हेलो एंड जय हिंद स्टूडेंट वेलकम बैक टू र न चैनल स तरुण रूपानी एक्सक्लूसिव चैनल फॉर आईसीएससी बोर्ड स्टूडेंट्स हां आप है मेरे सुपरस्टार्स और आपके लिए ही करंट सिलेबस के अकॉर्डिंग हम बना रहे हैं हिस्ट्री का यह चैप्टर द फर्स्ट फेज ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट अर्ली नेशनलिस्ट भी कह सकते हैं इसको और आपने कहा और हमने बनाया ध्यान रखिएगा ये सब कंटेंट एब्सलूट फ्री है यह सब लेसन वीडियोस फ्री हैं और स्क्रीन पे हर एक नोट्स जो ये आप देख रहे हैं वो सब कुछ एब्सलूट फ्री है हमारे ऐप पर जाइए सर तरुण रूपानी और वहां पर आप खोश है हां वहां पर सर्च करिए फ्री मटेरियल आपको मिल जाएंगे हमारे सारे नोट्स वो भी एक नहीं आपके सारे मेजर सब्जेक्ट्स पे तो चलिए ये सब पेड कंटेंट्स हैं और सिर्फ और सिर्फ मेरे सुपरस्टार्स के लिए बनाए गए हैं तो स्टार्ट करते हैं फर्स्ट फेज ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट तो हमारे भारत की आजादी की लड़ाई कांग्रेस के बन जाने के बाद और तेज हो गई और विकराल रूप ले लिया 1885 इंडियन नेशनल कांग्रेस फॉर्म हो चुकी है और अब उसके बाद इंडियन नेशनल फ्रीडम मूवमेंट को तीन फेज में डिवाइड किया जा सकता है पहला फेज है द अर्ली नेशनलिस्ट फेज जिस परे हम ये चैप्टर कर रहे हैं 1885 से लेकर 1907 सर 1907 क्यों क्योंकि 1907 में जो फर्स्ट पार्ट है फर्स्ट फेज है कांग्रेस का मॉडरेट्स का फेज है वो वहां पर एंड हो जाएगा और एक नया फेज शुरू हो जाएगा असर्टिव अर्थात वो कांग्रेस के लोग जो अपनी बात मास मूवमेंट के थ्रू और मैसिव स्केल पे काम करना चाहते थे तो अगला मूवमेंट अगला फेज असर्टिव नेशनल मूवमेंट ठीक है या असर्टिव नेशनलिस्ट फेज 1907 से लेके 1916 तक 1916 तक क्यों सर क्योंकि 1916 में दोनों ही असर्टिव और मॉडरेट्स जिनको हम अर्ली नेशनलिस्ट कहते हैं दोनों मिल जाएंगे फिर आता है गांधी की आंधी हम इसे कहते हैं गांधियन एरा गांधी जी 1915 में इंडियन पॉलिटिक्स में एंटर कर जाएंगे और वहां से लेकर आजादी होने तक गांधी जी की ही पूरे देश में आंधी चलेगी क्योंकि गांधी जी ही सारे नेशनल मूवमेंट के सबसे बड़े लीडर होंगे तो स्टार्ट करते हैं फर्स्ट फेज ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट का स्टार्टिंग जब हम अर्ली नेशनलिस्ट की बात करते हैं तो यह वो कांग्रेस के लीडर्स हैं जो कांग्रेस के मेंबर होने के साथ-साथ यह भी ध्यान रखते थे कि वो अंग्रेजों के प्रति वफादार थे दे वर लॉयल टू ब्रिटिश दे हैड द फेथ दैट द ब्रिटिश हैव गुड सेंस ऑफ जस्टिस दे बिलीव्ड दैट ब्रिटिश विल प्ले फेयर विद देम तो यह गलत सोच थी वो उनको बाद में पता चलेगी हां यह गलतफहमी थी हमारे अर्ली नेशनलिस्ट की मॉडरेट फेट्स के लीडर्स की तो ये जो कांग्रेस के स्टार्टिंग के लीडर हैं जिन्होंने कांग्रेस को फॉर्म करने में मदद किया वही ये लीडर्स हुआ करते थे ये सच्चे देशप्रेमी तो थे पर इन्हें अंग्रेजों पर पूरा भरोसा था ये अंग्रेजों के वफादार भी थे ये ब्रिटिश रूल को कंटिन्यू रखने में बिलीव करते थे चाहते थे अंग्रेजों से सिर्फ क्या मिल जाए स्वराज्य मिल जाए तो अर्ली नेशनलिस्ट एजुकेटेड हुआ करते थे पढ़े लिखे हुआ करते थे ज्यादातर प्रोफेशनल्स जैसे लॉयर बैरिस्टर्स टीचर्स ऑफिशियल आइए कुछ अर्ली नेशनलिस्ट को आपको दिखा भी देते हैं आप देख पाएंगे दादा भाई नेहरू जी जो स्वयं प्रोफेसर रहे हैं सुरेंद्र नाथ बनर्जी फर्स्ट इंडियन टू पास आईसीएस एग्जाम गोपाल कृष्ण गोखले स्वयं बहुत बड़े एजुकेशनिस्ट रहे हैं कई सारे पेपर्स कई सारे बुक्स के राइटर हैं तो सारे एजुकेटेड लोग पढ़े लिखे लोग शुरुआत के कांग्रेस के लीडर्स रहे हैं आइए कौन-कौन लीडर्स रहे हैं उनमें से डब्ल्यूबीसी डब्ल्यू स बैनर्जी उमेश चंद बैनर्जी ये फाउंडर मेंबरों में से एक है कांग्रेस के इन्होंने ही फर्स्ट कांग्रेस की पहली जब मीटिंग हुई 1885 में उसके ये प्रेसिडेंट थे राज बिहारी घोष जी सुरेंद्र नाथ बनर्जी आर सी दत्ता तो ज्यादातर लीडर्स आप देखेंगे ये सब ऐसे लीडर्स थे जो बहुत हाईली क्वालिफाइड हुआ करते थे हां ऐसा नहीं है कि कोई भी आलू चालू आदमी कांग्रेस का लीडर बनना है ना ना बड़े एजुकेटेड क्वालिफाइड लोग अब उनमें से दादा भाई नेहरू जी स्वयं ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया कृष् गोपाल कृष्ण गोखले फिरोज शाह मेहता जस्टिस राना डेजी