्शन दिया ही जाएगा कार्ट होल्डर को अपने बिलिंग साइकिल को मॉडिफाई करने के लिए एक बार से ज्यादा भी ऑप्शन दिया जा सकता है एक बार से ज्यादा भी उसको विकल्प दिया जा सकता है अपने बिलिंग साइकिल को मॉडिफाई करने के लिए ठीक है अगर हम इसको मॉडिफाई करते हैं सॉरी अगर हम इसको इंटरप्रेट करते हैं तो इसका यही मतलब निकलता है अगर आप एजिस्टिफाई है ना तो एजिस्टिफाई किल को मॉडिफाई कर सकता है और अमेंडेड प्रोविजन में ना इसी वडिंग को चेंज कर दिया गया है यहां पे एटलीस्ट वंस लिखा हुआ है मतलब कि एक बार तो देना ही होगा एक बार से ज्यादा भी उसको यह विकल्प दिया जा सकता है ठीक है कार्ड होल्डर को विकल्प दिया जा सकता है कि वो अपने बिलिंग साइकिल को मॉडिफाई कर सकता है समझ में आ गया आगे बढ़ते हैं दूसरे प्रोविजन को देखते हैं देखिए यहां पे क्या बोला जा रहा है ना कि अगर कार्ड इश्यूर का गलती होगा और कार्ड इश्यूर टाइमली मैनर में कार्ड होल्डर का जो कंप्लेनेंट रहेगा उसका कंप्लेंट वो सॉल्व नहीं कर पाता है तो इस केस में कंप्लेनेंट का समय का जो भी नुकसान हुआ होगा जो भी उसका पैसा खर्च हुआ होगा जो भी उसको हरासमेंट हुआ होगा इन सबके लिए कार्ड इश्यूर जिम्मेदार रहेगा कार्ड इश्यूर को कंप्लेनेंट को यहां पे कंपनसेटर होगा अगर कोई कंप्लेनेंट है उसने कंप्लेन लॉच किया और कंप्लेंट लॉन्च करने के मैक्सिमम 30 दिन के अंदर उसको किसी प्रकार का सेटिस्फेक्ट्री रिस्पांस नहीं मिलता है तो इस केस में उसके पास ये विकल्प रहेगा कि वो आरबीआई ओंबड्समैन को अप्रोच कर सकता है ठीक है अब देखिए यहां पे अगर आप एजिस्टिफाई कंप्लेनेंट है उसने कंप्लेन लॉच किया और कंप्लेन लॉच करने के मैक्सिमम पीरियड ऑफ वन मंथ तक उसको अगर सेटिस्फेक्ट्री रिस्पांस नहीं मिलता है तो वो आरबीआई ओंबड्समैन को अप्रोच कर सकता है तो यहां पे मैक्सिमम पीरियड ऑफ वन मंथ को और भी अच्छे से क्लेरिफाई किया गया है यहां पे मैक्सिमम पीरियड ऑफ 30 डेज लिख दिया गया है तो अगर कोई कंप्लेनेंट है वो कंप्लेन लॉच करता है उसके मैक्सिमम पीरियड ऑफ 30 डेज मैक्सिमम 30 दिनों तक अंदर 30 दिनों के अंदर अगर उसको किसी भी प्रकार का सेटिस्फेक्ट्री रिस्पांस नहीं मिलता है तो वह आरबीआई ओंबड्समैन को अप्रोच कर सकता है ठीक है समझ में आ गया इसके बाद देखिए यहां पे अमेंडेड प्रोविजन के हिसाब से कोई भी कार्ड इश्यूर बिना कस्टमर के रिक्वेस्ट के कस्टमर को कार्ड इशू नहीं कर सकता है अगर एजिस्टिफाई बार होता है ना कि हम अपने कार्ड को ब्लॉक कर करवा देते हैं तो यहां पे अगर कार्ड होल्डर के रिक्वेस्ट पे कार्ड को ब्लॉक किया गया है और उसके बदले में जो रिप्लेस कार्ड इशू किया जाएगा तो यहां पे वह सिर्फ और सिर्फ कार्ड होल्डर के मर्जी के साथ ही रि अ उसको भेजा जा सकता है ठीक है अब देखिए अगर हम एजिस्टिफाई भी कार्ड इशू और बिना कस्टमर के रिक्वेस्ट के उसको कार्ड इशू नहीं कर सकता है लेकिन यहां पे एक और सेंटेंस ऐडेड है एक्सेप्ट इन द केस वेयर द कार्ड इज रिप्लेसमेंट रिनल ऑफ अ कार्ड ऑलरेडी हेल्ड बाय द कस्टमर तो अगर रिन्यूड कार्ड भेजा जा रहा है या फिर ब्लॉक्ड अ कार्ड के जगह पे रिप्लेस कार्ड भेजा जा रहा है तो इस केस में यहां पे लिखा हुआ है ना कि कस्टमर की मर्जी के बिना भी