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रश्मी की संघर्ष भरी कहानी

सारा गाउ जानता था कि रजमी एक गरीब लेकिन इमानदार लड़की है उसकी आखों में हमेशा एक चमक रहती थी लेकिन उसकी जिन्दिगी का बास्तविकता कुछ और ही थी वो अपने माता पीता के साथ एक छोटे से घर में रहती थी और दिन राथ मेहनत कर रही है प्रभी उनके पास कभी भी प्रयाप्त धन नहीं होता। जब रस्मी की साधी हुई तो वो अपने सबनों की दुनिया में खो गई। उसका पती नरेज एक अच्छा इंसान था। लेकिन उसका परिबार यादा आमिर नहीं था। सकुंतला एक सक्त और परंपराबादी महिला थी वो हमेशा अपनी आधोरसो और परिबार की प्रतिष्ठा की बात करती थी। ते रस्मी की स्थिती और भी कटिन हो गई। सकुंतला ने अपने पुराने अदर्सों के चलते रस्मी को कभी भी पूरी तरह सिकार नहीं किया। परिबार की आर्थिक स्थिती भी ठीक नहीं थी। जिससे तनाब और बाड़ गया। रस्मी ने हार बार सास के अदर्सों का पालन किया। लेकिन उसके मन में हार दिन नहीं दुखों का सामना करना पड़ा। नरस ने उसे अस्पतार ले जाने की कसिस की। लेकिन उनके पास पैसो की कमी थी। अस्पताल जाने की कई मदद नहीं की और कह दिया की वो साब रश्मी की किसमत का खिल है रश्मी ने कठिनायों को जहलते हुई एक बेटे का जानम दिया लेकिन उसकी स्थिती और भी खराब हो गई उसके सेहत दिन बे दिन गिरती गई और परिबार समस्साई बाड़ती गई अंत में रश्मी की सेहत और स्थिती इतनी खराब हो गई की उसे एक गंभिर बिमारियों का समना करना पड़ा ऐसे करते करती अंत में रश्मी की मौत हो गई और उसका सपना एक अधर्सो परिबार की तरह जीवन जीने का अधुराई बहुत बहुत बहुत