हां एम जी राने आप देख पा रहे हैं महादेव गोविंद रानाडे तो एक से एक बड़े लीडर्स थे हमारे पास और ये सारे अर्ली नेशनलिस्ट ओपन माइंडेड थे मॉडरेट पॉलिटिक्स में बिलीव करते थे और ब्रिटिश क्राउन के प्रति लॉयल थे कोई एक ऐसा नेशनलिस्ट जिसे हम इन सब में से कह सकते हैं फादर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म जिसने भारत में दश प्रेम जगाया कौन है कौन है बताइए आप बताइए ऐसा कौन सा नेशनलिस्ट है जिसे फादर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म भारत में देश प्रेम जगाने वाला वो लीडर कौन है चलिए क्या कहा मा है तो टाइप करिए कमेंट बॉक्स पर मैं आपका वेट कर रहा हूं और नहीं मालूम है तो वेट करिए आपको डिटेल में बताऊंगा उनके बारे में भी उनके कंट्रीब्यूशन के बारे में बताऊंगा और बताऊंगा वह कौन है तो अर्ली नेशनलिस्ट अर्थात कांग्रेस के शुरुआती लीडर्स इनका अंग्रेजों प बिलीव था बिलीव यह था कि ये लोग जस्टिस करेंगे बिलीव ये था कि ये लोग फेयर प्ले करेंगे ऑनेस्ट है और अंग्रेजों के प्रति ये इंटीग्रिटी अर्थात ऑनेस्टी से काम करते हैं उनको बिलीव था कि अंग्रेज स्वयं भी ऑनेस्ट है याद रखिएगा ये इनकी गलतफहमी है मैं अभी बोल दे रहा हूं अर्ली नेशनलिस्ट यहां हमारे गलत है क्योंकि अंग्रेज धोखेबाज थे हैं क्या मैंने कहा अंग्रेजों ने हमेशा भारतीयों को चीट किया वो हमसे दोहरी नीति हां डबल डबल स्टैंडर्ड्स फॉलो करते थे हमारे साथ हमारे साथ भेदभाव करते थे तो ये गलत हो गए हमारे अली नेशनलिस्ट और इट वाज होप दैट द ब्रिटिश वुड ग्रांट होम क्या चाहिए हमें होम रूल चाहिए मतलब अंग्रेज देश छोड़ के ना जाए अंग्रेज यहीं रहे हम देश को चलाएं अंग्रेज हमारे ऊपर बस बैठे रहे सोचिए क्या अंग्रेजों ने ऐसा कुछ किया था हां अंग्रेजों ने होम रूल कनाडा को दे रखा था अंग्रेजों ने ऐसा होम रूल आयरलैंड को दे रखा था तो ऐसा ही होम रूल हम भारत में भी चाहते थे रूल विदन द ब्रिटिश एंपायर का नाम दिया गया था और क्या चाहते थे ये लीडर्स ये लीडर्स आजादी कभी नहीं बात करते थे हां फ्रीडम की तो बात ही नहीं हो रही है अर्ली नेशनलिस्ट इसकी बात ही नहीं कर करते थे दे बिलीव्ड ब्रिटिश रूल हैड मेनी बेनिफिट्स उल्टा ये मानते थे कि अंग्रेज हैं तो हमारे भारत को बहुत फायदे हैं और तो और वो ब्रिटिश को हेल्प भी करना पसंद करते थे वो चाहते थे कि हमारे यहां वेस्टर्न स्टैंडर्ड के अकॉर्डिंग अंग्रेजों के स्टैंडर्ड के अकॉर्डिंग हम लोग काम करें वो अंग्रेजों पे अगर कोई शिकायत करना चाहते थे तो वो कांस्टीट्यूशनल तरीके से पीसफुल तरीके से मतलब जब भी करना है विरोध तो कानून के दायरे में रह के करना है यह अच्छे होने का उनका कारण था अर्ली नेशनलिस्ट सच में अच्छे थे तो क्या डिमांड रखी क्या उन्होंने मांगा मैंने कहा आजादी तो कभी मांगी ही नहीं उन्होने ना ना ना आजादी की तो बात ही नहीं करते हैं पर उस समय जो अत्याचार हो रहे थे उनको कई तरीकों से उन्होंने दूर करने की कोशिश की उनमें से पहला है कांस्टीट्यूशनल चेंजेज करना जिसे हम कहते हैं कानून में बदलाव लाना रिफॉर्म्स लाना क्या वो रिफॉर्म्स थे जैसे इंडियन काउंसिल को बंद कर दिया जाए क्यों सर इंडियन कांसिल कौन है ये एक तरह की एक एग्जीक्यूटिव बॉडी है कैबिनेट है एक तरह का जो गवर्नर को हेल्प करता है गवर्नर को सलाह देता है क्यों इसको बंद करना चाहते थे ये लोग क्योंकि इसमें कोई भी इंडियन मेंबर नहीं था इसीलिए उन्होंने कहा इसको बंद कर दिया जाए और क्या किया जाए लेजिसलेटिव काउंसिल को और असेंबली को उल्टा किया जाए इसको बढ़ा दिया जाए क्योंकि इसमें इंडियन मेंबर थे ठीक है इसको एक्सपेंड किया जाए और इंडियन काउंसिल को बंद कर दिया जाए और क्या चाहते थे इंडियन मेंबर्स की संख्या इंक्रीज की जाए क्योंकि इंडियंस को अगर इंक्लूड ही नहीं करेंगे कानून में राय मशवरा करने में तो फायदा क्या है उन्होंने एक स्लोगन दिया था नो टैक्सेशन विदाउट रिप्रेजेंटेशन अर्थात हमें कानून बनाने में अपने कांस्टिट्यूशन में साथ रखो तभी हम आपको टैक्स देंगे अच्छा तरीका है ना दे मेड डिमांड फॉर स्वराज्य मैंने कहा था क्या चाहिए होम रूल आजादी नहीं चाहिए होम रूल चाहिए और तो और ये चाहते थे कि हमारे इंडियंस को एग्जीक्यूटिव काउंसिल का मेंबर बनाए क्या इनमें से डिमांड्स पूरी हुई नहीं हुई आइए अभी इसके बाद बताऊंगा कौन-कौन सी डिमांड इसमें से पूरी