उसको कार्ड भेजा जा सकता है तो इस चीज को यहां पे आरबीआई ने क्लेरिफाई कर दिया है कि ऐसा नहीं है रिन्यूड कार्ड भी भेजने से पहले कार्ड होल्डर को विकल्प दिया जाएगा उसको एक्सेप्ट नहीं करने का और ब्लॉक्ड कार्ड के जगह पे अगर रिप्लेस कार्ड भेजा जा रहा है तो वो सिर्फ और सिर्फ कार्ड होल्डर के सहमति के साथ ही भेजा जा सकता है ठीक है समझ में आ गया इसके बाद देखिए यहां पे क्या बोला जा रहा है आपको पता होगा कि बैंक अक्सर ब्रांड के साथ कंपनीज के साथ मिलकर के कार्ड इशू करता है तो यहां पे बोला जा रहा है जो को ब्रांडिंग पार्टनर होगा जिसके साथ मिलकर के कार्ड इशू किया जाता है तो जो को ब्रांडेड कार्ड होल्डर होगा उसके द्वारा को ब्रांडेड कार्ड का इस्तेमाल करके जो भी वह ट्रांजैक्शन करता है उन ट्रांजैक्शंस तक को ब्रांडिंग पार्टनर का एक्सेस नहीं होगा वो उन ट्रांजैक्शंस को नहीं देख सकता है यहां पे जो को ब्रांडिंग पार्टनर होगा वो सिर्फ और सिर्फ इनिशियल पॉइंट ऑफ कांटेक्ट के तौर पे काम करेगा अगर कोई को ब्रांडेड कार्ड होल्डर है तो उसको अगर किसी भी प्रकार का समस्या आता है शिकायत आता है क्वेश्चन आता है तो वह सबसे पहले किसके पास जाएगा वो को ब्रांडिंग पार्टनर के पास जाएगा ठीक है समझ में आ गया हालांकि यहां पे कार्ड होल्डर के कन्वीनियंस के लिए जो कार्ड ट्रांजैक्शन रिलेटेड डाटा होगा जो अ ट्रांजैक्शन हिस्ट्री होगा जो डिटेल्स होगा ना वो कार्ड इश्यूर के सिस्टम से इनक्रिप्टेड फॉर्म में जो को ब्रांडिंग पार्टनर का प्लेटफॉर्म होगा उसमें डिस्प्ले किया जाएगा तो जो भी कार्ड होल्डर होगा वो को ब्रांडिंग पार्टनर के प्लेटफॉर्म पर जाकर के अपना जो कार्ड ट्रांजैक्शन रिलेटेड डाटा है उसको देख सकता है और यहां पे ध्यान दीजिएगा कि यह जो इंफॉर्मेशन रहेगा वो सिर्फ और सिर्फ कार्ड होल्डर के लिए विजिबल रहेगा जो अ को ब्रांडिंग पार्टनर प्लेटफॉर्म है वो ना ही तो इन इंफॉर्मेशन को देख सकता है ना ही तो वह इन इंफॉर्मेशन को स्टोर कर सकता है तो यह भी यहां पे आरबीआई के द्वारा क्लेरिफाई कर दिया गया है अब देखिए यहां पे बोला जा रहा है ना कि कोई भी बैंक्स यहां पे सभी बैंक के बारे में बात हो रहा है इंक्लूडिंग पेमेंट्स बैंक स्टेट कोऑपरेटिव बैंक्स डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक और एनबीएफसी जो कि आरबीआई के पास रजिस्टर्ड है यहां पे इन्वेस्टमेंट एंड क्रेडिट कंपनी हो गया एनबीएफसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी हो गया फैक्टर उसके बाद माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन हो गया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी हो गया तो बैंक्स और एनबीएफसी अगर किसी कार्ड इश्यूर का को ब्रांडिंग पार्टनर बनना चाहता है तो इस केस में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का प्रायर अप्रूवल नहीं चाहिए होगा उसको ठीक है तो यह सब कुछ इंपॉर्टेंट अमेंडेड प्रोविजन थे जिसको हमने डिस्कस किया है और अगर आप चाहे ना तो इसको एक बार ना पढ़ सकते हैं पीडीएफ से एक बार बस इसको आप रीड कर लीजिएगा तो आपको और भी अच्छे से समझ में आ जाएगा ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं और दूसरे सर्कुलर को देखते हैं