हो भी रही है कि नहीं हो रही है अच्छा अगला रिफॉर्म्स क्या चाहते थे इकोनॉमिक रिफॉर्म्स चाहते थे आर्थिक सुधार चाहते थे क्या था उसमें से जैसे लैंड टैक्स कम किया जाए किसानों की रक्षा की जाए जमींदारों से इंडियन आर्मी पे अंग्रेज बहुत खर्चा कर रही थी बहुत बड़ी सेना उन्होंने रखी थी उस परे खर्चे कम किए जाए अर्थात वेस्टेज ऑफ मनी रोका जाए क्या इसके लिए कुछ हुआ था क्या अंग्रेजों ने कुछ भी बात इन अर्ली नेसस की मानी कि नहीं मानी अभी बताऊंगा हां इसमें है इस कि इनमें से क्या-क्या मांग मानी गई तो अंग्रेज वेस्ट फुल खर्चा कर रहे थे सेना पे बहुत पैसे खर्चा कर रहे थे इंडियन गरीब क्यों थे पावर्टी क्यों आ रही थी देश में फेमाइनस चल रहा था क्या इस पे कुछ किया जाए यह सब इकोनॉमिक बदलाव है रिफॉर्म्स है जो अर्ली नेसस मांग कर रहे थे चाहते थे किसानों को सस्ते में लोन मिल सके चाहते थे बैंकिंग इरिगेशन यह सब फैसिलिटी इंप्रूव हो इंडस्ट्री हों को मदद की जाए ग्रोथ करने में ताकि देश आर्थिक रूप से सुधरे देश बहुत गरीब था उस समय पे और सबसे इंपोर्टेंट चीज जो सॉल्ट प टैक्स लगा हुआ था हमारे देश में नमक पर भी टैक्स लगा था जो कि हर घर में चाहिए और ड्यूटी ऑन शुगर शुगर पे भी टैक्स सोचिए बिना चीनी के आपका दूध और बिना नमक के आपकी आपकी सब्जी समझ रहे हैं ये सब चीज पे टैक्स लगा था और इसको वो यूज करने के लिए आंदोलन करते हैं रिफॉर्म करने के लिए सरकार से कहते हैं यह था अच्छा मैंने छह छह सात सात पॉइंट लिखे हैं आपको इतने पॉइंट्स याद करने की जरूरत नहीं है आप इसमें से तीन मैक्सिमम चार और उससे ज्यादा नहीं करिएगा ठीक है क्यों तीन चार कह रहा हूं पॉइंट्स करने के लिए आपको क्योंकि जब भी कोई क्वेश्चन आएगा तो इससे बड़े नंबर के नहीं आएंगे ठीक है ये पॉइंट वाइज क्वेश्चन बनेंगे इसीलिए ठीक है अब आता है तीसरा और आखिरी डिमांड इनकी क्या है एडमिनिस्ट्रेटिव डिमांड मतलब एडमिनिस्ट्रेशन करने में देश को चलाने में क्या बदलाव लाना चाहते थे ये चाहते थे कि इंडियन सर्विसेस इंक्लूड की जाए जो भारत के लिए सर्विसेस है वह इंक्लूड की जाए वो चाहते थे कि जो आईसीएस एग्जाम है जो सिविल सर्विस का एग्जाम होता है जिसको सबसे पहले क्वालीफाई किया था सुरेंद्र नाथ बैनर्जी ने व सिर्फ इंग्लैंड में ना हो एग्जाम इंडिया में भी उसका एग्जाम कंडक्ट कराया जाए ध्यान दीजिएगा क्या यह डिमांड्स पूरी हो रही है यह सब भी हमें देखना है डिमांड करना आसान है क्या अंग्रेज कुछ मान भी रहे हैं कि नहीं इनकी बात अभी आपको पता चलेगा इसके बाद और तो और वो चाहते थे कि एग्जीक्यूटिव और जुडिशरी में सेपरेशन हो जाए मतलब कानून बनाने वाले तो लेजिसलेटिव होते हैं पर उस कानून को इंप्लीमेंट करने वाले और उस पर फैसला सुनाने वाले दोनों क्या होने चाहिए अलग होने चाहिए जैसे एग्जीक्यूटिव और जुडिशरी और क्या चाहते थे मुंसिपल को ज्यादा पावर दिया जाए ज्यादा कंट्रोल करने का अधिकार दिया जाए आर्म्स एक्ट और लाइसेंस एक्ट जो इंडियंस के साथ भेदभाव करता था जो इंडियंस के साथ इस तरह से भेदभाव करता था कि इंडियंस को लाइसेंस लिए बिना आर्म्स रखने की परमिशन नहीं थी हथियार रखने की परमिशन नहीं थी जबकि यूरोपिय को फ्रीडम था क्यों क्यों भेदभाव है इसीलिए इसको रिपील किया जाए इस कानून को वापस लिया जाए और इंडियंस को जॉब मिले हायर लेवल्स पर अंग्रेज ऐसा कभी नहीं करते थे जितने भी हायर पोजीशंस हुआ करती थी वो यूरोपिय के लिए इंग्लैंड वालों के लिए रिजर्व थी इंडियंस को हायर पोस्ट नहीं मिलती थी इवन सेनाओ में भी कॉर्पोरल से ऊपर की रैंक इंडियन को देते ही नहीं थे सूबेदार के ऊपर की रैंक ना नहीं देंगे इंडियंस को और प्राइमरी एजुकेशन को इंक्लूड करना यह भी उन लोग चाहते थे ताकि देश में शिक्षा बढ़े ओहो और भी डिमांड्स हैं क्या हां मैं तो भूल ही गया डिफेंस ऑफ़ सिविल राइट हमारे राइट्स की रक्षा करना चाहते थे यह भी राइट्स यह भी यह भी उन्होंने डिमांड किया राइट्स हां हमारे पास राइट टू स्पीच हो राइट टू एसोसिएशन हो यह राइट्स तो क्या-क्या था जैसे हमारे देश में बहुत सारे रिस्ट्रिक्शंस लगाए गए थे फ्रीडम ऑफ़ स्पीच हमसे छीन ले जाता था अंग्रेज जब मन करता था फ्रीडम ऑफ़ प्रेस छीन लेते थे आपको आपको याद होगा वर्नाकुलर प्रेस एक्ट लॉर्ड लेटन ने पास किया था तो इस एक्ट में कहा गया था कि इंडियन न्यूजपेपर्स को क्या करेंगे हम रोक लेंगे बंद कर देंगे अगर वो ब्रिटिश के खिलाफ कोई प्रिंट करते हैं तो क्यों भाई हमें आजादी होनी चाहिए हम कुछ भी छाप सकते हैं क्या आज के न्यूज़पेपर के पास आज के मीडिया के पास आजादी है कि नहीं यस और नो जी हां एकदम आजादी है आज न्यूज़पेपर वाले जब चाहे तब इवन मोदी जीती के खिलाफ गवर्नमेंट के खिलाफ भी कुछ भी छाप देते हैं कुछ भी न्यू में छापते हैं जो भी चाहे क्यों क्योंकि फ्रीडम ऑफ प्रेस है तो आज हमारे देश में आपको फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड प्रेस हर जगह मिलेगा तो उस समय रिस्ट्रिक्शंस लगा रहे थे अंग्रेज हमने इनका विरोध किया और क्या किया एक कानून बनाया अंग्रेजों ने प्रीवेंटिव डिटेंशन एक्ट कहा हम इसको बंद करो इसमें व किसी को भी इस कानून के तहत य बहुत ही खराब कानून था अंग्रेजों का इसमें वो किसी को भी अरेस्ट कर लेते थे और उसको जेल में मारते पीटते तड़पाते कुचल देते उसको मार डालते उसको हां बहुत अत्याचार करते इस व्यक्ति पर बिना किसी प्रूफ के सिर्फ किस लिए जांच करने के नाम पर तो यह कानून बंद करो इंडियंस पर अत्याचार करने का कानून बंद करो सिविल राइट्स था हमारा यह भाई तो ये उन्होंने मांग की और क्या किया असेंबल करने का अधिकार एसोसिएशन बनाने का अधिकार भी उन्हो से वापस मांगा तो अंग्रेजों ने इन सब राइट्स डिमांड्स को पूरा किया कि नहीं किया आइए देखते हैं अच्छा नहीं पहले समझ हैं कि इन्होंने इन सब मांग को पूरी करने के लिए ये डिमांड्स तो है इनको पाने के लिए क्या-क्या रास्ते अपनाए बहुत सारी डिमांड्स है चार मेजर हेडिंग्स में डिमांड है आप हर हेडिंग में से तीन डिमांड्स कम से कम कर लीजिए ठीक है क्योंकि हेडिंग करके नाम आ जाएगा कि कांस्टीट्यूशनल रिफॉर्म्स में क्या डिमांड्स मांगी गई अब मेथड्स क्या लगाए गए डिमांड्स को पुने के लिए सबसे बेसिक मेथड जो है उनका वो है कांस्टीट्यूशनल एजीटेशन मेथड कांस्टिट्यूशन मतलब होता है कानून हां हमारे देश को संविधान चलाता है भारत को पूरा एक कांस्टिट्यूशन चलाता है किसी भी देश में ठीक है तो कांस्टिट्यूशन एजीटेशन मतलब विरोध मतलब हम विरोध करेंगे कानून के दायरे में रह कर के विरोध करेंगे तो इस मेथड को उन्होंने फॉलो किया अब आता है इसके अंदर पहला मेथड क्या है क्योंकि हमें देशवासियों को एजुकेट करना है भारत के लोगों को उनका हक बताना है बताना है इंडियंस को एजुकेट करना है इंडियंस को कि ये आपके राइट्स हैं और पहला डिमांड तरीका क्या था उनका मतलब अपनी मांग मनवाने का उनका क्या मेथड था मॉडरेट्स किस तरीके से अंग्रेजों से अपनी मांग मनवा लेते थे पहला मेथड था मीटिंग्स करते थे मीटिंग्स में स्पीस होती थी मीटिंग्स में ही रेजोल्यूशन पास कराते थे लोगों से कहते थे आप सब लोग हाथ उठाइए आप लोग हाथ उठा के बताइए कि कितने लोग इस पक्ष के सपोर्ट में हैं कि देश में एग्जांपल दे रहा हूं कि देश में सॉल्ट टक्स बैन हो जाए तो अगर लोग हाथ उठाएंगे उनसे क्या हो जाएगा उन लोग एक रेजोल्यूशन पास करेंगे और ये रेजोल्यूशन अंग्रेजों को देंगे भी सिर्फ पास नहीं कराते थे अंग्रेजों को बताते थे कि आम जनता क्या चाहती है और तो और व समय समय पर प्रेस पर छापते थे न्यूजपेपर्स में छापते थे अंग्रेजों ने जो कमियां की है जो बुराइयां की है उसका वो क्रिटिसाइज करते थे और समय समय परिर उनको मेमो भेजते थे मेमोरेंडम भेजते थे लेटर भेजते थे पेटीशन भेजते थे और बताते थे कि किस तरीके से उनको कानून में बदलाव की जरूरत है ऐसे कौन से कानून है जिनमें अंग्रेजों को सुधार की जरूरत है हम भारतीयों के लिए यह तरीका था यह तो हो गया पहला मेथड दूसरा मेथड हो गया थ्री पीज इस मेथड में है थ्री पीस थ्री पीस मतलब होता है प्रेयर पेटीशन एंड प्रोटेस्ट प्रेयर मतलब जानते ही है हाथ जोड़ना भैया अंग्रेज जी मान जाइए प्लीज हां पेटिश में लेटर करेंगे भेजेंगे कि प्लीज हम आपसे रिक्वेस्ट करते हैं एक बार दो बार तीन बार क्या करते हैं मनाना बहलाना फुसलाना अंग्रेजों को कि भैया मान जाइए मान जाइए मान जाइए और तो कुछ कर नहीं सकते लाठी डंडे लेके तो अंग्रेजों के पास पहुंच नहीं सकते हैं क्योंकि ये लोग मॉडरेट्स हैं क्योंकि ये अर्ली नेशनलिस्ट है ऐसा नहीं कर सकते ये लोग ठीक है ना तो ये लोग जब भी करेंगे तो पीसफुल मेथड से इंडियंस की प्रॉब्लम्स को अंग्रेजों तक पहुंचाएंगे इसके लिए उन्होंने एक पेपर भी बनवाया एक जर्नल बनाइए हां जर्नल का नाम था इंडिया जर्नल में क्या लिखा रहता था इंडियंस की प्रॉब्लम लिखी रहती थी और ब्रिटिश के सामने आम जनता के सामने अंग्रेजों के सामने इसको पेश कर दिया जाता था कभी-कभी हमारे इंडियन लीडर्स भी जाते थे इंग्लैंड जाते थे जब यहां के लीडर नहीं सुन रहे हैं तो वो इंग्लैंड जाते थे और वहां की पार्लियामेंट को और वहां की जनता को हम भारतीयों की प्रॉब्लम्स बताते थे उनमें से दादा भाई नेहरू जी तो आप जानते ही है है ना ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया अब आता है क्या अचीवमेंट्स हुआ इतनी डिमांड्स की हां अर्ली नेशनलिस्ट कुछ माना भी अंग्रेजों ने कि नहीं नहीं नहीं ऐसा नहीं है कि अर्ली नेशनलिस्ट ने कुछ पाया नहीं देश के लिए मिला हमें देश में मिला क्या-क्या मिला जैसे अर्ली नेशनलिस्ट ने हमारे देश में लोगों को जागरूक किया पूरे देश वासियों को देश प्रेम में जोड़ दिया पूरे देशवासियों में एकता की भावना फीलिंग ऑफ वननेस लाया क्योंकि सब एकजुट होते थे मिलते थे राय करते थे डिस्कशन करते थे और हुआ इंडियंस ट्रेंड हुए पॉलिटिक्स के बारे में इंडियंस को पता चल गया कि हमारे आजादी के क्या-क्या ख्याल है हमारी लिबर्टीज क्या है सेकुलरिज्म क्या है पॉलिटिकल राइट्स के बारे में इंडियन को पता नहीं था उस जमाने में इन्होंने ट्रेन किया क्योंकि ये सब पढ़े लिखे थे हाईली क्वालिफाइड लोग थे इसीलिए आम जनता में भी नॉलेज फैलाया इन्होंने और तो और इन्होंने बता था इंडियंस को कि ब्रिटिश का असली चेहरा क्या है हालांकि मैंने कहा यहां वो थोड़े कमजोर हो गए यहां यहां मॉडरेट थोड़े कमजोर हो गए पूरा रियल कहते हैं ना असली रूप अंग्रेजों का नहीं दिखा पाए और तो और इन्होंने भारत में कई सारे ऐसे प्रोग्राम्स चलाए कई सारे ऐसे काम किए जिससे इंडियंस को महसूस हो कि इंडिया इंडियंस का है हम भारतवासी का है अब कुछ अच्छे काम जो उन्होंने अचीव करके दिखा दिए चलिए क्या अचीवमेंट्स थी उनकी जो सच में उस समय अप्लाई हो पाई पहला अचीवमेंट यह हुआ कि एक पब्लिक सर्विस कमीशन बनाया गया 18864 ए सी पब्लिक सर्विस कमीशन और क्या बनाया हाउस ऑफ कॉमंस में एक रेजोल्यूशन पास हुआ जिसमें आईसीएस का एग्जाम अब लंडन और इंडिया में एक साथ होगा ये भी मांग थी उनकी ना इससे पहले बताया था डिमांड्स में बताया था ना तो ये डिमांड पूरी हो गई अब इंडियन सिविल सर्विस का एग्जाम भारत में भी होगा और लंदन में भी होगा एक साथ और तो और एक कमीशन बनाया गया जिसका नाम रखा गया वेबली कमीशन जो अंग्रेज फालतू खर्चा कर रहे थे आर्मी पर याद है इससे पहले डिमांड बताया था मैंने वो भी इनकी मांग पूरी हो गई अब अब यह कमीशन बताएगा अंग्रेजों को कि कहां वेस्ट हो रहे हैं खर्चे क्यों अंग्रेज पैसे बर्बाद कर रहे हैं और इंडियन काउंसिल को चेंज किया गया इसके लिए उन्होंने एक इंडियन काउंसिल एक्ट भी बनाया थी कि इनके मेथड्स इन एडिक्ट थे काफी नहीं थे देश को आजादी कराने के लिए काफी नहीं थे मेथड्स क्योंकि ये सब कुछ किसपे डिपेंड करते थे अंग्रेजों की दया पर डिपेंड करते थे अंग्रेज अगर चाहे तो दे दया करें कुछ छूट दे दें कुछ रिफॉर्म्स करें वरना ना चाहे तो कुछ ना करें क्योंकि सारा काम प्रेयर पेटीशन एंड प्लीडिंग्स पर डिपेंड करता था जो कि अंग्रेजों की मर्जी है वो अपने ताकत पर अपने दम पर अर्ली मॉडरेट्स देश को आजाद नहीं करा सकते थे ना सवाल ही नहीं नहीं और दे फेल टू रिलाइज और ये नहीं बता पाए वो लोग कि ब्रिटिश और इंडियन इंटरेस्ट एक साथ नहीं रह सकता एक तलवार में दो मयानंद हो जाएं और अंग्रेज भी देश में रह जाए कैसे संभव है अंग्रेजों को तो हटना ही पड़ेगा और तो और दे फेल टू ड्रॉ द मासे आम जनता इनके साथ आंदोलन में नहीं जुड़ पाई मतलब सिर्फ पढ़े लिखे लोग जो क्वालिफाइड थे लॉयर्स बैरिस्टर्स टीचर्स ऑफिशियल यह लोग तो थे मेंबर पर किसान स्टूडेंट्स घर की औरतें वूमेंस ना ना ना ये इनके साथ कभी जॉइन नहीं कर पाए तो इनका मूवमेंट मास मूवमेंट नहीं बन पाया जन जन का आंदोलन ये लोग नहीं बना पाए ये इनकी बहुत बड़ी कमी थी आइए अंग्रेजों के बारे में जाने यह रहे लॉर्ड डफरिन तो लॉर्ड डफरिन ये जो कांग्रेस बनाई गई 1885 में इसके प्रति क्या रवैया रखते थे इनका क्या विचार था तो शुरुआत में तो गवर्नमेंट खुद इसको सपोर्ट कर रही थी गवर्नमेंट तो खुद चाहती थी कि एक ऐसी पॉपुलर ऐसी पार्टी बने जो देश के लोगों की प्रॉब्लम्स को अंग्रेजों को बताए एक सेफ्टी वॉल्व का काम करें और पार्टी का नाम था इंडियन नेशनल कांग्रेस और फाउंडर का नाम था ए ओ ह्यूम तो ये खुद अंग्रेज थे तो अंग्रेजों ने इन सेशंस में खुद पार्टिसिपेट किया 1885 की मीटिंग में खुद बैठते थे लॉर्ड डफरिन जो वॉइज रॉय थे उस जमाने में उन्होंने ही खुद इसको सपोर्ट किया था कलकाता में तो वो लोग उनको टी पाटी में भी बलाए थे इवन खुद ब्रिटिश लीडर थे मौजूद थे उसमें बट धीरे-धीरे लॉर्ड डफरिन इनसे नाराज हो गए क्यों नाराज हुए क्योंकि लॉड डफरिन चाहते थे कि कांग्रेस क्या करे सिर्फ सोशल वर्क करे पॉलिटिकल काम ना करे अब कांग्रेस की पार्टी ऑल इंडिया पार्टी है वह देश प्रेम का काम ना करे ऐसे कैसे हो सकता है तो इस बात से लॉ डफरिन उनसे नाराज होने लगे क्योंकि उनको लगा कि कांग्रेस अब लोगों के लिए काम कर रही है अंग्रेजों के खिलाफ काम कर रही है अब वो इससे नाराज हो जाएंगे अब लॉर्ड डफरिन उल्टा करेंगे कांग्रेस प अटैक करना शुरू कर देंगे एक साल पहले ही तारीफ कर रहे थे आज कहते हैं कि यह लोग माइक्रोस्कोपिक माइनॉरिटी है कहते हैं ये डिसल बाबू है या तो कभी-कभी ये तो वायलेंट विलियंस है कांग्रेस के लोगों का नाम इन्होंने पहले कुछ और था अब कुछ और कर दिया क्या साबित होता है कि अंग्रेज कभी भी हमारे पक्ष में नहीं थे वो सिर्फ अपना फायदा इंग्लैंड का फायदा सोच रहे थे इंडियन से उन्हें कोई प्यार नहीं था कभी नहीं था सिर्फ अपना फायदा सोचना चाहते थे बाद में कांग्रेस के लोगों की मीटिंग्स में अंग्रेज आना बंद कर दिए ब्रिटिश लोगों को आना मना हो गया और तो और जब ये पॉपुलर होने लगी तो अंग्रेजों को अब समझ में आ गया कि इसको तोड़ना पड़ेगा कांग्रेस को तोड़ने के लिए एंटी कांग्रेस बनाने के लिए उन्होंने कुछ ऐसे लीडर्स को चुना जो कांग्रेस का विरोध करते थे जैसे सर सैयद अहमद खान जी जी को उन्होंने चुना राजा शिव प्रसाद जो बनारस के एक राजा हुआ करते थे ये लोग ब्रिटिश सपोर्टर्स हुआ करते थे ताकि इंडियंस को डिवाइड करो अगर कांग्रेस पॉपुलर होगी तो देश में आजादी की मांग करेगी इसीलिए क्या करो लड़ाते रहो इंडियंस को शुरू कर दिया डिवाइड एंड रूल हिंदूजा रहो और मजे करो ये अंग्रेजों की पुरानी पॉलिसी है आइए देखते हैं अब हमारे अर्ली नेशनलिस्ट लीडर्स के कंट्रीब्यूशंस के बारे में आपको तीन कंट्रीब्यूशंस ज्यादा ज्यादा याद कर रहे हैं और कंट्रीब्यूशंस नहीं करना है हम जो एक्स्ट्रा कंट्रीब्यूशंस कर रहे हैं वो आपकी नॉलेज के लिए कर रहे हैं आप तीन कंट्रीब्यूशंस पे फोकस करिएगा सबसे पहले मिलते हैं ग्रैंड ल मैन ऑफ इंडिया दादाभाई नेहरू जी से तो दादाभाई नेहरू जी स्वयं पारसी थे प्रोफेसर ऑफ मैथमेटिक्स थे एफिल स्न कॉलेज बॉम्बे बॉम्बे में स्वयं मैथ्स के प्रोफेसर हुआ करते थे और बॉम्बे एसोसिएशन नाम की उन्होंने एक संस्था बनाई और तो और ये खुद एक महान लेखक ज्ञानी थे न्यूज़पेपर बनाया क्या ना था न्यूज़पेपर नाम था राष्ट्र गोतर राष्ट्र गोतर मतलब होता है सच बोलने वाला स्पीकर ऑफ तत और तो और इन्होंने एक मैगजीन भी लिखी नाम था धर्म मार्ग दर्शक तो बहुत ही यस हमारे सारे जो नेशनलिस्ट लीडर है कोई आम आदमी नहीं है सब उस जमाने के सबसे हाईएस्ट एजुकेशनिस्ट है क्या कंट्रीब्यूशन किया देखिए पहला कंट्रीब्यूशन है यह भारत के एंबेसडर थे कहां वैसे तो हम बनाते हैं एंबेसडर पर ये अनऑफिशियल एंबेसडर थे मतलब हमारे भारत को रिप्रेजेंट करते थे इंग्लैंड में ये पहले व्यक्ति थे जिन्होंने लंदन में भी एक संस्था बनाई नाम रखा लंदन इंडिया सोसाइटी और वहां पर इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ शिकायत करना शुरू की इंडियंस की जो तकलीफें थी ग्रीव एंसे थे परेशानियां थी वो पब्लिश किया सोचिए इंग्लैंड में रह कर के इंग्लैंड वाले लोगों की बुराई करना कितनी बड़ी बात है वहां पे जाकर के ऐसा करना और तो और ये पहले इंडियन थे जो ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमनस जैसे हमारे देश में लोकसभा राज्यसभा है वहां पर हाउस ऑफ कॉमनस इंग्लैंड में वहां के मेंबर चुन लिए गए इमेजिन एक गुलाम देश का आदमी इंपेस्टर में जाकर के चुनाव जीत जाता है सोचिए कितने महान थे दादा भाई नेहरो जी तो कांग्रेस में भी कांग्रेस में भी बहुत एक्टिव पार्टिसिपेट किया कांग्रेस जब बनी तो कांग्रेस का नाम भी बदलने वाले यही थे पहले इसका नाम था इंडियन नेशनल यूनियन इन्होंने नाम कहा इंडियन नेशनल कांग्रेस कांग्रेस के तीन बार वो प्रेसिडेंट भी रहे हैं और सेल्फ गवर्नमेंट का नारा देना देश में बायकॉट स्वदेशी नेशनल एजुकेशन ये सब बड़े-बड़े हां रिफॉर्म मूवमेंट थे ये सब लाने वाले स्वयं दादा भाई नेहरू जी है और तो और स्वराज्य को पहली बार देश में होम रूल आए होम रूल मतलब स्वराज्य मतलब रूल विदन द ब्रिटिश ये पहली बार मांग करने की हिम्मत दादा भाई नेहरू जी में थी पहली बार वो भी कांग्रेस में इससे पहले कभी कांग्रेस ने स्वराज्य की मांग नहीं की थी फर्स्ट मैन टू आस्क फॉर स्वराज इन इंडिया दादा भाई नेहरू जी और तो और इन्होंने अंग्रेजों के अंग्रेजों का असली रूप हमें बता दिया उन्होंने बता दिया कि अंग्रेज सिर्फ भारत में पैसे के लिए आए हैं हमें लूटने के लिए आए हैं इन्होंने लिखा पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया जो बताती है अंग्रेजों की सारे सोशल सारे इकोनॉमिक बुराइयों के बारे में इन्होंने एक थ्योरी लिखी जिसका नाम है ड्रेन थ्योरी अर्थात भारत से वे को ड्रेन करके ले जाना किस तरीके से अंग्रेज हमें बर्बाद कर रहे थे फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस एम जी रानाडे जस्टिस रानाडे की एक संस्था थी नाम था डेकन एजुकेशन सोसाइटी उसको जवाइन किया ये इंग्लैंड भी गए कई बार और उनको एक अवार्ड मिला नाम था कंपेनिया ऑफ इंडियन एंपायर देखा अंग्रेजों ने इन्हें अवार्ड दिया कंपेनिया ऑफ इंडियन एंपायर गोखले बहुत ही पॉपुलर कांग्रेस के सबसे पॉपुलर लीडरों में से एक थे और जब वारसी में यस जहां से मैं हूं वारसी में 1905 में जब कांग्रेस का सेशन बुलाया गया उस समय कांग्रेस के प्रेसिडेंट थे गोपाल कृष्ण गोखली अब तो याद रखेंगे इस सेशन को क्योंकि यह सेशन आपके सर तरुण रूपानी के शहर में था आइए इनके कंट्रीब्यूशन जाने तो इन्होंने कांग्रेस को एक कांग्रेस को एक मजबूत संस्था बनाते हुए अंग्रेजों से डिमांड्स करना शुरू किया क्या परसूड किया अंग्रेजों को अंग्रेजों को बताया कि वो बहुत फालतू खर्चा कर रहे हैं आर्मी पर एक्सपेंडिचर कर रहे हैं इसके लिए वेबलेट कमीशन बनाया जाएगा है ना ये बात उनकी सही साबित हो गई उन्होंने रेशल डिस्क्रिमिनेशन का विरोध किया इंडियंस को को हाईयर पोस्ट नहीं दी जाती थी अंग्रेज सिर्फ सिर्फ ब्रिटिशर्स को यूरोपिय को हाईयर पोस्ट देते थे उन्होंने कॉटन पे टैक्स का विरोध किया उनको जब मेंबर बनाया गया लेजिसलेटिव काउंसिल का तो उन्होंने डिमांड की जुडिशरी और एग्जीक्यूटिव को सेपरेट किया जाए उन्होंने मोरली मिंटो रिफॉर्म्स में एक मेजर रोल प्ले किया उस समय मोरली और मिंटो हां मिंटो उस समय लॉर्ड थे वॉइज रॉय थे और मोरली एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेंबर थे इनके वो एक मेन मेंबर थे इन्होंने इंडियन पब्लिक सर्विस कमीशन में एक मेजर रोल प्ले किया याद रखिएगा भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम्स होने लगे तो इनकी वजह से ही पॉसिबल आया और क्या किया इन्होंने इन्होंने एक संस्था बनाई इन्होंने एक संस्था बनाई सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी क्या था इसका मकसद इसका मकसद था 1905 में जब ये बनाई गई तो इसका मकसद था इंडियंस को ट्रेन करना भारत में नए नेशनलिस्ट लीडर्स पैदा हो भारतवासी देश प्रेम करना सीखें देश के लिए अपने आप को मर मिटने के लिए लिए सीखे क्योंकि देश सेवा सबसे बड़ी सेवा है यह सिखाया लोगों को और तो और यह इंपीरियल लेजिसलेटिव काउंसिल अर्थात ब्रिटिश को एडवाइस देने वाली वॉइज रॉय को एडवाइस देने वाली काउंसिल के मेंबर भी थे तब इन्होंने क्या किया सॉल्ट टैक्स पे सॉल्ट ड्यूटी कम करवाई कॉटन गुड्स प ड्यूटी को इसका विरोध किया हां इसपे इफेक्ट आया इन्होंने टॉल टेक्स कम करवा लिया इन्होंने एक बिल पास करने की कोशिश की जिसमें प्राइमरी एजुकेशन को कंपलसरी कराया जाए हालांकि ये बिल पास नहीं हो पाया और इन्होंने बहुत सारे चेंजेज किए जैसे जॉब्स की डिमांड की इन्होंने मांग की कि लैंड रेवेन्यू अर्थात किसानों को जो लगान भरना पड़ता है उसे कम कर दिया जाए तो कई तरीके से अंग्रेजों को इन्होंने क्या किया इंडियंस की परेशानियों को बताया कि कहां-कहां इंडियंस परेशान है देखिए कॉमन परेशानियां है सॉल्ट टैक्स कम कर देना कॉटन पे टैक्स लगना कम कर देना शुगर पे ड्यूटी घटाना लैंड रेवेन्यू लगान कम कर देना ऐसे बहुत सारे कॉमन चीजें हैं जो उस समय परेशानियां चल रही थी कोई तो है जो इंडियंस की आवाज उठा रहा है गोपाल कृष्ण गोखले अच्छा गांधी जी और गोखले में एक खास रिलेशन है कहा जाता है गांधी जी जब अफ्रीका गए तो वहां साउथ अफ्रीका में गोखले जी स्वयं गए गांधी जी की मदद करने और जब गांधी जी को भारत लाना था तो वो गोपाल कृष्ण गोखले जी थे उन्होंने गांधी जी को इंडिया बुलाया 1915 में गांधी जी इंडियन पॉलिटिक्स में आए गोखले जी की वजह से और गोखले को स्वयं गांधी जी अपना पॉलिटिकल गुरु मानते हैं पॉलिटिकल मेंटर मानते हैं अब आते हैं तीसरे और आखिरी अर्ली नेशनलिस्ट के बारे में मैंने आपसे पूछा था फादर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म हां इस सेक्शन के इस वीडियो के स्टार्टिंग में पूछा था तो आपको दर्शन करा दूं फादर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म महानतम महानतम नेशनलिस्ट लीडर्स हैं सुरेंद्रनाथ बनर्जी जी फर्स्ट इंडियन टू क्वालीफाई फॉर द आईसीएस सोचिए ये एग्जाम ब्रिटेन में होता था लंदन में होता था और एक इंडियन नागरिक का लंदन में जा कर के एग्जाम देना वो भी 21 साल से कम उम्र की आयु में ये क्वालीफाई करने वाले व्यक्ति थे फर्स्ट इंडियन और तो और ये मैजिस्ट्रेट बने आसाम में चाहते ऐश की जिंदगी जीते पर ऐसा हुआ नहीं क्योंकि ये खुद अंग्रेजों का विरोध करते थे इनको डिस्मिस कर दिया गया क्योंकि अंग्रेजों की पॉलिसी ऑफ भेदभाव रेशियन डिस्क्रिमिनेशन ब्लैक्स एंड वाइट्स का जो डिस्क्रिमिनेशन अंग्रेज करते थे इस पर वो विरोध करते थे अंग्रेजों ने इनको निकाल दिया काम से छोड़ दिया काम बोला भाड़ में जाए तुम्हारी नौकरी क्या किया इन्होंने इंडियन एक संस्था बनाई नाम रखा इंडियन एसोसिएशन क्या थी संस्था ये चाहती थी संस्था कि अंग्रेजों की हर गलत कामों का हम विरोध करेंगे ठीक है ये एक बहुत ही पॉपुलर संस्था थी 187 6 में बनाई गई थी इन्होंने एक ऑल इंडिया पॉलिटिकल पार्टी पहली ऑल इंडिया पॉलिटिकल एसोसिएशन बनाई हां नाम रखा इंडियन नेशनल कॉन्फ्रेंस जिसमें भारत भर के सारे लोग जो एजुकेशनिस्ट थे प्रोफेसर्स थे टीचर्स थे लॉयर्स थे उनको इनवाइट किया कोलकाता में इसको उन्होंने पहली बार बुलाया और सुरेंद्र नाथ बनर्जी की संस्था इंडियन नेशनल कान्फ्रेंस इंडियन एसोसिएशन को ही मर्ज कर दिया गया कांग्रेस में कहते हैं ये प्री कर्सर्स ऑफ कांग्रेस थी कांग्रेस के पूर्व कांग्रेस के पूर्वज है ये समझ गए कांग्रेस इसमें बनी है इनसे बनी है इनकी आईडियाज बहुत क्लियर है कि ये चाहते थे कि देश में लोगों के हक की आवाज सुनी जाए इन्होंने इसके लिए एक न्यूज़पेपर लिखा नाम था बंगाली ये बंगाल का ही न्यूजपेपर है बंगाली में लिखा गया है ठीक और क्या किया इन्होंने एक बुक लिखी नेशन इन दी मेकिंग बहुत ही पॉपुलर बुक है नेशन इन दी मेकिंग जिसमें क्या भारत की परेशानियां है और भारत किस तरीके से सेल्फ गवर्नमेंट की ओर बढ़ रहा है और कैसे भारत आगे जाकर के एक आजाद देश बनेगा ये इस किताब में लिखा था तो यही थे हमारे देश के फादर ऑफ इंडियन नेशनलिज्म सो आई होप चैप्टर आपको पूरा समझ में आ गया होगा यही एक चैनल है जहां सब कुछ लेटेस्ट बनता है क्या लगता है आपको ये मैंने पहली बार ये चैप्टर अपलोड किया है नहीं आप चाहेंगे तो इस चैप्टर को फर्स्ट फेस ऑफ इंडियन नेशनल मूवमेंट को आप ओल्ड वर्जन भी देख सकते हैं इससे पहले मैंने तीन चार ऑलरेडी इस पर वीडियो बना रखे हैं ये आपके करंट सेशन के अकॉर्डिंग हां इस सेशन के अकॉर्डिंग ही बनाया गया है जहां हम हर कुछ कवर कर रहे होते हैं और वो भी एकदम फ्रेशलीशियस तो आपके लिए यस मेरे सुपर स्टार्स के लिए यह सब कुछ बना है एंड थैंक यू एंड गॉड ब्लेस यू बस एक ही मेरी तमन्ना है आपके मंजिल आपकी जो आप चाहते हैं जो करना चाहते हैं जो परसेंटेज चाहते हैं वो मिल जाए वो 95 प्लस हो या 100 ऑन 100 हो जैसे कि मेरे इस बार के सुपरस्टार्स ने कई सुपरस्टार्स ने 100 आउट ऑफ 100 अटें किया हिस्ट्री सिविक्स में तो मिलते हैं अगले लेसन वीडियो में और याद रखिएगा जो फ्री है वो आपके लिए है यह बाद में सब पेड मिलने लगेगा तो आपसे रिक्वेस्ट है प्लीज डू नॉट मिस आउट द लाइव सेशंस एंड दी प्रीमियर सेशंस इसमें आपको बेहद एक्सक्लूसिव कंटेंट मिल रहे होते हैं यह सारे नोट्स मिल रहे होते हैं एब्सलूट फ्री बाय गॉड ब्लेस यू